विषयसूची:
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17 February 2024 Hindi PIB
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उधमपुर-कठुआ-डोडा लोकसभा क्षेत्र के दूर-दराज के क्षेत्रों में अब तक लगभग 13,000 मरीजों को “डॉक्टर ऑन व्हील्स”, द्वारा उपचार प्रदान किया गया, जो अपनी तरह का पहला, अत्याधुनिक, कृत्रिम इंटेलिजेंस (एआई) संचालित निःशुल्क मोबाइल टेलीमेडिसिन क्लिनिक है
सामान्य अध्ययन: 2
स्वास्थ्य
विषय: स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: कृत्रिम इंटेलिजेंस (एआई) संचालित निःशुल्क मोबाइल टेलीमेडिसिन क्लिनिक।
प्रसंग
- 17 फ़रवरी को नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक मीडिया साक्षात्कार में यह कहा कि यह अनोखा प्रयोग नवीनतम प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग करता है जिसके अन्तर्गत मोबाइल टेलीमेडिसिन क्लिनिक में उपचार के लिए आने वाले मरीज की पूरी तरह से जांच की जाती है और फिर हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे महानगरों के अग्रणी अस्पतालों में से एक में संबंधित सुपर-विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श प्राप्त किया जाता है इसके लिए एक व्यवस्था बनाई गई है। उन्होंने कहा कि मरीज की जांच और डॉक्टर का पर्चा उपलब्ध कराने की यह पूरी प्रक्रिया लगभग 45 मिनट में पूरी हो जाती है, तथापि अगर मरीज को शारीरिक रूप से अस्पताल जाना पड़े तो इसमें कई दिन लग सकते हैं।
विवरण
- डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘डॉक्टर ऑन व्हील्स’ पहल के अधिकांश लाभार्थी महिलाएं हैं, उन्होंने बताया कि डोडा, हीरानगर और कठुआ-बिलावर क्षेत्रों में कुल 11,431 लाभार्थियों में से 6,643 महिलाएं थीं।
- उन्होंने कहा कि वर्तमान में चौथे चरण में उधमपुर जिले के रामनगर ब्लॉक के ऊपरी इलाकों में सुदूर डुडु बसंतगढ़ में यही दिखाई दे रहा है, जहां 22 पंचायतों के तहत 56 गांवों में कुल 1,452 लाभार्थियों में से 835 महिलाओं ने क्लिनिक वैन से परामर्श लिया है।
- डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे बताया कि हालांकि मरीज की जांच और परामर्श की पूरी प्रक्रिया में बहुत भारी लागत आती है, इस विषय में यह स्वैच्छिक स्रोतों से जुटाए गए धन के माध्यम से उनके निर्वाचन क्षेत्र में मरीजों के लिए मुफ्त किया जा रहा है।
- डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अत्याधुनिक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) समर्थित “आरोग्य-डॉक्टर ऑन व्हील्स” संभवतः अपनी विशेषताओं के साथ अपनी तरह का पहला टेलीमेडिसिन मोबाइल क्लिनिक है।
- उन्होंने कहा, इसकी अपार सफलता देश में अन्य स्थानों पर भी इसी तरह की पहल को प्रेरित करेगी।
- डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “आरोग्य-डॉक्टर ऑन व्हील्स” नवीनतम पद्धति पर कार्य करता है, जिसमें एक मरीज अपनी बीमारी या शिकायत अपनी मूल भाषा में बता सकता है और एआई डॉक्टर उस भाषा को समझता है और उसी भाषा में मरीज को संबोधित करता है।
- डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, यह मुफ्त टेलीमेडिसिन सुविधा ‘पहुंच, उपलब्धता और सामर्थ्य’ की समस्याओं को दूर करती है। उन्होंने कहा, इस सुविधा के माध्यम से सेवाओं की गुणवत्ता, विशेषज्ञ चिकित्सक, यात्रा की दूरी और परामर्श/उपचार की लागत को ध्यान में रखकर इन समस्याओं का कुशलतापूर्वक हल किया जाता है। आम तौर पर, एक मेट्रो अस्पताल में एक मरीज का खर्च बहुत अधिक होगा और इसमें दो से तीन सप्ताह का समय लग सकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के निःशुल्क टेलीमेडिसिन मोबाइल शिविर से विशेषकर कमजोर सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले लोगों की सभी समस्याओं का निवारण हो जाता है।
- डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि मरीजों की सुविधा के लिए, निर्धारित दवाएं भी मुफ्त दी जा रही हैं और इसके अलावा, पूरे निर्वाचन क्षेत्र में सभी परिवारों को आमतौर पर उपयोग की जाने वाली दवाओं से युक्त दवा किट का वितरण मुफ्त में किया जा रहा है।
- उन्होंने कहा, मोबाइल टेलीमेडिसिन क्लिनिक “आरोग्य-डॉक्टर ऑन व्हील्स” देश के प्रमुख सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों के विभिन्न डॉक्टरों को अपने साथ जोड़ने की एक पहल है, जो दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रहा है।
- उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल स्वास्थ्य मिशन और आयुष्मान भारत से प्रेरित यह नवीनतम सुपर स्पेशियलिटी मोबाइल अस्पताल, डॉक्टरों के साथ घर पर परामर्श सेवाएं प्रदान कर रहा है और निवारक स्वास्थ्य देखभाल में शहरी और ग्रामीण विभाजन की दूरी को मिटाने में सहयोग किया है।
- डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि वर्तमान में चौथे चरण के तहत 17 जनवरी, 2024 से मोबाइल आरोग्य क्लीनिक का संचालन उधमपुर के रामनगर ब्लॉक के ऊपरी इलाके डुडु बसंतगढ़ में किया जा रहा है।
- उन्होंने कहा, इस स्वास्थ्य सुविधा के पहले चरण में डोडा जिले के दूर-दराज के गंदोह क्षेत्र के 60 से अधिक गांवों को शामिल किया गया जहां इसने तीन महीने की अवधि तक अपनी सेवाएं दी। उन्होंने कहा, दूसरा चरण अंतरराष्ट्रीय सीमा के जीरो लाइन गांवों पर आयोजित किया गया था, और तीसरा चरण बिलावर के ऊपरी इलाकों में आयोजित किया गया था, जहां ऐसी स्वास्थ्य सुविधाएं या तो उपलब्ध नहीं हैं या अपर्याप्त रूप से उपलब्ध हैं।
- केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोबाइल टेलीमेडिसिन सेवा, डिजिटल मोड के माध्यम से वितरित की जाने वाली पहली स्वास्थ्य सेवा है, यह जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह से गैर-सरकारी स्रोतों से उत्तर भारत और दक्षिण भारत से संबंधित दो स्टार्टअप समूहों द्वारा प्रदान की जा रही है।
- डॉ.जितेंद्र सिंह ने कहा, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मंत्र – ‘सेवा, समर्पण और स्टार्ट-अप’ का पालन निम्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के जनमानस के लिए असाधारण चिकित्सा सुविधाओं के साथ इन मुफ्त टेलीमेडिसिन मोबाइल सेवाओं में किया जा रहा है चूंकि यह सरकार गरीबों के लिए समर्पित है।
- डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्थानीय लोगों से इस सुविधा का लाभ उठाने की अपील करते हुए कहा कि इस नवीनतम सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के माध्यम से डॉक्टर सीधे उनके द्वार पर आकर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘डॉक्टर ऑन व्हील्स’ एम्बुलेंस मरीजों को देश भर के वरिष्ठ डॉक्टरों से जोड़ने के लिए नवीनतम तकनीक और प्रणाली से युक्त है।
- इस बात पर जोर देते हुए कि भारत आज तकनीकी रूप से सबसे विकसित देशों के समान है, डॉ. जितेंद्र सिंह, जो स्वयं एक प्रसिद्ध मधुमेह विशेषज्ञ हैं, ने कहा कि ये सेवाएं उसी मानक श्रेणी की हैं जो विश्व में कहीं भी प्रदान की जाती हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि भविष्य में टेलीमेडिसिन सेवाओं का उपयोग करके उन्नत रोबोटिक सर्जरी की जाएगी।
- केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नवीनतम तकनीकी विकास का उपयोग करते हुए देश के सुदूर दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने का दृढ़ संकल्प किया है। उन्होंने बताया कि यह वर्तमान पहल भी उसी से प्रेरित है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने कृषि निर्यात को वित्त वर्ष 1987-88 में 0.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मामूली निर्यात से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2022-23 में 26.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाया है
