भारत के संविधान में कई ऐसी युक्तियाँ (mechanisms) दी गई हैं जिनके जरीय कार्यपालिका और विधायिका एक दूसरे पर नियंत्रण स्थापित करते हैं ताकि तंत्र में शक्ति का संतुलन बना रहे | कटौती प्रताव , प्रश्न काल , अविश्वास प्रस्ताव , स्थगन प्रस्ताव इत्यादि ऐसी युक्तियाँ हैं | ऐसी ही एक युक्ति है “ध्यानाकर्षण प्रस्ताव” (Calling Attention Motion) | जब संसद के किसी सदन (House) का कोई सदस्य किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर सम्बंधित मंत्री की प्रतिक्रिया चाहता है तब वह इस उद्देश्य से सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश करता है | इस प्रस्ताव में उस मंत्री से सम्बंधित मुद्दे पर बयान की मांग की जाती है जिससे सम्बंधित मंत्री और व्यापक पैमाने पर सम्पूर्ण सरकार की जिम्मेदारी तय होती है | प्रस्ताव सदन में आने के बाद सम्बंधित मंत्री सुविधानुसार उसी समय अपना जवाब सदन को दे सकते हैं या फिर बाद में किसी अन्य दिनों के लिए समय की मांग कर सकते हैं | ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर न तो किसी तरह की चर्चा होती है और न ही इसमें कोई मतदान होता है | किंतु प्रश्न पूछने वाले सदस्य को एक पूरक प्रश्न पूछने की अनुमति दी जाती है | सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश करने के लिए सदस्यों को सदन के अध्यक्ष की पूर्व-अनुमति लेनी होती है | ध्यानाकर्षण प्रस्ताव की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है की यह भारतीय संविधान द्वारा ही विकसित एक युक्ति है | इसका विस्तृत प्रावधान संसदीय गतिविधि अधिनियम में है और यह 1954 से प्रचलन में है |
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स्थगन प्रस्ताव क्या है ?
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव की ही तरह स्थगन प्रस्ताव (Adjournment Motion) भी सदन (लोकसभा) में किसी सार्वजनिक महत्व के मामले पर सम्पूर्ण सदन का ध्यान आकर्षित करने के लिए पेश किया जाता है | चूँकि यह प्रस्ताव ऐसे मामलों पर लाया जाता है जिससे केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष सम्बन्ध हो ,अत: आमतौर पर इस प्रस्ताव में सरकार की आलोचना का तत्व शामिल होता है | यही कारण भी है कि इसे राज्यसभा में लाने के बजाय लोकसभा में लाया जाता है | यह एक प्रकार की युक्ति है जो कि सदन की सामान्य कार्यवाही को बाधित करती है | इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए न्यूनतम 50 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होती है | सदन में स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा करने के लिए किसी विषय को स्वीकर करने या अस्वीकार करने का पूरा अधिकार सदन के पीठासीन अधिकारी के पास होता है | यदि वह किसी मामले को अस्वीकृत करता है तो पीठासीन अधिकारी उसका कारण बताने के लिए बाध्य नहीं होता है | स्थगन प्रस्ताव आमतौर पर संध्या काल में पेश किया जाता है और इसकी अवधि न्यूनतम 2.5 घंटे की होती है | यह प्रस्ताव किसी एक मुद्दे पर ही लाया जा सकता है और उस दिन नहीं लाया जाता जब राष्ट्रपति का अभिभाषण हो | यह भी उल्लेखनीय है कि स्थगन प्रस्ताव के तहत लाये गये मुद्दे ऐसे होने चाहिए जो कि पहले से ही सदन में लंबित न हों और न्यायलय के अंतर्गत विचाराधीन भी न हों |
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और स्थगन प्रस्ताव में अंतर
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव | स्थगन प्रस्ताव |
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव संसद के किसी एक सम्बन्धित मंत्री का ध्यान आकर्षित करने के लिए पेश किया जाता है | | स्थगन प्रस्ताव सम्पूर्ण सदन का ध्यान आकर्षित करने के लिए पेश किया जाता है | |
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को संसद के किसी भी सदन (अर्थात राज्यसभा या लोकसभा में ) पेश किया जा सकता है | | स्थगन प्रस्ताव को सिर्फ लोकसभा में पेश किया जा सकता है | |
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर न तो किसी तरह की चर्चा होती है और न ही इसमें कोई मतदान होता है | | स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान दोनों होते हैं और सदन में इसे पास/ स्वीकार करने के लिए न्यूनतम 50 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है | |
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