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पीआईबी विश्लेषण और सारांश हिंदी में - 21 September 2022 PIB Analysis in Hindi

21 सितंबर 2022 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति को मंजूरी दी:
  2. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के राष्ट्रीय कार्यक्रम’ में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी:
  3. केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने पराली प्रबंधन के लिए राज्यों की तैयारियों की समीक्षा की:
  4. कृषि अवसंरचना कोष योजना व प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना एवं पीएम किसान संपदा योजना के बीच कन्वर्जेंस मॉड्यूल का शुभारंभ:
  5. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने “भारत में सेमीकंडक्टर के विकास और डिस्प्ले विनिर्माण इकोसिस्टम कार्यक्रम” के संशोधन को मंजूरी दी:
  6. प्रधानमंत्री ने पीएम केयर्स फंड के न्यासी बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता की:
  7. भारत ने उच्च रक्तचाप के खिलाफ बड़े पैमाने पर शुरू की गई पहल के लिए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) पुरस्कार जीता:
  8. रक्षा मंत्रालय ने स्पर्श पहल की पहुंच बढ़ाने के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा एवं एचडीएफसी बैंक के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:
  9. विशाखापत्तनम में दो डाइविंग सपोर्ट वेसल्स का शुभारंभ:

1.केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति को मंजूरी दी:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास हेतु सरकारी नीतियां और उनमे हस्तक्षेप एवं डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति

मुख्य परीक्षा: पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान तथा राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति एक दूसरे की पूरक हैं ? विश्लेषण कीजिए।

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति को मंजूरी दे दी है।

उद्देश्य:

  • इस नीति में लॉजिस्टिक्स सेक्टर के लिये व्यापक नीतिगत प्रारूप तैयार किया है।
  • यह नीति पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान की पूरक है।
  • पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का लक्ष्य समेकित अवसंरचना का विकास करना है, वहीं राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के तहत लॉजिस्टक्स सेवाओं में कुशलता लाना, कौशल विकास, उच्च शिक्षा में लॉजिस्टिक्स को दुरुस्त करना तथा प्रौद्योगिकियों को अपनाना शामिल है।
  • इसकी परिकल्पना में तेज और समावेशी वृद्धि के लिये प्रौद्योगिकी आधारित क्षमता एकीकृत, सस्ते, हर स्थिति में उपयोगी, सतत तथा विश्वसनीय लॉजिस्टिक्स इको-सिस्टम का विकास करना शामिल है।

विवरण:

  • इस नीति के तहत निम्न लक्ष्य निर्धारित किए गए है:

लक्ष्य इस प्रकार हैं:

(i) वर्ष 2030 तक विश्व मानकों की तुलना मे भारत में लॉजिस्टिक्स की लागत में कटौती करना,

(ii) वर्ष 2030 तक लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक रैंकिंग में शीर्ष 25 देशों में शामिल होना ,

