02 सितंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. श्रीलंका को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का पैकेज

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

जैव विविधता एवं पर्यावरण:

  1. एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

सामाजिक मुद्दे:

  1. भारत में अकादमी, अनुसंधान और अनुचित भेदभावपूर्ण प्रवृत्ति
  1. बुरे दौर की वापसी

शासन:

  1. क्या सिविल सेवक कानून व शासन पर अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं?

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. वोस्तोक 2022
  2. क्राई-मैक (Cri-MAC)

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. सर्वावैक

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

श्रीलंका को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का पैकेज

विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।

मुख्य परीक्षा: श्रीलंकाई आर्थिक संकट।

संदर्भ:

  • हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने श्रीलंका के साथ एक कर्मचारी-स्तरीय समझौता किया है।

भूमिका:

  • कोविड-19 महामारी के प्रभाव के अतिरिक्त, श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकटों में से एक का सामना कर रहा है। यह आर्थिक संकट सरकारी वित्त के कुप्रबंधन और गलत समय पर कर (tax) में की गई कटौती का परिणाम है।
  • श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है और यह अस्थिर सार्वजनिक ऋण, कम अंतरराष्ट्रीय भंडार के रूप में बढ़ती चुनौतियों का सामना कर रहा है। इसलिए, इसे बड़े वित्तीय पैकेज की आवश्यकता है।
  • वर्ष 2022 में श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था के 8.7 प्रतिशत तक के संकुचन का अनुमान है। मुद्रास्फीति हाल ही में 60 प्रतिशत से अधिक हो गई है। इसका प्रभाव असमान रूप से गरीबों और कमजोरों पर पड़ रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सहायता:

  • श्रीलंका और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने एक प्रारंभिक समझौता किया है।
  • दोनों ने लगभग 2.9 अरब डॉलर की विस्तारित फंड सुविधा [EFF] के तहत 48 महीने की व्यवस्था के साथ श्रीलंका की आर्थिक नीतियों का समर्थन करने के लिए एक कर्मचारी-स्तरीय समझौता किया है।
  • कर्मचारी-स्तर के समझौते आम तौर पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष प्रबंधन और उसके कार्यकारी बोर्ड के अनुमोदन के अधीन होते हैं, जिसके बाद प्राप्तकर्ता देशों को वित्त तक पहुंच प्रदान की जाती है।

समझौते के प्रमुख तत्व:

  • श्रीलंका के नए फंड-समर्थित कार्यक्रम का उद्देश्य व्यापक आर्थिक स्थिरता और ऋण स्थिरता को बहाल करना है। साथ ही इसका उद्देश्य वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना, कमजोर लोगों की रक्षा करना और भ्रष्टाचार को दूर करने तथा श्रीलंका की विकास क्षमता को अनलॉक करने के लिए संरचनात्मक सुधार करना है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने श्रीलंका के समक्ष कुछ शर्ते रखी हैं जिसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष प्रबंधन और कार्यकारी बोर्ड द्वारा समझौते को मंजूरी देने से पहले पूरा करना होगा। इसमें शामिल हैं-
    • राजकोषीय समेकन का समर्थन करने के लिए राजकोषीय राजस्व बढ़ाना।
    • प्रमुख कर सुधारों को लागू करना। समझौते का लक्ष्य वर्ष 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद के 2.3 प्रतिशत के प्राथमिक अधिशेष तक पहुंचना है।
    • राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों से उत्पन्न होने वाले वित्तीय जोखिमों को कम करने के लिए ईंधन और बिजली के लिए लागत-वसूली आधारित मूल्य निर्धारण की शुरुआत करना।
    • सामाजिक खर्च में वृद्धि और गरीबों तथा कमजोरों पर संकट के प्रभाव को कम करने के लिए सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के कवरेज और लक्ष्यीकरण में सुधार करना।
    • डेटा-संचालित मौद्रिक नीति कार्रवाई, राजकोषीय समेकन के माध्यम से मूल्य स्थिरता बहाल करना।
    • एक लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण व्यवस्था को आगे बढ़ाने की अनुमति देने वाले एक नए केंद्रीय बैंक अधिनियम के माध्यम से केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता सुनिश्चित करना।
    • बाजार-निर्धारित और लचीली विनिमय दरों के माध्यम से विदेशी मुद्रा भंडार को बहाल करना।
    • वित्तीय स्थिरता की रक्षा के लिए स्वस्थ और पर्याप्त रूप से पूंजीकृत बैंकिंग प्रणाली सुनिश्चित करना।
    • राजकोषीय पारदर्शिता में सुधार के माध्यम से भ्रष्टाचार को कम करने के लिए मजबूत भ्रष्टाचार विरोधी कानूनी ढांचे का निर्माण करना।

सारांश:

  • श्रीलंकाई आर्थिक संकट खराब नीतियों और कुप्रबंधित सरकारी वित्त का परिणाम है। श्रीलंका और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने श्रीलंका की आर्थिक नीतियों का समर्थन करने के लिए कुछ पूर्व लक्ष्यों और अपेक्षाओं के साथ एक कर्मचारी-स्तर का समझौता किया है, जिन्हें श्रीलंका को पूरा करना होगा। देश को स्थायी सुधार के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सहायता के अलावा अपने लेनदारों से ऋण राहत और बहुपक्षीय भागीदारों से अतिरिक्त वित्त प्राप्त करने के प्रयास करने चाहिए।

श्रीलंकाई आर्थिक संकट के बारे में अधिक जानकरी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें।

https://byjus.com/current-affairs/sri-lankan-economic-crisis/

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

जैव विविधता एवं पर्यावरण:

एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध

विषय: पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण।

मुख्य परीक्षा: एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता और प्रभाव।

संदर्भ:

  • हाल ही में, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया है।

भूमिका:

  • भारत ने 1 जुलाई, 2022 से कम उपयोगिता और उच्च कूड़े की क्षमता वाले एकल उपयोग प्लास्टिक (SUP) की वस्तुओं के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के एक पक्षकार के रूप में भारत ने एक संकल्प पर हस्ताक्षर किए हैं, जो हस्ताक्षरकर्ताओं के लिए प्लास्टिक प्रदूषण (उत्पादन से लेकर निपटान तक प्लास्टिक के संपूर्ण जीवन चक्र का प्रबंधन करना) को समाप्त करने को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाता है।

एकल उपयोग प्लास्टिक हानिकारक क्यों है?

  • प्लास्टिक प्रदूषण गैर-निम्नीकरणीय एकल उपयोग वाले प्लास्टिक को अपशिष्ट के रूप में डंप करने का हानिकारक परिणाम है।
  • एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर्यावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते हैं और पारिस्थितिक तंत्र तथा उन पारिस्थितिक तंत्र में रहने वाले जीवों के लिए जहरीले होते हैं।
  • पुन:इस्तेमाल किये जाने के बजाय एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पादों का अंतिम रूप से निपटान समुद्र में होता है, जो कि समुद्री जीवों के लिए हानिकारक है।

वैश्विक प्रतिबद्धता:

  • एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के कारण होने वाले प्रदूषण की वजह से सभी देशों को पर्यावरणीय चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा ने वर्ष 2019 में भारत द्वारा एकल उपयोग प्लास्टिक प्रदूषण पर प्रस्तावित एक प्रस्ताव को अपनाया था, जिसमें इस मुद्दे को हल करने के लिए वैश्विक समुदाय द्वारा तत्काल कार्यवाही करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया था।
  • वर्ष 2002 में पतले प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाने वाला बांग्लादेश पहला देश था। जुलाई 2019 में न्यूजीलैंड ने प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाया था। चीन ने 2020 में चरणबद्ध तरीके से प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।

भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम:

  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम 2021 के तहत, 75 माइक्रोन से कम के वर्जिन या रीसाइकिल्‍ड प्लास्टिक से बने कैरी बैग (थैले) के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर सितंबर, 2021 से प्रतिबंध लगा दिया गया है।
  • प्लास्टिक स्टिक के साथ ईयर-बड, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, सजावट के लिए पॉलीस्टाइनिन (थर्मोकोल), प्लेट, कप, गिलास, कांटे, चम्मच, चाकू, पुआल, ट्रे, जैसे कटलरी, मिठाई के डिब्‍बों के चारों ओर रैपिंग या पैकिंग फिल्म, निमंत्रण कार्ड, सिगरेट के पैकेट, 100 माइक्रोन, स्टिरर से कम के प्लास्टिक या पीवीसी बैनर सहित कई वस्तुओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
  • केंद्र सरकार ने “स्वच्छ और हरित” अभियान के तहत एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की पहल की है जो स्वच्छता को बढ़ाने और पर्यावरण के अनुकूल उपाय करने पर केंद्रित है।
  • एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की सलाह स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 के उद्देश्यों के अनुरूप है, जिसे आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा लागू किया गया है।
  • 31 दिसंबर 2022 से 120 माइक्रॉन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध लगेगा।
  • भारत ने नवोन्मेष को बढ़ावा देने, एकल उपयोग प्लास्टिक के विकल्पों की खोज करने एवं उपलब्ध विकल्पों को तेजी से अपनाने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र निर्माण के लिए भी कदम उठाए हैं।
  • राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच प्रतिबंधित एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं की आवाजाही को रोकने के लिए सीमा चौकियों की स्थापना की गई है।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए एक शिकायत निवारण प्रणाली की शुरुआत की है।
  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2022 में विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) के प्रावधान हैं। दिशानिर्देश प्लास्टिक अपशिष्ट की चक्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए रूपरेखा प्रदान करते हैं।

चुनौतियां:

  • प्रतिबंध की सफलता के लिए सभी हितधारकों की भागीदारी महत्वपूर्ण है।
  • पूर्व में लगभग 25 राज्यों ने राज्य स्तर पर प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन इन वस्तुओं के व्यापक उपयोग के कारण इसका बहुत सीमित प्रभाव पड़ा था।
  • अब प्रमुख चुनौती यह है कि स्थानीय स्तर के अधिकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रतिबंध को कैसे लागू करेंगे।
  • गैर-ब्रांडेड वस्तुओं की जवाबदेही लेना मुश्किल है क्योंकि उनमें से अधिकांश अनौपचारिक क्षेत्र से संबंधित हैं।

भावी कदम:

  • उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाना चाहिए।
  • सार्वजनिक और निजी भागीदारी के साथ स्थायी विकल्प खोजने के लिए अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • प्लास्टिक के हरित विकल्प जैसे कम्पोस्टेबल और जैव-निम्नीकरणीय प्लास्टिक को एक स्थायी विकल्प के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए।

सारांश:

  • भारत ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ की भावना से अप्रबंधित प्लास्टिक प्रदूषण को दूर करने के लिए कदम उठा रहा है। इस समस्या के समाधान की जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं, बल्कि उद्योगों, ब्रांडों, निर्माताओं और उपभोक्ताओं की भी है। व्यावहारिक विकल्पों के अभाव में, प्लास्टिक पर प्रतिबंध अभी व्यवहार्य नहीं लगता है।

संपादकीय-द हिन्दू

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-1 से संबंधित:

सामाजिक मुद्दे:

भारत में अकादमी, अनुसंधान और अनुचित भेदभावपूर्ण प्रवृत्ति

विषय: महिलाओं की भूमिका और संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: भारतीय शिक्षा तथा अनुसंधान में महिलाओं की भागीदारी का विश्लेषण और कॉर्पोरेट क्षेत्र में भागीदारी के साथ इसकी तुलना।

संदर्भ:

  • इस लेख में शिक्षा में लैंगिक असमानता और भेदभाव जैसे मुद्दों के बारे में चर्चा की गई है।

पृष्टभूमि:

  • 1933 में, कमला सोहोनी ने सर सी.वी. रमन को उनके मार्गदर्शन में भौतिकी में शोध करने के लिए आमंत्रित किया। हालांकि, ऐसा कहा जाता है कि सर सी.वी. रमन, जो उस समय भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर के निदेशक थे, ने उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया क्योंकि “वह एक महिला थीं”।
    • कमला सोहोनी ने इस भेदभाव का विरोध किया और शर्त रखी कि उनके काम को तब तक मान्यता न दी जाए जब तक कि उनके काम और शोध की गुणवत्ता से निर्देशक संतुष्ट नहीं हो जाते । इसके बाद उन्हें संस्थान में प्रवेश दिया गया था। उनकी उपस्थिति ने किसी भी पुरुष सहयोगी को विचलित नहीं किया।
  • 1937 में, प्रोफेसर डी.एम. बोस, कलकत्ता विश्वविद्यालय में भौतिकी के तत्कालीन पालित प्रोफेसर, बिभा चौधरी को अपने शोध समूह में शामिल करने के इच्छुक नहीं थे क्योंकि उन्हें लगा कि महिलाओं के लिए उपयुक्त शोध परियोजना नहीं है।
    • हालांकि, दृढ़ निश्चयी बिभा चौधरी ने अनुसंधान समूह में अपनी जगह बनाई और मेसॉन के द्रव्यमान को निर्धारित करने में कॉस्मिक किरणों पर उनके काम की व्यापक रूप से सराहना की गई।
  • यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और संगठनों में भी ऐसे कई उदाहरण हैं जहां यह माना जाता था कि वैज्ञानिक अनुसंधान में महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम सक्षम हैं।
    • इसे पीसा विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर के बयान से समझा जा सकता है जिन्होंने कहा था कि “भौतिकी का आविष्कार और निर्माण पुरुषों द्वारा किया गया था”

सरकार की पहलें:

  • भारत सरकार ने महिलाओं की भागीदारी में सुधार लाने, लैंगिक असमानता और भेदभाव के मुद्दों के समाधान के लिए कई प्रयास किए हैं।
  • इस संदर्भ में, महिलाओं को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रोत्साहित करने पर मुख्य ध्यान दिया जा रहा है। सरकार की प्रमुख पहलों में शामिल हैं:
    • जेंडर एडवांस्मेंट फॉर ट्रांस्फॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस (GATI) – GATI विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा शुरू की गई एक अभिनव पायलट परियोजना है जिसका उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना है।
      • GATI परियोजना में सभी स्तरों पर विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित और चिकित्सा (STEMM) विषयों में महिलाओं की समान भागीदारी के लिए एक सक्षम वातावरण विकसित करने और प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने की परिकल्पना की गई है।
    • “पोषण के माध्यम से अनुसंधान उन्नति में ज्ञान भागीदारी (किरण) – किरण 2014 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा शुरू की गई एक पहल है जो महिला वैज्ञानिकों के अनुसंधान करियर को पोषित करके विज्ञान में लैंगिक समानता को बढ़ावा दे रही है और महिलाओं को पारिवारिक कारणों के बावजूद भी अनुसंधान कार्य करने को प्रेरित कर रही है।
    • अन्य प्रमुख पहलों में महिला वैज्ञानिक योजना, महिला विश्वविद्यालयों में नवाचार और उत्कृष्टता के लिए विश्वविद्यालय अनुसंधान का समेकन (Curie) और भारत-यू.एस. STEMM में महिलाओं के लिए फैलोशिप हैं।
  • इसके अलावा, विश्वविद्यालय और अनुसंधान संस्थान वैज्ञानिक माताओं को अपने शोध कार्य को निर्बाध रूप से जारी रखने में मदद करने के लिए शिशु गृह स्थापित कर रहे हैं।

STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) में महिलाओं की भागीदारी:

  • दुनिया भर में STEM विषयों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है।
  • कुछ चुनिंदा देशों के यूनेस्को के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने STEM क्षेत्रों में काम करने वाली केवल 14% महिला शोधकर्ताओं के साथ निम्नतम रैंक प्राप्त की है।
    • हालाँकि, भारत भी पीछे नहीं है क्योंकि विभिन्न उन्नत देशों ने भी इस क्षेत्र में खराब प्रदर्शन किया है।
      • उदाहरण: जापान में STEM क्षेत्रों में काम करने वाली महिला शोधकर्ता केवल 16% हैं, नीदरलैंड्स में यह 26% है, यू.एस. में यह 27% और यूके में 39% है।
    • ट्यूनीशिया (55%), अर्जेंटीना (53%) और न्यूजीलैंड (52%) जैसे देशों में महिला शोधकर्ताओं की सबसे अधिक भागीदारी देखी गई।
      • क्यूबा (49%), दक्षिण अफ्रीका और 45% के साथ मिस्र जैसे देशों ने भी बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है।
  • भारत में, STEM में स्नातक आबादी में महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 43% है जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। हालांकि, केवल 14% महिलाएं ही शैक्षणिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों में प्रवेश पाती हैं। इसके अलावा, अनुसंधान में महिलाओं की भागीदारी भी कम है।
  • विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों में संकाय के रूप में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है और जैसे ही पद के पदानुक्रम में वृद्धि होती है भागीदारी प्रतिशत में और गिरावट आती है।
    • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 54 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से 7, 456 राज्य विश्वविद्यालयों में से 52, 126 डीम्ड विश्वविद्यालयों में से 10 और 419 निजी विश्वविद्यालयों में से 23 में महिला कुलपति हैं।
  • भारत की प्रमुख विज्ञान अकादमियों में महिला अध्येताओं की कुल संख्या है-
    • 1934 में स्थापित भारतीय विज्ञान अकादमी (IAS) के लिए 7%
    • 1935 में स्थापित भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) के लिए 5%
    • 1930 में स्थापित नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज इंडिया (NASI) के लिए 8%
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) में महिला कर्मचारियों की संख्या भी बहुत कम है।
    • उदाहरण: IIT मद्रास में 314 प्रोफेसरों में से केवल 31 (10.2%) और IIT बॉम्बे में 143 प्रोफेसरों में से केवल 25 (17.5%) हैं।

कॉर्पोरेट क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी:

  • शिक्षाविदों में संभावनाओं की तुलना में कॉर्पोरेट या निजी क्षेत्र में नेतृत्व और निर्णय लेने की स्थिति में महिलाओं की भागीदारी बेहतर है।
  • भारत में कॉर्पोरेट क्षेत्र में वरिष्ठ प्रबंधन पदों पर महिलाओं की संख्या 39% है, जो वैश्विक औसत से बेहतर है।
  • सौभाग्य से 500 कंपनियों में महिला CEOs की संख्या लगभग 15% है और बोर्ड के सदस्यों के रूप में महिलाओं की संख्या में 2016 में 15% से 2022 में 19.7% की महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई है।

कॉर्पोरेट क्षेत्र और शैक्षणिक क्षेत्र में असमानता के कारण:

  • निजी क्षेत्र में चयन और पदोन्नति की प्रक्रिया आमतौर पर योग्यता पर आधारित होती है और शैक्षणिक संस्थानों की तुलना में एक निश्चित संरचना के साथ अधिक परिणामोन्मुखी होती है।
  • इसके अलावा, विभिन्न पहल जैसे काम के घंटों में लचीलापन, मातृत्व लाभ, और अनुभाग जो केवल महिलाओं द्वारा संचालित होते हैं जो निजी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देते हैं, बहुत पहले शुरू की गई हैँ।

सारांश:

  • भारत ने पिछली शताब्दी में कार्यबल में लैंगिक भेदभाव और समानता के मुद्दों को संबोधित करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। हालाँकि, शिक्षा और अनुसंधान क्षेत्रों में अभी भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है। इस संदर्भ में सरकार द्वारा शुरू किए गए विभिन्न कार्यक्रमों से 2047 तक लैंगिक असमानता को खत्म करने की उम्मीद है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-1 से संबंधित:

सामाजिक मुद्दे:

बुरे दौर की वापसी

विषय: विकासात्मक मुद्दे, उनकी समस्याएं और उपाय।

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के बारे में।

मुख्य परीक्षा: NCRB की “भारत में अपराध” रिपोर्ट (2021) के मुख्य निष्कर्ष।

संदर्भ:

  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में “भारत में अपराध” रिपोर्ट के मुताबिक, बलात्कार, अपहरण, बच्चों के खिलाफ हिंसा, डकैती और हत्या जैसे हिंसक अपराधों में एक चिंताजनक प्रवृत्ति देखने को मिली है।

विवरण:

  • NCRB द्वारा जारी “भारत में अपराध” रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि कोविड प्रेरित प्रतिबंधों के कारण 2020 में गिरावट के बाद 2021 में पूरे भारत में हिंसक अपराधों की संख्या में वृद्धि हुई है।
  • 2021 में हिंसक अपराधों में बढ़ोतरी जरूर हुई, लेकिन कुल अपराध दर (प्रति एक लाख लोगों पर अपराध) 2020 की 487.8 से घटकर 2021 में 445.9 हो गई। इसकी सबसे बड़ी वजह, लॉकडाउन से जुड़े सरकारी अधिकारियों के आदेश की अवहेलना करने के तहत दर्ज मामलों में आई गिरावट है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:

चित्र स्रोत: द हिंदू

चित्र स्रोत: द हिंदू

  • महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 31.8 फीसदी हिस्सेदारी “पति या उनके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता” की रही। यह संख्या 2020 के 30.2 फीसदी और 2019 के 30.9 फीसदी से ज्यादा थी। यह बताती है कि घरेलू हिंसा एक बड़ी समस्या के तौर पर लगातार बनी हुई है।
  • एक तरफ हिंसक अपराधों में बढ़ोतरी देखने को मिली, वहीं आरोपपत्र दाखिल करने की दर 2020 के 75.8 फीसदी से गिरकर 2021 में 72.3 फीसदी रह गई।
    • यही हाल दोष साबित होने की दर (2020 में 59.2 फीसदी से घटकर 57 फीसदी) का है।
    • इससे पता चलता है कि देश में हिंसक अपराधों में वृद्धि के बावजूद, कानून प्रवर्तन कम उत्तरदायी रहा है।
  • अपराध की इन प्रवृत्तियों को अगर राज्यवार देखें, तो असम (प्रति एक लाख लोगों पर 76.6 हिंसक अपराध), दिल्ली (57) और पश्चिम बंगाल (48.7) इस सूची में सबसे आगे है, जबकि गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में ऐसे मामले सबसे कम दर्ज हुए।
    • ओडिशा में हिंसक अपराधों की दर में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में 12 प्रति 1 लाख लोगों के साथ आत्महत्या की दर पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक थी।
    • देश में आत्महत्या के प्रमुख कारण घरेलू समस्याएं (33.2%) और बीमारियां (18.6%) बताई जाती हैं।
    • आत्महत्या करने वालों में सबसे बड़ी संख्या दिहाड़ी मजदूरों (25.6 फीसदी) और गृहिणियों (14.1 फीसदी) की है।
  • 2020 की तुलना में साइबर अपराधों के तहत दर्ज मामलों की संख्या में 5.9 प्रतिशत का उछाल भी डिजिटल उपकरणों के बढ़ते उपयोग और उनसे जुड़ी चुनौतियों का संकेत देता है।
    • चूंकि महानगरों (20 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर) में 2020 की तुलना में साइबर अपराध में 8.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, साइबर अपराधों में समग्र वृद्धि का श्रेय ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे अपराधों की वृद्धि को दिया जाता है।
    • इसलिए सरकार को हस्तक्षेप करने और ग्रामीण क्षेत्रों में अपने जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ाने की जरूरत है।

सारांश:

  • देश में हिंसक अपराधों, आत्महत्या दर और साइबर अपराधों में वृद्धि के साथ-साथ आरोप पत्र और दोषसिद्धि दर में गिरावट के लिए केंद्र और राज्य सरकारों और अन्य कानून प्रवर्तन निकायों को तत्काल ध्यान देने और हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

शासन:

क्या सिविल सेवक कानून व शासन पर अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं?

विषय: लोकतंत्र में सिविल सेवाओं की भूमिका।

मुख्य परीक्षा: सरकारी कर्मचारियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों का आलोचनात्मक मूल्यांकन।

संदर्भ:

  • हाल ही में तेलंगाना की एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले के दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले पर सवाल उठाया था।
  • इसने एक बार फिर सिविल सेवकों को कानून और शासन के मामलों और 1964 के केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमों पर अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता पर बहस को सुर्खियों में ला दिया है।

सरकारी कर्मचारी और उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता:

