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20 सितंबर 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. पीएम विश्वकर्मा योजना की मुख्य विशेषताएं और दिशानिर्देश:
  2. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने दिल्ली मेट्रो रेल निगम के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:
  3. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को 10 वर्षों के लिए प्रतिष्ठित डब्लूएफएमई मान्यता प्राप्त हुई:
  4. चौथी अवसंरचना कार्य समूह की बैठक खजुराहो में होगी:
  5. सी-डॉट और सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला ने दूरसंचार क्षेत्र के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए:
  6. सिम्बेक्स 23 अभ्यास:
  7. सबस्ट्रोम अंतरालों के दौरान ऊर्जावान आयन की विविधताओं के अध्ययन से अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान की सटीकता को बेहतर करने में मदद मिल सकती है:

1. पीएम विश्वकर्मा योजना की मुख्य विशेषताएं और दिशानिर्देश:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन ,इन अति संवेदन शील वर्गों की रक्षा एवं बहतरी के लिए गठित तंत्र,विधि,संस्थान एवं निकाय।

प्रारंभिक परीक्षा: ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना।

मुख्य परीक्षा: ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना से न केवल कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से सहायता प्रदान करने बल्कि स्थानीय उत्पादों, कला और शिल्प के माध्यम से सदियों पुरानी परंपरा, संस्कृति और विविध विरासत को जीवित और समृद्ध बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। टिप्पणी कीजिए।

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री ने 17 सितंबर, 2023 को केंद्रीय पीएम विश्वकर्मा योजना शुरू की थी जिसका उद्देश्य अपने हाथों और औजारों की मदद से काम करने वाले कारीगरों और शिल्पकारों को शुरू से अंत तक सहायता प्रदान करना है।

विवरण:

  • इस योजना में 18 व्यवसायों जैसे (i) बढ़ई; (ii) नाव निर्माता; (iii) हथियार निर्माता; (iv) लोहार; (v) हथौड़ा और टूल किट निर्माता; (vi) ताला बनाने वाला; (vii) सोनार; (viii) कुम्हार; (ix) मूर्तिकार (मूर्तिकार, पत्थर तराशने वाला), पत्थर तोड़ने वाला; (x) मोची/जूता कारीगर; (xi) राजमिस्त्री; (xii) टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/कॉयर बुनकर; (xiii) गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक); (xiv) नाई; (xv) माला बनाने वाला; (xvi) धोबी; (xvii) दर्जी; और (xviii) मछली पकड़ने का जाल निर्माण में लगे कारीगरों और शिल्पकारों को शामिल किया गया है।

इस योजना के तहत कारीगरों और शिल्पकारों को निम्नलिखित लाभ प्रदान करने की व्यवस्था की गई है:

(i) पहचान: पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड के माध्यम से कारीगरों और शिल्पकारों की पहचान।

(ii) कौशल उन्नयन: 500 रुपये प्रति दिन के वजीफे के साथ 5-7 दिनों का बुनियादी प्रशिक्षण और 15 दिनों या उससे अधिक का उन्नत प्रशिक्षण।

(iii) टूलकिट प्रोत्साहन: बुनियादी कौशल प्रशिक्षण की शुरुआत में ई-वाउचर के रूप में 15,000 रु. रुपये तक का टूलकिट प्रोत्साहन।

  • (iv) कर्ज सहायता: बिना कुछ गिरवी रखे ‘उद्यम विकास ऋण’ के रूप में तीन लाख रुपए तक का ऋण एक लाख और दो लाख रुपए के दो किश्तों में क्रमशः 18 महीने और 30 महीने की अवधि के लिए 5 प्रतिशत निर्धारित रियायती ब्याज दर पर भारत सरकार द्वारा 8 प्रतिशत की सीमा तक छूट के साथ प्रदान किया जाएगा।
    • जिन लाभार्थियों ने बुनियादी प्रशिक्षण पूरा कर लिया है, वे एक लाख रुपये तक की ऋण सहायता की पहली किश्त का लाभ उठाने के पात्र होंगे।
    • दूसरी ऋण किश्त उन लाभार्थियों के लिए उपलब्ध होगी जिन्होंने पहली किश्त का लाभ उठाया है और एक मानक ऋण खाता बनाए रखा है और अपने व्यवसाय में डिजिटल लेनदेन को अपनाया है या उन्नत प्रशिक्षण प्राप्त किया है।

