08 मई 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: भूगोल:
B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
सुरक्षा:
भारतीय समाज:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
भारत की पहली राष्ट्रीय जल-निकाय गणना:
भूगोल:
विषय: महत्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताएं – जल संसाधन और जल निकाय।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत की पहली राष्ट्रीय जल-निकाय गणना से संबंधित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: राष्ट्रीय जल-निकाय गणना के प्रमुख निष्कर्ष, इसका महत्व, कमियां और भावी कदम।
प्रसंग:
- हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय ने पहली बार जल निकाय गणना के निष्कर्षों को प्रकाशित किया है।
राष्ट्रीय जल-निकाय गणना आयोजित करने की आवश्यकता:
- वर्तमान में भारत जल संकट का सामना कर रहा है जिसमें भूजल तेजी से घट रहा है, जैव विविधता का नुकसान हो रहा है, और जलवायु परिवर्तन से प्रेरित बाढ़ और सूखे की आवृत्ति में वृद्धि हो रही है।
- जल निकाय ऐसी प्रतिकूलताओं के प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, एवं यह जलवायु परिवर्तनशीलता के खिलाफ मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं, साथ ही जल निकाय देश भर में पानी, भोजन और आजीविका के प्रमुख स्रोत हैं।
- भारत में इन जल निकायों का सांस्कृतिक और पारिस्थितिक महत्व भी है।
- हालांकि, प्रदूषण, अतिक्रमण, शहरीकरण और सूखापन भारत में जल निकायों के ह्रास के लिए एक बड़ा जोखिम पैदा करते हैं।
- अतः जल निकायों को प्रभावी ढंग से संरक्षित और प्रबंधित करने की आवश्यकता है। चूंकि भारत में जल निकायों का प्रबंधन केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न एजेंसियों द्वारा किया जाता है, इसलिए डेटा (आंकड़ों) को एक समान और आसानी से सुलभ बनाने की आवश्यकता थी।
- इसके अलावा भारत जल संसाधन सूचना प्रणाली (Water Resources Information System (WRIS)) पर जलाशयों और नदियों पर तो डेटा उपलब्ध था लेकिन छोटे जल निकायों पर कोई डेटा उपलब्ध नहीं था जो भारतीय गांवों की जीवन रेखा हैं।
भारत की पहली राष्ट्रीय जल निकाय गणना:
- गणना रिपोर्ट जल निकायों को “सभी प्राकृतिक या मानव निर्मित इकाइयाँ जो कुछ चिनाई के या बिना चिनाई के चारों तरफ से आबद्ध हैं जिनका उपयोग सिंचाई या अन्य उद्देश्यों (उदाहरण के लिए औद्योगिक, मत्स्यपालन, घरेलू/पेय, मनोरंजन, धार्मिक, भूजल पुनर्भरण आदि) के लिए पानी के भंडारण हेतु किया जाता है” के रूप में परिभाषित करती है।
- गणना कार्यक्रम जल निकायों को पाँच श्रेणियों में वर्गीकृत करता है – तालाब, टैंक, झील, जलाशय और जल संरक्षण योजनाएँ।
- गणना कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जल निकायों के आकार, उद्देश्य, स्वामित्व, दर्जे और स्थितियों पर व्यापक डेटा के साथ एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करना था।
- कार्यक्रम में डेटा प्रविष्टि के लिए सॉफ्टवेयर और जल निकायों की अवस्थिति और दृश्य को कैप्चर करने के लिए एक मोबाइल ऐप का उपयोग किया गया।
- गणना ने मौजूदा उपग्रह-व्युत्पन्न डेटासेट का भी उपयोग किया जो व्यक्तियों को प्रत्येक जल निकाय पर ऐतिहासिक समय श्रृंखला डेटा डाउनलोड करने की सुविधा प्रदान करता है।
- जल निकाय गणना कार्यक्रम ने इस सुविधा को स्वामित्व, उपयोग और स्थिति जैसी सामाजिक विशेषताओं तक विस्तारित किया।
गणना कार्यक्रम के मुख्य निष्कर्ष:
चित्र स्रोत: Indian Express
- देश के अधिकांश जल निकाय छोटे हैं: देश में अधिकांश जल निकाय एक हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल के हैं और ऐसे जल निकायों का प्रबंधन एक महत्वपूर्ण चुनौती है।
- भारत में जल निकाय वर्षा के आधार पर अद्वितीय क्षेत्रीय पैटर्न दिखाते हैं: जल निकाय आमतौर पर बड़े और सार्वजनिक स्वामित्व वाले होते हैं तथा मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे सूखे राज्यों में सिंचाई और भूजल पुनर्भरण के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- जबकि भारत के आर्द्र हिस्सों जैसे केरल, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में, 75% से अधिक जल निकाय निजी स्वामित्व वाले हैं और इनका उपयोग घरेलू जरूरतों और मत्स्यपालन के उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
- देश में मध्यम आकार के जल निकायों का स्वामित्व पंचायतों के पास है।
- कई जल निकायों को पुनर्जीवित नहीं किया गया है: कई जल निकायों को “उपयोग में नहीं” के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जो उन जल निकायों को संदर्भित करता है जिनका हाल ही में कायाकल्प की आवश्यकता के बावजूद मरम्मत या जीर्णोद्धार नहीं किया गया है।
