विषयसूची:
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22 February 2024 Hindi PIB
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1. आधुनिक मीडिया परिदृश्य के लिए परिवर्तनगामी पोर्टल का अनावरण:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन तथा इनके अभिकल्पन से उत्पन्न होने वाले विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: प्रेस और आवधिक पंजीकरण अधिनियम, 2023,नेवीगेट भारत पोर्टल।
मुख्य परीक्षा: हाल ही में लॉन्च किये गए चार परिवर्तनगामी पोर्टल भारत में मीडिया परिदृश्य में क्रांति लाने को तत्पर हैं। टिप्पणी कीजिए।
प्रसंग:
- सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने चार परिवर्तनगामी पोर्टल लॉन्च किए,जो भारत में मीडिया परिदृश्य में क्रांति लाने को तत्पर हैं।
उद्देश्य:
- इस पहल का उद्देश्य समाचार पत्र प्रकाशकों और टीवी चैनलों के लिए अधिक अनुकूल कारोबारी माहौल को बढ़ावा देकर व्यापार करने में आसानी सुनिश्चित करना, सरकारी संचार में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाना, प्रामाणिक सरकारी वीडियो तक आसान पहुंच प्रदान करना और स्थानीय केबल ऑपरेटरों (एलसीओ) का एक व्यापक डेटाबेस बनाना तथा सरकार को भविष्य में केबल टेलीविजन क्षेत्र में नियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने में सक्षम बनाना है।
- इन पहलों से हमें मीडिया के साथ अपने जुड़ाव को सुव्यवस्थित करने और बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- इससे न केवल पारदर्शिता और नवप्रवर्तन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि विभागों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने में भी मदद मिलेगी।
विवरण:
- प्रेस सेवा पोर्टल: समाचार पत्र पंजीकरण को सुव्यवस्थित करना- प्रेस रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (पीआरजीआई -पूर्ववर्ती आरएनआई) द्वारा प्रेस और पत्रिकाओं के पंजीकरण अधिनियम, 2023 (पीआरपी अधिनियम, 2023) के तहत विकसित प्रेस सेवा पोर्टल, पूर्ण स्वचालन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- इसमें समाचार पत्र पंजीकरण और अन्य संबंधित प्रक्रियाएं जुड़ी हैं।
- पीआरपी अधिनियम 2023 के तहत डिजाइन किए गए इस पोर्टल का उद्देश्य औपनिवेशिक पीआरबी अधिनियम, 1867 के तहत प्रचलित बोझिल पंजीकरण प्रक्रियाओं को सरल बनाना है।
प्रेस सेवा पोर्टल की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:
- ऑनलाइन आवेदन:
- संभाव्यता मीटर: शीर्षक उपलब्धता की संभावना को दर्शाता है।
- एप्लिकेशन स्थिति की वास्तविक समय में ट्रैकिंग:
- समर्पित डीएम मॉड्यूल:
- नई वेबसाइट: पोर्टल के साथ, वेबसाइट प्रासंगिक जानकारी तक आसान पहुंच प्रदान करती है, जिसमें उपयोगकर्ता के अनुकूल बातचीत के लिए एआई-आधारित चैटबॉट की सुविधा है।
नेवीगेट भारत पोर्टल: भारत का राष्ट्रीय वीडियो गेटवे
- मंत्रालय के न्यू मीडिया विंग द्वारा विकसित ‘नेवीगेट भारत’ पोर्टल यानी, नेशनल वीडियो गेटवे ऑफ भारत, एक एकीकृत द्विभाषी मंच है, जो सरकार के विकास-संबंधी और नागरिक कल्याणोन्मुख उपायों की संपूर्ण श्रृंखला पर वीडियो होस्ट करता है।
- ‘नेवीगेट भारत’ फिल्टर-आधारित उन्नत खोज विकल्प के साथ विभिन्न सरकारी योजनाओं, पहलों और अभियानों से संबंधित वीडियो को खोजने, स्ट्रीम करने, साझा करने और डाउनलोड करने के लिए एक इंटरैक्टिव यूजर इंटरफेस के साथ एकल मंच प्रदान करके नागरिकों को सशक्त बनाता है।
- पोर्टल कई स्रोतों से आधिकारिक और विश्वसनीय जानकारी खोजने की दिक्कतों को खत्म करता है, मीडिया और आम जनता के लिए वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म प्रदान करता है।
- ‘नेवीगेट भारत’ कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और उपायों से जोड़ता है, यह सुनिश्चित करता है कि हमारे देश के भविष्य को आकार देने वाली पहलों को समझने में कोई भी पीछे न रहे, क्योंकि यह एक विकसित भारत बनने की राह पर आगे बढ़ रहा है।
‘नेविगेट भारत’ पोर्टल की मुख्य विशेषताएं:
- नेवीगेट भारत मंत्रालयों, क्षेत्रों, योजनाओं और अभियानों के लिए समर्पित पेज प्रदान करता है।
