|
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: शासन:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: पर्यावरण:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
विवाद के बीच डेटा संरक्षण विधेयक प्रस्तुत:
शासन:
विषय: गवर्नेंस, ई-गवर्नेंस
मुख्य परीक्षा: डेटा संरक्षण विधेयक के प्रावधान और निजता के अधिकार और निगरानी की राज्य सीमा के बीच बहस।
प्रसंग:
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा निजता को संविधान के तहत मौलिक अधिकार ( fundamental right ) के रूप में मान्यता देने के छह साल के अंतराल के बाद हाल ही में लोकसभा में डेटा संरक्षण विधेयक पेश किया गया।
विधेयक का प्रावधान:
- डिजिटल डेटा की सुरक्षा: इस विधेयक का उद्देश्य व्यक्तियों से एकत्र किए गए डिजिटल डेटा की सुरक्षा को बढ़ाना है, उन्हें ‘डेटा फिड्यूशरीज़’ और ‘डेटा प्रिंसिपल’ के रूप में निर्दिष्ट करना है।
- डेटा फ़िडुशियरी: ये ऐसी संस्थाएं या कंपनियां हैं जो व्यक्तियों से व्यक्तिगत डेटा एकत्र और संसाधित करती हैं। उन्हें यह डेटा सौंपा गया है और इसे सुरक्षित और वैध तरीके से संभालने की जिम्मेदारी है।
- डेटा प्रिंसिपल: यह उन व्यक्तियों को संदर्भित करता है जिनका व्यक्तिगत डेटा डेटा फिड्यूशियरी द्वारा एकत्रित और संसाधित किया जा रहा है। उन्हें यह जानने का अधिकार है कि कौन सा डेटा एकत्र किया जा रहा है, और इसका उपयोग किस उद्देश्य के लिए किया जाएगा, और वे अपने डेटा पर नियंत्रण बनाए रखते हैं।
- डेटा सुरक्षा उपाय: कंपनियों को उपयोगकर्ताओं को एकत्र किए जा रहे डेटा और उसके उद्देश्य के बारे में स्पष्ट रूप से सूचित करना, एक डेटा सुरक्षा अधिकारी नियुक्त करना और उपयोगकर्ताओं को उनके व्यक्तिगत डेटा को हटाने या संशोधित करने का अधिकार देना आवश्यक है।
- गैर-अनुपालन के लिए जुर्माना: विधेयक उन कंपनियों के लिए ₹50 करोड़ से ₹250 करोड़ तक के जुर्माने का प्रस्ताव करता है जो उपयोगकर्ता डेटा की सुरक्षा करने में विफल रहती हैं या प्रकटीकरण आवश्यकताओं का उल्लंघन करती हैं। प्रत्येक उल्लंघन के लिए ये जुर्माना बढ़ाया जा सकता है।
- अतिरिक्त आवश्यकताएँ: केंद्र सरकार ‘महत्वपूर्ण’ डेटा फ़िड्यूशरीज़ के रूप में वर्गीकृत फर्मों के लिए अतिरिक्त आवश्यकताओं को अधिसूचित करेगी, जो उन्हें डेटा ऑडिट और प्रभाव आकलन जैसे अधिक कड़े नियमों के अधीन करेगी।
- डेटा संरक्षण बोर्ड: यह विधेयक भारत के डेटा संरक्षण बोर्ड की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करता है, जिसके सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।
- अधिसूचना के माध्यम से अधीनता: विधेयक के कार्यान्वयन के कई पहलू, जैसे प्रभावी तिथि, सहमत प्रबंधकों का पंजीकरण, डेटा उल्लंघनों की रिपोर्टिंग, उपयोगकर्ता डेटा समय सीमा को मिटाना, और महत्वपूर्ण डेटा फ़िड्यूशरीज़ के लिए ऑडिट के तौर-तरीके, बाद में भारत के राजपत्र के माध्यम से अधिसूचित किए जाएंगे। .