- रैंकिंग:
- पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना को देश में सबसे अधिक (3.55 लाख) जल निकायों वाले जिले के रूप में स्थान दिया गया है, जिसके बाद आंध्र प्रदेश के अनंतपुर (50,537) और पश्चिम बंगाल के हावड़ा (37,301) का स्थान है।
- तालाबों और जलाशयों की सर्वाधिक संख्या – पश्चिम बंगाल
- टैंकों की सर्वाधिक संख्या – आंध्र प्रदेश
- सर्वाधिक झीलें – तमिलनाडु
- जल संरक्षण योजनाओं में अग्रणी राज्य – महाराष्ट्र
भारत की पहली जल निकाय गणना से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: India’s First Water Body Census
भावी कदम:
- गणना कार्यक्रम मुख्य रूप से मानव उपयोग पर केंद्रित था और जल निकायों के पारिस्थितिक कार्यप्रणाली के विश्लेषण में अंतराल हैं। इस मुद्दे को हल करने के लिए आने वाले वर्षों में प्रयास किए जाने हैं क्योंकि जल निकाय जैव विविधता के समर्थन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- विशेषज्ञों ने गणना कार्यक्रम में जल निकायों के वर्गीकरण के संबंध में विसंगतियों को भी चिन्हित किया है जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
- राज्यों में जल निकायों के मानकीकरण के संबंध में चुनौतियों का समाधान किया जाना चाहिए।
- विभिन्न कमियों के बावजूद, सरकार को संशोधनों के साथ इस महत्वपूर्ण संसाधन की ऐसी राष्ट्रव्यापी गणना जारी रखनी चाहिए क्योंकि वे पूरे देश में रुझानों और राज्य संसाधनों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती हैं।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
चीन की वैश्विक छवि:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव
मुख्य परीक्षा: मध्य एशिया में चीन का बढ़ता प्रभाव और भारत के लिए इसके निहितार्थ
प्रसंग:
- अफगानिस्तान में अपनी नीति पर चीन का स्थिति पत्र (Position Paper)।
भूमिका:
- अप्रैल 2023 में, अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के विदेश मंत्रियों ने समरकंद, उज्बेकिस्तान में मुलाकात की, जिसमें चीन के विदेश मंत्री भी शामिल थे, जिन्होंने “अफगान मुद्दे पर चीन की स्थिति” शीर्षक से 11-सूत्रीय नीति पत्र जारी किया।
- यह पत्र अफगानिस्तान के प्रति चीन की नीति और तालिबान के साथ बातचीत में इसकी प्राथमिकताओं को रेखांकित करता है।
- यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों को निष्पक्ष रूप से संबोधित करने वाले एक जिम्मेदार मध्यस्थ के रूप में अपनी छवि को फिर से आकार देने के चीन के हालिया प्रयासों को भी दर्शाता है।
चीन की नीति विकल्प:
- नीति पत्र में, चीन अफगानिस्तान की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता तथा अफगान लोगों की पसंद के प्रति अपने सम्मान को चित्रित करता है। इसमें पश्चिम की राजनीतिक नीतियों की आलोचना करता है, और दावा किया गया है कि यह नीतियाँ प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रही और अफगानिस्तान की अनूठी विशेषताओं पर विचार किए बिना उस पर लोकतंत्र थोपा गया है।
- चीन उन क्षेत्रीय समूहों का उपयोग करने की वकालत करता है जो अफगान मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अमेरिका और उसके सहयोगियों को बाहर रखते हैं, जैसे कि शंघाई सहयोग संगठन, मास्को प्रारूप संवाद, विदेश मंत्रियों का समूह और चीन-अफगानिस्तान-पाकिस्तान विदेश मंत्रियों का त्रिपक्षीय संवाद।
- चीन एक वैकल्पिक मॉडल को बढ़ावा देना चाहता है और अफगानिस्तान के पड़ोसियों के बीच आम सहमति बनाना चाहता है।
- चीन इस क्षेत्र में अपने स्वयं के हितों को स्पष्ट रूप से स्वीकार करने से परहेज करते हुए, मानवीय चिंताओं, अच्छे पड़ोसी संबंधों और पड़ोसी देशों के लिए आपसी सम्मान से प्रेरित होने के कारण अफगानिस्तान में अपनी संबद्धता की रूपरेखा तैयार करता है।
- चीन आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद का मुकाबला करने के लिए एक बहुपक्षीय दृष्टिकोण का आह्वान करता है। चीन तालिबान, क्षेत्रीय देशों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आग्रह करता है कि वे आतंकवादी समूहों, विशेष रूप से पूर्वी तुर्केस्तान इस्लामी आंदोलन पर नकेल कसें और अफगानिस्तान की आतंकवाद विरोधी क्षमताओं को बढ़ावा दें।
- शरणार्थियों और नशीले पदार्थों और उनकी सीमा पार तस्करी के सवाल पर भी प्रकाश डाला गया है।
ईस्ट तुर्केस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM):
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इस नीति पत्र का महत्व:
- अफगानिस्तान की सीमा चीन के झिंजियांग क्षेत्र से लगती है, जो उइगुर मुसलमानों की एक महत्वपूर्ण आबादी वाला क्षेत्र है। इस प्रकार अफगानिस्तान की स्थिरता और सुरक्षा चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को सीधे प्रभावित करती है।
- अफगानिस्तान प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, जिसमें लिथियम, तांबा और दुर्लभ पृथ्वी तत्व जैसे खनिज शामिल हैं, जो चीन के उच्च प्रोद्यौगिकी उद्योगों के लिए आवश्यक हैं। चीन इन संसाधनों को विकसित करने का इच्छुक है और उसने अफगानिस्तान में कई खनन परियोजनाओं में निवेश किया है।
- अफगानिस्तान चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के चौराहे पर स्थित है।
- चीन इस क्षेत्र में अपने राजनयिक प्रभाव का विस्तार करने का प्रयास कर रहा है और अफगानिस्तान को दक्षिण एशिया में एक प्रमुख भागीदार के रूप में देखता है।
- चीन देश में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने और क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए तालिबान और अन्य अफगान गुटों के साथ बातचीत कर रहा है।
चीन की छवि बदलने की कोशिश:
- चीन विभिन्न देशों के बीच संघर्षों को सुलझाने और संवाद को बढ़ावा देने के लिए खुद को एक जिम्मेदार मध्यस्थ के रूप में पेश करने के लिए कूटनीतिक प्रयास कर रहा है।
- यह वैश्विक शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों और बैठकों की मेजबानी करता और उनमें भाग लेता रहा है।
- चीन ने बातचीत के लिए ईरान और सऊदी अरब को साथ लाने की अपनी उपलब्धियों और यूरोपीय नेताओं के चीनी दौरों को अपने बढ़ते प्रभाव के प्रमाण के रूप में रेखांकित किया है।
- इसने वैश्विक सुरक्षा पहल अवधारणा पत्र और यूक्रेन के लिए शांति प्रस्ताव भी प्रकाशित किया।
भारत के लिए निहितार्थ:
- रूस और ईरान के साथ-साथ मध्य एशियाई देशों के साथ चीन के निरंतर जुड़ाव को अपने प्रभाव को बढ़ाने और अपनी ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित करने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जाता है।
- चीन-रूस-ईरान त्रिपक्षीय साझेदारी के मजबूत होने का भारत के सामरिक हितों पर प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि यह इस क्षेत्र में भारत के प्रभाव को सीमित कर सकता है।
- चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) ने मध्य एशियाई देशों के साथ इसके जुड़ाव को बढ़ाया है, जिसे भारत अपने विस्तारित पड़ोस के हिस्से के रूप में देखता है।
- भारत ने इस क्षेत्र में बढ़ती चीनी उपस्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की है, क्योंकि इससे चीन और उसके सहयोगियों द्वारा भारत को संभावित रूप से घेरा जा सकता है।
- ईरान के साथ चीन के गहरे होते संबंध भी भारत के लिए चिंता का कारण रहे हैं, क्योंकि यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है और इस क्षेत्र में रणनीतिक बदलाव ला सकता है।
- हालाँकि, भारत को इस क्षेत्र में अपने स्वयं के रणनीतिक लक्ष्यों का पीछा करना जारी रखना चाहिए, जैसे कि स्थिरता को बढ़ावा देना, आतंकवाद का मुकाबला करना और आर्थिक अवसरों का विस्तार करना, साथ ही भारत को चीन की बढ़ती उपस्थिति और भारत के हितों पर इसके संभावित प्रभाव के प्रति सचेत रहना चाहिए।
सारांश:
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आईईडी का पता लगाने के लिए प्रौद्योगिकी को उन्नत करना:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
सुरक्षा:
विषय: आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका।
मुख्य परीक्षा: भारत में वामपंथी उग्रवाद (LWE) से जुड़ी चुनौतियाँ।
प्रसंग:
- छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में माओवादी हमला।
भूमिका:
- 26 अप्रैल, 2023 को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) के कारण हुए विस्फोट में दस जवान और एक नागरिक चालक की मौत हो गई थी।
- राज्य पुलिस का मानना है कि विस्फोट भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) द्वारा किया गया था।
- 1980 के दशक के बाद से माओवादियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले दो सबसे शक्तिशाली उपकरण घात लगाना और आईईडी लगाना है।
- चूंकि दीर्घ सशस्त्र संघर्ष की प्रकृति गुरिल्ला युद्ध है और भू-भाग माओवादियों के अनुकूल है, इसलिए माओवादियों की एक छोटी सी संख्या भी सुरक्षा बलों को काफी नुकसान पहुंचा सकती है।
इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED):
- IED घरेलू या गैर-मानक विस्फोटक उपकरण होते हैं जो आमतौर पर उपलब्ध सामग्री जैसे उर्वरक, प्रोपेन टैंक और सेल फोन से बने होते हैं।
