विषयसूची:
|
23 February 2024 Hindi PIB
Download PDF Here
1. रक्षा मंत्री और नीदरलैंड्स के रक्षा मंत्री ने नई दिल्ली में वार्ता के दौरान द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
विषय: भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार
मुख्य परीक्षा: भारत और नीदरलैंड्स के द्विपक्षीय संबंध
प्रसंग:
- हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की नीदरलैंड्स की रक्षा मंत्री काजसा ओलोंग्रेन के साथ द्विपक्षीय बैठक संपन्न हुई।
उद्देश्य:
- दोनों देशों का उद्देश्य अपने द्विपक्षीय संबंधों में विस्तार पर ध्यान देते हुए इसे नई ऊंचाइयां प्रदान करना है।
विवरण:
- दोनों मंत्रियों ने विशेष रूप से समुद्री एवं औद्योगिक क्षेत्रों में अपने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के विस्तार की संभावनाओं पर चर्चा की।
- उन्होंने दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच बढ़ती सहभागिता का उल्लेख किया और हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने के लिए मिलकर कार्य करने की अपार इच्छा व्यक्त की।
- रक्षा मंत्री ने सुझाव दिया कि नीदरलैंड्स के मूल उपकरण निर्माताओं को भारतीय विक्रेताओं को अपनी आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
- भारत ने एक जीवंत नवाचार और औद्योगिक इकोसिस्टम विकसित किया है।
- दोनों देश कौशल, प्रौद्योगिकी और पैमाने में भारतीय एवं डच साझेदारी को देखते हुए रक्षा उद्योगों व सेमी-कंडक्टर तथा स्वच्छ ऊर्जा के उच्च-तकनीकी क्षेत्रों के बीच अधिक बातचीत को प्रोत्साहित करने के लिए सहमत हुए।
- नीदरलैंड्स की रक्षा मंत्री नई दिल्ली में रायसीना डायलॉग में भाग ले रही हैं।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. भारत और ओमान के बीच अभिलेखागार के क्षेत्र में सहयोग करने पर सहमति
- अभिलेखागार महानिदेशक अरुण सिंघल के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (एनएआई), नई दिल्ली के एक प्रतिनिधिमंडल ने ओमान के नेशनल रिकॉर्ड्स एंड आरकाइव्ज अथॉरिटी (एनआरएए) का दौरा किया।
- प्रतिनिधिमंडल में उप-निदेशक डॉ. संजय गर्ग और आरकाइविस्ट सदफ फातिमा शामिल थीं। यह दौरा 21-22 फरवरी, 2024 को किया गया। दौरे का उद्देश्य था, पुरालेख क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग के क्षेत्रों का पता लगाना।
- प्रतिनिधिमंडल ने अभिलेखों की स्थायी प्रदर्शनी और डॉक्यूमेंट डिस्ट्रक्शन लैब का भी दौरा किया।
- एनआरएए के अध्यक्ष डॉ. हम्द मोहम्मद अल-ज़ौयानी के साथ द्विपक्षीय वार्ता में अरुण सिंघल ने भारत और ओमान के बीच ऐतिहासिक संबंधों पर चर्चा की और डॉ. हम्द मोहम्मद अल-ज़ौयानी को राष्ट्रीय अभिलेखागार में ओमान से संबंधित बड़ी संख्या में रिकॉर्ड की मौजूदगी के बारे में भी जानकारी दी।
- सद्भावना व्यक्त करते हुए सिंघल ने ओमान से संबंधित 70 चुनिंदा दस्तावेजों की एक सूची सौंपी, जो भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार (एनएआई) में उपलब्ध हैं।
- ये दस्तावेज़ 1793 से 1953 तक की अवधि को कवर करते हैं और कई विषयों से संबंधित हैं। सूची के साथ, रिकॉर्ड की 523 पृष्ठों की प्रतियां भी अध्यक्ष, एनआरएए को सौंपी गईं, जिसमें कई महत्वपूर्ण विषय शामिल थे, जैसे-
- ओमानी ध्वज का लाल से सफेद रंग में परिवर्तन (1868);
- सुल्तान सैय्यद तुर्की की मृत्यु (1888) के बाद ओमान के शासक के रूप में सैय्यद फैसल बिन तुर्की का उत्तराधिकार;
- मस्कट और ओमान के सुल्तान की भारत में वायसराय के साथ मुलाकात (1937); और
- मस्कट में भारत गणराज्य और मस्कट व ओमान के सुल्तान के बीच मैत्री, वाणिज्य और नौवहन संधि, जिस पर 15 मार्च, 1953 को हस्ताक्षर किए गए (अंग्रेजी, हिंदी और अरबी संस्करण)।
- इसके अलावा, दोनों देशों के बीच तीन महत्वपूर्ण संधियों के प्रतिकृति प्रिंट भी एनआरएए को उपहार में दिए गए। वे थे-
- ब्रिटिशकालीन भारत सरकार और मस्कट के सुल्तान के बीच संधि (अरबी और अंग्रेजी में), दिनांक पांच अप्रैल, 1865; और
- मस्कट के इमाम के साथ दो संधियां हुईं: पहली संधि मेहदी अली खान द्वारादिनांक 12 अक्टूबर,1798 को और दूसरी सर जॉन मैल्कम द्वाराफारस के दरबार में भारत के गवर्नर जनरल के दूत के रूप मेंदिनांक 18 जनवरी,1800 को।
- बैठक में एनआरएए अध्यक्ष की सलाहकार तमिमा अल-महरौकी, दस्तावेज़ प्रबंधन के लिए सहायक महानिदेशक तैयबा मोहम्मद अल-वहैबी, संगठन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विभाग के निदेशक हमीद खलीफा सईद अल-सौली तथा संगठन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विभाग की सहायक निदेशक राया अमूर अल-हाजरी भी उपस्थित थे।
- एनएआई के महानिदेशक और एनआरएए के अध्यक्ष ने दोनों देशों के बीच संस्थागत सहयोग को औपचारिक बनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
