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Question

Q. With reference to the process of adjudication of the insolvency cases in India, consider the following statements:

1. The National Company Law Tribunal’s order will be final and binding on the parties in this regard.
2. Civil courts do not contain jurisdiction over these cases.
3. One can be insolvent without being bankrupt, but can not be bankrupt without being insolvent.
4. Reserve Bank of India will be the nodal agency for overseeing insolvency proceedings.

Which of the above statements is/are correct?

Q. भारत में दिवालियेपन के मामलों की सुनवाई की प्रक्रिया के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण का आदेश इस संबंध में पक्षों पर अंतिम और बाध्यकारी होगा।
2. सिविल अदालतों के पास इन मामलों पर अधिकार क्षेत्र नहीं है।
3. एक व्यक्ति शोधन अक्षम (बैंक्रप्ट) हुए बिना दिवालिया हो सकता है, लेकिन दिवालिया हुए बिना शोधन अक्षम (बैंक्रप्ट) नहीं हो सकता।
4. भारतीय रिज़र्व बैंक, दिवालिया कार्यवाही की देखरेख के लिए नियमन करने वाली नोडल एजेंसी होगी।

उपर्युक्त कथनों में से कौन से सही हैं?

A

1, 2 and 4 only
केवल 1, 2 और 4
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B

2 and 3 only
केवल 2 और 3
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C

3 and 4 only
केवल 3 और 4
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D

2, 3 and 4 only
केवल 2, 3 और 4
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Solution

The correct option is B
2 and 3 only
केवल 2 और 3
Explanation:

Statement 1 is incorrect:
Any person aggrieved by the order of the Adjudicating Authority under this part may prefer an appeal to the National Company Law Appellate Tribunal. Any person aggrieved by an order of the Tribunal may file an appeal to the Supreme Court on a question of law arising out of such order under this Code within forty-five days from the date of receipt of such order.

Statement 2 is correct: No civil court or authority shall have jurisdiction to entertain any suit or proceedings in respect of any matter on which National Company Law Tribunal or the National Company Law Appellate Tribunal has jurisdiction under this Code.

Statement 3 is correct: Insolvency is the inability to pay debts when they are due. Fortunately, there are solutions for resolving insolvency, including borrowing money or increasing income so that you can pay off debt. You also could negotiate a debt payment or settlement plan with creditors. Whereas, bankruptcy is usually a final alternative when other attempts to clear debt fail.

Statement 4 is incorrect: The Insolvency and Bankruptcy Board of India is the regulator for overseeing insolvency proceedings. RBI is not the nodal agency. The Board will regulate insolvency professionals, insolvency professional agencies and information utilities set up under the Code. The Board will consist of representatives of the Reserve Bank of India, and the Ministries of Finance, Corporate Affairs and Law.

व्याख्या:

कथन 1 गलत है:
इस भाग के तहत अधिनस्थ प्राधिकारी के आदेश से व्यथित कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील कर सकता है।
ट्रिब्यूनल के एक आदेश से व्यथित कोई भी व्यक्ति इस आदेश की प्राप्ति की तारीख से पैंतालीस दिनों के भीतर इस संहिता के तहत इस तरह के आदेश से उत्पन्न कानून के एक सवाल पर उच्चतम न्यायालय में अपील दायर कर सकता है।

कथन 2 सही है: किसी भी सिविल कोर्ट या प्राधिकरण के पास किसी भी मामले के संबंध में किसी भी मुकदमे या कार्यवाही का विचारण करने का अधिकार क्षेत्र नहीं होगा, जिस पर राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण या राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण का इस संहिता के तहत अधिकार क्षेत्र है।

कथन 3 सही है: दिवालियापन देय ऋण का भुगतान करने में असमर्थता है। सौभाग्य से, दिवालियापन के समाधान के उपाय हैं, जिसमें पैसा उधार लेना या आय बढ़ाना शामिल है ताकि आप ऋण का भुगतान कर सकें। आप लेनदारों के साथ ऋण भुगतान या निपटान योजना पर भी बातचीत कर सकते हैं। जबकि, शोधन अक्षमता (बैंक्रप्सी) आमतौर पर एक अंतिम विकल्प होता है जब ऋण चुकाने अन्य प्रयास विफल हो जाते हैं।

कथन 4 गलत है: दि इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ़ इंडिया इनसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग्स की देखरेख के लिए नियामक है। RBI नोडल एजेंसी नहीं है। भारतीय दिवालिया और शोधन अक्षमता बोर्ड, जो कॉरपोरेट व्यक्तियों, पार्टनरशिप फर्मों और व्यक्तियों के पुनर्गठन और दिवाला समाधान से संबंधित कानूनों को समयबद्ध तरीके से ऐसे व्यक्तियों की संपत्ति बढ़ावा देने के लिए समेकित और संशोधित करता है - उद्यमशीलता को बढ़ावा देने, ऋण की उपलब्धता और सभी हितधारकों के हितों को संतुलित करने के लिए हैं।

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Q. Q. With reference to the process of adjudication of the insolvency cases under the Insolvency and Bankruptcy Code (IBC) in India, consider the following statements:Which of the statements given above are correct?

Q. भारत में दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) के तहत दिवालियापन के मामलों पर अधिनिर्णयन की प्रक्रिया के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
  1. कोई ऋणशोधनाक्षम (bankrupt) हुए बिना दिवालिया हो सकता है, लेकिन दिवालिया होने के बिना ऋणशोधनाक्षम (bankrupt) नहीं हो सकता।
  2. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल का आदेश दिवाला मामलों में अंतिम और बाध्यकारी होगा।
  3. इन मामलों पर सिविल अदालतों का अधिकार क्षेत्र नहीं है।
  4. भारतीय रिज़र्व बैंक, दिवालिया कार्यवाही की देखरेख के लिए नोडल एजेंसी है।.
उपर्युक्त कथनों में से कौन से सही हैं?

  1. 1, 2 and 4 only
    केवल 1, 2 और 4

  2. 1 and 3 only
    केवल 1 और 3

  3. 3 and 4 only
    केवल 3 और 4

  4. 2, 3 and 4 only
    केवल 2, 3 और 4
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