  • भारत के नागरिकों को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की गारंटी दी गई है, जो विभिन्न उचित प्रतिबंधों के अधीन है।
    • हालांकि, सरकारी सेवा में व्यक्तियों को कुछ अनुशासनात्मक नियमों का पालन करने की आवश्यकता होती है जो उन्हें देश के शासन के संबंध में या किसी राजनीतिक संगठन या इस तरह के किसी भी संगठन का सदस्य बनने से प्रतिबंधित करते हैं।
  • केन्द्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमावली, 1964 के नियम 9 के अनुसार कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी रेडियो प्रसारण, टेलीकास्ट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या अपने नाम से प्रकाशित किसी दस्तावेज़ में या गुमनाम रूप से “कोई भी सरकारी कर्मचारी … तथ्य या राय का कोई बयान नहीं देगा,
    • जिससे केंद्र सरकार या राज्य सरकार की किसी मौजूदा या हाल की नीति या कार्रवाई की प्रतिकूल आलोचना का प्रभाव हो।
    • जो केंद्र सरकार और किसी भी राज्य की सरकार के बीच संबंधों को ख़राब करे।
    • जो केंद्र सरकार और किसी भी विदेशी राज्य की सरकार के बीच संबंधों को ख़राब करे।

सरकारी कर्मचारियों के लिए स्वतंत्र भाषण के पक्ष में तर्क:

  • सरकारी कर्मचारियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने वाले सख्त नियम ब्रिटिश काल के हैं और लोकतंत्र में सरकार की आलोचना करने के अधिकार को एक प्रमुख मौलिक अधिकार कहा जाता है।
  • इसके अलावा, इन नियमों में उल्लिखित शर्तें अस्पष्ट और व्यापक हैं इसलिए इनकी जांच की जानी चाहिए।
  • 2018 में, केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि “व्यक्तियों को केवल अपने विचार व्यक्त करने से नहीं रोका जा सकता क्योंकि वह एक कर्मचारी है। एक लोकतांत्रिक समाज में, प्रत्येक संस्था लोकतांत्रिक मानदंडों द्वारा शासित होती है और स्वस्थ आलोचना एक सार्वजनिक संस्थान को संचालित करने का एक बेहतर तरीका है।
  • त्रिपुरा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने हाल के फैसले में कहा था कि “एक सरकारी कर्मचारी के रूप में, याचिकाकर्ता अपने भाषण की स्वतंत्रता के अधिकार से रहित नहीं है, एक मौलिक अधिकार जिसे केवल एक वैध कानून द्वारा छीना जा सकता है।
  • आचरण नियमों के नियम 5 के उप-नियम (4) में निर्धारित सीमाओं के अधीन, स्वयं के विश्वास और उन्हें वांछित तरीके से व्यक्त करें।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी सिविल सेवक की मूल जिम्मेदारी संवैधानिक सिद्धांतों को अक्षरश: और देश के कानून के शासन में बनाए रखना है और यदि इन सिद्धांतों को विकृत किया जा रहा है, तो इन चिंताओं को उठाना सिविल सेवकों का कर्तव्य है।

इसके बारे में और अधिक पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें:

https://byjus.com/free-ias-prep/role-of-civil-services-in-a-democracy/

सारांश:

  • लोकतंत्र में, स्वतंत्र रूप से अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार, आपत्ति का अधिकार और असहमति का अधिकार शासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि सरकारी कर्मचारियों को कानून पर अपने विचार व्यक्त और स्वतंत्र रूप से शासन करने की अनुमति दी जाए।

प्रीलिम्स तथ्य:

  1. वोस्तोक 2022

विषय: विभिन्न सुरक्षा बल एवं एजेंसियां और उनका अधिदेश।

प्रारंभिक परीक्षा: सैन्य अभ्यास।

संदर्भ:

  • भारत बहुपक्षीय अभ्यास ‘वोस्तोक-2022’ में भाग ले रहा है जिसे हाल ही में रूस में शुरू किया गया है।

विवरण:

  • 7/8 गोरखा राइफल्स के सैनिकों के साथ भारतीय सेना की एक टुकड़ी बहुपक्षीय रणनीतिक और कमांड अभ्यास ‘वोस्तोक-2022’ में भाग ले रही है।
  • इसका आयोजन रूस के पूर्वी सैन्य जिले के प्रशिक्षण मैदान में किया जा रहा है।
  • अभ्यास में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी भी भाग ले रही है।
  • अभ्यास का उद्देश्य प्रतिभागी सैन्य दलों तथा पर्यवेक्षकों के बीच आदान-प्रदान और समन्वय स्थापित करना है।
  • भाग लेने वाले दल में सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के पर्यवेक्षक और अन्य भागीदार देश शामिल हैं।
  • रक्षा मंत्रालय के अनुसार, भाग लेने वाली भारतीय सेना की टुकड़ी व्यावहारिक पहलुओं को साझा करेगी और मान्य प्रक्रियाओं, अभ्यासों और नई तकनीक तथा सामरिक अभ्यासों को व्यवहार में लाएगी।
  • जापान की भावना का सम्मान करने के लिए भारत समुद्री अभ्यास में भाग नहीं ले रहा है, क्योंकि यह अभ्यास जापानी सागर और ओखोटस्क सागर में आयोजित किया जा रहा है जिसमें विवादित कुरील द्वीप समूह स्थित हैं जिस पर रूस और जापान दोनों संप्रभुता का दावा करते हैं।
  • हालांकि, रूसी नौसेना के प्रशांत बेड़े के युद्धपोत और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) समुद्री अभ्यास में भाग लेंगे।
  1. क्राई-मैक (Cri-MAC)

विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां।

प्रारंभिक परीक्षा: क्राई-मैक पोर्टल।

संदर्भ:

  • केंद्र सरकार द्वारा राज्यों से बहु एजेंसी केन्द्र (क्राई-मैक) पोर्टल के माध्यम से अधिक खुफिया जानकारी साझा करने के आह्वान के बावजूद, कम से कम सात राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश ने उत्सुकता नहीं दिखाई है।

अपराध बहु एजेंसी केन्द्र (क्राई-मैक):

  • यह मानव तस्करी सहित गंभीर आपराधिक घटनाओं की सूचना साझा करने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच कार्रवाई हेतु समन्वय के लिए एक ऑनलाइन मंच (चौबीसों घंटे सक्रिय) है।
  • इसे वर्ष 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था।
  • यह राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा देश भर में अपराध की घटनाओं का शीघ्र पता लगाने और रोकथाम में मदद करने के लिए संचालित किया जाता है।
  • कई राज्यों ने अब तक क्राई-मैक पर कोई भी सूचना अपलोड नहीं की है।
  • दिल्ली, असम और हरियाणा द्वारा पोर्टल पर सबसे अधिक सूचनाएं अपलोड की गईं हैं, जिसमें जेल से खूंखार अपराधी की रिहाई या आतंक, हत्या और डकैती की घटना से संबंधित जानकारी शामिल हैं।
  • यह पोर्टल वास्तविक समय के आधार पर देश भर में महत्वपूर्ण अपराधों के बारे में जानकारी के प्रसार की सुविधा प्रदान करता है और अंतर-राज्य समन्वय को सक्षम बनाता है।
  • मानव तस्करी से निपटना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक अत्यधिक संगठित अपराध है जिसमें प्रायः अंतर-राज्यीय गिरोह शामिल होते हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. सर्वावैक:
  • केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने हाल ही में सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए भारत के पहले स्वदेशी रूप से विकसित क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (qHPV) टीके ‘सर्वावैक’ के वैज्ञानिक समापन की घोषणा की।
  • इसकी कीमत 200-400 रूपये प्रति डोज़ होगी और यह 2022 के अंत तक व्यावसायिक रूप से उपलब्ध हो जाएगा।
  • यह भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के समन्वय में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित किया गया है।
  • इसे जुलाई 2022 में भारत के औषधि महानियंत्रक द्वारा अनुमोदित किया गया था।
  • यह एक क्वाड्रिवेलेंट टीका है, जिसका अर्थ है कि यह कैंसर पैदा करने वाले ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) के कम से कम चार प्रकारों के विरुद्ध प्रभावी है।

सर्वाइकल कैंसर:

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, बड़े पैमाने पर रोकथाम योग्य होने के बावजूद, सर्वाइकल कैंसर विश्व स्तर पर महिलाओं में होने वाला चौथा सबसे आम कैंसर है।
  • वर्ष 2018 में, अनुमानित 570,00 महिलाओं में इस बीमारी का पता चला था और इससे दुनिया भर में 311,000 मौतें हुईं थीं।
  • भारत में सालाना लगभग 1.25 लाख महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का पता चलता है और 75,000 से अधिक मृत्यु हो जाती है।
  • भारत में 83 फीसदी और पूरे विश्व में 70 फीसदी मामलों के लिए इनवेसिव (हमलावर) सर्वाइकल कैंसर एचपीवी 16 या 18 जिम्मेदार है।
  • एचपीवी संचरण यौन गतिविधि और उम्र से प्रभावित होता है।
  • सभी यौन सक्रिय वयस्कों में से लगभग 75% वयस्कों के कम से कम एक एचपीवी प्रकार से संक्रमित होने की संभावना रहती है। अधिकांश संक्रमण अपने आप ठीक हो जाते हैं।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. हाल ही में चर्चा में रहा क्राई-मैक क्या है?

  1. एक आतंकवाद विरोधी कार्यक्रम जिसमें बिग डेटा और एनालिटिक्स जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
  2. केंद्र का एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जिसका उद्देश्य गंभीर आपराधिक घटनाओं की सूचना साझा करना और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच कार्रवाई का समन्वय करना है।
  3. देश भर के हर जिले में सोशल मीडिया कम्युनिकेशन (SMC) हब जो सरकार के लिए निगरानी का कार्य करेगा।
  4. एक बहु-हितधारक साइबर-सुरक्षा और ई-निगरानी एजेंसी।

उत्तर: b

व्याख्या:

  • क्राई-मैक एक ऑनलाइन मंच है जो मानव तस्करी सहित गंभीर आपराधिक घटनाओं पर 24×7 सूचना साझा करने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच कार्रवाई का समन्वय करने के लिए लांच किया गया है।
  • इसे वर्ष 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन सा देश सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (CSTO) का सदस्य है?