- धारा 43 A को हटाना: विधेयक सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 ( Information Technology Act, 2000, ) की धारा 43 A को हटाता है, जिसके तहत कंपनियों को डेटा के दुरुपयोग के लिए उपयोगकर्ताओं को मुआवजा देना पड़ता था। मुआवज़े का समाधान अब सिविल टॉर्ट कानून के माध्यम से किया जाएगा।
- व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Personal Data Protection Bill, 2019
छूट की सीमा:
- राज्य और उसके साधनों के लिए छूट: विधेयक “राज्य और उसके साधनों” के लिए व्यापक छूट प्रदान करता है, जो भारत की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा के हित में व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण और कानूनी दायित्वों को पूरा करने की अनुमति देता है।
- वैध पाबंदी के मामले में गैर-प्रकटीकरण: यद्यपि फर्मों को उपयोगकर्ताओं के डेटा को संसाधित करने वाली अन्य फर्मों की पहचान का खुलासा करना आवश्यक है, लेकिन उन्हें वैध पाबंदी के मामले में डेटा का खुलासा करने और साझा करने से छूट दी गई है। चिकित्सा आपात स्थिति और आपदा जैसे मामलों को छोड़कर, इसी तरह के दायित्व सरकार पर भी लागू होते हैं।
विधेयक से जुड़ी आलोचना:
- संसदीय स्थायी समिति की चिंताएँ: विधेयक को संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति के विपक्षी सदस्यों की आलोचना का सामना करना पड़ा, जिन्होंने सरकार पर अस्पष्टता और समिति द्वारा नए संस्करण की जांच की कमी का आरोप लगाया।
- जांच की मांग: विपक्षी सदस्यों ने मांग की कि विधेयक के नए संस्करण को स्थायी समिति द्वारा जांच के लिए भेजा जाना चाहिए, क्योंकि यह निजता से संबंधित मौलिक अधिकारों पर आघात करता है।
|
सारांश:
|
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
ग्रेट निकोबार परियोजना के लिए नौ लाख से अधिक पेड़ों को काटे जाने की संभावना है:
पर्यावरण:
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण और पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।
प्रारंभिक परीक्षा: ग्रेट निकोबार परियोजना से सम्बंधित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: सरकार की विकासात्मक परियोजनाओं के पर्यावरणीय परिणाम।
प्रसंग:
- केंद्र की ₹72,000 करोड़ की एक महत्वाकांक्षी ग्रेट निकोबार परियोजना का लक्ष्य ग्रेट निकोबार द्वीप पर बुनियादी ढांचा विकसित करना है, जिसमें एक ट्रांसशिपमेंट पोर्ट, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, टाउनशिप और एक गैस और सौर-आधारित बिजली संयंत्र शामिल है। हालाँकि, इस द्वीप के सदाबहार उष्णकटिबंधीय वनों और विविध वनस्पतियों और जीवों पर संभावित प्रभाव के बारे में चिंताएँ व्यक्त की गई हैं।
पेड़ों की कटाई के साथ महत्वाकांक्षी परियोजना:
- केंद्र ग्रेट निकोबार द्वीप पर ₹72,000 करोड़ की एक महत्वाकांक्षी ग्रेट निकोबार परियोजना ( Great Nicobar Project) चला रहा है।
- इस परियोजना का लक्ष्य एक ट्रांसशिपमेंट पोर्ट, एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, एक टाउनशिप और एक 450 MVA गैस और सौर आधारित बिजली संयंत्रों का निर्माण करना है।
- राज्य मंत्री (पर्यावरण) ने राज्यसभा में खुलासा किया कि इस परियोजना के लिए लगभग 9.64 लाख पेड़ काटे जा सकते हैं, न कि पहले के अनुमानित 8.5 लाख पेड़।
- ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिजर्व से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: The Great Nicobar Biosphere Reserve
पर्यावरण मंजूरी और चुनौती:
- ग्रेट निकोबार परियोजना,जो की 130 वर्ग किमी के प्राचीन जंगल में फैली हुई है,को एक विशेषज्ञ समिति से पर्यावरण मंजूरी प्राप्त हो गई हैं।
- हालाँकि, मंजूरी के इस फैसले को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ( National Green Tribunal (NGT)) द्वारा चुनौती दी गई थी।
- इसके बाद NGT ने मंजूरी के पहलुओं की जांच के लिए अप्रैल में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था।