(v) डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन: प्रत्येक डिजिटल भुगतान या रसीद के लिए प्रति डिजिटल लेनदेन एक रुपये की राशि के हिसाब से अधिकतम 100 लेनदेन मासिक तक लाभार्थी के खाते में जमा किया जाएगा।

(vi) विपणन सहायता: मूल्य श्रृंखला से जुड़ाव में सुधार के लिए कारीगरों और शिल्पकारों को गुणवत्ता प्रमाणन, ब्रांडिंग, जीईएम जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर मौजूदगी, विज्ञापन, प्रचार और अन्य विपणन गतिविधियों के रूप में विपणन सहायता प्रदान की जाएगी।

  • उपर्युक्त लाभों के अलावा, यह योजना लाभार्थियों को औपचारिक एमएसएमई परितंत्र में ‘उद्यमियों’ के रूप में उदयम असिस्ट प्लेटफॉर्म पर शामिल करेगी।
  • लाभार्थियों का नामांकन पीएम विश्वकर्मा पोर्टल पर आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के साथ सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से किया जाएगा।
    • लाभार्थियों के नामांकन के बाद तीन-चरणों में सत्यापन किया जाएगा जिसमें (i) ग्राम पंचायत/यूएलबी स्तर पर सत्यापन, (ii) जिला कार्यान्वयन समिति द्वारा जांच और सिफारिश (iii) स्क्रीनिंग समिति द्वारा अनुमोदन शामिल होगा।

2. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने दिल्ली मेट्रो रेल निगम के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:

सामान्य अध्ययन: 3

बुनियादि ढांचा:

विषय: बुनियादी ढांचा: बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI)।

मुख्य परीक्षा: भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) एवं दिल्ली मेट्रो रेल निगम (DMRC) के बीच हुआ समझौता भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के ‘डिज़ाइन डिवीजन’ को मजबूत करेगी। टिप्पणी कीजिए।

प्रसंग:

  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने विश्व स्तरीय राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क प्रदान करने के अपने प्रयास के अंतर्गत विभिन्न पुलों/संरचनाओं के डिजाइन, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की परियोजनाओं के सुरक्षा पहलुओं और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों की क्षमता निर्माण की समीक्षा के लिए दिल्ली मेट्रो रेल निगम (DMRC) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

उद्देश्य:

  • यह पहल भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के ‘डिज़ाइन डिवीजन’ को मजबूत करेगी।
  • यह डिवीज़न देश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों पर पुलों, संरचनाओं, सुरंगों और रिइन्फोर्स्ड़ अर्थ (RE) दीवारों की योजना, डिजाइन, निर्माण और रखरखाव की समीक्षा का कार्य करती है।

विवरण:

  • इस समझौते के अंतर्गत, दिल्ली मेट्रो रेल निगम चल रही परियोजनाओं में सभी पुलों/संरचनाओं के डिजाइन की समीक्षा के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को सेवाएं प्रदान करेगा।
  • समझौते के अंतर्गत बिना किसी नियम से चयनित पुलों, संरचनाओं, सुरंगों, आरई दीवारों और अन्य विशेष संरचनाओं के डिजाइन की समीक्षा भी शामिल है।
  • दिल्ली मेट्रो रेल निगम विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) चरण में स्टैंड-अलोन पुलों और विशेष संरचनाओं की समीक्षा करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का सहयोग भी करेगा।
  • दिल्ली मेट्रो रेल निगम (DMRC) निर्माण पद्धतियों, अस्थायी संरचनाओं, उठाने और लॉन्च करने के तरीकों, चयनित पुलों और संरचनाओं के प्रीस्ट्रेसिंग तरीकों और विशेष संरचनाओं की समीक्षा करने में भी एनएचएआई की सहायता करेगा।
  • दिल्ली मेट्रो रेल निगम (DMRC) इसके अलावा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों के क्षमता निर्माण के लिए अनुकूलित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगा।
  • इस कार्यक्रम में ऊंचे ढांचे और पुलों में डिजाइन, निर्माण, पर्यवेक्षण, रखरखाव और सुरक्षा पहलू शामिल होंगे।
  • यह समझौता ज्ञापन दो वर्ष की अवधि तक प्रभावी रहेगा।
    • यह पहल राष्ट्र निर्माण के लक्ष्य की दिशा में योगदान देने वाले परिवहन बुनियादी ढांचा नेटवर्क में वृद्धि करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और मिलकर काम करने के लिए दो सरकारी संगठनों के बीच सहयोग पर प्रकाश डालती है।

3. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को 10 वर्षों के लिए प्रतिष्ठित डब्लूएफएमई मान्यता प्राप्त हुई:

सामान्य अध्ययन: 2

स्‍वास्‍थ्‍य,अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

विषय: स्वास्थ्य से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्र/सवाओं के विकास और प्रबंधन से सम्बंधित विषय,महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएं और मंच- उनकी संरचना, और जनादेश।

प्रारंभिक परीक्षा: भारत के राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC),वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन (WFME)।

मुख्य परीक्षा: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को डब्लूएफएमई मान्यता प्राप्त होने के भारत में चिकित्सा सेवाओं पर प्रभाव एवं निहितार्थ।

प्रसंग:

  • भारत के राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने 10 वर्षों के उल्लेखनीय कार्यकाल के लिए प्रतिष्ठित वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन (WFME) मान्यता प्राप्त कर उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।

उद्देश्य:

  • यह मान्यता चिकित्सा शिक्षा और मान्यता के उच्चतम मानकों के प्रति NMC की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • इस मान्यता के भाग के रूप में, भारत में सभी 706 मौजूदा मेडिकल कॉलेजों को डब्ल्यूएफएमई से मान्यता प्राप्त हो जाएगी और आने वाले 10 वर्षों में स्थापित होने वाले नए मेडिकल कॉलेजों को स्वतः डब्ल्यूएफएमई से मान्यता प्राप्त हो जाएगी।
  • यह मान्यता भारत में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता और मानकों को विश्व की सर्वोत्तम प्रथाओं और बेंचमार्क के साथ संरेखित करके इसे और ज्यादा बढ़ावा देगी।

विवरण:

  • यह मान्यता भारतीय चिकित्सा स्नातकों को अन्य देशों में स्नातकोत्तर करने और अभ्यास करने में सक्षम बनाएगी, जहां पर डब्ल्यूएफएमई मान्यता की आवश्यकता होती है जैसे अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड आदि।
  • यह भारतीय मेडिकल कॉलेजों और पेशेवरों को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता देगा और उनकी प्रतिष्ठा को बढ़ाएगा, अकादमिक सहयोग और आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करेगा, चिकित्सा शिक्षा में निरंतर सुधार और नवाचार को बढ़ावा देगा, साथ ही चिकित्सा शिक्षकों और संस्थानों के बीच गुणवत्ता संस्कृति को बढ़ावा देगा।
  • डब्ल्यूएफएमई द्वारा एनएमसी को मान्यता प्रदान करने के साथ ही, सभी भारतीय छात्र विदेशी चिकित्सा शिक्षा और संयुक्त राज्य चिकित्सा लाइसेंस परीक्षा के लिए आवेदन करने के पात्र हो गए हैं।
  • डब्ल्यूएफएमई की मान्यता इस बात को रेखांकित करती है कि भारत में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता वैश्विक मानकों का पालन करती है।
  • यह सम्मान हमारे छात्रों को दुनिया में कहीं भी अपने करियर को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है, जबकि वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त मानक होने के कारण भारत को अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक आकर्षक गंतव्य भी बनाता है।

पृष्ठ्भूमि:

वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन (WFME) के संदर्भ में:

  • वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन (WFME) एक वैश्विक संगठन है जो पूरी दुनिया में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।
    • डब्ल्यूएफएमई द्वारा प्रदान की गई मान्यता यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि कोई भी चिकित्सा संस्थान शिक्षा और प्रशिक्षण के उच्चतम अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करते हैं और उसे बनाए रखते हैं।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के संदर्भ में:

  • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) भारत का प्रमुख नियामक निकाय है जो चिकित्सा शिक्षा और अभ्यास का निरीक्षण करता है।
    • स्वास्थ्य देखभाल शिक्षा में उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध, एनएमसी पूरे देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करना सुनिश्चित करता है।

4. चौथी अवसंरचना कार्य समूह की बैठक खजुराहो में होगी:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान,संस्थाएं और मंच,उनकी संरचना,अधिदेश।

प्रारंभिक परीक्षा: जी20,अवसंरचना कार्य समूह।

मुख्य परीक्षा: भारतीय जी20 अध्यक्षता के तहत अवसंरचना कार्य समूह के महत्व पर प्रकाश डालिये।