- वर्ष 1987-88 में 0.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वार्षिक निर्यात की मामूली शुरुआत से, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के सक्रिय सहयोग द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 में कृषि निर्यात में 26.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस वृद्धि की यात्रा को 200 से अधिक देशों में निर्यात के विस्तार द्वारा रेखांकित किया गया है, यह 12 प्रतिशत की सराहनीय चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) को दर्शाता है।
- वर्ष 2022-23 की अवधि में भारत का कृषि निर्यात 53.1 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुचं गया, भारत के इस कृषि निर्यात में APEDA का महत्वपूर्ण योगदान 51 प्रतिशत रहा। अप्रैल-दिसंबर, 2023 की अवधि में APEDA के निर्यात समूह में 23 प्रमुख वस्तुओं में से 18 ने सकारात्मक वृद्धि का प्रदर्शन किया। विशेष रूप से 15 बड़े प्रमुख वस्तुओं में से 13, जिनका निर्यात पिछले वर्ष 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक था, इन्होंने 12 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर के साथ सकारात्मक वृद्धि की। ताजे फलों ने 29 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज करते हुए उत्कृष्टता प्राप्त की। इसके अलावा, इस अवधि में प्रसंस्कृत सब्जियों के निर्यात में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई, इसके बाद विविध प्रसंस्कृत वस्तुओं, बासमती चावल और ताजी सब्जियों के निर्यात में भी पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में पर्याप्त वृद्धि हुई। मुख्यतया ताजे फलों के निर्यात में भारत ने उल्लेखनीय रूप से वृद्धि की है, यह पिछले वर्ष के 102 गंतव्य देशों की तुलना में आज 111 देशों को अपनी सेवाएं दे रहा है।
- APEDA ने 13.02.2024 को अपने 38वें स्थापना दिवस के अवसर पर, कृषि निर्यात के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अद्वितीय वृद्धि और प्रगति का उत्सव मनाया। कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ वर्ष 1986 में स्थापित, APEDA भारत के कृषि निर्यात को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभर कर आया है।
- अप्रैल-नवंबर 2023 के दौरान, कई प्रमुख वस्तुओं में पिछले वर्ष की तुलना में पर्याप्त वृद्धि देखी गई, जैसे केले: 63 प्रतिशत, दालें (सूखे और छिलके वाले): 110 प्रतिशत, ताजे अंडे: 160 प्रतिशत और केसर और दशहरी आम: क्रमश 120 प्रतिशत और 140 प्रतिशत ।
- अप्रैल से दिसंबर 2023 की अवधि के दौरान, बासमती चावल के निर्यात मूल्य में 19 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई जो पिछले वर्ष के 3.33 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 3.97 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। इसके साथ ही, निर्यात की मात्रा में 11 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो समान समय सीमा में 31.98 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 35.43 लाख मीट्रिक टन हो गई। बासमती चावल ने शीर्ष बाजारों तक अपनी पहुंच बना ली है, ईरान, इराक, सऊदी अरब, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात इन निर्यातों के लिए शीर्ष पांच गंतव्यों के रूप में उभर कर आए हैं। निर्यात का यह दमदार प्रदर्शन बासमती चावल की स्थायी लोकप्रियता और वैश्विक मांग की पुष्टि करता है, जिससे भारत के निर्यात क्षेत्र में एक प्रमुख कृषि उत्पाद के रूप में इसकी स्थिति और अधिक मजबूत हो गई है।
- सरकार ने कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भारतीय खाद्य निगम की अधिकृत पूंजी 10,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 21,000 करोड़ रुपये करने का ऐतिहासिक फैसला किया
- कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने और संपूर्ण देश में किसान-कल्याण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सरकार ने कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भारतीय खाद्य निगम की अधिकृत पूंजी 10,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 21,000 करोड़ रुपये करने का ऐतिहासिक फैसला किया है। यह रणनीतिक कदम किसानों को समर्थन देने और भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- भारतीय खाद्य निगम (FCI), देश की खाद्य सुरक्षा के स्तंभ के रूप में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खाद्यान्न की खरीद, रणनीतिक खाद्यान्न भंडार के रखरखाव, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को वितरण और बाजार में खाद्यान्न की कीमतों का स्थिर रखने सहित विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों में उल्लेखनीय भूमिका निभाता है।
- अधिकृत पूंजी में वृद्धि अपने अधिदेश को प्रभावी ढंग से पूरा करने में भारतीय खाद्य निगम की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पूंजी की आवश्यकता के अंतर को पूरा करने के लिए FCI नकद ऋण, अल्पावधि ऋण, अन्य तरीको और साधन आदि का माध्यम अपनाता है। अधिकृत पूंजी में वृद्धि और आगे निवेश से ब्याज का बोझ कम होगा, आर्थिक लागत कम होगी और अंततः भारत सरकार की सब्सिडी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। पूंजी के इस प्रवाह के साथ भारतीय खाद्य निगम अपनी भंडारण सुविधाओं का आधुनिकीकरण, परिवहन नेटवर्क में सुधार और उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर भी काम करेगा। ये उपाय न केवल फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करेंगे, बल्कि उपभोक्ताओं को खाद्यान्न का कुशल वितरण भी सुनिश्चित करेंगे।
- सरकार, कार्यशील पूंजी की आवश्यकता और पूंजीगत संपत्ति के लिए FCI को इक्विटी प्रदान करती है। FCI मौजूदा आंतरिक प्रणालियों (FAP, HRMS) और बाहरी प्रणालियों (राज्य खरीद पोर्टल, CWC/SWC) का लाभ उठाते हुए एक एकीकृत सूचना प्रौद्योगिकी (IT) प्रणाली बनाने के लिए पहल कर रहा है। ई-ऑफिस प्रणाली लागू करने से यह कागजों का कम प्रयोग करने वाला संगठन बन गया है। एकीकृत सूचना प्रौद्योगिकी समाधानों की ये पहल, सूचना का एकल स्रोत प्रदान करेगी और एक सामान्य डिजिटल कार्यों को सुव्यवस्थित करेगी।
- भारतीय खाद्य निगम अपनी दक्षता बढ़ाने के लिए सीमेंट सड़क, छत के रखरखाव, रोशनी और वेटब्रिज अपग्रेड, खाद्य सुरक्षा वृद्धि सुनिश्चित करने जैसे कार्यों को निष्पादित कर रहा है। प्रयोगशाला उपकरणों की खरीद और क्यूसी प्रयोगशालाओं के लिए एक सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म के विकास का उद्देश्य गुणवत्ता जांच में सुधार करना है। “आउट-टर्न रेशियो”, “शेल्फ-लाइफ”, और “फोर्टिफाइड चावल के लिए कीट प्रबंधन” पर अध्ययन एक कुशल और खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली के निर्माण के लिए भारतीय खाद्य निगम की प्रतिबद्धता दर्शाता है। स्वचालित डिजिटल उपकरणों के एकीकरण का लक्ष्य पारदर्शी खरीद तंत्र के लिए मानवीय हस्तक्षेप को दूर करना और कर्मचारियों के लिए आधारभूत संरचना ढांचे का विस्तार करना, किराए पर बचत करना और FCI के लिए संपत्ति अर्जित करना है।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) आधारित खरीद और भारतीय खाद्य निगम की परिचालन क्षमताओं में निवेश के लिए सरकार की दोहरी प्रतिबद्धता किसानों को सशक्त बनाने, कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ करने और राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक सहयोगात्मक प्रयास का प्रतीक है। इन उपायों का मुख्य लक्ष्य किसान कल्याण है और कृषि क्षेत्र का समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करना है।
- सरकार, खाद्य सुरक्षा बनाए रखने में भारतीय खाद्य निगम की उल्लेखनीय भूमिका को देखते हुए, समय-समय पर FCI और नामित केंद्रीय पूल (DCP) राज्यों द्वारा बनाए जाने वाले खाद्यान्न भंडार के रणनीतिक स्तर को निर्दिष्ट करती है। यह भविष्य की किसी भी प्रतिकूल स्थिति से निपटने के लिए इन मानदंडों का पालन करता है, जिससे देश की खाद्य-संबंधी चुनौतियों के प्रति लचीला दृष्टिकोण सुनिश्चित होता है।