परियोजना का रणनीतिक महत्व और सार्वजनिक सूचना का अभाव:
- आम तौर पर, पर्यावरण मंजूरी से गुजरने वाली परियोजनाओं का विवरण पर्यावरण मंत्रालय द्वारा बनाए गए सार्वजनिक पोर्टल पर उपलब्ध कराया जाता है।
- आश्चर्य की बात है की केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों के बाद, ग्रेट निकोबार परियोजना के विवरण का खुलासा नहीं किया गया है, जो परियोजना को “रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण” के रूप में वर्गीकृत करता है।
पारिस्थितिक प्रभाव:
- ग्रेट निकोबार द्वीप अपने समृद्ध जैविक विविधता वाले सदाबहार उष्णकटिबंधीय वनों के लिए जाना जाता है।
- इस द्वीप पर वनस्पतियों की लगभग 650 प्रजाति और जीवों की 330 प्रजाति हैं।
- यह परियोजना क्षेत्र में विकास के लिए प्रस्तावित पेड़ों की कटाई से अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करेगी।
वृक्ष कटाई योजना और प्रतिपूरक वनरोपण:
- मंत्री ने स्पष्ट किया कि निर्धारित वन क्षेत्र में काटे जाने वाले पेड़ों की अनुमानित संख्या 9.64 लाख है।
- विकास क्षेत्र का लगभग 15% हरे और खुले स्थानों के रूप में संरक्षित किया जाएगा, जिससे संभावित रूप से काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या कम हो जाएगी।
- पेड़ों की कटाई बिभिन्न चरणों में की जाएगी।
- पेड़ों के नुकसान की भरपाई के लिए, हरियाणा में प्रतिपूरक वनीकरण किया जाएगा, क्योंकि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पेड़ लगाने का अवसर प्रतिबंधित है।
|
सारांश:
|
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
जैव विविधता विधेयक को क्यों विरोध का सामना करना पड़ रहा है?
पर्यावरण:
विषय: पर्यावरण संरक्षण
मुख्य परीक्षा: जैव विविधता (संशोधन) विधेयक और यह किस प्रकार विकास और संरक्षण को संतुलित करने का प्रयास करता है?
प्रसंग:
- हाल ही में पारित जैव विविधता संशोधन विधेयक में उद्योग को दी गई छूट के कारण चिंता व्यक्त की गई है।
जैव विविधता सम्मेलन:
- जैव विविधता सम्मेलन ( Convention on Biological Diversity (CBD) ) एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जिसे 1992 में रियो डी जेनेरियो में हुए पृथ्वी शिखर सम्मेलन के दौरान अपनाया गया था।
- इसका प्राथमिक लक्ष्य जैव विविधता का संरक्षण, इसके घटकों का सतत उपयोग और आनुवंशिक संसाधनों से उत्पन्न होने वाले लाभों का उचित और न्यायसंगत साझाकरण है।
जैव विविधता अधिनियम, 2002:
- भारत में जैव विविधता सम्मेलन के प्रावधानों को प्रभावी बनाने के लिए जैव विविधता अधिनियम, 2002 ( Biological Diversity Act, 2002) लागू किया गया था।
- इस अधिनियम का उद्देश्य जैविक संसाधनों तक पहुंच को विनियमित करना, पारंपरिक ज्ञान की रक्षा करना और स्थानीय समुदायों के साथ उचित लाभ साझाकरण सुनिश्चित करना है।
इस अधिनियम को किस सीमा तक लागू किया गया है?
- कई वर्षों से लागू होने के बावजूद, जैव विविधता अधिनियम के पूर्ण कार्यान्वयन में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
- 2022 की एक जांच से पता चला कि कई राज्यों में पहुंच और लाभ-साझाकरण लेनदेन पर कोई पारदर्शी डेटा उपलब्ध नहीं था।
- स्थानीय समुदायों के साथ लाभ साझा न करने के संबंध में चिंताएं व्यक्त की गई, जिससे अधिनियम के कार्यान्वयन में विश्वास की कमी हुई।
- कानूनी शोधकर्ताओं ने पहुंच और लाभ साझाकरण से संबंधित प्रावधानों को लागू करने में कठिनाइयों की पहचान की, जिसके कारण उच्च न्यायालयों और राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण में विभिन्न मामले सामने आए।
जैव विविधता (संशोधन) विधेयक:
- जैव विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021, कुछ छूट और रियायतें पेश करने के लिए मौजूदा अधिनियम में संशोधन करना चाहता है।
- इसका उद्देश्य “व्यापार सुगमता” को बढ़ावा देना और आयुष उद्योग का समर्थन करना है।
इस विधेयक को संदेहास्पद क्यों माना जा रहा है?
