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Question

(क) अपने प्रदेश या किसी अन्य राज्य की किसी जनजाति के बारे में पता करो। उसके बारे में अपनी कक्षा में बताओ।

(ख) यह पाठ एक लोककथा पर आधारित है। अगर तुमने भी कभी कोई लोककथा सुनी है तो लोककथा और सामान्य कहानी के बारे में अपनी कक्षा में चर्चा करो।

(ग) गारो लोगों ने बहुत लंबी यात्रा की थी। यदि तुमने भी कोई लंबी यात्रा की हो तो अपनी यात्रा के बारे में लिखो।

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Solution

(क) 'मुंडा' जनजाति झारखण्ड की मुख्य जनजातियों में से एक है। यह भारत की पुरानी जनजातियों में से एक कही जाती है। अधिकत्तर मुंडा रांची जिले में ही निवास करते हैं। इनकी भाषा मुंडारी कही जाती है। इनका मुख्य पेशा कृषि है। जंगल इनकी जीविका का मुख्य तथा उपयोगी साधन है। यह जनजाति अपनी लोककथा और लोकगीतों के लिए विश्व में खासी प्रसिद्ध है।

(ख) लोककथा और समान्य कहानी में बहुत अंतर होता है। लोककथा किसी सत्य कहानी पर आधारित होती है जबकि सामान्य कहानी काल्पनिक होती है। लोककथा हमारी संस्कृति का आधार होती है। सामान्य कहानी के साथ ऐसा होना आवश्यक नहीं होता। लोककथा में उस समय के जन-जीवन का सजीव चित्रण होता है, समान्य कहानी में इस तत्व का अभाव होता है। ये हमारी अमूल्य धरोहर हैं, जो सदियों से एक-से दूसरी और दूसरी से तीसरी पीढ़ी को मिल रही हैं। सामान्य कहानी में ऐसा नहीं होता। लोककथा मौखिक रुप में जीवित होती हैं। सामान्य कहानी लिखित अवस्था में होती हैं। लोककथा के निर्माण के विषय में जानकारी प्राप्त नहीं होती है। परन्तु सामान्य कहानी में सभी जानकारी मिल जाती हैं।

(ग) एक बार में अपने पिताजी के साथ दिल्ली से गढ़वाल गया हुआ था। हमने पूरी रात बस में बैठकर सफ़र किया। सुबह रामनगर पहुँचकर हमने अपने गाँव तक की दूसरी बस ली। वहाँ से हमारी यात्रा बहुत दुर्गम थी। वातावरण जितना मनभावन और रमणीय था। सफ़र उतना ही कठिन था। बस धीमी गति से चल रही थी; तब भी हमें डर लग रहा था। दोपहर बारह बजे हमारी बस ने हमें एक पक्की सड़क के किनारे छोड़ दिया। वहाँ पहुँचकर तो ऐसा लगा मानो मैं स्वर्ग में पहुँच गया हूँ। ठंडी हवा चल रही थी। चारों तरफ हृदय को आनंदित करने वाला दृश्य विद्यमान था। मेरे मामा हमें लेने आए थे। हमारा घर पहाड़ की तराई पर था। हमें नीचे तक पैदल यात्रा करनी थी। सारा सामान उन्होंने अपने कंधो पर उठा लिया। हम जंगल के रास्ते से गुज़रे। वहाँ शांति छायी हुई थी। कहीं-कहीं पर पानी की आवाज़ या पक्षियों का स्वर सुनाई पड़ रहा था। उस असीम शांति में सुकून और भय का मिला जुला स्वरूप विद्यमान था। हमें यह लग रहा था कि कोई जंगली जानवर न आ जाए। दो घंटे की उतराई ने हमारा दम ही निकाल दिया। परन्तु गाँव पहुँचकर हमने बड़ी राहत की साँस ली।

(नोट: इन प्रश्नों का उत्तर विद्यार्थियों को स्वयं करना है। अत: विद्यार्थी अपने अनुभवों के अनुसार इन प्रश्नों के उत्तर दें।)


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