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पीआईबी विश्लेषण और सारांश हिंदी में - 23 September 2022 PIB Analysis in Hindi

23 सितंबर 2022 : PIB विश्लेषण

विषय-सूची:

  1. गुजरात के एकता नगर में सभी राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ
  2. शिशु मृत्यु दर को कम करने में भारत की महत्वपूर्ण उपलब्धि
  3. सामुदायिक बीज बैंक पहल

1.गुजरात के एकता नगर में सभी राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ

सामान्य अध्ययन: 2

राजव्यवस्था:

विषय:संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ

मुख्य परीक्षा: पर्यावरण संरक्षण,प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयास एवं उनका महत्त्व।

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात के एकता नगर में पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया।

पृष्ठभूमि

  • सहकारी संघवाद की भावना को आगे बढ़ाते हुए, बहुआयामी दृष्टिकोण के माध्यम से प्लास्टिक प्रदूषण में कमी लाने, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए राज्यों की कार्य योजनाओं, जीवन-शैली पर प्रभावी ढंग से ध्यान केंद्रित करने, पर्यावरण के लिए जीवन शैली जैसे मुद्दों पर बेहतर नीतियां तैयार करने में केंद्र व राज्य सरकारों के बीच और तालमेल बनाने के लिए सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। यह वन क्षेत्र को बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें विशेष रूप से निम्नीकृत भूमि को सही करने और वन्य जीव संरक्षण पर जोर दिया जाएगा।
  • 23 और 24 सितंबर को आयोजित किए जा रहे दो-दिवसीय सम्मेलन में छह विषयगत सत्र होंगे, जिनमें लाइफ, जलवायु परिवर्तन का मुकाबला (उत्सर्जन के शमन और जलवायु प्रभावों के अनुकूलन के लिए जलवायु परिवर्तन पर राज्यों की कार्य योजनाओं को अद्यतन करना), परिवेश (एकीकृत हरित मंजूरी सिंगल विंडो सिस्टम); वानिकी प्रबंधन; प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण; वन्यजीव प्रबंधन; प्लास्टिक और अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने वाले विषय शामिल होंगे।

विवरण:

  • ‘इंटरनेशनल सोलर एलायंस, कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेसिलियंस इंफ्रास्ट्रक्चर, और लाइफ अभियान का उदाहरण देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत न केवल अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है, बल्कि दुनिया के अन्य देशों का भी मार्गदर्शन कर रहा है। भारत के वनावरण में वृद्धि हुई है और आर्द्रभूमि का दायरा भी तेजी से बढ़ रहा है।”
  • प्रधानमंत्री ने वर्ष 2070 के नेट जीरो लक्ष्य की ओर सबका ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि भारत ने साल 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य रखा है। अब देश का फोकस ग्रीन ग्रोथ और ग्रीन जॉब्स पर है। इन सभी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए, प्रत्येक राज्य के पर्यावरण मंत्रालय की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने सभी पर्यावरण मंत्रियों से राज्यों में चक्रीय अर्थव्यवस्था को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देने का आग्रह किया। इससे ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और एकल उपयोग वाली प्लास्टिक से मुक्ति के अभियान को भी बढ़ावा मिलेगा।
  • उन्होंने राज्यों से वाहन स्क्रैपिंग नीति, और जैव ईंधन उपायों जैसे इथेनॉल मिश्रण आदि उपायों को जमीनी स्तर पर मजबूत करने तथा इन उपायों को बढ़ावा देने के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ राज्यों के बीच सहयोग कायम करने का आह्वान किया।
  • भूजल के मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि हम देखते हैं कि कभी जिन राज्यों में जल की बहुलता या भूजल ऊपर रहता था, आज वहां जल अभाव की स्थिति दिखाई देती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती, अमृत सरोवर और जल सुरक्षा जैसी चुनौतियां व उपाय सिर्फ जल से जुड़े विभाग की ही नहीं है, बल्कि पर्यावरण विभाग को भी इसे उतनी ही बड़ी चुनौती समझना होगा। “पर्यावरण मंत्रालयों द्वारा एक सहभागी और एकीकृत दृष्टिकोण के साथ काम करना महत्वपूर्ण है। जब पर्यावरण मंत्रालयों का नजरिया बदलेगा तो प्रकृति को भी लाभ होगा।”
  • पश्चिम में वनाग्नि की चिंताजनक दर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि वनाग्नि की वजह से वैश्विक उत्सर्जन में भारत की हिस्सेदारी भले ही नगण्य हो, लेकिन हमें अभी से जागरूक होना होगा। हर राज्य में फायर फाइटिंग मैकेनिज्म मजबूत हो, टेक्नोलॉजी आधारित हो, ये बहुत जरूरी है। वन रक्षकों के प्रशिक्षण पर भी जोर दिया जाना चाहिए।
  • प्रधानमंत्री ने पर्यावरण से संबंधित सभी प्रकार की मंजूरी के लिए सिंगल विंडो मोड परिवेश पोर्टल के इस्तेमाल पर जोर देते हुए कहा कि परिवेश पोर्टल, पर्यावरण से जुड़े सभी तरह के क्लीयरेंस के लिए सिंगल-विंडो माध्यम बना है। ये पारदर्शी भी है और इससे अप्रूवल के लिए होने वाली भागदौड़ भी कम हो रही है। “आठ साल पहले तक एनवायरमेंट क्लीयरेंस में जहां 600 से ज्यादा दिन लग जाते थे, वहीं आज 75 दिन लगते हैं।”
  • इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में समन्वय बढ़ा है, जबकि गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के क्रियान्वयन के बाद से कई परियोजनाओं में प्रगति हुई है। पर्यावरण की रक्षा के लिए पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान भी एक बेहतरीन उपाय है। हमें जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों का सामना करते हुए अर्थव्यवस्था के हर उभरते हुए क्षेत्र का सदुपयोग करना है। “केंद्र और राज्य सरकार दोनों को मिलकर ग्रीन इंडस्ट्रियल इकोनॉमी की ओर बढ़ना है।”

2. शिशु मृत्यु दर को कम करने में भारत की महत्वपूर्ण उपलब्धि

सामान्य अध्ययन: 2

स्वास्थ्य:

विषय: स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: शिशु मृत्यु दर संबंधित तथ्य

प्रसंग:

  • भारत को शिशु मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण उपलब्धि मिली है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) द्वारा जारी नमूना पंजीकरण प्रणाली (SRS) सांख्यिकी रिपोर्ट 2020 के अनुसार देश में 2014 से IMR, U5MR और NMR में कमी आई है और देश 2030 तक सतत विकास लक्ष्य (SDG) को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

विवरण:

  • देश में पांच वर्ष से कम उम्र के शिशुओं की मृत्यु दर (U5MR) में 2019 से तीन अंकों की कमी हुई है (वार्षिक कमी दर 8.6 प्रतिशत) (2019 में प्रति 1,000 जीवित जन्म 35 प्रतिशत की तुलना में 2020 में 32 प्रति 1,000 जीवित जन्म)। जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में यह 36 है वहीं शहरी क्षेत्रों में यह 21 है।
  • बालिकाओं के लिए U5MR बालक (31) की तुलना में अधिक (33) है।
  • U5MR में सबसे ज्यादा कमी उत्तर प्रदेश (5 अंक) तथा कर्नाटक (5 अंक) में देखने को मिली है।
  • शिशु मृत्यु दर (IMR) में भी 2019 में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 30 से 2020 में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 28 के साथ 2 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है (वार्षिक गिरावट दर: 6.7 प्रतिशत)।
    • ग्रामीण-शहरी अंतर सीमित होकर 12 अंकों पर आ गया है। (शहरी 19, ग्रामीण -31)
    • 2020 में कोई लैंगिक भेद नहीं देखा गया (पुरुष -28, महिला – 28)
  • नवजात मृत्यु दर में भी दो अंकों की गिरावट आई है। यह 2019 में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 22 थी जो 2020 में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 20 हो गई। (वार्षिक गिरावट दर: 9.1 प्रतिशत)। यह शहरी क्षेत्रों में 12 से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में 23 तक है।
  • छह (6) राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही NMR (<=12 2030 तक) का एसडीजी लक्ष्य प्राप्त कर लिया है: केरल (4), दिल्ली (9), तमिलनाडु (9), महाराष्ट्र (11), जम्मू और कश्मीर (12) और पंजाब (12)
  • ग्यारह (11) राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही U5MR (<=25 तक 2030) का एसडीजी लक्ष्य प्राप्त कर लिया है: केरल (8), तमिलनाडु (13), दिल्ली (14), महाराष्ट्र (18), जम्मू-कश्मीर (17), कर्नाटक ( 21), पंजाब (22), पश्चिम बंगाल (22), तेलंगाना (23), गुजरात (24), और हिमाचल प्रदेश (24)

3. सामुदायिक बीज बैंक पहल

सामान्य अध्ययन: 3

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय:आधारभूत संरचना के विकास हेतु सरकारी नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के संबंधित हस्तक्षेप,उनके अभिकल्पन तथा क्रियान्वयन के कारण उत्पन्न मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा:सामुदायिक बीज बैंक पहल का उद्देश्य व महत्त्व

प्रसंग:

  • तमिलनाडु में लगभग 10 सामुदायिक बीज बैंकों के माध्यम से चावल की लगभग 20 पारंपरिक किस्मों का पता लगाकर, उन्हें एकत्रित और संरक्षित किया जा रहा है तथा पुनः: प्रचलन में लाया जा रहा है, जिससे राज्य में 500 से अधिक किसान लाभान्वित हो रहे हैं।

विवरण:

