विषयसूची:

  1. संसद ने सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया:
  2. ट्राई और सी-डॉट ने दूरसंचार में तकनीकी एवं संस्थागत सहयोग तंत्र स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:
  3. जेंडर इंक्लूजन फंड (GIF):
  4. राष्ट्रीय वन नीति (National Forest Policy):
  5. स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 की योजना और कार्यान्वयन:
  6. हाइड्रोजन उत्पादन की नई उत्प्रेरक प्रक्रिया ग्रीन फ्यूल के निर्माण की टिकाऊ विधि प्रदान करती है:
  7. DGCA ने एयर इंडिया और इंडिगो को विमान आयात करने की सैद्धांतिक मंजूरी दी:
  8. हरित भारत मिशन (Green India Mission):
  9. प्रवासी पक्षियों का संरक्षण:
  10. पश्चिमी घाट की सुरक्षा के लिए योजनाएँ:
  11. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY):

1. संसद ने सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और अन्य उपाय।

प्रारंभिक परीक्षा: सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड।

मुख्य परीक्षा: पायरेसी की समस्या से निपटने तथा फिल्म उद्योग को और आगे बढ़ाने के लिए सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक किस प्रकार महत्वपूर्ण है।

प्रसंग:

  • सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023 को लोकसभा से मंजूरी मिलने के बाद 31 जुलाई 2023 को संसद द्वारा पारित कर दिया गया।

उद्देश्य:

  • पायरेसी की समस्या से निपटने तथा फिल्म उद्योग को और आगे बढ़ाने के लिए यह विधेयक महत्वपूर्ण है।
  • सरकार ने हर 10 साल में फिल्म के लाइसेंस को नवीनीकृत करने की जरूरत को खत्म कर दिया है और इसे जीवन भर के लिए वैध कर दिया है।
  • कैम-कॉर्डिंग के अलावा, ऑनलाइन पायरेसी की असली समस्या को दंडनीय बना दिया गया है।
  • इस विधेयक के प्रावधानों में न्यूनतम 3 महीने की कैद और 3 लाख रुपये के जुर्माने की सख्त सजा शामिल है, जिसे बढ़ाकर 3 साल तक की कैद और ऑडिट की गई कुल लागत का जुर्माना किया जा सकता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को शामिल करते हुए फिल्मों के प्रमाणन की प्रक्रिया में समग्र सुधारों का समावेश।

विवरण:

सिनेमैटोग्राफ (चलचित्र) संशोधन विधेयक:

  • सर्वप्रथम इस विधेयक के द्वारा फिल्मों की अनधिकृत रिकॉर्डिंग और प्रदर्शन की समस्या का समाधान प्रदान करने तथा इंटरनेट पर चोरी करके फिल्म की अनधिकृत प्रतियों के प्रसारण से होने वाले पायरेसी के खतरे को समाप्त करने का प्रयास किया गया है।
  • इस विधेयक का दूसरा उद्देश्य यह है कि इसके माध्यम से केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए फिल्मों के प्रमाणन की प्रक्रिया में बदलाव करने के साथ-साथ फिल्मों के प्रमाणन के वर्गीकरण में सुधार करने का प्रयास किया जा रहा है।
  • तीसरा, विधेयक प्रचलित शासकीय आदेशों, उच्चतम न्यायालयों के निर्णयों और अन्य प्रासंगिक कानूनों के साथ वर्तमान कानून को सुसंगत बनाने का प्रयास करता है।
  1. पायरेसी की श्रेणी में आने वाली फिल्मों की अनधिकृत रिकॉर्डिंग तथा उनके प्रदर्शन पर रोक लगाने के प्रावधान: सिनेमाघरों में कैम-कॉर्डिंग के माध्यम से फिल्म पायरेसी की जांच करना; इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी फिल्म की पायरेटेड कॉपी अथवा किसी भी अनधिकृत कॉपी रखने और ऑनलाइन प्रसारण तथा प्रदर्शन पर रोक लगाने के उद्देश्य से इसमें सख्त दंडात्मक प्रावधान शामिल किए गए हैं।
  2. आयु-आधारित प्रमाणीकरण: मौजूदा UA श्रेणी को तीन आयु-आधारित श्रेणियों में उप-विभाजित करके प्रमाणन की आयु-आधारित श्रेणियों की शुरुआत की गई है, अर्थात बारह वर्ष के बजाय सात वर्ष (UA 7+), तेरह वर्ष (UA 13+), और सोलह वर्ष (UA 16+)। ये आयु-आधारित संकेतक केवल अनुशंसात्मक होंगे। इस पहल का उद्देश्य माता-पिता अथवा अभिभावकों को यह विचार करने के लिए प्रेरित करना है कि क्या उनके बच्चों को ऐसी इस तरह की फिल्में देखनी चाहिए।
  3. उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के अनुरूप: के. एम. शंकरप्पा बनाम भारत सरकार (2000) के मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार केंद्र सरकार की पुनरीक्षण शक्तियों की अनुपस्थिति को देखना।
  4. प्रमाणपत्रों की सर्वकालिक वैधता: केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के प्रमाणपत्रों की सर्वकालिक वैधता हेतु अधिनियम में केवल 10 वर्षों के लिए प्रमाणपत्र की वैधता पर प्रतिबंध को हटाया जाना।
  5. टेलीविजन के लिए फिल्मों की श्रेणी में परिवर्तन: टेलीविजन पर प्रसारण के लिए संपादित की गई फिल्मों का पुन:प्रमाणीकरण, क्योंकि केवल अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शन वाली श्रेणी की फिल्में ही टेलीविजन पर दिखाई जा सकती हैं।
  6. जम्मू और कश्मीर का संदर्भ: जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुरूप पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य के संदर्भ को हटा दिया गया है।
  • भारतीय फिल्म उद्योग विश्व के सबसे बड़े और सर्वाधिक वैश्वीकृत उद्योगों में से एक है, यह हर वर्ष 40 से अधिक भाषाओं में 3,000 से अधिक फिल्मों का निर्माण करता है।
    • बीते कुछ वर्षों में सिनेमा के माध्यम में और उससे जुड़े उपकरणों एवं प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण बदलाव आ चुके हैं।
    • इंटरनेट और सोशल मीडिया की सुलभता के साथ ही पायरेसी का खतरा भी कई गुना बढ़ गया है।
    • सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023 संसद द्वारा पारित कर दिया गया, जो पायरेसी के खतरे को रोकने और व्यापार करने में सुगमता लाने के साथ ही भारतीय फिल्म उद्योग को सशक्त बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

पृष्ठ्भूमि:

  • इस विधेयक को 20 जुलाई, 2023 को राज्यसभा में पेश किया गया था और चर्चा के बाद 27 जुलाई, 2023 को इसे पारित कर दिया गया था।
    • 40 वर्षों के बाद सिनेमैटोग्राफ अधिनियम में संशोधन करने वाला यह ऐतिहासिक विधेयक संसद द्वारा पारित किया गया।
    • सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 में अंतिम महत्वपूर्ण संशोधन वर्ष 1984 में किया गया था।
    • इस ऐतिहासिक विधेयक का उद्देश्य ‘पायरेसी’ की समस्या पर व्यापक रूप से अंकुश लगाना है, जिससे कुछ अनुमानों के अनुसार फिल्म उद्योग को 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है।

2. ट्राई और सी-डॉट ने दूरसंचार में तकनीकी एवं संस्थागत सहयोग तंत्र स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:

सामान्य अध्ययन: 3

आर्थिक विकास:

विषय: संचार नेटवर्क, सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई), सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (सी-डॉट)।

प्रसंग:

  • भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) और सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (सी-डॉट) ने आज एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।

उद्देश्य:

  • औपचारिक साझेदारी की यह शुरुआत उभरती हुई नई प्रौद्योगिकियों को समझने की दिशा में सशक्त बनाएगी।
  • इस साझेदारी का उद्देश्य नियामक प्रथाओं के लिए अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देना और समझ के अंतराल को पाटना है।