- IED कई प्रकार के होते हैं जैसे सड़क के किनारे लगे बम, आत्मघाती बम, वाहन जनित IED (Improvised Explosive Device (IED) ) और कमांड-डेटोनेटेड IED।
- सड़क के किनारे बम लगाना सबसे आम प्रकार के IED हैं और इन्हें आम तौर पर सड़क से गुजरने वाले वाहनों को लक्षित करने के लिए सड़क पर या उसके पास लगाया जाता है।
- IED सस्ते, बनाने में आसान होते हैं और इन्हें सामान्य वस्तुओं में छुपाया जा सकता है। वे अत्यधिक अनुकूलनीय भी हैं, जो इन्हें विद्रोहियों और आतंकवादियों के लिए एक पसंदीदा हथियार बनाते हैं। IED में हमलावर के लिए न्यूनतम जोखिम के साथ महत्वपूर्ण क्षति और हताहत करने की क्षमता होती है।
- अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत IED का इस्तेमाल प्रतिबंधित है। कुछ पारंपरिक हथियारों पर अभिसमय (CCW) सशस्त्र संघर्षों में IED के उपयोग पर रोक लगाता है, और अंतर्राष्ट्रीय खदान कार्रवाई मानक (IMAS) IED सहित युद्ध के विस्फोटक अवशेषों के सुरक्षित निपटान के लिए दिशानिर्देश प्रदान करते हैं।
IED का पता लगाना:
- IED का पता लगाने के लिए भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा कई इलेक्ट्रॉनिक प्रतिउपायों का उपयोग किया जाता है। इनमें इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग, सिग्नल इंटरसेप्शन और भूमिगत धातु की वस्तुओं का पता लगाने के लिए ग्राउंड-पेनिट्रेटिंग रडार का उपयोग शामिल है।
- भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा IED का पता लगाने के लिए खोजी कुत्तों का उपयोग एक सामान्य तरीका है। प्रशिक्षित कुत्ते विस्फोटक सामग्री की उपस्थिति का पता लगा सकते हैं जो नज़रों से छिपी हो सकती है या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से पता लगाने योग्य नहीं होती।
- IED का पता लगाने के लिए भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा थर्मल इमेजिंग कैमरे और एक्स-रे निरीक्षण तकनीकों का भी उपयोग किया जाता है।
- IED का पता लगाने के लिए भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा मानव रहित हवाई वाहन (UAV) जैसी रिमोट सेंसिंग तकनीक का तेजी से उपयोग किया जा रहा है। UAV सेंसर से लैस हो सकते हैं जो इलाके, वनस्पति और अन्य संकेतकों में परिवर्तन का पता लगा सकते हैं जिससे UAV की उपस्थिति के बारे में संकेत मिल सकते हैं।
इन विधियों के साथ समस्याएँ:
- इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) का पता लगाना और डिस्पोजल करना जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य है जिसके लिए विशेष प्रशिक्षण और उपकरणों की आवश्यकता होती है।
- सुरक्षा बलों द्वारा उपयोग किए जाने वाले तकनीकी उपकरणों की सीमाओं में से एक कम धातु सामग्री वाले IED का पता लगाना है।
- आमतौर पर, मेटल डिटेक्टरों का उपयोग IED के भीतर धातु के घटकों का पता लगाने के लिए किया जाता है। हालांकि, कुछ IED को कम धातु सामग्री या गैर-धातु सामग्री के साथ डिज़ाइन किया गया है, जिससे उन्हें मेटल डिटेक्टरों से पहचानना मुश्किल हो जाता है।
- तकनीकी उपकरणों की एक और बाधा उन IED का पता लगाने की क्षमता है जो सड़क के नीचे गहराई में दबे हुए हैं या संरचनाओं के भीतर छिपे हुए हैं।
- इसके अलावा, अत्याधुनिक उपकरणों के उपयोग और विशेष प्रशिक्षण के बावजूद, तकनीकी कारणों से सुरक्षा बलों से हमेशा कुछ IED छूट सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि IED को अत्यधिक गुप्त बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया जा सकता है, और हमलावर IED को छुपाने के लिए कई तरह की तकनीकों का उपयोग कर सकते हैं, जिससे इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
भावी कदम:
- IED का पता लगाने के लिए उपयोग किए जाने वाले तकनीकी उपकरणों में सुधार के लिए अनुसंधान और विकास में निरंतर निवेश महत्वपूर्ण है। सरकार नए सेंसर और पहचान तकनीकों को विकसित करने के लिए अनुसंधान को वित्तपोषित कर सकती है जो कम धातु सामग्री वाले या सड़क के नीचे छिपे IED का पता लगा सकते हैं।
- क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं कि सुरक्षा बलों के पास IED का प्रभावी ढंग से पता लगाने और उनके डिस्पोजल के लिए आवश्यक कौशल और विशेषज्ञता हो। प्रशिक्षण आतंकवादी समूहों द्वारा उपयोग की जाने वाली नवीनतम तकनीकों, प्रौद्योगिकी और रणनीति पर आधारित होना चाहिए।
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खुफिया एजेंसियों के बीच एक समन्वित प्रयास से संभावित खतरों की पहचान करने और हमलों को रोकने में मदद मिल सकती है।
