क्या ये रोमांचक नहीं है कि आज़ाद भारत में पहली बार चीते देश के जंगलों में विचरण करेंगे ? वही चीते, जिन्हें आजतक अधिकांश देशवासीयों ने टेलीविजन या फिर इंटरनेट पर ही देखा है | ‘प्रोजेक्ट चीता’ या चीता पुनर्वास परियोजना के तहत भारत में नामीबिया से 8 चीते लाए गए हैं | वन्य जीवन (Wildlife) में रूचि रखने वाले या इसका महत्त्व समझने वाले लोगों के लिए उन्हें प्रत्यक्ष देखना एक अविस्मरणीय अनुभव होगा | अपनी रफ्तार के कारण “किलिंग मशीन” कहे जाने वाले इन जीवों के बारे में कहा जाता है एक बार यदि इनके शिकार ने इन्हें देख लिया तो फिर शायद ही वो जिन्दा बचें ! आइये इस लेख में इस अद्भुत जीव और भारत में इनके पुनर्वास की परियोजना के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हैं | अंग्रेजी माध्यम में इससे जुड़ी जानकारियों के लिए देखें हमारा लेख Cheetah Reintroduction in India
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चीता
चीता शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘चित्रकायः’ से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है “चित्तीदार या धब्बेदार” (spotted) | चीता “एसीनोनिक्स प्रजाति” का एक मात्र जीवित सदस्य है | यह प्रजाति बिल्ली / विडाल परिवार (cat family) के अंतर्गत आती है | इस प्रजाति की विशेषता यह है कि इसके पंजे बंद नहीं हो सकते, अतः इसकी पकड़ कमज़ोर रहती है और यह वृक्षों पर चढ़ने में सक्षम नहीं | लेकिन यह ‘धरती पर रहने वाला सबसे तेज़ जानवर’ है | मात्र 3 सेकेंड के अंदर ये शून्य से 100 कि.मी. प्रति घंटे की गति को प्राप्त करने में सक्षम हैं | इनकी अधिकतम गति 120 कि.मी. प्रति घंटे तक मापी जा चुकी है | अपनी पूरी रफ्तार पर एक चीता 7 मी. (21 फीट से भी अधिक) तक की लम्बी छलांग लगा सकता है | इस दौरान एक चीता 50% समय हवा में रहता है ! हालाँकि चीते इस उच्च गति को बहुत ज्यादा देर तक बरक़रार नहीं रख सकते | इस गति से वे अधिकाधिक 400 -500 मी. (लगभग आधा की.मी.) तक की दूरी तय कर सकते हैं | इसके बाद उनके दिल की धड़कन अति उच्च हो जाती है और उन्हें विश्राम करना पड़ता है | यही कारण है कि एक सफल शिकार के लिए उन्हें अपने लक्षित पशु के निकट से निकटतम पहुंचना पड़ता है और उसके बाद ही वो उनका पीछा शुरू करते हैं | चीतों के शरीर की रचना ही कुछ इस प्रकार से हुई है कि वे इस उच्च गति से दौड़ने में सक्षम होते हैं | एक हल्का,पतला व फुर्तीला शरीर जो वायु- गतिकी (एरो डायनामिक्स) के सिद्धांतों के अनुकूल है , एक छोटा सिर, लम्बी पूंछ जो दौड़ते वक्त संतुलन एवं तीव्र गति से दिशा परिवर्तन में सहायता करती है , वृहद नासाद्वार जो ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन ग्रहण करने में सहायक है , और एक बड़ा दिल और फेफड़े जो ऑक्सीजन को कुशलता पूर्वक परिचालित करने के लिए एक साथ कार्य करते हैं – ये सभी ऐसी विशिष्टताएं हैं जो चीते को धरती का सबसे तेज धावक बनाती हैं | आँखों से मुंह तक ‘काजल’ के समान एक काली पतली धारी इस पशु की पहचान है जो इसे अन्य ‘बड़ी बिल्लियों’ विशेष कर तेंदुए (leopards) से भेद करने में मदद करती है | आज दुनिया भर में चीतों की केवल 2 नस्लें ही बची हैं | ये हैं :- एशियाई चीता (एसिनोनिक्स जुबेटस वेनेटिकस; IUCN रेड लिस्ट: ‘गंभीर रूप से संकटग्रस्त’ (Critically Endangered) और अफ्रीकी चीता (वैज्ञानिक नाम: एसिनोनिक्स जुबेटस; IUCN रेड लिस्ट वर्गीकरण: ‘सुभेद्य’ (Vulnerable) | एशियाई चीते अब केवल ईरान में मौजूद हैं , जहाँ इनकी संख्या 100 के आस पास है , जबकि अफ्रीकी चीते मुख्यतः दक्षिण अफ़्रीका, नामीबिया और बोत्सवाना में सीमित हैं | |
क्या है ‘प्रोजेक्ट चीता’ या चीता पुनर्वास परियोजना ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर 17 सितंबर 2022 को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में नामीबिया से लाए गये 8 चीतों को छोड़ा गया | इनमें से 5 मादाएं हैं व शेष 3 नर | चीतों को शुरुआत में 6 वर्ग कि.मी की घेराबंदी वाले एक बाड़े में रखा जाएगा ताकि सभी चीते एक -दूसरे से संपर्क साध सकें | चीते समूह में रहते हैं और शिकार भी आमतौर पर समूह में ही करते हैं | लगभग 1 महीने के बाद जब वे इस इलाके में खुद को ढाल लेंगे तब उन्हें खुले जंगल में छोड़ दिया जाएगा | इन चीतों पर रेडियो फ्रिक्वेंसी (आर.एफ़) कॉलर लगाए गए हैं ताकि उनकी गतिविधि पर नजर रखी जा सके | इसके लिए स्थानीय लोगों की एक टीम का भी गठन किया गया है जिसे “चीता -मित्र” का नाम दिया गया है | शीघ्र ही 12 और चीतों को लाने की योजना है जबकि अगले 5 वर्षों में कुल 50 चीतों को भारत लाने की योजना है |
