विषयसूची:
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1. इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023:
सामान्य अध्ययन: 2
सामाजिक न्याय:
विषय: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन ,इन अति संवेदन शील वर्गों की रक्षा एवं बहतरी के लिए गठित तंत्र,विधि ,संस्थान एवं निकाय।
प्रारंभिक परीक्षा: इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023 , यूएनएफपीए (संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष),इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज (आईआईपीएस)।
मुख्य परीक्षा: इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023 के महत्व पर प्रकाश डालिये।
प्रसंग:
- UNFPA (संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष) भारत ने इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज (IIPS) के सहयोग से बहुप्रतीक्षित “इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023” प्रस्तुत किया हैं।
उद्देश्य:
- यह रिपोर्ट भारत में बुजुर्गों की देखभाल से जुड़ी चुनौतियों, अवसरों और संस्थागत प्रतिक्रियाओं पर प्रकाश डालती है, क्योंकि भारत जनसांख्यिकीय बदलाव की ओर बढ़ रहा है, भारत में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है।
विवरण:
- रिपोर्ट संयुक्त रूप से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सचिव और UNFPA की भारत प्रतिनिधि और कंट्री डायरेक्ट भूटान सुश्री एंड्रिया एम. वोज्नार द्वारा जारी की गई।
- इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023 भारत में वृद्ध व्यक्तियों की जीवन स्थिति और कल्याण की गहन समीक्षा करती है।
- यह भारत में लॉन्गिट्यूडिनल एजिंग सर्वे (एलएएसआई), 2017-18, भारत की जनगणना, भारत सरकार द्वारा जनसंख्या अनुमान (2011-2036) तथा संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और विश्व जनसंख्या संभावना 2022 से उपलब्ध नवीनतम डेटा का लाभ उठाता है ताकि एक अद्यतन परिप्रेक्ष्य प्रदान किया जा सके।
- जैसे-जैसे भारत की उम्र बढ़ रही है यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि हमारी बुजुर्ग आबादी को स्वस्थ, सम्मानजनक और पूर्ण जीवन जीने के लिए आवश्यक देखभाल और सहायता मिले।
- “इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023 इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक मूल्यवान रोडमैप प्रदान करती है ।
- यह व्यापक रिपोर्ट विद्वानों, नीति निर्माताओं, कार्यक्रम प्रबंधकों और बुजुर्गों की देखभाल में शामिल सभी हितधारकों के लिए एक मूल्यवान संसाधन है।
- वृद्ध व्यक्तियों ने समाज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और वे अपनी भलाई सुनिश्चित करने के लिए हमारे सर्वोत्तम प्रयासों से कम के पात्र नहीं हैं।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्षों में बुजुर्गों की भलाई से संबंधित सहित विभिन्न विश्लेषण सहित निम्न बातें शामिल हैं :
- वरिष्ठ नागरिकों की विशिष्ट स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वृद्धावस्था देखभाल में वृद्धि।
- बुजुर्ग आबादी के स्वास्थ्य, वित्तीय सशक्तिकरण और क्षमता निर्माण की आवश्यकताओं को पूरी करने वाली अनेक सरकारी योजनाएं और नीतियां।
- समुदाय-आधारित संगठन कंप्यूटर और इंटरनेट उपयोग सत्रों के माध्यम से डिजिटल सशक्तिकरण में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं।
- बुजुर्गों के कल्याण के लिए नीतियों को आकार देने के लिए समर्पित मंत्रिस्तरीय समितियाँ।
- आनंदपूर्ण उम्र बढ़ने, सामाजिक सहायता, वृद्धाश्रम और बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार के बारे में जागरूकता अभियान के लिए कॉर्पोरेट प्रयास।
2. पर्यटन मंत्रालय ने ‘ट्रैवल फॉर लाइफ’ के वैश्विक शुभारम्भ का आयोजन किया:
सामान्य अध्ययन: 2,3
शासन,आर्थिक विकास:
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।समावेशी विकास एवं इससे उत्पन्न विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: ट्रैवल फॉर लाइफ कार्यक्रम, मिशन लाइफ कार्यक्रम,संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ।
