A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: सामाजिक न्याय:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: शासन:
अर्थव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
भारत में सर्जिकल देखभाल किस प्रकार सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक उपेक्षित हिस्सा है:
सामाजिक न्याय:
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे।
प्रसंग:
- भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के विस्तार में, शल्य चिकित्सा देखभाल का क्षेत्र अभी भी पूर्णरूपेण उजागर नहीं हुआ है और बड़े पैमाने पर उपेक्षित है।
- यह एक गंभीर लेकिन अनदेखा किया गया पहलू है। इस लेख में सम्बन्धित क्षेत्र की चुनौतियों, असमानताओं और एक व्यापक कार्य योजना की तत्काल आवश्यकता की पड़ताल की गई है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य में सर्जिकल देखभाल- मुद्दे:
- अपर्याप्त वर्गीकरण: भारत की स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली उन सर्जरी को ‘मामूली’ के रूप में वर्गीकृत करती है जिनमें सामान्य या स्पाइनल एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती है। करीब से देखने पर पता चलता है कि, वित्तीय वर्ष 2019-2020 में, 14 मिलियन से अधिक छोटी सर्जरी दर्ज की गईं, जो वास्तविक आवश्यकता का केवल एक अंश है। ग्लोबल सर्जरी पर लैंसेट कमीशन (Lancet Commission on Global Surgery (LCoGS)) इस अंतर को पाटने के लिए सटीक डेटा संग्रह के महत्व पर जोर देता है।
- सर्जिकल पहुंच में असमानताएं-एक जनसंख्या-व्यापी चुनौतीः 1.4 बिलियन की आबादी के साथ, प्रति 100,000 लोगों पर भारत की शल्य चिकित्सा दर काफी भिन्न होती है, जो पहुंच में असमानताओं को रेखांकित करती है। 90% से अधिक ग्रामीण भारतीयों को सुविधाओं की कमी, खराब परिवहन और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की कमी के कारण समय पर सर्जरी तक पहुंचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों में शल्य चिकित्सा, संज्ञाहरण और प्रसूति (SOA) कार्यबल की कमी शल्य चिकित्सा करने की क्षमता को और बाधित करती है।
- सर्जिकल देखभाल में गुणवत्ता और सामर्थ्य चुनौती: शल्य चिकित्सा देखभाल की गुणवत्ता को शामिल करते हुए, चुनौतियां पहुंच से परे हैं। भौगोलिक स्थिति, सामर्थ्य और भुगतान करने की क्षमता के आधार पर असमानताएं प्रचलित हैं। ग्रामीण क्षेत्र बड़ी सर्जरी करने से जूझते हैं, जिससे समग्र स्वास्थ्य परिणाम प्रभावित होते हैं। सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा कवरेज की अनुपस्थिति निजी अस्पतालों में देखभाल चाहने वाले व्यक्तियों पर वित्तीय बोझ बढ़ाती है।
मुद्दे को संबोधित करना:
- हालाँकि ग्रामीण सर्जनों और संगठनों द्वारा सराहनीय पहल मौजूद हैं, लेकिन भारत के सर्जिकल देखभाल परिदृश्य में प्रणालीगत खामियाँ बनी हुई हैं।
- नागरिक पहल और उपराष्ट्रीय कार्यक्रम इन कमियों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- मुख्यधारा की सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति निर्धारण में सर्जिकल देखभाल की बुनियादी उपेक्षा पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
- भारत में राष्ट्रीय सर्जिकल प्रसूति संज्ञाहरण योजना (एनएसओएपी) का अभाव है, जो समर्पित नीतियों की आवश्यकता पर बल देता है।
- डेटा संग्रह में निवेश को प्राथमिकता देना, मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में सर्जिकल देखभाल को एकीकृत करना और एनएसओएपी विकसित करना भारत में सर्जिकल देखभाल के उपेक्षित परिदृश्य को संबोधित करने के लिए एक कार्य योजना के महत्वपूर्ण घटक हैं।
भावी कदम:
