06 अगस्त 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

  1. संसदीय विशेषाधिकार

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. ताइवान गतिरोध से भारत के लिए सबक

शासन:

  1. नए युग के डिजिटल कॉमर्स में चुनौतियों का समाधान

पर्यावरण:

  1. प्रतिबद्धताओं पर टिके रहना

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. रेपो दर नीति

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. गैर बुने हुए प्लास्टिक कैरी बैग
  2. मंकीपॉक्स वैक्सीन

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

संसदीय विशेषाधिकार

विषय: संसद एवं राज्य विधायिकाएं

मुख्य परीक्षा: संसद सदस्यों के विशेषाधिकार और कार्य

संदर्भ : हाल ही में राज्यसभा के सभापति श्री.एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सांसद कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सम्मन से बच नहीं सकते क्योंकि उन्हें आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी से छूट नहीं है।

भूमिका:

  • संसद में विपक्षी दल सरकार द्वारा राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को “झूठे आरोप” लगाने के लिए केंद्रीय प्रवर्तन एजेंसियों जैसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के कथित दुरुपयोग का विरोध कर रहे हैं।
  • इन विरोधों के कारण संसदीय कार्यवाही में लगातार व्यवधान हुआ और शीतकालीन सत्र समाप्त हो गया।
  • इस पृष्ठभूमि में, सभी पूर्व-उदाहरणों का परीक्षण करने के बाद और अनुच्छेद 105 के तहत राज्यसभा के सभापति ने स्पष्ट किया कि, सांसदों को सत्र के दौरान एजेंसियों द्वारा कार्रवाई से विशेषाधिकार प्राप्त नहीं होता है।
  • उन्होंने जोर देकर कहा कि सांसदों को सदन की कार्रवाई के कारणों को उद्धृत करते हुए किसी भी एजेंसी के सामने प्रस्तुत होने से नहीं बचना चाहिए।

संसदीय विशेषाधिकार और संवैधानिक प्रावधान:

  • संसदीय विशेषाधिकार विधायिकाओं के सदस्यों को दी गई एक कानूनी प्रतिरक्षा है, जिसमें उन्हें उनके विधायी कर्तव्यों के दौरान किए गए कार्यों या दिए गए वक्तव्यों के लिए नागरिक या आपराधिक दायित्व से सुरक्षा प्रदान की जाती है।
  • वे “प्रभावी ढंग से अपने कार्यों का निर्वहन” करने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक विशेषाधिकार हैं।
  • भारतीय संविधान केअनुच्छेद 105 में संसद, उसके सदस्यों और समितियों की शक्तियों, विशेषाधिकारों आदि के बारे में प्रावधान है जबकि अनुच्छेद 194 राज्य विधानसभाओं से संबंधित है।

सारांश: सांसद और विधायक के रूप में विधि निर्माता देश के कानून और कानूनी प्रक्रियाओं का सम्मान करेंगे क्योंकि यह सभी मामलों में सभी पर लागू होता है। यदि सदन सत्र में है तो वे अपने सम्मन या नोटिस को पूरी तरह से टालने के बजाय प्रवर्तन एजेंसियों के सामने प्रस्तुत होने के लिए एक और तिथि की मांग सकते हैं ।

अधिक अध्ययन के लिए पढ़ें: Parliamentary Privilege and immunities

संपादकीय-द हिन्दू

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

अंतरराष्ट्रीय संबंध

ताइवान गतिरोध से भारत के लिए सबक

विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव

मुख्य परीक्षा: ताइवान गतिरोध से भारत के लिए सबक

संदर्भ:

अमेरिकी सदन के स्पीकर के ताइवान दौरे पर चीन की आक्रामक प्रतिक्रिया

पृष्ठभूमि

इस विषय की विस्तृत पृष्ठभूमि के लिए दिनांक 04 अगस्त 2022 का विस्तृत समाचार विश्लेषण पढ़ें