चीतों को भारत में पुनः बसाने की यह योजना नई नहीं है | सबसे पहले 1990 के दशक में ही भारत ने ईरान से चीतों को लाने का प्रयास किया , क्योंकि ईरान में भी एशियाई चीतों की ही नस्ल है अतः उनके लिए भारतीय वातावरण में ढल जाना ज्यादा आसान था | लेकिन यह योजना सफल नहीं हो सकी | 2008- 09 में भारत सरकार ने अफ्रीकन चीतों के भारत में पुनर्वास के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी गठित की जिसमें NTCA (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण संस्था) और WII (भारतीय वन्यजीव संस्थान;देहरादून) के विशेषज्ञ शामिल थे | इस पैनल मध्य प्रदेश के कुनो-पालपुर नेशनल पार्क को चीता पुनर्वास के लिए सर्वोत्तम बताया | इस बार भारत ने नामीबिया से संपर्क किया और नामीबिया भारत को चीता देने के लिए सहमत हो गया |
इस योजना को विश्व में चीतों की कम होती संख्या और उनके संरक्षण के प्रयासों के तौर पर देखा जा सकता है | चीता को वापस लाने के बाद भारत विश्व का एक -मात्र ऐसा देश बन जाएगा जहाँ ‘बिल्ली परिवार’ की 5 बड़ी बिल्लियाँ (big cats) यथा — बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ और चीता पाए जा सकेंगे | उम्मीद है इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा | भविष्य में मध्य प्रदेश के ही नौरादेही व.जी.अभ्यारण्य तथा राजस्थान के शाहगढ़ व.जी.अभ्यारण्य को संभावित चीता अभ्यारण्य के तौर पर चिन्हित किया गया है क्योंकि उन्हें भी इस परियोजना के लिए उपयुक्त पाया गया है |
कुनो राष्ट्रीय उद्यान ही क्यों ?
चीता पुनर्वास परियोजना के लिए मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान को ही चुने जाने के पीछे भी कारण है | देश में लगभग 100 राष्ट्रीय उद्यान हैं, लेकिन विशेषज्ञों की टीम ने विस्तृत अध्ययन के बाद पाया कि नामीबिया और कूनो नेशनल पार्क की जलवायु में काफी समानताएं हैं | दोनों ही अर्ध शुष्क (Semi Arid) है और दोनों के तापमान में समरूपता रहती है | चीते अत्यधिक उच्च व निम्न तापमान नहीं सह सकते | कुनो राष्ट्रीय उद्यान में अधिकतम औसत तापमान 42.3 डिग्री सेल्सियस जबकि न्यूनतम तापमान 6 से 7 डिग्री सेल्सियस रहता है | इलाके में 760 मिलि मीटर की औसत वार्षिक वर्षा होती है जो कि संतुलित है | चीतों को ग्रासलैंड यानी थोड़े ऊंची घास वाले मैदानों में रहना पसंद है जहाँ से ये दूर तक देख कर अपने संभावित शिकार का जायजा ले सकें | ये घने जंगलों में नहीं रहते क्योंकि वहां ये तीव्र गति से दौड़ नहीं सकते; और चीते शिकार के लिए लगभग पूरी तरह अपनी रफ्तार पर ही निर्भर होते हैं | कुनो राष्ट्रीय उद्यान इस जीव को ऐसा ही वातावरण उपलब्ध कराता है,अत: नामीबिया के चीतों को इस वातावरण में ढलने में ज्यादा कठिनाई नहीं होगी,ऐसी उम्मीद की जा सकती है | इसके अलावा कूनो नेशनल पार्क में चीतों के शिकार के लिए भी जानवरों की कोई कमी नहीं | यहाँ चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, चिंकारा, चौसिंघा, ब्लैक बक व खरगोश जैसे कई छोटे जानवर भी पाए जाते हैं जो चीतों के मुख्य शिकार हैं |
(देश के अन्य राष्ट्रीय उद्यानों की जानकारी के लिए नीचे दी गई तालिका देखें )
चीते भारत से क्यों खत्म हो गए ?
एक समय था जब भारत (पाकिस्तान सहित) में चीते अच्छी संख्या में पाए जाते थे | लेकिन फिर मध्यकाल में राजाओं – महाराजाओं ने इनका शिकार शुरू किया और आगे चलकर ,हिरणों के शिकार के लिए इन्हें पालतू बनाना भी शुरू किया | शिकार अधिकांशतः मनोरंजन के लिए या साहस के प्रदर्शन के लिए और कई बार इनके खाल की तस्करी के लिए किया जाता था जिसकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ऊँची कीमत थी | वहीँ पालतू बनाया जाना इनकी प्रकृति के विरुद्ध था जिसमें चीते खुद को ढालने में सक्षम नहीं थे | कैद में इनकी प्रजनन गतिविधि पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और इनकी संख्या कम होने लगी | यहाँ तक कि प्रकृति में भी चीता एक ऐसा जीव है जिसके शावकों की जीवन प्रत्याशा बहुत कम होती है | एक अध्ययन के अनुसार 100 में से केवल 8- 12 शावक ही वयस्क हो पाते हैं | इसका एक मुख्य कारण है शेर ! शेर जंगल में चीतों का, व विशेष कर उनके शावकों का स्वभाविक शत्रु है |
चीतों की विलुप्ति का दूसरा बड़ा कारण रहा आवास -ह्रास (habitat loss) | कहा जाता है कि 1947 में वर्तमान छत्तीसगढ़ प्रदेश स्थित कोरिया रियासत के राजा रामानुज प्रताप सिंह देश के आखिरी तीन चीतों का शिकार किया और इस प्रकार भारत में चीते समाप्त हो गए | भारत ने वर्ष 1952 में चीता को आधिकारिक तौर पर ‘विलुप्त’ घोषित कर दिया (हालांकि, एक दावा यह भी किया जाता है कि झारखंड में 1975 में एक चीता देखा गया था) |
IUCN रेड डेटा बुक क्या है ?