- नीति निर्माताओं, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और हितधारकों के लिए तात्कालिकता को पहचानना, निवेश को प्राथमिकता देना और एक व्यापक कार्य योजना शुरू करना अनिवार्य है। केवल ठोस प्रयासों से ही भारत अपने सभी नागरिकों के लिए समान पहुंच और गुणवत्तापूर्ण सर्जिकल देखभाल सुनिश्चित कर सकता है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
उच्च शिक्षा में मूल्यों, नैतिकता के लिए एक महत्वाकांक्षी प्रयास:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
शासन:
विषय: शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्वपूर्ण पहलू।
मुख्य परीक्षा: उच्च शिक्षा में नैतिकता।
प्रसंग:
- आज के समय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission (UGC)) तीव्र गति से दिशानिर्देश जारी करता है, जिनमें से कुछ प्रमुख अक्सर उच्च शिक्षा समुदाय के ध्यान से बच/छूट जाते हैं।
- मूल्य प्रवाह 2.0, 2019 अधिसूचना का एक संशोधित संस्करण है, जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षा संस्थानों में मानवीय मूल्यों और पेशेवर नैतिकता को स्थापित करना है।
- यह पहल मानव संसाधन प्रबंधकों के एक सर्वेक्षण में पहचानी गई अनैतिक प्रथाओं की प्रतिक्रिया है, जिसमें पक्षपात, यौन उत्पीड़न और लिंग भेदभाव शामिल हैं।
पारदर्शिता पर जोर:
- मुल्य प्रवाह 2.0 प्रशासन में पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित करता है, जो पूरी तरह से संस्थागत और सार्वजनिक हित पर आधारित निर्णय लेने की वकालत करता है।
- इसका उद्देश्य भेदभावपूर्ण विशेषाधिकारों को समाप्त करना, भ्रष्टाचार के खिलाफ दंडात्मक उपायों का आग्रह करना और सभी स्तरों पर मुफ्त सलाह को प्रोत्साहित करने के महत्व पर जोर देना है।
- यह अपेक्षा की जाती है कि संस्थान सत्यनिष्ठा, जवाबदेही, समावेशिता, स्थिरता और वैश्विक नागरिकता जैसे मूल्यों को बनाए रखेंगे।
गोपनीयता का मुद्दा:
- गोपनीयता बनाए रखने पर जोर देने से जवाबदेही के लिए सूचना के अधिकार के साथ टकराव की चिंता पैदा होती है।
- सार्वजनिक जांच के लिए महत्वपूर्ण जानकारी, बैठक के एजेंडे, कार्यवाही, वार्षिक रिपोर्ट और लेखा परीक्षित खातों के स्वैच्छिक प्रकटीकरण को अनिवार्य करने का सुझाव दिया गया है।
- कदाचार को रोकने और संस्थागत कामकाज में जनता का विश्वास बहाल करने के लिए पारदर्शिता की आवश्यकता होती है।
संघ और समर्थन:
- मूल्य प्रवाह 2.0 कर्मचारी और छात्र संघों से अपेक्षा करता है कि वे विकास गतिविधियों में प्रशासन का समर्थन करें और मुद्दों को सम्मानजनक तरीके से उठाएं।
- यह प्रशासन के लिए एक द्वितीयक दल के रूप में कार्य करने वाले संघों के बारे में चिंता पैदा करता है, जो संभावित रूप से उन्हें सदस्यों की चिंताओं को दूर करने से हतोत्साहित करता है।
- संघों को दबाव समूहों के रूप में मान्यता देना महत्वपूर्ण है, जो अपने सदस्यों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए सामूहिक प्रभाव डालते हैं।
चुनौतियाँ एवं चिंताएँ:
- मुद्दों को उठाने का “गरिमापूर्ण तरीका” क्या है, इस पर स्पष्टता की कमी के कारण संभावित दुरुपयोग हो सकता है और सामूहिक आवाज़ों को दबाया जा सकता है। आचार संहिता के उल्लंघन और संस्थागत हितों के खिलाफ कार्य करने के आरोपों के साथ संघों और संगठनों के प्रतिबंध और निलंबन के बारे में चिंताएं।
- निर्णयों की गुणवत्ता और स्थिरता में सुधार करके संस्थानों को मजबूत करने में असंगत आवाज़ों के महत्व की वकालत करते हैं।
सारांश:
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यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा कर को समझना:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
विषय: विकास एवं रोजगार।
मुख्य परीक्षा: यूरोपीय संघ का कार्बन सीमा समायोजन तंत्र और भारत पर इसका प्रभाव।
प्रसंग:
- यूरोपीय संघ की वर्ष 2026 से शुरू होने वाली कार्बन-सघन आयात पर कर लगाने वाली नीति का लक्ष्य वर्ष 2030 तक उत्सर्जन को 55% तक कम करना है।
कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (Carbon Border Adjustment Mechanism (CBAM)):
उद्देश्यः
- कार्बन रिसाव को रोकने के लिए, जहां यूरोपीय संघ के उद्योग कार्बन-गहन उत्पादों पर आयात शुल्क लगाकर ढीले पर्यावरणीय नियमों वाले देशों में जाते हैं।
तंत्र (Mechanism):
- यूरोपीय संघ के उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (Emission Trading System (ETS)) के समान, आयात में एम्बेडेड जीएचजी (GHG) उत्सर्जन पर नज़र रखना और कर लगाना।
चरण:
- वित्तीय दायित्वों के बिना उत्सर्जन की रिपोर्टिंग के लिए संक्रमणकालीन चरण (अक्टूबर 2023-दिसंबर 2025)।
- अंतिम चरण (जनवरी 2026 से) में आयातकों को उत्सर्जन के अनुरूप सीबीएएम प्रमाणपत्र सरेंडर करने की आवश्यकता होती है।
कार्बन से निपटने के लिए भारत का कदमः
- सीसीटीएस परिचय: भारत ने उत्सर्जन में कमी को प्रोत्साहित करने और स्वच्छ ऊर्जा निवेश को बढ़ावा देने के लिए कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग सिस्टम (सीसीटीएस) की शुरुआत करते हुए 2022 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम (Energy Conservation Act) में संशोधन किया।
- ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम: 2023 में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अधिसूचित कार्बन कटौती जनादेश से अधिक कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए एक स्वैच्छिक बाजार-आधारित तंत्र।
भारत के विकल्प:
- चुनौतियों का सामनाः वर्ष 2022 में यूरोपीय संघ को 27% निर्यात के साथ स्टील जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर संभावित प्रतिकूल प्रभाव।
संभावित क्रियाएँ:
- पेरिस समझौते (Paris Agreement.) के तहत सीबीएएम द्वारा विभेदित जिम्मेदारियों के उल्लंघन को चुनौती देंना।
- यूरोपीय संघ को प्रभावित देशों में एकत्रित कर निधि को हरित प्रौद्योगिकियों में पुनर्निवेश करने का सुझाव देंना।
- विशेष उपचार प्रावधानों के तहत विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization) के समक्ष पहले से ही एक चुनौती शुरू करते हुए, यूरोपीय संघ के साथ सक्रिय रूप से वार्ता करना।
- विचार: उत्पादन परिवर्तन को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों, जैसे श्रम उपलब्धता और अन्य क्षेत्रों में उत्पादन विस्तार पर यूरोपीय संघ की निगरानी।
- यू.के. का प्रभाव: वर्ष 2027 तक अपने स्वयं के CBAM को लागू करने की U.K. की योजना भारत के निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है, जिसमें पेरिस समझौते के सिद्धांतों के अनुरूप भारत के कार्बन कराधान उपायों के त्वरित निर्माण का आग्रह किया गया है।
सारांश:
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भौगोलिक संकेत (GI) टैग के माध्यम से भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत की खोज:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
विषय: समावेशी विकास एवं इससे उत्पन्न विषय; संवृद्धि, विकास और रोजगार।
मुख्य परीक्षा: जीआई टैग और आर्थिक विकास में उनका महत्व।
प्रसंग:
- सभी राज्यों में 500 से अधिक उत्पादों को भौगोलिक संकेत (Geographical Indications (GI) ) टैग प्राप्त हुए हैं।
- जीआई टैग विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति और अद्वितीय गुणों या प्रतिष्ठा को दर्शाते हैं।
जीआई टैग क्या है?
- विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति और विशिष्ट गुणों वाले उत्पादों पर उपयोग किया जाने वाला एक चिन्ह।
- उदाहरणों में तिरूपति के लड्डू और नागपुर के संतरे शामिल हैं, दोनों को भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त है।
- तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने लड्डू उत्पादन के लिए उच्चतम गुणवत्ता वाले कच्चे माल पर जोर दिया हैं।
- भौगोलिक संकेत (GI) टैग के तहत ब्रांडिंग से नागपुर के संतरे किसानों को फायदा हुआ।
आवेदन प्रक्रिया:
- किसी भी व्यापारी का निकाय, संघ या संगठन जीआई टैग के लिए आवेदन कर सकता है।
- आवेदकों को ऐतिहासिक रिकॉर्ड और विस्तृत उत्पादन प्रक्रियाओं के साथ आइटम की विशिष्टता साबित करनी होगी।
- जीआई टैग लोकप्रिय उत्पादों तक सीमित नहीं हैं; विभिन्न राज्यों में असंख्य टैग मिले हुए हैं।
जीआई टैग में विविधता:
- उत्पादों के लिए कच्चा माल आवश्यक रूप से क्षेत्र से नहीं आता जब तक कि यह कृषि टैग न हो।
- उदाहरणों में बिहार, पश्चिम बंगाल या ओडिशा से बनारसी पान के पत्ते और कर्नाटक से कांचीपुरम साड़ी रेशम शामिल हैं।
- 500 से अधिक जीआई टैग रसायनों से लेकर हस्तशिल्प तक 34 वर्गों के उत्पादों को कवर करते हैं।
श्रेणियाँ और प्रभुत्व:
- जीआई रजिस्ट्री उत्पादों को पांच प्रमुख श्रेणियों में वर्गीकृत करती है।
- आधे से अधिक जीआई टैग के साथ हस्तशिल्प का दबदबा है, जो कुशल कारीगरों की शिल्प कौशल का प्रदर्शन करता है।
- इसकी अन्य श्रेणीयों में रसायन, खाद्य पदार्थ, हस्तशिल्प, संगीत वाद्ययंत्र, आग्नेयास्त्र और लोकोमोटिव जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
सभी राज्यों में भौगोलिक संकेत (GI) टैग:
- प्रत्येक भारतीय राज्य के पास कम से कम एक भौगोलिक संकेत (GI) टैग है, जो अद्वितीय सांस्कृतिक वस्तुओं का प्रतिनिधित्व करता है।
- भौगोलिक संकेत (GI) टैग सांस्कृतिक समृद्धि का सूचक नहीं हैं; आइटमों की अधिक संख्या के कारण अधिक पंजीकरण हो सकते हैं।
राज्यवार विवरण:
- विविध उत्पादों को कवर करते हुए तमिलनाडु 61 जीआई टैग के साथ उत्कृष्ट स्थान पर है।
- उत्तर प्रदेश 56 जीआई टैग के साथ दूसरे स्थान पर है, जिसमें आगरा के चमड़े के जूते, कानपुर की काठी और लखनऊ की चिकनकारी शामिल हैं।
- कर्नाटक 48 भौगोलिक संकेत (GI) टैग के साथ तीसरे, केरल 39 के साथ चौथे और महाराष्ट्र 35 के साथ पांचवें स्थान पर है।
चित्र स्रोत: The Hindu
अद्वितीय सांस्कृतिक केंद्र:
- बनारस प्रसिद्ध बनारसी पान सहित 11 अद्वितीय शिल्प और कृषि वस्तुएं प्रदान करता है।
- ऐतिहासिक रूप से वोडेयर्स द्वारा शासित मैसूरु,10 अद्वितीय वस्तुएं प्रस्तुत करता है, जिनमें मैसूर मल्लिगे (चमेली) और चंदन साबुन शामिल हैं।
- तमिलनाडु के तंजावुर में पांच जीआई टैग हैं, जिनमें पेंटिंग और प्रतिष्ठित बॉबलहेड गुड़िया (iconic bobblehead dolls) शामिल हैं।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. दक्षिण कोरिया का सुपरकंडक्टिविटी का दावा नए डेटा के साथ पुनर्जीवित हुआ:
प्रसंग:
- चीनी और जापानी वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में एक प्रीप्रिंट पेपर ने सुपरकंडक्टिविटी पर चर्चा को फिर से शुरू किया है, जिससे एक विवादास्पद क्षेत्र में संभावित सफलता की शुरुआत हुई है। शोधकर्ताओं का दावा है कि उन्होंने पहले परस्पर विरोधी दावों से जुड़ी सामग्री में सुपरकंडक्टिविटी के एक प्रमुख संकेतक, मेसनर/मीस्नर प्रभाव (Meissner effect) को देखा है।
मेसनर/मीस्नर प्रभाव और सुपरकंडक्टिविटी के बारे मेंः
- मेसनर/मीस्नर प्रभाव (Meissner effect) उन सामग्रियों में देखी जाने वाली एक घटना है जो बिना किसी प्रतिरोध के विद्युत धाराओं का संचालन कर सकती है, और सुपरकंडक्टर्स बन जाती है।
- शोधकर्ताओं ने तांबे-प्रतिस्थापित लेड एपेटाइट पर ध्यान केंद्रित किया, जो कमरे के तापमान और दबाव (RTP) सुपरकंडक्टर के रूप में इसकी क्षमता का सुझाव देता है।
- कुशल विद्युत पारेषण से लेकर उन्नत चिकित्सा निदान तक, व्यापक अनुप्रयोगों के लिए यह अंतर महत्वपूर्ण है।
नए दावों पर विवाद और सावधानी:
- सुपरकंडक्टिविटी के क्षेत्र को विवादों का सामना करना पड़ा है, शोधकर्ता प्रसिद्धि और आकर्षक अवसरों की तलाश में अक्सर अपने निष्कर्षों में तेजी लाते हैं।
- 2023 के उदाहरण, जैसे कि ल्यूटेशियम हाइड्राइड और मैंगनीज सल्फाइड पर अध्ययनों को वापस लेना, नए दावों के सतर्क मूल्यांकन की आवश्यकता पर जोर देता है।
- नया अध्ययन और संभावित आरटीपी सुपरकंडक्टर: हालिया प्रीप्रिंट पेपर में तांबे-प्रतिस्थापित लेड एपेटाइट में मीस्नर प्रभाव देखने का दावा किया गया है, जिससे पता चलता है कि सामग्री आरटीपी सुपरकंडक्टर हो सकती है। अध्ययन, आशाजनक होने के बावजूद, चुनौतियों को स्वीकार करता है, जिसमें छोटे सुपरकंडक्टिंग हिस्से और क्यूप्रस सल्फाइड से हस्तक्षेप शामिल है।
महत्व:
- यदि साबित हो जाता है, तो एक आरटीपी सुपरकंडक्टर विभिन्न उद्योगों में क्रांति ला सकता है, जो बिजली संचरण, चिकित्सा निदान, कंप्यूटिंग और बहुत कुछ में अनुप्रयोगों की पेशकश कर सकता है। कमरे के तापमान और दबाव पर अतिचालकता की खोज दुनिया भर के वैज्ञानिकों को आकर्षित करती रही है। जबकि हालिया अध्ययन दिलचस्प संभावनाओं का परिचय देता है, वैज्ञानिक समुदाय सतर्क रहता है, और पिछले विवादों को दोहराने से बचने के लिए गहन जांच और सत्यापन के महत्व पर जोर देता है।
2. डीजीसीए ने पायलटों के लिए शुल्क मानदंडों में संशोधन किया;जो अधिक आराम की अनुमति देता है:
प्रसंग:
- बढ़ती थकान के संबंध में पायलटों द्वारा उठाई गई बढ़ती चिंताओं के जवाब में, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (Directorate General of Civil Aviation (DGCA)) ने पायलट ड्यूटी घंटों को विनियमित करने वाले मानदंडों में महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं।
- इन परिवर्तनों का उद्देश्य सुरक्षा बढ़ाना, थकान से संबंधित जोखिमों को कम करना और अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ तालमेल बिठाना है।
रात्रिकालीन उड़ान में कमी:
- डीजीसीए ने आधी रात से सुबह 6 बजे के बीच महत्वपूर्ण “रात्रि ड्यूटी” विंडो के दौरान लैंडिंग की संख्या पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब इस अवधि के दौरान लैंडिंग की संख्या पिछले नियमों के तहत अधिकतम अनुमेय 6 लैंडिंग की तुलना में केवल दो लैंडिंग तक सीमित कर दी गई है।
- लगातार रात्रि ड्यूटी: किसी भी पायलट को लगातार दो से अधिक रात्रि ड्यूटी के लिए नियुक्त नहीं किया जा सकता है।
- रात्रि ड्यूटी की विस्तारित परिभाषा: डीजीसीए ने रात्रि ड्यूटी की परिभाषा का विस्तार किया है, इसे आधी रात से सुबह 5 बजे तक बढ़ा दिया है, ऊपरी सीमा को बढ़ाकर सुबह 6 बजे तक कर दिया है।
- फ्लाइट क्रू के लिए विस्तारित साप्ताहिक आराम अवधि: संशोधित नियमों में उड़ान चालक दल के लिए साप्ताहिक आराम अवधि को 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे करने का आदेश दिया गया है, इस प्रकार थकान से उबरने के लिए पर्याप्त समय सुनिश्चित किया गया है।
- एयरलाइंस के लिए अनुपालन की समय सीमा: एयरलाइंस को 1 जून तक उड़ान ड्यूटी समय सीमाओं पर अद्यतन नागरिक उड्डयन आवश्यकता का अनुपालन करना अनिवार्य है।
महत्व:
- पायलट ड्यूटी घंटों से संबंधित मानदंडों को संशोधित करने में डीजीसीए का सक्रिय दृष्टिकोण विमानन सुरक्षा और उड़ान कर्मचारियों की भलाई के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- थकान पर चिंताओं को संबोधित करके, ये परिवर्तन पायलटों के लिए एक सुरक्षित और अधिक अनुकूल कार्य वातावरण बनाने में योगदान करते हैं, अंततः हवाई यात्रा की समग्र सुरक्षा और दक्षता को बढ़ाते हैं।
- यह भारत के विमानन नियमों को अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप लाता है, स्थिरता और वैश्विक सुरक्षा मानकों के पालन को बढ़ावा देता है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. के-आकार की रिकवरी का तात्पर्य रिकवरी की भिन्न दर से है, जिसमें एक खंड सकारात्मक रूप से वृद्धि कर रहा है और दूसरे खंड में गिरावट आ रही है।
2. गिनी गुणांक आय असमानता का एक सामान्य रूप से उपयोग किया जाने वाला माप है।
3. एक उच्च गिनी गुणांक अधिक आय असमानता को इंगित करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) केवल तीन
(d) इनमे से कोई नहीं
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: के-आकार की रिकवरी, रिकवरी की एक अलग दर को दर्शाती है, जिसमें एक खंड सकारात्मक वृद्धि का अनुभव करता है जबकि दूसरा गिरावट का सामना करना कर रहा होता है। यह पैटर्न अक्सर आर्थिक पलटाव परिदृश्यों में देखा जाता है।
- कथन 2 सही है: गिनी गुणांक आय असमानता का एक सामान्य रूप से उपयोग किया जाने वाला माप है, जो जनसंख्या के भीतर आय के वितरण का एक संख्यात्मक प्रतिनिधित्व प्रदान करता है।
- कथन 3 सही है: एक उच्च गिनी गुणांक 1 के करीब मूल्यों के साथ अधिक आय असमानता को इंगित करता है जो आबादी में आय के अधिक असमान वितरण का प्रतिनिधित्व करता है।
प्रश्न 2. यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. ईएफटीए देश यूरोपीय संघ का हिस्सा नहीं हैं।
2. इसमें आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड शामिल नहीं हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: ईएफटीए देश वास्तव में यूरोपीय संघ (European Union (EU)) का हिस्सा नहीं हैं। ईएफटीए (European Free Trade Association (EFTA)) एक अलग व्यापार संगठन है जिसमें ऐसे देश शामिल हैं जो यूरोपीय संघ के सदस्य नहीं हैं लेकिन यूरोपीय एकल बाजार में भाग लेना चाहते हैं।
- कथन 2 गलत है: आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड वास्तव में ईएफटीए का हिस्सा हैं। जबकि,ये राष्ट्र यूरोपीय संघ के सदस्य नहीं हैं, ईएफटीए समझौतों में भाग लेते हैं, जो अपने सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार को सुविधाजनक बनाने में संगठन की भूमिका में योगदान करते हैं।
- इसलिए, “केवल 1” ही सही उत्तर है।
प्रश्न 3. हाइपरसोनिक मिसाइल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक दोनों मिसाइलें एक बैलिस्टिक प्रक्षेपवक्र का अनुसरण करती हैं और उन्हें इच्छित लक्ष्य तक ले जाया जा सकता है।
2. पारंपरिक हाइपरसोनिक हथियार केवल संभावित ऊर्जा का उपयोग करते हैं।
3. यह 10 मैक की गति से उड़ती है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) इनमे से कोई नहीं
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 ग़लत है: बैलिस्टिक मिसाइल और हाइपरसोनिक मिसाइल अलग-अलग प्रक्षेपवक्र का अनुसरण करते हैं। बैलिस्टिक मिसाइलें एक अनुमानित परवलयिक प्रक्षेपवक्र का अनुसरण करती हैं, जबकि हाइपरसोनिक मिसाइलें निरंतर वायुगतिकीय लिफ्ट का उपयोग करती हैं, जिससे अधिक अप्रत्याशित और कुशल उड़ान पथ की अनुमति मिलती है।
- कथन 2 गलत है: पारंपरिक हाइपरसोनिक हथियार आमतौर पर केवल संभावित ऊर्जा पर निर्भर रहने के बजाय गतिज ऊर्जा का उपयोग करते हुए, वायुगतिकीय लिफ्ट और प्रणोदन के संयोजन का उपयोग करते हैं।
- कथन 3 गलत है: हाइपरसोनिक मिसाइलों की गति आम तौर पर मैक 10 से बहुत अधिक होती है, जो अक्सर मैक 20 से ऊपर की गति तक पहुंच जाती है। ये मिसाइलें अत्यधिक उच्च वेग से यात्रा करती हैं, जो उन्हें पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में तेज़ बनाती हैं।
- इसलिए, कोई भी कथन सही नहीं है।
प्रश्न 4. कानून के शासन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. इसका अर्थ है सरकार की ओर से मनमानी के अस्तित्व का बहिष्कार।
2. यह कार्यपालिका की अराजकता पर रोक लगाने का काम करता है, यह सुनिश्चित करके कि कोई भी अधिकारी या प्रशासक विधायी मंजूरी के बिना किसी व्यक्ति को गिरफ्तार या हिरासत में नहीं ले सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: कानून के शासन में सरकार की ओर से मनमानेपन का बहिष्कार शामिल है। इसका तात्पर्य यह है कि सरकारी कार्य मनमाने या विवेकाधीन होने के बजाय स्थापित कानूनों और सिद्धांतों पर आधारित होने चाहिए।
- कथन 2 सही है: कानून का नियम यह सुनिश्चित करके कार्यपालिका की अराजकता पर अंकुश लगाने का काम करता है कि कोई भी अधिकारी या प्रशासक विधायी मंजूरी के बिना किसी व्यक्ति को गिरफ्तार या हिरासत में नहीं ले सकता है।
- यह सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित होने पर कानूनी प्रक्रियाओं और उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।
प्रश्न 5. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए:
अशोक के प्रमुख शिलालेख स्थल |
राज्य में स्थान |
धौली |
ओडिशा |
एरागुडी |
आंध्र प्रदेश |
जौगड़ा |
मध्य प्रदेश |
कलसी |
कर्नाटक |
उपर्युक्त युग्मों में से कितने सही सुमेलित है/हैं?
(a) केवल एक युग्म
(b) केवल दो युग्म
(c) केवल तीन युग्म
(d) सभी चार युग्म
उत्तर: b
व्याख्या:
- धौली ओडिशा का एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक ऐतिहासिक शहरी केंद्र है, जिसकी पुरातात्विक खोज तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व की है, खासकर अशोक के युग के दौरान।
- 2013 में,भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए. एस. आई.) ने आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में गूटी-पथिकोंडा मार्ग पर एरागुडी के पास अशोक शिलालेख स्थल की रक्षा के लिए कदम उठाए।
- ओडिशा में जौगड़ा एक महत्वपूर्ण अशोककालीन शिलालेख का दूसरा स्थान होने के लिए उल्लेखनीय है, जिसे आमतौर पर कलिंग शिलालेख के रूप में जाना जाता है।
- कलसी में अशोक के शिलालेख में युद्ध के बाद बौद्ध धर्म को अपनाने के बाद अशोक के मानवीय दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है। उत्तरांचल और हिमाचल प्रदेश के बीच बफर ज़ोन में स्थित, कलसी में यह प्रभावशाली ऐतिहासिक शिलालेख है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. “भारत पर यूरोपीय संघ के कार्बन बॉर्डर टैक्स के निहितार्थों का विश्लेषण करें, और उन रणनीतिक प्रतिक्रियाओं पर चर्चा करें जो भारत इन चुनौतियों से निपटने के लिए कर सकता है।” (250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन – III, अर्थव्यवस्था) (“Analyse the implications of EU’s Carbon Border Tax on India, and discuss the strategic responses that India can undertake to address these challenges.” (250 words, 15 marks) (General Studies – III, Economy))
प्रश्न 2. समय पर सर्जरी तक पहुंच हमेशा से भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की कमजोरी रही है। टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन – II, सामाजिक न्याय) (Access to timely surgeries has always been the Achilles heel of the Indian healthcare system. Comment. (250 words, 15 marks) (General Studies – II, Social Justice ))
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)