A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: राजव्यवस्था और भारतीय संविधान:
शासन:
सामाजिक न्याय:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
राज्यपाल पद और अनुच्छेद 200
राजव्यवस्था और भारतीय संविधान
विषय: संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे एवं चुनौतियाँ
मुख्य परीक्षा: राज्यपाल पद और अनुच्छेद 200
सन्दर्भ:
- दो भारतीय राज्यों, तमिलनाडु और केरल में राज्यपालों के हालिया कार्यों ने राजभवन (गवर्नर हाउस) में निर्वाचित शासन के निर्णयों में राजनीतिक नियुक्तियों के हस्तक्षेप को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।
- इस मुद्दे ने भारतीय संघीय ढांचे में निर्वाचित सरकारों और नियुक्त राज्यपालों के बीच अधिक पारदर्शी और कुशल कामकाजी संबंधों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।
मुद्दे:
- विधेयकों पर सहमति देने में देरी:
- विधायिका द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में देरी को लेकर राज्यपालों की आलोचना की गई है।
- कुछ मामलों में, इन देरी ने विधायी प्रक्रिया और निर्वाचित शासन के अधिकार को कमजोर कर दिया है।
- निर्णयों और विधेयकों को रोकना:
- केंद्र में सत्तारूढ़ दल द्वारा शासित नहीं होने वाले राज्यों में, राज्यपालों पर निर्णयों और विधेयकों को रोकने का आरोप लगाया गया है।
- इसमें विश्वविद्यालय संबंधित कानूनों जो राज्यपालों की शक्ति को कम करने का प्रयास करते हैं, में संशोधन का विरोध शामिल है, ज्ञात हो कि राज्यपाल प्रायः विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में होते हैं।
- समय-सीमा का अभाव:
- राज्यपालों के लिए सहमति देने को लेकर एक विशिष्ट समय-सीमा का अभाव राज्यपाल को विधायिका द्वारा पारित कानूनों को बाधित करने का मौक़ा देता है।
- उच्चतम न्यायालय की हालिया टिप्पणियों में विधेयकों पर त्वरित विचार के महत्त्व पर जोर दिया गया है।
- विवेकाधीन स्थान तथा ‘सहायता एवं सलाह’:
- राज्यपाल स्पष्ट रूप से संविधान में ‘सहायता और सलाह’ खंड से बंधे हैं, जो उनके कार्य को सीमित करता है।
- चिंता तब पैदा होती है जब राज्यपाल अपने विवेकाधिकार का दुरुपयोग करते हैं, जिससे निर्वाचित सरकारों का कामकाज प्रभावित होता है।
महत्त्व:
- भारत के संघीय ढांचे में राज्यपालों और निर्वाचित शासन के बीच संबंध महत्त्वपूर्ण हैं।
- राज्यपालों द्वारा देरी और हस्तक्षेप लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बाधा डाल सकते हैं तथा राज्य सरकारों और केंद्रीय प्राधिकरण के बीच तनाव पैदा कर सकते हैं।
- राज्यपालों की भूमिका संवैधानिक ढांचे के अनुरूप होनी चाहिए और इनसे लोकतांत्रिक सिद्धांत कायम रहने चाहिए।
समाधान:
- समय-सीमा को परिभाषित करना:
- स्पष्ट और उचित समय-सीमा होनी चाहिए जिसके भीतर राज्यपालों को अनुचित देरी को रोकते हुए विधेयकों पर सहमति प्रदान करनी चाहिए।
- विवाद समाधान तंत्र:
- निर्वाचित सरकारों तथा राज्यपालों के बीच विवादों का समाधान करने, पारदर्शिता और संविधान का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए विवाद समाधान तंत्र लागू करना।
- विश्वविद्यालयों में राज्यपालों की भूमिका:
- राज्यपालों द्वारा विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में कार्य करने की प्रथा को हटाने पर विचार करना, इस प्रकार हितों के टकराव और शैक्षिक सुधारों में अनावश्यक देरी से बचा जा सकेगा।
- प्रशिक्षण एवं दिशानिर्देश:
- राज्यपालों को उनकी भूमिकाओं, जिम्मेदारियों और उनके अधिकार की संवैधानिक सीमाओं पर विशिष्ट दिशानिर्देश और प्रशिक्षण प्रदान करना।