IUCN (प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिये विश्व संरक्षण संघ -International Union for the Conservation of Nature अथवा International Union for Conservation of Nature and Natural Resources) दुनिया भर के जीवों के संरक्षण को समर्पित एक प्रमुख संस्था है, जिसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के गलान्ड (Gland) शहर में स्थित है | यह संस्था 1970 से एक ‘लाल किताब’ (Red Data-Book) प्रकाशित करती आ रही है जिसमें जीवों को पर्यावरण में उनकी स्थिति के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है | यह वर्गीकरण निम्नलिखित श्रेणियों में किया जाता है:- 1.विलुप्त : विलुप्त (extinct;EX) जंगल से विलुप्त (extinct in the wild;EW) 2.संकटग्रस्त (threatened) : गंभीर रूप से विलुप्तप्राय (critically endangered;CR) विलुप्तप्राय (endangered;EN) असुरक्षित/सुभेद्द्य (vulnerable;VU) 3.कम जोखिम (lower risk) : संरक्षण पर निर्भर (Conservation Dependent;CD) संकटासन्न (near threatened;NT) खतरे से बाहर (least concerned;LC) इस पुस्तक के आँकड़ों के अनुसार विश्व में 20,000 जीव -जातियाँ असुरक्षित (Endangered) वर्ग में हैं | इनके अतिरिक्त 11,046 पेड़-पौधे भी असुरक्षित वर्ग में सम्मिलित है | एक अनुमान के अनुसार विश्व के लगभग 10 प्रति शत संवहनी (vascular) पेड़-पौधे असुरक्षित वर्ग में है अर्थात लगभग 20,000 से 25,000 पेड़-पौधों पर लुप्त होने का खतरा है | अकेले भारत के 195 पेड़-पौधों की प्रजातियों के लुप्त होने का डर है ! |
कुछ परीक्षोपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य
- चीता पुनर्वास परियोजना के लिए ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के अंतर्गत वर्ष 2021- 22 से 2025 -26 तक के लिए भारत सरकार द्वारा 38 करोड़ 70 लाख रुपय की राशी आवंटित की गई है |
- दुनिया भर में इस समय चीतों की संख्या लगभग 7,000 है, जिसमें से आधे से ज़्यादा चीते दक्षिण अफ़्रीका, नामीबिया और बोत्सवाना में मौजूद हैं | ईरान में भी एशियाई चीते पाए जाते हैं , लेकिन वहां उनकी संख्या केवल 100 के आस पास ही बची है |
- चीता बिल्ली परिवार के अन्य जीवों से इस मामले में अलग है कि वह रात में शिकार नहीं करता है |
- इस परियोजना पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी | लेकिन बीते वर्ष (2021 में ) न्यायालय ने नामीबिया से अफ्रीकी चीतों को भारत में लाने के प्रस्ताव पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया |
- 1918 में पहली बार चीते विदेश से मंगवाए गए | 1918 से 1945 के बीच 200 चीते भारत में आयात किए गए |
- चीता बड़ी बिल्ली परिवार में सबसे पुरानी प्रजातियों में से एक है, जिनके पूर्वजों का इतिहास पाँच मिलियन से अधिक वर्ष पूर्व मियोसीन युग में तलाशा जा सकता है |
- कूनो-पालपुर वन्यजीव अभयारण्य को भारत का पहला चीता अभयारण्य (Cheetah Sanctuary) नामित किया गया है |
- कुनो राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के श्योपुर और मुरैना ज़िले में विस्तारित है | यह सतपुड़ा- विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के क्षेत्र में स्थित है | इस उद्यान को वर्ष 2018 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था | इससे पहले यह एक वन्य जीव अभ्यारण्य था जिसकी स्थापना सन 1981 में हुई थी | इसे कुनो- पालपुर वन्यजीव अभ्यारण्य भी कहा जाता है | यह लगभग 900 वर्ग किलो मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है | कुनो नदी इस राष्ट्रीय उद्यान के बीच से गुजरती है और इसकी जीवन रेखा के समान है |
भारत के अन्य विलुप्त जीव
