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22 जनवरी 2024 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना:
  2. अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर में श्री राम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह:
  3. भारत-मिस्र संयुक्त युद्धाभ्यास ‘साइक्लोन’:
  4. भारत-किर्गिस्तान संयुक्त विशेष बल अभ्यास खंजर हिमाचल प्रदेश में प्रारंभ:

1. प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना:

सामान्य अध्ययन: 3

बुनियादी ढांचा:

विषय: बुनियादी ढांचा: ऊर्जा।

प्रारंभिक परीक्षा: प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना’।

मुख्य परीक्षा: ‘प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना’ का नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में महत्व।

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना’ की घोषणा की है। इस योजना अंतर्गत देश के 1 करोड़ परिवारों को अपने घर की छत पर सौर ऊर्जा मिलेगी।

उद्देश्य:

  • सरकार 1 करोड़ घरों की छत पर रूफटॉप सोलर प्रणाली लगाने के लक्ष्य के साथ “प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना” का शुभारंभ करेगी।
  • भारत के लोगों के घर की छत पर उनका स्वयं का सोलर रूफ टॉप सिस्टम हो।
  • इससे न केवल गरीबों और मध्यम वर्ग के बिजली के बिल में कमी आएगी, बल्कि इससे भारत ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भी बनेगा।

विवरण:

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सूर्यवंशी भगवान श्री राम की प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर अपनी अयोध्या यात्रा के बाद, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आवास पर 1 करोड़ घरों पर रूफटॉप सौर ऊर्जा स्थापित करने के लक्ष्य के साथ “प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना” शुरू करने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की।
  • प्रधानमंत्री ने बैठक के दौरान कहा कि सूर्य की ऊर्जा का उपयोग छत वाले प्रत्येक घर द्वारा अपने बिजली के बिल को कम करने और उन्हें अपनी बिजली की जरूरतों के लिए वास्तव में आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया जा सकता है।
  • प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना का लक्ष्य निम्न और मध्यम आय वाले व्यक्तियों को रूफटॉप सौर ऊर्जा की स्थापना के माध्यम से बिजली उपलब्ध करना है, साथ ही अतिरिक्त बिजली उत्पादन के लिए अतिरिक्त आय का अवसर उपलब्ध करना है।
  • प्रधानमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि आवासीय क्षेत्र के उपभोक्ताओं को बड़ी संख्या में रूफटॉप सौर ऊर्जा अपनाने को लेकर प्रेरित करने के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय अभियान शुरू किया जाना चाहिए।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर में श्री राम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह:

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या में नवनिर्मित श्री राम जन्मभूमि मंदिर में श्री राम लला के प्राण प्रतिष्ठा (प्रतिष्ठा) समारोह में भाग लिया।
  • प्रधानमंत्री ने कहा, “यह क्षण अलौकिक और पवित्र है, वातावरण, पर्यावरण और ऊर्जा हम पर भगवान राम के आशीर्वाद का प्रतीक है।”
    • उन्होंने रेखांकित किया कि 22 जनवरी की सुबह का सूरज अपने साथ एक नई आभा लेकर आया है।
    • प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि 22 जनवरी, 2024 केवल कैलेंडर की एक तारीख नहीं है, यह एक नए ‘काल चक्र’ का उद्गम है।
  • ऐतिहासिक प्राण प्रतिष्ठा समारोह में देश के सभी प्रमुख आध्यात्मिक और धार्मिक संप्रदायों के प्रतिनिधियों और विभिन्न आदिवासी समुदायों के प्रतिनिधियों सहित जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों की भागीदारी देखी गई।
  • भव्य श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया गया है। इसकी लंबाई (पूर्व-पश्चिम) 380 फीट है; चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है; और यह कुल 392 स्तंभों और 44 दरवाजों द्वारा समर्थित है।
  • मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं और देवियों की मूर्तियों का गूढ़ चित्रण है। भूतल पर मुख्य गर्भगृह में भगवान श्री राम के बचपन के स्वरूप (श्री राम लला की मूर्ति) को रखा गया है।
  • मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्वी दिशा में स्थित है, जहाँ सिंह द्वार के माध्यम से 32 सीढ़ियाँ चढ़कर पहुंचा जा सकता है।
    • मंदिर में कुल पाँच मंडप (हॉल) हैं – नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप। मंदिर के पास एक ऐतिहासिक कुआँ (सीता कूप) है, जो प्राचीन काल का है।
    • मंदिर परिसर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में, कुबेर टीला में, भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है, साथ ही जटायु की एक मूर्ति भी स्थापित की गई है।
  • मंदिर की नींव का निर्माण रोलर-कॉम्पैक्ट कंक्रीट (आरसीसी) की 14 मीटर मोटी परत से किया गया है, जो इसे कृत्रिम चट्टान का रूप देता है। मंदिर में कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है।
    • जमीन की नमी से सुरक्षा के लिए ग्रेनाइट का उपयोग करके 21 फुट ऊंचे चबूतरे का निर्माण किया गया है।
    • मंदिर परिसर में एक सीवेज उपचार संयंत्र, जल उपचार संयंत्र, अग्नि सुरक्षा के लिए जल आपूर्ति और एक स्वतंत्र बिजली स्टेशन है।
    • मंदिर का निर्माण देश की पारंपरिक और स्वदेशी तकनीक से किया गया है।