मुख्य परीक्षा: मिशन लाइफ के तहत पर्यटन क्षेत्र की ओर लक्षित एक क्षेत्रीय कार्यक्रम ‘ट्रैवल फॉर लाइफ’ का वैश्विक शुभारम्भ किस प्रकार समावेशी विकास को प्रोहत्साहित करता हैं। टिप्पणी कीजिए।
प्रसंग:
- केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने विश्व पर्यटन दिवस 2023 के अवसर पर नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MOEFCC), संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO), और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के साथ साझेदारी में, मिशन लाइफ के तहत पर्यटन क्षेत्र की ओर लक्षित एक क्षेत्रीय कार्यक्रम ‘ट्रैवल फॉर लाइफ’ का वैश्विक शुभारम्भ का आयोजन किया।
उद्देश्य:
- ‘ट्रैवल फॉर लाइफ’ कार्यक्रम पर्यटकों को भ्रमण के दौरान सरल कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करेगा जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण, जैव विविधता, स्थानीय अर्थव्यवस्था में सुधार और स्थानीय समुदायों की सामाजिक-सांस्कृतिक अखंडता का संरक्षण होगा।
- इसका उद्देश्य पर्यटन मूल्य श्रृंखला में हितधारकों द्वारा संसाधनों का सावधानीपूर्वक और सोच-समझ के साथ उपयोग करना है।
विवरण:
- इस कार्यक्रम में ट्रैवल फॉर लाइफ कार्यक्रम का दो अलग-अलग क्षेत्रों के लिए शुभारम्भ हुआ।
- पहला स्वच्छता के लिए ट्रैवल फॉर लाइफ जो स्वच्छता अभियान के साथ पर्यटक स्थलों और स्मारकों की सफ़ाई के लिए एक राष्ट्रीय टीएफएल अभियान है,
- दूसरा ग्रामीण पर्यटन के लिए ट्रैवल फ़ॉर लाइफ जो पर्यटकों को ग्रामीण और कम-ज्ञात पर्यटक स्थलों का भ्रमण करने के लिए प्रोत्साहित करेगा जिससे स्थायी ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और इससे ग्रामीण समुदाय सशक्त होगा।
- ‘ट्रैवल फॉर लाइफ’ कार्यक्रम की गतिविधियां टिकाऊ आर्थिक विकास को बढ़ावा देती हैं, टिकाऊ उपभोग और उत्पादन को प्रोत्साहित करती हैं और इस तरह बेहतर कार्य और आर्थिक विकास पर केंद्रित (एसडीजी 8), टिकाऊ शहरों और समुदायों (एसडीजी 11), जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन (एसडीजी 12),जलवायु कार्रवाई (एसडीजी 13) और पानी के नीचे जीवन (एसडीजी 14) पर केंद्रित एसडीजी में योगदान देती हैं।
- कार्रवाइयों की विस्तृत श्रृंखला को देखते हुए, ‘ट्रैवल फॉर लाइफ’ लगभग सभी एसडीजी में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देता है।
- गोवा रोडमैप की प्रमुख प्राथमिकताओं के अनुरूप, इस कार्यक्रम के दौरान केस स्टडीज और सर्वोत्तम प्रथाओं के लिए ‘टूरिज्म फॉर टुमॉरो’ नामक एक राष्ट्रीय ट्रैवल फॉर लाइफ प्रतियोगिता भी शुरू की गई थी।
- नई दिल्ली के भारत मंडपम में ट्रैवल फॉर लाइफ के वैश्विक लॉन्च में वर्चुअल तरीके से अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, जी-20 सदस्य देशों के प्रतिभागियों, उद्योग और राज्य सरकारों ने भाग लिया।
- ‘टूरिज्म फॉर टुमॉरो’ प्रतियोगिता पर्यटन के लिए जी-20 गोवा रोडमैप की पांच प्रमुख प्राथमिकताओं पर आधारित है, जो हरित पर्यटन, डिजिटलीकरण, कौशल, पर्यटन एमएसएमई और गंतव्य प्रबंधन हैं।
- भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के तहत NCHMCT (नेशनल काउंसिल फॉर होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग टेक्नोलॉजी) से संबद्ध होटल प्रबंधन संस्थानों के लिए खाद्य कटलरी के क्षेत्र में अभिनव समाधान विकसित करने के लिए एक डिजाइन चुनौती प्रतियोगिता की योजना बनाई गई है।
- स्वच्छता अभियान गतिविधियों के अनुरूप, स्वच्छता अभियान के शुभारंभ के लिए चिन्हित 108 पर्यटक स्थलों पर पर्यटन मंत्रालय ने बड़े पैमाने पर स्वच्छता अभियान की योजना बनाई है।
- यह अभियान इन 108 स्थलों के साथ-साथ अन्य पर्यटक महत्व के स्थानों पर भी चलाया जाएगा।
- पूरे अभियान का उद्देश्य कूड़े की सफाई, स्वच्छता सुनिश्चित करना और एकल उपयोग प्लास्टिक (एसयूपी) पर प्रतिबंध लगाना और पर्यावरण के अनुकूल पदार्थों के उपयोग को बढ़ावा देना है।