सारांश: भारत के संघीय ढांचे में राज्यपालों की भूमिका को संवैधानिक ढांचे के भीतर परिभाषित और क्रियान्वित किया जाना चाहिए। |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
प्रतिगामी कदम
शासन
विषय: विभिन्न क्षेत्रों के विकास के लिए सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप
मुख्य परीक्षा: ग़लत सूचना और दुष्प्रचार के मुद्दे
सन्दर्भ:
- आज के संचार परिदृश्य में, विशेषकर सोशल मीडिया पर गलत सूचना और दुष्प्रचार बड़े स्तर पर हो गया है।
- तमिलनाडु सरकार का “राज्य सरकार से संबंधित गलत सूचना और दुष्प्रचार” से निपटने के लिए एक तथ्य-जाँच इकाई (फैक्ट चेकिंग यूनिट) स्थापित करने का निर्णय चिंता का विषय है।
- यह कदम कर्नाटक सरकार की इसी तरह की पहल और केंद्र द्वारा तथ्य-जाँच इकाई की अनुमति देने वाले आईटी नियमों की शुरुआत के बाद उठाया गया है।
मुद्दे:
- निर्णायक के रूप में सरकार:
- सूचना की सत्यता पर निर्णय लेने वाली सरकारें और उनके द्वारा नियुक्त इकाइयाँ संभावित पूर्वाग्रहों को लेकर चिंताएँ पैदा करती हैं।
- इच्छुक पक्षों (पार्टियों) को यह निर्धारित करने की अनुमति देना कि क्या सच है या क्या झूठ, पारदर्शिता और निष्पक्षता को कमजोर कर सकता है।
- संवैधानिक निहितार्थ:
- आईटी नियम, जैसा कि अदालत में चुनौती दी गई है, संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत गारंटीकृत वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन कर सकते हैं।
- बॉम्बे उच्च न्यायालय ने सरकार की निष्पक्ष आलोचना को लेकर आवश्यक सुरक्षा उपायों की कमी पर सवाल उठाए।
- पारदर्शिता की कमी:
- तथ्य-जांच इकाइयों (फैक्ट चेकिंग यूनिट्स) की स्थापना में पत्रकारों और स्वतंत्र हितधारकों की भागीदारी पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए आवश्यक है।
- तमिलनाडु सरकार के निर्णय में ऐसी भागीदारी और पारदर्शिता का अभाव है।
महत्त्व:
- सरकार द्वारा संचालित तथ्य-जाँच इकाइयों की स्थापना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता और सच्चाई का निर्धारण करने में राज्य की भूमिका को लेकर बुनियादी सवाल उठाती है।
- यह लोकतांत्रिक मूल्यों को संरक्षित करते हुए गलत सूचना का मुकाबला करने की व्यापक चुनौती पर प्रकाश डालता है।
- सरकारी तथ्य-जाँच इकाइयों के गठन पर बॉम्बे उच्च न्यायालय की टिप्पणी महत्त्वपूर्ण मिसाल कायम करती है।
समाधान:
- स्वतंत्र निरीक्षण: निष्पक्षता बनाए रखने के लिए तथ्य-जाँच इकाइयों (फैक्ट चेकिंग यूनिट्स) की स्थापना और कार्यप्रणाली में स्वतंत्र निकायों या हितधारकों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: तथ्य-जाँच इकाइयों (फैक्ट चेकिंग यूनिट्स) को नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए, पूर्व नोटिस प्रदान करना, अपील करने का अधिकार और न्यायिक निरीक्षण की सुविधा प्रदान करना चाहिए।
- स्वतंत्र तथ्य-जांचकर्ताओं की भूमिका: मौजूदा स्वतंत्र तथ्य-जांचकर्ताओं को सशक्त बनाना और उनका सहयोग करना जो सरकारी भागीदारी के बिना गलत सूचना से निपट सकते हैं।
- सार्वजनिक जागरूकता और मीडिया साक्षरता: जनता के बीच मीडिया साक्षरता और समालोचनात्मक सोच को बढ़ावा देना ताकि वे विश्वसनीय और अविश्वसनीय सूचना स्रोतों के बीच अंतर करने में सक्षम हो सकें।
सारांश: सरकारी तथ्य-जाँच इकाइयों (फैक्ट चेकिंग यूनिट्स) की स्थापना जटिल चुनौतियाँ खड़ी करती है जो गलत सूचना से निपटने और लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण के बीच संतुलन की आवश्यकता को सामने लाती है। |
आईआईटी संस्थान अत्यधिक प्रतिबद्ध, लेकिन समस्याएँ भी हैं
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