प्रसंग:

  • जी20 भारत की अध्यक्षता के तहत चौथी जी20 अवसंरचना कार्य समूह की बैठक 21-22 सितंबर, 2023 के दौरान मध्य प्रदेश के खजुराहो में होगी।

उद्देश्य:

  • यह भारतीय जी20 अध्यक्षता के तहत अवसंरचना कार्य समूह की आखिरी बैठक होगी और इसमें भारत द्वारा आमंत्रित जी20 सदस्य देशों, अतिथि देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 54 से अधिक प्रतिनिधि शामिल होंगे।
  • फोरम पिछली तीन आईडब्ल्यूजी बैठकों के दौरान हुई चर्चाओं को जारी रखते हुए प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श करेगा।
  • बैठक की मेजबानी भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा की जाएगी और इसकी अध्यक्षता भारत सरकार का वित्त मंत्रालय करेगा जिसमें ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील सह-अध्यक्ष के रूप में काम करेंगे।

विवरण:

  • जी20 अवसंरचना कार्य समूह बुनियादी ढांचे के निवेश के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करता है, जिसमें बुनियादी ढांचे को एक परिसंपत्ति वर्ग के रूप में विकसित करना, गुणवत्तापूर्ण शहरी बुनियादी ढांचे, इन्फ्राटेक को बढ़ावा देना और लचीले, टिकाऊ और समावेशी शहरी बुनियादी ढांचे की दिशा में निवेश के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए नवीन उपकरणों की पहचान करना शामिल है।
  • अवसंरचना कार्य समूह के नतीजे जी20 फाइनेंस ट्रैक प्राथमिकताओं में शामिल होते हैं और अवसंरचना विकास को बढ़ावा देते हैं।
  • चौथी आईडब्ल्यूजी बैठक 2023 अवसंरचना एजेंडा की प्राथमिकताओं को अंतिम रूप देगी जैसे कि समावेशी शहरों के समर्थकों पर विश्व बैंक की रिपोर्ट, इन्फ्रास्ट्रक्चर टैक्सोनॉमी का संकलन और अवसंरचना क्षेत्रों में विभिन्न देशों द्वारा किए गए निवेश को ट्रैक करने के लिए इन्फ्रा ट्रैकर टूल।
  • दो दिवसीय बैठकों के दौरान प्रतिनिधियों के लिए विभिन्न आधिकारिक बैठकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है।
  • आईडब्ल्यूजी बैठकों के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) के साथ साझेदारी में एक चर्चा भी आयोजित की जा रही है, जिसमें विश्व बैंक, ओईसीडी, ईबीआरडी और यूएलडीपी जैसे संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ जनता और निजी क्षेत्र, शहरी अवसंरचना में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ाने के तंत्र पर विचार-विमर्श करेगा।
  • चर्चा का उद्देश्य चुनौतियों का समाधान करने और शहरों को निजी और वाणिज्यिक वित्त जुटाने में सक्षम बनाने के लिए निजी क्षेत्र के परिप्रेक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना है।
  • औपचारिक चर्चाओं के अलावा, प्रेसीडेंसी ने खजुराहो की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिनिधियों के लिए भ्रमण की भी व्यवस्था की है।
  • खजुराहो में अपने प्रवास के दौरान, प्रतिनिधि प्रसिद्ध यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल पश्चिमी मंदिर समूह, आदिवर्त संग्रहालय और रनेह झरने का अवलोकन करेंगे।

5. सी-डॉट और सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला ने दूरसंचार क्षेत्र के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए:

सामान्य अध्ययन: 3

प्रौद्योगिकी:

विषय: संचार नेटवर्क।

प्रारंभिक परीक्षा: दूरसंचार विभाग (डीओटी),दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीटीडीएफ) योजना।

मुख्य परीक्षा: ‘एनएवीआईसी आधारित आईएसटी ट्रेसेबल प्राथमिक संदर्भ समय घड़ी (पीआरटीसी) के विकास के लिए किये गए समझौते पर हस्ताक्षर का महत्व बताइये।

प्रसंग:

  • दूरसंचार विभाग (डीओटी) के प्रमुख दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र टेलीमैटिक्स विकास केंद्र (सी-डीओटी) और सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (एनपीएल) ने दूर संचार क्षेत्र के लिए ‘एनएवीआईसी आधारित आईएसटी ट्रेसेबल प्राथमिक संदर्भ समय घड़ी (पीआरटीसी) के विकास के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

