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IAS के लिए नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा, और अभिरुचि से संबंधित सर्वश्रेष्ठ पुस्तकें

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-IV, जिसे मुख्यतः  नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि के रूप में जाना जाता है, विषय के रूप में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। ऐसा इसलिये है क्योंकि ‘नीतिशास्त्र का  प्रश्नपत्र’ आपके UPSC मुख्य परीक्षा के अंकों में लाभकारी या अलाभकारी परिवर्तन कर सकता है। सामान्यतः यह एक अंकदाई प्रश्नपत्र होता है, परंतु अन्य तीनों सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्रों की तुलना में इसकी थोड़ी असामान्य प्रकृति के कारण, प्रतियोगियों को इस प्रश्नपत्र हेतु अपनी तैयारी से संबंधित रणनीति तय करने में अधिक समय लगता है। यह प्रश्नपत्र थ्योरी और केस स्टडी के बीच समान रूप से विभाजित है। UPSC सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि के अध्ययन हेतु आप निम्नलिखित सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों का संदर्भ ले सकते हैं।

UPSC हेतु नीतिशास्त्र से संबंधित पुस्तकें

  1. नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि – जी. सुब्बा राव और पी.एन. रॉय चौधरी

एक्सेस पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक दो सेवानिवृत्त IAS अधिकारियों द्वारा लिखी गई है। इसमें कई केस स्टडी हैं तथा इस विषय के प्रारंभिक अध्ययन हेतु छात्रों के लिये यह एक अनुशंसित पुस्तक है।

  1. IAS परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- IV के नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि खंड हेतु लेक्सिकॉन – नीरज कुमार

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-IV में पूछे गए केस स्टडीज को हल करने की रणनीतियों से संबंधित यह उत्कृष्ट पुस्तक है। जैसा कि पुस्तक के नाम से ही विदित होता है कि यह विषय से संबंधित कई शब्दों के अर्थ को स्पष्ट रूप से व्याख्यायित करती है।

  1. नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि – संतोष अजमेरा और नंद किशोर रेड्डी

दो सेवारत IAS अधिकारियों द्वारा लिखित, यह पुस्तक नीतिशास्त्र पर विभिन्न सिद्धांतों का एक व्यापक विवरण प्रस्तुत करती है और नैतिक तथा नीतिपरक दुविधाओं की एक तस्वीर भी दर्शाती है जिसका प्रशासकों को उनके पेशेवर जीवन में सामना करना पड़ सकता है। यह पुस्तक टाटा मैक्ग्रा हिल द्वारा प्रकाशित की गई है।

  1. नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि – एम. कार्तिकेयन

यह पुस्तक इस विषय के विशेषज्ञ द्वारा लिखी गई है और इसमें सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-IV के UPSC पाठ्यक्रम को गहनता से सम्मिलित किया गया है।

  1. शासन में नैतिकता: नवाचार, मुद्दे और साधन – रमेश के. अरोड़ा

रावत प्रकाशन द्वारा प्रकाशित, यह पुस्तक सार्वजनिक प्रणालियों में व्याप्त भ्रष्ट और विवेकहीन प्रथाओं की जड़ों का विश्लेषण और वर्णन करती है। यह लोक प्रशासन में ईमानदारी और पारदर्शिता की आवश्यकता को व्याख्यायित करती है। यह पुस्तक शासकीय प्रथाओं के डिजाइन और उनके कार्यान्वयन पर भी बात करती है। इसके अतिरिक्त, ‘शासन में नैतिकता’ पर द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट का सारांश भी इसमें शामिल है।

  1. प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट:

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-IV के लिये प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट बहुत महत्त्वपूर्ण है। यदि आपको मूलतः विस्तृत रिपोर्ट का अध्ययन करने का समय नहीं मिलता है, तो रिपोर्ट का सारांश लेकर उसका अध्ययन अवश्य करें। ‘शासन में नैतिकता’ पर दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट सिविल सेवाओं में निम्नलिखित मूल्यों की सिफारिश करती है: सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता और गैर-पक्षपात, वस्तुनिष्ठता, सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण, कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति, सहिष्णुता और करुणा। सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-IV के लिये UPSC के पाठ्यक्रम में इनका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है।

UPSC की सिविल सेवा परीक्षा के लिये सबसे अधिक अनुशंसित अध्ययन सामग्री का चयन करना महत्वपूर्ण है। इस अत्यधिक प्रतियोगी परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिये उन पुस्तकों का उपयोग करना भी आवश्यक है जो आपको समझने और अध्ययन करने में सबसे आसान लगती हैं।

UPSC की सिविल सेवा परीक्षा के लिये नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि से संबंधित प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1

प्रश्न 1- नीतिशास्त्र के क्या उदाहरण हैं?

उत्तर- नीतिशास्त्र के अच्छे उदाहरण सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, निष्ठा, उत्तरदायित्व और चरित्र हैं। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफल होने के लिये नीतिशास्त्र की हमेशा आवश्यकता होती है।

Q2

प्रश्न 2- नीतिशास्त्र के 4 प्रकार क्या हैं?

उत्तर- नीतिशास्त्र के 4 प्रकार: व्यावहारिक नीतिशास्त्र, रूपक नीतिशास्त्र, मानक नीतिशास्त्र और वर्णनात्मक नीतिशास्त्र हैं।

Q3

प्रश्न 3- आठ नीतिपरक सिद्धांत क्या हैं?

उत्तर- 8 नीतिपरक सिद्धांत: न्याय, स्वायत्तता, यथार्थता, निष्ठा, गैर-दुर्भावना, गोपनीयता, लाभ और निजता हैं।

Q4

प्रश्न 4- सामान्य नीतिशास्त्र क्या है?

उत्तर- सामान्य लोगों के पूर्व-सैद्धांतिक नैतिक निर्णय का अर्थ ही सामान्य नीतिशास्त्र है।

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