- इस अधियान को सफल बनाने के लिए, स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों और युवा पर्यटन क्लब (वाईटीसी) के सदस्यों को भी शामिल किया गया है।
- इस अवसर पर पर्यटन के माध्यम से ग्रामीणों की सांस्कृतिक विरासत और सतत विकास को बढ़ावा देने और संरक्षण के लिए सर्वश्रेष्ठ ग्रामीण पर्यटन ग्राम पुरस्कार प्रदान किए गए।
- 35 ग्रामीण पर्यटन गांवों में से 5 को स्वर्ण, 10 को रजत और 20 गांवों को कांस्य श्रेणी में पुरस्कृत किया गया।
पृष्ठ्भूमि:
- ट्रैवल फॉर लाइफ कार्यक्रम मिशन लाइफ का एक हिस्सा है जो हमारी धरती को टिकाऊ बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है।
- मिशन लाइफ का उद्देश्य टिकाऊ जीवन शैली अपनाना है,जिसका अर्थ है संसाधनों का सोच-समझकर उपयोग करना।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण देश भर के पंद्रह भू-विरासत स्थलों पर स्वच्छता अभियान का आयोजन करेगा:
- भारत सरकार की एक पहल के अंतर्गत विशेष अभियान 3.0 के भाग के रूप में खान मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्यरत भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने देश भर के पंद्रह भू-विरासत स्थलों पर स्वच्छता अभियान आयोजित करने की योजना बनाई है।
- इस अभियान के दौरान स्वच्छता गतिविधियों को बढ़ावा देने, लंबित मामलों को न्यूनतम करने, स्वच्छता को संस्थागत पहल बनाने, आंतरिक निगरानी तंत्र को सशक्त करने, सरकारी कार्यालयों में बेहतर तरीके से अभिलेख प्रबंधन रखने और दस्तावेजों वाले रिकॉर्ड को डिजिटल बनाने जैसे प्रमुख कार्यों को पूरा किया जाने का लक्ष्य रखा गया है।
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने इस अवधि के दौरान स्वच्छता अभियान आयोजित करने के लिए कुल पंद्रह भू-विरासत स्थलों की पहचान की है, जिसकी शुरुआत 2 अक्टूबर 2023 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में निघोज-प्राकृतिक गड्ढों वाले भू-विरासत स्थल से हो रही है।
भू-विरासत स्थलों के बारे में जानकारी:
- भारत की प्रचुर विरासत में न केवल भारतीय इतिहास, संस्कृति व परंपराओं में निहित लुभावनी आकर्षक एवं विविध स्थापत्य शैली शामिल हैं, बल्कि मंत्रमुग्ध करने वाले और रमणीय भूवैज्ञानिक स्मारक तथा परिदृश्य भी शामिल हैं।
- प्रकृति की इन भव्य रचनाओं को सतह के साथ-साथ धरती के गहरे हिस्से में चल रही विभिन्न भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं का चित्रण माना जाता है।
- इन अद्वितीय भूवैज्ञानिक एवं भू-रूपात्मक विशेषताओं को भू-विरासत स्थलों के रूप में नामित किया गया है और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण कार्यों तथा अनुसंधान के क्षेत्र में एक अग्रणी संगठन है।
- इसे भावी पीढ़ियों के लिए इन स्थलों को संरक्षित करने के अपने प्रयासों पर गर्व है।
- भूवैज्ञानिक विरासत स्थलों को प्राकृतिक क्षरण या मानवजनित हस्तक्षेप से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए जियोपार्क तथा स्मारकों के रूप में घोषित क्षेत्रों में भू-पर्यटन के माध्यम से भूवैज्ञानिक विरासत स्थलों को लोकप्रिय बनाने का कार्य लंबे समय से दुनिया भर में किया जा रहा है।
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण देश में असाधारण भूवैज्ञानिक महत्व या शानदार भू-आकृति रखने वाले स्थलों की पहचान करने और उनके संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कार्य करता है।
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने अब तक कुल 92 ऐसे भू-विरासत स्थलों की पहचान की है और इनमें से कुछ को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों के रूप में भी मान्यता प्राप्त हो चुकी है।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के बारे में जानकारी:
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) की स्थापना वर्ष 1851 में मुख्य रूप से रेलवे के लिए कोयला भंडार खोजने के उद्देश्य से की गई थी।
- पिछले कुछ वर्षों में, जीएसआई न केवल देश में विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक भू-विज्ञान जानकारी के केंद्र के रूप में विकसित हुआ है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय ख्याति के भू-वैज्ञानिक संगठन का दर्जा भी प्राप्त कर चुका है।
