05 जुलाई 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था एवं शासन:

  1. होटल ग्राहकों को सर्विस चार्ज देने के लिए बाध्य नहीं कर सकते : केंद्र

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण:

  1. एकल उपयोग प्लास्टिक प्रतिबन्ध लागू :

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. अंतरिक्ष स्थिरता की आवश्यकता:

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. अराजक दुनिया में बहुपक्षवाद का खतरा:

पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण:

  1. सही उद्देश्य के लिए भ्रमित करने वाले नियम:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. अल्लूरी के जन्मस्थान पर ध्यान मंदिर बनाया जायेगा:

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

एकल उपयोग प्लास्टिक प्रतिबन्ध लागू :

पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण:

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं इसके प्रभाव का मूल्यांकन।

प्रारंभिक परीक्षा: एकल उपयोग प्लास्टिक ( Single-Use Plastic) एवं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board (CPCB))।

मुख्य परीक्षा: एकल उपयोग प्लास्टिक (SUPs -Single-Use Plastic)और इसके उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए उठाए गए कदम।

संदर्भ:

  • हाल ही में, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अधिसूचित एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध 1 जुलाई से लागू कर दिए हैं।

एकल उपयोग प्लास्टिक (SUPs -Single-Use Plastic) क्या है?

  • केंद्र एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को एक ऐसे प्लास्टिक उत्पाद के रूप में परिभाषित करता है, जिसे फेकने या पुनर्नवीनीकरण करने से पहले “सिर्फ एक बार” उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • इसके तहत 21 वस्तुओं की एक सूची बनाई गई है, जो एकल-उपयोग प्लास्टिक प्रतिबंध के मानदंड के अंतर्गत आती है।
  • पर्यावरण मंत्रालय ने गत वर्ष अगस्त में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित करते हुए इन वस्तुओं चिन्हित किया था।
  • पर यह प्रतिबंध एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक जैसे मिनरल पानी की बोतलों या वाष्पित पेय पदार्थों की प्लास्टिक बोतलों पर लागू नहीं होगा जबकि इन से आमतौर पर अधिक ‘प्लास्टिक प्रदूषण’ होता है।
  • प्लास्टिक कचरे के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Plastic Wastes

एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध की आवश्यकता क्यों ?

  • भारत हर साल 35 लाख टन प्लास्टिक कचरा पैदा करता है।
  • सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा उत्पादन प्रति वर्ष 3 किलोग्राम है।
  • प्लास्टिक का उपयोग एक बड़ी समस्या है क्योंकि इसके उपयोग से टनों प्लास्टिक इकट्ठा हो जाता है,जो कभी भी संसाधित या पुनर्चक्रित नहीं किया जाता है,इसका उपयोग केवल शहरों में गड्ढों को भरने के लिए किया जाता है।
  • भारत प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध न केवल देश के प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए बल्कि इसलिए भी लगा रहा हैं कि वर्ष 2019 में चौथी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में, भारत ने एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक से निपटने के लिए एक प्रस्ताव भी पेश किया था।

एकल-उपयोग प्लास्टिक से पर्यावरण को हो रहा नुकसान:

  • हालाँकि 99 प्रतिशत प्लास्टिक का पुनर्नवीनीकरण किया जाता है,जबकि भारी प्लास्टिक को कचरा बीनने वालों और प्लास्टिक कचरा पुनर्चक्रणकर्ताओं द्वारा इकट्ठा किया जाता है।
  • चूँकि एकल-उपयोग प्लास्टिक से बनी वस्तुऐं हल्की और लचीली होती हैं, इसलिए उनके पुनर्चक्रण होने की संभावना कम होती है।
  • एकल-उपयोग प्लास्टिक को इकट्ठा करने के लिए इन लोगों को पर्याप्त प्रोत्साहन नहीं मिलता हैं, इसलिए वे यहाँ वहां जमा होते रहते हैं, तथा मिट्टी में जहर घोलते हैं ।
  • एकल-उपयोग प्लास्टिक के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए किए गए उपायों के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Measures undertaken to discourage the use of SUPs

भारत में सरकार एकल-उपयोग प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए त्रिस्तरीय योजना बनाने का विचार कर रही है:

  • उच्च कूड़े की क्षमता – यह उन चीजों को संदर्भित करता है जिन्हें उपयोग के बाद फेंक दिया जाता है। उनमें से अधिकांश अक्सर नालियों में देखे जाते हैं और वे सिर्फ ऐसे उत्पाद होते है जिन्हे कूड़ेदान में फैका जाता हैं।
  • कम उपयोगिता – प्लास्टिक की वे वस्तुएं जिनका इस्तेमाल के बाद बहुत कम उपयोग किया जाता हैं या बिलकुल भी नहीं किया जाता है। जैसे -कंटेनर खोलने के बाद,उससे लिपटी प्लास्टिक की शीट।

एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध से सम्बंधित मुद्दे:

  • समय के साथ, एकल-उपयोग प्लास्टिक का विस्तार काफी हो गया है,जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिला है और साथ ही इससे राजस्व भी मिलता है।
  • एकल-उपयोग प्लास्टिक से सम्बन्धित कारोबार में बैंकों और वित्तीय संस्थानों की बड़ी हिस्सेदारी है,इस लिए इसका विकल्प खोजे बिना इस पर पूर्ण प्रतिबन्ध भारत के खुदरा व्यापार में जबरदस्त व्यवधान पैदा कर सकता ।
  • प्लास्टिक स्ट्रॉ और प्लेटों पर निर्भरता के कारण तेजी से बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुओं(FMCG -Fast Moving Consumer Goods) पर प्रतिबंध का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
  • भारत में जैवनिम्नीकरण (biodegradable) विकल्प की भी कमी है।
  • भारत में एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध के भावी कदम पर विस्तार से जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए : Way forward to Single Use Plastic in India

सारांश:

  • भारत में एकल-उपयोग प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने और एक स्वच्छ और हरित भविष्य की ओर बढ़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है,लेकिन जब कुछ उद्योगों जैसे कि एफएमसीजी (FMCG) बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों की बात आती है, तो उनके लिए चिंता की बात है, जिसे अभी दूर किया जाना बाकी है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अंतरिक्ष स्थिरता की आवश्यकता:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता।

मुख्य परीक्षा : बाहरी अंतरिक्ष में स्थिरता और भारत का योगदान।

संदर्भ:

  • हाल ही में,यूके ने सिक्योर वर्ल्ड फाउंडेशन के सहयोग से लंदन में अंतरिक्ष स्थिरता (Space Sustainability) के लिए चौथे शिखर सम्मेलन की मेजबानी की हैं।

अंतरिक्ष स्थिरता के लिए योजना:

  • कुछ समय पहले यूके ने लंदन में अंतरिक्ष स्थिरता के चौथे शिखर सम्मेलन की मेजबानी की और एक नई ‘अंतरिक्ष स्थिरता योजना’ की घोषणा की।

यूके अंतरिक्ष स्थिरता (Space Sustainability) योजना में चार प्राथमिक तत्वों का उल्लेख करता है:

  1. यूके की कक्षीय गतिविधि के नियामक ढांचे की समीक्षा करने के लिए;
  2. अंतरिक्ष स्थिरता पर अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव पर जोर देना;
  3. गतिविधियों की स्थिरता को मापने के लिए सुरक्षा और गुणवत्ता से संबंधित मेट्रिक्स को आजमाना और विकसित करना ;
  4. सक्रिय मलबे को हटाने के लिए अतिरिक्त धन जुटाना ।

योजना के उद्देश्य:

  • “बीमा के लिए पर्याप्त आधार, लाइसेंसिंग और वाणिज्यिक उपग्रहों के नियमन के लिए एक वैश्विक वाणिज्यिक ढांचा स्थापित करना।”
  • उन लोगों के लिए लागत कम करना जो सर्वोत्तम स्थिरता मानकों का पालन करते हैं और इस प्रकार उद्योग के लिए एक संपन्न पारिस्थितिकी तंत्र को प्रोत्साहित करते हैं।

बाह्य अंतरिक्ष में स्थिरता का क्या अर्थ है?

  • पिछले दशक में, पृथ्वी का कक्षीय वातावरण चौगुना से अधिक हो गया है। जैसे-जैसे कार्यों की लागत घटती जा रही है वैसे-वैसे अंतरिक्ष प्रतिभागियों की संख्या बढ़ती जा रही है, इसके परिणामस्वरूप मिशन की जटिलता और स्लॉट आवंटन की चिंता भी लगातार बढ़ रही है।
  • वृहद नक्षत्रों और जटिल अंतरिक्ष उपग्रहों की संख्या में वृद्धि के कारण उनमे टकराव और रेडियो आवृत्ति का खतरा बढ़ गया है।
  • हर स्तर पर दीर्घकालिक स्थिरता अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास उपग्रह के पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण को सक्षम बनाने पर केंद्रित है।
  • यूके का यह प्रस्ताव अंतरिक्ष सक्रिय मलबे को हटाने और कक्षा में मरम्मत की बात करता है।
  • चूँकि बाहरी अंतरिक्ष को एक सामान्य प्राकृतिक संसाधन के रूप में देखा जाता है, अतः इसके लिए बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर संयुक्त राष्ट्र समिति (COPUOS) ने अंतरिक्ष संचालन की दीर्घकालिक व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए 2019 में 21 गैर-बाध्यकारी नियमों का एक सेट जारी किया था।

बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर संयुक्त राष्ट्र समिति (COPUOS):

  • वर्ष 1958 में, बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर संयुक्त राष्ट्र समिति (COPUOS) की स्थापना की गई थी।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1957 में पहले कृत्रिम उपग्रह, स्पुतनिक I के प्रक्षेपण के तुरंत बाद इसे एक तदर्थ बहुराष्ट्रीय समिति के रूप में स्थापित किया। भारत समिति के 18 संस्थापक सदस्यों में से एक है।
  • इसकी प्राथमिक जिम्मेदारी अध्ययन एवं और बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना हैं।

बाह्य अंतरिक्ष में स्थिरता की चिंता का मतलब है ?

  • अंतरिक्ष स्थिरता की सबसे बड़ी चिंताओं में से एक इसकी कक्षा में उपग्रहों की भीड़ का बढ़ना है।
  • यह अन्य मिशन के संचालन और सुरक्षा के लिए एक सीधा खतरा है, और इसके परिणामस्वरूप कानूनी और बीमा संबंधी समस्याएं होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है।
  • एक और महत्वपूर्ण चिंता अंतरिक्ष का मलबा है।
  • एक अंतरिक्ष को मिशन पूरा करने के बाद,एक ‘एंड-ऑफ-लाइफ प्रोटोकॉल’ के लिए अंतरिक्ष वस्तुओं को कब्रिस्तान की कक्षा या कम ऊंचाई पर स्थानांतरित करने की आवश्यकता होती है। लेकिन लंबी अवधि में, कोई भी रणनीति व्यवहार्य नहीं है।
  • संचार के बुनियादी ढांचे के लिए सौर और चुंबकीय तूफान भी संभावित खतरे हैं।

अंतरिक्ष स्थिरता में भारत का योगदान:

  • भारत अग्निकुल और स्काईरूट (Agnikul and Skyroot) जैसे संभावित स्टार्ट-अप का घर है, जो छोटे पेलोड लॉन्च वाहनों, और ध्रुव स्पेस (Dhruva Space), जो उपग्रहों और उन के लिए उच्च तकनीक वाले सौर पैनलों पर काम कर रहा है।
  • भारत एक सबसिस्टम विकसित करने की राह पर है जो वैश्विक स्थिरता संबंधी चिंताओं को दूर करेगा।
  • अंतरिक्ष मलबे की निगरानी के लिए, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ‘प्रोजेक्ट नेत्रा’ (‘Project NETRA) लॉन्च किया है।
  • घरेलू निगरानी प्रणाली मलबे की स्थिति पर वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करेगी, जिससे अंतरिक्ष संपत्ति संरक्षण के लिए भविष्य की योजना में लाभ होगा।
  • वर्ष 2022 में 2+2 चर्चा में, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने अंतरिक्ष वस्तुओं की निगरानी के लिए एक नया समझौता किया हैं।
  • नियंत्रित उपग्रह रोधी हथियार (एएसएटी) परीक्षण और टकराव की संभावना को सहकारी रूप से नियंत्रित किया जाना चाहिए।
  • इसरो (ISRO) अंतरिक्ष कक्षा में उपग्रहों की मरम्मत करने के लिए ‘स्पैडेक्स’ (SPADEX) नामक एक संक्षिप्त प्रयोग पर काम कर रहा है।
  • इसके जरिए एक मौजूदा उपग्रह पर एक उपग्रह को स्थापित करने, ईंधन भरने और अन्य कक्षाओं में सेवाओं पहुँचाने और उपग्रह की कार्यक्षमता को बढ़ाया जायगा ।

भावी कदम:

  • आज, कोई भी संस्थान (सार्वजनिक या निजी) जिसके पास आवश्यक वित्त और प्रौद्योगिकी है, अंतरिक्ष में निवेश कर सकता है।
  • सतत अंतरिक्ष प्रथाओं से भविष्य में नवाचारों को बढ़ावा देने के साथ-साथ कक्षा में उपग्रहों की अधिक संख्या और इनके टकराव के जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी।
  • अंतरिक्ष स्थिरता की योजना, जिसमें निजी उद्यम शामिल हैं, प्रगति के के लिए एक सामयिक कदम है।
  • इसे भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए एक मॉडल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • क्योंकि मध्यम और छोटे अंतरिक्ष मिशन के लिए कई स्थिरता रणनीतियाँ संसाधन-गहन और महंगी हैं।
  • इस मामले में स्थिरता मानकों में सुधार करने के निजी प्रयास, पहुंच को और अधिक कठिन बना देंगे, जिससे स्थिर वित्त वाले कार्यक्रमों को अनुचित लाभ मिलेगा।

सारांश:

  • यूके के अंतरिक्ष कार्यक्रम की तर्ज पर, भारतीय अंतरिक्ष मिशन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थिरता कारक को आगे बढ़ाने की उम्मीद कर रहे है, यह निजी क्षेत्र को ऐसे मॉडल विकसित करने का अवसर प्रदान कर रहा है जो उपग्रह संचालन की सुरक्षा को बढ़ाते हैं,और अंतरिक्ष के मलबे के पदचिह्न को कम करते हैं।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

होटल ग्राहकों को सर्विस चार्ज देने के लिए बाध्य नहीं कर सकते : केंद्र

राजव्यवस्था एवं शासन:

विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां,हस्तक्षेप,उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (Central Consumer Protection Authority (CCPA))।

मुख्य परीक्षा: सेवा शुल्क पर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA)के दिशानिर्देशों का मूल्यांकन।

संदर्भ:

  • केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने और होटल और रेस्तरां में सेवा शुल्क लगाने के संबंध में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए दिशानिर्देश जारी किए।

CCPA के दिशानिर्देश क्या हैं?

  • CCPA ने रेस्तरां और होटलों द्वारा सेवा शुल्क लगाने के संबंध में पांच प्रमुख दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिन पर लंबे समय से विवादा रहा है।
  • दिशानिर्देश कहते हैं कि:
  1. कोई भी होटल या रेस्तरां बिल में स्वचालित रूप से या चूक के रूप से सेवा शुल्क नहीं जोड़ेगा;
  2. सेवा शुल्क को किसी अन्य नाम से उपभोक्ताओं से वसूला नहीं जाएगा;
  3. कोई भी होटल या रेस्तरां किसी उपभोक्ता को सेवा शुल्क का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं करेगा और उपभोक्ता को स्पष्ट रूप से सूचित करेगा कि सेवा शुल्क देना है या नहीं यह स्वैच्छिक, वैकल्पिक और उपभोक्ता के विवेक पर निर्भर करेगा ;
  4. सेवा शुल्क के संग्रह के आधार पर सेवाओं के प्रवेश या प्रावधान पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा; तथा
  5. सेवा शुल्क को भोजन के बिल के साथ जोड़कर और कुल राशि पर जीएसटी लगाकर एकत्र नहीं किया जाएगा।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) के दिशानिर्देशों की आवश्यकता:

  • केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने ग्राहकों से बिना पूछे या बताए सेवा शुल्क लगाने वाले रेस्तरां और मोटल के बारे में शिकायतों की जांच की है।
  • मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) पर उपभोक्ताओं की ऐसी बहुत सारी शिकायतें मिली हैं।
  • नियमों के अनुसार रेस्टोरेंट या होटल द्वारा दी जाने वाली खाने-पीने की चीजों की कीमत में सर्विस का एक कंपोनेंट होना चाहिए ।

ये दिशानिर्देश किस कानून के तहत जारी किए गए हैं?

  • CCPA ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 18 (2) (I) के तहत दिशानिर्देश जारी किए हैं।
  • ये दिशानिर्देश केंद्र के 2017 के दिशानिर्देशों के अतिरिक्त हैं, जो होटल और रेस्तरां द्वारा उपभोक्ताओं पर सेवा शुल्क लगाने पर रोक लगाने और “अनुचित व्यापार प्रथाओं” के रूप में ग्राहकों की ” सहमति” के बिना “लागू करों के साथ मेनू कार्ड पर प्रदर्शित कीमतों” के अलावा किसी भी चीज़ के लिए अतिरिक्त चार्ज लगाते हैं।

सारांश:

  • उपभोक्ता मामलों के विभाग को कई शिकायतें मिली हैं जिसमें कहा गया है कि सेवा शुल्क वसूलने से जनता को शर्मिंदगी होती है और भोजन का मजा ख़राब होता है। CCPA के दिशानिर्देशों का उद्देश्य उपभोक्ताओं के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

अराजक दुनिया में बहुपक्षवाद का खतरा:

विषय: भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह से जुड़े समझौते।

मुख्य परीक्षा: बहुपक्षवाद और संबंधित अनुशंसाओं के खिलाफ तर्क।

संदर्भ:

  • हाल ही में भारतीय प्रधान मंत्री ने कई बहुपक्षीय शिखर सम्मेलनों में भाग लिया जिनके सन्दर्भ में, लेखक ने भारतीय विदेश नीति के परिपेक्ष्य में बहुपक्षवाद की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया है।
    • हाल ही में भारतीय प्रधान मंत्री ने क्वाड शिखर सम्मेलन, 14 वें ब्रिक्स आभासी शिखर सम्मेलन और जी -7 शिखर सम्मेलन में भाग लिया था।

अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में बहुपक्षवाद पर संबंधित सिद्धांत के संबंध में निम्नलिखित लेख पढ़े:

https://byjus.com/free-ias-prep/multilateralism/

बहुपक्षवाद के खिलाफ तर्क:

  • विश्व के नेताओं के बीच विचारों के आदान-प्रदान तथा बहुपक्षीय संगठनों और समूहों के महत्वपूर्ण मुद्दों पर आम सहमति के बावजूद, लेखक इन बहुपक्षीय समूहों में से कुछ के कामकाज पर चिंता व्यक्त करता है।

प्रमुख घटनाक्रमों/मुद्दों पर बहुप्रतीक्षित आम सहमति का अभाव:

  • हाल ही में बड़े पैमाने पर भू-राजनीतिक मंथन तथा विभिन्न देशों द्वारा उनके राष्ट्रीय हितों के कारण अलग-अलग रुख अपनाए जाने के बावजूद, विभिन्न अंतर सरकारी संगठन और समूह विभिन्न मुद्दों एवं चुनौतियों पर आम सहमति बनाने में सफल नहीं हो सके है। यह देखते हुए कि विभिन्न देशों के विचारों या दृष्टिकोणों में समानता नहीं है, इसलिए देशों के बीच सहयोग और सहभागिता के लिए बहुपक्षीय व्यवस्था प्रभावी नहीं है।
  • हाल ही में जर्मनी में संपन्न हुए G7 शिखर सम्मेलन में कई मुद्दों पर सर्वसम्मति नहीं बनी ।
    • G7 सम्मेलन में भारत जैसे अन्य सदस्य देशों, जिन्हें शिखर सम्मेलन आमंत्रित किया गया था की की इच्छा के विरुद्ध यूक्रेन युद्ध पर वक्तव्य जारी किया। यूक्रेन युद्ध के सन्दर्भ में रूस विरोध में सदस्य देशों के बीच विचारों में भी एक स्पष्ट अंतर है।
    • साथ ही, पर्यावरण, ऊर्जा, जलवायु, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, लैंगिक समानता और लोकतंत्र जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं की गई।

राष्ट्रीय हितों के लिए बहुपक्षीय समूहों का उपयोग:

  • समूह के अन्य सदस्यों के हितों की अनदेखी करते हुए अक्सर अपने हितों के लिए प्रमुख बहुपक्षीय संगठनों का उपयोग करने वाले विभिन्न देशों के कई उदाहरण हैं।
  • हाल ही में आयोजित 14वें वर्चुअल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में, मेजबान देश चीन ने वैश्विक विकास पर उच्च स्तरीय वार्ता हेतु 13 समान विचारधारा वाले देशों को शामिल करने की मांग की। यह चीन समर्थित देशों के साथ ब्रिक्स समूह का विस्तार करने हेतु अनुचित साधनों का सहारा लेता है। चीन को लगता है कि ब्रिक्स, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI), जिसका उद्देश्य छोटे और कमजोर देशों को कर्ज के जाल में फंसाकर दुनिया पर हावी होने के लिए बनाया गया है, के विस्तार में सहायक होगा।
  • इसके अलावा, चीन ने अब तक भारत द्वारा उदार अर्थव्यवस्था के मानदंडों को पूरा करने के बावजूद भी एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) जैसे समूहों में उसके शामिल होने का विरोध किया है।

समूहों के भीतर विरोधाभास:

  • विभिन्न बहुपक्षीय समूहों के सदस्यों के बीच अभी भी विरोधाभास बना हुआ है। यह घटक सदस्य देशों के बीच आम दृष्टि और कार्रवाई के दायरे को कम करता है।
  • उदाहरण के लिए ब्रिक्स समूह में, चीन और रूस सुरक्षा परिषद के दो स्थायी सदस्य हैं, जबकि अन्य तीन भारत, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील UNSC की स्थायी सदस्यता के इच्छुक हैं। साथ ही, घटक देशों के आर्थिक विकास स्तरों में सुधार करने की आवश्यकता है।
  • विशेष रूप से, ब्रिक्स समूह को मौजूदा वैश्विक वास्तुकला एवं ब्रेटन वुड्स संस्थानों जैसे संगठनों का विकल्प बनाने के लिए स्थापित किया गया था।

मतभेदों का प्रभाव:

  • सदस्य देशों के बीच मतभेद के कारण बहुपक्षीय समूह की प्रभावशीलता कम हो जाती है।
    • ब्रिक्स के दो महत्वपूर्ण सदस्यों भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध ब्रिक्स समूह के प्रभाव को कमजोर करेगा।
    • इसी तरह, भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय विवादों का दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC) के कामकाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है और इसने संगठन की क्षमता को कमजोर कर दिया है।

द्विपक्षीय संबंधों का लाभ:

  • ब्रिक्स और जी7 शिखर सम्मेलन जैसे बहुपक्षीय मचों की तुलना में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे देशों के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों की वजह से भारत को अधिक लाभ मिला है।
  • भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच द्विपक्षीय बैठकों की वार्ता में कमी के बावजूद, यह G7 के बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन की वार्ता में समझौतों और परिणामों के संदर्भ में प्रभावी रहा है।

भारत-यूएई संबंधों पर अधिक जानकारी के लिए निम्नलिखित लेख पढ़े:

https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-jun28-2022/

सारांश:

  • निहित स्वार्थों के कारण बहुपक्षीय समूहों के बढ़ते दुरुपयोग को देखते हुए, ज्वलंत मुद्दों पर आम सहमति की स्पष्ट कमी है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण:

सही उद्देश्य के लिए भ्रमित करने वाले नियम:

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और उसके प्रभाव आकलन।

प्रारंभिक परीक्षा: ई-कचरा (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम।

मुख्य परीक्षा: नवीन मसौदा नियम प्रस्ताव और उनसे जुड़ी चिंताएं।

संदर्भ:

  • पर्यावरण मंत्रालय द्वारा मई 2022 में ई-कचरा (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 2022 मसौदा सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए जारी किया गया था।

मौजूदा ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियमों की जानकारी के लिए, निम्नलिखित लेख पढ़े:

https://byjus.com/free-ias-prep/electronic-waste/

विवरण:

  • नए मसौदा नियम निम्नलिखित तरीकों से पिछले विनियमों से अलग हैं।
    • मसौदा नियमों में कहा गया है कि ई-वस्तुओं के उत्पादकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके द्वारा उत्पादित ई-कचरे के कम से कम 60%, हिस्से का 2023 तक पुनर्नवीनीकरण संभव हो। यह मसौदा का लक्ष्य ई-कचरे संग्रह दर को लक्षित रीसाइक्लिंग संग्रह दर तक पहुँचाना है।
    • नए मसौदा नियम ई-कचरे के पुनर्चक्रण प्रमाणपत्रों के लिए एक बाजार सुनिश्चित करते हैं।
    • मसौदा में विनियमों के “समग्र कार्यान्वयन, निगरानी और पर्यवेक्षण” की देखरेख के लिए एक संचालन समिति की स्थापना का भी प्रस्ताव हैं। प्रस्तावित विनियमों के सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए इस समिति को सशक्त किया जाएगा।
    • मसौदे में ई-कचरा नियम में ई-कचरे की परिभाषा के विस्तार तथा नियमों के उल्लंघन के लिए दंड को अधिक स्पष्ट बनाने का भी प्रस्ताव है।
    • इसमे ‘प्रदूषक भुगतान’ सिद्धांत के आधार पर एक पर्यावरण क्षतिपूर्ति कोष बनाने का भी प्रस्ताव है।

चिंता:

अवास्तविक लक्ष्य:

  • लेखक का तर्क है कि प्रस्तावित ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण लक्ष्य निम्नलिखित कारणों से अवास्तविक प्रतीत होता है।
    • भारत में ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण खंड अभी भी भारत में अपनी प्रारंभिक अवस्था में है और अधिकांश वर्तमान पुनर्चक्रण के लिए अकुशल और असुरक्षित प्रौद्योगिकियों का उपयोग अनौपचारिक क्षेत्र द्वारा किया जाता है जिसके पुनर्चक्रण के लक्ष्यों को पूरा नहीं किया जा सकता हैं।
    • विभिन्न रीसाइक्लिंग तकनीकों और दृष्टिकोणों की तकनीकी व्यवहार्यता और व्यावसायिक व्यवहार्यता अभी भी अविकसित है तथा एक परिपक्व तकनीक की कमी भारत में ई-रीसाइक्लिंग के विकास में एक प्रमुख बाधा है।

विभिन्न हितधारकों के विनियमन पर स्पष्ट दिशानिर्देशों का अभाव:

  • नए मसौदे के नियमों में पंजीकृत कलेक्टरों, विघटनकर्ताओं और उत्पादक संगठनों को विनियमित करने वाले प्रावधानों का अभाव है। इससे पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित तरीके से अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए इन संस्थाओं का विनियमन उपयुक्त तरीके से संभव नहीं होगा।
  • भारत में अनौपचारिक क्षेत्र द्वारा किए गए ई-कचरे के प्रसंस्करण का महत्वपूर्ण हिस्सा होने के बावजूद, नवीन मसौदा नियम इस अनौपचारिक क्षेत्र के प्रसंस्करण पर मौन हैं तथा इस तरह के प्रसंस्करण की जिम्मेदारी अब राज्य सरकारों पर होगी।

पुनर्चक्रण लक्ष्यों के संबंध में स्पष्ट प्रावधानों का अभाव:

  • नए मसौदे के नियम इस बात की स्पष्ट समझ प्रदान नहीं करते हैं कि रीसाइक्लिंग लक्ष्य ई-उत्पाद के हर घटक पर लागू होता है या कुल वजन पर।
  • यह एक बड़ी खामी है क्योंकि प्लास्टिक, तांबे और कांच जैसी सामग्रियों के पुनर्चक्रण का सहारा लेकर उत्पादकों द्वारा इसका दुरुपयोग किया जा सकता है, जो कि पुनर्चक्रण के लिए आसान और सस्ती हैं, जबकि दुर्लभ भू-धातुओं जैसी सामग्रियों की उपेक्षा करते हैं जिसकी रीसायकल प्रक्रिया अधिक महंगी और उच्च तकनीकीपूर्ण है जो शायद पर्यावरणीय कार्बन फुटप्रिंट को बढ़ावा दे सकती है तथा ऐसे प्रबंधन, मसौदे में अंतर्निहित उद्देश्यों को कमजोर करेंगी।

संचालन समिति में प्रतिनिधित्व का अभाव:

  • संचालन समिति जैसे संस्थागत तंत्र के प्रस्ताव का स्वागत है लेकिन समिति में विज्ञान/शिक्षाविदों एवं नागरिक समाज संगठनों के पर्याप्त प्रतिनिधित्व की कमी एक प्रमुख चिंता का विषय है।

सारांश:

  • ई-कचरा (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 2022 में प्रस्तावित मुख्य परिवर्तनों के लिए नियमों को अंतिम रूप देने से पहले सभी संबंधित हितधारकों के साथ विचार-विमर्श की आवश्यकता है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. अल्लूरी के जन्मस्थान पर ध्यान मंदिर बनाया जायेगा:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

इतिहास:

विषय: स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न हिस्सों से महत्वपूर्ण योगदानकर्ता/योगदान।

प्रारंभिक परीक्षा: अल्लूरी सीताराम राजू, रम्पा विद्रोह

मुख्य परीक्षा: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अल्लूरी सीताराम राजू का योगदान।

संदर्भ:

  • प्रधान मंत्री ने एएसआर नगर में अल्लूरी सीताराम राजू की 30 फुट की कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया।

अल्लूरी सीताराम राजू:

  • भारत मान्यम वीरुडु अल्लूरी सीताराम राजू की 125वीं जयंती मना रहा है।
  • अल्लूरी ध्यान मंदिर का निर्माण आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले में स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू के जन्मस्थान मोगल्लु में किया जाएगा।
  • अल्लूरी सीताराम राजू और अन्य आदिवासी नेताओं ने स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति दी थी।
  • उन्होंने 1924 में गुरिल्ला युद्ध के रूप में रम्पा या मान्यम विद्रोह शुरू किया।
  • रम्पा विद्रोह महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के साथ शुरू हुआ।
  • अल्लूरी सीताराम राजू के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Alluri Sitaram Raju

महत्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. शुरू की गई नवीन डिजिटल पहलों और उनके विवरण के संबंध में निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए।

  1. डिजिटल इंडिया भाषिणी (Bhashini)- भारतीय भाषाओं के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित भाषा प्रौद्योगिकी समाधान है।
  2. डिजिटल इंडिया जेनेसिस (GENESIS)- भारत के टियर- II और टियर- III शहरों में स्टार्टअप्स को सपोर्ट करने के लिए नेशनल डीप-टेक स्टार्टअप प्लेटफॉर्म है।
  3. मेरी पहचान- एकल नागरिक लॉगिन के लिए एकल राष्ट्रीय साइन ऑन प्लेटफॉर्म है।

उपर्युक्त में से कौन सी डिजिटल पहल और उनके विवरण युग्म सुमेलित है?

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: d

व्याख्या:

  • डिजिटल इंडिया भाषिणी (Digital India Bhashini)- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्रालय ने डिजिटल इंडिया भाषा के लिए रणनीति बनाने के लिए शोधकर्ताओं और स्टार्ट-अप के साथ मंथन किया है। BHASHINI का मतलब भाषा इंटरफेस या राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (NLTM) है।
  • डिजिटल इंडिया जेनेसिस (Digital India GENESIS) – जेनेसिस डिजिटल इंडिया में इनोवेशन स्टार्टअप्स के लिए जेन-नेक्स्ट सपोर्ट के लिए है।
    • यह पूरे भारत के छोटे शहरों में कंपनियों की पहचान, सहायता, विकास और सफल होने में मदद करने की एक परियोजना है।
  • ‘मेरी पहचान’ (Meri Pehchaan)- ‘मेरी पहचान’ एक नागरिक लॉगिन के लिए एक राष्ट्रीय एकल साइन ऑन प्लेटफॉर्म है।
  • नेशनल सिंगल साइन-ऑन (एनएसएसओ) एक उपयोगकर्ता प्रमाणीकरण सेवा है।
  • अतः सभी कथन सही हैं।

प्रश्न 2. लिथियम भंडार और लिथियम के उत्पादन के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?