विवरण:

  • ट्राई सेंटर ऑफ स्टडीज एंड रिसर्च (ट्राई सीएसआर) की स्थापना ट्राई की एक इकाई के रूप में दूरसंचार एवं प्रसारण क्षेत्रों में तकनीकी अध्ययन की संकल्पना, समन्वय और समर्थ स्थापित करने के लिए की गई है।
  • इसका दृष्टिकोण क्रॉस-सेक्टर पहलों का समन्वय करके और ज्ञान साझा करने की सुविधा प्रदान करते हुए देश में प्रौद्योगिकी आधारित विकास को सक्षम बनाना है।
  • ट्राई सीएसआर और सी-डॉट समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करते हुए सहयोगी बने हैं और उन्होंने इसके विकास में योगदान देने के उद्देश्य से दूरसंचार क्षेत्र में तकनीकी एवं संस्थागत सहयोग का एक तंत्र स्थापित करने की आम स्वीकृति प्राप्त की है।
  • एक संयुक्त दृष्टिकोण के साथ, इसका उद्देश्य उभरती प्रौद्योगिकियों की क्षमता की पहचान करना है।
  • यह समझौता ज्ञापन सहयोग एवं ज्ञान साझेदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह एक ऐसे वातावरण को बढ़ावा देता है जो नियामक प्रथाओं, नियामक अंतर अध्ययन और महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रसार के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देता है।
  • इस सहयोग से नीति अनुसंधान, नियामक अध्ययन तथा दूरसंचार एवं प्रसारण क्षेत्रों में आगामी प्रौद्योगिकियों के प्रसार के नए अवसर खुलेंगे। यह भारत को नीति-संचालित नवाचार की प्राप्ति में मदद करेगा।

3. जेंडर इंक्लूजन फंड (GIF):

सामान्य अध्ययन: 2

शिक्षा,सामाजिक न्याय:

विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020, जेंडर इंक्लूजन फंड (GIF) ।

मुख्य परीक्षा: ‘न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा’ पर फोकस करती राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), में जेंडर इंक्लूजन फंड (GIF) का कितना न्यायोचित हैं ?टिप्पणी कीजिए।

प्रसंग:

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में विशेष रूप से लड़कियों और ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों को समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए जेंडर इंक्लूजन फंड (GIF) बनाने का प्रावधान है।

उद्देश्य:

  • ‘न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा’ पर फोकस करती राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 इस विचार को प्रतिध्वनित करती है कि किसी भी बच्चे को उसकी पृष्ठभूमि और सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान के कारण शैक्षिक अवसर के मामले में पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए।
  • इसमें सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों (SEDG) की चिंताओं को ध्यान में रखा गया है जिसमें महिला और ट्रांसजेंडर व्यक्ति शामिल हैं।
  • इसके अतिरिक्त NEP राज्यों और स्थानीय सामुदायिक संगठनों की साझेदारी से शिक्षा में लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए लैंगिक आधार को एक वैकल्पित प्राथमिकता के रूप में देखने का सुझाव देती है।

विवरण:

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 विशेष रूप से लड़कियों और ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए एक जेंडर इंक्लूजन फंड (GIF) स्थापित करने का प्रावधान करती है ताकि सभी लड़कियों के साथ-साथ ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए समान गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने की राष्ट्र की क्षमता का निर्माण किया जा सके।
  • बालिकाओं के लिए समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए NEP के उद्देश्यों को सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों (SEDG) के लिए समर्पित संसाधनों को आवंटित करके समग्र शिक्षा 2.0 के तहत विशिष्ट प्रावधानों के माध्यम से पूरा किया जा रहा है।
  • समग्र शिक्षा के अंतर्गत बालिकाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए विभिन्न उपायों को लक्षित किया गया है, जिनमें बालिकाओं की पहुंच को आसान बनाने के लिए पड़ोस में स्कूल खोलना, बालिकाओं को आठवीं कक्षा तक निःशुल्क पोशाक और पाठ्य-पुस्तकें, दूरवर्ती/पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षकों के लिए अतिरिक्त शिक्षक तथा शिक्षकों के लिए आवासीय क्वार्टर, महिला शिक्षकों सहित अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति, CWSN की बालिकाओं को कक्षा एक से कक्षा बारहवीं तक स्टाइपेंड, बालिकाओं के लिए अलग शौचालय, बालिकाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए शिक्षक संवेदीकरण कार्यक्रम, पाठ्य पुस्तकों सहित लैंगिक संवेदनशीलता शिक्षण-लर्निंग सामग्री आदि शामिल हैं।
  • इसके अतिरिक्त स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर महिला-पुरुष अंतराल को कम करने के लिए शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (KGBV) स्वीकृत किए जाते हैं, जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जैसे लाभ से वंचित समूहों की बालिकाओं के लिए कक्षा छठी से बारहवीं तक आवासीय विद्यालय हैं।
  • देश में 30 जून 2023 तक 6.88 लाख लड़कियों के नामांकन के साथ कुल 5639 KGBV स्वीकृत किए गए हैं।
  • KGBV के उन्नयन का कार्य वर्ष 2018-19 में शुरू किया गया था और वर्ष 2022-23 तक कुल 357 KGBV को टाइप-II (कक्षा 6-10) में उन्नयन के लिए अनुमोदित किया गया है तथा 2010 KGBV को टाइप-III (कक्षा 6-12) में उन्नयन के लिए अनुमोदित किया गया है।

4. राष्ट्रीय वन नीति (National Forest Policy):

सामान्य अध्ययन: 3

पर्यावरण:

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदुषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI), भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR)।

मुख्य परीक्षा: राष्ट्रीय वन नीति पर चर्चा कीजिए।

प्रसंग:

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI), देहरादून 1987 से द्विवार्षिक रूप से वन क्षेत्र का मूल्यांकन करता रहा है और इसके द्वारा निकले गए निष्कर्ष भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR) में प्रकाशित किए जाते हैं।

उद्देश्य:

  • ISFR 2021 के आकलन के अनुसार देश का कुल वन और वृक्ष आवरण 8,09,537 वर्ग किलोमीटर है जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 24.62% है।

विवरण:

  • ISFR 2019 के आकलन की तुलना में कुल वन और वृक्ष आवरण में 2261 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।
  • राष्ट्रीय वन नीति के आदेश के अनुसार मंत्रालय राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को देश के वन और वृक्ष आवरण को बढ़ाने के लिए विभिन्न केंद्र प्रायोजित योजनाओं अर्थात् ग्रीन इंडिया मिशन (GIM), वन अग्नि रोकथाम और प्रबंधन योजना, CAMPA, नगर वन योजना और संबंधित मंत्रालयों की अन्य योजनाओं के तहत तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • ग्रीन इंडिया मिशन (GIM) गतिविधियाँ वित्तीय वर्ष 2015-16 में शुरू की गईं।
  • पिछले पांच वर्षों के दौरान, 17 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश को वनीकरण गतिविधियों के लिए 755.28 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।
  • मंत्रालय ने देश में नष्ट हुए वनों और आसपास के क्षेत्रों के पुनर्जीवन के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना, एक राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम भी लागू किया है।
  • योजना के तहत वर्ष 2019-20 से 2021-22 के दौरान 108.57 करोड़ की राशि जारी की गई है। राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम का अब हरित भारत मिशन में विलय हो गया है।
  • मंत्रालय वर्ष 2020 से नगर वन योजना (NVY) लागू कर रहा है, जिसमें प्रतिपूरक वनीकरण निधि (CAMPA) के तहत उपलब्ध धनराशि के तहत 2020-21 से 2024-25 की अवधि के दौरान देश में 600 नगर वनों और 400 नगर वाटिकाओं के निर्माण की परिकल्पना की गई है।
  • नगर वन योजना का उद्देश्य शहरी और उप-शहरी क्षेत्रों में जैविक विविधता सहित हरित आवरण को बढ़ाना, पारिस्थितिक लाभ प्रदान करना और शहरवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 की योजना और कार्यान्वयन:
    • शहरों में स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन के समग्र कार्यान्वयन का मूल्यांकन करने के लिए आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय एक वार्षिक सर्वेक्षण आयोजित करता है।
      • इसके अतिरिक्त, शहरों को तीसरे पक्ष की एजेंसियों के माध्यम से खुले में शौच मुक्त (ODF) और कचरा मुक्त शहर (GFC) के वार्षिक प्रमाणपत्रों से भी गुजरना पड़ता है।
      • राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों में SBM-U की निगरानी के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस, वेबिनार, कार्यशालाओं आदि द्वारा तथा समर्पित SBM-U पोर्टलों के माध्यम से आवधिक समीक्षा और मूल्यांकन भी किया जाता है।
    • स्वच्छ भारत मिशन (SBM-U) 2.0 को 1 अक्टूबर, 2021 को पांच साल की अवधि के लिए शुरू किया गया है।
      • इसका उद्देश्य 100 प्रतिशत स्रोत पृथक्करण, डोर टू डोर कलेक्शन और वैज्ञानिक लैंडफिल में सुरक्षित निपटान सहित कचरे के सभी अंशों के वैज्ञानिक प्रबंधन से सभी शहरों के लिए कचरा मुक्त स्थिति प्राप्त करना है।
      • यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई अशोधित मल कीचड़ या उपयोग किया हुआ पानी पर्यावरण में नहीं छोड़ा जाता है और सभी उपयोग किए गए पानी (सीवरेज और सेप्टेज, ग्रे वाटर और काले पानी सहित) को सुरक्षित रूप से रखा, परिवहन और शोधित किया जाता है, साथ ही शोधित किए गए पानी का फिर से अधिकतम उपयोग किया जाता है, एक लाख से कम आबादी वाले शहरों के लिए उपयोग किए गए जल प्रबंधन (UWM) का एक नया घटक शामिल किया गया है।
      • इसका उद्देश्य पहले के सभी डंपसाइटों का शोधन करना और उन्हें ग्रीन जोन में परिवर्तित करना भी है।
    • SBM-U 20 के अंतर्गत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को विभिन्न प्रकार के नगरीय ठोस अपशिष्ट (MSW) प्रबंधन संयंत्रों जैसे अपशिष्ट-से-खाद (WTS), अपशिष्ट-से-ऊर्जा (WTE), बायो-मेथेनेशन, सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधाएं (MRF) और पहले के अपशिष्ट डंपसाइट का शोधन, निर्माण और गिराये गए अपशिष्ट आदि बनाने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।