(iii) प्रभावी लॉजिस्टिक्स इको-सिस्टम के लिये डाटा आधारित निर्णय की संरचना करना।

  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति को परामर्श प्रक्रिया के जरिये विकसित करना ।
  • यह नीति देश में लॉजिस्टिक्स की लागत को कम करने का मार्ग प्रशस्त करेगी ।
    • इसके तहत गोदामों के विकास का रास्ता खोलने पर ध्यान दिया जायेगा, जिसमें मानकों को प्रोत्साहन, लॉजिस्टिक्स मूल्य श्रृंखला का डिजिटलीकरण व स्वचालन तथा बेहतर ट्रैकिंग और ट्रेसिंग प्रणाली शामिल है।
  • विभिन्न हितधारकों और त्वरित समस्या निदान, एक्सिम प्रक्रियाओं को दुरुस्त करना, रोजगार देने योग्य कुशल श्रमशक्ति तैयार करने सहित निर्बाध सहयोग का नीति में प्रावधान किया गया है।
  • इस नीति में विभिन्न पहलों के जमीनी स्तर पर तुरंत क्रियान्वयन के लिये एजेंडा तैयार किया जायेगा।
  • सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पूरी तरह अवगत करा दिया गया है। चौदह राज्यों ने अपनी-अपनी राज्य लॉजिस्टिक्स नीतियां बना ली हैं, जो राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के अनुरूप हैं।
    • वहीं, 13 राज्यों द्वारा इसका मसौदा तैयार किया जा रहा है।
  • यह नीति सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के बीच प्रतिस्पर्धा, कृषि और सम्बन्धित सेक्टरों, द्रुतगामी उपभोक्ता माल और इलेक्ट्रॉनिक्स को प्रोहत्सान देगी ।
    • इसके बारे में पूर्वानुमान लगाना बहुत आसान होगा, इसकी पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ेगी, आपूर्ति श्रृंखला में बर्बादी तथा बड़ी मात्रा में स्टॉक की जरूरत में कमी आयेगी।
  • वैश्विक मूल्य श्रृंखला के साथ बड़े स्तर पर एकीकरण तथा वैश्विक व्यापार में अधिक साझेदारी के अलावा इस नीति से देश में आर्थिक विकास में तेजी आयेगी।
  • आशा है कि लॉजिस्टिक्स की कम लागत से लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में देश की रैंकिंग में सुधार आयेगा तथा इसकी वैश्विक स्थिति मजबूत होगी।
  • नीति में भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर को बदलने, लॉजिस्टिक्स कुशलता को सुधारने, लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने तथा वैश्विक प्रदर्शन को सुधारने की क्षमता है।

2. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के राष्ट्रीय कार्यक्रम’ में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास हेतु सरकारी नीतियां और उनमे हस्तक्षेप एवं डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: ‘उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के राष्ट्रीय कार्यक्रम’

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल में गीगा वाट (जीडब्ल्यू) पैमाने की उत्पादन क्षमता हासिल करने हेतु कुल 19,500 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ ‘उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के राष्ट्रीय कार्यक्रम’ में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (किस्त II) के कार्यान्वयन के लिए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

उद्देश्य:

  • उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल का उद्देश्य भारत में उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के उत्पादन के लिए एक इकोसिस्टम का निर्माण कर नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में आयात पर निर्भरता को कम करना है।
  • यह कदम ‘आत्मनिर्भर भारत’ की पहल को मजबूत करेगा और रोजगार के अवसर पैदा करेगा।

विवरण:

  • एक पारदर्शी चयन प्रक्रिया के माध्यम से सोलर पीवी निर्माताओं का चयन किया जाएगा।
  • उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) का वितरण पांच वर्षों के लिए किया जाएगा और यह प्रोत्साहन घरेलू बाजार से उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल की बिक्री को दिया जाएगा।

इस योजना से निम्नलिखित लाभ होंगे:

i. ऐसा अनुमान है कि पूर्ण और आंशिक रूप से एकीकृत, सौर पीवी मॉड्यूलसे लगभग 65,000 मेगावाट प्रति वर्ष की उत्पादन होगा ।

ii. इस योजना से लगभग 94,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष निवेश आएगा।

iii. ईवीए, सोलर ग्लास, बैकशीट जैसी शेष सामग्रियों का निर्माण।

iv. लगभग 1,95,000 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और लगभग 7,80,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार।

v. लगभग 1.37 लाख करोड़ रुपये का आयात प्रतिस्थापन।

vi. सौर पीवी मॉड्यूल में उच्च दक्षता प्राप्त करने हेतु अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहन।

3. केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने पराली प्रबंधन के लिए राज्यों की तैयारियों की समीक्षा की:

सामान्य अध्ययन: 3

पर्यावरण:

विषय: पर्यावरण सुरक्षा हेतु पराली जलाने पर पूरी तरह अंकुश लगाने के लिए प्रयास,सरकारी नीतियां एवं निवेश और नवाचार।

मुख्य परीक्षा: पराली के निस्तारण हेतु केंद्र और राज्यों को संयुक्त रूप से एक दीर्घकालिक योजना तैयार करनी चाहिए और एक समयसीमा के भीतर पराली जलाने के शून्य मामले के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बहु-आयामी नीतियां बनानी चाहिए। टिप्पणी कीजिए।

