विषयसूची:
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24 February 2024 Hindi PIB
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SECI ने भारत की सबसे बड़ी सौर-बैटरी परियोजना को परिचालित किया, जो छत्तीसगढ़ में नवीकरणीय ऊर्जा नवाचार में अग्रणी पहल है
सामान्य अध्ययन: 3
ऊर्जा
विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत की सबसे बड़ी बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS)
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की सबसे बड़ी बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) को 24 फरवरी, 2024 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राष्ट्र को समर्पित किया है।
विवरण:
- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अधीन सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) ने भारत की सबसे बड़ी बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) को सफलतापूर्वक परिचालित किया है, जो सौर ऊर्जा का उपयोग करके ऊर्जा का भंडारण करती है। यह छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में स्थापित है।
- यह सौर फोटोवोल्टिक (PV) संयंत्र के साथ 40 मेगावाट (मेगावाट)/120 मेगावाट BESS है, जिसकी स्थापित क्षमता 152.325 मेगावाट घंटा (मेगावाट) और प्रेषण क्षमता 100 मेगावाट AC (155.02 मेगावाट पीक DC) की है। इस बिजली की खरीदारी छत्तीसगढ़ करेगा।
- इस प्रकार यह हरित इलेक्ट्रॉनों का उपयोग करके राज्य में काफी अधिक ऊर्जा मांग की जरूरत को पूरा करने और इसके नवीकरणीय खरीद दायित्वों में भी अपना योगदान देगा। इस परियोजना को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 24 फरवरी, 2024 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राष्ट्र को समर्पित किया है।
- सौर पैनलों और बैटरी भंडारण का उपयोग करने वाली यह परियोजना नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन व उपयोग में एक बड़ी प्रगति का प्रतिनिधित्व करती है।
- यह परियोजना सूर्य के चमकने पर सौर ऊर्जा को एकत्रित करने के लिए बैटरी भंडारण का उपयोग करती है और इसके बाद राज्य में बिजली की मांग को पूरा करने के लिए शाम के समय बिजली की अधिक मांग की जरूरत के दौरान इसका उपयोग करती है।
- इस परियोजना के तहत बिफेशियल मॉड्यूल स्थापित किए हैं, जो जमीन से प्रकाश को परावर्तित करते हैं, इस प्रकार मोनोफेशियल मॉड्यूल की तुलना में यह अधिक बिजली उत्पादन करते हैं, जिससे बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए एक नया मानक स्थापित होता है।
- इस परियोजना का एक अनूठा पहलू पहले से अप्रयुक्त भूमि का रणनीतिक उपयोग है। छत्तीसगढ़ सरकार के ऊर्जा विभाग, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (CSPDCL) और SECI के बीच त्रिपक्षीय भूमि उपयोग अनुमति समझौते के माध्यम से राजनांदगांव जिले की डोंगरगढ़ और डोंगरगांव तहसील के 9 गांवों की 451 एकड़ बंजर भूमि का पुनरुद्धार किया गया है। इस तरह परियोजना के तहत पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए ऊर्जा परियोजना विकास के लिए एक स्थायी दृष्टिकोण अपनाया गया है।
- यह परियोजना मौजूदा पावर ग्रिड में निर्बाध एकीकरण की सुविधा प्रदान करके छत्तीसगढ़ राज्य पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (CSPTCL) के 220/132 किलोवोल्ट (KV) ठेलकाडीह सबस्टेशन को 132 किलो-वोल्ट (KV) डबल-सर्किट डबल-स्ट्रिंग ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से बिजली की कुशल पारेषण सुनिश्चित कर समग्र बिजली स्थिरता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करती है।
- इस परियोजना के चालू होने से हर साल कई टन कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन कम होने का अनुमान है। राज्य बिजली वितरण कंपनी (CSPDCL) के साथ SECI का दीर्घकालिक बिजली खरीद समझौता इस परियोजना की आर्थिक व्यवहार्यता और ऐसे नवीकरणीय ऊर्जा प्रयासों के लिए सहायता को रेखांकित करता है।
