10 दिसंबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: शासन:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
समान नागरिक संहिता
विषय: भारत का संविधान – विशेषताएं और महत्वपूर्ण प्रावधान
प्रारंभिक परीक्षा: समान नागरिक संहिता (UCC) के बारे में
मुख्य परीक्षा: भारत में समान नागरिक संहिता (UCC) के कार्यान्वयन का समालोचनात्मक मूल्यांकन
संदर्भ:
- देश भर में समान नागरिक संहिता (UCC) के कार्यान्वयन के लिए एक निजी सदस्य विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया।
- विधेयक में समान नागरिक संहिता को तैयार करने और पूरे देश में इसके कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय निरीक्षण और जांच समिति की स्थापना का प्रस्ताव है।
समान नागरिक संहिता (UCC)
समान नागरिक संहिता (UCC) के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें- Uniform Civil Code (UCC) |
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समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन की आलोचना:
- विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को वापस लेने का आग्रह किया है क्योंकि उनका मानना है कि समान नागरिक संहिता देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बाधित करेगा।
- विधेयक का विरोध करने वाले सदस्यों ने यह भी कहा कि समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन से अनावश्यक रोष बढ़ेगा और भारत जैसे देश में इसे लागू करना संभव नहीं है।
- आलोचकों का यह भी मानना है कि कानून समाज में ध्रुवीकरण का कारण बनेगा और देश के लिए हानिकारक होगा।
- विपक्षी दल के सदस्यों ने 21वीं विधि आयोग की रिपोर्ट का भी हवाला दिया है, जिसमें यह निष्कर्ष निकाला गया है कि देश में समान नागरिक संहिता न तो आवश्यक है और न ही वांछनीय है।
इस मुद्दे के बारे में अधिक जानकारी के लिए यह क्लिक करें:
UPSC Exam Comprehensive News Analysis dated 07 Nov 2022
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
शासन:
खाद्य सुरक्षा जाल
विषय: सरकार की नीतियां और विकास के लिए हस्तक्षेप
मुख्य परीक्षा: भारत में दोषपूर्ण सार्वजनिक वितरण प्रणाली के साथ मौजूद विभिन्न समस्याएँ
संदर्भ:
- नवीनतम जनगणना में देरी के साथ, प्रशासन को खाद्य सुरक्षा जाल का विस्तार करने पर ध्यान देना चाहिए।
भूमिका:
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013, लगभग 800 मिलियन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा जाल प्रदान करता है।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान एक महत्वपूर्ण राहत प्रदान की।
- मानवीय संकट से निपटने के क्रम में, सरकार ने 800 मिलियन लोगों की हकदारियों को दोगुना कर दिया, जिन्हें पहले से ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) (प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम से 10 किलोग्राम तक) का लाभ मिल रहा था।
- कोविड-19 लॉकडाउन के कारण आए मानवीय संकट से यह उजागर हुआ कि देश में अभी भी बहुत से लोग सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) से बाहर हैं।
लाभ से वंचना (बहिष्करण) समस्या:
- हाल ही की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 के लिए जनसंख्या अनुमानों की गणना के आधार पर लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TDPS) के तहत 90 मिलियन से अधिक पात्र लोग कानूनी पात्रता से बाहर हैं।
- 2011 की जनगणना, योजना में लोगों को शामिल करने के लिए आवश्यक डेटा का स्रोत बनी हुई है। जिसके परिणामस्वरूप बाद के वर्षों में आबादी का एक बड़ा हिस्सा (लगभग 12%) लाभ से बाहर हो गया है।