- डेटोनेटर वाले बक्सों पर छपी जानकारी डेटोनेटर के स्रोत को ट्रैक करने और अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए अपर्याप्त होती है। इसलिए, केंद्र सरकार को नियमों में संशोधन करना चाहिए और डेटोनेटरों को विशिष्ट पहचान प्रदान करने के लिए निर्माताओं को जिम्मेदार ठहराना चाहिए।
- भारत को माओवादियों द्वारा IED का उपयोग करने के मुद्दे को उचित अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाना चाहिए ताकि माओवादियों को अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करने और IED उपकरणों के उपयोग को छोड़ने के लिए मजबूर किया जा सके।
सारांश:
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वामपंथी उग्रवाद के बारे में और पढ़ें: Left Wing Extremism
झूठी कहानियों और दुष्प्रचारों का मुकाबला करना:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
भारतीय समाज:
विषय: भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं-विविधता से उत्पन्न चुनौतियाँ।
मुख्य परीक्षा: झूठी कहानियों और दुष्प्रचारों को बढ़ावा देने के लिए फिल्मों का उपयोग करने से जुड़े विभिन्न मुद्दे।
प्रसंग:
- फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ पर रोक लगाने की मांग।
भूमिका:
- सर्वोच्च न्यायालय तथा केरल और मद्रास उच्च न्यायालयों ने फिल्म “द केरला स्टोरी” पर प्रतिबंध लगाने की याचिका खारिज कर दी है।
- अब यह कानूनी रूप से तय हो गया है कि एक बार किसी फिल्म को वैधानिक प्राधिकरण द्वारा प्रमाणित कर दिए जाने के बाद, वास्तव में उस पर प्रतिबंध लगाने का कोई मामला नहीं बनता है।
- प्रतिबंध की मांग करने वालों ने इसके निर्माताओं पर सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश करने और मुसलमानों के खिलाफ एक झूठी कहानी पेश करने का आरोप लगाया है।
- एक टीज़र के कारण फिल्म की ओर नकारात्मक रूप से ध्यान आकर्षित हुआ जिसमें एक सनसनीखेज दावा किया गया है कि केरल में 32,000 लड़कियां संभवतः एक आतंकवादी समूह में शामिल होने के लिए लापता हो गईं हैं।
- फिल्म निर्माता टीज़र को वापस लेने और एक डिस्क्लेमर जारी करने के लिए सहमत हो गए हैं कि फिल्म का कंटेंट काल्पनिक है।
- हालांकि, विरोध के ख़तरे के कारण कुछ सिनेमा मालिकों ने फिल्म प्रदर्शित नहीं करने का निर्णय लिया है।
झूठी कहानी और दुष्प्रचार:
- भारतीय फिल्मों में झूठी कहानियाँ और दुष्प्रचार लंबे समय से एक मुद्दा रहा है। ऐतिहासिक रूप से, फिल्मों का उपयोग राष्ट्रीय पहचान की भावना पैदा करने और सामाजिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए किया जाता रहा है।
- हाल के वर्षों में, भारत में झूठी कहानियों को फ़ैलाने और दुष्प्रचार के लिए फिल्मों के उपयोग के बारे में चिंता बढ़ रही है।
- फिल्में भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग हैं, और लोगों की धारणाओं और विश्वासों पर उनका महत्वपूर्ण प्रभाव है।
- जनता की राय को आकार देने के लिए फिल्मों की शक्ति की सरकारों और राजनीतिक दलों द्वारा पहचान की गई है, और उनका उपयोग अपने स्वयं के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किया गया है।
- हालाँकि, झूठी कहानियों को फ़ैलाने और दुष्प्रचार के लिए फिल्मों का उपयोग एक खतरनाक प्रवृत्ति है जिसका समाधान करने की आवश्यकता है।
- रूढ़िवादिता और चयनात्मक तथ्यों का उपयोग कुछ सबसे सामान्य तरीके हैं जिनके आधार पर झूठी कहानियों का प्रसार और दुष्प्रचार किया जाता है।
समाज पर प्रभाव:
- झूठी कहानियों और दुष्प्रचार का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
- यह समुदायों के ध्रुवीकरण तथा धर्म, जाति और जातीयता के आधार पर समाज का विभाजन कर सकता है। इससे हिंसा हो सकती है, जैसा कि हमने भारत में कई उदाहरणों में देखा है।
- झूठी कहानियाँ और दुष्प्रचार लोगों की वास्तविकता की धारणाओं को भी प्रभावित कर सकते हैं। यह एक ऐसा वातावरण बना सकता है जिसमें लोग उन चीजों पर विश्वास करना शुरू कर देते हैं जो सत्य नहीं हैं, और इससे तर्कहीन व्यवहार का निर्माण हो सकता है।
- उदाहरण के लिए, यदि कोई फिल्म किसी विशेष समुदाय को किसी शहर में सभी अपराधों के लिए जिम्मेदार के रूप में चित्रित करती है, तो लोग यह मानने लग सकते हैं कि उस समुदाय के सभी सदस्य अपराधी हैं। इससे उस समुदाय का बहिष्करण हो सकता है और उनके लिए शत्रुतापूर्ण वातावरण का निर्माण हो सकता है।
भारतीय फिल्मों में झूठी कहानियों और दुष्प्रचार से निपटना:
- यहां तक कि अगर किसी फिल्म में आपत्तिजनक कंटेंट है, तो उस पर प्रतिबंध लगाना एक उत्पादक दृष्टिकोण नहीं होगा। न्यायालय के फैसले प्रतिबंधों को पलट सकते हैं, और इस तरह की कार्रवाइयाँ अक्सर फिल्म के बारे में जिज्ञासा पैदा करती हैं, जिससे अधिक लोग इसके कंटेंट के बारे में राय बनाने लगते हैं।
- जबकि सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित कानून पुलिस और स्थानीय अधिकारियों को फिल्म के प्रदर्शन को रोकने का अधिकार प्रदान करते हैं, हर बार जब कोई समूह प्रतिबंध लगाने के लिए कहता है तो इस शक्ति का उपयोग करना खतरनाक होगा।
- ऐसी फिल्मों पर प्रतिबंध लगाना जो कुछ लोगों को लगता है कि झूठी कहानियों को बढ़ावा दे रही हैं, अभिव्यक्ति और विभिन्न दृष्टिकोणों को व्यक्त करने की स्वतंत्रता को दबा सकता है।
- झूठी कहानियों को बढ़ावा देने वाली शिकायतों के आधार पर फिल्मों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय व्यक्तिपरक है और यह राजनीतिक या वैचारिक एजेंडे से प्रभावित हो सकता है। इससे ऐसी फिल्मों की चयनात्मक सेंसरशिप हो सकती है जो सत्ता में बैठे लोगों की प्रमुख विचारधाराओं और दृष्टिकोणों को चुनौती देती हैं।
- इससे संबंधित चिंताओं से निपटने का एक अधिक प्रभावी तरीका आम जनता के बीच आलोचनात्मक सोच और मीडिया साक्षरता को प्रोत्साहित करना होगा। यह लोगों को तथ्य और कल्पना के बीच अंतर करने और फिल्मों के साथ अधिक सूचित और सूक्ष्म तरीके से जुड़ने में मदद कर सकता है।
- भारत में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) को मजबूत किया जा सकता है और यह सुनिश्चित करने के लिए और अधिक पारदर्शी बनाया जा सकता है कि फिल्मों को वस्तुनिष्ठ मानकों और मानदंडों के आधार पर प्रमाणित किया जाए।
- अंतत: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जिम्मेदार फिल्म निर्माण के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है। जबकि झूठी कहानियों को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए, फिल्मों पर सीधे प्रतिबंध लगाना समाधान नहीं है। इसके बजाय, इस मुद्दे से निपटने के लिए एक अधिक सूक्ष्म और बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. स्टार्ट (START) कार्यक्रम:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय:अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता।
प्रारंभिक परीक्षा: START कार्यक्रम से संबंधित तथ्यात्मक जानकारी।
प्रसंग:
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation (ISRO)) ने अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी जागरूकता प्रशिक्षण (space science and technology awareness training (START)) नामक एक नए प्रशिक्षण कार्यक्रम की घोषणा की है।
स्टार्ट प्रोग्राम:
- अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी जागरूकता प्रशिक्षण (START) इसरो द्वारा शुरू किया गया एक प्रारंभिक स्तर का ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम है।
- इस कार्यक्रम को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसमें खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी, ऊपरी वायुमंडल का अध्ययन (एरोनॉमी), सूर्यभौतिकी (हेलियोफिजिक्स), सूर्य-पृथ्वी परस्पर क्रिया और यंत्रण को शामिल किया गया है।
- इस कार्यक्रम में भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान अन्वेषण कार्यक्रम और अंतरिक्ष विज्ञान में अनुसंधान के अवसरों से संबंधित विषयों को शामिल करने की भी उम्मीद है।
- यह कार्यक्रम भौतिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के स्नातकोत्तर और अंतिम वर्ष के स्नातक छात्रों को ज्ञान प्रदान करने के उद्देश्य से बनाया गया है और इसमें प्रशिक्षण भारतीय शिक्षा जगत और इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा प्रदान किया जाएगा।
- कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में छात्रों के लिए प्रारंभिक स्तर का प्रशिक्षण प्रदान करना है और उन्हें क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं, शोध के अवसरों और करियर विकल्पों के बारे में शिक्षित करना है।
- START कार्यक्रम भारतीय छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में पेशेवर बनने में सक्षम बनाने के इसरो के प्रयासों के अनुरूप है। क्योंकि संगठन के अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम नए क्षेत्र में विस्तार करना जारी रखे हुए हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- कर्नाटक चुनाव: चुनाव आयोग ने विज्ञापनों पर एडवाइजरी जारी की:
- 10 मई, 2023 को कर्नाटक में राज्य विधानसभा चुनाव से पहले, चुनाव आयोग ( Election Commission (EC) ) ने राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे चुनाव के दिन और एक दिन पहले बिना किसी पूर्व प्रमाणीकरण के प्रिंट मीडिया में कोई भी विज्ञापन प्रकाशित न करें।