सामाजिक न्याय
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय
मुख्य परीक्षा: आईआईटी में निहित चुनौतियाँ और संकट
सन्दर्भ:
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) ने उच्च तकनीक क्षेत्रों में अग्रणी प्रतिभाओं को तैयार करने को लेकर वैश्विक मान्यता और प्रशंसा अर्जित की है।
- हालाँकि, आईआईटी प्रणाली को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें अत्यधिक विस्तार और संकाय की कमी शामिल है, साथ ही साथ अंतर्राष्ट्रीय पहल भी शामिल है।
मुद्दे:
- विदेश में कैंपस:
- आईआईटी ने विदेशों में शाखा कैंपस की स्थापना करना शुरू कर दिया है, जैसे ज़ांज़ीबार में आईआईटी-मद्रास कैंपस।
- इन उद्यमों के पीछे के उद्देश्य, उनकी गुणवत्ता और निवेशित धन को लेकर सवाल उठते हैं।
- देश में अत्यधिक विस्तार:
- 2015 के बाद आईआईटी प्रणाली का काफी विस्तार हुआ, जिसमें सात नए संस्थान शामिल हुए, जिनमें कुछ कम पहुंच वाले स्थानों पर भी स्थापित संस्थान शामिल थे।
- इन नए आईआईटी ने मूल संस्थानों के उच्च मानकों को पूरा करने के लिए संघर्ष किया है, जिससे प्रणाली के भीतर प्रतिष्ठा और गुणवत्ता के विभिन्न स्तर पैदा हुए हैं।
- संकाय की कमी:
- आईआईटी को शिक्षाविदों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है, कई स्वीकृत पद खाली हैं।
- वेतन असमानताओं और शैक्षणिक नौकरशाही के कारण शीर्ष प्रतिभाओं को आकर्षित करना चुनौतीपूर्ण है।
महत्त्व:
- आईआईटी भारत के उच्च शिक्षा परिदृश्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच का विस्तार किया है।
- उनकी घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पहलों का आईआईटी प्रणाली की गुणवत्ता, प्रतिष्ठा और स्थिरता पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
समाधान:
- विदेशी उद्यमों का पुनर्मूल्यांकन करना: विदेशी शाखा कैंपस के उद्देश्यों और गुणवत्ता का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि वे आईआईटी के मुख्य मिशन के साथ संरेखित हों।
- मात्रा से अधिक गुणवत्ता: नए आईआईटी की स्थापना में मात्रा के बजाय गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करके देश में अत्यधिक विस्तार की चुनौतियों का समाधान करना।
- संकाय आकर्षण और उन्हें बनाए रखना: शीर्ष प्रोफेसरों को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए संकाय वेतन और कार्य वातावरण में सुधार करना। आईआईटी को विदेश में प्रशिक्षित भारतीयों और भारतीय शिक्षाविदों दोनों के लिए अधिक आकर्षक बनाने के लिए अकादमिक नौकरशाही को सरल बनाना।
सारांश: विश्व स्तर पर प्रसिद्ध होने के बावजूद, आईआईटी अत्यधिक विस्तार और संकाय की कमी से संबंधित घरेलू चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। संपूर्ण आईआईटी प्रणाली की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय पहलों पर सावधानीपूर्वक विचार करना और विस्तार में गुणवत्ता पर ध्यान देना आवश्यक है। |
प्रीलिम्स तथ्य:
1. राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण
सन्दर्भ:
- राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (NDSA) ने तेलंगाना में कालेश्वरम सिंचाई परियोजना के मेडीगड्डा (लक्ष्मी) बैराज के ब्लॉक -7 में खंभों के डूबने की जांच की।
- NDSA की छह सदस्यीय विशेषज्ञ टीम ने परियोजना की योजना और डिजाइन से संबंधित गंभीर समस्याओं का पता लगाया।
निहित समस्याएँ:
- राज्य सरकार की ओर से अधूरी जानकारी:
- विशेषज्ञ पैनल को राज्य सरकार से अनुरोधित 20 पहलुओं (डेटा/इनपुट) में से केवल 11 पर जानकारी प्राप्त हुई।
- अपर्याप्त डेटा साझाकरण ने स्थिति के व्यापक मूल्यांकन में बाधा उत्पन्न की।
