UPSC सिविल सेवा मुख्य परीक्षा का पेपर-I निबंध होता है। इसमें आईएएस मुख्य परीक्षा के उम्मीदवारों को कुछ दिए गए विषयों में से दो विषयों पर निबंध लिखने होते हैं। यह पेपर कुल 250 अंकों का होता है और इसके अंकों को अंतिम मेरिट सूची के लिए ध्यान में रखा जाता है। इस लेख में, हमने 2013 से 2021 तक UPSC mains exam में पूछे गए सभी निबंध विषयों को सूचीबद्ध किया है। हमने आपकी तैयारी को आसान बनाने के लिए पिछले 09 वर्षों के निबंध प्रश्नों को भी विषयों में वर्गीकृत किया है।
यूपीएससी मेन्स से पिछले 09 वर्षों के विषय-वार निबंध प्रश्न (2013 – 2021)-Download PDF Here
यूपीएससी निबंध विषय
प्रशासन
- “सर्वोत्तम कार्यप्रणाली” से बेहतर कार्यप्रणालियाँ भी होती हैं । (2021)
- क्या यह नीति – गतिहीनता थी या कि क्रियान्वयन – गतिहीनता थी, जिसने हमारे देश की संवृद्धि को मंथर बना दिया था ? (2014)
आर्थिक विकास और विकास
- व्यक्ति के लिए जो सर्वश्रेष्ठ है, वह आवश्यक नहीं कि समाज के लिए भी हो | (2019)
- भारत में अधिकतर कृषकों के लिए कृषि जीवन – निर्वाह का एक सक्षम स्रोत नहीं रही है। (2017)
- नवप्रवर्तन आर्थिक संवृद्धि और सामाजिक कल्याण का अपरिहार्य निर्धारक है |
- क्या पूंजीवाद द्वारा समावेशित विकास हो पाना संभव है ? (2015)
- सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के साथ-साध सकल घरेलू खुशहाली (GDH) देश की सम्पन्नता के मूल्यांकन के सही सूचकांक होगे । (2013)
संघवाद, विकेंद्रीकरण
- भारत में संघ और राज्यों के बीच राजकोषीय संबंधों पर नए आर्थिक उपायों का प्रभाव । (2017)
- संघीय भारत में राज्यों के बीच जल-विवाद | (2016)
- सहकारी संघवाद : मिथक अथवा यथार्थ | (2016)
भारतीय संस्कृति और समाज
- जो हम हैं, वह संस्कार; जो हमारे पास है, वह सभ्यता | (2020)
- पितृ-सत्ता की व्यवस्था नजर में बहुत कम आने के बावजूद सामाजिक विषमता की सबसे प्रभावी संरचना है | (2020)
- वे सपने जो भारत को सोने न दें । (2015)
- क्या औपनिवेशिक मानसिकता भारत की सफलता में बाधक हो रही है ? (2013)
सामाजिक न्याय/गरीबी
- बिना आर्थिक समृद्धि के सामाजिक न्याय नहीं हो सकता, किन्तु बिना सामाजिक न्याय के आर्थिक समृद्धि निरर्थक है | (2020)
- प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा की उपेक्षा भारत के पिछड़ेपन के कारण हैं | (2019)
- कहीं पर भी गरीबी, हर जगह की समृद्धि के लिए खतरा है | (2018)
- जो समाज अपने सिद्धान्तों के ऊपर अपने विशेषाधिकारों को महत्त्व देता है, वह दोनों से हाथ थो बैठता है | (2018)
- क्या प्रतिस्पर्धा का बढ़ता स्तर युवाओं के हित में है ? (2014)
मीडिया और समाज
- पक्षपातपूर्ण मीडिया भारत के लोकतंत्र के समक्ष एक वास्तविक खतरा है | (2019)
पर्यावरण/शहरीकरण
- जलवायु परिवर्तन के प्रति सुनम्य भारत हेतु वैकल्पिक तकनीकें | (2018)
- हम मानवीय नियमों का तो साहसपूर्वक सामना कर सकते हैं, परंतु प्राकृतिक नियमों का प्रतिरोध नहीं कर सकते। (2017)
आर्थिक क्षेत्र / बहुराष्ट्रीय कंपनियां
- भारत में लगभग रोजगार विहीन संवृद्धि : आर्थिक सुधार की विसंगति या परिणाम | (2016)
- डिजिटल अर्थव्यवस्था : एक समताकारी या आर्थिक असमता का स्रोत | (2016)
- पर्यटन : क्या भारत के लिए यह अगला बड़ा प्रेरक हो सकता है ? (2014)
शिक्षा
- राष्ट्र के भाग्य का स्वरूप – निर्माण उसकी कक्षाओं में होता है। (2017)
- मूल्यों से वंचित शिक्षा, जैसी अभी उपयोगी है, व्यक्ति को अधिक चतुर शैतान बनाने जैसी लगती है । (2015)
- अधिकार (सत्ता) बढ़ने के साथ उत्तरदायित्व भी बढ़ जाता है । (2014)
- क्या मानकीकृत परीक्षण शैक्षिक योग्यता या प्रगति का बढ़िया माप है ? (2014)
औरत
- भारत में “नए युग की नारी” की परिपूर्णता एक मिथक है। (2017)
