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Question

निम्नलिखित पांच परिच्छेदों को पढ़िए और प्रत्येक परिच्छेद के आगे आने वाले प्रश्न के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नों के आपके उत्तर इन परिच्छेदों पर ही आधारित होने चाहिए।

परिच्छेद 1
अपने आप को प्रेम करने से मेरा तात्पर्य है: क्षमा करना। यह स्वयं को अपराध बोध से मुक्त करने के समान है; इसका अर्थ है आन्तरिक शान्ति प्राप्त करना। जब हम स्वयं को इस प्रकार प्रेम करेंगे तभी हम जान सकेंगे कि एक-दूसरे को प्रेम करने का वास्तविक अर्थ क्या होता है, न तो इससे कम में और न ही इससे अधिक में इसे समझा जा सकता है। साथ ही, कृपया ध्यान रखिए कि स्वयं को इस प्रकार प्रेम करने के लिए आपको बिना अपराध के परिपूर्ण होने की कोई आवश्यकता नहीं है। यदि आप परिपूर्णता की प्रतीक्षा करते हैं, तो जान लीजिए कि यह कभी प्राप्त नहीं होती है। हमें स्वयं के लिए अपने हृदय के द्वार खोलने ही होंगे, भले ही हम कैसे भी हों। एक बार हम स्वयं के हृदय में प्रवेश कर गए, तो हम परिपूर्ण हैं।

Q. निम्नलिखित में से, उपर्युक्त परिच्छेद से निष्कर्षित की जा सकने वाली सर्वाधिक तार्किक पूर्वधारणा कौन-सी है?

A

मनुष्य स्वयं को अपने अपराधों और अपूर्णताओं के लिए क्षमा कर सकता है।
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B

मनुष्य में स्वयं को क्षमा करने की क्षमता का अभाव होता है।
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C

मनुष्य अपराधबोध से ग्रसित हैं।
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D

मनुष्यों में अन्य लोगों एवं स्वयं को प्रेम करने की योग्यता का अभाव होता है।
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Solution

The correct option is A
मनुष्य स्वयं को अपने अपराधों और अपूर्णताओं के लिए क्षमा कर सकता है।
व्याख्या:

परिच्छेद व्याख्या करता है कि स्वयं को क्षमा करके हम अपराधबोध से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए सरलता से यह माना जा सकता है हम स्वयं को क्षमा कर सकते हैं। इसलिए

विकल्प (a) सही उत्तर है।
विकल्प (b) ठीक विपरीत बात कहता है और इसलिए गलत है।
विकल्प (c) गलत है। प्रत्येक मनुष्य के संबंध में ऐसा नहीं कहा जा सकता। प्रत्येक व्यक्ति अपराध बोध से ग्रस्त नहीं है। आगे व्याख्या हमें स्वयं को प्रेम करने की सलाह देती है और इसलिए
विकल्प (d) भी गलत है जो ठीक विपरीत बात कहता है।

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