- चर्चा के बाद, सहयोग के कार्यकारी कार्यक्रम (ईपीसी) के मसौदे को अंतिम रूप दिया गया, जिसे अब दोनों पक्षों के सक्षम अधिकारियों द्वारा अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जाएगा तथा निकट भविष्य में उस पर औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किए जाएंगे।
- कुछ गतिविधियां जिन पर सहमति हुई है और प्रस्तावित ईपीसी में शामिल हैं, उनमें शामिल हैं:
- भारत और ओमान के बीच ऐतिहासिक संबंधों पर प्रकाश डालने वाले एक सम्मेलन के साथ-साथ दोनों अभिलेखागारों से संकलित अभिलेखीय सामग्रियों पर आधारित एक संयुक्त प्रदर्शनी का आयोजन करना;
- दोनों संग्रहों को समृद्ध करने के लिए पारस्परिक हित रखने वाले दस्तावेज़ों की डिजिटल प्रतियों का आदान-प्रदान करना।
- दोनों संस्थानों के उत्कृष्ट व्यवहारों पर ज्ञान साझा करने के लिए डिजिटलीकरण और संरक्षण के क्षेत्र में विशेषज्ञों को शामिल करते हुए विनिमय कार्यक्रम के लिए एक रूपरेखा की सुविधा प्रदान करना; और
- दोनों अभिलेखागारों से संग्रहित अभिलेखीय सामग्रियों के आधार पर एक संयुक्त प्रकाशन लाना।
- प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय प्रवासियों के प्रतिनिधियों से भी बातचीत की, जो कई पीढ़ियों से ओमान के विभिन्न हिस्सों में रह रहे हैं और जिनमें से कई के पास समृद्ध निजी अभिलेखागार हैं। एनएआई के महानिदेशक ने भारतीय प्रवासी के इन सदस्यों को अपने पास मौजूद अभिलेखीय संपदा के भौतिक संरक्षण का ध्यान रखने के लिए प्रोत्साहित किया, क्योंकि यह दोनों देशों के बीच साझा इतिहास के एक प्रामाणिक स्रोत के रूप में कार्य करता है।
- उन्होंने अपने दस्तावेजों के संरक्षण के साथ-साथ उनके डिजिटलीकरण में एनएआई की तकनीकी मदद की भी पेशकश की, ताकि मूल्यवान जानकारी भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित रहे।
2. एनटीपीसी नवीकरणीय रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड की पहली सौर परियोजना का परिचालन कार्य प्रारंभ हुआ
- राजस्थान के छत्तरगढ़ में एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (एनटीपीसी-आरईएल) की पहली सौर परियोजना ने 70 मेगावाट क्षमता का वाणिज्यिक संचालन कार्य शुरू करने की घोषणा की है।
- इसके साथ ही एनटीपीसी समूह की कुल स्थापित क्षमता 73,958 मेगावाट तक पहुंच गई है।
- वर्तमान में, एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड की 17 परियोजनाएं क्रियान्वित हैं, जिनकी कुल क्षमता 6,000 मेगावाट से अधिक है।
- इसके साथ ही एनटीपीसी समूह की कुल नवीकरणीय ऊर्जा परिचालन क्षमता 3,448 मेगावाट हो गई है।
- छत्तरगढ़ सौर परियोजना की निर्धारित पूर्ण क्षमता 150 मेगावाट है और इसके मार्च 2024 तक पूरी तरह से क्रियान्वित होने की आशा है।
- यह क्षमता एसईसीआई-ट्रैंच:III के तहत हासिल की गई थी और इस परियोजना का लाभार्थी राज्य राजस्थान है।
- यह परियोजना प्रति वर्ष 370 मिलियन यूनिट ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए शुरू की गई है, जो 60,000 घरों के लिए पर्याप्त है, साथ ही हर साल 3 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन की बचत और 1,000 एमएमटीपीए पानी का संरक्षण भी करती है। यह एक वर्ष में 5,000 से अधिक घरों के लिए पर्याप्त है।
3. सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने विज्ञान संचार रणनीतियों के लिए प्रभावी कार्यशाला का आयोजन किया
- सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएससीपीआर) ने एक ओरिएंटेशन कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें प्रसिद्ध विशेषज्ञों की बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के साथ-साथ विज्ञान मीडिया संचार सेल (एसएमसीसी) को भी सशक्त बनाया गया।
- इस कार्यशाला का उद्देश्य विज्ञान मीडिया संचार सेल (एसएमसीसी) के लिए प्रभावी रणनीतियां भी बनाना है ताकि भारतीय विज्ञान की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) से संबंधित जानकारी को आम लोगों तक पहुंचाया जा सके।
- पूरे देश में विविध दर्शकों तक पहुंचने के लिए इस माध्यम की शक्ति पर प्रकाश डालते हुए “रेडियो के माध्यम से प्रभावी रूप से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सूचना का संचार” विषय पर अनुभवों को साझा किया गया।
- जनता तक विज्ञान को प्रभावी रूप से पहुंचाने के लिए आकाशवाणी के क्रियाकलापों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।
- इस कार्यशाला में एसएमसीसी को विविध संचार चैनलों एवं तकनीकों की व्यापक समझ प्रदान की गई, जिससे उन्हें विशिष्ट दर्शकों तक पहुंच प्रदान करने एवं विज्ञान के साथ ज्यादा सार्वजनिक जुड़ाव को बढ़ावा देने हेतु दृष्टिकोण तैयार करने के लिए सक्षम बनाया गया।
Comments