उद्देश्य:

  • इस समझौते पर हस्ताक्षर ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में किफायती ब्रॉडबैंड और मोबाइल सेवाओं को सक्षम करने के लिए प्रौद्योगिकी डिजाइन, विकास, दूरसंचार उत्पादों के व्यावसायीकरण और समाधान में शामिल घरेलू कंपनियों और संस्थानों को वित्त पोषण सहायता प्रदान करने के लिए दूरसंचार विभाग की दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (TTDF) योजना के तहत किए गए हैं।

विवरण:

  • यह परियोजना एक ऐसे उपकरण के विकास पर केंद्रित है जो ± 20 एनएस के भीतर सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आईएसपी) को सीधे भारतीय मानक समय (आईएसटी) ट्रेसबिलिटी प्रदान करेगा।
    • इससे भारत को जीपीएस पर निर्भरता कम करने, आईआरएनएसएस/एनएवीआईसी पर स्विच करने, लेनदेन के डिजिटल फोरेंसिक विश्लेषण, साइबर सुरक्षित नेटवर्क, कॉल ड्रॉप को कम करने और सभी दूरसंचार सेवाओं को सीएसआईआर-एनपीएल द्वारा विकसित एक संदर्भ समय स्रोत आईएसटी के साथ सिंक्रनाइज़ेशन से लेकर कई तरीकों से लाभ होगा।
  • दूरसंचार नेटवर्क का समय सिंक्रनाइज़ेशन एक मजबूत साइबर सुरक्षित राष्ट्र की नींव होगी, क्योंकि प्रत्येक बैंक लेनदेन, शेयर बाजार लेनदेन और सूचना का आदान-प्रदान टीएसपी और आईएसपी के माध्यम से होता है।
    • एनएवीआईसी आधारित आईएसटी ट्रेसेबल प्रारंभिक संदर्भ समय घड़ी (पीआरटीसी) का विकास एक ऐसी पहल है जिसका उद्देश्य “एक राष्ट्र एक समय” के लक्ष्य को हासिल करना है।
  • इस समझौते पर हस्ताक्षर समारोह में हमारे देश की समृद्धि और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए भविष्य के अभिनव समाधान विकसित करने में भारतीय अनुसंधान एवं विकास की जबरदस्त क्षमता को रेखांकित किया।
  • सी-डॉट और सीएसआईआर-एनपीएल दोनों ने अपना उत्साह व्यक्त किया और इस भागीदारी को शानदार सफलता के साथ आगे ले जाने के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. सिम्बेक्स 23अभ्यास:

  • भारतीय नौसेना के जहाज रणविजय और कवरत्ती और पनडुब्बी आईएनएस सिंधुकेसरी सिंगापुर भारत समुद्री द्विपक्षीय अभ्यास (सिमबेक्स) के 30वें संस्करण में भाग लेने के लिए सिंगापुर पहुंचे, जो भारतीय नौसेना और सिंगापुर गणराज्य की नौसेना (आरएसएन) के बीच 1994 से आयोजित किया जा रहा वार्षिक द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास है।
  • सिम्बेक्स को भारतीय नौसेना का किसी भी अन्य देश के साथ सबसे लंबा निरंतर नौसैनिक अभ्यास होने का गौरव प्राप्त है।
  • SIMBEX-2023 दो चरणों में आयोजित किया जा रहा है – 21 से 24 सितंबर 2023 तक सिंगापुर में हार्बर चरण, उसके बाद समुद्री चरण।
  • रणविजय, कावारत्ती और सिंधुकेसरी के अलावा, लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान P8I भी अभ्यास में भाग ले रहे हैं।
  • हार्बर चरण में पेशेवर बातचीत, क्रॉस-डेक विजिट, सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट एक्सचेंज (एस. एम. ई. ई.) और स्पोर्ट्स फिक्स्चर की एक विस्तृत श्रृंखला होगी, जिसका उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच अंतरसंचालनीयता और आपसी समझ को बढ़ाना है।
  • सिमबेक्स 23 के समुद्री चरण में जटिल और उन्नत वायु रक्षा अभ्यास, तोपखाने की गोलीबारी, सामरिक युद्धाभ्यास, पनडुब्बी रोधी अभ्यास और अन्य समुद्री संचालन शामिल होंगे।
  • दोनों नौसेनाओं की इकाइयां समुद्री क्षेत्र में संयुक्त रूप से बहु-अनुशासनात्मक संचालन करने की अपनी क्षमता को मजबूत करते हुए अपने युद्ध लड़ने के कौशल को निखारने का प्रयास करेंगी।