सुमात्राई गैंडा : चीता एकमात्र ऐसा जीव नहीं जो भारत से विलुप्त हुआ हो | ऐसे और भी कई जीव हैं जो कभी भारतीय जैव विविधता की शोभा बढ़ाते थे किंतु अब भारत में प्राकृतिक रूप से नहीं पाए जाते | ऐसा ही एक जीव है सुमात्राई गैंडा | यह गैंडा दो सींगों वाला सबसे छोटा गैंडा है | ये गैंडे कभी भारत समेत सम्पूर्ण एशिया में पाए जाते थे | लेकिन आज ये विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके हैं | भारत से तो यह प्रजाति विलुप्त हो ही चुकी है , इस प्रजाति के अब सिर्फ 80 गैंडे ही इंडोनेशिया के सुमात्रा और बोर्नियो के जंगलों में बचे हैं | 2019 में मलेशिया से भी इस प्रजाति के अंतिम सदस्य का निधन हो गया था | जंगलों का उजड़ना और अवैध शिकार इन गैंडों की विलुप्ति का मुख्य कारण रहा |
गुलाबी सिर वाला बतख (पिंक -हेडेड डक) : लम्बी गर्दन वाले ये खूबसूरत बतख एक समय में पूरे भारत में पाए जाते थे |
मालाबार सिवेट : यह एक प्रकार की छोटी बिल्ली थी जिसका वजन लगभग 7 किलो होता था | यह पश्चिमी घाट के तट पर पाई जाती थी | 1990 के बाद इसे कभी नहीं देखा गया है और प्राकृतिक रूप से विलुप्त घोषित किया गया है |
हिमालयी बटेर (Himalayan Quail) : हिमालयी बटेर मध्यम आकार की तीतर कुल की प्रजाति थी | यह पक्षी अंतिम बार मसूरी में 1867 में देखा गया था | यह पक्षी कभी समूचे उत्तराखंड में पाया जाता था |
भारतीय ऑरोच : बाइसन या गौर के सदृश दिखने वाला यह जीव भारत के गर्म और शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता था | इनकी ऊँचाई लगभग 6.6 फीट होती थी और वजन लगभग 1,000 किलो ग्राम होता था |
भारत के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों की संक्षिप्त जानकारी
भारत के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान | |||||
क्रम | स्थापना वर्ष | राष्ट्रीय उद्यान | राज्य | क्षेत्रफल | प्रमुख वन्य जीव |
1 | 1982 | नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान | उत्तराखंड | 5860.69 वर्ग कि.मी. | हिम तेंदुआ |
2 | 1981 | हेमिस राष्ट्रीय उद्यान | जम्मू और कश्मीर | 4100 वर्ग कि.मी. | हिम तेंदुआ |
3 | 1980 | मरुस्थल राष्ट्रीय उद्यान | राजस्थान | 3162 वर्ग कि.मी. | ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (सोन चिरैया),काला हिरन |
4 | 1983 | नम दाफा राष्ट्रीय उद्यान | अरुणाचल प्रदेश | 1985.23 वर्ग कि.मी. | भारतीय उड़न गिलहरी |
5 | 1981 | संजय राष्ट्रीय उद्यान / घासीदास राष्ट्रीय उद्यान | मध्य प्रदेश/छत्तीसगढ़ | 471.13 वर्ग कि.मी. | बाघ,तेन्दुआ, गौर, चिंकारा, सांभर, भेडिया, चीतल,जंगली सुअर, नीलगाय, भालू, लंगूर, , जंगली कुत्ता, सियार, मोर, किंगफिसर,धनेश, महोख, बाज, चील, उल्लू एवं विभीन्न प्रकार के गिद्ध |
6 | 1977 | कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान | सिक्किम | 1784 वर्ग कि.मी. | हिम तेंदुआ, हिमालयी काला भालू,तिब्बती एंटीलोप, जंगली गधा, काकड़, कस्तूरी मृग, उड़न गिलहरी और लाल पांडा |
7 | 1989 | गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान | उत्तराखंड | 1552.73 वर्ग कि.मी. | हिम तेंदुआ, भूरे भालू, कस्तूरी मृग, ताहर, बाघ |
8 | 1984 | सुन्दरबन राष्ट्रीय उद्यान | पश्चिम बंगाल | 1330.1 वर्ग कि.मी. | रॉयल बंगाल टाइगर एवं खारे पानी के मगरमच्छ , विभिन्न प्रकार के सरीसृप |
9 | 1981 | इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान | छत्तीसगढ़ | 1258.37 वर्ग कि.मी. | दुर्लभ जंगली भैंसा |
10 | 1955 | कान्हा राष्ट्रीय उद्यान | मध्य प्रदेश | 940 वर्ग कि.मी. | बाघ ,भेड़िया, चिन्कारा, भारतीय पेंगोलिन, समतल मैदानों में रहने वाला भारतीय ऊदबिलाव और भारतीय छोटी बिल्ली |
11 | 1974 | बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान | कर्नाटक | 874.2 वर्ग कि.मी. | बाघ, तेंदुआ, हाथी , गौर, भालू ढोल, सांबर, चीतल, काकड़, भारतीय चित्तीदार-मूषक मृग तथा लोरिस |
12 | 1980 | सिमलिपाल राष्ट्रीय उद्यान | ओडिशा | 845.7 वर्ग कि.मी. | बाघ, हिरन, हाथी एवं खारे पनी के मगरमच्छ |
13 | 1983 | राजाजी राष्ट्रीय उद्यान | उत्तराखंड | 820.42 वर्ग कि.मी. | हाथी, ,हिरन,तेंदुआ , सांभर और मोर |
14 | 1984 | ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान | हिमाचल प्रदेश | 754.4 वर्ग कि.मी. | मस्क डीयर, ब्राउन बीयर, गोराल, थार, , हिम तेंदुआ , भराल, सीरो, मोनल, कलिज, कोकलास, चीयर, ट्रागोपान, हिम कौआ |