- लाभ से बाहर होने की समस्या इसलिए भी हो सकती है क्योंकि NFSA कवरेज अनुपात शुरूआत के लिए बहुत कम था, या पूर्ण रूप से कवरेज में ‘स्थिर’ (लगभग 800 मिलियन) था।
- NFSA 2013 की धारा 3(2) में कहा गया है कि पात्र परिवारों की पात्रता “ग्रामीण आबादी के पचहत्तर प्रतिशत तक और शहरी आबादी के पचास प्रतिशत तक होगी।”
- NFSA की धारा 9 यह आवश्यक बनाती है कि कवर किए जाने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या की गणना “जनगणना के अनुमानों के आधार पर की जाएगी, जिसके प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित किए गए हैं।”
न्यायिक हस्तक्षेप:
- उच्चतम न्यायालय ने इस मुद्दे को प्रवासी मजदूरों की समस्या और दुख मामले 2022 में उठाया है।
- 21 जुलाई, 2022 को, न्यायालय ने कवरेज बढ़ाने के अनुरोध पर सहमति जताने के बाद केंद्र को “2011 की जनगणना के अनुसार बेहतर समावेश के साथ एक सूत्र और/या उपयुक्त नीति/योजना के साथ आगे बढ़ने का निर्देश दिया।
- उच्चतम न्यायालय ने विलंबित जनगणना को ध्यान में रखते हुए, भारत के रजिस्ट्रार जनरल से उपलब्ध 2021 के लिए आधिकारिक जनसंख्या अनुमानों का उपयोग करने का समाधान सुझाया।
- 10 अक्टूबर, 2022 को सरकार द्वारा विलंबित प्रतिक्रिया ने NFSA के तहत PDS कवरेज पर रोक को उचित ठहराया।
- सरकार द्वारा दिए गए जबाव में कहा गया कि NFSA के अधिनियमन के समय सीमा तय करते समय “प्रमुख चिंताओं” में से एक यह थी कि “चूंकि समय के साथ लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा, इसलिए कवरेज कम हो सकता है”।
राज्यों द्वारा कवरेज:
- एक बार केंद्र सरकार द्वारा शामिल किए जाने वाले लोगों की संख्या उपलब्ध कराये जाने के बाद PDS राशन कार्ड हेतु लोगों की पहचान करने के लिए राज्य जिम्मेदार होते हैं।
- छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे गरीब राज्यों सहित कई राज्य सरकारों ने केंद्र द्वारा निर्धारित कोटा से परे कवरेज का विस्तार करने के लिए अपने स्वयं के संसाधनों का उपयोग किया है।
- एक अनुमान के अनुसार, 2020 में, केंद्र सरकार द्वारा समर्थित 809 मिलियन NFSA PDS लाभार्थी थे।
- अपनी राज्य सरकारों के माध्यम से अतिरिक्त 90 मिलियन लोगों की PDS के तहत NFSA लाभार्थियों के रूप में समान (या अधिक) लाभ तक पहुंच थी।
- राज्य अन्य 51 मिलियन लोगों को सब्सिडी दे रहे थे, लेकिन उनकी हक़दारी NFSA लाभार्थियों की तुलना में कम थी।
भावी कदम:
- केंद्र सरकार को वर्तमान जनसंख्या प्रवृत्ति के संबंध में आवश्यक परिवर्तन करके PDS के माध्यम से खाद्य सुरक्षा जाल से वंचित लोगों की कठिनाइयों का समाधान करना चाहिए।
- मजबूत खरीद रुझान और एक सुविधापूर्ण खाद्य भंडार की स्थिति नीति के विस्तार को वहनीय बनाएगी।
- उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्देशित जनसंख्या वृद्धि के समायोजन से कवरेज में लगभग 10% (800 मिलियन से 900 मिलियन) की वृद्धि होगी।
- लाभ से वंचित आबादी को कवर करने के लिए योजना के विस्तार से सरकार को अपने बढ़ते बफर स्टॉक से उत्पन्न होने वाली भंडारण समस्या को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी।
- उच्चतम न्यायालय को अटल रहना चाहिए और आधिकारिक जनगणना के आंकड़ों की प्रतीक्षा किए बिना जल्द से जल्द इस मुद्दे को हल करने के लिए सरकार को निर्देश देना चाहिए।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विकल्प के रूप में G20
विषय: भारत को शामिल करने वाले या भारतीय हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा वैश्विक समूह और समझौते
मुख्य परीक्षा: भारत की G20 अध्यक्षता एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में
संदर्भ:
- 01 दिसंबर 2022 को, भारत ने इंडोनेशिया से पदभार ग्रहण करते हुए G20 फोरम की अध्यक्षता ग्रहण की।
भूमिका