- चुनाव आयोग ने कहा है कि मौन अवधि (silence period) के दौरान विज्ञापनों को मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति (MCMC) द्वारा पूर्व-प्रमाणित करना होगा।
- मौन अवधि आमतौर पर मतदान के दिन से 48 घंटे पहले शुरू होती है और मतदान समाप्त होने के बाद समाप्त होती है, जिसके दौरान उम्मीदवारों या राजनीतिक दलों द्वारा सक्रिय प्रचार पर प्रतिबंध होता है।
- इसके आलावा चुनाव आयोग ने राज्य के समाचार पत्रों के संपादकों को सूचित किया है कि भारतीय प्रेस परिषद् (Press Council of India’s (PCI)) के पत्रकारिता आचरण के मानदंड उन्हें अपने समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापनों सहित सभी मामलों के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं।
- 2 मई 2023 को, चुनाव निकाय ने कर्नाटक विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार अभियान के स्तर में “गिरावट” को गंभीरता से लिया और राजनीतिक दलों से संयम बरतने और “मुद्दे” आधारित बहस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा था।
- अरब लीग ने 11 साल की अनुपस्थिति के बाद सीरिया को फिर से लीग में शामिल किया:
- अरब लीग (Arab League) ने एक दशक से अधिक लंबे निलंबन और अलगाव को समाप्त करते हुए सीरियाई सरकार को अरब लीग में एक बार फिर से शामिल कर लिया है।
- नवंबर 2011 में अरब लीग ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों पर कार्रवाई करने के लिए सीरिया को निलंबित कर दिया था, जिसने एक नागरिक संघर्ष का रूप ले लिया था, जिसके कारण 5,00,000 से अधिक लोग मारे गए थे।
- अरब लीग मध्य पूर्व में अरब राज्यों का एक क्षेत्रीय संगठन है।
- इसका गठन वर्ष 1945 में काहिरा में छह सदस्यों अर्थात् मिस्र, इराक, ट्रांसजॉर्डन (1949 में इसका नाम बदलकर जॉर्डन कर दिया गया), लेबनान, सऊदी अरब और सीरिया द्वारा किया गया था।
- अरब लीग में वर्तमान में 22 सदस्य देश शामिल हैं।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी जागरूकता प्रशिक्षण (START) कार्यक्रम के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)
- यह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर बुनियादी ज्ञान प्रदान करने के लिए स्कूली बच्चों हेतु इसरो द्वारा आयोजित एक प्रायोजित कार्यक्रम है।
- यह कार्यक्रम अंतरिक्ष विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों को कवर करेगा, जिसमें खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी, सूर्यभौतिकी (हेलियोफिजिक्स) तथा सूर्य-पृथ्वी परस्पर क्रिया, यंत्रण और ऊपरी वायुमंडल का अध्ययन (एरोनॉमी) शामिल हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) दोनों
(d) कोई नहीं
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी जागरूकता प्रशिक्षण (START) इसरो द्वारा शुरू किया गया एक प्रारंभिक स्तर का ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम है।
- कार्यक्रम में भौतिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के स्नातकोत्तर और अंतिम वर्ष के स्नातक छात्रों को लक्षित किया गया है और इसमें प्रशिक्षण भारतीय शिक्षा जगत और इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा प्रदान किया जाएगा।
- कथन 2 सही है: START कार्यक्रम को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह अंतरिक्ष विज्ञान के विभिन्न पहलुओं को शामिल करता है, जैसे कि खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी, ऊपरी वायुमंडल का अध्ययन (एरोनॉमी), सूर्यभौतिकी (हेलियोफिजिक्स), सूर्य-पृथ्वी परस्पर क्रिया और यंत्रण।
प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन-से कानून ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश से संबंधित है? (स्तर – कठिन)
- सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA)
- आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC)
- भारतीय दंड संहिता (IPC)
- कारागार अधिनियम
- अपराधियों की परिवीक्षा अधिनियम
विकल्प:
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5
उत्तर: a
व्याख्या:
- “देखते ही गोली मारने” के आदेश निम्नलिखित के तहत पारित किए जा सकते हैं:
- दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1973 की धारा 41-60 और धारा 149-152,
- सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम, 1958 (AFSPA) की धारा 3(a),
- भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 81.