15 | 1987 | पिन घाटी राष्ट्रीय उद्यान | हिमाचल प्रदेश | 675 वर्ग कि.मी. | हिमालय आइबैक्स, हिम तेंदुआ, भरल, ऊनी ख़रहा, तिब्बती भेड़िया और हिम मुर्ग |
16 | 1988 | नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान या राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान | कर्नाटक | 643.39 वर्ग कि.मी. | हिरन, चार सींग वाला हिरन, कलगी वाला साही ,काली गर्दन वाले खरगोश, हाथी ,तेंदुआ बाइसन |
17 | 1987 | कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान | कर्नाटक | 600.32 वर्ग कि.मी. | बाघ |
18 | 1981 | सतपुरा राष्ट्रीय उद्यान | मध्य प्रदेश | 585.17 वर्ग कि.मी. | विशाल भारतीय गिलहरी, बाघ, तेंदुआ, सांभर, चीतल, भेडकी, नीलगाय, चौसिंगा, चिंकारा, गौर, जंगली सुअर, जंगली कुत्ता (धोल), भालू, काला हिरण, लोमड़ी, साही, उड़न गिलहरी, मूषक मृग (मुस्क डिअर) और |
19 | 1975 | पेंच राष्ट्रीय उद्यान | मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र | 292.85 वर्ग कि.मी. एवं 257 वर्ग कि.मी. क्रमशः | बाघ,गिद्ध , पीफोल, रेड जंगल फोल, कोपीजेन्ट, क्रीमसन, बेस्ट डबारबेट, रेड वेन्टेड बुलबुल, रॉकेट टेल डोगों, मेंगपाई राबिन, लेसर, व्हिस्टल टील, विनेटल सोवेला, ब्राह्मनी बतख , चीतल, सांभर और नीलगाय, जंगली भैंस |
20 | 1973 | पन्ना राष्ट्रीय उद्यान | मध्य प्रदेश | 542.67 वर्ग कि.मी. | बाघ, तेंदुआ, चीतल, चिंकारा, नीलगाय, सांभर और भालू, लाल सिर वाला गिद्ध, बार-हेडेड हंस, हनी बुज़ार्ड और भारतीय गिद्ध |
21 | 1936 | जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान | उत्तराखंड | 520.82 वर्ग कि.मी. | अजगर,, हाथी, भालू, बाघ, सुअर, हिरन, चीतल, साँभर, पांडा, काकड़, नीलगाय, घुरल |
22 | 1990 | मानस राष्ट्रीय उद्यान | असम | 500 वर्ग कि.मी. | हाथी, भारतीय गैंडे, गौर, एशियाई जल भैंस, बारासिंगा, भारतीय बाघ, तेंदुआ, एशियाई गोल्डन बिल्ली, ढोल, टोपी वाले लंगूर, स्वर्ण लंगूर, सांभर हिरण और चीतल |
23 | 1977 | दुधवा राष्ट्रीय उद्यान | उत्तर प्रदेश | 490.29 वर्ग कि.मी. | चीतल, सांभर, काकड़, बारहसिंगा, बाघ, तेन्दुआ, भालू, सेही, उड़न गिलहरी, हिस्पिड हेयर, बंगाल फ़्लोरिकन, हाथी, सूँस (गैंजैटिक डाल्फ़िन), |
24 | 1986 | मोलिंग राष्ट्रीय उद्यान | अरुणाचल प्रदेश | 483 वर्ग कि.मी. | भारतीय उड़न गिलहरी,व्हाइट विंग्ड वुड डक, बंगाल फ्लोरिकान, स्पॉटबिल पेलिकन, ग्रेट ईस्ट-इंडियन हार्नबिल, ग्रेटर एडजुटेंट सारस, लैसर एडजुटेंट सारस, ग्रेट ग्रेब, इंडियन शैग, भूरा बगुला, बैंगनी बगुला, श्याम बगुला, पीला बिटर्न, ब्लिथ’स किंगफिशर, ओपनबिल सारस, काला सारस, क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल, गिद्ध, विस्लिंग टील, दलदली फ्रान कॉलिन, मार्च’स बैबलर, जोर्दन’स बैबलर, ब्लैक ब्रेस्टेड पैरॉट |
25 | 1990 | गोविन्द पशु विहार | उत्तराखंड | 472.08 वर्ग कि.मी. | हाथी, भालू, बाघ, सुअर, हिरन, चीतल, साँभर, पांडा, , नीलगाय |
26 | 1974 | काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान | असम | 471.71 वर्ग कि.मी. | एक सिंग वाला गेंडा ,हाथी |
27 | 1982 | बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान | मध्य प्रदेश | 448.85 वर्ग कि.मी. | बाघ, तेंदुआ, हाथी ,हिरन, चीतल, साँभर, नीलगाय, |
28 | 1992 | कैम्पबॅल बे राष्ट्रीय उद्यान | अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह | 426.23 वर्ग कि.मी. | कछुओं की विभिन्न प्रजातियां जैसे ओलिव रिडले, लेदर बैक , जायंट केकड़े हाथी,जंगली सूअर, सिवेट, लंगूर इत्यादि |
29 | 1981 | किश्तवार राष्ट्रीय उद्यान | जम्मू और कश्मीर | 400 वर्ग कि.मी. | हिम तेंदुआ |
30 | 1980 | रणथंभोर राष्ट्रीय उद्यान | राजस्थान | 392 वर्ग कि.मी. | बाघ |
31 | 1959 | माधव राष्ट्रीय उद्यान | मध्य प्रदेश | 375.22 वर्ग कि.मी. | चिंकारा, चीतल, नीलगाय, सांभर, चौसिंगा, कृष्णमृग, स्लोथ रीछ, तेंदुए और लंगूर |
