विषयसूची:
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30 June 2024 Hindi PIB
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1. 18वें सांख्यिकी दिवस पर सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने एसडीजी प्रकाशन जारी किये:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: एसडीजी प्रकाशन।
मुख्य परीक्षा: राष्ट्रीय संकेतक रूपरेखा प्रगति रिपोर्ट, 2024 ।
प्रसंग:
- 29 जून 2024 को मनाए जाने वाले 18वें सांख्यिकी दिवस के मौके पर सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने एसडीजी प्रकाशन जारी किये।
उद्देश्य:
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18वें सांख्यिकी दिवस के अवसर पर 29 जून, 2024 को, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर निम्नलिखित प्रकाशन जारी किए:
- सतत विकास लक्ष्य – राष्ट्रीय संकेतक रूपरेखा प्रगति रिपोर्ट, 2024
- सतत विकास लक्ष्यों से संबंधित डेटा स्नैपशॉट – राष्ट्रीय संकेतक रूपरेखा, प्रगति रिपोर्ट, 2024
- सतत विकास लक्ष्य – राष्ट्रीय संकेतक रूपरेखा, 2024
विवरण:
- राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के समर्थन में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को लागू करने की भारत की प्रतिबद्धता के तहत, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और अन्य हितधारकों के परामर्श से राष्ट्रीय संकेतक रूपरेखा (एनआईएफ) विकसित की है, जो एसडीजी की राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी को सुगम बनाती है।
- हर साल 29 जून को सांख्यिकी दिवस पर, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय अद्यतन सतत विकास लक्ष्यों-एनआईएफ के आधार पर समय श्रृंखला डेटा सहित सतत विकास लक्ष्यों पर प्रगति रिपोर्ट और दो अन्य प्रकाशन जारी करता है।
- इस श्रृंखला में, इस मंत्रालय ने सांख्यिकी दिवस, 2024 के मौके पर 29 जून, 2024 को निम्नलिखित प्रकाशन जारी किए:
(i) सतत विकास लक्ष्य – राष्ट्रीय संकेतक रूपरेखा प्रगति रिपोर्ट, 2024:
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यह रिपोर्ट मंत्रालयों से प्राप्त सतत विकास लक्ष्यों के राष्ट्रीय संकेतकों पर समय श्रृंखला डेटा प्रस्तुत करती है, जो 17 सतत विकास लक्ष्यों की राष्ट्रीय प्रगति की निगरानी में सहायक होगी।
- यह रिपोर्ट नीति निर्माताओं, योजनाकारों और अन्य हितधारकों के लिए एक मूल्यवान टूल है।
रिपोर्ट में चार मुख्य खंड शामिल हैं:
(ए) अवलोकन और कार्यकारी सारांश:
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- ‘अवलोकन’ में एसडीजी-एनआईएफ की पृष्ठभूमि और राष्ट्रीय स्तर पर एसडीजी की निगरानी में एमओएसपीआई की भूमिका और प्रयास शामिल हैं।
- ‘कार्यकारी सारांश’ में संदर्भित अवधि के दौरान लक्ष्यों के अनुसार प्रगति और हाइलाइट्स दी गई हैं।
- (बी) एसडीजी राष्ट्रीय संकेतकों के डेटा सारांश को प्रस्तुत करने वाला डेटा स्नैपशॉट।
- (सी) मेटाडेटा में प्रत्येक संकेतक पर जानकारी होती है, जिसमें उद्देश्य, लक्ष्य, डिसएग्रीगेशन का स्तर और प्रकार, वैश्विक संकेतक के साथ मैपिंग, माप की इकाई, डेटा उपलब्धता के लिंक/स्रोत आदि का वर्णन होता है।
- (डी) डेटा टेबल, जहां भी उपलब्ध हो, संकेतकों पर समय श्रृंखला डेटा प्रस्तुत करते हैं।