प्रश्न 3. ग्रे एबरडीन ग्रेनाइट से बने और बलुआ पत्थर के आधार पर स्थापित टेलीग्राफ स्मारक का अनावरण लॉर्ड कर्जन द्वारा किया गया था। यह किस दौर/समय के टेलीग्राफरों के प्रयासों और बलिदान को समर्पित है? (स्तर – मध्यम)
(a) 1817 का पाइका विद्रोह
(b) 1857 का विद्रोह
(c) वेल्लोर विद्रोह
(d) सन्यासी विद्रोह
उत्तर: b
व्याख्या:
- कश्मीरी गेट टेलीग्राफ कार्यालय के अंदर 19 अप्रैल, 1902 को लॉर्ड कर्जन द्वारा ग्रे एबरडीन ग्रेनाइट से बने और बलुआ पत्थर के आधार पर स्थापित 18 फुट ऊंचे स्मारक-स्तंभ का अनावरण किया गया था।
- 1857 के विद्रोह के दौरान टेलीग्राफर्स के प्रयासों और बलिदान को समर्पित टेलीग्राफ स्मारक पर “द इलेक्ट्रिक टेलीग्राफ हैज सेव इंडिया” शब्द अंकित हैं।
प्रश्न 4. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
पहलराज्य/संघ राज्य क्षेत्र
- चंदौली काला चावल पहल उत्तर प्रदेश
- कालिका चेतारिके कर्नाटक
- सांथे कौशलकर तेलंगाना
- सारथी और सखी – मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन महाराष्ट्र
उपर्युक्त युग्मों में से कितने सुमेलित हैं?
(a) केवल एक युग्म
(b) केवल दो युग्म
(c) केवल तीन युग्म
(d) सभी चारों युग्म
उत्तर: b
व्याख्या:
- युग्म 1 सही सुमेलितहै: चंदौली एक आकांक्षी जिला है, जिसे “उत्तर प्रदेश के चावल के कटोरे” के रूप में भी जाना जाता है, चंदौली के जिला प्रशासन ने “चंदौली काला चावल पहल” के माध्यम से नवीन तरीकों को अपनाकर किसानों की आय बढ़ाने की कोशिश की है।
- युग्म 2 सही सुमेलितहै: कालिका चेतारिके को कर्नाटक सरकार द्वारा कोविड महामारी से प्रेरित अधिगम (learning) की खाई को पाटने के लिए शुरू किया गया था।
- युग्म 3 सुमेलितनहीं है: सांथे कौशलकर अपनी तरह का पहला स्वयं सहायता समूह/कारीगर प्रोफाइलिंग प्लेटफॉर्म और मोबाइल एप्लिकेशन है जो स्वयं सहायता समूहों/कारीगरों को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक डिजिटल पहचान प्रदान करता है, जिससे उनकी उपस्थिति और मूल्य में वृद्धि होती है।
- इस एप्लिकेशन के माध्यम से, कर्नाटक सरकार और UNDP ग्राहकों के साथ सीधे जुड़ने और ऑनलाइन बाजार में प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने के लिए व्यावसायिक कनेक्शन प्रदान कर रहे हैं।
- युग्म 4 सुमेलितनहीं है: सारथी और सखी (SARTHI & SAKHI) समर्पित मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइनें हैं जिन्हें कोविड-19 में एक पेशेवर व्यक्ति से मानसिक स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने के लिए स्थापित किया गया था।
- इसके लिए नोडल एजेंसी जिला प्रशासन, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश है।
प्रश्न 5. भारत में किसी धार्मिक संप्रदाय / समुदाय को यदि राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक वर्ग का दर्जा दिया जाता है तो वह किस / किन विशेष लाभ / लाभों का हकदार हो जाता है? PYQ (2011) (स्तर – सरल)
- यह संप्रदाय / समुदाय विशेष शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और संचालन कर सकता है।
- भारत के राष्ट्रपति स्वयमेव इस संप्रदाय / समुदाय के एक प्रतिनिधि को लोकसभा में मनोमित कर देते हैं।
- यह संप्रदाय / समुदाय प्रधान मंत्री के 15-प्वाइंट कार्यक्रम से लाभ प्राप्त कर सकता है।
उपर्युक्त में से कौन सा / कौन-से कथन सही है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: संविधान के अनुच्छेद 30 के अनुसार, “सभी अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और संचालन का अधिकार होगा”।
- कथन 2 गलत है: भारत के राष्ट्रपति द्वारा अल्पसंख्यक धार्मिक समुदाय के किसी सदस्य को लोकसभा के लिए स्वयमेव नामांकित करने का कोई प्रावधान नहीं है।
- कथन 3 सही है: अल्पसंख्यक संप्रदाय / समुदाय प्रधानमंत्री के 15-सूत्रीय कार्यक्रम से लाभ प्राप्त कर सकते हैं जो वर्ष 2005 में शुरू किया गया था।
- इस कार्यक्रम में शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार के क्षेत्र में अल्पसंख्यकों के कल्याण और सांप्रदायिक संघर्षों की रोकथाम को सुनिश्चित करने की परिकल्पना की गई है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. तालिबान पर, भारत और चीन समान चिंताएं साझा करते हैं और इसलिए, पारस्परिक लाभ और क्षेत्रीय शांति के लिए उन्हें एक दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए। टिप्पणी कीजिए।
(150 शब्द) (जीएस-2; अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
प्रश्न 2. भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध को अक्सर एक औपनिवेशिक युग के अवशेष के रूप में प्रस्तुत किया जाता है लेकिन वे समाज की लोकप्रिय भावनाओं में भी निहित हैं और एक अर्थ में, स्थानीय मानकों के प्रतिबिंब हैं। टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द) (जीएस-2; राजव्यवस्था एवं शासन)