2. सबस्ट्रोम अंतरालों के दौरान ऊर्जावान आयन की विविधताओं के अध्ययन से अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान की सटीकता को बेहतर करने में मदद मिल सकती है:

  • पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर में सबस्ट्रोम या संक्षिप्त विक्षोम और परिणामी चुंबकीय क्षेत्र के द्विध्रुवीकरण (स्थानीय चुंबकीय क्षेत्र को विस्तारित पूंछ से अर्ध-द्विध्रुवीय की तरह पुन: कॉन्फ़िगर करना) आंतरिक मैग्नेटोस्फीयर में भारी आयन प्रवाह को बढ़ाता है, जिससे परिवर्तन को समझने और भविष्य में अंतरिक्ष मौसम के पूर्वानुमान की सटीकता को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
  • मैग्नेटोस्फेरिक सबस्ट्रोम एक कम समय वाली प्रक्रिया है जो इंटरप्लेनेटरी मैग्नेटिक फील्ड (आईएमएफ) के परिमाण और दिशा, सौर हवा की गति और सौर हवा के गतिशील दबाव पर निर्भर करती है।
  • आईएमएफ की दक्षिण दिशा भूमिगत सबस्ट्रोम आने की एक आवश्यक शर्त है क्योंकि यह दिन के मैग्नेटोस्फीयर में चुंबकीय पुन: संयोजन का कारण बनती है।
  • आमतौर पर, सबस्ट्रोम की औसत अवधि लगभग 2-4 घंटे होती है।
    • ऐसी प्रक्रिया के दौरान सौर हवा और मैग्नेटोस्फीयर के बीच संयोजन से एक महत्वपूर्ण मात्रा में ऊर्जा (लगभग 1015 जे) निकलती है।
    • समय के साथ-साथ यह ऊर्जा आखिर में आंतरिक मैग्नेटोस्फीयर में जमा हो जाती है।
  • रेडिएशन बेल्ट स्टॉर्म प्रोब्स (आरबीएसपी) स्पेस क्रॉफ्ट पर हीलियम, ऑक्सीजन, प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन (एचओपीई) मास स्पेक्ट्रोमीटर और इलेक्ट्रिक और मैग्नेटिक फील्ड इंस्ट्रूमेंट सूट और इंटीग्रेटेड साइंस (ईएमएफआईएसआईएस) उपकरण से प्राप्त डेटा का उपयोग करते हुए भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान) के वैज्ञानिकों ने 2018 की अवधि के लिए 22 सबस्ट्रोम घटनाओं का एक सांख्यिकीय अध्ययन किया।
  • उन्होंने चुंबकीय क्षेत्र द्विध्रुवीकरण की महत्वपूर्ण विशेषताओं जैसे समय पैमाना और ऊर्जावान O+ H+ आयन फ्लक्स से संबंधित वृद्धि की जांच की।
  • एडवांसेज इन स्पेस रिसर्च जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से वैज्ञानिकों को सबस्ट्रोम के दौरान आयनों के परिवहन और त्वरण में प्लाज्मा शीट की भूमिका को समझने में मदद मिली।
  • आयन फ्लक्स विविधताओं पर इस तरह के अध्ययन पृथ्वी के अपेक्षाकृत नजदीकी बाहरी अंतरिक्ष में प्लाज्मा को समझने में मदद करते हैं (जियोस्पेस, वह क्षेत्र जहां जीपीएस उपग्रह और भूस्थैतिक कक्षा उपग्रह उड़ रहे हैं) क्योंकि यह आमतौर पर H+ आयनों से बना होता है।
  • हालाँकि, कभी-कभी O+ आयनों का अनुपात अचानक बढ़ जाता है। इन O+ आयनों की उपस्थिति जियोस्पेस की प्लाज्मा गतिशीलता को बदल देती है।
  • इस तरह के अध्ययन घटना को सटीक रूप से समझने और भविष्य में अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान की सटीकता को बेहतर करने के लिए आयन संरचना परिवर्तन के कारण और क्षेत्र का पता लगाने में मदद कर सकते हैं।

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