- भारत 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक के लिए G20 की साल भर की अध्यक्षता ग्रहण करेगा।
- आने वाले महीनों में भारत मंत्रियों, अधिकारियों, राजनयिकों, व्यापारियों, गैर-सरकारी संगठनों और G20 के कार्यकारी समूहों के साथ लगभग 200 बैठकों की मेजबानी करेगा।
- 15 फरवरी 2022 को, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विदेश मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और अन्य संबंधित मंत्रालयों तथा विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा संचालित G20 सचिवालय की स्थापना को मंजूरी दी थी।
- G20 अध्यक्ष के रूप में, भारत वर्ष के लिए एजेंडा निर्धारित करेगा, विषयों और फोकस क्षेत्र की पहचान करेगा, चर्चा करेगा और परिणाम दस्तावेजों पर काम करेगा।
- भारत को G20 की अध्यक्षता रूस-यूक्रेन युद्ध तथा यूरोपीय संघ और रूस के बीच गतिरोध से उत्पन्न कई देशों में मुद्रास्फीति और मंदी के रुझान के बीच मिली है।
- यह देखते हुए कि 2022 बाली घोषणापत्र वस्तुतः भारत द्वारा तैयार किया गया था, तो भारत को एक संभावित ईमानदार मध्यस्थ के रूप में मान्यता दी गई है जो रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को समाप्त करने में सक्षम हो सकता है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का विकल्प:
- कई देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के विकल्प की तलाश कर रहे हैं, जो कि वीटो के कारण शिथिल सा पड़ गया है।
- हाल ही में, कोविड-19 महामारी और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के दौरान, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की विश्वसनीयता बहुत नीचे गिर गई है।
- किसी भी प्रकार का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार, विशेष रूप से इसकी स्थायी सदस्यता के विस्तार का, स्थायी सदस्यों और महासभा के एक बड़े बहुमत वर्ग द्वारा मुखरता से विरोध किया जाएगा क्योंकि इससे स्थायी सदस्य बनने की इच्छा रखने वालों को छोड़कर किसी को भी लाभ नहीं होता है।
- G20 की संरचना एक विस्तारित सुरक्षा परिषद की तरह है जो 21वीं सदी के सभी महत्वपूर्ण देशों का प्रतिनिधित्व करती है तथा विकसित और विकासशील देशों के बीच संतुलित है।
एक राजनीतिक संगठन के रूप में G20:
- G20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है जो सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक व्यवस्था और शासन को आकार देने और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- बाली घोषणा के आधार पर एक आर्थिक निकाय से एक राजनीतिक निकाय में G20 का क्रमिक रूपांतरण शुरू किया जा सकता है, जिससे रूस-यूक्रेन युद्ध पर समूह में आम सहमति बनेगी।
- यदि G20 यूरोप में एक शांतिदूत के रूप में उभरता है, तो यह अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने वाले समूह के रूप में वैधता प्राप्त करेगा।
- UNSC और G20 के बीच एक बहुत महत्वपूर्ण अंतर वीटो का न होना होगा।
- वीटो शक्ति की अनुपस्थिति के परिणामस्वरूप समाधान के लिए जोर दिया जाएगा, जो स्वीकार्य है।
- यह एक स्थायी सदस्य के युद्ध छेड़ने और उसके खिलाफ आने वाले हर प्रस्ताव को वीटो करने के गंभीर खतरे का समाधान प्रदान करेगा।
भारत की नेतृत्वकारी भूमिका:
- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा में एक ईमानदार मध्यस्थ की भूमिका भारत के लिए नई नहीं है।
- भारत ने तटस्थ दुनिया के नेता के रूप में भूमिका निभाने के लिए विऔपनिवेशीकरण और विकासशील देशों के अधिकारों पर सदैव कड़ा रुख अपनाया है।
- उदाहरण के लिए, भारत फिलिस्तीन के सवाल पर UNSC के कई ऐतिहासिक प्रस्तावों का प्रणेता था।
- भारत हवाना शिखर सम्मेलन में गुटनिरपेक्ष आंदोलन से मिस्र के निष्कासन को रोकने के लिए किए गए प्रयासों का एक हिस्सा था जब अरब देश मिस्र के खिलाफ हो गए थे।
