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24 जुलाई 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. भारत और अर्जेंटीना जैव प्रौद्योगिकी और कृषि एवं स्टार्टअप्स के द्विपक्षीय आदान-प्रदान के लिए सहमत:
  2. पीएम-गतिशक्ति और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति पर पूर्वी क्षेत्रीय सम्मेलन:
  3. पीएम-डिवाइन योजना (PM-DevINE Scheme):
  4. पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा प्रदान किया गया:
  5. हाथ से बुने खादी के राष्ट्रीय झंडे:
  6. राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार:
  7. देश में 21 नए ग्रीनफील्ड हवाईअड्डे स्थापित करने को सैद्धांतिक मंजूरी:
  8. यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में भारत के 40 स्थल शामिल हैं:
  9. सरस्वती नदी का पुनरुद्धार:
  10. सरकार ने तीस महत्वपूर्ण खनिजों की सूची जारी की:

1. भारत और अर्जेंटीना जैव प्रौद्योगिकी और कृषि एवं स्टार्टअप्स के द्विपक्षीय आदान-प्रदान के लिए सहमत:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

मुख्य परीक्षा: भारत और अर्जेंटीना के बीच हुए हाल के समझौते पर चर्चा करते हुए, दोनों देशों के संबंधों की पृष्ठ्भूमि समझाइए।

प्रसंग:

  • भारत और अर्जेंटीना विशेष रूप से जैव प्रौद्योगिकी और कृषि के क्षेत्र में युवा शोधकर्ताओं और स्टार्टअप्स के द्विपक्षीय आदान-प्रदान के लिए सहमत हुए हैं।

उद्देश्य:

  • दोनों देशों ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शिक्षा जगत, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों और उद्योग के प्रतिनिधिमंडलों के बीच व्यापक वार्ता आयोजित करने का भी निर्णय लिया है ।

विवरण:

  • 7 फरवरी, 2023 को नई दिल्ली में अर्जेंटीना के साथ अपनी पिछली बैठक के दौरान ऊर्जा अंतरण और जैव प्रौद्योगिकी के अनुसंधान क्षेत्रों में संयुक्त प्रस्तावों के लिए एक नए भारत-अर्जेंटीना आह्वान के अंतर्गत कुल 82 संयुक्त प्रस्ताव प्राप्त हुए थे।
    • ये सभी मूल्यांकन प्रक्रिया के अंतर्गत हैंI
  • भारत ने भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी, क्वांटम गणना और जैव-एंजाइम्स के क्षेत्र में सहयोग करने में रुचि दिखाई।
    • भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप्स पारिस्थितिकी तंत्र है और संस्थागत, विश्वविद्यालय स्तर और बहुपक्षीय मंचों जैसे विभिन्न स्तरों पर संयुक्त अध्ययन और सहयोग की अत्यधिक संभावना है।
  • भारत और अर्जेंटीना के बीच तकनीकी और वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए 1985 में हस्ताक्षरित एक अंतर-सरकारी समझौता है।
    • इस कार्यक्रम का उद्देश्य वैज्ञानिक समुदायों के बीच संबंधों को सुदृढ़ और विस्तारित करना है, जिससे विभिन्न पक्षों द्वारा चयनित संयुक्त वैज्ञानिक और तकनीकी परियोजनाओं के ढांचे में भारतीय और अर्जेंटीना अनुसंधान समूहों के बीच परस्पर आदान- प्रदान संभव हो सके।
  • भारत अर्जेंटीना का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जिसका द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2022 में 6 अरब 40 करोड़ अमेरिकी डॉलर के ऐतिहासिक शिखर को छू रहा है और जिसमें 2021 की तुलना में 12 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की गई है।
    • इस अवधि में भारत से अर्जेंटीना को निर्यात 1 अरब 84 करोड़ अमेरिकी डॉलर (31 प्रतिशत वृद्धि दर) का था, जबकि अर्जेंटीना से भारत का आयात 4 अरब 55 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रहा था।
    • विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022 -23 के दौरान भारत-अर्जेंटीना द्विपक्षीय व्यापार 4 अरब 16 करोड़ अमेरिकी डॉलर था, जिसमें भारत का अर्जेंटीना को निर्यात 96 करोड़ 10 लाख अमेरिकी डॉलर और अर्जेंटीना का भारत को निर्यात 3 अरब 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर था।
  • अर्जेंटीना को भारत के निर्यात की प्रमुख वस्तुओं में पेट्रोलियम तेल, कृषि रसायन, यार्न-कपड़े से बने उत्पाद, कार्बनिक रसायन, थोक औषधियां और दोपहिया वाहन शामिल हैं।
    • अर्जेंटीना से भारत के आयात की प्रमुख वस्तुओं में वनस्पति तेल (सोयाबीन और सूरजमुखी), तैयार चमड़ा, अनाज, अवशिष्ट (रेजिडुअल) रसायन और संबद्ध उत्पाद एवं दालें शामिल हैं।
  • कई भारतीय कंपनियों ने 1 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के कुल निवेश के साथ अर्जेंटीना में अपने संयंत्र स्थापित किए हैं।
    • भारत में अर्जेंटीना का निवेश लगभग 12 करोड़ अमेरिकी डॉलर है।
    • भारत में कार्यरत अर्जेंटीना की कंपनियों में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवाओं में ग्लोबेंट और ओएलएक्स तथा विनिर्माण क्षेत्र में टेकइंट शामिल हैं।
  • रॉयल एनफील्ड की एक नई असेंबली लाइन का उद्घाटन अर्जेंटीना के राष्ट्रपति श्री अल्बर्टो फर्नांडीज द्वारा 9 सितंबर 2020 को ब्यूनस आयर्स प्रांत में एसआईएमपीए समूह की उत्पादन सुविधा में किया गया था।
    • रॉयल एनफील्ड के 119 वर्ष के इतिहास में यह पहली बार है कि उनकी मोटरसायकिलों (बाइक्स) का निर्माण उनके अपने संयंत्रों से अलग हटकर किया जाएगा।
  • फरवरी 2023 में ओवीएल (ओएनजीसी विदेश लिमिटेड) और वाईपीएफ (अर्जेंटीना तेल और ऊर्जा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी) के बीच तेल और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे;
    • फरवरी 2023 में ही हिंदुस्तान एयरोएरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और अर्जेंटीना की वायु सेना के बीच हेलीकाप्टरों के कल-पुर्जों की आपूर्ति और इंजनों के रखरखाव के लिए रक्षा क्षेत्र में पहले वाणिज्यिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए,
    • जून 2023 में एचएएल और एफएडीईए (एयरोनॉटिक्स में अर्जेंटीना की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी) के बीच सहयोग समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए।
  • एक द्विपक्षीय व्यापार कक्ष, भारत-अर्जेंटीना व्यापार परिषद (आईएबीसी), को औपचारिक रूप से 14 अक्टूबर 2020 कोशुरू किया गया था।
    • अर्जेंटीना में अग्रणी निवेशकों, निर्यातकों और आयातकों को शामिल करने वाले एक गैर-लाभकारी संगठन के रूप में संकल्पित यह परिषद, वर्तमान में 30 से अधिक कंपनियों से बनी है।
    • आईएबीसी ने भारत के मिशन के साथ मिलकर 25 मार्च 2021 को पहला व्यापार मंच (बिजनेस फोरम) आयोजित किया था।
  • अर्जेंटीना में इस समय लगभग 2,600 (एनआरआई) / भारतवंशी (पीआईओ) हैं।
    • अधिकतर अप्रवासी भारतीय (एनआरआई) अर्जेंटीना में ही रहते हैं और इनमें से भी अधिकांश राजधानी ब्यूनस आयर्स में रहते हैं, जिनमें भारतीय कंपनियों और बहुराष्ट्रीय निगमों के साथ काम करने वाले विशेषज्ञ भी शामिल हैं।

2. पीएम-गतिशक्ति और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति पर पूर्वी क्षेत्रीय सम्मेलन:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन तथा इनके अभिकल्पन से उत्पन्न होने वाले विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: पीएम-गतिशक्ति, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति।

मुख्य परीक्षा: पीएम-गतिशक्ति, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति के महत्व को समझाइये।

प्रसंग:

  • पीएम-गतिशक्ति और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति पर पूर्वी क्षेत्रीय सम्मेलन 16.02.2023 को भुवनेश्वर में आयोजित किया गया था।

उद्देश्य:

  • इसका लक्ष्य ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार राज्यों पर जोर देते हुए लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचे की एकीकृत योजना और समन्वित विकास के लिए विभिन्न मंत्रालयों, राज्यों, विभागों और उद्योगों को एक साथ लाना है।
  • इसका उद्देश्य लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार करना और लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना है।

विवरण:

  • पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान पोर्टल लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए देश में बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी परियोजनाओं की एकीकृत योजना और समन्वित कार्यान्वयन के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है।
  • इसमें ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार राज्यों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एकीकृत योजना शामिल है।

पृष्ठ्भूमि:

  • पीएम गति शक्ति मिशन 100 लाख करोड़ की योजना है।
    • इसके जरिए बुनियादी ढांचा क्षेत्र को और मजबूत किये जाने का प्लान है।
    • राष्ट्रीय मास्टर प्लान (एनआईपी) में सड़क, रेल, हवाई अड्डा, बंदरगाह, सार्वजनिक परिवहन, जलमार्ग और लॉजिस्टिक ढांचे को सात इंजन कहा गया है।
    • लॉजिस्टिक कॉस्ट कम करने के लिए ये योजना लाई गई है।

3. पीएम-डिवाइन योजना (PM-DevINE Scheme):

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन तथा इनके अभिकल्पन से उत्पन्न होने वाले विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: प्रधान मंत्री विकास पहल (पीएम-डिवाइन) योजना।

मुख्य परीक्षा: उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास में प्रधान मंत्री विकास पहल (पीएम-डिवाइन) योजना की भूमिका पर प्रकाश डालिये।

प्रसंग:

  • उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए प्रधान मंत्री विकास पहल (पीएम-डिवाइन) को केंद्रीय बजट 2022-23 में सात परियोजनाओं की प्रारंभिक सूची और 1500 करोड़ रूपए के प्रारंभिक आवंटन के साथ 100% केंद्रीय वित्त पोषण के साथ एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में घोषित किया गया था।

विवरण:

  • 12 अक्टूबर, 2022 को PM-DevINE योजना को कैबिनेट की मंजूरी दी गई थी।
  • इस योजना का परिव्यय 2022-23 से 2025-26 तक की 4 वर्ष की अवधि (15वें वित्त आयोग की अवधि के शेष वर्ष) के लिए 6,600 करोड़ रुपये है।
  • पीएम-डिवाइन योजना के उद्देश्य:

(i) पीएम गतिशक्ति की भावना के अनुरूप बुनियादी ढांचे को वित्त पोषित करना;

(ii) एनईआर की महसूस की गई जरूरतों के आधार पर सामाजिक विकास परियोजनाओं का समर्थन करना;

(iii) युवाओं और महिलाओं के लिए आजीविका गतिविधियों को सक्षम बनाना; और

(iv) विभिन्न क्षेत्रों में विकास संबंधी अंतरालों को भरना।

  • योजना के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, बजट 2022-23 में घोषित सात परियोजनाओं सहित 1503.44 करोड़ रुपये की ग्यारह परियोजनाओं को वित्त वर्ष 2022-23 में मंजूरी के लिए चुना गया है और 121.10 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई है।
  • पीएम-डेवाइन योजना परियोजनाओं के लिए परिभाषित समय सीमा मंजूरी के लिए 2023-24 और पूरा होने के लिए 2025-26 है।

4. पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा प्रदान किया गया:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन तथा इनके अभिकल्पन से उत्पन्न होने वाले विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना।

मुख्य परीक्षा: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना से पूर्वी राजस्थान के किसानो को मिलने वाले लाभों को बताइये।

प्रसंग:

  • पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) में कालीसिंध, पार्वती, मेज और चाकन उप-बेसिनों में उपलब्ध अधिशेष मानसून जल का उपयोग करके और इसे पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को पीने और औद्योगिक पानी उपलब्ध कराने के लिए बनास, गंभीरी, बाणगंगा और पारबती के पानी की कमी वाले उप-बेसिनों में मोड़कर चंबल बेसिन के भीतर पानी के अंतर-बेसिन हस्तांतरण की परिकल्पना की गई है।

उद्देश्य:

  • इस परियोजना में लगभग 2.82 लाख हेक्टेयर क्षेत्र (2,02,498 हेक्टेयर का नया कृषि योग्य कमांड क्षेत्र और 80,000 हेक्टेयर में सिंचाई का स्थिरीकरण) में सिंचाई की भी परिकल्पना की गई है।

विवरण:

  • भारत सरकार की राष्ट्रीय परियोजना योजना के तहत वित्त पोषण के लिए एक परियोजना को शामिल करने के लिए, इसका पहले केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा मूल्यांकन किया जाता है, और इसे मंत्रालय की सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और बहुउद्देशीय परियोजनाओं पर सलाहकार समिति द्वारा स्वीकार किया जाता है।
  • इसके बाद, राज्य सरकार द्वारा निवेश मंजूरी प्राप्त की जाती है।
  • इसके बाद, परियोजना पर उच्चाधिकार प्राप्त संचालन समिति (एचपीएससी) द्वारा विचार किया जाता है ताकि यह जांच की जा सके कि परियोजना राष्ट्रीय परियोजना योजना के लिए निर्धारित मानदंडों को पूरा करती है या नहीं।
  • एचपीएससी द्वारा अनुशंसा किए जाने पर और धन आदि की उपलब्धता के अनुसार, भारत सरकार किसी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना योजना के तहत शामिल करने की मंजूरी दे सकती है।
  • पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) राजस्थान सरकार द्वारा तकनीकी-आर्थिक मूल्यांकन के लिए नवंबर, 2017 में सीडब्ल्यूसी को प्रस्तुत की गई थी।
  • हालाँकि, परियोजना का मूल्यांकन आगे नहीं बढ़ सका क्योंकि परियोजना 75% निर्भरता के स्थापित मानदंड के मुकाबले 50% भरोसेमंद उपज पर योजनाबद्ध है।
  • इस प्रकार, ईआरसीपी इस मंत्रालय की राष्ट्रीय परियोजना योजना के तहत शामिल करने के लिए निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करता है।
  • हालाँकि,नदियों को जोड़ने के लिए विशेष समिति ने दिसंबर, 2022 में राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के एक हिस्से के रूप में ईआरसीपी के साथ एकीकृत संशोधित पारबती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) लिंक परियोजना पर विचार करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और परियोजना के चरण- I को प्राथमिकता वाली इंटरलिंकिंग परियोजना के रूप में घोषित किया है।
  • संशोधित पीकेसी लिंक परियोजना की एक मसौदा पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट और लिंक परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए एक मसौदा समझौता ज्ञापन जनवरी, 2023 में दोनों राज्यों और केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) को भेजा गया था।
  • फरवरी, 2023 में राज्यों के साथ एक संयुक्त बैठक आयोजित की गई थी और बैठक के दौरान संशोधित पीकेसी लिंक की डीपीआर तैयार करने का काम शुरू करने की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया गया है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. हाथ से बुने खादी के राष्ट्रीय झंडे:
    • गृह मंत्रालय ने 30.12.2021 से भारतीय झंडा संहिता, 2002 में संशोधन किया है, जिसके तहत “भारत का राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते गए और हाथ से बुने या मशीन से बने, कपास / पॉलिएस्टर / ऊन / रेशम / खादी बंटिंग से बना होगा।”
    • इसके अलावा, आधिकारिक प्रदर्शन के लिए सभी अवसरों पर, झंडा केवल भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा निर्धारित विनिर्देशों के अनुरूप होगा और उनके मानक चिह्न वाले ध्वज का उपयोग किया जाएगा।
    • 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से फहराया जाने वाला राष्ट्रीय ध्वज आयुध वस्त्र फैक्टरी, शाहजहांपुर द्वारा निर्मित एक रेशमी झंडा है, जो झंडा संहिता के अनुरूप है।
    • सार्वजनिक/सरकारी विभागों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारतीय मानक-I (आईएस-I) राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण के लिए बीआईएस लाइसेंस रखने वाले कुल 4 खादी संस्थान हैं।
    • आईएस-I राष्ट्रीय ध्वज बनाने वाली खादी संस्थाओं के नाम इस प्रकार हैं:
      • कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ फेडरेशन, हुबली, कर्नाटक
      • मध्य भारत खादी संघ, ग्वालियर, मध्य प्रदेश
      • खादी डायर्स एंड प्रिंटर्स, बोरीवली, महाराष्ट्र
      • धारवाड़ तालुक गरग क्षेत्रीय सेवा संघ, कर्नाटक
  2. राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार:
    • राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 24 जुलाई, 2023 को राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार-2022 प्रदान किए।
      • राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार की शुरुआत भारत सरकार के खान मंत्रालय द्वारा भूविज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियों और उत्कृष्ट योगदान के लिए व्यक्तियों और टीमों को सम्मानित करने के उद्देश्य से की गई है।
    • भूविज्ञान का क्षेत्र बहुत व्यापक है।
      • इसमें भूस्खलन, भूकंप, बाढ़ और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं का अध्ययन भी शामिल है।
      • इन विषयों को पब्लिक गुड जियोसाइंस कहा जाता है क्योंकि ये बड़ी संख्या में लोगों की सुरक्षा में उपयोगी होते हैं।
    • खनन अर्थव्यवस्था का प्राथमिक क्षेत्र है।
      • देश के आर्थिक विकास में खनिज विकास का महत्वपूर्ण योगदान है।
      • पिछले कुछ वर्षों के दौरान सरकार द्वारा खनन क्षेत्र में कई प्रगतिशील परिवर्तन लाये गये हैं।
      • ये बदलाव खनन क्षेत्र की क्षमता और उत्पादकता को बढ़ा रहे हैं।
    • राष्ट्रपति ने कहा कि रेयर अर्थ एलिमेंट्स, प्लैटिनम ग्रुप ऑफ एलिमेंट्स और सेमीकंडक्टिंग एलिमेंट्स जैसे खनिजों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
      • पर्यावरण संरक्षण की प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए कुछ पारंपरिक खनिजों के खनन और उनके परिणामों का नये दृष्टिकोण से विश्लेषण किया जा रहा है।
  3. देश में 21 नए ग्रीनफील्ड हवाईअड्डे स्थापित करने को सैद्धांतिक मंजूरी:
    • भारत सरकार ने देश भर में 21 नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों की स्थापना के लिए ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दे दी है, 11 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे पहले ही चालू हो चुके हैं।
    • इनके नाम इस प्रकार हैं-
      • गोवा में मोपा, महाराष्ट्र में नवी मुंबई, शिरडी और सिंधुदुर्ग, कर्नाटक में कलबुर्गी, विजयपुरा, हासन और शिवमोग्गा, मध्य प्रदेश में डबरा (ग्वालियर), उत्तर प्रदेश में कुशीनगर और नोएडा (जेवर), गुजरात में ढोलेरा और हीरासर, पुडुचेरी में कराईकल, आंध्रप्रदेश में दगदर्थी, भोगापुरम और ओरवाकल (कुर्नूल), पश्चिम बंगाल में दुर्गापुर, सिक्किम में पाक्योंग, केरल में कन्नूर और अरुणाचल प्रदेश में होलोंगी (ईटानगर)।
    • इनमें से 11 ग्रीनफ़ील्ड हवाई अड्डे -दुर्गापुर, शिरडी, कन्नूर, पाक्योंग, कलबुर्गी, ओरवाकल (कुर्नूल), सिंधुदुर्ग, कुशीनगर, ईटानगर, मोपा और शिवमोग्गा को चालू कर दिया गया है।
    • तमिलनाडु राज्य सरकार ने तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले के पारंदूर में ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के विकास के लिए पहले चरण की मंजूरी यानी ‘साइट-क्लीयरेंस’ देने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय (एमओसीए) को एक आवेदन प्रस्तुत किया है।
    • जीएफए नीति, 2008 के अनुसार, परियोजना के वित्तपोषण, भूमि अधिग्रहण, आर एंड आर आदि सहित हवाईअड्डा परियोजनाओं के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकार (यदि राज्य सरकार परियोजना प्रस्तावक है) सहित संबंधित हवाईअड्डा डेवलपर की है।
    • हवाईअड्डों के निर्माण की समय-सीमा संबंधित हवाईअड्डा डेवलपर्स द्वारा भूमि अधिग्रहण, अनिवार्य मंजूरी, बाधाओं को दूर करना, वित्तीय समापन आदि जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है।
  4. यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में भारत के 40 स्थल शामिल हैं:
    • वर्तमान में, भारत में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में 40 साइटें और यूनेस्को की अस्थायी सूची में 52 साइटें (वर्ष 2022 में जोड़े गए 6 सहित) हैं।
    • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) राष्ट्रीय संरक्षण नीति, 2014 के अनुसार केंद्रीय संरक्षित स्मारकों के संरक्षण के लिए अपने स्वयं के दिशानिर्देशों का पालन करता है।
    • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकार क्षेत्र में 3696 केंद्रीय संरक्षित स्मारक/स्थल हैं।
