सफ़िया की मनःस्थिति को कहानी में एक विशिष्ट संदर्भ में अलग तरह से स्पष्ट किया गया है। अगर आप सफ़िया की जगह होते/होतीं तो क्या आपकी मनःस्थिति भी वैसी ही होती? स्पष्ट कीजिए।
Open in App
Solution
बिलकुल यदि में सफ़िया की जगह होती, तो मेरी भी मनःस्थिति बिलकुल उसकी जैसी होती। क्योंकि मेरे अंदर भी लोगों के प्रति ऐसा ही प्रेम और इंसानियत है। मेरे लिए प्रेम सबसे ऊपर है। प्रेम के आगे में किसी कानून को तथा किसी विभाजित देश के बंधन को नहीं मानती हूँ। मेरे लिए पाकिस्तान में रहने वाले भी मेरे अपने हैं और भारत में रहने वाले भी मेरे अपने ही हैं।