- (ii) सतत विकास लक्ष्यों पर डेटा स्नैपशॉट – राष्ट्रीय संकेतक रूपरेखा, प्रगति रिपोर्ट, 2024 सतत विकास लक्ष्यों – राष्ट्रीय संकेतक रूपरेखा प्रगति रिपोर्ट, 2024 से ली गई हैंडबुक प्रारूप में एक रिपोर्ट है, जो एसडीजी संकेतकों के लिए राष्ट्रीय स्तर की समय श्रृंखला डेटा मुहैया करती है।
- (iii) सतत विकास लक्ष्य – राष्ट्रीय संकेतक रूपरेखा, 2024 भी सतत विकास लक्ष्यों – राष्ट्रीय संकेतक रूपरेखा प्रगति रिपोर्ट, 2024 से ली गई हैंडबुक प्रारूप में एक रिपोर्ट है, जो इसके डेटा स्रोत और आवधिकता के साथ सभी राष्ट्रीय एसडीजी संकेतकों को शामिल करती है।
- रिपोर्ट में 290 राष्ट्रीय एसडीजी संकेतक शामिल हैं।
सतत विकास लक्ष्यों की मुख्य बातें – राष्ट्रीय संकेतक रूपरेखा प्रगति रिपोर्ट, 2024:
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एसडीजी-एनआईएफ राष्ट्रीय स्तर पर एसडीजी की निगरानी के लिए रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य करता है और नीति निर्माताओं और विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन एजेंसियों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करता है।
- इन एसडीजी राष्ट्रीय संकेतकों के लिए प्रमुख डेटा स्रोत प्रशासनिक डेटा, सर्वेक्षण और जनगणना हैं।
- संकेतकों के संकलन के लिए मुख्य रूप से संबंधित मंत्रालयों से सेकेंडरी डेटा का उपयोग किया जाता है।
एसडीजी-एनआईएफ प्रगति रिपोर्ट 2024 के कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
- बैंक ऋण लिंकेज प्रदान किए गए स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की संख्या 2015-16 में 18.32 लाख से बढ़कर 2023-24 में 44.15 लाख हो गई है।
- अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए आवंटित बजट का प्रतिशत 2015-16 में 2.86% से बढ़कर 2023-24 में 6.19% हो गया है।
- मध्यम या दीर्घकालिक संरक्षण सुविधाओं में सुरक्षित खाद्य और कृषि के लिए (क) पौधे और (ख) पशु, आनुवंशिक संसाधनों की संख्या (क) 2014-15 में 4,32,564 से बढ़कर 2023-24 में 4,86,452 और (ख) 2023-24 में 1,40,364 से बढ़कर 2024-25 में 3,16,214 हो गई है।
- बैंक से जुड़े स्वयं सहायता समूहों में विशिष्ट महिला स्वयं सहायता समूहों की संख्या 2015-16 में 88.92% से बढ़कर 2023-24 में 97.53% हो गई है।
- जारी (स्वीकृत) पेटेंटों की संख्या 2015-16 में 6,326 से बढ़कर 2023-24 में 1,03,057 हो गई है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर पेयजल स्रोत का उपयोग करने वाली जनसंख्या का प्रतिशत 2015-16 में 94.57% से बढ़कर 2023-24 में 99.29% हो गया है।
- सौ प्रतिशत डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण वाले वार्डों का प्रतिशत 2016 में 43% से बढ़कर 2024 में 97% हो गया है।
- नागरिकों को ऑनलाइन प्रदान की जाने वाली सरकारी सेवाओं की संख्या 2015-16 में 968 से बढ़कर 2021-22 में 4,671 हो गई।
- स्थापित अपशिष्ट पुनर्चक्रण संयंत्रों की संख्या 2020 में 829 से बढ़कर 2024 में 2447 हो गई है।
- कृषि में प्रति श्रमिक सकल मूल्य संवर्धन (₹ में) 2015-16 में 61,427 से बढ़कर 2023-24 में 87,609 हो गया है।
उच्चतर माध्यमिक शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात 2015-16 में 48.32 से बढ़कर 2021-22 में 57.60 हो गया है।