- G20 के अध्यक्ष के रूप में, भारत बाली घोषणा पर प्रकाश डालेगा और G-20 की तैयारी प्रक्रिया के दौरान एक रोड मैप प्रस्तुत करेगा और शेरपाओं को इसे अपने एजेंडे में शामिल करने के लिए राजी करेगा।
- इससे G20 के भीतर औपचारिक तरीके से संकट से निपटने की भारत की क्षमता बढ़ेगी।
- यह UNSC में सुधार हासिल करने के भारत के बुनियादी लक्ष्य को भी पूरा करेगा।
- सफल वार्ताओं के बाद, UNSC निर्णय को औपचारिक रूप दे सकता है तथा अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए इसे लागू कर सकता है।
सारांश:
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इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक कीजिए: India’s G20 Presidency
प्रीलिम्स तथ्य:
- चक्रवात मैंडूस
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
भूगोल:
विषय: महत्वपूर्ण भूभौतिकीय घटनाएं: चक्रवात
प्रारंभिक परीक्षा: चक्रवात मैंडूस
संदर्भ:
- चक्रवात मैंडूस के आने से आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के कई हिस्सों में भारी बारिश हुई है।
चक्रवात मैंडूस
चित्र स्रोत: The Hindu
- चक्रवात मैंडूस एक चक्रवाती तूफान है और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इसके द्वारा देश के कुछ हिस्सों में भारी वर्षा होने का अनुमान लगाया था।
- चक्रवातों का नामकरण विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) द्वारा किया जाता है, जिसके पास चक्रवातों के नामों की एक चक्रण सूची होती है।
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, “मैंडूस” नाम U.A.E द्वारा प्रस्तावित किया गया था जो विश्व मौसम विज्ञान संगठन का सदस्य भी है।
- अरबी भाषा में “मैंडूस” शब्द का अर्थ है “खजाने का बक्सा” (treasure box)।
- विभिन्न क्षेत्रों में “रेड अलर्ट” घोषित किया गया था और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) तथा राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) के कर्मियों को संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किया गया था।
चक्रवात के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें – Cyclones
- स्क्रैमजेट इंजन
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं तकनीक;
विषय: अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता
प्रारंभिक परीक्षा: स्क्रैमजेट इंजन
संदर्भ:
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने स्क्रैमजेट इंजन का हॉट टेस्ट (hot test) संपन्न किया।
स्क्रैमजेट इंजन:
- स्क्रैमजेट एक सुपरसोनिक-दहन रैमजेट इंजन है जिसमें इंजन के माध्यम से वायु का प्रवाह सुपरसोनिक (ध्वनि की गति से अधिक) गति से ही होता है।
- सामान्य जेट इंजनों के विपरीत जिसमें संपीडन अनुभाग हवा को संपीड़ित करता है, एक रैमजेट इंजन विमान की अग्र गति से संपीड़ित हवा की एक धारा में ईंधन के दहन से संचालित होता है।
- एक रैमजेट इंजन के माध्यम से हवा का प्रवाह सबसोनिक गति (ध्वनि की गति से कम) से होता है।
- रैमजेट इंजन मैक 3 से मैक 6 तक काम कर सकता है।
- किसी विमान (वाहन) की गति की ध्वनि की गति के साथ अनुपात को मैक संख्या के रूप में जाना जाता है।
- स्क्रैमजेट चालित वाहन 15 मैक तक की गति से काम कर सकते हैं।
- स्क्रैमजेट इंजन उड़ान के दौरान वातावरण से ऑक्सीजन ग्रहण करके सुपरसोनिक दहन की सुविधा प्रदान करते हैं।
- इसके बाद, ग्रहण की गई ऑक्सीजन पहले से ही वाहन में संग्रहीत हाइड्रोजन के साथ मिश्रित हो जाती है, जिससे दहन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और उपग्रह को उसकी निर्दिष्ट कक्षा में स्थापित करने के लिए आवश्यक बल मिल जाता है।