नवीनतम घटनाक्रम

  • जैसा कि चीन ने ताइवान के आसपास के छह क्षेत्रों में सैन्य अभ्यास करना जारी रखा है, साथ ही अमेरिकी स्पीकर की ताइवान यात्रा के लिए उन पर प्रतिबन्ध लगाने एवं अमेरिका के साथ बने आठ प्रमुख संवाद तंत्र को निलंबित करने के बारे में भी सोच रहा है।
  • रद्द किए गए संवादों में शामिल हैं:
    • थिएटर कमांडरों की बैठक
    • रक्षा नीति समन्वय वार्ता
    • सैन्य समुद्री सलाहकार समझौते (MMCA) के तहत वार्ता
  • चीन द्वारा जलवायु परिवर्तन पर द्विपक्षीय वार्ता को स्थगित करने और अवैध अप्रवासियों के प्रत्यावर्तन, आपराधिक मामलों में कानूनी सहायता, अंतरराष्ट्रीय अपराधों और मादक द्रव्यों के खिलाफ सहयोग को रोकने की भी संभावना बन रही है।
  • इसके अलावा, सैन्य अभ्यासों के कारण ताइवान के आसपास के क्षेत्रों में जल और हवाई क्षेत्र बंद हो गए हैं जिससे नौवहन और उड़ानों के संचालन में गंभीर बाधा उत्पन्न हुई है।

ताइवान गतिरोध से भारत के लिए सबक

  • ताइवान की प्रतिकार-क्षमता – भारत को इस बात पर गहराई ध्यान देना चाहिए कि ताइवान, जो सिर्फ 2.3 करोड़ जनसंख्या वाला एक छोटा सा द्वीप है, उभर रहा है तथा दुनिया की सबसे मजबूत सैन्य और आर्थिक शक्तियों में से एक के विरुद्ध अपना बचाव कर रहा है।
    • भारत परमाणु क्षमता संपन्न एक अधिक शक्तिशाली राष्ट्र है और इसके पास सैन्य कर्मियों की एक बड़ी संख्या भी है , लेकिन यहाँ चीन के क्षेत्रीय दुस्साहसों के विरुद्ध खड़े होने में संशय देखा जाता है।
  • दहलीज के स्तर और संप्रभु स्थितियों पर स्पष्ट तरीके से जोर देना – भारत को स्पष्ट रूप से चीन से उत्पन्न खतरों पर जोर देना चाहिए क्योंकि इस तरह की स्पष्टता की कमी का इस्तेमाल चीन भारत के हितों को नुकसान पहुँचाने में करेगा।
    • विभिन्न प्रकार की घरेलू राजनीतिक चुनौतियों के कारण, 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हुए गतिरोध और उसके बाद की घटनाओं के बारे में स्पष्टता का अभाव है।
    • राष्ट्रीय स्थिति या धारणा की इस कमी से चीन को मनोवैज्ञानिक लाभ प्राप्त हुआ है।
    • इसके अलावा, एक तरह से स्पष्ट धारणा से भारत को अपने मित्र देशों और अन्य अंतरराष्ट्रीय समुदायों से समर्थन हासिल करने में मदद मिलेगी।
  • तुष्टिकरण हानिकर रणनीति है -ताइवान ने अमेरिकी स्पीकर की देश की यात्रा को संभव तथा आसान बनाकर दिखाया है कि तुष्टिकरण चीनी आक्रमण का सामना करने का तरीका नहीं है।
    • चूंकि चीन एक संशोधनवादी शक्ति है जो मौजूदा वैश्विक शक्ति संतुलन को चुनौती दे रहा है, वहीं तुष्टिकरण की रणनीति केवल अल्पावधि में ही काम कर सकती है।
    • भारत को इस पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि भारत के क्षेत्रीय मानदंडों का उल्लंघन करने चीनी सैन्यकर्मी इसके क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं। चीन इस घटना को उकसावे के बावजूद भारत की सहमति के रूप में देख सकता है।
    • साथ ही, भारत को ताइवान और तिब्बत के साथ राजनयिक संबंध फिर से शुरू करने चाहिए जिन्हें भारत ने चीन के राजनीतिक विचारों का सम्मान करते हुए रोक दिया था।
    • इसके अलावा, विशेषज्ञों का कहना है कि भारत भी चीन को खुश करने के लिए क्वाड में शामिल होना छोड़ने वाला था।
  • बढ़ते आर्थिक और व्यापारिक संबंध भारत के लिए सहायक नहीं – कहा जाता है कि भारत और चीन के बीच बढ़ता व्यापार उनके बीच बढ़ते तनाव को दूर करने में सहायता कर सकता है। हालांकि, यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि व्यापार संतुलन चीन के पक्ष में है।
    • ताइवान में नवीनतम गतिरोध ने भारत को दिखा दिया है कि भारत तनाव के बावजूद और अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता से समझौता किए बिना व्यापार जारी रख सकता है।
    • चीन ताइवान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और उसने 2009 से 2021 तक ताइवान में 2.5 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है। इतनी बड़ी निर्भरता के बावजूद ताइवान ने चीनी आक्रामकता के समक्ष आत्मसमर्पण नहीं किया है।
    • एक बड़ी अर्थव्यवस्था और एक सैन्य शक्ति होने के नाते भारत को चीनी आक्रमण से निपटने के दौरान चीन के साथ अपने आर्थिक संबंधों के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए।