32 | 1987 | गुगामल राष्ट्रीय उद्यान | महाराष्ट्र | 361.28 वर्ग कि.मी. | बार्किंग डिअर,स्लोथ बेअर,लकडबग्घा,हाथी,बाघ,चीतल, |
33 | 1989 | श्री वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान | आंध्र प्रदेश | 353.62 वर्ग कि.मी. | हाथी, लकडबग्घा,भालू, बाघ, सुअर, हिरन, चीतल, साँभर,बार्किंग डिअर,स्लोथ बेअर |
34 | 1982 | पेरियार राष्ट्रीय उद्यान | केरल | 350 वर्ग कि.मी. | हाथी , गौर, सांभर, जंगली सुअर, भारतीय विशाल गिलहरी, त्रावणकोर उड़ान गिलहरी, जंगली बिल्ली, स्लॉथ बीयर, नीलगिरि तहर, सिंह-पुच्छी मकाक, नीलगिरि लंगूर, फल- बल्ला, धारी गर्दन नेवला और नीलगिरि नेवला |
35 | 1999 | दिबरू-साइखोवा राष्ट्रीय उद्यान | असम | 340 वर्ग कि.मी. | रॉयल बंगाल टाइगर, तेंदुआ, मलिन तेंदुआ, जंगली बिल्ली, स्लॉथ बीयर, ढोल, लघु भारतीय सीविट, जायंट मलायी गिलहरी, चीनी छिपकली, गंगा डॉल्फिन, स्लो लोर्रिस, पिग टेल्ड मकाक, असमिया मकाक, रीसस मकाक, कैप्ड लंगूर, होलोक गिब्बन, एशियाई हाथी, हिरण, एशियाई पानी भैंस, जंगली घोड़े, बार्किंग डियर, जंगली सूअर, सांभर, हॉग डीयर |
36 | 1989 | वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान | बिहार | 335.65 वर्ग कि.मी. | बाघ, स्लॉथ बीयर, भेडिए, हिरण, सीरो, चीते, अजगर, पीफोल, चीतल, सांभर, नील गाय, हाइना, भारतीय सीवेट, जंगली बिल्लियां, हॉग डीयर, जंगली कुत्ते |
37 | 1960 | माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य | राजस्थान | 288 वर्ग कि.मी. | तेंदुआ, स्लोथ-बियर, जंगली सूअर ,, साँभर, चिंकारा और लंगूर आदि |
38 | 1983 | महात्मा गांधी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान | अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह | 281.5 वर्ग कि.मी. | प्रवाल द्वीप एवं कछुओं के लिए एक महत्वपूर्ण |
39 | 1982 | सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान | राजस्थान | 273.8 वर्ग कि.मी. | बाघ, तेंदुआ, जंगली बिल्ली, कैरकल, धारीदार बिज्जू, सियार स्वर्ण, चीतल, साभर, नीलगाय, चिंकारा, चौसिंगा , जंगली सुअर, खरगोश, लंगूर |
40 | 1975 | गीर राष्ट्रीय उद्यान | गुजरात | 258.71 वर्ग कि.मी. | एशियाई बब्बर शेर ,हिरण, सांभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा और बारहसिंगा, भालू , एवं लम्बी पूंछ वाले लंगूर |
41 | 1996 | रानी झांसी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान | अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह | 256.14 वर्ग कि.मी. | समुद्री गाय (डुगोंग), प्रवाल भित्ति,केंकड़ों ,मगरमच्छ ,कछुए,मैन्ग्रोव के वन के लिए प्रसिद्ध |
42 | 1987 | अंशी राष्ट्रीय उद्यान | कर्नाटक | 250 वर्ग कि.मी. | बाघ, काले तेंदुए व हाथी के लिए प्रसिद्ध |
43 | 1986 | बेतला राष्ट्रीय उद्यान | झाड़खंड | 231.67 वर्ग कि.मी. | बाघ, तेंदुआ, जंगली बिल्ली, सियार, चीतल, साभर, नीलगाय, , जंगली सुअर, खरगोश, लंगूर, बंदर |
44 | 1986 | बलफकरम राष्ट्रीय उद्यान | मेघालय | 220 वर्ग कि.मी. | पांडा ,बाघ, तेंदआ , हाथी |
45 | 1993 | एंटंकी राष्ट्रीय उद्यान | नागालैंड | 202.02 वर्ग कि.मी. | हूलॉक गिब्बन, सुनहरा लंगूर, धनेश, पाम सिवेट, ब्लैक स्टॉर्क, बाघ, व्हाइट ब्रॅस्टेड किंगफ़िशर, गोह, अजगर और भालू |
46 | 1982 | कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान | छत्तीसगढ़ | 200 वर्ग कि.मी. | पहाड़ी मैना ,हाथी, उल्लू, वनमुर्गी, क्रेस्टेड, सरपेंट इगल, श्यामा रैकेट टेल, ड्रांगो |
47 | 1991 | मुर्लेन राष्ट्रीय उद्यान | मिज़ोरम | 200 वर्ग कि.मी. | मलायन विशाल गिलहरी ,हूलॉक गिब्बन, सिवेट, ब्लैक स्टॉर्क, बाघ, व्हाइट ब्रॅस्टेड किंगफ़िशर |
48 | 1978 | नमेरी राष्ट्रीय उद्यान | असम | 200 वर्ग कि.मी. | तेंदुआ, क्लाउडेड लेपर्ड, इंडियन बाइसन, पैंगोलिन, इंडियन वाइल्ड डॉग, सिवेट कैट, कैप्ड लंगूर, सियार, सांभर, सांप, मगरमच्छ और कछुए, सफेद पंखों वाला बतख, माउंटेन इंपीरियल पिजन, ब्लू-नेपेड पित्त, स्लेंडर-बिल्ड ओरिओल, हिल ब्लू फ्लाईकैचर, व्हाइट-क्राउन फोर्कटेल, सुल्तान टिट, ब्लैक-बेलिड टर्न, जेर्डन बबलर, सिबिया, येलो-बेलिड फ्लावरपेकर, रेड-थ्रोटेड पिपिट, लॉन्ग-बिल्ड प्लोवर, इबिस बिल |
