विषयसूची:
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1. भारतीय नौसेना और भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के बीच समझौता ज्ञापन:
सामान्य अध्ययन: 3
प्रौद्योगिकी, सुरक्षा:
विषय: प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय नौसेना, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) संबंधित तथ्य
मुख्य परीक्षा: रक्षा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी (तकनीकी) की भूमिका एवं इसके निहितार्थ।
प्रसंग:
- तकनीकी सहयोग और संयुक्त अनुसंधान एवं विकास के लिए भारतीय नौसेना और भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु के बीच नई दिल्ली में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
उद्देश्य:
- इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य इंजीनियरिंग के विभिन्न क्षेत्रों में अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देना है।
- इसके उद्देश्य में रक्षा क्षेत्र से संबंधित प्रौद्योगिकियों की वैज्ञानिक समझ को बढ़ाना और नए विकास करना भी निहित है।
विवरण:
- भारतीय नौसेना और आईआईएससी रक्षा प्रौद्योगिकियों से संबंधित इंजीनियरिंग के क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान गतिविधियों के अकादमिक आदान-प्रदान में साझा रुचि रखते हैं।
- यह समझौता ज्ञापन एक व्यापक रूपरेखा उपलब्ध कराने एवं दोनों पक्षों को क्षमता निर्माण, क्षेत्र स्तर के मुद्दों के समाधान, उपकरण विक्रेता आधार के विस्तार और संकाय/अतिथि व्याख्यान के आदान-प्रदान के माध्यम से प्रभावी प्रशिक्षण को सक्षम बनाएगा।
- आईआईएससी के सहयोग से भारतीय नौसेना ने प्राकृतिक रेफ्रिजरेंट पर काम करने वाले भविष्य के लिए तैयार ट्रांसक्रिटिकल कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) आधारित एसी संयंत्र का विकास किया है।
- यह तकनीक हेलोन सिंथेटिक रेफ्रिजरेंट्स को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए एक बड़ी सफलता है और इसे स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है।
- यह समझौता ज्ञापन निकट भविष्य में ऐसी प्रौद्योगिकी के विकास के लिए लगातार सहयोग का औपचारिक आधार है।
- इस समझौता ज्ञापन पर नौसेना की ओर से मटेरियल (डॉकयार्ड एंड रिफिट) के सहायक प्रमुख रियर एडमिरल के. श्रीनिवास और आईआईएससी के रजिस्ट्रार कैप्टन श्रीधर वारियर (सेवानिवृत्त) और एफएसआईडी बेंगलुरु के निदेशक प्रोफेसर बी. गुरुमूर्ति ने हस्ताक्षर किए।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. भारतीय नौसेना पोत सह्याद्री ने प्रथम भारत-इंडोनेशिया-ऑस्ट्रेलिया त्रिपक्षीय समुद्री अभ्यास में भाग लिया
- हिंद-प्रशांत में तैनाती मिशन के तहत भारतीय नौसेना के स्वदेश निर्मित युद्धपोत आईएनएस सह्याद्री ने 20 से 21 सितंबर 2023 तक रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना (आरएएन) और इंडोनेशियाई नौसेना के जहाजों और विमानों के साथ पहले त्रिपक्षीय समुद्री साझेदारी अभ्यास में भाग लिया।
- त्रिपक्षीय अभ्यास ने तीन समुद्री देशों को अपनी साझेदारी को मजबूत करने और एक स्थिर, शांतिपूर्ण और सुरक्षित हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करने के लिए अपनी सामूहिक क्षमता में सुधार करने का अवसर प्रदान किया।
- इस अभ्यास ने भाग लेने वाली नौसेनाओं को एक-दूसरे के अनुभव और विशेषज्ञता से लाभ उठाने का अवसर भी प्रदान किया।
- चालक दल के प्रशिक्षण और अंतरसंचालनीयता को बढ़ाने के लिए जटिल सामरिक और युद्धाभ्यास, क्रॉस-डेक दौरे और इंटीग्रल हेलीकॉप्टरों की क्रॉस-डेक लैंडिंग आयोजित की गईं।
- आईएनएस सह्याद्रि, स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित प्रोजेक्ट-17 श्रेणी के मल्टीरोल स्टेल्थ फ्रिगेट्स का तीसरा पोत है, जो मझगांव डॉक लिमिटेड, मुंबई में निर्मित किया गया है। इसकी कमान कैप्टन राजन कपूर के पास है।
2. ‘डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना: वित्तीय समावेशन और उत्पादकता बढ़ाने में मददगार’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी नई दिल्ली में आयोजित की गई
- डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के क्षेत्र में भारत के नेतृत्व और समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में इसकी प्रतिबद्धता संगोष्ठी में प्रदर्शित की गई
- भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के एशिया और प्रशांत विभाग (एपीडी) के सहयोग और आईएमएफ के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता केंद्र (एसएआरटीटीएसी) के सहयोग से ‘डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना: वित्तीय समावेशन और उत्पादकता बढ़ाने में मददगार’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की मेजबानी की।
- इस सेमिनार ने समकक्ष शिक्षण को बढ़ावा देने, वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और वित्तीय समावेशन और उत्पादकता बढ़ाने में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना की क्षमता का दोहन करने के लिए सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य किया।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने ‘इंडिया स्टैक’ को विश्वस्तरीय डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के रूप में विकसित करने में भारत की उल्लेखनीय यात्रा का व्यापक अवलोकन प्रस्तुत किया, जिसने न केवल भारत में डिजिटल परिदृश्य को बदल दिया है, बल्कि दुनिया भर में डिजिटल बदलाव लाने के लिए शक्तिशाली सबक भी प्रदान किया है।
- विश्व बैंक ने इस सेमिनार में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के माध्यम से वित्तीय समावेशन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए जी20 नीतिगत सिफारिशें प्रस्तुत कीं।
- इन सिफ़ारिशों को हाल ही में नई दिल्ली में G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में अनुमोदित किया गया था। इन सिफारिशों में वित्तीय समावेशन प्राप्त करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में आईपीआर की क्षमता को अनुकूलित करने के लिए समस्त देशों के लिए कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि और अनुकूलन योग्य रणनीतियां प्रदान की गई हैं।
- डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के क्षेत्र में भारत के नेतृत्व और समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में इसकी प्रतिबद्धता इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रदर्शित की गई।
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