- ऐसे इंजन जो वायुमंडल से ऑक्सीजन ग्रहण कर सकते हैं, वे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि वे प्रणोदक की आवश्यकता को लगभग 70% कम करने में मदद करते हैं।
चित्र स्रोत: Shutterstock
- तीन हिमालयी औषधीय पादप IUCN की लाल सूची में शामिल
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
पर्यावरण और जैव विविधता:
विषय: पर्यावरण और जैव विविधता संरक्षण
प्रारंभिक परीक्षा: मीज़ोट्रोपिस पेलिटा, फ्रिटिलोरिया सिरोसा और डैक्टाइलोरिज़ा हैटागिरिया के बारे में
संदर्भ:
- हिमालय में पाई जाने वाली तीन औषधीय पादप प्रजातियों को अन्तर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की लाल सूची में संकटग्रस्त प्रजातियों के रूप में शामिल किया गया है।
विवरण:
- मीज़ोट्रोपिस पेलिटा (Meizotropis pellita):
चित्र स्रोत: eFlora of India
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- इस प्रजाति को आमतौर पर पटवा (Patwa) के रूप में जाना जाता है।
- यह एक बारहमासी झाड़ी है जिसका वितरण (distribution) सीमित है और यह उत्तराखंड के लिए स्थानिक है।
- वनोन्मूलन, आवास विखंडन और वनाग्नि की घटना के कारण यह प्रजाति खतरे का सामना कर रही है।
- इस झाड़ी की पत्तियों से निष्कर्षित तेल में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और इसका उपयोग फार्मास्युटिकल उद्योगों में सिंथेटिक एंटीऑक्सिडेंट के लिए एक आशाजनक प्राकृतिक विकल्प के रूप में किया जा सकता है।
- IUCN स्थिति: गंभीर रूप से विलुप्तप्राय
- फ्रिटिलोरिया सिरोसा (Fritillaria cirrhosa):
चित्र स्रोत: eFlora of India
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- यह एक बारहमासी कन्दीय जड़ी बूटी है जिसे आमतौर पर हिमालयी फ्रिटिलरी (Himalayan fritillary) के रूप में जाना जाता है।
- इस पादप को एक शक्तिशाली खांसी दमनकारी के रूप में जाना जाता है और इसका उपयोग चीन में ब्रोन्कियल विकारों और निमोनिया के इलाज के लिए किया जाता है।
- यह प्रजाति लंबे जीवनकाल, निम्न अंकुरण क्षमता, उच्च व्यापार मूल्य, व्यापक कटाई के कारण दबाव और अवैध व्यापार के कारण गिरावट का सामना कर रही है।
- IUCN स्थिति: सुभेद्य
- डैक्टाइलोरिज़ा हैटागिरिया (Dactylorhiza hatagirea):
चित्र स्रोत: ResearchGate
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- इस प्रजाति को आमतौर पर सालमपंजा (Salampanja) के रूप में जाना जाता है और यह आमतौर पर हिमालय में पाए जाने वाले आर्किड की एक प्रजाति है।
- इस प्रजाति को निवास स्थान के नुकसान, पशुचारण, वनोन्मूलन और जलवायु परिवर्तन से खतरा है।
- पेचिश, जठरशोथ, पुराने बुखार, खांसी और पेट दर्द को ठीक करने के लिए आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और चिकित्सा की अन्य वैकल्पिक प्रणालियों में इस प्रजाति का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
- IUCN स्थिति: संकटग्रस्त
महत्वपूर्ण तथ्य:
- केंद्र ने चार राज्यों में अनुसूचित जनजाति (ST) सूची को संशोधित करने के लिए विधेयक पेश किया:
- केंद्र सरकार ने चार विधेयक पेश किए हैं जिनमें संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में संशोधन करके चार राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजातियों (ST) की सूची में बदलाव करने का प्रस्ताव है।
- विधेयक में तमिलनाडु की अनुसूचित जनजातियों (ST) की सूची में नारिकोरवन और कुरीविक्करन पहाड़ी जनजातियों को शामिल करने का प्रस्ताव है।
- सरकार ने एक अन्य विधेयक के माध्यम से बेट्टा-कुरुबा को कर्नाटक की अनुसूचित जनजातियों (ST) की सूची में पहले से वर्गीकृत कडु कुरुबा के पर्याय के रूप में शामिल करने का प्रस्ताव किया है।