देश में स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता में लगातार वृद्धि देखी गई है, जो 2014-15 में 63.25 वाट प्रति व्यक्ति से बढ़कर 2023-24 में 136.56 वाट प्रति व्यक्ति हो गई है।
मातृत्व मृत्यु दर अनुपात 2014-16 में प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर 130 से घटकर 2018-20 में प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर 97 हो गया है।
पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर 2015 में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 43 से घटकर 2020 में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 32 हो गई है।
2. ई-सांख्यिकी पोर्टल लॉन्च:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: ई-सांख्यिकी पोर्टल, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई)।
मुख्य परीक्षा:
प्रसंग:
- सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) कार्यादेश के अनुरूप, मंत्रालय ने योजनाकारों, नीति-निर्माताओं, शोधकर्ताओं और आम जनता को वास्तविक समय पर इनपुट प्रदान करने के लिए एक ई-सांख्यिकी पोर्टल विकसित किया है।
उद्देश्य:
- इस पोर्टल का उद्देश्य देश में आधिकारिक सांख्यिकी के प्रसार में आसानी के लिए एक व्यापक डेटा प्रबंधन और साझाकरण प्रणाली स्थापित करना है।
विवरण:
- सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) वैश्विक सांख्यिकीय तौर-तरीकों और डेटा प्रसार मानकों के अनुरूप, देश में राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणाली के एकीकृत विकास के लिए नोडल मंत्रालय है।
- एमओएसपीआई अत्याधुनिक तकनीकों के उपयोग और वैश्विक सर्वोत्तम तौर-तरीकों को अपनाने के माध्यम से उपयोगकर्ता अनुभव और डेटा पहुंच को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
ई-सांख्यिकी पोर्टल में दो मॉड्यूल हैं:
- डेटा कैटलॉग मॉड्यूल: यह मॉड्यूल मंत्रालय की प्रमुख डेटा परिसंपत्तियों को एक ही स्थान पर सूचीबद्ध करता है, ताकि इनका आसानी से उपयोग किया जा सके।
- यह मॉड्यूल उपयोगकर्ताओं को तालिकाओं सहित डेटासेट के भीतर खोज करने और रुचि के डेटा को डाउनलोड करने की अनुमति देता है, ताकि इसके मूल्य और पुन: प्रयुक्त किये जाने को बढ़ाया जा सके।
- मॉड्यूल में सात डेटा उत्पाद हैं – राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक, उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण, घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण और बहु संकेतक सर्वेक्षण।
- डेटा कैटलॉग अनुभाग में पहले से ही 2291 से अधिक डेटासेट मौजूद हैं तथा उपयोगकर्ता की सुविधा हेतु प्रत्येक डेटासेट के लिए विशिष्ट मेटाडेटा और देखने (विज़ुअलाइज़ेशन) की सुविधा दी गयी है।
- वृहद् संकेतक मॉड्यूल: यह मॉड्यूल उपयोगकर्ताओं की आसान पहुँच को सक्षम करने के लिए डेटा को फ़िल्टर करने और विज़ुअलाइज़ करने की सुविधाओं के साथ प्रमुख वृहद् संकेतकों का समय श्रृंखला डेटा प्रदान करता है।
- मॉड्यूल उपयोगकर्ताओं को कस्टम डेटासेट डाउनलोड करने, देखने (विज़ुअलाइज़) और उन्हें एपीआई के माध्यम से साझा करने की भी अनुमति देता है, जिससे डेटा के पुन: प्रयोग करने की संभावना बढ़ जाती है।
- मॉड्यूल के पहले चरण में एमओएसपीआई के चार प्रमुख उत्पाद शामिल हैं: राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक और उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण, जिसमें पिछले दस वर्षों के डेटा शामिल हैं।