सारांश: द्वीपीय राष्ट्र के पास चीन और ताइवान के बीच नवीनतम गतिरोध भारत के लिए महत्वपूर्ण सबक है कि एक युद्धरत चीन द्वारा प्रस्तुत की गई चुनौतियों से कैसे निपटा जाए।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

शासन

नए युग के डिजिटल कॉमर्स में चुनौतियों का समाधान

विषय: ई-गवर्नेंस अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएं, सीमाएं, और क्षमता

मुख्य परीक्षा: डिजिटल कॉमर्स इकोसिस्टम में ऑनलाइन विवाद समाधान (ODR) प्रणाली को अपनाने का महत्व और लाभ

संदर्भ

इस आलेख में भारत में नए युग के डिजिटल कॉमर्स और इससे जुड़ी विभिन्न चुनौतियों के बारे में बात की गई है।

पृष्ठभूमि

  • देश में वहनीय डेटा योजनाओं के साथ-साथ स्मार्टफोन के उपयोग में वृद्धि ने भारत में एक डिजिटल क्रांति ला दी है और भारत में उपभोक्ता व्यवहार एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है।
  • इसके अतिरिक्त, कोविड-19 महामारी ने डिजिटल समावेशन को बढ़ावा दिया है, और विभिन्न सेवाओं जैसे भोजन, व्यक्तिगत देखभाल की वस्तुओं और यहां तक कि चिकित्सा परामर्श की उपलब्धता आदि ऑनलाइन उपलब्ध हैं।

भारत में डिजिटल कॉमर्स से जुड़ी चुनौतियाँ

  • भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) और आधार, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन जैसे प्रोत्साहनों के माध्यम से भारत में डिजिटल बाजार में तेजी से सुधार के बावजूद, अभी भी बड़ी मात्रा में डिजिटल निर्वात मौजूद है। छोटे उद्यमों और स्थानीय दुकानों के रूप में समाज को इससे कोई लाभ नहीं हुआ है।
  • इसके अलावा, एक ही मंच पर डिजिटल वाणिज्य लेनदेन को केंद्रीकृत करना विफलता का एकल बिंदु सृजित करना है।
  • भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने डिजिटल कॉमर्स (ONDC) के लिए ओपन नेटवर्क की स्थापना की, जिसका उद्देश्य एक खुला ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाकर सभी के लिए निष्पक्ष और समान अवसर का सृजन करना तथा छोटे व्यवसायों और उद्यमों को इस तक पहुंचने में सहायता करना है।
  • ONDC ने उपभोक्ताओं के लिए व्यापक विकल्प उपलब्ध कराने और विक्रेताओं के लिए व्यापक उपभोक्ता आधार तक पहुंच प्रदान करने के दोहरे उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता की है।
  • हालांकि, देश भर में ONDC प्लेटफॉर्म का विस्तार करने की योजना के साथ, “विवादों” के दावों में वृद्धि होने की संभावना है।

