विषयसूची:
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20 March 2024 Hindi PIB
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1. मुख्य युद्धक टैंकों के लिये भारत के पहले स्वदेश निर्मित 1500 हार्सपावर इंजन का पहला परीक्षण किया गया:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां;देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: 1500 हार्सपावर (एचपी) इंजन से सम्बन्धित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: भारत के पहले स्वदेश- निर्मित 1500 हार्सपावर (एचपी) इंजन का महत्व एवं विशेषताएँ बताइये।
प्रसंग:
- मुख्य युद्धक टैंकों के लिये भारत के पहले स्वदेश- निर्मित 1500 हार्सपावर (एचपी) इंजन की बीईएमएल के मैसुरू परिसर स्थित इंजन विभाग में 20 मार्च 2024 को प्रथम टेस्ट फायरिंग की गई।
उद्देश्य:
- यह सफलता देश की रक्षा क्षमताओं में एक नये युग की शुरूआत है जो कि तकनीकी कौशल के साथ ही रक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
- 1500 एचपी का यह इंजन सेना की प्रोपल्शन सिस्टम में एक नये बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें उच्च शक्ति-के समक्ष-भार का अनुपात, उंचाई वाले स्थानों, शून्य से नीचे तापमान और रेगिस्तानों सहित कठिन परिस्थितियों में संचालन क्षमता जैसी कई अत्याधुनिक विशेषतायें शामिल हैं।
- आधुनिक तकनीक से सुसज्जित यह इंजन पूरी दुनिया में उपलब्ध सबसे आधुनिक इंजनों की बराबरी वाला है।
विवरण:
- यह सफलता देश में रक्षा उत्पादन में एक प्रमुख योगदानकर्ता के तौर पर बीईएमएल की स्थिति को और मजबूत बनाती है और इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में राष्ट्र की आवश्यकताओं को पूरा करने की उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
- 1500 एचपी इंजन का यह पहला परीक्षण प्रौद्योगिकी स्थिरीकरण पर ध्यान केन्द्रित करते हुये पहले उत्पादन के पूरा होने का प्रतीक है।
- दूसरे चरण के उत्पादन में बीईएमएल डीआरडीओ की प्रयोगशाला युद्धक वाहन अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान में विभिन्न परीक्षणों के लिये इंजन का उत्पादन करेगी और फिर उनके उपयोगकर्ता परीक्षण के लिये वास्तविक वाहनों में उन्हें लगायेगी। परियोजना 2025 के मध्य तक पूरी होनी है।
- अगस्त 2020 में शुरू इस परियोजना को पांच पड़ावों के साथ पूरी सावधानी से तैयार किया गया है जिसमें सभी गुणवत्ता मानकों का पालन करते हुये इसे तय समय पर पूरा करना सुनिश्चित किया गया है।
- इस अवसर पर बीईएमएल टीम द्वारा किये गये असाधारण प्रयासों को मान्यता देने के लिये ‘वॉल ऑफ फेम’ का भी उद्घाटन किया गया।
- यह देश की रक्षा क्षमताओं के आधुनिकीकरण और स्वदेशी प्रौद्योगिकीय नवाचार में नये कीर्तिमान हासिल करने में उनके योगदान का प्रतीक है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया और इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भाषानेट पोर्टल लॉन्च करेंगे:
- नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनआईएक्सआई) द्वारा 21 मार्च, 2024 को राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में इंटरनेशनल सेंटर में आगामी यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस (यूए) दिवस के लिए भाषानेट पोर्टल के लॉन्च की घोषणा की जाएगी।
- यह एनआईएक्सआई एवं इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बीच आयोजित दूसरा कार्यक्रम होगा, जो यूए को बढ़ावा देने और पूरे देश में डिजिटल समावेशन को आगे बढ़ाने के लिए उनकी संयुक्त प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
- इसके अलावा, यह उल्लेखनीय है कि इंटरनेट कॉर्पोरेशन फॉर असाइन्ड नेम्स एंड नंबर्स (आईसीएएनएन) और इंटरनेट गवर्नेंस डिवीजन, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार सक्रिय रूप से यूए दिवस का समर्थन कर रहे हैं।