- इस परियोजना का निर्माण सौर ऊर्जा व हाइब्रिड प्रौद्योगिकी परियोजना में नवाचार के तहत विश्व बैंक और स्वच्छ प्रौद्योगिकी कोष से वित्त पोषण के साथ-साथ घरेलू ऋण एजेंसियों से प्राप्त वित्तपोषण के साथ किया गया है। इसके अलावा यह परियोजना को व्यावसायिक रूप से आकर्षक और व्यावहारिक बनाने, स्थायी वित्तीय व्यवस्था को परिचालित करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों को रेखांकित करता है।
- इस परियोजना से नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में दूरगामी सकारात्मक प्रभाव पड़ने और भारत व वैश्विक स्तर पर भूमि संसाधनों के जवाबहेद उपयोग को बढ़ावा मिलने की आशा है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- विमर्श 2023: कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए 5G हैकथॉन :
- दूरसंचार विभाग की SRI इकाई के दूरसंचार उत्कृष्टता केंद्र (TCOE) भारत ने पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (BPR&D), गृह मंत्रालय (MHA) के सहयोग से 5G हैकथॉन विमर्श 2023 का आयोजन किया।
- इस हैकथॉन का उद्देश्य महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान करना और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए नवीन समाधान तलाशना और उनके सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने का तरीका बताना और इस क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना है।
- 21 और 22 फरवरी 2024 को आयोजित स्क्रीनिंग के तीसरे और अंतिम चरण में 23 स्टार्टअप और संस्थानों में से 22 ने डीओटी-वित्त पोषित आईआईटी मद्रास 5G टेस्टबेड में यूज केस प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट (पीओसी) प्रस्तुत किया।
- यह प्रदर्शन सम्मानित जूरी सदस्यों की उपस्थिति में, भौतिक और आभासी दोनों तरह से हुए। इसके लिए प्रतिष्ठित जूरी सदस्यों को राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय, गोवा; केंद्रीय जासूस प्रशिक्षण संस्थान, जयपुर; आईआईटी पटना; भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (14सी); आईआईटी जोधपुर; आईआईटी दिल्ली; सुरक्षा आश्वासन, आईआईटीएम, मानक-अनुसंधान एवं विकास-नवाचार, टीएसडीएसआई में सदस्यता विकास और स्टार्ट-अप रणनीति, राष्ट्रीय साइबर अपराध अनुसंधान एवं नवाचार केन्द्र (एनसीआर एंड आईसी), भारतीय साइबर सुरक्षा संघ, बीपीआर एंड डी और डीओटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से शामिल किया गया था।
- जूरी ने स्वचालित ड्रोन के भौतिक प्रदर्शन, एआर/वीआर से संबंधित यूज केस, निगरानी एवं जांच, साक्ष्य संग्रह, आपातकालीन प्रतिक्रिया, इंटेलिजेंट ट्रैफिक प्रबंधन प्रणाली, 5G मेटाडेटा विश्लेषण, जियो फेंसिंग, एआई आधारित एफआईआर फाइलिंग आदि से संबंधित मामलों का मूल्यांकन किया।
- प्रदर्शनी के दौरान जो प्रभावशाली समाधान सामने आए उनमें ड्रोन आधारित निगरानी सुरक्षा, एआई के जरिए एफआईआर फाइलिंग, अपराध स्थल की जांच के लिए जियोफेंसिंग समाधान, अपराध स्थल के रिक्रिएशन के माध्यम से एआर आधारित प्रशिक्षण और पूर्वानुमानित व्यवस्था के लिए एआई आधारित डेटा एनालिटिक्स और डेटा प्रोसेसिंग ऐप आदि शामिल हैं।
- माखाबुचा समारोह का आयोजन सनमलुआंग मंडप में किया गया जहां भारत से लाए गए पवित्र अवशेष रखे गए हैं :
- थाईलैंड में बौद्धों के लिए पांच सबसे प्रतिष्ठित आयोजनों में से एक, पवित्र माखाबुचा (माघ पूजा) समारोह का आयोजन थाईलैंड के सम्मानित सोमदत और अन्य वरिष्ठ भिक्षुओं द्वारा भव्यतापूर्वक किया गया।
- यह समारोह उसी स्थान पर हुआ जहां भारत से लाए गए भगवान बुद्ध और उनके दो शिष्यों के पवित्र अवशेष रखे गए हैं। ये अवशेष थाईलैंड और बौद्ध धर्म की जड़ों के बीच गहरे आध्यात्मिक संबंध का प्रतीक हैं।
- माखाबुचा दिवस (माघ पूजा) भगवान बुद्ध द्वारा अपने शिष्यों को दी गई शिक्षाओं को चिह्नित करने वाला एक धार्मिक उत्सव है। माखाबुचा पारंपरिक चंद्र कैलेंडर के अनुसार तीसरे चंद्र माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