- भारतीय वायु सेना ने राजस्थान में ‘वायु शक्ति-24’ अभ्यास का आयोजन किया
- जैसलमेर के पास पोखरण रेंज, 17 फरवरी, 2024 को जोरदार विस्फोटों और तालियों से गूंज उठी, जब भारतीय वायु सेना ने अपनी मारक क्षमता के रोमांचक और दुर्जेय प्रदर्शन के माध्यम से अपनी आक्रामक क्षमताओं का प्रदर्शन किया।
- कार्यक्रम की शुरुआत तीन चेतक हेलीकॉप्टरों के साथ राष्ट्रीय ध्वज और वायु सेना के ध्वज के फहराने के साथ हुई, जो पृष्ठभूमि में राष्ट्रगान बजाते हुए भव्य स्टैंड से गुजरे। इसके बाद राफेल विमान द्वारा बिल्कुल सही समय पर ‘सोनिक बूम’ बनाया गया। निचले स्तर पर उड़ान भर रहे दो जगुआर विमानों ने राफेल का पीछा किया और क्षेत्र की उच्च निष्ठा वाली टोही तस्वीरें लीं।
- इस वर्ष के अभ्यास का विषय, ‘आकाश से बिजली का प्रहार’ को ध्यान में रखते हुए, 120 से अधिक विमानों ने दिन के साथ-साथ रात में भी भारतीय वायु सेना की आक्रामक क्षमताओं का प्रदर्शन किया।
- राफेल, Su-30 MKI, MiG-29, मिराज-2000, तेजस और हॉक सहित भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने सटीक आक्रामकता के साथ निशाना लगाकर जमीन और हवा में दुश्मन के नकली ठिकानों पर हमला किया और उन्हें नष्ट कर दिया।
- ये हमले कई तरीकों और दिशाओं में किए गए, जिसमें विभिन्न प्रकार के सटीक निर्देशित युद्ध सामग्री के साथ-साथ पारंपरिक बम और रॉकेट का उपयोग किया गया।
- ‘आत्मनिर्भर भारत’ के प्रति भारतीय वायु सेना की दृढ़ प्रतिबद्धता को बरकरार रखते हुए, स्वदेश निर्मित तेजस विमान ने अपनी स्विंग-रोल क्षमता का प्रदर्शन किया और एक मिसाइल के साथ एक हवाई लक्ष्य को नष्ट कर दिया, इसके बाद बमों के साथ एक जमीनी लक्ष्य पर हमला किया।
- लड़ाकू क्षेत्र में तकनीकी प्रगति और हाल के संघर्षों से सीखे गए सबक को ध्यान में रखते हुए, भारतीय वायु सेना ने एक लंबी दूरी के मानवरहित ड्रोन का भी प्रदर्शन किया, जिसने सटीक निशाना लगाने के साथ एक नकली दुश्मन रडार साइट को नष्ट कर दिया।
- भारतीय वायु सेना के राफेल लड़ाकू विमान ने दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल के साथ एक हवाई लक्ष्य को भी सफलतापूर्वक भेद दिया।
- परिवहन विमान द्वारा लड़ाकू सहायता अभियानों में C-17 हेवी-लिफ्ट विमान द्वारा कंटेनरीकृत डिलीवरी सिस्टम ड्रॉप और भारतीय वायु सेना के विशेष बल, गरुड़ ले जाने वाले C-130J द्वारा आक्रमण लैंडिंग शामिल थी।
- अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर ने पहली बार इस कार्यक्रम में हवा से जमीन पर निर्देशित मिसाइलों के साथ लक्ष्य पर हमला करके अपनी मारक क्षमता का प्रदर्शन किया, जबकि Mi -17 हेलीकॉप्टरों ने रॉकेट के साथ जमीनी लक्ष्यों पर हमला किया।
- संयुक्त अभियानों में भारतीय वायुसेना और भारतीय सेना के उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर Mk-IV के हथियारयुक्त संस्करण शामिल थे, जिन्होंने अपने रॉकेट और कुंडा बंदूकों का उपयोग करके नकली दुश्मन के लक्ष्यों को नष्ट कर दिया।
- पहली बार, भारतीय वायुसेना के एक और हेलीकॉप्टरों में शामिल चिनूक हेलीकॉप्टरों ने भारतीय सेना के M-777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर तोपों को अंडरस्लंग मोड में एयरलिफ्ट करके लड़ाकू संपत्तियों की तेजी से तैनाती का प्रदर्शन किया, जिससे जमीन पर नकली दुश्मन के लक्ष्यों को तुरंत नष्ट किया जा सके।
- जैसे ही सूरज क्षितिज पर डूबा, Mi-17 हेलीकॉप्टरों द्वारा शामिल गरुड़ ने आतंकवाद रोधी/उग्रवाद रोधी अभियानों में अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए एक ‘अर्बन इंटर्वेंशन’ चलाया, जिसका उद्देश्य शत्रु तत्वों के ठिकानों को साफ़ करना था। कई हवाई लक्ष्यों को नष्ट करने वाली स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली, आकाश और समर मिसाइल प्रणालियों का भी प्रदर्शन किया गया।