- आसान नेविगेशन और खोज
- उपयोगकर्ताओं के लिए उन वीडियो को ढूंढ़ना आसान है, जिन्हें वे खोजना चाहते हैं
- वर्गीकरण एवं टैगिंग
- श्रेणियां या टैग जो उपयोगकर्ताओं को विषय/कीवर्ड के आधार पर वीडियो खोजने की अनुमति देंगे
- निर्बाध वीडियो प्लेबैक और स्ट्रीमिंग
- वीडियो को निर्बाध रूप से देखने के अनुभव के लिए वीडियो प्लेयर और स्ट्रीमिंग क्षमताएं
- डाउनलोड और साझा करने के विकल्प
- उपयोगकर्ताओं को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से वीडियो डाउनलोड करने और दूसरों के साथ साझा करने की अनुमति दी जाएगी
- उन्नत खोज कार्यक्षमता
- ये पहलें सामूहिक रूप से भारत में डिजिटलीकृत और आधुनिक मीडिया परिदृश्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण उछाल का प्रतीक हैं।
- सूचना और प्रसारण मंत्रालय मीडिया क्षेत्र में नवाचार, पारदर्शिता और प्रगति को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
पृष्ठ्भूमि:
प्रेस और आवधिक पंजीकरण अधिनियम, 2023:
- प्रेस और आवधिक पंजीकरण अधिनियम, 2023 (पीआरपी अधिनियम, 2023) पत्रिकाओं के लिए पंजीकरण प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव लाता है, भौतिक प्रस्तुतीकरण की आवश्यकता के बिना शीर्षक आवंटन और पंजीकरण के लिए एक सहज ऑनलाइन प्रणाली की शुरुआत करता है।
- यह कुशल दृष्टिकोण, विशेष रूप से छोटे और मध्यम प्रकाशकों के लिए फायदेमंद, जिला मजिस्ट्रेटों के साथ कई घोषणाएं जमा करने के लिए आवश्यकता को समाप्त करता है।
- इसके बजाय, प्रकाशक अब प्रेस सेवा पोर्टल के माध्यम से एक एकल ऑनलाइन आवेदन जमा करेंगे, जिससे पूरी प्रक्रिया सुव्यवस्थित हो जाएगी। इसमें पहले आठ चरण शामिल थे।
- विशेष रूप से, 2023 अधिनियम प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 के कड़े प्रावधानों की तुलना में गैर-अपराधीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव का भी प्रतीक है।
- इन परिवर्तनों का सामूहिक उद्देश्य पंजीकरण परिदृश्य को आधुनिक और सरल बनाना है, जिससे तीव्रता और कुशलता के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा मिलता है। इससे प्रकाशनों की शुरूआत और संचालन में सुविधा होगी।
- पीआरपी अधिनियम को दिसंबर 2023 में राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है और निकट भविष्य में इसे अधिसूचित किए जाने की संभावना है। यह अधिनियम मौजूदा पीआरबी अधिनियम 1867 का स्थान लेगा। अधिनियम के तहत भारत के समाचार पत्रों के रजिस्ट्रार कार्यालय को भारत के प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा।
- केंद्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी) सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण इकाई है, जिसे 8 दिसंबर, 2017 को पूर्ववर्ती विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी), क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय (डीएफपी) और गीत एवं नाटक प्रभाग (एस एंड डीडी) के एकीकरण के माध्यम से स्थापित किया गया था।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है, जो अपने 23 क्षेत्रीय कार्यालयों (आरओ) और 148 क्षेत्रीय कार्यालयों (एफओ) के साथ रेडियो, आउटडोर, वेबसाइट, सोशल मीडिया और उभरते डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के जरिए प्रिंट, टीवी सहित विभिन्न मीडिया वर्टिकल के माध्यम से भारत सरकार के मंत्रालयों, विभागों, पीएसयू और स्वायत्त निकायों को व्यापक संचार समाधान प्रदान करता है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सेमिनार मिलन – 2024:
- उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने अभ्यास मिलन 2024 के एक भाग के रूप में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सम्मेलन का उद्घाटन किया।
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सम्मेलन अभ्यास मिलन 2024 का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। यह संगोष्ठी वैश्विक समुद्री उत्कृष्टता का महत्वपूर्ण संगम साबित हुई है। इस परिसंवाद ने महासागरों के पार स्थित देशों के बीच सहयोग, तालमेल एवं विकास के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया है।