49 | 1980 | समुद्री राष्ट्रीय उद्यान, कच्छ की खाड़ी | गुजरात | 162.89 वर्ग कि.मी. | जंगली गधा ,प्रवाल , शेर |
50 | 1988 | भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान | उड़ीसा | 145 वर्ग कि.मी. | खारे पानी के मगरमच्छ, सफेद मगरमच्छ, भारतीय अजगर, जंगली सूअर, रीसस बंदर, चीतल, बानकर, कोबरा, पानी में रहने वाली छिपकली,एशियाई ओपन बिल, जलकौवा,किंगफ़िशर,ओलिव रिडले कछुए |
51 | 1981 | दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान | जम्मू और कश्मीर | 141 वर्ग कि.मी. | कश्मीरी हंगुल (हिरण) , कस्तूरी मृग, हिम तेन्दुआ, हिमालय सराव, कश्मीर धूसर लंगूर, चीता बिल्ली, हिमालयी काला भालू, हिमालय भूरा भालू, गीदड़, पहाड़ी लोमड़ी, हिमालय रासू, जंगली बिल्ली और ऊदबिलाव, हिमालयी काला भालू , लंबी पूंछ वाले मार्मोट, तीतर , कोकलास , मोनल, बुलबुल, मिनिवेट, बार्ड वल्चर, सुनहरे चील आदि |
52 | 1975 | नवेगाँव राष्ट्रीय उद्यान | महाराष्ट्र | 133.88 वर्ग कि.मी. | दुर्लभ मेलानिस्टिक तेंदुआ,जंगली कुत्ते, भेड़िया, गीदड़, जंगल बिल्ली तथा ‘स्लॉथ बीयर’ जैसे छोटे माँसाहारी जानवर तथा मुख्य शाकाहारी जंतुओ में चीतल, सांभर, नीलगाय, चौसिंगा, कांकड़/बार्किंग डियर, जंगली सुअर और भारतीय गौर आदि |
53 | 1992 | बुक्सा राष्ट्रीय उद्यान | पश्चिम बंगाल | 117.1 वर्ग कि.मी. | बाघ ,हाथी, गौर, तेंदुए, सांभर ,हिरण |
54 | 1989 | इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय उद्यान या अन्नामलाई राष्ट्रीय उद्यान | तमिल नाडु | 108 वर्ग कि.मी. | भारतीय हाथी, ढोल (एशियाई जंगली कुत्ता), नीलगिरि टार, शेर की पूंछ वाला मकाक, भूरा नेवला, गौर, मालाबार कांटेदार डोरमाउस, नीलगिरी लंगूर, चित्तीदार बिल्ली, सांभर हिरण, सुस्त भालू , चिकना-लेपित ऊदबिलाव, भारतीय विशाल गिलहरी, भारतीय तेंदुआ और गोह, गोल्डन सियार, तेंदुए बिल्ली, जंगली बिल्ली, चीतल, काकड़, मूषक मृग, जंगली सूअर, सामान्य लंगूर, बोनेट मकाक, एशियाई पाम सीविट, छोटा भारतीय सीविट, भारतीय ग्रे नेवला, धारीदार-गलेवाला नेवला, सुर्ख नेवला, ग्रे पतला लाउरिस, भारतीय बड़ी गिलहरी, सेही, भारतीय छिपकली, भारतीय साही और तीन धारीदार पाम गिलहरी, एवं पंछियों में जलकाग, बतख, छोटी बत्तख, बानकर (डार्टर), तीतर, बटेर, जंगली मुर्गी, स्पोरफॉल, मोर, तोता, धनेश, बार्बिट्स, ड्रोंगो, ओरिओल्स, श्रीक्स, वार्बलर्स, फ्लाईकैचर्स, कठफोड़वा, क्लोरोप्सिस, ट्रोगोन्स, किंगफिशर्स, सारस, सफ़ेद बगुला, मछली, ईगल, बाज़ चील, हैरियर, बाज़, चील, उल्लू और नाईटजार्स आदि |
55 | 1955 | ताडोबा राष्ट्रीय उद्यान | महाराष्ट्र | 116.54 वर्ग कि.मी. | बाघ के लिए प्रसिद्ध |
56 | 1992 | गैलेथिआ राष्ट्रीय उद्यान | अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह | 110 वर्ग कि.मी. | ओलिव रिडले,व लेदर बैक कछुए , केकड़े ,जंगली सूअर, सिवेट, लंगूर व अन्य समुद्री जीव |
57 | 1978 | मोल्लेम राष्ट्रीय उद्यान | गोवा | 107 वर्ग कि.मी. | हिरण,हाथी,मोर ,गिलहरी |
58 | 1974 | बनेरघटा राष्ट्रीय उद्यान | कर्नाटक | 104.27 वर्ग कि.मी. | जंगली बिल्लि, तेंदुआ ,शेर , बाघ, भालू और हाथियों सफारी के लिए प्रसिद्द |
59 | 1990 | मुदुमलाइ राष्ट्रीय उद्यान | तमिल नाडु | 103.24 वर्ग कि.मी. | लंगूर, बाघ, हाथी, गौर , उड़ने वाली गिलहरियां | मालाबार ट्रॉगन, ग्रे हॉर्नबिल, क्रेस्टिड हॉक ईगल, क्रेस्टिड सरपेंट ईगल, सांभर, चीतल, हिरन,सलेटी लंगूर |
60 | 2003 | कालेसर राष्ट्रीय उद्यान | हरयाणा | 100.88 वर्ग कि.मी. | पंछी ,सियार,जंगली भैंसे |
61 | 1978 | एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान | केरल | 97 वर्ग कि.मी. | हाथी ,मकाक ,जंगली बिल्ली , |
