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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 10 March, 2023 UPSC CNA in Hindi

10 मार्च 2023 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

  1. केंद्र IT कानून में ‘सेफ हार्बर’ खंड पर पुनर्विचार करेगा:

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

  1. किसान की पीड़ा – गिरती कीमतें, विफल होती उम्मीदें:

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

बुनियादी ढांचा:

  1. भारतीय रेलवे और पीएम गति शक्ति:

पर्यावरण:

  1. चीता और भारत के घास के मैदान:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. माइमुसेमिया सीलोनिका:
  2. ट्रोपेक्स अभ्यास:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत शीर्ष स्तरीय सुरक्षा भागीदार है:
  2. पशुधन को दी जाने वाली प्रतिजैविक दवाएं मिट्टी में कार्बन को कम करती हैं और जलवायु को प्रभावित करती हैं: IISc अध्ययन
  1. IBSA डिजिटल गवर्नेंस में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है: डिप्लोफाउंडेशन (DiploFoundation) की रिपोर्ट

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

किसान की पीड़ा – गिरती कीमतें, विफल होती उम्मीदें:

अर्थव्यवस्था:

विषय: कृषि उपज का विपणन एवं इसके मुद्दे और संबंधित बाधाएं।

मुख्य परीक्षा: भारत में प्याज और आलू की कीमतों में गिरावट- प्रमुख कारण, निहितार्थ और इसके व्यवहार्य समाधान।

प्रसंग:

  • आज की स्थिति में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में प्याज और आलू उगने वाले किसान अत्यंत तनावग्रस्त स्थिति में हैं।

पृष्ठभूमि:

  • आज जब किसान अपनी फसल की उपज के लिए कम से कम ₹400 से ₹500 प्रति क्विंटल की कीमत मिलने उम्मीद कर रहे हैं, तो उनकी उपज की केवल ₹150 से ₹200 प्रति क्विंटल के हिसाब से नीलाम की जा रही है।
  • उत्पादन लागत जिसमें बीज, श्रम, कीटनाशी, पीड़कनाशी, और प्याज की खेती के लिए अन्य व्यय शामिल हैं, जो कि ₹800 से ₹1,000 तक है, के अलावा किसानों को परिवहन शुल्क भी वहन करना होगा जो ₹1,500 होगा।
  • जबकि, थोक बाजार में व्यापारियों द्वारा उत्पाद खरीदने के लिए दी जाने वाली उच्चतम राशि केवल ₹500 प्रति क्विंटल है।
  • महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश राज्यों में प्याज और आलू के किसान समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिसके कारण उनके कर्ज में वृद्धि हुई है।

किसानों की परेशानी के प्रमुख कारण:

  • थोक बाजार में कीमतों में गिरावट
  • विपरीत मौसम स्थितियां
  • 2016 में नोटबंदी
  • कोविड-19 महामारी प्रेरित लॉकडाउन।

गुजरात का मामला:

  • पिछले सीजन की तुलना में 15-20% तक की बंपर पैदावार के कारण कीमतों में गिरावट आई है।
  • किसानों के लिए पैदावार में वृद्धि का मतलब होता है कि किसान अपनी फसल के बिक्री मूल्य पर नियंत्रण खो देते है क्योंकि अधिक पैदावार के बाद बिक्री मूल्य मांग और आपूर्ति के आधार पर निर्धारित होता है।
  • इसके अलावा यह कहा जाता है कि किसानों ने श्रम, कीटनाशकों, सिंचाई और माल भाड़े की बढ़ती लागत पर भी नियंत्रण खो दिया है।
  • फसल की कीमतों में गिरावट के चलते कुछ किसानों ने अपनी कटी हुई फसल को गुजरात के महुवा में कृषि उत्पाद बाजार समिति (APMC) परिसर में छोड़ दिया है, जो सफेद प्याज के लिए भारत का सबसे बड़ा प्याज व्यापार केंद्र है और लाल प्याज के लिए दूसरा सबसे बड़ा केंद्र है।

महाराष्ट्र में किसानों की परेशानी:

  • भारत के प्याज उत्पादन का लगभग 30% हिस्सा महाराष्ट्र के नासिक में पैदा होता है।
  • महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में वर्ष 2015 के बाद से हर साल सूखे और 2022 में अत्यधिक वर्षा जैसी प्रतिकूल मौसम की स्थिति देखी गई है, जिसने खेती को प्रभावित किया है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि प्याज राजनीतिक रूप से एक संवेदनशील फसल है और सत्ता में बैठे राजनीतिक दल इसकी कीमतों को कम रखने की कोशिश करते हैं।
  • हाल ही में, सोलापुर जिले के बोरगाँव का एक प्याज किसान 70 किलोमीटर की यात्रा करके जिला मुख्यालय स्थित APMC केंद्र तक पहुँचा और एक व्यापारी को 512 किलोग्राम प्याज बेचने पर उस किसान को ₹2.49 का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ।
  • कई किसान इस मुद्दे की गंभीरता को महसूस कर रहे हैं क्योंकि अब उन पर औसत कर्ज 5 लाख रुपये है।

उत्तर प्रदेश में आलू की खेती करने वाले किसानों के सामने चुनौतियाँ:

  • भारत का सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है। हालाँकि, नोटबंदी के तुरंत बाद वर्ष 2017 में आलू की कीमतों में गिरावट के समान ही एक संकट राज्यों पर मंडरा रहा है।
  • सर्दियों की फसल होने के कारण आलू की खेती के लिए ठंडी परिस्थितियों की आवश्यकता होती है और मौसम की बदलती परिस्थितियों ने उत्पादन को काफी प्रभावित किया है।
  • उत्तर प्रदेश में किसान दो मुद्दों का सामना कर रहे हैं, फसल मूल्य में गिरावट और उपज में 15% से 20% की महत्वपूर्ण कमी।
  • मांग कम होने के कारण आलू कोल्ड स्टोरेज में भेजा जा रहा है। हालांकि, हाल के वर्षों में राज्य की 1,971 कोल्ड स्टोरेज इकाइयां पूरी क्षमता से चल रही हैं।

भावी कदम:

  • किसानों को ऑपरेशन ग्रीन्स योजना (Operation Greens scheme) का उपयोग करना चाहिए जो परिवहन लागत पर केंद्र से 50% सब्सिडी की मदद से किसानों को राज्य के बाहर अपनी उपज बेचने की सुविधा प्रदान करती है।
  • इस उत्पादन व्यय को कम करने के लिए सरकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता है जिसमें बीज, उर्वरक और कीटनाशकों की कीमतें शामिल हैं जो हाल के वर्षों में दो गुना बढ़ गई हैं।
  • प्याज और आलू के निर्यात को बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए जिससे भारतीय किसानों को काफी लाभ हो।
  • किसान संघ सरकार से भारत के मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में आलू और प्याज का व्यापार करने की मांग कर रहे हैं।
  • इसके समाधान हेतु एक किसान आयोग की स्थापना की जा सकती है जो किसानों को अपनी फसलों की कीमत उसी तरह तय करने का अधिकार दे, जैसे उद्योगपति अपने उत्पादों के लिए करते हैं और उनके हितों की रक्षा भी करते हैं।

सारांश:

  • उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, और गुजरात जैसे राज्यों में प्याज और आलू की खेती करने वाले किसान अत्यंत तनावग्रस्त स्थिति में जी रहे हैं, क्योंकि उनके उत्पादन को उसकी लागत से काफी कम कीमतों पर बेचा जा रहा है। इस पर नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि ये फसलें भारतीय रसोई का एक सर्वव्यापी हिस्सा हैं और इस तरह के संकट के दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

केंद्र IT कानून में ‘सेफ हार्बर’ खंड पर पुनर्विचार करेगा:

शासन:

विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप और उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 से संबंधित जानकारी।

मुख्य परीक्षा: डिजिटल इंडिया अधिनियम, 2023 की आवश्यकता और अधिनियम के महत्वपूर्ण प्रावधान।

प्रसंग:

  • केंद्र सरकार डिजिटल इंडिया अधिनियम, 2023 का मसौदा तैयार कर रही है, जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की जगह लेगा।

डिजिटल इंडिया अधिनियम, 2023 का विवरण:

  • एक रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल इंडिया विधेयक, 2023 का एक मसौदा जुलाई की शुरुआत तक तैयार हो जाएगा।
  • हाल में की गई घोषणाओं के अनुसार, सरकार “सेफ हार्बर” (safe harbour) खंड पर पुनर्विचार करना चाह रही है जो साइबर स्पेस का एक प्रमुख पहलू है।
  • “सेफ हार्बर” खंड के अनुसार, सोशल मीडिया मध्यस्थ किसी तीसरे पक्ष द्वारा उनकी वेबसाइटों पर पोस्ट की गई सामग्री के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं।
  • इस तरह के एक खंड ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अपने उपयोगकर्ताओं द्वारा किए गए पोस्ट और सामग्री के लिए उत्तरदायित्व से बचने की अनुमति दी है।
  • हाल ही में अधिसूचित की गई सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में भी सेफ हार्बर खंड पर लगाम लगाई गई थी, जो सरकार द्वारा मध्यस्थों को पोस्ट हटाने का आदेश दिए जाने पर सोशल मीडिया मध्यस्थों को ऐसा करना अनिवार्य बनाता है।
  • केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने डिजिटल इंडिया अधिनियम में पेश किए गए संभावित परिवर्तनों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संवैधानिक सुरक्षा का विस्तार करके अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की अपनी मॉडरेशन नीतियों की जाँच की जाएगी।
  • मंत्री ने आगे कहा कि मौलिक अभिव्यक्ति अधिकारों का किसी भी प्लेटफ़ॉर्म द्वारा उल्लंघन नहीं किया जा सकता है, लेकिन गलत सूचना के शस्त्रीकरण से निपटने का प्रावधान होना चाहिए।
  • डिजिटल इंडिया अधिनियम अन्य पहलुओं जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), डीपफेक, साइबर अपराध, प्रतिस्पर्धा के मुद्दों और डेटा संरक्षण को भी कवर करेगा।
  • सरकार से डिजिटल इंडिया अधिनियम के माध्यम से स्पाई कैमरा ग्लासेस और पहनने योग्य तकनीक जैसे गोपनीयता का उल्लंघन करने वाले उपकरणों पर कड़े नियम लागू करने की भी उम्मीद है।
  • यह अधिनियम कैटफिशिंग, डॉक्सिंग, ट्रोलिंग और फिशिंग जैसे विभिन्न नए जटिल मुद्दों को भी संबोधित करेगा, जो आईटी अधिनियम, 2000 के लागू होने के बाद के वर्षों में सामने आए हैं।
  • ऑनलाइन किए गए आपराधिक और दीवानी अपराधों से निपटने के लिए एक नया न्यायिक तंत्र या प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