- बैराज राफ्ट सेटलमेंट
- विफलता के प्राथमिक कारण की पहचान बैराज राफ्ट सेटलमेंट के रूप में की गई।
- इस सेटलमेंट के कारण मोनोलिथ खंभों में गति हुई और दरारें आईं।
- गुणवत्ता नियंत्रण कमियाँ:
- राफ्ट और कट-ऑफ के बीच उप-सतही नजदीकी सेकेंट पाइल और प्लिंथ कनेक्शन के निर्माण में कड़े गुणवत्ता नियंत्रण का अभाव था।
- ऐसा हो सकता है कि सेकेंट पाइल निर्माण में अंतराल (गैप) बना हो, जिसके परिणामस्वरूप बैरियर की पारगम्यता हो सकती है, जिससे पाइपिंग और तीव्र विफलता हुई हो।
- डिज़ाइन और निर्माण पद्धति प्रतिकृति:
- मेडीगड्डा बैराज डिजाइन और निर्माण में पाई गई समस्या दो अन्य बैराजों, अर्थात् अन्नाराम और सुंडीला बैराजों में हो सकती हैं, क्योंकि इन बैराजों में डिजाइन और निर्माण पद्धतियां समान हैं।
बांध सुरक्षा अधिनियम, 2021:
|
2. जीका वायरस
सन्दर्भ:
- थालाकायलबेट्टा गांव में जीका पॉजिटिव मच्छर के नमूनों की खोज के बाद कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग चिकबल्लापुर में स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है।
- नियंत्रण क्षेत्र के भीतर पांच गांवों से 30 गर्भवती महिलाओं के सीरम के नमूने परीक्षण के लिए राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) को भेजे गए हैं।
- नियंत्रण क्षेत्र में 888 घर और 4,282 की आबादी शामिल है, सभी गहन निगरानी में हैं।
मुद्दे:
- जीका वायरस का प्रकोप:
- थालाकायलबेट्टा गांव से एकत्र किए गए मच्छर के नमूनों में जीका वायरस की पुष्टि हुई है।
- इससे महामारी के फैलने और आबादी पर इसके संभावित प्रभाव को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
- गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य:
- जीका वायरस फैलाने वाले मच्छरों की मौजूदगी के कारण 30 गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य खतरे में है।
- गर्भावस्था के दौरान जीका वायरस के संक्रमण से जन्म दोष हो सकता है, जिससे यह एक गंभीर मुद्दा बन जाता है।
- निगरानी एवं परीक्षण:
- प्रकोप और इसके संचरण के दायरे को समझने के लिए मच्छरों और मानव नमूनों की गहन निगरानी और परीक्षण की आवश्यकता है।
- संपर्क और रिपोर्टिंग:
- राज्य स्वास्थ्य विभाग, NIV और अन्य संबंधित स्वास्थ्य अधिकारियों के बीच समय पर और सटीक संपर्क का महत्त्व हो जाता है।
जीका वायरस के बारे में:
- जीका वायरस संक्रमण फ्लेविविरिडे परिवार से संबंधित जीका वायरस (ZIKV) के कारण होता है।
- यह संक्रमित मादा मच्छरों, एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस के काटने से फैलने वाला संक्रमण है।
- यह आमतौर पर दिन के समय काटता है, सुबह और देर शाम के दौरान चरम पर होता है। गर्भावस्था के दौरान जीका वायरस के संक्रमण के परिणामस्वरूप नवजात शिशुओं में जन्म दोष होता है, जिसे माइक्रोसेफली कहा जाता है और वयस्कों में अस्थायी पक्षाघात भी हो सकता है।
3. भारत श्रीलंका के साथ उसके ऋण समाधान पर काम करेगा
सन्दर्भ:
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोलंबो में श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से चर्चा की।
- इस चर्चा में ऋण समाधान, अंतर-ग्रिड कनेक्टिविटी, विमानन, बिजली परियोजनाएं और तेल अन्वेषण सहित सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई।
- दोनों देशों के बीच बौद्ध संबंधों को बढ़ावा देने के लिए 15 मिलियन डॉलर की सहायता प्रदान करने के लिए एक समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान किया गया।
विवरण:
- श्रीलंका के लिए ऋण समाधान: श्रीलंका विशाल ऋण बोझ से जूझ रहा है, और इस मुद्दे का देश की आर्थिक स्थिरता और विकास पर प्रभाव पड़ता है।