2. भारत-मिस्र संयुक्त युद्धाभ्यास ‘साइक्लोन’:

  • भारत-मिस्र संयुक्त विशेष बल युद्धाभ्यास ‘साइक्लोन’ के दूसरे संस्करण में भाग लेने के लिए 25 कर्मियों वाली भारतीय थल सेना की टुकड़ी मिस्र पहुंच गई है।
  • यह युद्धाभ्यास 22 जनवरी से 1 फरवरी 2024 तक अंशास, मिस्र में किया जाएगा। युद्धाभ्यास का पहला संस्करण पिछले साल भारत में किया गया था।
  • इस युद्धाभ्यास में, भारतीय दल का प्रतिनिधित्व पैराशूट रेजिमेंट (विशेष बल) के सैनिकों द्वारा किया जा रहा है और 25 कर्मियों वाले मिस्र के दल का प्रतिनिधित्व मिस्र के कमांडो स्क्वाड्रन और मिस्र के एयरबोर्न प्लाटून द्वारा किया जा रहा है।
  • युद्धाभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अध्याय VII के तहत रेगिस्तानी/अर्ध रेगिस्तानी इलाकों में विशेष अभियानों की पृष्ठभूमि में दोनों पक्षों को एक-दूसरे की संचालन प्रक्रियाओं से परिचित कराना है।
  • इस युद्धाभ्यास ‘साइक्लोन’ को द्विपक्षीय सैन्य सहयोग विकसित करने और दोनों थल सेनाओं के बीच रिश्तों को मजबूत करने के लिए सामरिक सैन्य युद्धाभ्यासों के रिहर्सल और दोनों सेनाओं के बीच चर्चा के माध्यम से डिज़ाइन किया गया है।
  • इस युद्धाभ्यास में उप-पारंपरिक क्षेत्र में विशेष अभियानों की योजना और उनका कार्यान्वयन शामिल होगा और इसे तीन चरणों में किया जाएगा।
    • जहां पहले चरण में सैन्य प्रदर्शनियां और सामरिक बातचीत शामिल होगी, वहीं दूसरे चरण में इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी), काउंटर आईईडी और कॉम्बैट फर्स्ट एड पर प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
    • तीसरे और अंतिम चरण में निर्मित क्षेत्र में लड़ाई और बंधक बचाव परिदृश्यों पर आधारित संयुक्त सामरिक युद्धाभ्यास शामिल होगा।
  • यह युद्धाभ्यास दोनों देशों के सैन्यदलों को अपने संबंधों को मजबूत करने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने का अवसर प्रदान करेगा।
  • यह साझा सुरक्षा उद्देश्यों को प्राप्त करने और दोनों मित्र देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में भी कार्य करेगा।

3. भारत-किर्गिस्तान संयुक्त विशेष बल अभ्यास खंजर हिमाचल प्रदेश में प्रारंभ:

  • भारत-किर्गिस्तान का 11वां संयुक्त विशेष बल अभ्यास खंजर हिमाचल प्रदेश के बकलोह स्थित विशेष बल प्रशिक्षण स्कूल में प्रारंभ हो गया है।
    • यह अभ्यास 22 जनवरी से 3 फरवरी 2024 तक चलेगा। यह अभ्यास दोनों देशों में वैकल्पिक रूप से आयोजित एक वार्षिक कार्यक्रम है।
  • 20 कर्मियों वाले भारतीय सेना के दल का प्रतिनिधित्व पैराशूट रेजिमेंट (विशेष बल) के सैनिकों द्वारा किया जा रहा है और किर्गिस्तान दल में 20 कर्मियों का प्रतिनिधित्व स्कॉर्पियन ब्रिगेड द्वारा किया जाता है।
  • इस अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय-VII के अंतर्गत निर्मित क्षेत्र तथा पर्वतीय इलाकों में आतंकवाद विरोधी और विशेष बलों के संचालन में अनुभवों एवं श्रेष्ठ व्यवहारों का आदान-प्रदान करना है।
  • यह अभ्यास विशेष बल कौशल, प्रवेशन और निष्कर्षण की उन्नत तकनीकों को विकसित करने पर बल देगा।
  • यह अभ्यास अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद तथा चरमपंथ की साझी समस्याओं का समाधान करते हुए दोनों पक्षों को रक्षा संबंधों को मजबूत बनाने का अवसर प्रदान करेगा।
  • इस अभ्यास से साझे सुरक्षा उद्देश्यों को प्राप्त करने तथा द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के अतिरिक्त अत्याधुनिक स्वदेशी रक्षा उपकरणों की क्षमताओं को दिखाने का अवसर भी मिलेगा।

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