- प्रस्तावित संशोधन में “संहिताबद्ध पारंपरिक ज्ञान” और आयुष उद्योग को लाभ साझा करने से छूट दी गई है, और स्थानीय समुदायों को उनके संसाधनों के लिए उचित मुआवजे से वंचित कर दिया गया है।
- “संहिताबद्ध पारंपरिक ज्ञान” की परिभाषा में अस्पष्टता से पारंपरिक ज्ञान का दोहन और दुरुपयोग हो सकता है।
- आलोचकों का तर्क है कि ये छूट प्रतिगामी हैं तथा निष्पक्ष और न्यायसंगत लाभ-साझाकरण सुनिश्चित करने के मूल उदेश्य के खिलाफ हैं।
उद्योग इस अधिनियम को किस प्रकार देखता है?
- उद्योग, विशेषकर आयुष क्षेत्र ने मौजूदा नियमों पर असंतोष व्यक्त किया है।
- इस अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन किए बिना कथित तौर पर जैव संसाधनों का उपयोग करने के लिए कई कंपनियों को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
- भारतीय चिकित्सा प्रणाली, बीज और उद्योग सहित विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने सरकार से अनुसंधान और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए अनुपालन बोझ को सरल और सुव्यवस्थित करने का आग्रह किया है।
|
सारांश:
|
संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
प्रीलिम्स तथ्य:
1. सरकार ने लैपटॉप और टैबलेट के आयात पर प्रतिबंध लगाया:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विषय: अर्थव्यवस्था:
प्रारंभिक परीक्षा: वस्तुओं और सेवाओं का आयात प्रतिबंध और उसका प्रभाव।
नये आयात प्रतिबंध:
- भारत सरकार ने 3 अगस्त 2023 को लैपटॉप, टैबलेट और ऑल-इन-वन और स्मॉल-फैक्टर पर्सनल कंप्यूटर (PC) के आयात पर प्रतिबंध की घोषणा की हैं।
- इन उत्पादों को देश में लाने और उपभोक्ताओं को बेचने के लिए अब लाइसेंस की आवश्यकता होगी।
- इस कदम से लैपटॉप की उपलब्धता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, खासकर उन ब्रांडों के लिए जो विदेशों में असेंबली पर निर्भर हैं, जैसे डेल, एचपी, लेनोवो और एप्पल।
- इस अधिसूचना के कारण भारत में आयात और बिक्री की औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए व्यक्तिगत उत्पादों के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
यात्रियों और विशिष्ट मामलों के लिए छूट:
- आयात पर प्रतिबंध बैगेज नियमों के तहत लाए गए उत्पादों पर लागू नहीं होगा।
- इसका मतलब यह है कि यात्री अब भी विदेश से एक लैपटॉप, टैबलेट या पीसी बिना पेनल्टी दिए इन उपकरणों को देश में ला सकते हैं।
- विदेशी वेबसाइटों से लैपटॉप की ऑनलाइन खरीदारी की अभी भी अनुमति है, लेकिन व्यक्तिगत खरीदारों को आयात शुल्क और शिपिंग शुल्क लग सकता है, जिससे यह और अधिक महंगा हो जाएगा।
- अनुसंधान और विकास उद्देश्यों के लिए आयातित उपकरण और विदेशों में मरम्मत किए गए उपकरणों को इन आयात प्रतिबंधों से छूट दी गई है।
मूल्य निर्धारण और प्रतिक्रियाओं पर प्रभाव:
- लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामान आम तौर पर अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से नीचे बेचे जाते हैं, जिससे निर्माताओं को आवश्यकतानुसार कीमतों को जल्दी से समायोजित करने की अनुमति मिल जाती है।
- द हिंदू अख़बार द्वारा संपर्क किए जाने पर एचपी, लेनोवो और डेल ने सरकार के कदम पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और प्रभावित कंपनियों में से एक ने कहा कि वे अधिसूचना का अध्ययन कर रहे थे।
- इलेक्ट्रॉनिक्स पर भारत के आयात शुल्क के खिलाफ डब्ल्यूटीओ के फैसले से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: WTO Ruling Against India’s Import Tariffs on Electronics
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. विपक्ष की अनुपस्थिति में राज्यसभा में तीन विधेयक पारित:
- राज्यसभा ने 03 अगस्त 2023 को न्यूनतम चर्चा के साथ 3 विधेयक पारित किए, क्योंकि विपक्षी सदस्यों ने कार्यवाही का बहिष्कार किया था।
- पारित विधेयकों में अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, प्रेस और पत्रिकाओं का पंजीकरण विधेयक और अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक शामिल थे।
- अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक पर बहस हुई थी।
प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक:
- इसका उद्देश्य औपनिवेशिक शासकों द्वारा लाए गए पुराने 1867 के कानून को बदलना है और इसे मीडिया की स्वतंत्रता और व्यापार करने में आसानी को बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- प्रस्तावित कानून एक ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से पत्रिकाओं के शीर्षक और पंजीकरण के आवंटन की प्रक्रिया को सरल और तेज बनाता है, जिससे भौतिक इंटरफेस की आवश्यकता समाप्त हो जाती है, जिससे छोटे और मध्यम प्रकाशकों को आसानी से पत्रिका शुरू करने में मदद मिलेगी।
- अधिवक्ता विधेयक में संशोधन सरकार की स्वतंत्रता-पूर्व के पुराने कानूनों को निरस्त करने की नीति का हिस्सा है जो अब उपयोगी नहीं हैं।
2. लुप्तप्राय हिमालयी गिद्ध, भारत में पहली बार कैद में पैदा हुआ:
- असम राज्य चिड़ियाघर, गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने भारत ने हिमालयी गिद्ध ( Himalayan vulture ) (Gyps himalayensis) के लिए कैप्टिव प्रजनन की प्रारंभिक घटना का सफलतापूर्वक दस्तावेजीकरण करके एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है।
- हिमालयी गिद्ध IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों की रेड लिस्ट ( IUCN Red List) में ‘संकट-निकट’/’खतरे के निकट’ (near threatened) की स्थिति रखता है।
- यह सर्दियों के दौरान नियमित रूप से भारतीय मैदानी इलाकों में प्रवास करता है और पूरे वर्ष उच्च हिमालय में रहता है।
- इस प्रजाति के प्रजनन को एक चुनौतीपूर्ण कार्य माना जाता था क्योंकि यह प्रजाति प्राकृतिक रूप से बर्फ से ढके पहाड़ों में प्रजनन करती है।
- हालाँकि, पक्षी चिड़ियाघर में उष्णकटिबंधीय वातावरण के अनुकूल हो गए, जिससे प्रजनन प्रक्रिया आसान हो गई।
- गुवाहाटी में हिमालयी गिद्धों का संरक्षण प्रजनन फ्रांस के बाद दुनिया का दूसरा ऐसा उदाहरण है, जहां इस प्रजाति को कैद में रखा गया है।
- हिमालयी गिद्ध सहित तीन निवासी जिप्स गिद्ध प्रजातियों को उनकी आबादी में अभूतपूर्व गिरावट के कारण ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1.”प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियोडिकल बिल, 2023″ के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- इस विधेयक ने प्रेस और पुस्तकों का पंजीकरण (PRB) अधिनियम, 1867 का स्थान लिया है।
- नया कानून आठ-चरणीय प्रक्रिया को समाप्त करते हुए पत्रिकाओं के पंजीकरण को एक-चरणीय प्रक्रिया बनाता है।
- राज्य के विरुद्ध गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल लोगों को समाचार पत्र शुरू करने की अनुमति देने से इनकार किया जा सकता है।
ऊपर दिए गए कथनों में से कितने गलत हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई नहीं
उत्तर: d
व्याख्या:
- यह पीआरबी अधिनियम, 1867 का स्थान लेता है, पत्रिकाओं के पंजीकरण को एक-चरणीय प्रक्रिया बनाता है, और गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल लोगों को अनुमति देने से इनकार करने की अनुमति देता है।
प्रश्न 2. हाल के डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक (2023) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा गलत है?