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण का मुख्य कार्य राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक सूचनाओं एवं खनिज संसाधन मूल्यांकन और अद्यतन करना है।
- इन सभी उद्देश्यों को जमीनी सर्वेक्षण, हवाई एवं समुद्री सर्वेक्षण, खनिज पूर्वेक्षण व जांच, बहु-विषयक भूवैज्ञानिक, भू-तकनीकी, भू-पर्यावरणीय तथा प्राकृतिक खतरों के अध्ययन के साथ-साथ ग्लेशियोलॉजिकल, सीस्मो-टेक्टोनिक और मौलिक भूविज्ञान की अन्य शाखाओं के माध्यम से पूरा किया जाता है।
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की दीर्घकालिक प्राथमिकता वस्तुनिष्ठ, निष्पक्ष एवं अद्यतित भूवैज्ञानिक विशेषज्ञता और सभी प्रकार की भूवैज्ञानिक जानकारी प्रदान करना है, जो देश की वाणिज्यिक तथा सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताओं पर नीतिगत निर्णय लेने में सहायता करती है।
- यह संगठन नवीनतम और सबसे अधिक लागत प्रभावी तकनीकों एवं पद्धतियों का उपयोग करके भूवैज्ञानिक, भूभौतिकीय तथा भू-रासायनिक सर्वेक्षणों के माध्यम से कार्य करता है।
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण वर्तमान में इन संसाधनों को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण और सामरिक महत्त्व के खनिजों की जांच तथा भूस्खलन पर प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली स्थापित करने पर जोर देता है।
- सर्वेक्षण और मानचित्रण के कार्य में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की मुख्य क्षमता स्थानिक डेटाबेस (रिमोट सेंसिंग के माध्यम से प्राप्त डेटाबेस सहित) ककी अभिवृद्धि, प्रबंधन, समन्वय एवं उपयोग के माध्यम से लगातार बढ़ाई जाती है।
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु एक ‘भंडार’ के रूप में कार्य करता है और भू-सूचना विज्ञान क्षेत्र में अन्य हितधारकों के साथ सहयोग के माध्यम से भूवैज्ञानिक सूचना तथा स्थानिक डेटा के प्रसार के लिए नवीनतम तकनीकों का इस्तेमाल करता है।
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण का मुख्यालय कोलकाता में है और इसके छह क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ, जयपुर, नागपुर, हैदराबाद, शिलांग तथा कोलकाता में स्थित हैं।
- इसके राज्य इकाई कार्यालय देश के लगभग सभी राज्यों में कार्यरत हैं।
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण खान मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करता है।
2. सरकारी कर्मचारियों के लिए क्षमता निर्माण योजना (CBP) का शुभारंभ:
- डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग मुख्यालय में सरकारी कर्मचारियों के लिए क्षमता निर्माण योजना (सीबीपी) का शुभारंभ किया।
- यह योजना कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के परामर्श से क्षमता निर्माण आयोग (CBC) द्वारा शुरू की गई है।
- सीबीपी अधिकारियों को प्रशिक्षित करने और कौशल तथा अर्जित दक्षताओं के आधार पर अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती को तर्कसंगत बनाने के लिए एक नई पहल है।
- यह सरकारी कार्यालयों के परिवर्तन पर बल देता है।
- सीबीसी से विभिन्न प्रशिक्षण मॉड्यूल को लगातार अद्यतन और संशोधित करने का आह्वान किया क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारी सीखने और कार्य संस्कृति को प्रभावित करने वाला है।
- लगभग 30 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारियों में से 10 लाख कर्मचारी रेलवे में हैं, अन्य 10 लाख सीएपीएफ में हैं और शेष 10 लाख शेष मंत्रालयों और विभागों में हैं।
- 80 प्रतिशत कौशल कार्यात्मक और व्यवहारिक कौशल से संबंधित सामान्य हैं जबकि केवल 20 प्रतिशत विशिष्ट कार्यों और भूमिकाओं से संबंधित डोमेन उन्मुख हैं। मिशन कर्मयोगी और आईजीओटी का लक्ष्य ‘कर्मचारियों’ को ‘कर्मयोगियों’ में बदलना है।
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