  1. आर्मीनिया
  2. अज़रबैजान
  3. बेलारूस
  4. कज़ाख़िस्तान
  5. किर्गिज़स्तान
  6. रूस
  7. तजाकिस्तान
  8. उज़्बेकिस्तान

विकल्प:

  1. केवल 1, 2, 7 और 8
  2. केवल 2, 3, 4, 5, 6 और 8
  3. केवल 1, 3, 4, 5, 6 और 7
  4. केवल 1, 2, 3, 4, 5 और 6

उत्तर: c

व्याख्या:

  • सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (CSTO) एक अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन (छह देश) है जो वर्ष 2002 में प्रभाव में आया था।
  • इसकी उत्पत्ति का स्रोत सामूहिक सुरक्षा संधि, 1992 (ताशकंद संधि) है।
  • इसका मुख्यालय रूसी राजधानी मास्को में स्थित है।

चित्र स्रोत: Word press

चित्र स्रोत: Word press

प्रश्न 3. सर्वावैक के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. यह सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित टीका है।
  2. सर्वाइकल कैंसर के लगभग सभी मामले ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) के कुछ उपभेदों से जुड़े होते हैं।
  3. इसे भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के समन्वय में पुणे स्थित भारतीय सीरम संस्थान द्वारा विकसित किया गया था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 1 और 2
  3. केवल 2 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: d

व्याख्या:

  • सर्वावैक सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (qHPV) टीका है।
  • सर्वाइकल कैंसर के लगभग सभी मामले ह्यूमन पैपिलोमा वायरस संक्रमण से जुड़े होते हैं। हालांकि अधिकांश ह्यूमन पैपिलोमा वायरस संक्रमण और कैंसर से पहले के घाव (pre-cancerous lesion) अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन महिलाओं के लिए यह जोखिमपूर्ण होता है क्योंकि उनमें एचपीवी संक्रमण स्थायी हो सकता है और कैंसर से पहले के घाव (pre-cancerous lesion) हमलावर सर्वाइकल कैंसर (invasive cervical cancer) में परिवर्तित हो सकते हैं।
  • यह भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के समन्वय में भारतीय सीरम संस्थान द्वारा विकसित किया गया है और जुलाई 2022 में भारत के औषधि महानियंत्रक द्वारा अनुमोदित किया गया था।

प्रश्न 4. राष्ट्रीय वयोश्री योजना (RVY) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जो पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित है।
  2. यह सभी वरिष्ठ नागरिकों को शारीरिक सहायता और सहायक-जीवित उपकरण प्रदान करने की एक योजना है।

विकल्प:

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. दोनों
  4. कोई भी नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • राष्ट्रीय वयोश्री योजना बीपीएल श्रेणी से संबंधित वरिष्ठ नागरिकों को शारीरिक सहायता और सहायक-जीवित उपकरण प्रदान करने की योजना है।
  • यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जो पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित है।
  • योजना के क्रियान्वयन का खर्च “वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष” द्वारा वहन किया जाएगा।
  • यह योजना सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक उपक्रम ‘कृत्रिम अंग निर्माण निगम (ALIMCO)’ के माध्यम से लागू की जाएगी।

प्रश्न 5. कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए बनाई जा रही वैक्सीनों के प्रसंग में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. भारतीय सीरम संस्थान ने mRNA प्लेटफॉर्म का प्रयोग कर कोविशील्ड नामक कोविड-19 वैक्सीन निर्मित की।
  2. स्पुतनिक V वैक्सीन रोगवाहक (वेक्टर) आधारित प्लेटफॉर्म का प्रयोग कर बनाई गई है।
  3. कोवैक्सीन एक निष्कृत रोगज़नक़ आधारित वैक्सीन है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: b

व्याख्या:

  • भारतीय सीरम संस्थान द्वारा कोविशील्ड वैक्सीन वायरल रोगवाहक (वेक्टर) प्लेटफॉर्म का उपयोग करके तैयार की गई थी। वैक्सीन में, एक चिंपैंजी एडेनोवायरस – ChAdOx1 – को संशोधित किया गया है ताकि यह मनुष्यों की कोशिकाओं में COVID-19 स्पाइक प्रोटीन ले जा सके।
  • दुनिया का पहला पंजीकृत टीका स्पुतनिक V, ह्यूमन एडेनोवायरल वेक्टर-आधारित प्लेटफॉर्म पर आधारित है।
  • कोवाक्सिन एक निष्क्रिय वायरल वैक्सीन है। इसे होल-विरियन इनएक्टिवेटेड वेरो सेल-व्युत्पन्न तकनीक से विकसित किया गया है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की विस्तारित फंड सुविधा क्या है? अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा विस्तारित फंड सुविधा के बदले सदस्य देशों पर आमतौर पर कौन सी शर्तें अधिरोपित की जाती हैं? (250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित-अर्थशास्त्र)

प्रश्न 2. भारत में एकल उपयोग प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए उन पर केवल प्रतिबंध लगाना पर्याप्त नहीं होगा। विस्तारपूर्वक समझाइए। (250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित -पर्यावरण)