विषयसूची:
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29 February 2024 Hindi PIB
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1. “कोयला रसद योजना और नीति” की शुरुआत:
सामान्य अध्ययन: 3
बुनियादी ढांचा:
विषय: बुनियादी ढांचा- ऊर्जा।
मुख्य परीक्षा: कोयला रसद योजना और नीति का ऊर्जा क्षेत्र में महत्व एवं रणनीतिक बदलाव।
प्रसंग:
- केंद्रीय कोयला, खान एवं संसदीय कार्य मंत्री, श्री प्रह्लाद जोशी ने नई दिल्ली में कोयला मंत्रालय के संरक्षण में भारतीय राष्ट्रीय समिति विश्व खनन कांग्रेस द्वारा आयोजित “कोयला रसद योजना और नीति” नामक एक महत्वपूर्ण पहल का शुभारंभ किया।
उद्देश्य:
- कोयला रसद योजना का शुभारंभ कोयला परिवहन का आधुनिकीकरण, दक्षता को बढ़ावा देने एवं स्थिरता प्रदान करने की दिशा में भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
- कोयला रसद योजना, एफएमसी परियोजनाओं में रेलवे-आधारित प्रणाली की दिशा में एक रणनीतिक बदलाव लेकर आती है, जिसका उद्देश्य रेल रसद लागत में 14 प्रतिशत की कमी और 21,000 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत करना है।
विवरण:
- मंत्री ने उत्कृष्ट रसद की अनिवार्यता को साकार करते हुए अनुमानित ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए 2030 तक 980 एमटी से 1.5 बीटी तक बढ़ने का उल्लेख किया है।
- कोयला रसद योजना में एफएमसी परियोजनाओं में रेलवे-आधारित प्रणाली की दिशा में एक रणनीतिक बदलाव का प्रस्ताव है, जिसका उद्देश्य रेल रसद लागत में 14 प्रतिशत की कमी करना और 21,000 करोड़ रुपये की वार्षिक लागत बचत करना शामिल है।
- इसके लिए फर्स्ट-माइल संपर्क के माध्यम से रेलवे नेटवर्क क्षमता बढ़ाने पर बल दिया।
- इस परिवर्तनकारी दृष्टिकोण के माध्यम से वायु प्रदूषण में कमी लाने, यातायात की भीड़ में कमी लाने और कार्बन उत्सर्जन को लगभग 100,000 टन प्रति वर्ष कम करने का अनुमान है।
- इसके अलावा, पूरे देश में वैगनों के औसत टर्नअराउंड समय में 10 प्रतिशत की बचत होने का अनुमान है।
- मंत्री ने एकीकृत परिवहन प्रणालियों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, रेल-सी-रेल (आरएसआर) परिवहन को एकीकृत करने की मंत्रालय की पहल पर बल दिया, जिसमें पिछले पांच वर्षों में लगभग 50 प्रतिशत की उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी की गई है, जिनमें वित्त वर्ष 2030 तक 120 बीटी तक विस्तार करने की योजना है।
- इसके अलावा, पीएम गति शक्ति के अनुरूप भविष्य में कोयला निकासी की मांग को पूरा करने के लिए 37 महत्वपूर्ण रेलवे परियोजनाओं की पहचान की गई है।
पृष्ठ्भूमि:
- इस बात पर भी बल दिया कि मंत्रालय ने मल्टीमॉडल संपर्क अंतराल को समाप्त करने के लिए 15 रेलवे परियोजनाओं की शुरुआत की है, जिनमें से 5 परियोजनाएं पहले ही शुरू की जा चुकी हैं।
2. कैबिनेट ने पीएंडके उर्वरकों पर खरीफ सीजन के लिए 3 नए उर्वरक ग्रेड को शामिल करने को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 3
कृषि:
विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता- खाद सुरक्षा से सम्बंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: फॉस्फेटिक और पोटाश (पी एंड के) उर्वरक,पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) दरें।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एनबीएस योजना के तहत फॉस्फेटिक और पोटाश (पी एंड के) उर्वरक पर खरीफ सीजन, 2024 (01.04.2024 से 30.09.2024 तक) के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) दरें तय करने और 3 नए उर्वरक ग्रेड को शामिल करने के लिए उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
उद्देश्य:
- किसानों को रियायती, किफायती और उचित मूल्य पर उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
- उर्वरकों और इनपुट की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में हालिया रुझानों को देखते हुए पीएंडके उर्वरकों पर सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाना।
- एनबीएस में तीन नए ग्रेडों को शामिल करने से संतुलित मृदा स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी और किसानों को मिट्टी की आवश्यकता के अनुसार सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर उर्वरक चुनने के विकल्प मिलेंगे।
विवरण:
- खरीफ सीजन 2024 के लिए अस्थायी बजटीय आवश्यकता लगभग 24,420 करोड़ रुपये होगी।
कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य:
- किसानों को सस्ती कीमतों पर इन उर्वरकों की सुचारू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पीएंडके उर्वरकों पर सब्सिडी खरीफ 2024 के लिए अनुमोदित दरों (01.04.2024 से 30.09.2024 तक लागू) के आधार पर प्रदान की जाएगी।
पृष्ठ्भूमि:
- सरकार उर्वरक उत्पादकों/आयातकों के माध्यम से किसानों को रियायती कीमतों पर 25 ग्रेड के पीएंडके उर्वरक उपलब्ध करा रही है।
- पीएंडके उर्वरकों पर सब्सिडी 01.04.2010 से एनबीएस योजना द्वारा नियंत्रित है।
- किसान हितैषी विजन के अनुरूप, सरकार किसानों को सस्ती कीमतों पर पीएंडके उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
- उर्वरकों और इनपुट यानी यूरिया, डीएपी, एमओपी और सल्फर की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में हालिया रुझानों को देखते हुए, सरकार ने फॉस्फेटिक और पोटाश (पी एंड के) उर्वरक पर 01.04.2024 से 30.09.2024 तक प्रभावी खरीफ 2024 के लिए एनबीएस दरों को मंजूरी देने का फैसला किया है।
- सरकार ने एनबीएस योजना के तहत 3 नए उर्वरक ग्रेड को शामिल करने का भी निर्णय लिया है।
- उर्वरक कंपनियों को अनुमोदित और अधिसूचित दरों के अनुसार सब्सिडी प्रदान की जाएगी, ताकि किसानों को सस्ती कीमतों पर उर्वरक उपलब्ध कराया जा सके।
3. मंत्रिमंडल ने इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (आईबीसीए) की स्थापना को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 3
पारिस्थिकी एवं पर्यावरण:
विषय: जैव विविधता,पारिस्थिकी एवं पर्यावरण सुरक्षा।
प्रारंभिक परीक्षा: बिग कैट से सम्बन्धित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: जैव विविधता संरक्षण में बिग कैट एलायंस (आईबीसीए) की स्थापना के निहितार्थ।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (आईबीसीए) की स्थापना को मंजूरी दे दी है।
उद्देश्य:
- आईबीसीए का उद्देश्य संरक्षण एजेंडा को आगे बढ़ाने में पारस्परिक लाभ के लिए देशों के बीच आपसी सहयोग करना है।
- आईबीसीए का दृष्टिकोण व्यापक आधार बनाने तथा अनेक क्षेत्रों में कई गुना लिंकेज स्थापित करने में बहुआयामी होगा और इससे ज्ञान के आदान-प्रदान, क्षमता सृजन, नेटवर्किंग, समर्थन, वित्त और संसाधन समर्थन, अनुसंधान तथा तकनीकी सहायता, शिक्षा और जागरूकता में मदद मिलेगी।
- सतत विकास और आजीविका सुरक्षा के लिए शुभंकर के रूप में बड़ी बिल्लियों के साथ भारत और बिग कैट रेंज देश पर्यावरण लचीलापन और जलवायु परिवर्तन शमन पर बड़े प्रयासों प्रारंभ कर सकते हैं, भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं जहां प्राकृतिक इको-सिस्टम फलते-फूलते रहते हैं तथा आर्थिक और विकास नीतियों में केंद्रीयता प्राप्त करते हैं।
विवरण:
- सात बिग कैट में बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर और चीता आते हैं।
- एलाएंस का मुख्यालय भारत में होगा और इसे 2023-24 से 2027-28 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए 150 करोड़ रुपये की एकमुश्त बजटीय सहायता मिलेगी।
- इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस की परिकल्पना 96 बिग कैट रेंज देशों, बिग कैट संरक्षण में रुचि रखने वाले गैर-रेंज देशों, संरक्षण भागीदारों तथा बिग कैट संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिक संगठनों के बहु-देशीय, बहु-एजेंसी एलायंस के रूप में की गई है।
- यह एक बड़े स्तर पर जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।
- इसमें बड़ी बिल्लियों के संरक्षण में सहायक व्यापारिक समूहों, कॉर्पोरेट्स, वैज्ञानिक संगठनों का सामूहिक सहयोग शामिल है, जिसका उद्देश्य बड़ी बिल्लियों की आबादी को बचाना और जैव विविधता को संरक्षित रखना है।
- यह एक सामान्य मंच पर बिग कैट संरक्षण की पहल को मजबूत करने के लिए बनाया गया है और विभिन्न देशों को एक साथ लाने का उद्देश्य है। इसका नेतृत्व रेंज देशों और अन्य संरक्षण भागीदारों के बीच साझा किया जाएगा।
- इससे बड़ी बिल्लियों के संरक्षण के क्षेत्र में विचार-विमर्श और कार्रवाई में सुनिश्चितता आएगी और इसे वित्तीय समर्थन और साझेदारी मिलेगी, जिससे इस पहल को सफलता मिलेगी।
- इससे बड़ी बिल्लियों और उनके आवासों की सुरक्षा, प्राकृतिक जलवायु संरक्षण, जैव विविधता और सांविदानिक संसाधनों का सही उपयोग होगा।
- आईबीसीए गवर्नेंस में सदस्यों की असेंबली, स्थायी समिति और भारत में मुख्यालय के साथ एक सचिवालय शामिल है।
- समझौते की रूपरेखा (विधान) का प्रारूप मुख्यतः इंटरनेशनल सोलर एलायंस (आईएसए) की तर्ज पर तैयार किया गया है और इसे अंतर्राष्ट्रीय संचालन समिति (आईएससी) द्वारा अंतिम रूप दिया जाना है।
- आईएसए और भारत सरकार की तर्ज पर मेजबान देश समझौता तैयार किया गया। संचालन समिति का गठन संस्थापक सदस्य देशों के नामित राष्ट्रीय फोकल प्वाइंट के साथ किया जाएगा।