  • तमिलनाडु के अधिकांश छोटे और मध्यम किसान संकरों (हाइब्रिड) की मोनोक्रॉपिंग के कारण पारंपरिक बीजों को खो चुके हैं। इन किस्मों की पहचान उनके अद्वितीय पोषण, औषधीय और पारिस्थितिकी गुणों तथा सबसे बढ़कर, जलवायु के प्रति उनके लचीलेपन के लिए की गई थी। धान की किस्मों के पारंपरिक आनुवंशिक क्षरण और स्वदेशी जीन पूल, देशी मौजूदा किस्मों के चिकित्सीय/उपचारात्मक गुणों के बारे में जानकारी की कमी, उनके बीज भंडार तक पहुंच की कमी, तमिलनाडु में कृषि और मानव स्वास्थ्य के भरण-पोषण तथा भविष्य के लिए एक चुनौती है।
  • इन सामुदायिक बीज बैंकों को 24 जिलों – अरियालुर, चेंगलपट्टू, कोयम्‍बटूर, धर्मपुरी, डिंडीगल, इरोड, कांचीपुरम, करूर, मदुरै, मयीलादुरई, नागपट्टिनम, पुदुकोट्टई, रामनाथपुरम रानीपेट्टई, सेलम, शिवगंगई, तेनकासी, तंजावुर, थूथुकुडी, तिरुवन्नामलाई, थिरुवरुर, तिरुचिरापल्ली, विल्लुपुरम और विरुदुनगर में स्थानीय गैर सरकारी संगठनों की सहायता से स्थान के आधार पर इच्छुक किसानों द्वारा इनकी पहचान करके बढ़ावा दिया गया है।
  • इन बैंकों के परिचालन सिद्धांतों में मानव जाति -पारिस्थितिक ज्ञान की मेमोरी बैंकिंग, औषधीय ज्ञान को बढ़ावा देना और संबद्ध सांस्कृतिक विश्वास के साथ-साथ उनके संरक्षण के माध्यम से विशेष कृषि संबंधी गुण शामिल हैं। क्षेत्रीय त्योहार बीजों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में भी मदद करते हैं। उदाहरण के लिए धान के बीच के आदान-प्रदान का त्योहार – ‘नेल थिरुविझा’ को तिरुवरूर-आधारित एक एनजीओ-CREATE के साथ आयोजित किया गया जिससे करुप्पु कौनी, थुया मल्ली, माँपिल्लई सांबा, करुं कुरवई और पारंपरिक चावल के बीज की किस्मों को वितरित करने में मदद की।
  • धान बीज उत्सवों के दौरान, प्रमुख किसान स्वेच्छा से इन पारंपरिक किस्मों के बीजों को सैकड़ों किसानों को 1-2 किलोग्राम/प्रति किसान की दर से मुफ्त में वितरित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त राज्य भर के इच्छुक किसानों को खेत में खड़ी फसलों का दौरा करने की अनुमति है वे ऐप और ऑनलाइन मीडिया के माध्यम से इन किस्मों की उपलब्धता और गुणवत्ता के बारे में संवाद करते हैं।
  • बीज विनिमय कार्यक्रमों और जैविक बीज गुणन के माध्यम से पारंपरिक किस्मों के प्रचार के लिए फील्ड जीन बैंक स्थापित किए गए हैं। किसानों को संरक्षण विधियों और स्वदेशी विरासत जर्मप्लाज्म को समृद्ध और पुनर्जीवित करने के तरीकों के साथ-साथ प्रारंभिक तौर पर किसानों के खेत में जलवायु अनुकूलनशीलता क्षमता के लिए यथास्थान परीक्षणों में प्रशिक्षित किया जाता है।
  • चावल की किस्मों की पारंपरिक किस्म को इकट्ठा करने और संरक्षित करने की पहल जलवायु अनिश्चितताओं, सूखा और बाढ़ से बचने, औषधीय और पोषण गुणों का सामना करने के लिए अंतर्निहित क्षमताओं वाली किस्मों के बारे में ज्ञान साझा करने और आदान-प्रदान करने में मदद कर सकती है। एक बार जिन छोटे इलाकों तक ये स्थानीय स्वदेशी चावल की किस्में सीमित हैं, उनके बारे में जानकारी फैल जाने पर किसान ज्ञान का क्षरण रोकने में भाग ले सकते हैं। यह पहल जलवायु परिवर्तन की अनिश्चितताओं की स्थिति में सभी चावल आधारित किसानों के लिए स्थायी उपज ला सकती है। ‘अतीत के बीज’ ‘भविष्य के लिए बीज’ को संरक्षित कर सकते हैं और उन्हें आने वाले वर्षों में उन्नयन के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. मेहर बाबा प्रतियोगिता-II
  • रक्षा मंत्री ने वृद्धिशील स्वदेशी ड्रोन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 6 अप्रैल, 2022 को वायु मुख्यालय (वायु भवन) में “मेहर बाबा प्रतियोगिता- II” की शुरुआत की थी।
  • इस प्रतियोगिता का उद्देश्य “विमान परिचालन सतहों पर बाह्य वस्तुओं का पता लगाने के लिए ड्रोन आधारित प्रणाली” को लेकर प्रौद्योगिकी विकसित करना है। इस प्रतियोगिता का नाम प्रसिद्ध एयर कमोडोर मेहर सिंह के नाम पर रखा गया है- जिन्हें प्यार से मेहर बाबा कहा जाता है।
  • इसे देखते हुए भारतीय वायु सेना (IAF) विमान परिचालन सतहों पर मानव बल की तैनाती के बिना बाह्य वस्तु मलबे का पता लगाने की दिशा में नवीन समाधान की खोज की जा रही है। इस प्रतियोगिता के लिए पंजीकरण केवल भारतीय नागरिकों और भारतीय पंजीकृत संस्थाओं के लिए खुला है।