विषयसूची:
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मिथक बनाम तथ्य
सामान्य अध्ययन: 2
स्वास्थ्य
विषय: स्वास्थ्य, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट।
प्रसंग:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ मीडिया रिपोर्टों में आरोप लगाया गया है कि भारत में अनुमानित 11 लाख बच्चे 2022 में खसरे के टीके की पहली खुराक लेने से चूक गए।
विवरण:
- ये रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और सही स्थिति नहीं दर्शाती हैं। ये रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन के यूनिसेफ एस्टिमेट्स नेशनल इम्यूनाइजेशन कवरेज (WUENIC) 2022 रिपोर्ट के तहत रिपोर्ट की गई अनुमानित संख्या पर आधारित हैं, जो 1 जनवरी 2022 से 31 दिसंबर 2022 तक की समयावधि को कवर करती है।
- हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (HMIS) के अनुसार, पात्र 2,63,84,580 बच्चों में से कुल 2,63,63,270 बच्चों को वित्त वर्ष 2022-23 में खसरे के टीके (MCV) की पहली खुराक मिली (अप्रैल 2022 से मार्च 2023) और 2022-23 में केवल 21,310 बच्चे खसरे के टीके (MCV) की पहली खुराक से वंचित हुए।
- इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा राज्यों के सहयोग से कई पहल की गई हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी बच्चों को, चाहे टीका न लगा हो या आंशिक रूप से टीका लगाया गया हो, खसरे के टीके (MCV) की सभी छूटी हुई/बकाया खुराकें मिलें:
- आवधिक टीकाकरण गहनता गतिविधियों में खसरा के टीके (MCV) लगाए जाने के लिए कैच-अप टीकाकरण की उम्र 2 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष कर दी गई है।
- सघन मिशन इन्द्रधनुष (IMI) 3.0 और 4.0 को 2021 और 2022 में सभी टीके से वंचित/आंशिक टीकाकरण वाले बच्चों को टीकों की छूटी/बकाया खुराक के साथ टीकाकरण करने के लिए चलाया गया था। इसके अलावा, 5 वर्ष की आयु तक के बच्चों में MR वैक्सीन के कवरेज को बढ़ाने के लिए विशेष ध्यान देते हुए 2023 में IMI 5.0 संचालित किया गया था।
- MR अभियान दिल्ली और पश्चिम बंगाल में चलाया गया, जिसमें 9 महीने से 15 वर्ष (दिल्ली में 9 महीने से 5 वर्ष) के आयु वर्ग के सभी बच्चों को MR टीकाकरण अभियान के माध्यम से टीके की खुराक दी गई। दोनों राज्यों का कवरेज 95 प्रतिशत से अधिक हो गया।
- कई राज्यों ने पूरक टीकाकरण गतिविधियां और प्रकोप प्रत्युत्तर टीकाकरण चलाया है, जिसमें कुल 30 मिलियन बच्चों को MR वैक्सीन की अतिरिक्त खुराक का टीका लगाया गया है।
- नवंबर 2022 में प्रकोप प्रत्युत्तर टीकाकरण पर एक विशेष सलाह साझा की गई थी जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि MRCV की एक खुराक 6 महीने से 9 महीने से कम उम्र के सभी बच्चों को दी जानी चाहिए, जहां 9 महीने से कम उम्र में खसरे के कुल मामले 10 प्रतिशत से अधिक हैं, ताकि कोई भी बच्चा टीके से वंचित न रहे।
- गैर-खसरा गैर-रूबेला (NMNR) के मामले में पृथक्करण दर 5.8 प्रतिशत से अधिक है, जो चालू वित्तीय वर्ष के लिए देश में अब तक हासिल की गई उच्चतम दर है, जो एक मजबूत निगरानी तंत्र का संकेत देती है।
- व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत देश के हर एक बच्चे को टीका लगाया जाना सुनिश्चित करने की भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को विश्व स्तर पर मान्यता मिली है।
- क्षेत्रीय खसरा और रूबेला कार्यक्रम में भारत के अनुकरणीय नेतृत्व और प्रेरणा को अमेरिकी रेड क्रॉस, BMGF, GAVI, US CDC, यूनिसेफ और WHO सहित बहु-एजेंसी योजना समिति के खसरा और रूबेला पार्टनरशिप द्वारा अत्यधिक सराहना और मान्यता दी गई है।
- खसरा और रूबेला पार्टनरशिप चैंपियन अवार्ड भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा मार्च 2024 में वाशिंगटन डीसी में प्रदान किया जाएगा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन और आयुष मंत्रालय ने पारंपरिक तथा पूरक चिकित्सा ‘परियोजना सहयोगात्मक समझौता’ पर हस्ताक्षर किए:
- आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 18 नवंबर को जिनेवा में पारंपरिक और पूरक चिकित्सा ‘परियोजना सहयोग समझौता’ पर हस्ताक्षर किए हैं।
- इस समझौते का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक और पूरक चिकित्सा प्रणालियों का मानकीकरण करना, उनकी गुणवत्ता और सुरक्षा पहलुओं को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली से जोड़ना तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें प्रसारित करना है।
- इस सहयोग समझौते के माध्यम से पारंपरिक और पूरक चिकित्सा प्रणालियों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।
- इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, WHO, आयुष मंत्रालय के सहयोग से पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक रणनीति 2025-34 तैयार करेगा।
- समझौते के अन्य प्रमुख उद्देश्यों में पूरक चिकित्सा प्रणाली ‘सिद्ध’ के क्षेत्र में प्रशिक्षण और अभ्यास की प्रणाली को मजबूत करने के प्रयास, पारंपरिक और पूरक दवाओं की सूची के लिए दिशानिर्देश तैयार करना, सुरक्षा तथा इससे संबंधित प्रयास आदि शामिल हैं।
- आयुष मंत्रालय द्वारा WHO के सहयोग से दक्षिण-पूर्व एशिया में पाई जाने वाली जड़ी-बूटियों का एक अंतरराष्ट्रीय हर्बल औषधकोश विकसित किया जाएगा। इस समझौते के तहत साक्ष्य-आधारित पारंपरिक और पूरक दवाओं को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली से जोड़ने, जैव विविधता और औषधीय पौधों के संरक्षण और प्रबंधन आदि के प्रयास किए जाएंगे।
- केंद्रीय आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोनवाल ने इस अवसर पर मौजूद सभी लोगों को बधाई देते हुए कहा कि भारत प्राचीन काल से ही कई पारंपरिक और वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों की संस्कृति का केंद्र रहा है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए मंत्रालय के ऐसे वैश्विक प्रयास निश्चित रूप से भारत को स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाएंगे और भारत में चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देंगे। आयुष मंत्रालय का यह प्रयास भारत की वैश्विक सफलता की दिशा में उठाया गया एक और कदम है।
- आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने हस्ताक्षर कार्यक्रम के दौरान अपने वर्चुअल संदेश में कहा कि इस समझौते का पहला चरण 2023-28 पारंपरिक और पूरक चिकित्सा प्रणाली के वैश्विक विकास में महत्वपूर्ण साबित होगा।
- WHO के यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज एंड लाइफ कोर्स डिवीजन के सहायक महानिदेशक ब्रूस आयलवर्ड के अनुसार, यह सहयोग समझौता पारंपरिक और पूरक चिकित्सा प्रणालियों को भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली की मुख्यधारा में लाएगा और वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल और तंदुरुस्ती के उद्देश्य को पूरा करेगा।
- WHO के साथ आयुष मंत्रालय ने कुल दो ‘प्रोजेक्ट सहयोग समझौते’ पर पहले ही हस्ताक्षर किए हैं। पहला अनुबंध 2016 में किया गया जिसका उद्देश्य योग, आयुर्वेद, यूनानी और पंचकर्म जैसी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को वैश्विक स्तर पर ले जाना और दूसरा अनुबंध 2017 में किया गया जिसका उद्देश्य आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा प्रणालियों को मजबूत करना था।
- इस समझौते पर स्विट्जरलैंड के जिनेवा शहर में आयोजित एक कार्यक्रम में हस्ताक्षर किये गये। इस समझौते पर आयुष मंत्रालय की ओर से संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि श्री इंद्र मणि पांडे और WHO की ओर से यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज और लाइफ कोर्स डिवीजन में सहायक महानिदेशक डॉ. ब्रूस आयलवर्ड ने हस्ताक्षर किए।
- भारतीय नौसेना महासागर नौकायन दौड़ 2023:
- भारतीय नौसेना भारत में महासागर नौकायन में अग्रणी रही है। समुद्र में साहसिक कार्यों से परिपूर्ण रोमांच को प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय नौसेना द्वारा दिल्ली के नौसेना मुख्यालय (एनएचक्यू) में स्थित भारतीय नौसेना सेलिंग एसोसिएशन (आईएनएसए) के अंतर्गत कोच्चि से गोवा तक एक अंतर-कमांड महासागर नौकायन दौड़ का आयोजन 22 से 26 नवंबर, 2023 तक निर्धारित किया गया है।
- इस दौड़ का आयोजन दक्षिणी नौसेना कमान (एचक्यूएसएनसी) के मुख्यालय द्वारा किया जा रहा है और इसे कोच्चि स्थित एएसडब्ल्यू स्कूल, भारतीय नौसेना के ऑफशोर सेलिंग क्लब और गोवा स्थित आईएनएस मंडोवी के महासागर सेलिंग नोड द्वारा समन्वित किया जा रहा है।
- इस आयोजित कार्यक्रम में 40 फुट लंबे चार भारतीय नौसेना नौकायन जहाजों (आईएनएसवी) में बुलबुल, नीलकंठ, कदलपुरा और हरियाल भाग लेंगे।
- यह दौड़ नौसेना बेस, कोच्चि से शुरू होकर गोवा तक लगभग पांच दिन में 360 एनएम की अनुमानित दूरी तय करेगी।
- इन नौकायन अभियानों के लिए चालक दल का चयन पर्याप्त अनुभवी समुद्री नौकायन स्वयंसेवकों में से किया जाता है। महासागर नौकायन एक अत्यंत कठिन और साहसिक खेल है। भारतीय नौसेना अपने आवश्यक समुद्री कौशल और मशीनरी प्रबंधन कौशल का संचालन करते हुए चालक दल में साहस की भावना पैदा करने और जोखिम-प्रबंधन क्षमताओं में प्रगति लाने के लिए समुद्री नौकायन नौकाओं का उपयोग करती है।
- इस दौड़ में चार भारतीय नौसेना नौकायन जहाजों (आईएनएसवी) पर आठ महिला अधिकारियों/अग्निवीरों सहित 32 कर्मी भाग लेंगे। प्रत्येक आईएनएसवी में नौसेना की तीन कमानों के आठ कर्मी और अंडमान एवं निकोबार कमान और नौसेना मुख्यालय (एनएचक्यू) की एक संयुक्त टीम शामिल होगी। इनमें सबसे वरिष्ठ प्रतिभागी कोमोडोर रैंक का होता है और सबसे कनिष्ठ प्रतिभागी अग्निवीर रैंक का होता है।
- भारतीय नौसेना का मानना है कि इन छोटे जहाजों पर नौकायन अपने कर्मियों के बीच “आवश्यक समुद्री-बोध” और प्रकृति के तत्वों के प्रति सम्मान पैदा करने का सर्वोत्तम पथ है, जो सुरक्षित और सफल समुद्री यात्रा से अभिन्न है। वे नए नौसेना कर्मियों के बीच साहस, सौहार्द, सहनशक्ति और मनोबल बढ़ाने का भी कार्य करते हैं।
- सरकार ने आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई योजना-2.0 के तहत 27 विनिर्माताओं को मंजूरी दी:
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मोबाइल फोन के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (पीएलआई) की सफलता के आधार पर, 17 मई, 2023 को आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई योजना – 2.0 को मंजूरी दे दी थी। इस योजना में लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पीसी, सर्वर और अल्ट्रा स्मॉल फॉर्म फैक्टर डिवाइस शामिल हैं।
- 27 आईटी हार्डवेयर विनिर्माताओं के आवेदनों को मंजूरी दे दी गई है। एसर, आसुस, डेल, एचपी, लेनोवो आदि जैसे प्रसिद्ध ब्रांडों के आईटी हार्डवेयर का निर्माण भारत में किया जाएगा। योजना की अवधि के दौरान इस अनुमोदन के अपेक्षित परिणाम इस प्रकार हैं:
- रोजगार: कुल लगभग 02 लाख
- लगभग 50,000 (प्रत्यक्ष) और लगभग 1.5 लाख (अप्रत्यक्ष)
- आईटी हार्डवेयर उत्पादन का मूल्य: 3 लाख 50 हजार करोड़ रुपये (42 बिलियन अमेरिकी डॉलर)
- कंपनियों द्वारा निवेश: 3,000 करोड़ रुपये (360 मिलियन अमेरिकी डॉलर)
- उद्योग जगत के दिग्गजों और मीडिया को संबोधित करते हुए, रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स तथा आईटी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि 27 अनुमोदित आवेदकों में से 23 आज से ही विनिर्माण शुरू करने के लिए तैयार हैं।
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