- आईबीसीए असेंबली बैठक के दौरान अपने स्वयं के डीजी की नियुक्ति किए जाने तक पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा सचिवालय के अंतरिम प्रमुख के रूप में डीजी की नियुक्ति की जाएगी।
- मंत्री स्तर पर आईबीसीए असेंबली की अध्यक्षता भारत के माननीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री द्वारा की जाएगी।
- आईबीसीए ने पांच वर्षों (2023-24 से 2027-28) के लिए भारत सरकार की 150 करोड़ रुपये की प्रारंभिक सहायता प्राप्त की है।
- कोष संवर्धन द्विपक्षीय और बहुपक्षीय एजेंसियों से योगदान से होगा तथा अन्य उपयुक्त संस्थानों और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और दाता एजेंसियों की वित्तीय सहायता प्राप्त करने के उपाय किए जाएंगे।
- एलायंस प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग सुनिश्चित करता है और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों को कम करता है।
- आईबीसीए बड़ी बिल्लियों और उनके आवासों की सुरक्षा करके प्राकृतिक जलवायु सनियोजन, जल और खाद्य सुरक्षा तथा इन इको-सिस्टम पर निर्भर हजारों समुदायों के कल्याण में योगदान देता है।
- आईबीसीए पारस्परिक लाभ के लिए देशों के बीच सहयोग स्थापित करेगा और दीर्घकालिक संरक्षण एजेंडा को आगे बढ़ाने में अधिक से अधिक योगदान देगा।
पृष्ठ्भूमि:
- प्रधानमंत्री ने बाघों, बड़ी बिल्ली परिवार की अन्य प्रजातियों तथा इसकी अनेक लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण में भारत की अग्रणी भूमिका को महत्त्व देते हुए, वैश्विक बाघ दिवस, 2019 के अवसर पर अपने भाषण में एशिया में अवैध शिकार को रोकने के लिए वैश्विक नेताओं के एलाएंस का आह्वान किया था।
- उन्होंने 9 अप्रैल, 2023 को भारत के प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर इसे दोहराया और औपचारिक रूप से एक इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस प्रारंभ करने की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य बड़ी बिल्लियों और उनके द्वारा फूलने-फलने वाले परिदृश्यों के भविष्य को सुरक्षित बनाना है।
- भारत में विकसित अग्रणी और दीर्घकालिक बाघ और अन्य बाघ संरक्षण की श्रेष्ठ प्रथाओं को कई अन्य रेंज देशों में दोहराया जा सकता है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. राष्ट्रीय वन हेल्थ संस्थान, नागपुर में वैज्ञानिक एच (वेतनमान स्तर -15) के स्तर पर निदेशक के रूप में एक पद के सृजन के प्रस्ताव को मंजूरी:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय वन हेल्थ संस्थान, नागपुर में वैज्ञानिक एच (वेतनमान स्तर -15) के स्तर पर निदेशक के रूप में एक पद के सृजन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जो इसके लिए मानव, पशु, पौधे और पर्यावरण क्षेत्रों को एक साथ लाकर एकीकृत रोग नियंत्रण और महामारी के खिलाफ तैयारी के लिए बहु-मंत्रालयी और बहु-क्षेत्रीय राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन के मिशन निदेशक के रूप में भी कार्य करेंगे।
वित्तीय संभावनाएं:
- वेतन स्तर 15 (1,82,000 रुपये – 2,24,100 रुपये) के लिए वैज्ञानिक ‘एच’ स्तर पर राष्ट्रीय वन हेल्थ संस्थान के निदेशक के एक पद के सृजन से लगभग 35.59 लाख रुपये वार्षिक का वित्तीय प्रभाव पड़ेगा।
कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य:
- राष्ट्रीय वन हेल्थ संस्थान, नागपुर के निदेशक मानव, पशु, पौधे और पर्यावरण क्षेत्रों को एक साथ लाकर एकीकृत रोग नियंत्रण और महामारी के खिलाफ तैयारी के लिए बहु-मंत्रालयी और बहु-क्षेत्रीय राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन के मिशन निदेशक के रूप में भी कार्य करेंगे।
- राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन के लिए एकीकृत रोग नियंत्रण और महामारी के खिलाफ तैयारियों की दिशा में अनुसंधान और विकास को मजबूत करने के लिए एक कार्यक्रम को 01.01.2024 को पहले ही मंजूरी दे दी गई है।
- रोजगार सृजन क्षमता समेत प्रमुख प्रभाव: राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन, भारत को वन हेल्थ दृष्टिकोण को संस्थागत बनाकर एकीकृत रोग नियंत्रण और महामारी के खिलाफ तैयारी का लक्ष्य हासिल करने में मदद करेगा।
- यह मनुष्यों, पशुओं, पौधों और पर्यावरण के स्वास्थ्य के संदर्भ में समग्र और स्थायी तरीके से समाधान निकालने के लिए आपसी सहयोग को बढ़ावा देकर विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के जारी/योजनाबद्ध कार्यक्रमों का भी लाभ उठाएगा।
पृष्ठभूमि:
- पिछले कुछ दशकों में, निपाह, एच5एन1 एवियन इन्फ्लूएंजा, सार्स कोव-2 जैसी कई संक्रामक बीमारियों का प्रकोप, सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय चिंता बन गयी है।
- इसके अलावा, पशु रोग, जैसे खुरपका और मुंहपका रोग, मवेशियों में गांठदार त्वचा रोग, सूअरों में अफ्रीकी स्वाइन बुखार आदि का प्रकोप; किसानों के आर्थिक कल्याण और देश की खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।
- ये बीमारियाँ वन्य जीवन को भी प्रभावित करती हैं और उनके संरक्षण को खतरे में डालती हैं।
- मनुष्यों, जानवरों और पौधों सहित पर्यावरण को खतरे में डालने वाली चुनौतियों की जटिलता और अंतर्संबंध, जहां वे सह-अस्तित्व में होते हैं, को देखते हुए ‘सभी के लिए स्वास्थ्य और कल्याण’ के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक समग्र और एकीकृत ‘वन हेल्थ’ आधारित दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
- इसे ध्यान में रखते हुए, 13 सरकारी विभागों के सहयोग से “राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन” के रूप में एक एकीकृत फ्रेमवर्क तैयार किया गया है, जो सभी क्षेत्रों की प्राथमिकता वाली गतिविधियों का समन्वय और तालमेल करेगा, जैसे प्रकोप/महामारी की शीघ्र पहचान के लिए सभी क्षेत्रों में एकीकृत और समग्र अनुसंधान एवं विकास कार्य करना, ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण का पालन करना और टीके, उपचार, निदान, मोनोक्लोनल और अन्य जीनोमिक उपकरण आदि निपटने के चिकित्सा उपायों में तेजी लाने की दिशा में लक्षित अनुसंधान एवं विकास के लिए रोडमैप विकसित करना, इत्यादि।
2. एमओएसपीआई ने भुवन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके शहरी फ़्रेम सर्वेक्षण पर इसरो के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:
- सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के तहत राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) (फील्ड कार्य प्रभाग-एफओडी) ने शहरी फ्रेम सर्वेक्षण (यूएफएस) की सुविधा के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतर्गत राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया है।
- समझौता ज्ञापन के अंतर्गत डिजिटल मोड में भुवन प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके अत्याधुनिक जियो आईसीटी टूल और तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
- शहरी फ्रेम सर्वेक्षण शहरी भौगोलिक इकाइयों का ढांचा तैयार करता है और उसके रखरखाव का कार्य करता है।
- यह कार्य पांच साल की अवधि में विभिन्न चरणों में किया जाता है, यह मुख्य रूप से एनएसएसओ के बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के लिए शहरी क्षेत्रों के वास्ते नमूने तैयार करता है।
- यूएफएस ने पहली बार डिजिटल रूप से चरण 2017-22 के दौरान भुवन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके 5300 से अधिक शहरों को कवर किया था।
- वर्तमान चरण (2022-2027) में, भुवन प्लेटफॉर्म पर निर्मित मोबाइल, डेस्कटॉप और वेब आधारित भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) समाधानों के बेहतर संस्करणों के साथ लगभग 8134 शहरों के सर्वेक्षण कार्यों की योजना बनाई गई है।
- समझौता ज्ञापन में राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) शहरी फ्रेम सर्वेक्षण डेटा की जियो-टैगिंग के लिए मोबाइल एप्लिकेशन का विकास/सुधार, देखरेख के लिए वेब पोर्टल, सिस्टम जनित जांच, मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से सबमिट किए गए डेटा की विज़ुअलाइज़ेशन, उच्च रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग करके यूएफएस के ब्लॉक, IV-यूनिट, वार्ड और शहर की सीमाओं का निर्धारण किया गया है।
- समझौता ज्ञापन के तहत राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) एनएसएसओ के अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए यह सुविधाएं उपलब्ध कराएगा।
- इस सहयोग का उद्देश्य शहरी फ्रेम सर्वेक्षण (यूएफएस) में परिवर्तन लाना है और एनलॉग से लेकर डिजिटल मोड में बदलना है।
- इससे सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय को शहरी फ्रेम को नियमित रूप से समय पर अपडेट करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
3. केंद्रीय वित्त मंत्री ने राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण विकास बैंक (नैबफिड) के प्रदर्शन की समीक्षा की:
- केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण विकास बैंक (नैबफिड) के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए हुई बैठक की अध्यक्षता की हैं।