- स्त्री-पुरुष के समान सरोकारों को शामिल किए बिना विकास संकटग्रस्त है | (2016)
उद्धरण – आधारित/दर्शन
- इच्छारहित होने का दर्शन काल्पनिक आदर्श (युटोपिया) है, जबकि भौतिकता माया है। (2021)
- सत् ही यथार्थ है और यथार्थ ही सत् है। (2021)
- पालना झूलाने वाले हाथों में ही संसार की बागडोर होती है। (2021)
- शोध क्या है, ज्ञान के साथ एक अजनबी मुलाकात ! (2021)
- मनुष्य होने और मानव बनने के बीच का लम्बा सफर ही जीवन है | (2020)
- जहाज अपने चारों तरफ के पानी के वजह से नहीं डूबा करते, जहाज पानी के अंदर समा जाने की वजह से डूबते हैं | (2020)
- सरलता चरम परिष्करण है | (2020)
- विवेक सत्य को खोज निकालता है | (2019)
- मूल्य वे नहीं जो मानवता है, बल्कि वे हैं जैसा मानवता को होना चाहिए | (2019)
- स्वीकारोक्ति का साहस एवं सुधार करने की निष्ठा सफलता के दो मंत्र हैं | (2019)
- एक अच्छा जीवन प्रेम से प्रेरित तथा ज्ञान से संचालित होता है | (2018)
- किसी को अनुदान देने से, उसके काम में हाथ बँटाना बेहतर है। (2015)
- शब्द दो – धारी तलवार से अधिक तीक्ष्ण होते हैं । (2014)
- जो बदलाव आप दूसरों में देखता चाहते हैं- पहले स्वयं में लाइए – गॉंधीजी । (2013)
चरित्र
- आप की मेरे बारे में धारणा, आपकी सोच दर्शाती है; आपके प्रति मेरी प्रतिक्रिया, मेरा संस्कार है। (2021)
- विचारपरक संकल्प स्वयं के शांतचित्त रहने का उत्प्रेरक है | (2020)
- यथार्थ आदर्श के अनुरूप नहीं होता है, बल्कि उसकी पुष्टि करता है | (2018)
- आवश्यकता लोभ की जननी है तथा लोभ का आधिक्य नस्लें बर्बाद करता है | (2016)
- फुर्तीला किन्तु संतुलित व्यक्ति ही दौड़ में विजयी होता है । (2015)
- किसी संस्था का चरित्र चित्रण, उसके नेतृत्त्व में प्रतिबिम्बित होता है। (2015)
भूमंडलीकरण
- क्या गुटनिरपेक्ष आंदोलन (नाम) एक बहुध्रुवीय विश्व में अपनी प्रासंगिकता को खो बैठा है ? (2017)
विज्ञान और तकनीक
- इतिहास स्वयं को दोहराता है, पहली बार एक त्रासदी के रूप में, दूसरी बार एक प्रहसन के रूप में। (2021)
- आत्म-संधान की प्रक्रिया अब तकनीकी रूप से बाह्मय स्रोतों को सौंप दी गई है। (2021)
- प्रौद्योगिकी, मानवशक्ति को विस्थापित नहीं कर सकती । (2015)
- राष्ट्र के विकास व सुरक्षा के लिए विज्ञान व प्रौद्योगिकी (टेक्नॉलाजी) सर्वोपचार हैं । (2013)
इंटरनेट/आईटी
- कृत्रिम बुद्धि का उत्थान : भविष्य में बेरोजगारी का खतरा अथवा पुनःकौंशल और उच्चकौशल के माध्यम से बेहतर रोजगार के सृजन का अवसर | (2019)
- “सोशल मीडिया” अंतर्निहित रूप से एक स्वार्थपरायण माध्यम है। (2017)
- साइबरस्पेस और इंटरनेट : दीर्घ अवधि में मानव सभ्यता के लिए वरदान अथवा अभिशाप | (2016)
अंतर्राष्ट्रीय संगठन / संबंध
- अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में मौन कारक के रूप में प्रौद्योगिकी | (2020)
सुरक्षा
- भारत के सीमा विवादों का प्रबन्धन – एक जटिल कार्य | (2018)
विविध
- दक्षिण एशियाई समाज सत्ता के आस-पास नहीं, बल्कि अपनी अनेक संस्कृतियों और विभिन्न पहचानों के ताने-बाने से बने हैं | (2019)
- रूढ़िगत नैतिकता आधुनिक जीवन की मार्गदर्शक नहीं हो सकती है | (2018)
- ‘अतीत’ मानवीय चेतना तथा मूल्यों का एक स्थायी आयाम है | (2018)
- हर्ष कृतज्ञता का सरलतम रूप है। (2017)
- भारत के सम्मुख संकट – नैतिक या आर्थिक | (2015)
- क्या स्टिंग ऑपरेशन निजता पर एक प्रहार है ? (2014)
- ओलंपिक में पचास स्वर्ण पदक : क्या भारत के लिए यह वास्तविकता हो सकती है ? (2014)
आईएएस मेन्स की तैयारी करते समय, उम्मीदवारों को UPSC Mains Answer Writing Practise पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि इससे आपकी गति, दक्षता और लेखन कौशल में सुधार होगा। यह स्वतः ही निबंध लेखन में भी मदद करेगा।
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