सारांश:

  • 2000 में आईटी अधिनियम के लागू होने के बाद हुई तकनीकी प्रगति ने चुनौतियों का एक नया सेट पेश किया है, जिसने आधुनिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए नए कानून तैयार करना अत्यंत महत्वपूर्ण बना दिया है। हालांकि, इस तरह के अधिनियम को केवल हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श करने के बाद ही तैयार किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह भविष्य के लिए तैयार और फ्यूचरप्रूफ हो।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

भारतीय रेलवे और पीएम गति शक्ति:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

बुनियादी ढांचा:

विषय: रेलवे; लॉजिस्टिक्स।

मुख्य परीक्षा: भारत में रेलवे सुधारों की आवश्यकता और महत्व।

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ‘बुनियादी ढांचा और निवेश: पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के साथ लॉजिस्टिक दक्षता में सुधार’ पर बजट के पश्चात् एक वेबिनार को संबोधित किया।

भूमिका:

  • 2013-14 की तुलना में भारत का पूंजीगत व्यय 5 गुना बढ़ गया है और सरकार ने राष्ट्रीय बुनियादी ढाँचा पाइपलाइन के तहत 110 लाख करोड़ रुपये निवेश करने का लक्ष्य रखा है।
  • केंद्रीय बजट 2023 में पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (PM Gati Shakti National Master Plan) को राज्यों के लिए ₹5,000 करोड़ से बढ़ाकर ₹10,000 करोड़ कर दिया है।
  • केंद्रीय बजट 2023 में भारतीय रेलवे के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय की भी घोषणा की गई है।
  • 2030 तक माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी को 27% से बढ़ाकर 45% करने और माल ढुलाई को 1.2 बिलियन टन से बढ़ाकर 3.3 बिलियन टन करने के लक्ष्य के साथ, पीएम गति शक्ति रेल द्वारा माल ढुलाई को बाधित करने वाली ढांचागत चुनौतियों का समाधान करने के लिए उपयुक्त मंच प्रदान करती है।

उपयुक्तता के सापेक्ष लागत:

  • वर्तमान में, 65% माल ढुलाई इसकी उपयुक्तता के कारण सड़क परिवहन के माध्यम से की जाती है।
  • सड़क परिवहन आमतौर पर कम दूरी और कम मात्रा में कार्गो के परिवहन के लिए पसंद किया जाता है। यह डिलीवरी के समय और मार्गों के मामले में उच्च स्तर का लचीलापन प्रदान करता है। सड़क परिवहन खराब होने वाले और समय के प्रति संवेदनशील सामानों के लिए भी उपयुक्त है, जिनके तत्काल वितरण की आवश्यकता होती है।
  • हालाँकि, इसके परिणामस्वरूप सड़कों पर बोझ बढ़ जाता है, और इसलिए, अधिक भीड़भाड़, प्रदूषण में वृद्धि, और परिणामी रसद लागत में वृद्धि होती है।
    • सड़क क्षेत्र में माल ढुलाई लागत सबसे अधिक है (रेल लागत से लगभग दोगुनी)।
  • भारत में रेलवे अन्य अधिक लचीले माध्यमों के हाथों माल ढुलाई का अपना हिस्सा खो रहा है। माल ढुलाई के एक माध्यम के रूप में रेलवे को अपनाने से भारत की रसद प्रतिस्पर्धात्मकता में काफी सुधार होगा।
  • लंबी दूरी पर बड़ी मात्रा में माल के परिवहन के लिए रेल परिवहन अधिक उपयुक्त है। यह आम तौर पर लंबी दूरी के लिए सड़क परिवहन की तुलना में अधिक लागत प्रभावी है, तथा भारी और स्थूल सामान का प्रबंधन कर सकता है जो सड़क मार्ग से परिवहन के लिए संभव नहीं हो सकता है।
  • रेल परिवहन भी अधिक पर्यावरण के अनुकूल है, क्योंकि यह प्रति टन माल ढुलाई में कम उत्सर्जन निर्मुक्त करता है।

कंटेनर यातायात में वृद्धि:

  • गैर-स्थूल वस्तुओं के परिवहन का रेल माल ढुलाई में बहुत कम हिस्सा है।
  • 2020-21 में, 1.2 बिलियन टन की कुल माल ढुलाई में 44% हिस्सा कोयले का था, इसके बाद लौह अयस्क (13%), सीमेंट (10%), खाद्यान्न (5%), उर्वरक (4%), लोहा और इस्पात (4%), आदि थे।
  • कंटेनरों में गैर-स्थूल वस्तुओं को ले जाने की सुविधा के कारण पिछले एक दशक में कंटेनरीकृत यातायात में वृद्धि हुई है, जो 2008 में 7.6 मिलियन बीस-फुट समतुल्य इकाई (Twenty-foot Equivalent Unit – TEU) से बढ़कर 2020 में 16.2 मिलियन TEU हो गई है।
    • TEU कार्गो क्षमता की एक इकाई है।

अवसंरचनागत बाधाएं:

  • भारत का रेल नेटवर्क कई अवसंरचनागत बाधाओं का सामना करता है जो रेल द्वारा माल की आवाजाही को प्रभावित करता है।
  • भारत में रेल नेटवर्क अत्यधिक बोझिल और भीड़भाड़ भरा है, जिससे माल ढुलाई में काफी देरी होती है।
  • अंतिम-मील कनेक्टिविटी अवसंरचना की कमी, जैसे कनेक्टिंग सड़कों और गोदामों की कमी, माल को रेल टर्मिनल से अंतिम गंतव्य तक कुशलता से ले जाना मुश्किल बना देती है। इसके परिणामस्वरूप परिवहन में अतिरिक्त लागत जुड़ जाती है और माल पहुँचने में देरी होती है।
  • भारत में रेल साइडिंग की कमी है, जो ट्रेनों से माल की कुशल लोडिंग और अनलोडिंग को बाधित करती है।
  • भारत में मालगाड़ियों की औसत गति अपेक्षाकृत धीमी है, जो माल की डिलीवरी के समय को प्रभावित करती है। यह कई कारकों के कारण है जैसे पुराने और अप्रचलित बुनियादी ढांचे, समर्पित माल भाड़ा गलियारों की सीमित संख्या और ट्रेन की गति बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीक की कमी।
  • भारत में एक सुस्थापित इंटरमोडल परिवहन बुनियादी ढांचे का अभाव है, जो परिवहन के विभिन्न साधनों जैसे रेल, सड़क और समुद्र के बीच माल के कुशल हस्तांतरण को बाधित करता है।
  • इन चुनौतियाँ के कारण सड़कों के माध्यम से माल ढुलाई की आवश्यकता पड़ती है।

भावी कदम:

  • विश्व स्तर पर, रेलवे सिस्टम त्वरित और कम लागत वाले कंटेनर के परिवहन के लिए उन्नत रेल अवसंरचना में भारी निवेश कर रहे हैं।
    • उदाहरण के लिए, चीन कंटेनरों को ले जाने के लिए विशेष ट्रेनों का उपयोग करता है जो महत्वपूर्ण बंदरगाहों को आतंरिक हिस्सों से जोड़ता है, और अधिक दक्षता के लिए कंटेनर यातायात और नियोजित डबल डेकर कंटेनर कैरिज को स्थानांतरित करने के लिए समर्पित रेल लाइनें हैं।
  • जबकि भारतीय रेलवे अपने बुनियादी ढांचे (पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान) का उन्नयन कर रहा है, नई प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान के साथ-साथ मौजूदा परियोजनाओं की निरंतर निगरानी रेल माल ढुलाई के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगी।
  • संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए, भारतीय रेलवे को उचित नीतिगत साधनों द्वारा समर्थित बुनियादी ढांचे का उन्नयन करना चाहिए और टर्मिनलों, कंटेनरों और गोदामों के प्रबंधन और संचालन में निजी भागीदारी को बढ़ावा देना चाहिए।
  • निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में इंटरमोडल लॉजिस्टिक्स का प्रबंधन करने के लिए रेलवे के तहत कार्गो आवाजाही और भुगतान लेनदेन के लिए ग्राहकों हेतु एकल खिड़की के रूप में कार्य करने वाली एक विशेष इकाई की स्थापना करने से प्रथम और अंतिम मील के मुद्दों को हल करने में मदद मिलेगी।
  • यात्री ट्रेनों में दो कार्गो वैगनों में से एक के लिए उबर जैसे मॉडल की शुरूआत इन वैगनों की उपयोगिता दर बढ़ाने में मदद कर सकती है, जिसमें ग्राहक ऑनलाइन एप्लिकेशन का उपयोग करके वैगन बुक कर सकते हैं।
    • यह बुनियादी ढांचे में किसी अतिरिक्त निवेश के बिना सीधे माल ढुलाई बढ़ा सकता है।
  • प्रथम और अंतिम मील कनेक्टिविटी के साथ एक एकीकृत लॉजिस्टिक्स अवसंरचना, सड़कों के साथ रेल आवाजाही को प्रतिस्पर्धी बना देगा, तथा नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों को रेल द्वारा निर्यात की सुविधा प्रदान करेगा।

सारांश:

  • माल ढुलाई और उसमें रेलवे की हिस्सेदारी बढ़ाने के लक्ष्य के साथ, पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का उद्देश्य उन अवसंरचनागत चुनौतियों का समाधान करना है, जिन्होंने रेल द्वारा माल ढुलाई को बाधित किया है। रेलवे रसद संचलन का एक कुशल और किफ़ायती मोड प्रदान करता है तथा एक समन्वित और एकीकृत रसद प्रणाली को सक्षम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

चीता और भारत के घास के मैदान:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पर्यावरण:

विषय: जैव विविधता संरक्षण।

मुख्य परीक्षा:भारत के घास के मैदानों के लिए चीतों का महत्व।

प्रसंग:

  • दक्षिण अफ्रीका से बारह चीतों को 18 फरवरी, 2023 को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में सफलतापूर्वक स्थानांतरित कर दिया गया।

भूमिका:

  • भारत में चीता के पुनः प्रवेश की प्रक्रिया में भारत की मूल उप-प्रजातियों (एशियाई चीता) के विलुप्त होने के 70 से अधिक वर्षों के बाद दक्षिण पूर्व अफ्रीकी चीता की एक छोटी आबादी को भारत में लाने और उन्हें बनाए रखने के प्रयास शामिल हैं।
    • एशियाई उप-प्रजाति अब गंभीर रूप से लुप्तप्राय संख्या में केवल ईरान में पाई जाती है।
  • सितंबर 2022 से, भारत ने नामीबिया से आठ और दक्षिण अफ्रीका से 12 अफ्रीकी चीतों को स्थानांतरित किया है।
  • प्रोजेक्ट चीता का लक्ष्य पांच वर्षों में विभिन्न राष्ट्रीय उद्यानों में 50 चीतों को वापस लाना है।

भारत में चीता के पुन: प्रवेश के बारे में अधिक जानकारी के लिए: Cheetah Reintroduction in India

भारत के घास के मैदानों पर प्रभाव:

  • शीर्ष परभक्षी के रूप में चीता घास स्थल पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • घास के मैदान भारत के भूमि क्षेत्र के एक महत्वपूर्ण हिस्से को कवर करते हैं और कार्बन पृथक्करण, मृदा संरक्षण और जल विनियमन जैसी आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करते हैं।
  • हालांकि, अतिवृष्टि, निवास स्थान के क्षरण और विखंडन के कारण वे खतरे में हैं। इससे चरागाह पारिस्थितिकी तंत्र का ह्रास हुआ है और कई चरागाह प्रजातियों की आबादी में गिरावट आई है।
  • चीतों का पुन: प्रवेश भारत के घास के मैदानों के पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करने में मदद कर सकता है। चीते शाकाहारी जानवरों का शिकार करते हैं, जैसे कि चिंकारा और मृग, जो उनकी आबादी को नियंत्रित करने और अतिचारण को रोकने में मदद करते हैं। इससे वनस्पति के विकास को बढ़ावा मिलता है और घास के मैदानों की जैव विविधता को बनाए रखने में मदद मिलती है।
  • इसके अतिरिक्त, चीतों की उपस्थिति पर्यटकों को आकर्षित कर सकती है, जो स्थानीय समुदायों को आर्थिक लाभ प्रदान कर सकती है और संरक्षण के प्रयासों को प्रोत्साहित कर सकती है।
  • कुल मिलाकर, भारत में चीतों के पुन: प्रवेश में देश के घास के मैदानों को बचाने और पारिस्थितिक स्थिरता को बढ़ावा देने की क्षमता है। यह एक जटिल और दीर्घकालिक परियोजना है जिसके लिए सावधानीपूर्वक नियोजन और कार्यान्वयन की आवश्यकता है, लेकिन पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और स्थानीय समुदायों के लिए इसके महत्वपूर्ण लाभ हो सकते हैं।

सफलता की कहानियां:

  • 1973 में शुरू की गई प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger) पहल, भारत में बाघों और उनके आवासों के संरक्षण और सुरक्षा में एक बड़ी सफलता रही है। वर्तमान में, भारत के पास 53 आरक्षित क्षेत्र हैं जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 2.3% है।
  • बड़े पारिस्थितिक तंत्र के विकास के लिए टाइगर रिजर्व भी महत्वपूर्ण हैं। ये रिज़र्व विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और जीवों के लिए एक सुरक्षित आश्रय प्रदान करते हैं, जिनमें से कई संकटग्रस्त हैं या लुप्तप्राय हैं।
  • बाघों के आवासों का संरक्षण और सुरक्षा करके, प्रोजेक्ट टाइगर ने कई अन्य प्रजातियों के संरक्षण में भी योगदान दिया है।
  • ऊदबिलाव को 20वीं शताब्दी के दौरान उत्तरी अमेरिका के कई हिस्सों में बसाया गया था, और उनका उन पारिस्थितिक तंत्रों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है जिनमें वे निवास करते हैं। ऊदबिलाव बांध और तालाब बनाते हैं, जो मछलियों, उभयचरों, पक्षियों और स्तनधारियों सहित जलीय और स्थलीय प्रजातियों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए आवास प्रदान करते हैं।
    • ऊदबिलाव तालाब भी तलछट और प्रदूषकों को ट्रैप करके पानी की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद करते हैं, और वे सिंचाई के लिए अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराकर आसपास की भूमि की उत्पादकता बढ़ा सकते हैं।

सारांश:

  • चीता पुन: प्रवेश कार्यक्रम का उद्देश्य मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में केंद्रित एक आत्मनिर्भर आबादी का निर्माण करना है, जो एक प्रजाति के रूप में चीता के वैश्विक अस्तित्व में भी योगदान देगा। चीता शाकाहारी आबादी को नियंत्रित करके घास स्थल पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं और देशज पादप प्रजातियों के विकास को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित हो सकता है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. माइमुसेमिया सीलोनिका:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण:

विषय: जैव विविधता।

प्रारंभिक परीक्षा: माइमुसेमिया सीलोनिका से संबंधित तथ्य।

प्रसंग:

  • तमिलनाडु के शोधकर्ताओं ने भारत में पहली बार कलक्कड़-मुंडनथुराई टाइगर रिजर्व के बफर जोन में एक दुर्लभ कीट (मॉथ) प्रजाति देखी है,जिसे इससे पूर्व 127 साल पहले अंतिम बार देखा गया था।

माइमुसेमिया सीलोनिका (Mimeusemia ceylonica):