- इस कार्यक्रम का विषय, “भाषानेट: यूनिवर्सल स्वीकृति पर जोर”,यह सुनिश्चित करने के लिए एनआईएक्सआई के समर्पण पर प्रकाश डालता है कि व्यक्ति, भाषा या लिपि की परवाह किए बिना, डिजिटल दुनिया में पूरी तरह से भाग ले सकते हैं।
- यूए दिवस के माध्यम से, एनआईएक्सआई और इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का लक्ष्य हितधारकों को एकजुट करना और आज के डिजिटल परिदृश्य में यूए तत्परता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
- कार्यक्रम में विभिन्न चर्चाएं यूए के महत्व और व्यापक स्वीकृति प्राप्त करने के लिए आवश्यक कदमों पर केंद्रित होंगी।
एनआईएक्सआई के बारे में:
- 19 जून, 2003 को स्थापित, नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन एक नॉट-फॉर-प्रॉफिट (धारा 8) कंपनी है।
- इसे जनता के इस्तेमाल के लिए इंटरनेट की पहुंच को और गहराई तक पहुंचाने और ज्यादा से ज्यादा लोगों द्वारा इसे अपनाने में सक्षम करने के लिए विभिन्न बुनियादी ढांचे के पहलुओं को सुविधाजनक बनाने का काम सौंपा गया है।
- एनआईएक्सआई के अंतर्गत आने वाली चार सेवाएँ हैं- आईएसपी को सेट करना, इंटरनेट एक्सचेंज पॉइंट्स के निर्माण के लिए, .in डोमेन डिजिटल आइडेंटिटी निर्माण के लिए .IN रजिस्ट्री, IPv4 और IPv6 अड्रेस को अपनाने के लिए आईआरआईएनएन और डेटा स्टोरेज सर्विसेज के लिए एनआईएक्सआई-सीएससी के तहत डेटा सेंटर सर्विसेज।
2. ग्रिड-इंडिया ने मिनीरत्न कंपनी का दर्जा प्राप्त किया:
- ग्रिड कंट्रोलर ऑफ इंडिया लिमिटेड (ग्रिड-इंडिया) ने मिनीरत्न श्रेणी-I केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई) का दर्जा प्राप्त करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
- भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा प्रदत्त यह मान्यता देश के विद्युत परिदृश्य में ग्रिड-इंडिया की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है।
- 2009 में स्थापित, ग्रिड-इंडिया के पास भारतीय विद्युत प्रणाली के त्रुटिहीन और निर्बाध संचालन की देखरेख करने, क्षेत्रों के भीतर और उनके पार विद्युत शक्ति का कुशल हस्तांतरण सुनिश्चित करने, विश्वसनीयता, मितव्ययिता और स्थिरता पर ध्यान देने के साथ ही साथ पारदेशीय विद्युत विनिमय सुगम बनाने का महत्वपूर्ण दायित्व है।
- यह किफायती और कुशल थोक विद्युत बाजारों को सुगम बनाता है और निपटान प्रणालियों का प्रबंधन करता है।
- पांच क्षेत्रीय लोड डिस्पैच केंद्रों (आरएलडीसी) और राष्ट्रीय लोड डिस्पैच सेंटर (एनएलडीसी) के समावेशन युक्त ग्रिड-इंडिया दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे जटिल विद्युत प्रणालियों में से एक, ऑल इंडिया सिंक्रोनस ग्रिड के प्रबंधन की बड़ी जिम्मेदारी निभाती है।
- बीते वर्षों में, ग्रिड-इंडिया ने विद्युत प्रणालियों के सम्मिलन, बढ़ती ऊर्जा मांगों, नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) स्रोतों के प्रसार, आर्थिक विकास एवं तकनीकी प्रगति के साथ-साथ विकसित होते नियमों और बाजार की जरूरतों के अनुरूप तेजी से कार्य किए हैं।
- ज्ञान-संचालित संगठन के रूप में ग्रिड-इंडिया विद्युत क्षेत्र की बदलती जरूरतों के अनुरूप भारत सरकार द्वारा सौंपे गए विविध कार्यों को पूरा करने के लिए समर्पित है।
- इसकी अटूट प्रतिबद्धता क्षेत्रीय और राष्ट्रीय विद्युत प्रणालियों का एकीकृत संचालन सुनिश्चित करने, अत्यधिक विश्वसनीयता, सुरक्षा और आर्थिक दक्षता के साथ विद्युत ऊर्जा हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करने में निहित है।
- इतना ही नहीं, ग्रिड-इंडिया सभी सम्मिलित हितधारकों के लिए समान अवसर प्रदान करने को बढ़ावा देते हुए स्वतंत्र प्रणाली के संचालन के सिद्धांतों को कायम रखती है।
3. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और धानुका एग्रीटेक लिमिटेड के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये:
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और धानुका एग्रीटेक लिमिटेड ने एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