- बैठक के दौरान, केंद्रीय वित्त मंत्री ने व्यवसाय, संसाधन जुटाने, विकास की पहल, मानव संसाधन, सूचना प्रौद्योगिकी और वित्तीय क्षेत्र के संबंध में नैबफिड के प्रदर्शन की समीक्षा की।
- इसके तहत कुल ₹86,804 करोड़ से अधिक की मंजूरी के साथ, नैबफिड ने विकासात्मक पहलों के अलावा, मार्च 2026 तक ₹3 लाख करोड़ की कुल मंजूरी का लक्ष्य रखा है।
- श्रीमती सीतारमण ने नैबफिड से एक संरचित आंशिक ऋण वृद्धि सुविधा शुरू करने, बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए एक डेटा रिपॉजिटरी बनाने और सेक्टर विशेषज्ञता विकसित करने के लिए कहा हैं।
विचार विमर्श में शामिल मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
- नैबफिड ने सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के 12 संस्थानों से प्रतिनियुक्त किए गए अधिकारियों की एक छोटी टीम के साथ अपना संचालन शुरू किया
- यह दिसंबर 2022 में अपने पहले ऋण के वितरण के साथ चालू हो गया।
- अभी तक, नैबफिड ने देश भर में सड़क, नवीकरणीय ऊर्जा, बंदरगाह, रेलवे, जल और स्वच्छता, शहरी गैस वितरण आदि बुनियादी ढांचे के विविध उप-क्षेत्रों में फैली परियोजनाओं के साथ, ₹86,804 करोड़ से अधिक के लिए मंजूरी दी है। ₹86,804 करोड़ में से 50 प्रतिशत को 50 से 20 वर्षों की लंबी अवधि के लिए स्वीकृत किया गया है।
- नैबफिड मार्च 2026 तक ₹3 लाख करोड़ से अधिक की मंजूरी देगा।
- संस्थान पहले से ही दीर्घकालिक क्रेडिट लाइन, मिश्रित/रियायती वित्त, तकनीकी सहायता, ज्ञान साझाकरण आदि की सुविधा के लिए कई बहुपक्षीय संस्थानों के साथ सहयोग कर रहा है।
- नैबफिड ने पूरे भारत में बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश के लिहाज से तैयार पीपीपी परियोजनाओं की एक मजबूत पाइपलाइन विकसित करने के उद्देश्य से लेनदेन सलाहकार सेवाएं प्रदान करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) के साथ सहयोग किया है।
- नैबफिड बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण पर अपना ध्यान केंद्रित रखेगा और विकसित भारत के लक्ष्य में योगदान देगा।
- प्रदर्शन की समीक्षा करने के बाद, नैबफिड को शहरी स्थानीय निकायों/नगर पालिकाओं सहित बांड बाजारों को मजबूत करने के लिए एक संरचित आंशिक ऋण वृद्धि सुविधा शुरू करने और राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन और पीएम-गति शक्ति के लिए शुरुआती पूंजी जुटाने के मद्देनजर बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए एक डेटा भंडार बनाने की सलाह दी।
- श्रीमती सीतारमण ने नैबफिड को बड़ी और जटिल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का मूल्यांकन और जोखिम अंकन करने की अद्वितीय क्षमता के लिए सेक्टर विशेषज्ञता विकसित करने की भी सलाह दी।
4. कैबिनेट ने तीन और सेमीकंडक्टर इकाइयां लगाने को मंजूरी दी:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘भारत में सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास’ के अंतर्गत तीन सेमीकंडक्टर इकाइयां लगाने को मंजूरी प्रदान की है।
- अगले 100 दिन के भीतर तीनों इकाइयों का निर्माण शुरू हो जाएगा।
- भारत में सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास का कार्यक्रम 21.12.2021 को कुल 76,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ अधिसूचित किया गया था।
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जून, 2023 में गुजरात के साणंद में सेमीकंडक्टर इकाई लगाने के लिए माइक्रोन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की थी।
- इस इकाई का निर्माण तीव्र गति से चल रहा है और इकाई के पास एक मजबूत सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम उभर रहा है।
स्वीकृत की गई तीन सेमीकंडक्टर इकाइयां हैं:
- 1. 50,000 डब्ल्यूएफएसएम क्षमता वाली सेमीकंडक्टर फैब:
- टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (“टीईपीएल”) ताइवान की पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्प (पीएसएमसी) के साथ साझेदारी में एक सेमीकंडक्टर फैब स्थापित करेगी।
- निवेश: इस फैब का निर्माण गुजरात के धोलेरा में किया जाएगा। इस फैब में 91,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।
- प्रौद्योगिकी साझेदार: पीएसएमसी लॉजिक और मेमोरी फाउंड्री सेगमेंट में अपनी विशेषज्ञता के लिए प्रसिद्ध है। ताइवान में पीएसएमसी की 6 सेमीकंडक्टर फाउंड्री हैं।
- क्षमता: प्रति माह 50,000 वेफर स्टार्ट (डब्ल्यूएसपीएम)
- कवर किए गए खंड:
- 28 एनएम टेकनोलॉजी सहित हाई परफॉर्मेंस कंप्यूट चिप्स
- इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी), दूरसंचार, रक्षा, ऑटोमोटिव, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, डिस्प्ले, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स आदि के लिए पावर मैनेजमेंट चिप्स।
- पावर मैनेजमेंट चिप्स, हाई वोल्टेज, हाई करंट एप्लीकेशन्स हैं।
- 2. असम में सेमीकंडक्टर एटीएमपी इकाई:
- असम के मोरीगांव में टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (“टीएसएटी”) एक सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करेगी।
- निवेश: इस इकाई की स्थापना 27,000 करोड़ रुपये के निवेश से की जाएगी।
- प्रौद्योगिकी: टीएसएटी द्वारा सेमीकंडक्टर फ्लिप चिप और आईएसआईपी (पैकेज में एकीकृत प्रणाली) प्रौद्योगिकियों सहित स्वदेशी उन्नत सेमीकंडक्टर पैकेजिंग प्रौद्योगिकियों का विकास किया जा रहा है।
- क्षमता: प्रतिदिन 48 मिलियन
- कवर किए गए खंड: ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहन, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, मोबाइल फोन, आदि।
- 3. विशिष्ट चिप्स के लिए सेमीकंडक्टर एटीएमपी इकाई:
- गुजरात के साणंद में सीजी पावर द्वारा रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन, जापान और स्टार्स माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, थाईलैंड के साथ साझेदारी में एक सेमीकंडक्टर इकाई की स्थापना की जाएगी।
- निवेश: इस इकाई की स्थापना 7,600 करोड़ रुपये के निवेश से की जाएगी।
- प्रौद्योगिकी साझेदार: रेनेसास एक प्रमुख सेमीकंडक्टर कंपनी है जो विशिष्ट चिप्स पर केंद्रित है।
- यह 12 सेमीकंडक्टर सुविधाओं का संचालन करती है और माइक्रोकंट्रोलर, एनालॉग, पावर और सिस्टम ऑन चिप (‘एसओसी)’ उत्पादों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
- कवर किए गए खंड: सीजी पावर सेमीकंडक्टर इकाई उपभोक्ता, औद्योगिक, ऑटोमोटिव और पावर एप्लीकेशन्स के लिए चिप्स का निर्माण करेगी।
- क्षमता: प्रतिदिन 15 मिलियन
- इन इकाइयों का सामरिक महत्व:इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन ने बहुत ही कम समय में चार बड़ी सफलताएं हासिल की हैं। इन इकाइयों से भारत में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम स्थापित हो जायेगा।
- भारत के पास पहले से ही चिप डिजाइन में गहन क्षमताएं मौजूद हैं। इन इकाइयों के साथ, हमारा देश चिप विनिर्माण (या चिप फेब्रिेकेशन) में क्षमता विकसित कर लेगा।
- इसकी घोषणा के साथ ही भारत में उन्नत पैकेजिंग प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी रूप से विकसित किया जाएगा।
- रोजगार की संभावना:ये इकाइयां 20 हजार उन्नत प्रौद्योगिकी कार्यों में प्रत्यक्ष रोजगार और लगभग 60 हजार अप्रत्यक्ष रोजगारों का सृजन करेंगी।
- ये इकाइयां डाउनस्ट्रीम ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, दूरसंचार विनिर्माण, औद्योगिक विनिर्माण और अन्य सेमीकंडक्टर उपभोक्ता उद्योगों में रोजगार सृजन में तेजी लाएंगी।
5. कैबिनेट ने 12 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के लिए रॉयल्टी दरों को मंजूरी दी:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों – बेरिलियम, कैडमियम, कोबाल्ट, गैलियम, इंडियम, रेनियम, सेलेनियम, टैंटलम, टेल्यूरियम, टाइटेनियम, टंगस्टन और वैनेडियम के संबंध में रॉयल्टी की दर निर्दिष्ट करने के लिए खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 (‘एमएमडीआर अधिनियम’) की दूसरी अनुसूची में संशोधन को मंजूरी दे दी है।
- यह सभी 24 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के लिए रॉयल्टी दरों को तर्कसंगत बनाने की कवायद पूरी करता है।
- यह ध्यान देने योग्य बात है कि सरकार ने 15 मार्च, 2022 को 4 महत्वपूर्ण खनिजों, अर्थात् ग्लौकोनाइट, पोटाश, मोलिब्डेनम और प्लैटिनम समूह के खनिजों की रॉयल्टी दर और 12 अक्टूबर, 2023 को 3 महत्वपूर्ण खनिजों, अर्थात् लिथियम, नाइओबियम और रेयर अर्थ एलिमेंट की रॉयल्टी दर अधिसूचित की थी।
- हाल ही में, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023 के माध्यम से एमएमडीआर अधिनियम की पहली अनुसूची के भाग डी में 24 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों को सूचीबद्ध किया गया था, जो 17 अगस्त, 2023 से लागू हुआ है।
- संशोधन में प्रावधान किया गया कि इन 24 खनिजों के खनन पट्टे और मिश्रित लाइसेंस की नीलामी केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।