    • इसके अतिरिक्त, UWM घटक के अंतर्गत सीएस निधियां-
      • (i) सीवेज शोधन संयंत्रों (STP)/STP-सह-फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (FSTP) बनाने के लिए दी जाती हैं;
      • (ii) पम्पिंग स्टेशनों के प्रावधान सहित अवरोधन और विपथन (I&D) संरचनाएं बिछाना और STP तक मुख्य/गुरुत्व मुख्य रूप से पंपिंग करना;
      • (iii) पर्याप्त संख्या में सेप्टिक टैंकों को नष्ट करने वाले उपकरणों की खरीद करने के लिए दी जाती हैं।
  2. हाइड्रोजन उत्पादन की नई उत्प्रेरक प्रक्रिया ग्रीन फ्यूल के निर्माण की टिकाऊ विधि प्रदान करती है:
    • परिवेशी परिस्थितियों में उत्प्रेरक प्रतिक्रिया के माध्यम से मेथनॉल से हाइड्रोजन उत्पादन की एक नई प्रक्रिया अत्यधिक आवश्यक स्वच्छ ईंधन के निर्माण की एक टिकाऊ और प्रदूषण रहित विधि प्रदान कर रही है।
    • हाइड्रोजन को ऊर्जा के सबसे स्वच्छ स्रोतों में से एक माना जाता है जिसे अपाच्य बायोमास या बायो-डीराइव्ड अल्कोहल से आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
      • विभिन्न तरीकों से हाइड्रोजन उत्पन्न किया जा सकता है, लेकिन हाइड्रोजन की लागत इस बात पर निर्भर करती है कि उत्पादन प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा कुशल कितनी है।
      • पानी और मीथेन पृथ्वी पर हाइड्रोजन के मुख्य स्रोत हैं, लेकिन उनसे शुद्ध हाइड्रोजन निकालने में प्राकृतिक गैस सुधार इलेक्ट्रोलिसिस और जल-विभाजन प्रतिक्रियाओं जैसी तकनीकों के माध्यम से बहुत अधिक ऊर्जा की खपत होती है।
    • विशेष रूप से, मेथनॉल 12.6 प्रतिशत की ग्रेविमेट्रिक हाइड्रोजन सामग्री और अंतिम उत्पादों के रूप में एच2 और सीओ2 में इसके प्रभावी रूपांतरण के कारण हाइड्रोजन स्रोत के लिए संभावित कैंडिडेट के रूप में काम कर सकता है।
    • जलीय मेथनॉल को स्थानांतरण हाइड्रोजनीकरण और सी1 रसायन विज्ञान के प्रवर्धन के लिए एक संभावित स्रोत माना जा सकता है।
    • भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (IISER), तिरूपति के वैज्ञानिकों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) से संबद्ध संस्थान SERB के सहयोग से, मेथनॉल जैसे सरल फीडस्टॉक रसायनों को डीहाइड्रोजनीकृत करके आणविक हाइड्रोजन का उत्पादन करने और अत्यधिक मूल्यवर्धित रसायनों और फार्मास्यूटिकल्स का उत्पादन करने के लिए हाइड्रोजन को प्रभावी ढंग से स्थानांतरित करने की एक व्यवहार्य विधि तैयार की।
    • इसे स्थानांतरण हाइड्रोजनीकरण और C1 रसायन विज्ञान को बढ़ाने के संभावित तरीके के रूप में देखा जा सकता है।
    • उन्होंने स्वच्छ रासायनिक डिहाइड्रोजनीकरण प्रतिक्रिया के माध्यम से मेथनॉल से हाइड्रोजन उत्पन्न करने के लिए उत्प्रेरक के रूप में हल्के परिस्थितियों में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध रूथेनियम कॉम्प्लेक्स का उपयोग किया और विभिन्न कार्यात्मक यौगिकों की उत्प्रेरक कमी के लिए संभावित हस्तांतरण हाइड्रोजनीकरण एजेंट के रूप में मेथनॉल की प्रयोज्यता का उपयोग किया।
    • मेथनॉल को मूल्यवान उत्पादों में बदलने के लिए प्रभावी उत्प्रेरक तरीकों को विकसित करने की चुनौती पर काबू पाते हुए, यह भी प्रदर्शित किया है कि मेथनॉल फीडस्टॉक से मुक्त हाइड्रोजन का उपयोग रसायनों और फार्मास्यूटिकल्स के टिकाऊ और किफायती संश्लेषण के लिए प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।
    • मेथनॉल एक संभावित हाइड्रोजन वाहक के रूप में कार्य कर सकता है, जो इसे सिंथेटिक कार्बनिक रसायन विज्ञान में बहुत उपयोगी बनाता है क्योंकि मुक्त हाइड्रोजन की तुलना में इसे संग्रहीत करना और परिवहन करना आसान है।
      • इस प्रकार, विकसित रणनीति थोक और बढ़िया रसायन बनाने के लिए मौलिक अनुसंधान और औद्योगिक अनुप्रयोगों दोनों में एक नया रास्ता खोलती है।
    • इसके अलावा, ड्यूटेरियम-लेबल यौगिकों और बायोएक्टिव अणुओं की तैयारी में ड्यूटेरेटेड मेथनॉल के इस्तेमाल में भी फार्मास्युटिकल विज्ञान की रुचि बढ़ रही है।
  3. DGCA ने एयर इंडिया और इंडिगो को विमान आयात करने की सैद्धांतिक मंजूरी दी:
    • नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने एयर इंडिया लिमिटेड और इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (इंडिगो) को क्रमश: 470 और 500 विमानों के आयात के लिए सैद्धांतिक स्वीकृती दे दी है।
      • नागर विमानन महानिदेशालय द्वारा आयात किए जाने के लिए अनुमोदित विमानों का ब्यौरा अनुलग्नक में दिया गया है।
      • इन विमानों के अधिग्रहण की लागत के संबंध में सूचना उपलब्ध नहीं है क्योंकि एयरलाइन और मूल उपकरण विनिर्माताओं (OEM) का स्वरूप वाणिज्यिक है।
    • विमान के वास्तविक आयात के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रदान करते समय पार्किंग स्थलों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
      • एयरलाइंस की इंडक्शन योजना के अनुसार, 2023-2035 की अवधि में विमानों का आयात किया जाना प्रस्तावित है।
      • नागर विमानन महानिदेशालय ने एयरलाइन ऑपरेटरों को सलाह दी है कि वे पार्किंग स्थलों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हवाईअड्डा ऑपरेटरों के साथ अपनी इंडक्शन योजना साझा करें।
  4. हरित भारत मिशन (Green India Mission):
    • राष्ट्रीय हरित भारत मिशन (GIM) जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत आठ मिशनों में से एक है।
    • इस मिशन के तहत वन/वृक्ष आवरण को बढ़ाने और मौजूदा वन की गुणवत्ता में सुधार के लिए वन और गैर-वन भूमि पर 10 मिलियन हेक्टेयर का लक्ष्य है।
    • राज्यों द्वारा प्रस्तुत परिप्रेक्ष्य योजनाओं के आधार पर और धन की उपलब्धता के अनुसार, अब तक सत्रह राज्य अर्थात् आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब , सिक्किम, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और एक केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर को GIM के तहत लिया गया है।
    • राज्यों को उनकी परिप्रेक्ष्य योजना और GIM के दिशानिर्देशों के अनुसार तैयार संचालन की वार्षिक योजना के मूल्यांकन के बाद GIM के तहत वित्त पोषण के लिए विचार किया जाता है।
    • तेलंगाना राज्य ने अब तक GIM के तहत अपनी परिप्रेक्ष्य योजना और संचालन की वार्षिक योजना प्रस्तुत नहीं की है और इसलिए GIM के तहत राज्य को कोई धनराशि आवंटित नहीं की गई है।
    • विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय (DMEO), नीति आयोग, भारत सरकार, ने योजना के भीतर प्रासंगिकता, प्रभावशीलता, दक्षता, स्थिरता, प्रभाव और समानता जैसे पहलुओं पर 2020-21 में हरित भारत के लिए राष्ट्रीय मिशन का मूल्यांकन किया है और योजना को जारी रखने की सिफारिश की है।
  5. प्रवासी पक्षियों का संरक्षण:
    • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने नवंबर 2018 में ‘मध्य एशियाई फ्लाईवे के साथ प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना’ शुरू की है।
    • यह कार्य योजना विभिन्न केंद्र सरकार के मंत्रालयों, राज्य सरकार के विभागों, संरक्षित क्षेत्रों के प्रबंधकों, स्थानीय समुदायों, सिविल सोसायटी और निजी क्षेत्र के बीच समन्वय और सहयोग पर जोर देती है।
    • उत्तर प्रदेश में प्रवासी पक्षियों की संख्या में गिरावट बताने वाली रिपोर्ट मंत्रालय के पास उपलब्ध नहीं है।
    • मंत्रालय ने विशेषकर उत्तर प्रदेश में प्रवासी पक्षियों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और उनके जीवनचक्र में परिवर्तन के संबंध में कोई अध्ययन नहीं किया है। वन्यजीवों और उनके आवास का संरक्षण मुख्य रूप से राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों की जिम्मेदारी है। मंत्रालय राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों के आधार पर तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  6. पश्चिमी घाट की सुरक्षा के लिए योजनाएँ:
    • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) पश्चिमी घाट राज्यों सहित विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वन, वन्यजीव और पर्यावरण के संरक्षण के लिए कई योजनाएं लागू कर रहा है।
    • इनमें राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम, वन्यजीव आवास का एकीकृत विकास, जंगल की आग की रोकथाम और प्रबंधन, प्रोजेक्ट टाइगर और हरित भारत के लिए राष्ट्रीय मिशन शामिल हैं।
    • प्रतिपूरक वनीकरण प्रबंधन और योजना प्राधिकरण के तहत धनराशि का उपयोग पश्चिमी घाट में वन और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए भी किया जाता है।
    • पश्चिमी घाट की सुरक्षा और संरक्षण के लिए, MoEFCC ने दो समितियों का गठन किया था, अर्थात्: WGEEP की सिफारिशों की समीक्षा के लिए प्रोफेसर माधव गाडगिल की अध्यक्षता में पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ पैनल (WGEEP) और डॉ. के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कार्य समूह (HLWG) का गठन किया गया।
    • HLWG की रिपोर्ट के आधार पर, MoEFCC ने 10 मार्च, 2014 को एक मसौदा अधिसूचना जारी की है, जिसमें जैविक और सांस्कृतिक रूप से विविध क्षेत्रों को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है, जिसके लिए सुरक्षा और संरक्षण की आवश्यकता है।
    • संबंधित राज्य सरकारों के विचारों और चिंताओं पर विचार करते हुए और जनता/हितधारकों की चिंताओं और आशंकाओं को संबोधित करते हुए, पश्चिमी घाट पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र के मसौदे को 6 जुलाई 2022 को पांचवीं बार फिर से अधिसूचित किया गया था और अधिसूचना को अंतिम रूप देने के लिए राज्य सरकारों के साथ परामर्श में सहायता के लिए विशेष रूप से एक समिति भी गठित की गई है।
  7. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY):
    • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के अंतर्गत वित्त वर्ष 2022-23 में 6,23,10,598 ऋण स्वीकृत किये गए हैं।
    • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) का उद्देश्य नवीन अथवा मौजूदा सूक्ष्म इकाईयों/उद्यमों को 10 लाख रुपये तक संस्थागत वित्तीय सहायता की सुविधा प्रदान करना है।
    • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत ऋण देने वाले सदस्य संस्थानों (MLI) अर्थात अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCB), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) और सूक्ष्म वित्तीय संस्थानों (MFI) द्वारा 10 लाख रुपये तक का समानान्तर-मुक्त संस्थागत ऋण प्रदान किया जाता है।
    • कोई भी व्यक्ति, जो इस योजना के तहत ऋण लेने हेतु पात्रता रखता है और उसके पास लघु व्यवसाय या उद्यम करने के उद्देश्य से व्यवसायिक योजना है, तो वह विनिर्माण, व्यापार व सेवा जैसे क्षेत्रों में आय सृजन की गतिविधियों तथा कृषि से संबद्ध कार्यों के लिए योजना के अनुसार ऋण प्राप्त कर सकता है।
      • इन ऋणों को तीन श्रेणियों में प्राप्त किया जा सकता है अर्थात शिशु (50,000/- रुपये तक का ऋण), किशोर (50,000/- रुपये से अधिक और 5 लाख रुपये तक का ऋण) तथा तरूण (5 लाख रुपये से अधिक व 10 लाख रुपये तक का ऋण)।
    • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के कार्यान्वयन के संबंध में सभी समस्याओं का निवारण संबंधित बैंकों के परामर्श से किया जाता है।
    • केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली (CPGRAMS) पर प्राप्त हुई शिकायतों को निर्धारित समय सीमा के भीतर निवारण करने के लिए संबंधित बैंकों के साथ भी साझा किया जा रहा है।

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