- कई क्षेत्रों में सहयोग: भारत और श्रीलंका अंतर-ग्रिड कनेक्टिविटी, विमानन, बिजली परियोजनाओं और तेल अन्वेषण सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपने सहयोग को मजबूत करना चाहते हैं।
- बौद्ध संबंधों को बढ़ावा देना: 15 मिलियन डॉलर की सहायता के लिए आदान-प्रदान किया गया समझौता ज्ञापन, विशेष रूप से बौद्ध विरासत के संदर्भ में, सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को बढ़ावा देने के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
महत्त्व:
- ऋण समाधान पर श्रीलंका के साथ काम करने की भारत की प्रतिबद्धता श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के क्रम में मदद करने में एक क्षेत्रीय भागीदार के रूप में इसकी भूमिका को दर्शाती है।
- कई क्षेत्रों में सहयोग द्विपक्षीय संबंधों के व्यापक दायरे को दर्शाता है, आर्थिक विकास और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देता है।
- बौद्ध संबंधों को बढ़ावा देने से सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध मजबूत होते हैं, जिससे दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंध और गहरे होते हैं।
4. भारत का सिएटल में नया वाणिज्य दूतावास
सन्दर्भ: सात साल की योजना के बाद, भारत सरकार संयुक्त राज्य अमेरिका में अपना छठा वाणिज्य दूतावास खोलने की कगार पर है, यह विशेष रूप से सिएटल में खोला जा रहा है जो एक ऐसा शहर है जहां प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों की मौजूदगी है।
विवरण:
- विलंबित कार्यान्वयन:
- सिएटल में वाणिज्य दूतावास खोलने का प्रस्ताव पहली बार 2016 में घोषित किया गया था लेकिन इसमें काफी देरी और बाधाओं का सामना करना पड़ा।
- देरी के पीछे के कारणों, विशेषकर भारत और अमेरिका के बीच राजनयिक संबंधों से जुड़ी जटिलताओं को स्पष्ट करने की आवश्यकता है।
- पारस्परिक अमेरिकी योजना:
- मूल प्रस्ताव एक पारस्परिक योजना का हिस्सा था जहां संभावना थी कि अमेरिका भारत में नए वाणिज्य दूतावास खोलेगा।
- यह ऐसे निर्णयों में कूटनीतिक लेन-देन को उजागर करता है और अमेरिकी योजना की स्थिति की समीक्षा की आवश्यकता को प्रस्तुत करता है।
- संचालन प्रक्रिया:
- सिएटल में नए वाणिज्य दूतावास को चालू करने की प्रक्रिया में कर्मचारियों की आवश्यकताओं और लॉजिस्टिकल व्यवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए सावधानीपूर्वक योजना और समन्वय की आवश्यकता होगी।
महत्त्व:
- सिएटल में वाणिज्य दूतावास की स्थापना राजनयिक पहुंच और उस क्षेत्र के साथ संबंधों को मजबूत करने की दृष्टि से काफी महत्त्व रखती है जहां कई प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियां मौजूद हैं।
- यह संयुक्त राज्य अमेरिका में अपनी राजनयिक उपस्थिति का विस्तार करने और अपने प्रवासी भारतीयों की जरूरतों को पूरा करने के भारत के इरादे को दर्शाता है, विशेषकर तकनीक-केंद्रित क्षेत्र में।
- दोनों देशों के बीच “2+2” वार्ता के संदर्भ में, यह कदम संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देने की भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
1. जीका वायरस के प्रसार के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. यह मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी जैसे एडीज मच्छरों द्वारा फैलता है।
2. गर्भावस्था के दौरान यह वायरस मां से भ्रूण में भी फैल सकता है।
3. जीका वायरस संक्रमण के लिए विशिष्ट एंटीवायरल उपचार उपलब्ध है।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं?