ऑनलाइन विवाद समाधान (ODR) प्रणाली के माध्यम से इन चुनौतियों का समाधान करना

  • ऑनलाइन विवाद समाधान (ODR) प्रणाली समय की आवश्यकता है क्योंकि यह एक लागत प्रभावी, समयबद्ध और उच्च गति विवाद समाधान प्रणाली प्रदान करती है।
  • ODR एक मौजूदा व्यवस्था के साथ कुशलता से कार्य करने के लिए जाना जाता है क्योंकि यह ऑनलाइन वातावरण में मध्यस्थता, सुलह और विवाचन जैसे कानूनी तंत्र के उपयोग तक ही सीमित नहीं है, लेकिन विशिष्ट मामलों से निपटने हेतु इसे बदला जा सकता है।
  • ODR में केस मैनेजमेंट सिस्टम, ईमेल, एसएमएस, व्हाट्सएप और उपयुक्त डेटा सेट जैसी संचार तकनीकों का उपयोग शामिल है।
  • इसके अलावा, इसमें तेजी से समाधान प्रदान करने के लिए ऑटोमेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी उन्नत तकनीकों को भी शामिल किया जा सकता है।
  • ODR से निम्नलिखित में सहायता मिल सकती है:
  • जटिल विवादों को सुलझाते हुए विवाद समाधान की प्रक्रिया को सरल बनाना।
  • दूरस्थ और दूर-दराज के क्षेत्रों में भी चौबीसों घंटे पहुंच प्रदान करना।
  • सुरक्षित और संरक्षित ऑनलाइन लेनदेन सुनिश्चित करने के लिए एक मंच स्थापित करना।
  • एक बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव की सुविधा प्रदान करना।
  • इसके अलावा, ODR मुकदमेबाजी के जोखिम को कम करने में सहायता करता है और न्यायालयों तथा उपभोक्ता मंचों पर बोझ को कम करता है।
  • ONDC के माध्यम से अगले पांच वर्षों में भारत के ई-कॉमर्स बाजार, 90 करोड़ खरीदारों और 12 करोड़ विक्रेताओं के नेटवर्क में सकल व्यापारिक मूल्य में 48 डॉलर बिलियन जोड़ने के लक्ष्य को प्राप्त करने में, एक विशेष ODR प्रणाली भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

ODR को अपनाने में वृद्धि

  • कई ई-कॉमर्स फर्मों ने ODR को एक कुशल विवाद समाधान तंत्र के रूप में अपनाया है जो लेनदेन को अधिकतम करने में सहायता करेगा।
  • उदाहरण: ईबे (eBay) समाधान केंद्र द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला ODR प्रत्येक वर्ष छोटे व्यापारियों के बीच किसी तीसरे पक्ष की आवश्यकता के बिना लगभग 60 मिलियन विवादों का समाधान करता है।
  • सबसे बड़े खुदरा विक्रेताओं और ई-कॉमर्स कंपनियों में से एक अलीबाबा ने भी विवादों को सुलझाने के लिए ODR को अपनाया है।
  • भारत में भी, विभिन्न सरकारी एजेंसियां, नियामक और निजी कंपनियां ODR प्रणाली को अपना रही हैं और प्रोत्साहित कर रही हैं।
  • भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने शिकायतों को दूर करने के लिए UPI इकोसिस्टम में मौजूद प्लेटफार्मों से ODR का उपयोग करने के लिए कहा है।
  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, सेबी शिकायत निवारण प्रणाली (SEBI SCORES), भारतीय रिजर्व बैंक शिकायत प्रबंधन प्रणाली (RBI CMS), महाराष्ट्र रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (MahaRERA), सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम विलंबित भुगतान निगरानी प्रणाली (MSME Samadhaan) , और सूचना का अधिकार ऑनलाइन (RTIOnline), ODR को अपनाने के उदाहरण हैं।