प्रसंग:

  • केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकारों से निकट भविष्य में पराली जलाने पर पूरी तरह अंकुश लगाने का आह्वान किया तथा इस महत्वपूर्ण मिशन के लिए केंद्र की तरफ से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।

उद्देश्य:

  • समीक्षा के तहत मंत्री ने कहा कि राज्यों को चालू वित्त वर्ष में 600 करोड़ रुपये पहले ही दिए जा चुके हैं और उसमें से 300 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो पाए।
  • इसका उचित उपयोग किया जाना चाहिए। इसके अलावा दो लाख मशीनें राज्यों को उपलब्ध कराई गई हैं।
  • केंद्र और संबंधित राज्यों को संयुक्त रूप से एक दीर्घकालिक योजना तैयार करनी चाहिए और एक समयसीमा के भीतर पराली जलने के शून्य मामले के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बहु-आयामी नीतियां बनानी चाहिए।

विवरण:

  • राज्यों के अधिकारियों से आईईसी गतिविधियों को व्यापक और मजबूत बनाने को कहा, जिससे किसानों को जागरूक किया जा सके कि पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरता नष्ट हो जाती है, जैसे यूरिया का ज्यादा इस्तेमाल करने से होता है।
  • यह बताया गया कि 2022-23 के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 700 करोड़ रुपये परिव्यय के साथ कृषि एवं किसान कल्याण विभाग फसल अवशेषों का उसी स्थान पर प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देते हुए केंद्रीय क्षेत्र की योजना का कार्यान्वयन हेतु जारी हुए हैं।
  • इन राज्यों में बड़े पैमाने पर बायो-डीकंपोजर (जैव-अपघटक) तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के प्रावधान भी किए गए हैं।
    • पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलने के कारण दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बढ़ने वाले वायु प्रदूषण को कम करने और फसल के अवशेषों का उसी स्थान पर प्रबंधन करने के लिए सब्सिडी के साथ आवश्यक मशीनरी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह योजना 2018-19 में शुरू की गई थी।
    • इस योजना के तहत फसल अवशेष प्रबंधन वाली मशीनों की खरीद के लिए व्यक्तिगत रूप से किसानों को 50 फीसदी वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है और परियोजना लागत का 80 फीसदी किसानों, पीएफओ और पंचायतों की सहकारी समितियों को फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों के कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना के लिए दिया जाता है।
    • राज्यों और आईसीएआर को किसानों और अन्य हितधारकों को जागरूक करने के लिए सूचना, शिक्षा और संचार (आईसी) गतिविधियां करने के लिए धनराशि उपलब्ध कराई जाती है।
  • यह योजना सुपर स्ट्रॉ प्रबंधन प्रणाली, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, मल्चर, पैडी स्ट्रॉ चॉपर, हाइड्रॉलिकली रिवर्सिबल मोल्ड बोर्ड हल, क्रॉप रीपर और रीपर बाइंडर जैसी मशीनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देती है, जिससे फसल अवशेषों का उसी जगह पर प्रबंधन किया जा सके।
  • इसके साथ ही पराली की गांठों को इकट्ठा करने के लिए बेलर्स एवं रेक के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाता है। योजना के तहत ‘स्मार्ट सीडर’ मशीन को भी शामिल किया गया है।
  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विकसित पूसा डीकंपोजर को धान की पुआल को उसी स्थान पर तेजी से गलाने में प्रभावी पाया गया है।
    • यह कैप्सूल रूप में भी उपलब्ध है। साल 2021 के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में लगभग 5.7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में डीकंपोजर का इस्तेमाल किया गया, जो लगभग 35 लाख टन पराली का प्रबंधन करने के बराबर है।
    • सैटलाइट इमेजिंग और निगरानी के जरिए पाया गया कि 92 प्रतिशत क्षेत्र में डीकंपोजर के जरिए पराली का निपटारा किया गया जबकि केवल 8 फीसदी हिस्से में पराली जलाई गई।

4. कृषि अवसंरचना कोष योजना व प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना एवं पीएम किसान संपदा योजना के बीच कन्वर्जेंस मॉड्यूल का शुभारंभ:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन,जनकल्याणकारी योजनाएं:

विषय: कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश और नवाचार बढ़ाना तथा जनकल्याणकारी पहले।

प्रारंभिक परीक्षा: कृषि अवसंरचना कोष (AIF) योजना,प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना (PMFME),प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY)

प्रसंग:

  • कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की कृषि अवसंरचना कोष (AIF) योजना और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना (PMFME) एवं प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) के बीच अभिसरण (कन्वर्जेंस) मॉड्यूल का शुभारंभ आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत किया गया हैं।

उद्देश्य:

  • सभी मंत्रालय एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करें ताकि लोगों को विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल सकें।
  • इस तरह की पहल के माध्यम से देश के विभिन्न वर्गों को फायदा होगा, जिनमें किसान और प्रसंस्करण क्षेत्र के लघु उद्यमी भी शामिल हैं।
  • यह नई पहल कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए फायदेमंद और प्रेरणादायी है।

विवरण:

  • सरकार की योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से विभिन्न मंत्रालयों में सहकार-सहयोग के माध्यम से कन्वर्जेंस मॉड्यूल की शुरूआत की गई है।
  • इस पहल के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत अभियान को मूर्त रूप देने में योगदान होगा, जनकल्याण के प्रकल्प आगे बढ़ा सकेंगे तथा छोटे लोगों की ताकत बढ़ाकर देश के नवनिर्माण में योगदान दे सकेंगे।
  • कोविड के समय कृषि क्षेत्र की उपलब्धियों के कारण देश को काफी लाभ हुआ ।
  • तब वोकल फॉर लोकल तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान तथा एक लाख करोड़ रु. के कृषि इंफ्रा फंड सहित कृषि से सम्बद्ध क्षेत्रों के लिए कुल डेढ़ लाख करोड़ रु.से ज्यादा के विशेष पैकेज दिए गए।
  • कृषि इंफ्रा फंड (AIF) वित्तपोषण सुविधा है, जिसे 8 जुलाई 2020 को, फसलोपरांत प्रबंधन अवसंरचना व सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए शुरू किया गया, जिसमें लाभ में 3% ब्याज छूट व क्रेडिट गारंटी सहायता शामिल हैं।
  • इसके तहत 2020-21 से 2025-26 तक 1 लाख करोड़ रु. की निधि का प्रावधान किया गया है एवं वर्ष 2032-33 तक ब्याज छूट व क्रेडिट गारंटी सहायता दी जाएगी।
  • कृषि मंत्रालय के आईएनएम प्रभाग अंतर्गत राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की वाणिज्यिक बागवानी विकास व शीतागार विकास योजनाओं के लिए एआईएफ का कन्वर्जेंस पहले ही किया जा चुका है।
  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने व्यक्तिगत सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के उद्देश्य से आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत 29 जून 2020 को प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना शुरू की, जो देश में सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान कर रही है।
  • इसके कार्यान्वयन के लिए सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों ने नोडल एजेंसियों की नियुक्ति की है।
  • पीएमएफएमई योजना के तहत अधिकतम 10 लाख रुपये की सब्सिडी सीमा के साथ सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाई की स्थापना के लिए 35% क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी और अधिकतम 3 करोड़ रुपये की सब्सिडी के साथ कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए प्रदान की जायगी।
  • प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की केंद्रीय क्षेत्र योजना है,जिसके परिणामस्वरूप फार्म गेट से रिटेल आउटलेट तक कुशल आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के साथ आधुनिक मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण होगा। यह एक अंब्रेला स्कीम है, जिसमें सब-स्कीम्स शामिल हैं।
  • इस अभिसरण के माध्यम से, PMFME व PMKSY योजनाओं के तहत क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी प्राप्त करने वाले पात्र लाभार्थी ब्याज सबवेंशन का लाभ उठा सकते हैं।
  • PMFME के तहत पात्र AIF लाभार्थी पीएमएफएमई एमआईएस पोर्टल में आवेदन करके सब्सिडी का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
  • 3% इंटरेस्ट सबवेंशन प्राप्त करने की प्रक्रिया बहुत सरल बना दी गई है, जिसमें लाभार्थी पहले से स्वीकृत डीपीआर व पीएमएफएमई एवं पीएमकेएसवाई के तहत स्वीकृति पत्र का उपयोग कर पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं।

5. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने “भारत में सेमीकंडक्टर के विकास और डिस्प्ले विनिर्माण इकोसिस्टम कार्यक्रम” संशोधन को मंजूरी दी:

सामान्य अध्ययन: 3

अर्थव्यवस्था:

विषय: भारत में सेमीकंडक्टर के विकास और डिस्प्ले विनिर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में सरकारी नियम,संशोधन,प्रभाव एवं इसका महत्व।

प्रारंभिक परीक्षा: सेमीकंडक्टर से सम्बंधित तथ्य।

मुख्य परीक्षा: “भारत में सेमीकंडक्टर के विकास और डिस्प्ले विनिर्माण इकोसिस्टम कार्यक्रम” में संशोधन को मंजूरी देने के निहितार्थ बताएं।

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में मंत्रिमंडल ने भारत में सेमीकंडक्‍टर के विकास और डिस्प्ले विनिर्माण इकोसिस्टम कार्यक्रम में कुछ संशोधनों को मंजूरी दी है।

विवरण:

यह निम्‍नलिखित संशोधन इस प्रकार हैं :

(i) भारत में सेमीकंडक्टर फैब की स्थापना की योजना के तहत सभी प्रौद्योगिकी नोड्स के लिए परियोजना लागत के 50 प्रतिशत की समानता के आधार पर वित्तीय सहायता।

(ii) डिस्प्ले फैब स्थापित करने की योजना के तहत परियोजना लागत के 50 प्रतिशत तक की वित्तीय सहायता।

(iii)भारत में कंपाउंड सेमीकंडक्टर/सिलिकॉन फोटोनिक्स/सेंसर फैब और सेमीकंडक्टर एटीएमपी/ओएसएटी सुविधाओं की स्थापना के लिए 50 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता।

  • इसके अतिरिक्त, योजना के तहत लक्षित प्रौद्योगिकियों में डिस्क्रीट सेमीकंडक्टर फैब्स भी शामिल होंगे।
  • संशोधित कार्यक्रम के तहत, सभी प्रौद्योगिकी नोड्स के लिए सेमीकंडक्टर फैब की स्थापना के लिए 50 प्रतिशत तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
  • कंपाउंड सेमीकंडक्टर और उन्नत पैकेजिंग की विशिष्ट प्रौद्योगिकी एवं प्रकृति को देखते हुए,कंपाउंड सेमीकंडक्टर/सिलिकॉन फोटोनिक्स/सेंसर/डिस्क्रीट सेमीकंडक्टर फैब और एटीएमपी/ओएसएटी की स्थापना के लिए योजना के तहत पूंजीगत व्यय के 50 प्रतिशत की सहायता।
  • इस कार्यक्रम ने भारत में फैब स्थापित करने के लिए कई वैश्विक सेमीकंडक्टर कंपनियों को आकर्षित किया है।
    • संशोधित कार्यक्रम से भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण के निवेश में तेजी आयेगी।
  • भारत सेमीकंडक्टर मिशन, जो भारत में सेमीकंडक्टर के विकास और डिस्प्ले विनिर्माण इकोसिस्टम कार्यक्रम के लिए नोडल एजेंसी है, को सलाह देने के लिए उद्योग जगत और शिक्षा जगत के वैश्विक विशेषज्ञों की एक सलाहकार समिति का गठन किया गया था।
  • 45एनएम और उससे अधिक के प्रौद्योगिकी नोड्स की मांग, अन्य के साथ-साथ वाहन, विद्युत और दूरसंचार अनुप्रयोगों के कारण अधिक है।
  • इसके अलावा, यह हिस्सा कुल सेमीकंडक्टर बाजार का लगभग 50 प्रतिशत है।

6. प्रधानमंत्री ने पीएम केयर्स फंड के न्यासी बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता की;

सामान्य अध्ययन: 2

शासन,जनकल्याणकारी योजनाएं:

विषय: पीएम केयर्स फंड का महत्व एवं उपयोगिता।

प्रारंभिक परीक्षा: पीएम केयर्स फंड

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री ने 20 सितंबर, 2022 को पीएम केयर्स फंड के न्यासी बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता की।

उद्देश्य:

  • पीएम केयर्स फंड की मदद से शुरू की गई विभिन्न पहलों पर एक प्रस्तुति दी गई, जिनमें पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना भी शामिल है, जो 4345 बच्चों को सहायता प्रदान कर रही है।

विवरण:

  • प्रधानमंत्री ने पीएम केयर्स फंड का अभिन्न अंग बनने के लिए न्यासी बोर्ड के सदस्यों का स्वागत किया।
  • बैठक में पीएम केयर्स फंड के न्यासी बोर्ड के सदस्य यानि केंद्रीय गृह मंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री के साथ-साथ पीएम केयर्स फंड के नए नामित सदस्य भी शामिल हुए:
  • सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति के.टी. थॉमस,
  • लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष श्री करिया मुंडा
  • टाटा सन्स के मानद अध्यक्ष श्री रतन टाटा
  • न्यास ने पीएम केयर्स फंड में सलाहकार बोर्ड के गठन के लिए निम्नलिखित प्रतिष्ठित व्यक्तियों को नामित करने का निर्णय लिया:
  • श्री राजीव महर्षि, भारत के पूर्व नियंत्रक और महालेखा परीक्षक
  • श्रीमती सुधा मूर्ति, पूर्व अध्यक्ष, इंफोसिस फाउंडेशन
  • श्री आनंद शाह, टीच फॉर इंडिया के सह-संस्थापक तथा इंडिकॉर्प्स और पीरामल फाउंडेशन के पूर्व सीईओ।
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि न्यासी बोर्ड के नए सदस्यों और सलाहकारों की भागीदारी से पीएम केयर्स फंड के कामकाज को व्यापक दृष्टिकोण मिलेगा।
  • सार्वजनिक जीवन का उनका लम्बा अनुभव विभिन्न सार्वजनिक जरूरतों के लिए फंड को और अधिक उत्तरदायी बनाने में और अधिक ताकत प्रदान करेगा।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. भारत ने उच्च रक्तचाप के खिलाफ बड़े पैमाने पर शुरू की गई पहल के लिए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) पुरस्कार जीता:

  • भारत ने उच्च रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) के खिलाफ किए गए प्रयासों के लिए “भारत उच्च रक्तचाप नियंत्रण पहल (आईएचसीआई)” के लिए संयुक्त राष्ट्र पुरस्कार जीता है।
  • यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत बड़े पैमाने पर उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए की गई पहल है।
  • आईएचसीआई को भारत की मौजूदा प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणाली के भीतर अपने असाधारण कार्य के लिए सम्मानित किया गया है।
  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), राज्य सरकारों व विश्व स्वास्थ्य संगठन-भारत की एक सहयोगी पहल के रूप में आईएचसीआई ने 21 सितंबर, 2022 को अमेरिका के न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में ‘2022 यूएन इंटरएजेंसी टास्क फोर्स और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर डब्ल्यूएचओ स्पेशल प्रोग्राम पुरस्कार’ जीता है।
  • यह पुरस्कार (i) गैर-संक्रमणकारी रोगों (एनसीडी) को रोकने व नियंत्रित करने और
    • (ii) एकीकृत जन-केंद्रित प्राथमिक देखभाल प्रदान करने के क्षेत्र में भारत की उत्कृष्ट प्रतिबद्धता और कार्रवाई को मान्यता देता है।
  • इस पहल के महत्व का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि भारत में हर चार वयस्कों में से एक को उच्च रक्तचाप है।
  • इस पहल की शुरुआत 2017 में की गई थी और 23 राज्यों के 130 से अधिक जिलों को इसके दायरे में लाने के लिए चरणबद्ध तरीके से इसका विस्तार किया गया।
  • इस पहल के तहत आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कल्याण केंद्र (एचडब्ल्यूसी) सहित सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में उच्च रक्तचाप के 34 लाख से अधिक रोगी अपना उपचार करवा रहे हैं।