a) केवल एक
b) केवल दो
c) सभी तीन
d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: b
व्याख्या: जीका एडीज मच्छरों और मां से भ्रूण के माध्यम से फैलता है। इसका कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार मौजूद नहीं है। अतः केवल कथन 1 और 2 सही हैं।
2. राज्यपाल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. राज्यपाल अपने पद की शक्तियों के प्रयोग को लेकर किसी भी न्यायालय के प्रति जवाबदेह नहीं है।
2. संविधान राज्यपाल को पद से हटाने के लिए आधार प्रदान करता है।
3. राज्य विधान सभा को बुलाने की शक्ति पूरी तरह से राज्यपाल पद में निहित है।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने गलत है/हैं?
a) केवल एक
b) केवल दो
c) सभी तीन
d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: b
व्याख्या: कथन 2 और 3 गलत हैं। राज्यपाल बिना किसी निश्चित कार्यकाल के, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है। इनके संदर्भ में पद से हटाए जाने के आधार अनिर्दिष्ट हैं। 2016 में, उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया कि सदन को बुलाने के लिए राज्यपाल के अधिकार के मामले में मंत्रिपरिषद की सलाह की आवश्यकता होती है।
3. संयुक्त राज्य अमेरिका के निम्नलिखित में से कौन से शहर में भारत द्वारा हाल ही में छठा वाणिज्य दूतावास खोला गया है?
a) ह्यूस्टन
b) शिकागो
c) लॉस एंजेलिस
d) सिएटल
उत्तर: d
व्याख्या: भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका के सिएटल शहर में अपना छठा वाणिज्य दूतावास कार्यालय खोला है। सिएटल में माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़ॅन आदि जैसी प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियां स्थित हैं तथा नया वाणिज्य दूतावास कार्यालय आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों को सुविधाजनक बनाएगा।
4. राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण और बांध सुरक्षा अधिनियम के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. इसकी स्थापना बांध सुरक्षा मानकों को बनाए रखने के लिए बांध सुरक्षा अधिनियम द्वारा की गई थी।
2. इसका नेतृत्व एक अध्यक्ष करता है और इसमें संबंधित क्षेत्रों में विशेषज्ञता वाले पांच सदस्य होते हैं।
3. इस अधिनियम में आपदाओं को रोकने के लिए बांधों की निगरानी और अनुरक्षण का प्रावधान है।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं?
a) केवल एक
b) केवल दो
c) सभी तीन
d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: c
व्याख्या: बांध सुरक्षा मानकों को बनाए रखने एवं विशेष सदस्यों के साथ आपदाओं को रोकने के लिए बांध सुरक्षा अधिनियम के तहत राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण की स्थापना की गई।
5. श्रीलंका सरकार द्वारा आयोजित ‘NAAM 200’ क्या है?
a) समुद्री सुरक्षा पर एक शिखर सम्मेलन
b) भारत के साथ एक सैन्य अभ्यास
c) श्रीलंका में भारतीय मूल के तमिलों के आगमन का स्मरणोत्सव
d) श्रीलंकाई विरासत को प्रदर्शित करने वाला एक सांस्कृतिक उत्सव
उत्तर: c
व्याख्या: ‘NAAM 200’ श्रीलंका में भारतीय मूल के तमिलों (IOTs) के आगमन की 200वीं वर्षगांठ मनाने के लिए श्रीलंकाई सरकार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
1. राज्यपाल के पद से संबंधित हालिया विवादों का परीक्षण कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन – II, राजव्यवस्था)
2. सोशल मीडिया पर गलत सूचना एवं दुष्प्रचार एक खतरा बन गया है। लेकिन सूचना को विनियमित करना और तथ्यों की जांच करना कार्यपालिका का एकमात्र क्षेत्र नहीं होना चाहिए। समालोचनात्मक चर्चा कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन – II, राजव्यवस्था)
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)