ऑनलाइन विवाद समाधान के बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए: Online Dispute Resolution (ODR)

सारांश: भारत के डिजिटल वाणिज्य इकोसिस्टम में ऑनलाइन विवाद समाधान (ODR) को अपनाना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह त्वरित, वहनीय और लागू करने योग्य परिणाम प्रदान करता है जो इकोसिस्टम में अंतर्निहित चुनौतियों का समाधान करने में सहायता करता है और कम अंतराल के साथ ONDC के लक्ष्यों को प्राप्त करता है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित

पर्यावरण

प्रतिबद्धताओं पर टिके रहना

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण

मुख्य परीक्षा:भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC)

संदर्भ

भारतीय मंत्रिमंडल ने ग्लासगो में COP26 में प्रधान मंत्री द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं को मंजूरी दे दी है।

विवरण:

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नवंबर 2022 में मिस्र के अल-शेख में होने वाले UNFCCC (COP 27) की पक्षकारों के 27वें सम्मेलन के साथ भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) को मंजूरी दे दी है।
  • 2015 के पेरिस समझौते ने राष्ट्रों को यह सुनिश्चित करने के उपायों की घोषणा करने के लिए अधिदेश दिया कि दुनिया 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म न हो, तथा 2100 तक इसे 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम किया जाय।
  • UNFCCC का सम्मेलन देशों को उनकी विकास प्राथमिकताओं पर कम से कम प्रभाव के साथ कटौती करने के लिए समझौता करने हेतु सहमत करता है।
  • जीवाश्म-ईंधन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में उनके योगदान के बारे में देशों को प्रत्येक पांच वर्षों में NDC जमा करने की आवश्यकता होती है।

भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC)

  • भारत ने 2015 में अपने पहले NDC में आठ लक्ष्यों की घोषणा की, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
  • 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 33% -35% (2005 के स्तर का) कम करना,
  • अपनी स्थापित विद्युत क्षमता का 40% नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से प्राप्त करना।
  • 2030 तक वन और वृक्षों के आवरण के माध्यम से 2.5-3 बिलियन टन CO2 के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक का विकास करना।
  • ग्लासगो में COP 26 में, भारतीय प्रधान मंत्री ने पांच प्रतिबद्धताओं की घोषणा की, जिन्हें “पंचामृत” कहा जाता है। उनमें शामिल हैं:
  • भारत 2030 तक अपनी गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को बढ़ाकर 500 गीगावाट कर देगा।
  • 2030 तक “नवीकरणीय ऊर्जा” के माध्यम से भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं का 50% पूरा करना।
  • 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी करना।
  • भारत की अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता में 45% से अधिक की कमी करना।
  • वर्ष 2070 तक “शुद्ध शून्य” के लक्ष्य को प्राप्त करना, जब ऊर्जा स्रोतों से कोई शुद्ध कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित नहीं होगी।

राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के बारे में और अधिक पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए Nationally Determined Contributions (NDC)

भावी कदम

  • भारत ने ऊर्जा के उपयोग को कुशलतापूर्वक विनियमित करने वाले विभिन्न कानूनों और विधानों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने की अपनी इच्छाशक्ति दिखाई है तथा कई निगम जीवाश्म ईंधन के उपयोग को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
  • आगे बढ़ते हुए, भारत को इन स्थापित आधारों का पालन करना चाहिए और उन्हें लागू करना चाहिए और ऊर्जा उपयोग, विकास और जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक उदाहरण बनना चाहिए।

सारांश: जैसा कि भारत अपने NDC को प्राप्त करने के लिए एक ढांचा स्थापित करना चाहता है, तो भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह प्राप्य लक्ष्यों का ही निर्धारण करे, क्योंकि अधिक निर्धारण से वह नैतिक अधिकार नष्ट हो जाता है जिसे भारत भविष्य की समझौता वार्ता में रखता है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. रेपो दर नीति