- इस सम्मेलन की विषय-वस्तु “महासागरों में साझेदार: सहयोग, तालमेल, विकास,” पर विभिन्न प्रस्तुतियों और चर्चाओं की एक शानदार श्रृंखला पेश की गई।
- बारह देशों के सम्मानित वक्ताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए लेखापत्र आर्थिक विकास, समुद्री सुरक्षा, क्षमता निर्माण, जलवायु परिवर्तन शमन, नीली अर्थव्यवस्था पहल और समुद्र आधारित बुनियादी ढांचे के सतत विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर केंद्रित थे।
- मिलन 2024 के हिस्से के रूप में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सम्मेलन वैश्विक समुद्री समुदाय के समक्ष आने वाली चुनौतियों को हल करने और उपलब्ध अवसरों को इस्तेमाल करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के स्थायी महत्व के प्रमाण के रूप में सामने आया है।
- इस संगोष्ठी के प्रतिभागियों ने सार्थक संवाद और साझेदारी के माध्यम से अधिक सुरक्षित, टिकाऊ एवं समृद्ध समुद्री क्षेत्र के विस्तार का मार्ग प्रशस्त करने का कार्य किया है।
- मिलन का अर्थ – मन, दिल और आत्मा का सुखद मेल है।
- वर्ष 1995 में 15 से अधिक युद्धपोतों और 51 प्रतिनिधिमंडलों की भागीदारी के साथ इसकी मामूली शुरुआत हुई थी जो अब निश्चित रूप से भाग लेने वाली नौसेनाओं के लिए सार्थक संवाद और विचार-विमर्श के लिए एक वितरण मंच बन गया है।
- मिलन 2024 का लक्ष्य वैश्विक सहयोग और समुद्री सुरक्षा को मजबूत बनाना है। यह एक निरंतर विकसित होने वाली चुनौती है।
- इसका उद्देश्य भाग लेने वाली नौसेनाओं के बीच अंतरसंचालनीयता और समझ को बढ़ावा देना है।
- क्षेत्र विशेषज्ञों का यह प्रतिष्ठित जमावड़ा आवश्यक समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रों की साझा प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप में कार्य करता है।
- सागर का ध्यान महासागरों के सतत उपयोग के लिए ठोस सहकारी उपायों पर है और यह इस क्षेत्र में एक सुरक्षित, संरक्षित और स्थिर समुद्री क्षेत्र के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है।
- वर्ष 2019 में, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में, समुद्री पारिस्थितिकी, समुद्री संसाधन, क्षमता निर्माण और संसाधन साझाकरण, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन, विज्ञान प्रौद्योगिकी, अकादमिक सहयोग व्यापार कनेक्टिविटी और समुद्री परिवहन सहित समुद्री सुरक्षा के सात स्तंभों पर ध्यान देने के साथ इंडो-पैसिफिक महासागरों की पहल (आईपीओआई) के माध्यम से इस पहल को और बढ़ाया और विस्तृत किया गया।
- इस विरासत को अवधारणात्मक रूप से कम महत्व दिया गया है। हिंद महासागर आयोग (आईओसी), हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए), बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक) और कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव (सीएससी) जैसे भारतीय क्षेत्रीय संगठन समुद्री मामलों के प्रति हमारे सहयोगात्मक दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
- समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीएलओएस) सहित अंतरराष्ट्रीय कानून का ईमानदारी से पालन करना, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और समुद्री संसाधनों के टिकाऊ उपयोग के लिए अनिवार्य, आवश्यक और एकमात्र तरीका है।
- भारतीय नौसेना मिलन जैसी पहलों के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में सहायक रही है, जो आसपास की नौसेनाओं को एक ही फलक पर रहने, अनुभव साझा करने और स्थायी साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए एक सार्थक मंच प्रदान करती है।
2. केरल में मानव-वन्यजीव टकराव की स्थिति का आकलन:
- हाल ही में, केरल राज्य में, विशेषकर वायनाड जिले में मानव वन्यजीव टकराव की घटनाएं सामने आई हैं।
- इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव ने क्षेत्र में मानव-वन्यजीव टकराव की समस्या का प्रत्यक्ष मूल्यांकन करने के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के वैज्ञानिकों के साथ 21 और 22 फरवरी 2024 को कर्नाटक के बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान (जो वायनाड से सटा हुआ है) और केरल के वायनाड का दौरा किया।