चित्र स्रोत: The Hindu

  • इस मॉथ प्रजाति को पहली बार वर्ष 1893 में अंग्रेजी कीटविज्ञानशास्री (Entomologist ) जॉर्ज हैम्पसन द्वारा चित्रित और वर्णित किया गया था।
  • इस प्रजाति की पहचान सबसे पहले श्रीलंका में हुई थी।
  • तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में कलक्कड़-मुंडनथुराई टाइगर रिजर्व (KMTR) के बफर जोन में स्थित अगस्त्यमलाई समुदाय-आधारित संरक्षण केंद्र (ACCC) में वर्ष 2020 में किए गए एक कीट सर्वेक्षण के दौरान 127 वर्षों के बाद प्रजातियों को फिर से खोजा गया है।
  • इस जिले में खोजी गई मॉथ प्रजातियों ने इस क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता की और इशारा किया है।

2. ट्रोपेक्स अभ्यास:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

रक्षा एवं सुरक्षा:

विषय: विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश।

प्रारंभिक परीक्षा: ट्रोपेक्स अभ्यास।

प्रसंग:

  • हाल ही में (TROPEX) अभ्यास नवंबर 2022 से मार्च 2023 तक चार महीनों के लिए आयोजित किया गया था।

ट्रोपेक्स अभ्यास:

  • ट्रोपेक्स (TROPEX ) भारतीय नौसेना का प्रमुख “थिएटर-स्तरीय परिचालन तत्परता अभ्यास” (Theatre-level operational readiness exercise) है।
  • परिचालन स्तर का अभ्यास, ट्रोपेक्स एक द्विवार्षिक अभ्यास है।
  • इस अभ्यास में न केवल भारतीय नौसेना इकाइयां बल्कि भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और तटरक्षक इकाइयां भी शामिल होती हैं।
  • इस प्रकार समुद्री अभ्यास भारतीय नौसेना, भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और तटरक्षक बल के साथ परिचालन स्तर की परस्परिक क्रिया की सुविधा प्रदान करता है।
  • ट्रोपेक्स अभ्यास भारतीय बलों के संयुक्त बेड़े की लड़ाकू तैयारी का परीक्षण करने का अवसर प्रदान करता है।
  • ट्रोपेक्स 2023 चार महीने की अवधि में हिंद महासागर के विस्तार में आयोजित किया गया है।
  • ट्रोपेक्स -23 में भारतीय नौसेना के लगभग 70 जहाजों, 6 पनडुब्बियों और 75 से अधिक विमानों की भागीदारी देखी गई।
  • समग्र अभ्यास में “एक्सरसाइज सी विजिल” नाम का एक अखिल भारतीय तटीय रक्षा अभ्यास शामिल था, जिसे “एम्फेक्स” नामक उभयचर अभ्यास (जमीन व जल में अभ्यास ) के साथ-साथ 26/11 के बाद के विभिन्न समुद्री सुरक्षा उपायों की पुष्टि करने के लिए संकल्पित किया गया था।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत शीर्ष स्तरीय सुरक्षा भागीदार है:
  • ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि ऑस्ट्रेलिया पहली बार मालाबार अभ्यास की मेजबानी करेगा, और भारत पहली बार ऑस्ट्रेलिया के तालिस्मान सेबर अभ्यास में भाग लेगा।
  • इसके अलावा, मुंबई में भारत के स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का दौरा करते हुए, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ऑस्ट्रेलिया के लिए एक शीर्ष स्तरीय सुरक्षा भागीदार है और उनकी यह यात्रा भारत को हिंद-प्रशांत और उससे आगे स्थापित करने के ऑस्ट्रेलियाई दृष्टिकोण के केंद्र में रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
  • भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंधों को बेहतर बनाने के लिए एक बड़े कदम के रूप में, दोनों देशों ने पहली बार एक-दूसरे के क्षेत्रों में समुद्री गश्ती विमान की तैनाती की और इंडो-पैसिफिक एंडेवर में जटिल और परिष्कृत अभ्यास जैसे अभ्यास ऑस्ट्राहिंद का आयोजन किया।
  • पहले “जनरल रावत भारत-ऑस्ट्रेलिया युवा रक्षा अधिकारियों के आदान-प्रदान कार्यक्रम” के एक भाग के रूप में, जिसकी घोषणा 2022 में की गई थी, ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बलों के पंद्रह अधिकारी भारत का दौरा कर रहे हैं, जो यह सुनिश्चित करेगा कि दोनों देशों के रक्षा कर्मियों में मेल-जोल और विश्वास विकसित हो जो एक करीबी और दीर्घकालिक संबंध को रेखांकित करता है।
  • जब हमारे व्यापार और आर्थिक कल्याण, तथा नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिए हिंद-प्रशांत में समुद्री लेन तक मुक्त और खुली पहुंच सुनिश्चित करने की बात आती है, तो ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों के हित समान हैं।