- रात के कार्यक्रमों में पहली बार स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ की क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया, जिसमें उसने निर्धारित लक्ष्य को रॉकेट से मार गिराया।
- इसके बाद जगुआर और Su-30 MKI ने रात में भारी क्षमता वाले और क्षेत्रीय हथियार गिराए, जिससे हल्के लड़ाकू विमान (LAF) की रणनीतिक बमबारी क्षमता का प्रदर्शन हुआ।
- दूर से संचालित विमान ने सभी लक्ष्यों पर बम क्षति का आकलन किया, जिसे संचालन केंद्र और दर्शकों के लिए सजीव प्रसारण किया गया।
- इस कार्यक्रम में आकाशगंगा टीम द्वारा फ्री फॉल ड्रॉप और रात में C-130J द्वारा फ्लेयर डिस्पेंसिंग भी शामिल थी। एकजुटता की भावना में, तीनों सेनाओं के बैंड ने अपनी धुनों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
- प्रदर्शन के दौरान दो घंटे की छोटी सी अवधि में दो वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में लगभग 50 टन आयुध गिराया गया। इस कार्यक्रम ने वास्तव में भारतीय वायुसेना की आक्रामक मारक क्षमता और सटीक लक्ष्यीकरण क्षमता का प्रदर्शन किया।
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित GSLV-F14/INSAT-3DS सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया : अब यह भारत की मौसम संबंधी टिप्पणियों एवं सेवाओं को बढ़ावा देने हेतु तैयार है
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित प्रक्षेपण यान GSLV-F14/INSAT-3DS को 17 फ़रवरी को 17:30 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा सफलतापूर्वक प्रक्षेपित (लॉन्च) किया गया।
- INSAT-3DS वर्तमान में संचालित INSAT-3D तथा INSAT-3DR इन-ऑर्बिट उपग्रहों के साथ देश की मौसम संबंधी (मौसम, जलवायु और महासागर संबंधी) सेवाओं को बढ़ाएगा।
- नए लॉन्च किए गए INSAT-3DS उपग्रह का उद्देश्य पृथ्वी की सतह, वायुमंडल, महासागरों और पर्यावरण की निगरानी को बढ़ाना, डेटा संग्रह और प्रसार और उपग्रह-सहायता प्राप्त खोज और बचाव सेवाओं में क्षमताओं को बढ़ाना है।
- यह पहल भारत के मौसम, जलवायु और महासागर से संबंधित टिप्पणियों और सेवाओं को बढ़ावा देगी, ज्ञान का विस्तार करेगी और भविष्य में बेहतर आपदा शमन और तैयारियों को और अधिक बढ़ावा देगी।
- 51.7-मीटर लम्बे और 4 मीटर चौडे भूसमकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल -GSLV)–F 14 ने INSAT-3DS उपग्रह को पहले भूसमकालिक स्थानांतरण कक्षा (जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट) में और फिर अंतरिक्ष में भूसमकालिक स्थिर कक्षा (जियोसिंक्रोनस स्टेशनरी ऑर्बिट) में स्थापित किया।
- INSAT-3DS को 2,275 किलोग्राम के उत्थापन द्रव्यमान (लिफ्ट ऑफ़) के साथ इसरो के सुप्रमाणित I- 2K बस प्लेटफॉर्म के आसपास व्यवस्थित (कॉन्फ़िगर) किया गया है। यह अत्याधुनिक: (i) पृथ्वी और उसके पर्यावरण की छवियां उत्पन्न करने के लिए छह-चैनल ऑप्टिकल रेडियोमीटर के साथ एक इमेजर पेलोड; (ii) वातावरण के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए एक 19-चैनल साउंडर पेलोड; संचार पेलोड, अर्थात् (iii) स्वचालित डेटा संग्रह प्लेटफार्मों से मौसम विज्ञान, जल विज्ञान और समुद्र विज्ञान डेटा प्राप्त करने के लिए एक डेटा रिले ट्रांसपोंडर, और (iv) एक उपग्रह सहायता प्राप्त खोज और बचाव ट्रांसपोंडर से सुसज्जित है, जो वैश्विक कवरेज के साथ बीकन ट्रांसमीटरों से एक संकट संकेत या चेतावनी रिले करता है।
- भारतीय उद्योगों ने INSAT-3DS के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- INSAT-3DS उपग्रह से मौसम संबंधी डेटा का उपयोग पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (DMoES) के संस्थानों, अर्थात् भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), राष्ट्रीय मध्यम-सीमा मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF), भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT), और भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) और विभिन्न भारतीय एजेंसियों द्वारा मौसम संबंधी अनुसंधान और सेवाओं को बढ़ाने के लिए किया जाएगा।