- माखा शब्द पाली भाषा में “माघ” शब्द से आया है और यह तीसरे चंद्र माह को संदर्भित करता है, जबकि बुचा का अनुवाद “पूजा करना” के रूप में किया जा सकता है, जो दोनों बौद्ध धर्मग्रंथों में प्रयुक्त पाली भाषा से लिए गए हैं। इसलिए, माखाबुचा शब्द तीसरे चंद्र माह पर पूजा करने के दिन को संदर्भित करता है।
- माखाबुचा, बौद्ध कैलेंडर का पहला महत्वपूर्ण धार्मिक त्यौहार, थाईलैंड, लाओस और कंबोडिया सहित ऐसे देशों में मनाया जाता है, जहां अधिकांश बौद्ध थेरवाद बौद्ध धर्म का अभ्यास करते हैं, जिसे “दक्षिण का बौद्ध धर्म” भी कहा जाता है।
- थाईलैंड में 26 दिवसीय प्रदर्शनी के लिए भारत से लाए गए पवित्र अवशेषों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए बड़ी संख्या में लोग मंडप में आते हैं।
- इसके अलावा, आज सैनामलुआंग मंडप में डॉ. सुपाचाई वीरफुचोंग द्वारा “बुद्ध के बाद से अब तक थाई भारत मित्रता” पर एक विशेष वार्ता भी आयोजित की गई।
- बिहार के राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने थाईलैंड के प्राचीन शहर अयुत्या का दौरा किया, जिसका नाम भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या के नाम पर रखा गया है :
- बिहार के राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने 24 फ़रवरी को थाईलैंड के प्राचीन शहर अयुत्या का दौरा किया, जिसका नाम भारत में भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या के नाम पर रखा गया है।
- 1350 में स्थापित अयुत्या का ऐतिहासिक शहर है जोसुखोथाई के बाद सियामी साम्राज्य की दूसरी राजधानी थी।
- यह 14वीं से 18वीं शताब्दी तक फला-फूला, इस दौरान यह दुनिया के सबसे बड़े और सबसे महानगरीय शहरी क्षेत्रों में से एक बन गया जो वैश्विक कूटनीति और वाणिज्य का केंद्र था।
- अयुत्या रणनीतिक रूप से शहर को समुद्र से जोड़ने वाली तीन नदियों से घिरे एक द्वीप पर स्थित था। इस स्थान को इसलिए चुना गया क्योंकि यह सियाम की खाड़ी के ज्वारीय क्षेत्र के ऊपर स्थित था, इससे अन्य देशों के समुद्री युद्धपोतों द्वारा शहर पर हमले को रोका जा सकता था। इस स्थान ने शहर को मौसमी बाढ़ से बचाने में भी मदद की।
- 1767 में बर्मी सेना ने शहर पर हमला किया और उसे तहस-नहस कर दिया। बर्मी सेना ने शहर को जला दिया और निवासियों को शहर छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। शहर का पुनर्निर्माण उसी स्थान पर कभी नहीं किया गया और यह आज भी एक व्यापक पुरातात्विक स्थल के रूप में जाना जाता है।
- कभी वैश्विक कूटनीति और वाणिज्य का महत्वपूर्ण केंद्र रहा अयुत्या अब पुरातात्विक महत्व का केन्द्र है, जिसकी विशेषता ऊंचे प्रांग (अवशेष टावर) और विशाल अनुपात के बौद्ध मठों के अवशेष हैं, जो शहर के अतीत के आकार और इसकी वास्तुकला भव्यता का अंदाजा देते हैं।
- भारतीय नौसेना के मिशन में तैनात युद्ध पोत ने संकट में फंसे एमवी आइलैंडर जहाजको महत्वपूर्ण विस्फोटक आयुध निपटान और चिकित्सा सहायता प्रदान की :
- पलाऊ देश के ध्वज वाहक एमवी आइलैंडर जहाज में 22 फरवरी 2024 को ड्रोन/मिसाइल द्वारा संभावित हमले के बाद आग लग गई थी।
- संकट में फंसे इसे पोत के सहायता आग्रह पर तेजी से कार्रवाई करते हुए 22 फरवरी 2024 की दोपहर में भारतीय नौसेना के विध्वंसक पोत इस जहाज के आसपास के क्षेत्र में पहुंचे। भारत के युद्धक पोत समुद्री सुरक्षा अभियानों के लिए अदन की खाड़ी में तैनात मिशन के रूप में कार्य करते हैं।
- भारतीय नौसेना के विस्फोटक आयुध निपटान विशेषज्ञ उस जहाज पर चढ़े और किसी भी अन्य जोखिम से बचाने के लिए इस पर सहायक गतिविधियां संचालित कीं। इसके बाद जहाज को आगे के बढ़ने के लिए आवश्यक सहायता भी दी गई।
- चिकित्सा सहायता देने के अनुरोध पर भारत का एक चिकित्सीय सहायता दल भी जहाज पर चढ़ गया और उसने चालक दल के एक घायल सदस्य को हरसंभव सहायता प्रदान की।
- इस तरह से भारतीय नौसेना के जहाजों के अथक प्रयास व्यापारिक जहाजरानी और नाविकों की सुरक्षा के प्रति भारतीय नौसेना की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।
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