भारत – ऑस्ट्रेलिया संबंधों के बारे में पढ़ें: India – Australia Relations

  1. पशुधन को दी जाने वाली प्रतिजैविक दवाएं मिट्टी में कार्बन को कम करती हैं और जलवायु को प्रभावित करती हैं: IISc अध्ययन
  • सेंटर फॉर इकोलॉजिकल साइंसेज (CES), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) के शोधकर्ताओं द्वारा हिमालय के स्पीति क्षेत्र में किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया कि जंगली शाकाहारियों द्वारा चराई की तुलना में पशुधन के चरने से मिट्टी में कार्बन का भंडारण कम होता है।
  • शोधकर्ताओं के अनुसार, कार्बन भंडारण में अंतर का कारण मुख्य रूप से पशुओं पर टेट्रासाइक्लिन जैसे पशु चिकित्सा प्रतिजैविक दवाओं का उपयोग है।
    • यह पाया गया कि जब प्रतिजैविकों का मिट्टी में गोबर और मूत्र के माध्यम से निस्तारण किया जाता है, तो वे मिट्टी में मौज़ूद माइक्रोबियल समुदायों को परिवर्तित कर देते हैं जो कार्बन पृथक्करण के लिए हानिकारक हो सकता है और जलवायु शमन को प्रभावित कर सकता है।
  • पिछले अध्ययन में, यह देखा गया था कि एक क्षेत्र में मृदा के कार्बन पूल को स्थिर करने में शाकाहारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हाल के अध्ययन में इस अंतर को दर्शाया गया है कि जंगली शाकाहारी जैसे याक और आइबेक्स की तुलना में भेड़ और मवेशियों जैसे पशु मिट्टी के कार्बन स्टॉक को कैसे प्रभावित करते हैं।
  • नवीनतम अध्ययन के अनुसार, जंगली और पशुधन क्षेत्रों की मिट्टी में कई समानताएँ होने के बावजूद, वे कार्बन उपयोग दक्षता (CUE) नामक एक प्रमुख पैरामीटर में मुख्य रूप से भिन्न हैं।
    • कार्बन उपयोग दक्षता (CUE) मिट्टी में कार्बन को भंडारित करने के लिए सूक्ष्मजीवों की क्षमता निर्धारित करती है।
    • पशुधन क्षेत्रों में मिट्टी में 19% कम CUE पाया गया क्योंकि प्रतिजैविक जैसे टेट्रासाइक्लिन मिट्टी में माइक्रोबियल गतिविधि को प्रभावित कर सकते हैं और लंबे समय तक मिट्टी में बने रह सकते हैं।
  1. IBSA डिजिटल गवर्नेंस में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है:डिप्लोफाउंडेशन (DiploFoundation) की रिपोर्ट
  • जिनेवा स्थित डिप्लोफाउंडेशन (DiploFoundation) के अनुसार, त्रिपक्षीय IBSA फोरम जिसमें भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं, ऐसे समय में जब डिजिटल भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है, डिजिटल प्रशासन में सुधार की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • फाउंडेशन यह भी उल्लेख करता है कि IBSA द्वारा डिजिटल गति प्राप्त करने से पहले भारत की G-20 अध्यक्षता के दौरान ठोस परिणाम अपेक्षित हो सकते हैं, जो डेटा के लिए एक नए स्वर्ण मानक को बढ़ावा देगा।
  • रिपोर्ट में इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया है कि डिजिटलीकरण IBSA अर्थव्यवस्थाओं में विकास को गति दे रहा है और जीवंत डिजिटल अर्थव्यवस्था वाला भारत उनमें अग्रणी है।
    • तीनों देशों ने नागरिकों तक सस्ती पहुंच को प्राथमिकता देकर, प्रशिक्षण का विस्तार करके और छोटे डिजिटल उद्यमों के विकास के लिए एक कानूनी ढांचा लाकर डिजिटल समावेशन का नेतृत्व किया है।
  • हालाँकि, रिपोर्ट कहती है कि डिजिटलकरण सामाजिक तनाव को बढ़ाता है जैसे कि डिजिटल विभाजन जो मांग करता है कि डिजिटल शासन स्थानीय सांस्कृतिक, राजनीतिक परिदृश्य और आर्थिक विशिष्टताओं को ध्यान में रखे।
  • डिप्लोफाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल भू-राजनीति अन्त: समुद्री केबलों और उपग्रहों की सुरक्षा, सेमीकंडक्टर के उत्पादन और डेटा के मुक्त प्रवाह से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित होगी।
  • भारत की G-20 अध्यक्षता डेटा के लिए एक नए मानकों के निर्माण का आह्वान करती है जो डेटा के मुक्त प्रवाह और डेटा संप्रभुता के इर्दगिर्द के प्रतिस्पर्धी मुद्दों को हल करने में मदद कर सकता है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. रोलेट एक्ट पारित होने के बाद निम्नलिखित में से किसने इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल से इस्तीफा दे दिया था? (स्तर – मध्यम)

  1. भाई परमानन्द
  2. मदन मोहन मालवीय
  3. मजहर उल हक
  4. मुहम्मद अली जिन्ना
  5. सैयद नबीउल्लाह

विकल्प:

(a) केवल 1, 2 और 3

(b) केवल 2, 3 और 4

(c) केवल 1, 3 और 5

(d) केवल 1, 2, 4 और 5

उत्तर: b

व्याख्या:

  • रोलेट एक्ट के पारित होने के विरोध में विधान परिषद के तीन सदस्यों ने इस्तीफा दिया था। वे थे – मदन मोहन मालवीय, मुहम्मद अली जिन्ना और मजहर उल हक।

प्रश्न 2. आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए राष्ट्रीय मंच (NPDRR) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)

  1. NPDRR एक बहु-हितधारक मंच है जो भारत सरकार द्वारा संवाद, अनुभवों, दृष्टिकोणों, विचारों को साझा करने, क्रिया-उन्मुख अनुसंधान की सुविधा के लिए और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के क्षेत्र में अवसरों की खोज करने गठित किया गया है।
  2. NPDRR की अध्यक्षता आपदा प्रबंधन के प्रभारी राज्य मंत्री करते हैं, सचिव NPDRR के उपाध्यक्ष होते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) दोनों