- इससे भारत के मौसम और जलवायु की भविष्यवाणी और पूर्वानुमान, समय पर अलर्ट और प्रारंभिक चेतावनियाँ, और मछुआरों और किसानों जैसे सार्वजनिक और अंतिम छोर के उपयोगकर्ताओं के लिए सलाह को बढ़ावा मिलेगा।
- इसरो ने युवा विज्ञानी कार्यक्रम 2024 (युविका) की घोषणा की
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) स्कूली बच्चों के लिए “यंग साइंटिस्ट प्रोग्राम” “युवा विज्ञानी कार्यक्रम” (युविका) नामक एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।
- इस पहल का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवीन रुझानों में युवा छात्रों के लिए अंतरिक्ष विज्ञान, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों पर बुनियादी ज्ञान प्रदान करना है।
- इसरो ने इस कार्यक्रम की रूपरेखा “युवाओं को जोड़ो” प्रतीक के साथ तैयार की गई है। यद्यपि हम सभी जानते हैं कि युवा अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़ सकते हैं और यदि उन्हें अवसर मिलें तो इस क्षेत्र में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त कर सकते हैं, क्योंकि वे हमारे राष्ट्र निर्माण में भविष्य का आधार हैं।
- युविका कार्यक्रम से और अधिक छात्रों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) आधारित अनुसंधान और संरेखित जीविकोपार्जन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने की भी आशा है।
- युवा विज्ञानी कार्यक्रम की परिकल्पना देश के ग्रामीण क्षेत्रों को प्राथमिकता देते हुए युवा छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञान, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों पर बुनियादी ज्ञान प्रदान करने के लिए की गई थी।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूल जाने वाले छात्रों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवीन रुझानों के प्रति जागरूकता का सृजन करना है।
- इस कार्यक्रम में दो सप्ताह के कक्षा प्रशिक्षण, प्रयोगों का व्यावहारिक प्रदर्शन, कैनसैट, रोबोटिक किट, इसरो वैज्ञानिकों के साथ मॉडल रॉकेटरी बातचीत और क्षेत्र के दौरे की परिकल्पना की गई है।
- इस कार्यक्रम का आयोजन भारत के प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए क्रमशः 111, 153 और 337 छात्रों की भागीदारी के साथ वर्ष 2019, वर्ष 2022 और वर्ष 2023 में सफलतापूर्वक किया गया था।
- छात्रों को भौगोलिक स्थानों के आधार पर पांच बैचों में विभाजित किया गया और इन्हें विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी), यूआर राव उपग्रह केंद्र (यूआरएससी), अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एसएसी), राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी), उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एनईएसएसी), सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार और भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस) में प्रशिक्षण दिया गया।
- इसरो को युविका – 2023 के आयोजन के लिए उत्साहपूर्ण सहयोग मिला, क्योंकि भारत के सभी क्षेत्रों से 1.25 लाख से अधिक छात्रों ने युविका – 2023 के लिए पंजीकरण कराया था।
- छात्रों का चयन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से उनकी पिछली परीक्षा में प्राप्त अंकों, सह-पाठ्यचर्या और पाठ्येतर गतिविधियों के आधार पर किया जाता है।
- पाठ्यक्रम में कक्षा गत व्याख्यान, रोबोटिक्स चुनौती, रॉकेट/सैटेलाइट की डीआईवाई असेंबली, आकाश को देखना आदि जैसी व्यावहारिक गतिविधियां, तकनीकी सुविधाओं का प्रयोग और अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के साथ बातचीत शामिल हैं।
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