    • संसाधनों की आवश्यकता और उपलब्धता के अनुसार स्मारकों/स्थलों का संरक्षण किया जाता है।
    • किसी भी संपत्ति को संभावित सूची में शामिल करना विश्व धरोहर सूची में आगे शामिल करने के लिए एक पूर्व शर्त है।
    • अस्थायी सूची का विस्तार एक सतत प्रक्रिया है।
      • यूनेस्को परिचालन दिशानिर्देश, 2021 के अनुसार, सालाना केवल एक संपत्ति, सांस्कृतिक या प्राकृतिक, को शिलालेख प्रक्रिया के लिए नामांकित किया जा सकता है।
      • इसके अतिरिक्त, किसी भी साइट को शामिल करने के लिए मानदंड की पूर्ति, प्रामाणिकता और अखंडता की शर्त को पूरा करना और उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य का औचित्य प्रदान करना आवश्यक है।
  5. सरस्वती नदी का पुनरुद्धार:
    • हरियाणा सरकार ने वर्ष 2017 में, हरियाणा सरकार ने कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरूक्षेत्र में सरस्वती नदी पर अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence for Research on the Sarasvati River (CERSR)) की स्थापना की है।
    • CERSR का मिशन भू-वैज्ञानिक रूप से पेलियोचैनलों की विशेषता बताना और भारतीय उपमहाद्वीप की पवित्र सरस्वती नदी प्रणाली द्वारा पोषित संस्कृति और सभ्यता की प्राचीनता को प्रमाणित करना है।
    • प्रारंभ में CERSR को 20 लाख की राशि स्वीकृत की गई थी। वर्तमान में, CERSR को 50 लाख की वार्षिक अनुदान सहायता प्रदान की जा रही है।
    • बोर्ड का मिशन ‘सरस्वती बहती रहे’ मिशन के साथ सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करना और सरस्वती नदी के मार्ग पर अपनी विरासतों को पुनर्जीवित करना, सरस्वती विरासत की समृद्धि और महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना, पर्यटन, सांस्कृतिक गलियारा विकसित करना, जल निकायों का निर्माण/विकास करना और अनुसंधान दस्तावेजों का समर्थन करना, शोध पत्रों को संकलित करना, सरस्वती नदी और पुरापाषाण चैनल पर इसकी विरासतों से संबंधित पत्रिकाओं के प्रकाशन, मोनोग्राफ और रिपोर्ट आदि का संकलन करना है।
    • सरस्वती विरासत विकास बोर्ड जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए निम्नलिखित विशिष्ट गतिविधियाँ चलाता है:
      • बोर्ड हर साल बसंत पंचमी की पूर्व संध्या पर सरस्वती महोत्सव मनाता है;
      • बोर्ड हर साल प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और सेमिनार आयोजित करता है; और
      • दसवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में सरस्वती सिंधु सभ्यता पर एक अध्याय शामिल किया गया है।
  6. सरकार ने तीस महत्वपूर्ण खनिजों की सूची जारी की:
    • सरकार ने भारत के लिए 30 महत्वपूर्ण खनिजों की एक सूची जारी की है।
    • खान मंत्रालय ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और अन्य एजेंसियों के माध्यम से देश में इन खनिजों की खोज पर ध्यान केंद्रित किया है।
      • ये खनिज हैं-एंटीमनी, बेरिलियम, बिस्मथ, कोबाल्ट, कॉपर, गैलियम, जर्मेनियम, ग्रेफाइट, हेफ़नियम, इंडियम, लिथियम, मोलिब्डेनम, नाइओबियम, निकेल, पीजीई, फॉस्फोरस, पोटाश, आरईई, रेनियम, सिलिकॉन, स्ट्रोंटियम, टैंटलम, टेल्यूरियम, टिन, टाइटेनियम, टंगस्टन, वैनेडियम, ज़िरकोनियम, सेलेनियम और कैडमियम।
    • भारत में महत्वपूर्ण खनिजों पर पिछले 3 वर्षों में GSI द्वारा शुरू की गई अन्वेषण परियोजनाओं का विवरण इस प्रकार है:
      • खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) नामक एक संयुक्त उद्यम कंपनी को तीन केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड, हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड और मिनरल एक्सप्लोरेशन कंपनी लिमिटेड के इक्विटी योगदान के साथ शामिल किया गया है, जिसका उद्देश्य लिथियम, कोबाल्ट और अन्य जैसे महत्वपूर्ण और रणनीतिक प्रकृति की विदेशी खनिज संपत्तियों की पहचान करना और अधिग्रहण करना है ताकि आपूर्ति पक्ष आश्वासन सुनिश्चित किया जा सके।
    • KABIL ने महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिज संपत्ति हासिल करने के लिए अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों के साथ अनुबंध किया है।

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