(d) कोई नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: NPDRR एक बहु-हितधारक मंच है जो भारत सरकार द्वारा संवाद, अनुभवों, दृष्टिकोणों, विचारों को साझा करने, क्रिया-उन्मुख अनुसंधान की सुविधा के लिए और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के क्षेत्र में अवसरों की खोज करने गठित किया गया है।
  • कथन 2 गलत है: NPDRR की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री करते हैं।
    • गृह मंत्रालय में आपदा प्रबंधन के प्रभारी राज्य मंत्री और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के उपाध्यक्ष NPDRR के उपाध्यक्ष होते हैं।
    • NPDRR के अन्य सदस्यों में 15 कैबिनेट मंत्री, नीति आयोग के उपाध्यक्ष, प्रत्येक राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेश के आपदा प्रबंधन मंत्री, स्थानीय स्वशासन और संसद के प्रतिनिधि, राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के प्रमुख, उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति, मीडिया प्रतिनिधि, नागरिक समाज संगठन और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि शामिल होते हैं।

प्रश्न 3. सागरमाला कार्यक्रम के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर – मध्यम)

  1. सागरमाला कार्यक्रम का मुख्य विजन एक्जिम (EXIM) और घरेलू व्यापार के लिए न्यूनतम बुनियादी ढांचे के निवेश के साथ रसद लागत को कम करना है।
  2. यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का प्रमुख कार्यक्रम है।
  3. सागरमाला परियोजना को लागू करने के लिए, राज्य सरकारें राज्य स्तरीय सागरमाला समितियों का गठन करेंगी जिनकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री करेंगे।

विकल्प:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: सागरमाला कार्यक्रम का मुख्य विजन एक्जिम (EXIM) और घरेलू व्यापार के लिए न्यूनतम बुनियादी ढांचे के निवेश के साथ रसद लागत को कम करना है।
  • कथन 2 गलत है: सागरमाला कार्यक्रम भारत की 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा, 14,500 किलोमीटर संभावित नौवहन योग्य जलमार्गों और प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार मार्गों पर रणनीतिक स्थान का उपयोग करके देश में बंदरगाह के नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देने हेतु बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय का प्रमुख कार्यक्रम है।
  • कथन 3 सही है: सागरमाला संबंधित परियोजनाओं के समन्वय और सुविधा के लिए राज्य स्तर पर प्रभावी तंत्र बनाने के लिए, राज्य सरकारों को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक राज्य सागरमाला समिति गठित करने का सुझाव दिया गया है।

प्रश्न 4. भारत के उपराष्ट्रपति के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर – कठिन)

  1. उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं, और ऐसे चुनाव में मतदान खुले मतपत्र द्वारा होता है।
  2. उपराष्ट्रपति को पद की शपथ भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा दिलाई जाती है।
  3. यदि उप-राष्ट्रपति का पद त्यागपत्र, निष्कासन, मृत्यु या अन्य कारणों से रिक्त हो जाता है, तो ऐसी रिक्ति होने की तिथि से छह महीने के भीतर रिक्ति को भरने के लिए चुनाव कराया जाना चाहिए।

विकल्प:

(a) केवल 1

(b) केवल 3

(c) 1, 2 और 3

(d) कोई नहीं

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बने एक निर्वाचक मंडल द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से किया जाता है और ऐसे चुनाव में मतदान गुप्त मतदान द्वारा किया जाता है।
  • कथन 2 गलत है: उपराष्ट्रपति को पद की शपथ भारत के राष्ट्रपति या उनकी ओर से नियुक्त किसी व्यक्ति द्वारा दिलाई जाती है।
  • कथन 3 गलत है: उपराष्ट्रपति के कार्यालय में उनकी मृत्यु, त्यागपत्र या निष्कासन, या अन्यथा के कारण हुई रिक्ति को भरने के लिए चुनाव, रिक्ति होने के बादजितनी जल्दी हो सके आयोजित किया जाएगा।
    • इस प्रकार निर्वाचित व्यक्ति पद ग्रहण करने की तिथि से 5 वर्ष की पूर्ण अवधि के लिए पद धारण करने का अधिकारी होता है।

प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: PYQ (2008) (स्तर – सरल)

  1. परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में 24 देश सदस्य हैं।
  2. भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: कुल 48 देश हैं जो परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) के सदस्य हैं।
  • कथन 2 गलत है: भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) का सदस्य नहीं है क्योंकि चीन ने मुख्य रूप से इस आधार पर भारत की NSG सदस्यता का लगातार विरोध किया है कि भारत परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का हस्ताक्षरकर्ता देश नहीं है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. रोगाणुरोधियों (Antimicrobials) का अत्यधिक उपयोग न केवल रोगाणुरोधी प्रतिरोध उत्पन्न कर रहा है बल्कि जलवायु परिवर्तन में भी योगदान दे रहा है। विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।Link (15 अंक, 250 शब्द) [जीएस-3, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी]

प्रश्न 2. मांग और आपूर्ति लोच से आप क्या समझते हैं? यह भारतीय कृषि क्षेत्र को कैसे प्रभावित करती है? Link (15 अंक, 250 शब्द) [जीएस-3, अर्थव्यवस्था]