Q. With reference to Veto powers of the President of India, which of the following statements is/are correct?
Select the correct answer using the codes given below:
Q. भारत के राष्ट्रपति की वीटो शक्तियों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
Explanation: Article 111 and 201 of the Constitution of India grants the President the veto power over bills passed by the Parliament and State Legislature respectively.
Statement 1 is correct: When the President returns the bill to the Parliament/Legislature for reconsideration and the Parliament/Legislature resends the bill it can constitute a Suspensive or Qualified Veto. If Parliament passes the bill, with or without a simple majority it is known as Suspensive Veto.
Statement 2 is incorrect: The Post Offices (Interception of Mails) bill 1986 gave extensive executive powers to the government to intercept personal communication. Then President, Gyani Zail Singh felt the provisions of the Bill violated the right to privacy. He simply sat on the matter indefinitely by using his power of Pocket veto.
Statement 3 is incorrect: When the President returns the bill to the Parliament for reconsideration and the Parliament/Legislature can override it by passing it again with a higher majority then it is known as qualified Veto. The Indian President does not enjoy the power of Qualified Veto (Not even in the case of state legislations).
व्याख्या: भारत के संविधान के अनुच्छेद 111 और 201 द्वारा राष्ट्रपति को क्रमशः संसद और राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर वीटो शक्ति प्रदान की गयी है।
कथन 1 सही है: जब राष्ट्रपति विधेयक को संसद / विधानमंडल को पुनर्विचार के लिए लौटाते हैं और संसद / विधानमंडल उस विधेयक को पुनः विचार हेतु भेज दे तो यहाँ निलम्बनकारी या विशेषित वीटो की परिस्थिति बन सकती है। यदि संसद साधारण बहुमत से या उसके बिना विधेयक पारित करती है, तो इसे निलम्बनकारी वीटो के रूप में जाना जाता है।
कथन 2 गलत है: डाकघरों (डाक का अवरोधन) विधेयक 1986 ने सरकार को व्यक्तिगत संचार को बाधित करने के लिए व्यापक कार्यकारी अधिकार प्रदान कर दिए। तब राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने महसूस किया कि विधेयक के प्रावधानों ने निजता के अधिकार का उल्लंघन किया है। उन्होंने पॉकेट वीटो की शक्ति का उपयोग करके इस विधेयक को अनिश्चित काल तक के लिए लंबित कर दिया।
कथन 3 गलत है: जब राष्ट्रपति विधेयक संसद को पुनर्विचार के लिए वापस करते हैं और संसद / विधानमंडल इसे फिर से उच्चतर बहुमत से पारित कर देती है तो इसे विशेषित वीटो के रूप में जाना जाता है। भारतीय राष्ट्रपति को विशेषित वीटो की शक्ति प्राप्त नहीं है (राज्य विधानमंडलों के मामले में भी नहीं)।