विस्तृत चर्चा के क्रम में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने निम्नलिखित जानकारी प्रदान की:
- सलीम अली सेंटर फॉर ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री (एसएसीओएन), कोयंबटूर अब डब्ल्यूआईआई के अधीन है और इसे अब मानव वन्यजीव टकराव को खत्म करने पर कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों के साथ सहयोग के लिए एक केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
- अंतर-राज्य समन्वय: सभी दक्षिणी राज्यों के बीच वन्यजीवन के मुद्दों पर बेहतर सहयोग, समन्वय और सहकार्य की तत्काल आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए अंतर-राज्य समन्वय बैठकें बुलाई जाएंगी तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय अंतर-राज्य समन्वय बैठकों की सुविधा प्रदान करेगा।
- क्षमता निर्माण: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के उपयोग, आधुनिक प्रौद्योगिकी और उपकरणों तथा आधुनिक ट्रैकिंग प्रणालियों के उपयोग के लिए फ्रंटलाइन कर्मचारियों और अन्य फ्रंटलाइन विभागों की क्षमता निर्माण में मदद करेगा।
- वित्त पोषण सहायता: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान केरल राज्य को विभिन्न योजनाओं के तहत 15.82 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।
- राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित मांग/संचालन की वार्षिक योजना के आधार पर केंद्र सरकार हाथी रोधी बाड़ और वन्य जीवों को जंगल से बाहर आने से रोकने के लिए किये गये अन्य उपायों के लिए सीएएमपीए और अन्य योजनाओं के तहत वित्त पोषण सहायता पर विचार करेगी।
- कॉरिडोर प्रबंधन योजना: केंद्र सरकार भारतीय वन्यजीव संस्थान के माध्यम से केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में कॉरिडोर प्रबंधन योजना तैयार करने में सहायता करेगी।
- हाथी रोधी बाड़: विशिष्ट स्थानों पर हाथी रोधी बाड़ें बनाई जा सकती हैं। राज्य सरकार सीएमपीए और अन्य योजनाओं के तहत केंद्र सरकार से वित्त पोषण सहायता के लिए अनुरोध कर सकती है।
- मुआवज़ा और तत्काल भुगतान बढ़ाना: केंद्र सरकार ने मानवीय क्षति पर अनुग्रह राशि को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया है।
- इस अनुग्रह राशि का भुगतान राज्य सरकार को तुरंत और पारदर्शी तरीके से करना है। राज्य को पारदर्शी तरीके से एक उपयुक्त तंत्र और प्रोटोकॉल विकसित करना होगा।
- मानव वन्यजीव टकराव को कम करने के लिए जंगली जानवरों को पकड़ने, स्थानांतरित करने या शिकार करने की अनुमति के संबंध में, केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 11 राज्य के मुख्य वन्यजीव संरक्षक को मानव वन्यजीव टकराव को रोकने के लिए ऐसी आवश्यक कार्रवाई करने का अधिकार देती है।
2. राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली निरीक्षण तंत्र:
- सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि कर्मचारियों और सरकार का योगदान बिना किसी देरी के राष्ट्रीय पेंशन योजना में जमा किया जाए, मंत्रालय और विभाग के वित्तीय सलाहकार की अध्यक्षता में प्रत्येक मंत्रालय और विभाग के लिए 2019 में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली निगरानी तंत्र की स्थापना की है।
- सरकार ने केंद्रीय सिविल सेवा (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली का कार्यान्वयन) नियम 2021 को भी अधिसूचित किया है।
- निरीक्षण तंत्र द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जाना है कि एनपीएस में मासिक योगदान समय पर भेजा जाए और एनपीएस के तहत आने वाले कर्मचारियों की शिकायतों का निवारण भी समय पर हो।
- मंत्रालयों/विभागों को निर्धारित प्रारूप में एनपीएस के कार्यान्वयन की स्थिति पर छह मासिक रिपोर्ट तैयार करनी होती है।
- साथ ही यह सुनिश्चित होगा कि कर्मचारियों और सरकार का योगदान एनपीएस में बिना किसी देरी के जमा किया जाएगा और सभी खातों में नामांकन और संपर्क विवरण होंगे।
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