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

विषय: संसाधनों का जुटाव-मौद्रिक नीति।

प्रारंभिक परीक्षा: मौद्रिक नीति समिति

संदर्भ: हाल ही में, मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने सर्वसम्मति से रेपो दर को 50 आधार अंकों (bps) से बढ़ाकर 5.4% करने का निर्णय लिया।

नीतिगत दर में वृद्धि के पीछे तर्क:

  • मुद्रा-स्फीति के उच्च स्तर को देखते हुए रेपो रेट बढ़ाने का निर्णय लिया गया।
  • अनुमान के अनुसार 2022-23 की पहली 3 तिमाहियों के दौरान मुद्रास्फीति 6% के ऊपरी सह्यता स्तर से अधिक बनी रहेगी।
  • मुद्रा-स्फीति के दबावों को नियंत्रित करने, सह्यता लक्ष्य सीमा के भीतर हेडलाइन मुद्रास्फीति को वापस लाने तथा संवृद्धि की सततता के लिए सख्ती से समायोजन करना आवश्यक है।
  • आरबीआई ने मार्च 2023 में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के लिए अपनी मुद्रा-स्फीति और जीडीपी वृद्धि अनुमानों को क्रमशः 6.7% और 7.2% पर बरकरार रखा।
  • बाह्य क्षेत्र के संबंध में चिंताओं के साथ, आरबीआई ने कहा कि चालू खाता घाटा प्रबंधनीय सीमा के भीतर है।

मौद्रिक नीति पर अधिक जानने के लिए Monetary Policy

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. गैर बुने हुए प्लास्टिक कैरी बैग
  • हिमाचल प्रदेश प्रशासन ने 1 जनवरी, 2023 से गैर-बुने प्लास्टिक बैग के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है।
  • जुलाई में, हिमाचल प्रदेश गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरा (नियंत्रण) अधिनियम, 1995 के तहत, हिमाचल प्रशासन ने प्लास्टिक कैरी-बैग के उपयोग के अलावा, उनके आकार और मोटाई के अलावा, 60 ग्राम प्रति वर्ग मीटर से कम गैर-बुने प्लास्टिक कैरी बैग के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था।
  • गैर-बुना प्लास्टिक बैग: ये पॉलीप्रोपाइलीन फाइबर से बने होते हैं, जो गैर-बायोडिग्रेडेबल होते हैं। इसे स्पन एंड बांड पॉलीप्रोपाइलीन फाइबर का उपयोग करके बनाया जाता है, तथा यह नरम और हवा में पारगम्य होता है। इन्हें प्लास्टिक के रोल फैलाकर एक मशीन पर तैयार किया जाता है।
  • एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बाद गैर-बुना बैग लोकप्रिय हो गए हैं।
  • ये पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं क्योंकि उनका पुनर्चक्रण नहीं किया जा सकता है।
  1. मंकीपॉक्स वैक्सीन
  • मंकीपॉक्स पर हाल ही में भारत सरकार द्वारा गठित एक टास्क फोर्स ने स्वदेशी वैक्सीन तैयार करने हेतु आवश्यक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए अनुसंधान हेतु वित्तपोषण की योजना बनाई है।
  • टास्क फोर्स का नेतृत्व डॉ. वी.के. पॉल, सदस्य (स्वास्थ्य), नीति आयोग द्वारा किया जाएगा।
  • आदर्श दृष्टिकोण का पता लगाने में कई अंतरालों के कारण एक समर्पित वैक्सीन विकास में एक वर्ष से अधिक समय लगेगा।
  • भारत में अगस्त 2022 के पहले सप्ताह तक मंकीपॉक्स के 08 मामले सामने आए हैं।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, मंकीपॉक्स के मामले में तात्कालिक सामूहिक टीकाकरण की आवश्यकता नहीं है क्योंकि SARS-CoV-2 की तुलना में यह विषाणु संरचनात्मक रूप से अधिक स्थिर है।
  • डेनमार्क की बायोटेक कंपनी बवेरियन नॉर्डिक ने चेचक का टीका विकसित किया है, जिसे जीनीओस (JYNNEOS) कहा जाता है।
  • प्रयोगशाला में मंकीपॉक्स के विरुद्ध लोगों में प्रभावशीलता और सुरक्षा के लिए इस टीके का परीक्षण किया गया है, जिसे अमेरिका के ‘फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन’ (FDA) द्वारा अनुमोदित किया गया है।