2.रक्षा मंत्रालय ने स्पर्श पहल की पहुंच बढ़ाने के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा एवं एचडीएफसी बैंक के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:

  • रक्षा लेखा विभाग ने बैंक ऑफ बड़ौदा और एचडीएफसी बैंक के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए, जिससे उन्हें पूरे भारत में 14,000 से अधिक शाखाओं में पेंशन प्रशासन प्रणाली (रक्षा) (स्पर्श) पहल के तहत सेवा केंद्रों के रूप में जोड़ा जा सके।
  • एमओयू बैंक ऑफ बड़ौदा की 7900 से अधिक शाखाओं और एचडीएफसी बैंक की 6300 शाखाओं को सेवा केंद्रों के रूप में जोड़ देगा ताकि पेंशनभोगियों को लास्ट माइल कनेक्टिविटी प्रदान की जा सके,इन पेंशनभोगियों के लिए, सेवा केंद्र स्पर्श हेतु एक इंटरफेस बन जाएंगे और पेंशनभोगियों को प्रोफाइल अपडेट ,अनुरोध करने, शिकायत दर्ज करने और निवारण, डिजिटल वार्षिक पहचान, पेंशनभोगी डेटा सत्यापन या उनकी मासिक पेंशन के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए एक प्रभावी माध्यम प्रदान करेंगे।
  • स्पर्श पर पेंशनभोगियों की कुल संख्या 11 लाख लाभार्थियों के साथ एक मिलियन का आंकड़ा पार कर गई है, जो भारत में कुल रक्षा पेंशनभोगियों का लगभग 33% है।
  • स्पर्श पेंशन दावों को संसाधित करने और बिना किसी बाहरी मध्यस्थ के सीधे रक्षा पेंशनभोगियों के बैंक खातों में पेंशन जमा करने के लिए एक वेब-आधारित प्रणाली है।
  • इसे एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से रक्षा पेंशनरों को उनके पेंशन खाते का एक पारदर्शी मंच देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • यह प्रणाली रक्षा लेखा विभाग द्वारा प्रधान रक्षा लेखा नियंत्रक (पेंशन), प्रयागराज के माध्यम से प्रशासित की जाती है।
  • रोल-आउट की प्रणाली शुरू में नए सेवानिवृत्त लोगों के लिए है और बाद में मौजूदा रक्षा पेंशनभोगियों को कवर करने के लिए विस्तारित की जा रही है।

3.विशाखापत्तनम में दो डाइविंग सपोर्ट वेसल्स का शुभारंभ:

  • भारतीय नौसेना के लिए हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड, विशाखापत्तनम द्वारा बनाए जा रहे दो डाइविंग सपोर्ट वेसल (निस्तार और निपुण) 22 सितंबर 2022 को लॉन्च होने वाले हैं।
  • नौसेना वेलनेस एंड वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष श्रीमती कला हरि कुमार द्वारा जहाजों का शुभारंभ किया जाएगा, जो उनका नामकरण करेंगी।
  • डाइविंग सपोर्ट वेसल्स (डीएसवी) पहली तरह के जहाज हैं, जिन्हें भारतीय नौसेना के लिए एचएसएल में स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है ।
  • जहाज 118.4 मीटर लंबे एवं 22.8 मीटर चौड़े हैं और इनकी विस्थापन क्षमता 9,350 टन होगी।
  • इन जहाजों को डीप सी डाइविंग ऑपरेशन के लिए तैनात किया जाएगा।
  • इसके अतिरिक्त, डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (डीएसआरवी) के साथ, डीएसवी को आवश्यकता होने पर पनडुब्बी बचाव अभियान के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • इसके अलावा ये जहाज निरंतर गश्त करने, खोजबीन एवं बचाव अभियान चलाने और हाई सीज़ में हेलीकॉप्टर का संचालन करने में सक्षम होंगे।
  • लगभग 80% स्वदेशी सामग्री के साथ, डीएसवी परियोजना ने रोजगार के काफी स्थानीय अवसर पैदा किए हैं और स्वदेशीकरण को भी बढ़ावा दिया है जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी ।