Mahatama Gandhi felt that mendicancy is inconsistent with Ahimsa. “If I had the power, I would stop every Sadavrat where free meals are given. It has degraded the nation and it has encouraged laziness, idleness, hypocrisy and even crime. Such misplaced charity adds nothing to the wealth of the country, whether material or spiritual, and gives a false sense of meritoriousness to the donor. How nice and wise it would be if the donor were open institutions where they would give meals under healthy, clean surroundings to men and women who would work for them.”
Q. Which among the following is the most critical inference that can be made from the above passage?
महात्मा गांधी ने अनुभव किया कि भिक्षावृत्ति अहिंसा के सिद्धांत से मेल नहीं खाती है। “यदि मेरे पास शक्ति होती, तो मैं प्रत्येक सदाव्रत को बंद करा देता जहां लोगों को निशुल्क भोजन दिया जाता है। इसने देश को बर्बाद कर दिया है और आलस्य, निठल्लेपन, पाखंड और यहां तक कि अपराध को बढ़ावा दिया है। इस प्रकार का अनुचित दान, देश की भौतिक या आध्यात्मिक किसी भी प्रकार की समृद्धि में योगदान नहीं करता और यह दान करने वाले व्यक्ति को अपनी श्रेष्ठता का मिथ्या अभिमान ही प्रदान करता है। कितना अच्छा और बुद्धिमत्तापूर्ण होता यदि दान करने वाले खुले संस्थान होते, जो स्वस्थ एवं स्वच्छ वातावरण में अपने लिए कार्य करने वाले व्यक्तियों को भोजन प्रदान करते।”
Q. निम्नलिखित में से, उपर्युक्त परिच्छेद से निष्कर्षित किया जा सकने वाला सर्वाधिक महत्वपूर्ण निष्कर्ष कौन-सा है?