''गज़ब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।''
• लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?
लेखक को जब उस बस में बैठते हुए मन ही मन बस के चलने पर आशंका हुई तो उसकी आशंका को मिटाने के लिए बस के हिस्सेदार ने बस की प्रशंसा बढ़ा-चढ़ाकर की। लेखक को संदेह था इसलिए उसने इस संदेह के निर्वाण हेतु बस के हिस्सेदार से पूछ ही लिया क्या ये बस चलेगी? और बस हिस्सेदार ने उतने ही अभिमान से कहा - अपने आप चलेगी, क्यों नहीं चलेगी, अभी चलेगी। पर लेखक को उसके कथन में सत्यता नहीं दिखाई दे रही थी। अपने आप कैसे चलेगी? उसके लिए तो हैरानी की बात थी कि एक तो ऐसी खस्ता हालत बस की थी फिर भी वो कह रहा था चलेगी और अपने आप चलेगी। ये हैरान कर देने वाली बात थी।