- व्यक्तिगत डेटा को राज्य की संप्रभुता और अखंडता के हित में संसाधित किया जा सकता है।
- डेटा के वैध अवरोधन के मामले में फर्मों को डेटा साझा करने का खुलासा करने से छूट प्रदान नहीं की गई है।
- यह विधेयक सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 43 A को ख़त्म करता है, जिसके तहत कंपनियों को अपने डेटा के दुरुपयोग के लिए उपयोगकर्ताओं को मुआवजा देना पड़ता है।
- इसके लिए कंपनियों को उपयोगकर्ताओं को स्पष्ट रूप से बताना होगा कि कौन सा डेटा एकत्र किया जा रहा है और इसका उपयोग कैसे किया जाएगा।
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 2 गलत है: क्योंकि कंपनियों को वैध अवरोधन के मामले में डेटा शेयरिंग का खुलासा करने से छूट दी गई है।
प्रश्न 3. ग्रेट निकोबार के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- ग्रेट निकोबार हिंद महासागर में निकोबार द्वीप समूह में सबसे बड़ा द्वीप है।
- ग्रेट निकोबार में विभिन्न प्रकार के सदाबहार उष्णकटिबंधीय वन हैं।
- यहां इंदिरा पॉइंट है, जो भारत के क्षेत्र का सबसे दक्षिणी बिंदु है।
ऊपर दिए गए कथनों में से कितने सही हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई नहीं
उत्तर: c
व्याख्या:
- ग्रेट निकोबार, निकोबार द्वीप समूह में सबसे बड़ा द्वीप है और यहाँ भारत का सबसे दक्षिणी बिंदु, इंदिरा पॉइंट है। यहाँ विभिन्न प्रकार के सदाबहार उष्णकटिबंधीय वन भी पाए जाते है।
प्रश्न 4. हालिया जैविक विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन गलत है/हैं?
- इस विधेयक का उद्देश्य जैव विविधता के संरक्षण और लाभों के समान बंटवारे को बढ़ावा देना है।
- इस विधेयक में “संहिताबद्ध पारंपरिक ज्ञान” शब्द को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।
नीचे दिए गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: b
व्याख्या:
- इसका उद्देश्य जैव विविधता का संरक्षण करना और समान लाभ साझाकरण को बढ़ावा देना है। कथन 2 गलत है क्योंकि “संहिताबद्ध पारंपरिक ज्ञान” (codified traditional knowledge) शब्द में स्पष्ट परिभाषा का अभाव है।
प्रश्न 5. हिमालयी गिद्ध के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाने वाली सबसे बड़ी और भारी गिद्ध प्रजाति है।
- इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की रेड लिस्ट के अनुसार यह एक गंभीर रूप से लुप्तप्राय (critically endangered) प्रजाति है।
- इसकी गिरावट का मुख्य कारण पशुओं में डाईक्लोफेनाक के उपयोग से उनमें होने वाली विषाक्तता है।
ऊपर दिए गए कथनों में से कितने सही हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई नहीं
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 2 गलत है। इसे IUCN रेड लिस्ट में ‘संकट-निकट’/’खतरे के निकट’ (near threatened) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. जैव विविधता विधेयक में नवीन संशोधन किस प्रकार भारत में जैव विविधता व्यवस्था को कमजोर करते हैं? (How do the new amendments to the Biodiversity Bill undercut the Biodiversity regime in India?)
(150 शब्द, 10 अंक) [जीएस- III: पर्यावरण]
प्रश्न 2. डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2023 के प्रावधानों पर चर्चा कीजिए। (Discuss the provisions of the Digital Personal Data Protection Bill, 2023. )
(150 शब्द, 10 अंक) [जीएस पेपर II: शासन]
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)