- छत्तीसगढ़ की ST सूची में पहले से वर्गीकृत भारिया भूमिया जनजाति के लिए देवनागरी लिपि में कई पर्यायवाची शब्दों को जोड़ने के लिए भी एक विधेयक पेश किया गया है।
- इसके अलावा, सिरमौर जिले के ट्रांस-गिरि क्षेत्र के हट्टी समुदाय को हिमाचल प्रदेश की ST सूची में जोड़ा गया है।
- ILO के घोषणापत्र में देशों से श्रम सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया:
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की सत्रहवीं एशिया और प्रशांत क्षेत्रीय बैठक में सदस्य देशों के लिए श्रमिकों की घटती मजदूरी, मुद्रास्फीति और बेरोजगारी के मुद्दों को हल करने के लिए राष्ट्रीय कार्रवाई की 10-बिंदु प्राथमिकताएं निर्धारित की गईं।
- सिंगापुर घोषणा को बैठक के दौरान अपनाया गया था जिसमें इस तथ्य को स्वीकार किया गया था कि सामाजिक संवाद श्रम बाजार की चुनौतियों का समाधान करने और संकट की स्थितियों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण था।
- घोषणा के माध्यम से, ILO ने सरकारों से संघ की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और सामूहिक सौदेबाजी के अधिकार की मान्यता के माध्यम से सभी के लिए श्रम सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है, जिसमें सुभेद्य परिस्थितियों और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करने वाले श्रमिकों के लिए उचित काम के अधिकारों को सक्षम करने के अधिकार शामिल हैं।
- घोषणा में दुनिया में लैंगिक अंतराल को खत्म करने और महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी बढ़ाने तथा समान वेतन को बढ़ावा देने वाले उपाय करने का भी आह्वान किया गया है।
- इसके अतिरिक्त, घोषणापत्र में सरकारों से प्रशासनिक ढांचे में सुधार करने और प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघ की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-से सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत “सूचना” में शामिल हैं?
- अभिलेख
- ई मेल
- मत
- लॉग बुक
- नमूने
विकल्प:
- केवल 1, 2 और 3
- केवल 3, 4 और 5
- केवल 1, 2, 4 और 5
- 1, 2, 3, 4 और 5
उत्तर: विकल्प d
व्याख्या:
- सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 2 (f) के अनुसार, किसी भी स्वरुप में कोई भी सामग्री, जिसमें किसी भी इलेक्ट्रॉनिक रूप में धारित अभिलेख, दस्तावेज, ज्ञापन, ई-मेल, मत, सलाह, प्रेस विज्ञप्ति, परिपत्र, आदेश, लॉग बुक, संविदा , रिपोर्ट, कागजात, नमूने, मॉडल, आंकड़ों संबंधी सामग्री तथा किसी निजी निकाय से संबंधित जानकारी जिसे लोक प्राधिकरण तत्समय लागू किसी कानून के अंतर्गत प्राप्त कर सकता है, शामिल हैं, सूचना के प्रकार हैं जिन्हें प्राप्त किया जा सकता है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित पादपों में से कौन-सा/से संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN लाल सूची में गंभीर रूप से संकटग्रस्त के रूप में वर्गीकृत है/हैं?
- मीज़ोट्रोपिस पेलिटा (Meizotropis pellita )
- फ्रिटिलोरिया सिरोसा (Fritilloria cirrhosa)
- डैक्टाइलोरिजा हेटेगिरिया (Dactylorhiza hatagirea )
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 1 और 2
- केवल 2
- 1, 2 और 3
उत्तर: विकल्प a
व्याख्या:
- हिमालय में पाई जाने वाली तीन औषधीय पादप प्रजातियों को अन्तर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की लाल सूची में संकटग्रस्त प्रजातियों के रूप में शामिल किया गया है।
- मीज़ोट्रोपिस पेलिटा: गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- फ्रिटिलोरिया सिरोसा: सुभेद्य
- डैक्टाइलोरिजा हेटेगिरिया : संकटग्रस्त
प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा अनुपूरक अनुदान (Supplementary Grant) का सर्वोत्तम विवरण है?