62 | 1984 | साइलेंट वैली राष्ट्रीय उद्यान | केरल | 89.52 वर्ग कि.मी. | सिंह पुच्छी मकाक ,बाघ, तेंदुआ, जंगली बिल्ली, सियार, चीतल, साभर, नीलगाय, , जंगली सुअर, खरगोश, लंगूर, बंदर,बड़े उल्लू,,चमगादड़ |
63 | 1986 | न्योरा घाटी राष्ट्रीय उद्यान | पश्चिम बंगाल | 88 वर्ग कि.मी. | काले भालू, स्लोथ बेयर , सुनहरी बिल्ली, जंगली सूअर, तेंदुआ , गोरल, सीरोव, बार्किंग हिरण, सांभर, हिमालय उड़ान गिलहरी और लाल पांडा |
64 | 1982 | फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान | उत्तराखंड | 87.5 वर्ग कि.मी. | मुख्य रूप से फूलों के लिए प्रसिद्द जैसे रोडोडियोड्रान, एनीमोन, जर्मेनियम, मार्श, गेंदा, प्रिभुला, पोटेन्टिला, जिउम, तारक, लिलियम, हिमालयी नीला पोस्त, बछनाग, डेलफिनियम, रानुनकुलस, कोरिडालिस, इन्डुला, सौसुरिया, कम्पानुला, पेडिक्युलरिस, मोरिना, इम्पेटिनस, बिस्टोरटा, लिगुलारिया, अनाफलिस, सैक्सिफागा, लोबिलिया, थर्मोपसिस, ट्रौलियस, एक्युलेगिया, कोडोनोपसिस, डैक्टाइलोरहिज्म, साइप्रिपेडियम आदि |
65 | 1983 | संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान | महाराष्ट्र | 86.96 वर्ग कि.मी. | हाथी,तेंदुआ ,मकाक ,जंगली बिल्ली ,सियार,जंगली भैंसे |
66 | 1994 | गोरुमारा राष्ट्रीय उद्यान | पश्चिम बंगाल | 79.45 वर्ग कि.मी. | गौर, तेंदुए, सांभर ,हिरण,बाघ ,हाथी |
67 | 1999 | ओरांग राष्ट्रीय उद्यान | असम | 78.8 वर्ग कि.मी. | पैंगोलिन, इंडियन वाइल्ड डॉग, सिवेट कैट, कैप्ड लंगूर, सियार, सांभर, सांप, इत्यादि |
68 | 1986 | सिंगालीला राष्ट्रीय उद्यान | पश्चिम बंगाल | 78.6 वर्ग कि.मी. | बाघ ,हाथी, गौर, तेंदुए, सांभर ,हिरण |
69 | 1990 | मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान | तमिल नाडु | 78.46 वर्ग कि.मी. | निलगिरी टार के लिए प्रसिद्ध |
70 | 1997 | फौंगपुइ राष्ट्रीय उद्यान | मिज़ोरम | 50 वर्ग कि.मी. | बहरे बाज़ , ट्रीपाई , बैंगनी सनबर्ड , क्रिमसन ब्रेस्टेड बारबेट , ह्यूम के तीतर , हॉर्नबिल , काला चील आदि , |
71 | 1986 | नोकरेक राष्ट्रीय उद्यान | मेघालय | 47.48 वर्ग कि.मी. | हाथी तथा हूलॉक गिब्बन,उड़न गिलहरी ,लाल पांडा |
72 | 1987 | माउन्ट हैरियट राष्ट्रीय उद्यान | अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह | 46.62 वर्ग कि.मी. | कछुए ,केंकड़े ,विभिन्न प्रकार की मछलियों व अन्य समुद्री जीवों के लिए प्रसिद्ध |
73 | 1977 | केयबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान | मणिपुर | 40 वर्ग कि.मी. | विश्व का अकेला “तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान”, जो मणिपुर की प्रसिद्ध ‘लोकतक झील’ का एक हिस्सा है; यह भारत में संकटग्रस्त संगाइ का एकमात्र निवास स्थान है। |
74 | 1976 | कृष्ण मृग राष्ट्रीय उद्यान | गुजरात | 34.08 वर्ग कि.मी. | काला हिरण,चिंकारा ,शेर ,चीतल आदि |
75 | 1987 | सैडल पीक राष्ट्रीय उद्यान | अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह | 32.54 वर्ग कि.मी. | जंगली सूअर, सिवेट, लंगूर,कछुए ,केंकड़े ,विभिन्न प्रकार की मछलियाँ |
76 | 1981 | केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान | राजस्थान | 28.73 वर्ग कि.मी. | साईबेरियाई सारस, घोमरा, उत्तरी शाह चकवा, जलपक्षी, लालसर बत्तख |
77 | 1979 | वंसदा राष्ट्रीय उद्यान | गुजरात | 23.99 वर्ग कि.मी. | तेंदुआ, लकड़बग्घा, चीतल, चौसिंगा, काकड़ |
78 | 1979 | वन विहार राष्ट्रीय उद्यान | मध्य प्रदेश | 4.45 वर्ग कि.मी. | सियार ,हाइना (लगड़बग्घे), भालू, हाथी , हिमालयी भालू, तेंदुए और बाघ,लोमड़ी |
79 | 2004 | चांदोली राष्ट्रीय उद्यान | महाराष्ट्र | 316.67 वर्ग कि.मी. | बाघ, तेंदुआ, गौर, भारतीय विशाल गिलहरी, साम्भर, भारतीय चित्तीदार मूषक मृग, काला हिरन |
80 | 1954 | हज़ारीबाग राष्ट्रीय उद्यान | झारखण्ड | 186 वर्ग कि.मी. | जंगली भालू, स्लोथ भालू, हिरण ,सियार,बाघ, सांभर ,नीलगाय और हाथी |
81 | 2004 | दर्रा राष्ट्रीय उद्यान | राजस्थान | 250 वर्ग कि.मी. | जंगली सुअर, तेंदुए , हिरण ,दुर्लभ कराकल |
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