मंकीपॉक्स पर अधिक अध्ययन हेतु इस पर क्लिक कीजिए Monkeypox

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. सांसदों को संसद सत्र शुरू होने से 40 दिन पहले, सत्र जारी रहने के दौरान और सत्र-समापन के 40 दिन बाद तक गिरफ्तारी से सुरक्षा प्राप्त है। यह विशेषाधिकार दीवानी मामलों और आपराधिक मामलों में उपलब्ध है।
  2. संविधान के अनुसार, अदालतें विशेष परिस्थितियों में किसी सदन की कार्यवाही या उसकी समितियों की जांच कर सकती हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. दोनों
  4. इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर : d

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है, यह विशेषाधिकार केवल सिविल मामलों में दिया जाता है न कि आपराधिक या निवारक निरोध की स्थितियों में।
  • कथन 2 गलत है, संसद के अंदर होने वाली किसी भी कार्यवाही की जांच करने के लिए अदालतों को अधिकार नहीं है।

संसदीय विशेषाधिकार और प्रतिरक्षा पर और पढ़ें Parliamentary Privilege and immunities

प्रश्न 2. संसद में पेश किए जाने वाले गैर-सरकारी सदस्य विधेयक के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में कौन सा/से सही है/हैं?

  1. सत्तारूढ़ दल का एक सदस्य जो मंत्री नहीं है, उसे भी गैर-सरकारी सदस्य माना जाता है।
  2. सरकारी विधेयक एवं गैर-सरकारी सदस्य विधेयकों के मामले में एक ही सामान्य प्रक्रिया होती है और ये सदन में समान चरणों से पारित होती हैं।
  3. सदन में इसे पेश करने के लिए सात दिनों के नोटिस की आवश्यकता होती है।

विकल्प:

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है, कोई भी सांसद जो मंत्री नहीं है, उसे गैर-सरकारी सदस्य कहा जाता है।
  • कथन 2 सही है, दोनों प्रकार के विधेयक दोनों सदनों में समान सामान्य प्रक्रिया और चरणों द्वारा शासित होते हैं।
  • कथन 3 गलत है, एक निजी सदस्य के विधेयक को प्रस्तुत करने के लिए एक महीने की अधिसूचना की आवश्यकता होती है जबकि एक सार्वजनिक विधेयक को 07 दिनों के नोटिस के साथ प्रस्तुत किया जा सकता है।

निजी सदस्य विधेयक पर और जानने के लिए क्लिक कीजिए Private Member Bill.

प्रश्न 3. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से गलत है/हैं?

  1. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना उन किसानों के लिए वैकल्पिक है, जिन्होंने संस्थागत ऋण नहीं लिया है, जबकि बैंकों से संस्थागत ऋण लेने वाले सभी किसानों को इस योजना के तहत अनिवार्य रूप से शामिल किया गया है।
  2. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत, किसानों को उन फसलों के लिए एक समान अधिकतम 1.5% प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है जिसकी वे किसी भी मौसम में खेती करते हैं।

विकल्प:

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. दोनों
  4. इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

कथन 1 सही है, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना फसल की विफलता की स्थिति में एक व्यापक बीमा कवर प्रदान करता है। यह उन किसानों के लिए वैकल्पिक है जिन्होंने संस्थागत ऋण नहीं लिया है और उन लोगों के लिए अनिवार्य है जिन्होंने बैंकों से संस्थागत ऋण लिया है।

कथन 2 गलत है, किसानों को सभी खरीफ फसलों के लिए 2% और सभी रबी फसलों के लिए 1.5% प्रीमियम का भुगतान करना होगा। यह वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए 5% है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बारे में और पढ़ें Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana

प्रश्न 4. हाल ही में चर्चा में रहा मिशन रफ्तार निम्नलिखित में से क्या है?