- यह भारत के संसाधनों पर एक अप्रत्याशित मांग को पूरा करने के लिए प्रदान किया जाता है, जब सेवा की अनिश्चित प्रकृति या परिमाण के कारण, बजट में सामान्य रूप से दिए गए विवरण के साथ मांग को नहीं बताया जा सकता है।
- यह तब प्रदान किया जाता है जब चालू वित्तीय वर्ष हेतु किसी विशेष सेवा के लिए विनियोग अधिनियम (appropriation act) के माध्यम से संसद द्वारा अधिकृत राशि उस वर्ष के लिए अपर्याप्त पाई जाती है।
- यह तब प्रदान किया जाता है जब चालू वित्तीय वर्ष के दौरान उस वर्ष के बजट में परिकल्पित न की गई किसी नई सेवा पर अतिरिक्त व्यय की आवश्यकता उत्पन्न होती है।
- यह तब प्रदान किया जाता है जब किसी वित्तीय वर्ष के दौरान किसी सेवा पर उस वर्ष के बजट में उस सेवा हेतु प्रदत्त राशि से अधिक धन खर्च किया गया हो। इस पर वित्तीय वर्ष के बाद लोकसभा द्वारा मतदान किया जाता है।
उत्तर: विकल्प b
व्याख्या:
- अनुपूरक अनुदान से तात्पर्य सरकार के आवश्यक व्यय को पूरा करने के लिए आवश्यक अनुदान से है।
- अनुपूरक अनुदान तब प्रदान किया जाता है जब संसद द्वारा विनियोग अधिनियम के माध्यम से चालू वित्तीय वर्ष हेतु किसी विशेष सेवा के लिए अधिकृत राशि उस वर्ष के लिए अपर्याप्त पाई जाती है।
प्रश्न 4.निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- एकल नागरिकता की अवधारणा ब्रिटिश संविधान से ली गई है।
- भारत की नागरिकता चार तरीकों से प्राप्त की जा सकती है।
- नागरिकता उस स्थिति में समाप्त हो जाती है यदि नागरिक सामान्य रूप से लगातार सात वर्षों से भारत से बाहर रह रहा हो।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर: विकल्प c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: भारत में एकल नागरिकता की अवधारणा ब्रिटिश संविधान से ली गई है जो यूनाइटेड किंगडम से है।
- कथन 2 सही नहीं है: ऐसे पाँच तरीके हैं जिनसे भारतीय नागरिकता प्राप्त की जा सकती है:
- जन्म से
- क्षेत्र के अधिग्रहण या समावेशन द्वारा
- वंश द्वारा
- पंजीकरण द्वारा
- देशीयकरण द्वारा
- कथन 3 सही है: केंद्र सरकार, आदेश द्वारा, ऐसे किसी भी नागरिक को भारतीय नागरिकता से वंचित कर सकती है, जो सामान्य रूप से सात साल की अवधि से भारत से बाहर रह रहा है, और उस अवधि के दौरान वह न तो:
- किसी भी समय भारत के बाहर किसी देश में किसी भी शैक्षणिक संस्थान का छात्र रहा हो, न ही
- भारत में सरकार की सेवा में, न ही
- एक अंतरराष्ट्रीय संगठन की सेवा में हो जिसका भारत सदस्य है, न ही
- किसी भारतीय वाणिज्य दूतावास में निर्धारित तरीके से सालाना आधार पर पंजीकृत हो।
प्रश्न 5. हाल ही में हैदराबाद में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा रामानुज की आसन मुद्रा में विश्व की दूसरी सबसे ऊंची मूर्ति का उद्घाटन किया गया था। निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक, रामानुज की शिक्षाओं को सही निरूपित करता है?
- मोक्ष प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन भक्ति था।
- वेद शाश्वत, आत्म-प्रतिष्ठित तथा पूर्णतया प्रामाणिक हैं।
- तर्कसंगत युक्तियां सर्वोच्च आनंद के मौलिक माध्यम थे।
- ध्यान के माध्यम से मोक्ष पाया जा सकता था।
उत्तर: विकल्प a
व्याख्या:
- रामानुज अलवरों से प्रभावित थे और उनका दृढ़ विश्वास था कि विष्णु की गहन भक्ति मोक्ष प्राप्त करने का सबसे अच्छा साधन है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. वीटो शक्ति की उपलब्धता के अभाव वाले G20 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को प्रतिस्थापित करने की क्षमता है। टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
प्रश्न 2. जब लाभार्थियों को शामिल करने की बात आती है तो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 को और अधिक लचीला बनाने की आवश्यकता है। क्या आप सहमत हैं? विस्तार से समझाए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – शासन)