- रॉयल्टी की दर के निर्देशन के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की की मंजूरी से केंद्र सरकार देश में पहली बार इन 12 खनिजों के लिए ब्लॉकों की नीलामी कर सकेगी। इसके अलावा, इन खनिजों के औसत बिक्री मूल्य (एएसपी) की गणना के लिए खान मंत्रालय द्वारा तरीका भी तैयार किया गया है जो बोली संबंधी मापदंडों के निर्धारण को सक्षम करेगा।
- एमएमडीआर अधिनियम की दूसरी अनुसूची विभिन्न खनिजों के लिए रॉयल्टी दरें प्रदान करती है।
- दूसरी अनुसूची की मद संख्या 55 में प्रावधान है कि जिन खनिजों की रॉयल्टी दर उसमें विशेष रूप से प्रदान नहीं की गई है, उनके लिए रॉयल्टी दर औसत बिक्री मूल्य (एएसपी) का 12 प्रतिशत होगी।
- इस प्रकार, यदि इनके लिए रॉयल्टी दर विशेष रूप से प्रदान नहीं की गई है, तो उनकी डिफॉल्ट रॉयल्टी दर एएसपी का 12 प्रतिशत होगी, जो अन्य महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की तुलना में काफी अधिक है।
- साथ ही, 12 प्रतिशत की यह रॉयल्टी दर अन्य खनिज उत्पादक देशों के साथ तुलनीय नहीं है।
इस प्रकार, निम्नानुसार उचित रॉयल्टी दर निर्दिष्ट करने का निर्णय लिया गया है:
- देश में आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण खनिज अनिवार्य हो गए हैं।
- कैडमियम, कोबाल्ट, गैलियम, इंडियम, सेलेनियम और वैनेडियम जैसे महत्वपूर्ण खनिज और इनका उपयोग बैटरी, अर्धचालक, सौर पैनल आदि में होता है।
- ऊर्जा के क्षेत्र में परिवर्तन और 2070 तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य के स्तर पर लाने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को देखते हुए इन खनिजों का महत्व बढ़ गया है।
- बेरिलियम, टाइटेनियम, टंगस्टन, टैंटलम आदि खनिजों का उपयोग नई प्रौद्योगिकियों, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा उपकरणों में होता है। स्वदेशी खनन को प्रोत्साहित करने से आयात में कमी आएगी और संबंधित उद्योगों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की स्थापना होगी। इस प्रस्ताव से खनन क्षेत्र में रोजगार सृजन बढ़ने की भी उम्मीद है।
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड (एमईसीएल) ने हाल ही में कोबाल्ट, टाइटेनियम, गैलियम, वैनेडियम और टंगस्टन जैसे एक या अधिक महत्वपूर्ण खनिजों वाले 13 ब्लॉकों की अन्वेषण रिपोर्ट सौंपी है। इसके अलावा, ये एजेंसियां देश में इन महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की खोज कर रही हैं।
- केंद्र सरकार ने नवंबर, 2023 में लिथियम, आरईई, निकेल, प्लैटिनम ग्रुप ऑफ एलिमेंट्स, पोटाश, ग्लौकोनाइट, फॉस्फोराइट, ग्रेफाइट, मोलिब्डेनम इत्यादि जैसे खनिजों के लिए महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिज ब्लॉकों की नीलामी की पहली किश्त शुरू की है।
6. भारत का विश्व व्यापार संगठन के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन-13 में डिजिटल औद्योगिकरण का समर्थन:
- भारत ने विश्व व्यापार संगठन के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में 29 फरवरी, 2024 को ई-कॉमर्स पर कार्य सत्र में डिजिटल औद्योगीकरण के महत्व पर अपना विचार रखा और कहा कि किस तरह वैश्विक अर्थव्यवस्था का यह उभरता हुआ क्षेत्र सबसे कम विकसित देशों (एलडीएससी) सहित विकासशील देशों के लिए आर्थिक विकास और समृद्धि का वादा करता है।
- भारत ने विश्व व्यापार संगठन के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन-13 में डिजिटल औद्योगिकरण के पक्ष में बल देकर कहा कि डिजिटल औद्योगीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए डब्ल्यूटीओ सदस्यों के पास सभी नीतिगत विकल्प उपलब्ध होने चाहिए।
- इससे स्पष्ट होता है कि भारत ने अपने आर्थिक विकास के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों को महत्वपूर्ण माध्यम माना है।
- भारत की भूमिका ई-कॉमर्स में: भारत ने विकसित देशों में ई-कॉमर्स के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को बताया है।
- यह सिद्ध करता है कि भारत डिजिटल विकास के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रहा है और अपने आर्थिक प्रगति को बढ़ावा दे रहा है।
- डिजिटल परिवर्तन में भारत की आगे की प्रेरणा: भारत ने आधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपने डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा देने की प्रेरणा बताई है।
- भारत ने ऐडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स जैसी नई प्रौद्योगिकियों के संपर्क में सीमा शुल्क पर स्थगन की आवश्यकता की बात की है।
- डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का महत्व: डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के माध्यम से भारत ने नवाचार को प्रोत्साहन देने का उल्लेख किया है।