  1. रेल के माध्यम से होने वाली नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ अभियान।
  2. अपने शिशुओं के साथ यात्रा करने वाली माताओं की कठिनाइयों को कम करने के लिए भारतीय रेलवे द्वारा शुरू किया गया एक अभियान।
  3. मालगाड़ियों की औसत गति को दोगुना करने तथा सुपरफास्ट, मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की औसत गति को 25 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रेल मंत्रालय की एक पहल।
  4. रेलवे में बिजनेस री-इंजीनियरिंग और इनोवेशन की भावना को पेश करने के उद्देश्य से एक ढाँचा (सेट अप)।

उत्तर: c

व्याख्या:

  • भारतीय रेलवे में ट्रेनों की गति बढ़ाने के उद्देश्य से 2016-17 के रेल बजट में ‘मिशन रफ्तार’ की घोषणा की गई थी।
  • मिशन में मालगाड़ियों की औसत गति को दोगुना करने और अगले 5 वर्षों में सभी गैर-उपनगरीय यात्री ट्रेनों की औसत गति को 25 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाने के लक्ष्य की परिकल्पना की गई है।

प्रश्न 5. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए:

राजा – राजवंश

1. नान्नुक – चंदेल

2. जयशक्ति– परमार

3. नागभट्ट द्वितीय – गुर्जर-प्रतिहार

4. भोज– राष्ट्रकूट

उपर्युक्त युग्मों में से कितने सुमेलित हैं?

(a) केवल एक युग्म

(b) केवल दो युग्म

(c) केवल तीन युग्म

(d) सभी चारों युग्म

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है,नान्नुक भारत के चंदेल वंश के संस्थापक थे। उन्होंने जेजाकभुक्ति क्षेत्र, अर्थात वर्तमान मध्य प्रदेश पर शासन किया।
  • कथन 2 गलत है, जयशक्ति मध्य भारत के चंदेल वंश के 9वीं शताब्दी के शासक थे।
  • परमार राजवंश एक भारतीय राजवंश था जिसने 9वीं और 14वीं शताब्दी के बीच पश्चिम-मध्य भारत में मालवा और आसपास के क्षेत्रों पर शासन किया था। वह राजपूतों के परमार राजवंश से संबंधित था।
  • कथन 3 सही है, नागभट्ट द्वितीय गुर्जर-प्रतिहार वंश के एक भारतीय सम्राट थे।
  • कन्नौज की विजय के बाद उन्हें शाही उपाधियों – परम भट्टारक, महाराजाधिराज और परमेश्वर के साथ निर्दिष्ट किया गया था।
  • इसका उल्लेख ग्वालियर अभिलेख में मिलता है।
  • कथन 04 गलत है, मिहिर भोज या भोज प्रथम 9वीं शताब्दी में गुर्जर प्रतिहार राजवंश से संबंधित एक राजा था। उन्होंने आदिवराह की उपाधि धारण की क्योंकि वह भगवान विष्णु के भक्त थे।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क में भारत में स्थानीय ऑफलाइन स्टोर और बड़े व्यवसायों के बीच निष्पक्ष और समान अवसर का सृजन करने की क्षमता है। क्या आप सहमत हैं?विस्तारपूर्वक बताएँ। (250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन 3-आर्थिक विकास)

प्रश्न 2. ताइवान के साथ भारत के संबंध, ताइवान एवं चीन के संबंधों द्वारा निर्धारित नहीं होने चाहिए। चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) सामान्य अध्ययन 2-अंतर्राष्ट्रीय संबंध)