  1. माना जाता है कि अफ्रीका में “लिथियम त्रिकोण” (Lithium triangle) दुनिया का सबसे बड़ा लिथियम भंडार है।
  2. वर्तमान में चीन दुनिया का अग्रणी लिथियम उत्पादक देश है।
  3. भारत विश्व में कोबाल्ट का सबसे बड़ा उत्पादक है।

विकल्प:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 3

(c) केवल 2

(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर: d

व्याख्या:

  • लिथियम-त्रिकोण (Lithium triangle) लिथियम का एक समृद्ध क्षेत्र है जो अर्जेंटीना, बोलीविया और चिली में फैला हुआ है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • चिली में दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञात लिथियम भंडार है। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में खनन उद्योग ने वर्ष 2021 में वैश्विक कोबाल्ट उत्पादन में दो तिहाई से अधिक का योगदान दिया है। इसलिए कथन 3 सही नहीं है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन तमिल संगम साहित्य में वर्णित ‘कुरिंजी’, ‘मुलई’, ‘मरुथम’, ‘नीथल’ और ‘पलाई’ शब्दों का सबसे अच्छा वर्णन करता है?

(a) विभिन्न पारिस्थितिक क्षेत्र

(b) युद्ध के पांच पहलू

(c) क्षेत्र के लोकप्रिय फूल

(d) क्षेत्र के पांच प्रसिद्ध राजा

उत्तर: a

व्याख्या:

  • नई दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा बनाई जा रही नई संसद से संबंधित एक परियोजना में तमिलों के समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास को दिखाया जाएगा।
  • प्राचीन तमिल संगम साहित्य में वर्णित पांच पारिस्थितिक क्षेत्रों से मिट्टी के नमूने – कुरिंजी, मुलई, मरुथम, नीथल और पलाई – एकत्र किए गए हैं जिन्हें हाल ही में राजधानी को भेजा गया है ।
  • अत: विकल्प A सही है।

प्रश्न 4. विंडफॉल टैक्स के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?

  1. विंडफॉल टैक्स कुछ उद्योगों/कंपनियोंपर सरकारों द्वारातब लगाया जाता है, जब आर्थिक परिस्थितियों के आधार पर उन उद्योगों/कंपनियों को औसत से अधिक लाभ होता हैं।
  2. हाल ही में, भारत की केंद्र सरकार ने घरेलू तेल उत्पादकों और रिफाइनरों पर विंडफॉल टैक्स लगाया है।

विकल्प:

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: c

व्याख्या:

  • विंडफॉल टैक्स मुख्य रूप से उन लक्षित कंपनियों पर लगाया जाता है,जिन्हें अप्रत्याशित लाभ से सबसे अधिक आर्थिक लाभ हुआ है। यह अक्सर कमोडिटी-आधारित व्यवसाय पर लगाया जाता हैं।
  • जब आर्थिक स्थितियां उन उद्योगों को औसत से अधिक लाभ देती हैं,तब यह कर सरकारों द्वारा उन उद्योगों पर लगाया जाता हैं।
  • हाल ही में, भारत की केंद्र सरकार ने घरेलू तेल उत्पादकों और रिफाइनरों पर अप्रत्याशित कर लगाया है।
  • अतः दोनों कथन सही हैं।

प्रश्न 5. अशोक के निम्नलिखित में से किस मूर्तिकला शिलालेख में ‘राण्यो अशोक’ (राजा अशोक) का उल्लेख है? PYQ (2019)

(a) कंगनाहल्ली

(b) सांची

(c) शाहबाजगढ़ी

(d) सोहगौरा

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कनागनहल्ली कर्नाटक में सन्नति के पास एक शहर है। सम्राट, उनकी रानी और परिचारकों को एक शिला-फलक पर उकेरा गया है, जिसमें अशोक का नाम रण्यो अशोक (राजा अशोक) अंकित है। यह अशोक की पहली मूर्ति है जिस पर उसका नाम खुदा हुआ है।
  • अत: विकल्प A सही है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2021 में अधिसूचित एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध इस वर्ष लागू किया गया है। इससे सम्बंधित प्रावधानों का विश्लेषण करें और यह भी बताएं की इसे प्रभावी ढंग से कैसे लागू किया जा सकता है? (250 शब्द, 15 अंक) [जीएस-3, पर्यावरण]

प्रश्न 2. अंतरिक्ष का मलबा अंतरिक्ष की संपत्ति के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है। जोखिमों और संभावित समाधानों की जांच कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) [जीएस -3, एस एंड टी]