- डीपीआई ने विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी क्रांति को प्रेरित किया है, जो आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- भारत का डिजिटल अनुभव: भारत ने अपने अनुभव के माध्यम से डिजिटल आधारभूत अवसंरचना, कौशल, शिक्षा, और सक्षम नीतियों पर बल दिया है।
- यह बताता है कि भारत कैसे तेजी से जनसंख्या के पैमाने पर डिजिटलीकरण को प्रेरित कर रहा है।
7. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया:
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने 28 और 29 फरवरी 2024 को ओडिशा में चांदीपुर के तट पर एकीकृत परीक्षण रेंज से बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (वीएसएचओआरएडीएस) मिसाइल के दो सफल उड़ान परीक्षण किए।
- ये दोनों परीक्षण जमीन से संचालित किये जाने वाले हल्के व सचल प्रक्षेपक से किये गए। इन्हें विभिन्न अवरोधन परिदृश्यों के तहत उच्च गति वाले मानवरहित हवाई लक्ष्यों को नष्ट करने के उद्देश्य से पूरा किया गया।
- दोनों परीक्षणों ने अपनी उड़ानों के दौरान मिशन के उद्देश्यों को पूरा करते हुए लक्ष्यों को मिसाइलों द्वारा अवरुद्ध किया और फिर उन्हें नष्ट कर दिया।
- बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली की मिसाइल एक मानवीय स्तर पर कहीं पर भी ले जाने में सक्षम वायु रक्षा प्रणाली (एमएएनपीएडी) है, जिसे अन्य रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन प्रयोगशालाओं तथा भारतीय उद्योग भागीदारों के सहयोग से रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) द्वारा स्वदेशी रूप से तैयार और विकसित किया गया है।
- इस बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली की मिसाइल में अल्प प्रतिक्रिया वाली नियंत्रण प्रणाली (आरसीएस) और एकीकृत वैमानिकी सहित कई नवीन तकनीकों को शामिल किया गया है, जो परीक्षणों के दौरान सफलतापूर्वक लाभदायक साबित हुई हैं।
- प्रणालीगत इस मिसाइल को दोहरी थ्रस्ट सॉलिड मोटर द्वारा संचालित किया जाता है और इसका उद्देश्य सीमित दूरी से कम ऊंचाई पर उड़ने वाले हवाई उपकरणों के खतरों को बेअसर करना है।
- आसानी से लाने-ले जाने की सुविधा को सुनिश्चित करने के लिए सचल प्रक्षेपक सहित मिसाइल के डिजाइन को अत्यधिक अनुकूलित बनाया गया है।
- उड़ान परीक्षण को भारतीय सेना के अधिकारियों, विभिन्न डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और रक्षा उद्योग जगत भागीदारों की उपस्थिति में पूरा किया गया।
8. भारत ने महासागर स्वास्थ्य और शासन पर पहली ‘ब्लू टॉक्स’ बैठक की सह-अध्यक्षता की:
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) ने नई दिल्ली में पहली ‘ब्लू टॉक्स’ बैठक का आयोजन किया।
- इस बैठक में फ्रांस के दूतावास और भारत में कोस्टा रिका के दूतावास की सह-भागीदारी थी। सरकारी, शिक्षा जगत और अनुसंधान संस्थानों के 50 से अधिक प्रतिभागियों ने ‘महासागर स्वास्थ्य और शासन’ से संबंधित मामलों पर व्यक्तिगत रूप से इस उच्च स्तरीय विचार-विमर्श को देखा।
- इस बैठक की सह-अध्यक्षता पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन के साथ भारत में फ्रांस के राजदूत श्री थिएरी माथौ और कोस्टा रिका चार्जी डी’एफ़ेयर, सुश्री सोफिया सालास मोंगे ने संयुक्त रूप से की।
- यह बैठक 7-8 जून, 2024 को सैन जोस, कोस्टा रिका में होने वाले आगामी महासागर क्रिया पर उच्च-स्तरीय कार्यक्रम (हाई-लेवल इवेंट ऑन ओशन एक्शन-एचएलईओए) कार्यक्रम ‘इमर्स्ड इन चेंज’ का अग्रदूत है।
- बड़े परिप्रेक्ष्य में, ‘ एचएलईओए ‘ आगामी संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन (युनाइटेड नेशंस ओसियन कांफ्रेंस – यूएनसीओ3) के लिए सिफारिशें और दृष्टिकोण एकत्र करने के लिए एक पूर्ववर्ती कार्यक्रम (प्रीकर्सर) है।
- पहली ब्लू टॉक्स बैठक का मुख्य उद्देश्य: i) महासागर के प्रशासन और स्वास्थ्य से संबंधित विषयों पर अच्छी प्रथाओं और सफल अनुभवों का आदान-प्रदान करना, ii) सरकारी और गैर-सरकारी दोनों तरह के विभिन्न हितधारकों से सिफारिशें और इनपुट प्राप्त करना iii) यूएनओसी3 की तैयारी को प्रतिबिंबित करते हुए और उसमें आवश्यक जानकारी शामिल करना तथा iv) समुद्र के स्वास्थ्य पर चिंताओं को दूर करने के लिए विशिष्ट कार्यान्वयन कार्यों की तलाश करना था ।
- बैठक में कोस्टारिका के दूतावास ने ‘एचएलईओए’ कार्यक्रम के उद्देश्य पर एक फिल्म प्रदर्शित की और विभिन्न तकनीकी वार्ताओं में भाग लिया गया।
- समापन सत्र में भविष्य के महासागर कार्यक्रम के लिए प्रमुख सिफारिशों और आगे बढ़ने के तरीके पर चर्चा हुई।
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