- इस समझौते का उद्देश्य दोनों संस्थानों की दक्षता का उपयोग कर किसानों तक नई तकनीक पहुंचाना है।
- देशभर में 14.5 करोड़ से ज्यादा किसान हैं, जिनमें से अधिकतर किसानों के पास छोटी भूमि जोत है।
- धानुका एग्रीटेक केंद्रीय संस्थानों, अटारी और कृषि विज्ञान केन्द्र के साथ जुड़कर इन छोटे किसानों को कृषि उत्पादन से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
- आज पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर रही है और भारत भी इससे अछूता नहीं है।
- ऐसे समय में दोनों संस्थानों को मिलकर कृषि उत्पादन की एक नई पद्धति पर काम करने की आवश्यकता है और यह पद्धति है – जलवायु-मैत्री।
- इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य बदलते परिवेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना है।
- धानुका एग्रीटेक आईसीएआर-अटारी और कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से किसानों को सलाहकार सेवा प्रदान और प्रशिक्षित करेगा।
4. अर्थव्यवस्था में हाइड्रोजन और ईंधन सेल की अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी क्या है:
- अर्थव्यवस्था में हाइड्रोजन और ईंधन सेल के लिए अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी (आईपीएचई) की 41वीं संचालन समिति की बैठक की औपचारिक कार्यवाही 19 मार्च, 2024 को शुरू हुई।
- नई दिल्ली में 18 से 22 मार्च, 2024 के दौरान भारत की मेजबानी में इसका आयोजन किया गया।
- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने अर्थव्यवस्था को डीकार्बोनाइज करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग के महत्व और इस संबंध में सहयोगात्मक कार्यों की आवश्यकता पर जोर दिया।
- ऑस्ट्रिया, चिली, फ्रांस, यूरोपीय आयोग, जापान, जर्मनी, नीदरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, अमेरिका, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया के आईपीएचई प्रतिनिधियों के अलावा मेजबान देश भारत के प्रतिनिधियों ने संचालन समिति की बैठक में भाग लिया और ग्रीन हाइड्रोजन एवं इसके यौगिकों के उपयोग सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
- समिति ने ग्लासगो ब्रेकथ्रू एजेंडा, हाइड्रोजन एनर्जी मिनिस्ट्रियल, क्लीन एनर्जी मिनिस्ट्रियल, एच2 इनिशिएटिव, क्लीन हाइड्रोजन मिशन इनोवेशन, जी7 हाइड्रोजन एक्शन पैक्ट, जी20, सीओपी28, इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी आदि सहित अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ग्रीन हाइड्रोजन के लिए की जा रही पहलों और आईपीएचई लक्ष्यों व उद्देश्यों को पूरा करने के लिए इन अंतर्राष्ट्रीय पहलों के साथ सहयोग करने के अवसरों पर चर्चा की।
- आईपीएचई का मिशन विभिन्न एप्लिकेशनों और क्षेत्रों में हाइड्रोजन और ईंधन सेल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके स्वच्छ एवं कुशल ऊर्जा और आवागमन प्रणालियों में परिवर्तन को सुविधाजनक बनाना और उसमें तेजी लाना है।
- समिति ने विभिन्न कार्य समूहों (डब्ल्यूजी) और कार्य बल (टीएफ) द्वारा की गई प्रगति पर विचार-विमर्श किया और इन डब्ल्यूजी एवं टीएफ के काम को और मजबूत करने के लिए आईपीएचई प्रतिनिधियों द्वारा अगले कदमों सहित सुझाव प्रदान किए गए।
- आईपीएचई के पास “विनियम, संहिता, मानक और सुरक्षा (आरसीएसएस)” और “शिक्षा और आउटरीच” पर डब्ल्यूजी हैं।
- टीएफ “हाइड्रोजन कौशल”, “हाइड्रोजन उत्पादन विश्लेषण”, “हाइड्रोजन प्रमाणन तंत्र” और “हाइड्रोजन व्यापार नियम” पर हैं।
- समिति ने हाइड्रोजन में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने में डब्ल्यूटीओ ढांचे की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
- समिति की कार्यवाही में आईपीएचई कल्पना और लघु और मध्यम अवधि में कार्य के रोडमैप की समीक्षा भी शामिल थी।
- समिति की कार्यवाही 20 मार्च 2024 तक जारी रहेगी।
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