- पोर्टल पर वर्तमान में 1.7 मिलियन से अधिक रिकॉर्ड हैं।
पृष्ठ्भूमि:
- भारत के 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने 29 जून, 2024 को सांख्यिकी दिवस के अवसर पर आयोजित एक समारोह में ई-सांख्यिकी पोर्टल को आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया।
- यह पहल सांख्यिकी दिवस की थीम- ‘निर्णय लेने के लिए डेटा का उपयोग’ के अनुरूप है, क्योंकि साक्ष्य आधारित निर्णय लेने के लिए डेटा तक आसान पहुंच एक प्रमुख शर्त है।
- यह एक उपयोगकर्ता केंद्रित डेटा पोर्टल है, जो उपयोगकर्ताओं द्वारा मूल्यवर्धन और विश्लेषण के माध्यम से प्रभाव पैदा करने के लिए सूचना के उपयोग और पुन: उपयोग की सुविधा प्रदान करता है। पोर्टल पर एमओएसपीआई की वेबसाइट के माध्यम से भी पहुंचा जा सकता है।
3. हूल दिवस:
सामान्य अध्ययन: 1
आधुनिक भारत का इतिहास:
विषय: आधुनिक भारतीय इतिहास महत्वपूर्ण घटनाएं, व्यक्तित्व विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: हूल दिवस।
मुख्य परीक्षा: संथाल विद्रोह।
प्रसंग:
- हर साल 30 जून को हूल दिवस मनाया जाता है।
उद्देश्य:
- इसी दिन संताल धनुर्धारियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ प्रथम जंग का आगाज किया था, जिसे संताल विद्रोह या संताल हूल के नाम से जाना जाता है। सिपाही विद्रोह से भी दो साल पूर्व 30 जून 1855 ईस्वी में झारखंड के संतालपरगना में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की शुरुआत हुई।
विवरण:
- झारखंड में आदिवासी नेताओं सिद्धू-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो के बलिदान को याद करने के लिए पूरे राज्य में हूल दिवस मनाया जा रहा है। यह दिन संथाल जनजाति द्वारा जमींदारों और ब्रिटिश सेना के हाथों आदिवासियों के शोषण के खिलाफ लड़ने के लिए आयोजित विद्रोह की शक्तिशाली विरासत को श्रद्धांजलि देता है। विद्रोह की जड़ें 1700 के दशक में संथालों के दुमका प्रवास में हैं।
- प्रधानमंत्री ने हूल दिवस के अवसर पर जनजातीय नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो जैसे जनजातीय नायकों को ब्रिटिश साम्राज्य के अत्याचारों के खिलाफ उनके स्वाभिमान और पराक्रम के लिए श्रद्धांजलि अर्पित की है।
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प्रधानमंत्री ने कहा की “हूल दिवस हमारे आदिवासी समाज के अप्रतिम साहस, संघर्ष और बलिदान को समर्पित एक महान अवसर है।
- इस पावन दिवस पर सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो जैसे जनजातीय वीर-वीरांगनाओं को मेरी आदरपूर्ण श्रद्धांजलि।
- ब्रिटिश साम्राज्य के अत्याचार के खिलाफ उनके स्वाभिमान और पराक्रम की कहानियां देशवासियों के लिए सदैव प्रेरणास्रोत बनी रहेंगी।
- हूल दिवस प्रतिवर्ष 30 जून को आदिवासियों – सिद्धो और कान्हू मुर्मू – की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने 30 जून, 1855 को साहेबगंज जिले के भोगनाडीह में संथाल हूल (विद्रोह) का नेतृत्व किया था। 30 जून 1855 की क्रांति को हूल दिवस के रूप में पूरे भारत वर्ष में मनाया जा रहा है।
पृष्ठ्भूमि:
संथाल विद्रोह:
- संथाल विद्रोह, जिसे संथाल हूल के रूप में भी जाना जाता है; संथाल जनजाति द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी, जमींदार और सामंतवादियों के क्रुर नीतियों के खिलाफ पूर्वी भारत में वर्तमान झारखण्ड और पश्चिम बंगाल का एक विद्रोह था। यह 1855 को शुरू हुआ और 1856 तक चला।
- 30 जून 1855 को, संथाल विद्रोही नेताओं सिद्धू और कान्हू मुर्मू ने लगभग 60,000 संथालों को संगठित किया और ईस्ट इंडिया कंपनी (ईआईसी) के खिलाफ विद्रोह की घोषणा की। सिद्धू मुर्मू ने विद्रोह के दौरान समानांतर सरकार चलाने के लिए लगभग दस हजार संथालों को इकट्ठा किया था।
- संथाल हुल केवल पहला ब्रिटिश विरोधी विद्रोह नहीं था, बल्कि यह सभी प्रकार के शोषण के खिलाफ था। इस विद्रोह के दौरान, जो कि 30 जून 1855 से लगभग छह महीने तक चला, 15,000 से अधिक संथाल मारे गए और उनके 10,000 से अधिक गांव नष्ट हो गए।
- ‘हुल’ के नाम से प्रसिद्ध इस महान विद्रोह का नेतृत्व भगनाडीही गांव के चार भाइयों सिद्धू, कान्हू, चांद और भैरव मुर्मू ने किया था। इन नेताओं के नेतृत्व में लगभग 60,000 संथाल पारंपरिक हथियारों के साथ जुटे थे।
- यह विद्रोह – यद्यपि यह मुख्यतः ब्रिटिश-विरोधी विद्रोह की थीम के इर्द-गिर्द बुना गया था – वास्तव में भारतीय ‘उच्च’ जाति के जमींदारों, साहूकारों, व्यापारियों और दरोगाओं (पुलिस अधिकारियों) द्वारा शोषण के खिलाफ विद्रोह के रूप में शुरू हुआ, जिन्हें सामूहिक रूप से ‘दिकू’ के रूप में जाना जाता था, जो संथाल जीवन के आर्थिक क्षेत्र पर हावी हो गए थे।
- संथाल मूल रूप से वर्तमान बिहार और पश्चिम बंगाल के क्षेत्रों में फैले थे, जिन्हें 1770 के बंगाल अकाल के बाद अंग्रेजों द्वारा 1790 और 1810 के बीच राजमहल पहाड़ी क्षेत्र में स्थानांतरित किया गया था, जिसमें 7 से 10 मिलियन लोग मारे गए थे और 30 मिलियन लोग प्रभावित हुए थे।
- संथाल लोगों के पुनर्वास का कारण राजमहल और जंगल महल पहाड़ियों के स्थायी बस्ती क्षेत्रों में कृषि श्रमिकों की कमी थी। अंग्रेजों और स्थानीय जमींदारों के समर्थन से संथाल लोग इस क्षेत्र में आकर जंगलों को साफ करने लगे। उन्हें कृषि मजदूरों के रूप में काम पर रखा गया या पट्टे पर जमीन दी गई। इस क्षेत्र को ‘दामिन-ए-कोह’ के नाम से जाना जाने लगा।
- दामिन-ए-कोह: संथालों को दामिन-ए-कोह क्षेत्र में पुनर्वासित किया गया था। यह क्षेत्र संथाल सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन का केंद्र बन गया और कई संथाल परिवार यहां बसने लगे।
4. CCRAS-CSMCARI और CIM&H-चेन्नई के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर:
सामान्य अध्ययन: 2
स्वास्थ्य:
विषय: स्वास्थ्य,शिक्षा,मानव संसाधनों से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्र /सेवाओं के विकास एवं उनसे प्रबंधन से सम्बंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: CCRAS-CSMCARI और CIM&H-चेन्नई के बीच समझौता ज्ञापन के निहितार्थ।
प्रसंग:
- आयुष मंत्रालय के तहत चेन्नई स्थित केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद् (सीएसएमसीएआरआई) और भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी आयुक्तालय (सीआईएमएंडएच) ने भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी को उन्नत बनाने के उद्देश्य से एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
उद्देश्य:
- समझौता ज्ञापन (एमओयू) में मानकीकरण के लिए परीक्षण सेवाओं और अनुसंधान अध्ययनों पर प्रशिक्षण प्रदान करने की रूपरेखा प्रदान की गई है।
- इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) में परीक्षण सेवाओं, प्रशिक्षण प्रदान करने और “चयनित उच्चतर श्रेणी की औषधियों की तैयारी को लेकर विषाक्तता अध्ययन के मानकीकरण और मूल्यांकन के लिए अनुसंधान अध्ययन” पर एक सहयोगी परियोजना को कार्यान्वित करने के लिए एक सहभागितापूर्ण ढांचे की रूपरेखा प्रदान की गई है।
विवरण:
- इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) के प्राथमिक उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- औषधि के मानकीकरण के उद्देश्य से चयनित कच्ची औषधियों और तैयार उत्पादों का परीक्षण करना।
- सीआईएमएंडएच की प्रयोगशाला को एनएबीएल प्रत्यायन प्रशिक्षण मार्गदर्शन प्रदान करना।
- स्वीकृत प्रस्ताव के अनुसार, “चयनित उच्च स्तरीय औषधियों की तैयारी को लेकर विषाक्तता अध्ययन के मानकीकरण और मूल्यांकन के लिए अनुसंधान अध्ययन” नामक सहभागिता अनुसंधान परियोजना का परिचालन, जो कि सीसीआरएएस अनुसंधान नीति के नियमों, शर्तों और दिशानिर्देशों के अनुसार इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) का एक अभिन्न अंग है।
- “एमओयू” भारत के अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण स्थापित किया है, जिससे वे आगे आ सकते हैं और आयुष मंत्रालय के अधीन सीसीआरएएस के साथ सहयोग कर सकते हैं विभिन्न अनुसंधान और विकास गतिविधियों के लिए।
- यह समझौता ज्ञापन (एमओयू) इन प्रमुख संस्थानों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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इसके प्रत्याशित परिणामों में शामिल हैं:
- उन्नत गुणवत्ता और सुरक्षा: कठोर परीक्षण व मानकीकरण प्रोटोकॉल आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक औषधियों की उच्च गुणवत्ता व सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे, जिससे चिकित्सकों और रोगियों, दोनों को लाभ होगा।
- विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम: एनएबीएल प्रत्यायन प्रशिक्षण मार्गदर्शन सीआईएमएंडएच प्रयोगशाला की क्षमताओं को संवर्द्धित करेगा और उच्चतम मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करेगा।
- सहयोगात्मक अनुसंधान पहल: संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं चयनित उच्च-स्तरीय औषधियों की विषाक्तता का मूल्यांकन करने, वैज्ञानिक समुदाय को मूल्यवान डेटा प्रदान करने और इन उपचारों की सुरक्षा व प्रभावकारिता सुनिश्चित करने पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगी।
- क्षमता निर्माण और ज्ञान का आदान-प्रदान: यह साझेदारी ज्ञान के स्थायी आदान-प्रदान व क्षमता निर्माण के साथ एक सहयोगात्मक वातावरण को बढ़ावा देगी, जो भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी में नवाचार व उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करेगी।
5. भारतीय नौसेना का जहाज आईएनएस रणवीर बांग्लादेश के चटगांव पहुंचा:
सामान्य अध्ययन: 3
रक्षा एवं सुरक्षा:
विषय: सुरक्षा चुनौतियां एवं उनका प्रबंधन।
प्रारंभिक परीक्षा: आईएनएस रणवीर,समुद्री अभ्यास (एमपीएक्स)/पासेक्स।
प्रसंग:
- पूर्वी नौसेना कमान के नियंत्रण में सेवाएं देने वाला पूर्वी बेड़े का भारतीय नौसेना जहाज रणवीर 29 जुलाई, 2024 को अपनी परिचालन तैनाती के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में बांग्लादेश के चटगांव पहुंचा।
उद्देश्य:
- इस यात्रा के दौरान, दोनों देशों अर्थात् भारतीय और बांग्लादेशी नौसेना के कर्मी विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञों के आदान-प्रदान (एसएमईई), एक-दूसरे के जहाज पर क्रॉस-डेक दौरे, सामुदायिक कार्यक्रम और मैत्रीपूर्ण खेल आयोजनों सहित व्यापक नौसैन्य गतिविधियों पर आधारित बातचीत में शामिल होंगे, इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों की नौसेनाओं व राष्ट्रों के बीच मौजूदा आपसी सहयोग एवं समुद्री संबंधों को और भी सशक्त बनाना है।
विवरण:
- आईएनएस रणवीर की यह यात्रा बांग्लादेश की प्रधानमंत्री सुश्री शेख हसीना के 21-22 जून, 2024 को भारत के राजकीय दौरे के ठीक बाद हुई है।
- आईएनएस रणवीर बंदरगाह चरण के पूरा होने के बाद बांग्लादेश की नौसेना के जहाजों के साथ समुद्री साझेदारी अभ्यास (एमपीएक्स)/पासेक्स में भाग लेगा।
- यह यात्रा भारत सरकार के समुद्री क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास (सागर) पर मुख्य रूप से ध्यान देने के साथ जुड़ी हुई कई गतिविधियों एवं कार्यक्रमों के माध्यम से दीर्घकालिक मित्रता, सहयोग और साथ ही दोनों देशों के बीच मजबूत सहभागिता वाली स्थिति को और सशक्त करेगी।
पृष्ठ्भूमि:
- आईएनएस रणवीर राजपूत श्रेणी का एक निर्देशित मिसाइल विध्वंसक युद्धपोत है,जिसे अत्याधुनिक हथियारों और सेंसरों के साथ उन्नत बनाया गया है।
- इसमें इस्तेमाल की गई अधिकांश हथियार प्रणालियां स्वदेशी हैं, जो भारतीय नौसेना के आत्मनिर्भरता पर विशेष तौर पर ध्यान देने की वचनबद्धता को दोहराते हैं।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने थल सेना प्रमुख का पदभार संभाला:
- जनरल उपेंद्र द्विवेदी, पीवीएसएम, एवीएसएम ने जनरल मनोज पांडे, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम, एडीसी से 30वें थल सेना प्रमुख (सीओएएस) के रूप में पदभार ग्रहण किया, जो 30 जून 2024 को राष्ट्र की चार दशकों से अधिक सेवा देने के बाद सेवानिवृत्त हुए।
- जनरल उपेंद्र द्विवेदी एक निपुण सैन्य नेता हैं, जिन्होंने सशस्त्र बलों में 40 वर्षों की सेवा की है। जनरल द्विवेदी सैनिक स्कूल, रीवा (मध्य प्रदेश) के पूर्व छात्र रहे हैं। उन्हें 1984 में जम्मू और कश्मीर राइफल्स की रेजिमेंट में कमीशन दिया गया था। जनरल द्विवेदी के पास विभिन्न परिचालन वातावरण में उत्तरी, पूर्वी और पश्चिमी थिएटरों में संतुलित कमान के साथ-साथ स्टाफ एक्सपोजर का एक अनूठा अनुभव है।
- जनरल द्विवेदी ने वैश्विक भू-रणनीतिक माहौल और आधुनिक युद्ध की बदलती चुनौतियों के बीच यह पद संभाला है। उनका ध्यान परिचालन तैयारियों, गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों के लिए प्रतिक्रिया रणनीतियों, और आधुनिक तकनीकों के सैन्य प्रणालियों में एकीकरण पर रहेगा। वे आत्मनिर्भरता के माध्यम से सेना के आधुनिकीकरण और क्षमता विकास के प्रयासों का समर्थन करेंगे।
- जनरल द्विवेदी विश्वास की संस्कृति को बढ़ावा देने, जूनियर अधिकारियों के सशक्तीकरण, सैनिकों की भलाई, और दिग्गजों व वीर नारियों के कल्याण पर भी ध्यान देंगे।
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