14 जून 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: भारतीय अर्थव्यवस्था:
D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: अर्थव्यवस्था:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
केंद्र फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति को प्रोहत्साहन देगा :
भारतीय अर्थव्यवस्था:
विषय: सार्वजनिक वितरण प्रणाली से संबंधित मुद्दे- उद्देश्य, कार्यप्रणाली, सीमाएं, सुधार; बफर स्टॉक और खाद्य सुरक्षा के मुद्दे; प्रौद्योगिकी मिशन; पशुपालन का अर्थशास्त्र।
प्रारंभिक परीक्षा: सामाजिक क्षेत्र की पहल
मुख्य परीक्षा: बफर स्टॉक और खाद्य सुरक्षा के मुद्दे।
संदर्भ:
- केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने 1 अप्रैल, 2022 से फोर्टिफाइड चावल के वितरण का दूसरा चरण शुरू किया।
फोर्टिफाइड चावल वितरण से सम्बंधित जानकारी:
- यह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की प्रिय योजना है, जिसे अक्टूबर 2021 में शुरू किया गया था।
- इसका उद्देश्य एकीकृत बाल विकास सेवाओं (ICDS) और PMPOSHAN (प्रधान मंत्री पोषण शक्ति निर्माण) योजना के लाभार्थियों को तीन सूक्ष्म पोषक तत्वों- आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B12 वाले फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति करना है।
- भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने लगभग 90 लाख टन फोर्टिफाइड चावल की खरीद की थी और 16 राज्यों के 90 जिलों में लगभग 2.2 लाख टन की आपूर्ति की। केंद्र सरकार 291 जिलों को टारगेट कर रही है।
- फोर्टिफाइड चावल की खपत के संबंध में कुछ स्वास्थ्य जोखिम हैं। इसलिए,अन्य देशों के विपरीत भारत में चावल की पौष्टिकता को अस्वीकार किया जा रहा हैं,ताकि लोगों को पता चल सके कि वे क्या खा रहे हैं।
- भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के अनुसार, राज्य द्वारा संचालित खाद्य एजेंसियों और फोर्टिफाइड भोजन के वाणिज्यिक निर्माताओं को सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया जैसे रक्त विकार वाले लोगों के लिए पैकेजिंग पर स्वास्थ्य चेतावनी के साथ “+F” लोगो लगाना चाहिए।
चावल फोर्टिफिकेशन के लाभ:
- उत्पादकता, बीमारी और मृत्यु के मामले में कुपोषण से देश को सालाना कम से कम ₹77,000 करोड़ का नुकसान होता है। एनीमिया से भारत को अपने सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1% का नुकसान होता है।
- गौरतलब हैं कि भारत में पोषण संबंधी गतिविधियों पर पर खर्च किया गया एक रुपया सार्वजनिक आर्थिक रिटर्न में ₹ 34.1 से ₹ 38.6 उत्पन्न कर सकता है।
एकीकृत बाल विकास सेवाओं (ICDS) के बारे में जानकारी:
- एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना 2 अक्टूबर 1975 को शुरू की गई थी, जो बचपन की देखभाल और विकास के लिए दुनिया के सबसे बड़े और अनूठे कार्यक्रमों में से एक है।
- इसका उद्देश्य एक ओर स्कूल पूर्व अनौपचारिक शिक्षा प्रदान करना और दूसरी ओर कुपोषण, रुग्णता, कम सीखने की क्षमता और मृत्यु दर के दुष्चक्र को तोडना है।
- इस योजना के लाभार्थी 0-6 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चे, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताएं हैं।
इस योजना के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- 0-6 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार करना;
- बच्चे के उचित मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और सामाजिक विकास की नींव रखना;
- मृत्यु दर, रुग्णता, कुपोषण और स्कूल छोड़ने की दर को कम करना;
- बाल विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न विभागों के बीच नीति और कार्यान्वयन का प्रभावी समन्वय प्राप्त करना।
- उचित पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से बच्चे के सामान्य स्वास्थ्य और पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए मां के स्वास्थ्य में सुधार जरुरी हैं।
आईसीडीएस योजना छह सेवाएं प्रदान करती है, अर्थात:
- पूरक पोषण
- प्री-स्कूल अनौपचारिक शिक्षा
- पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा
- प्रतिरक्षा
- स्वास्थ्य जांच और
- रेफरल सेवाएं।
PMPOSHAN (प्रधान मंत्री पोषण शक्ति निर्माण) योजना:
- प्रधान मंत्री पोषण शक्ति निर्माण या पीएम पोषण योजना (जिसे पहले मध्याह्न भोजन योजना के रूप में जाना जाता था) का उद्देश्य सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्रों को भोजन उपलब्ध करवाना है।
- इस योजना के तहत लगभग 11.20 लाख स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा एक से आठ तक के 11.80 करोड़ बच्चों के अलावा प्राथमिक विद्यालयों में भी प्री-स्कूल या बाल वाटिका (कक्षा एक से पहले) के बच्चों के लिए गर्म पका हुआ भोजन उपलब्ध करवाने का प्रावधान है।
- यह योजना शिक्षा मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित की जा रही है।
- प्रधान मंत्री पोषण योजना का मुख्य उद्देश्य भारत में अधिकांश बच्चों की दो प्रमुख समस्याओं का समाधान करना है, अर्थात सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार के साथ-साथ वंचित वर्गों के गरीब बच्चों को नियमित रूप से स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए भूख और शिक्षा की बाधाओं को समाप्त करना हैं।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
भारत अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार कर रहा है: SIPRI
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, एजेंसियां और मंच- उनकी संरचना, जनादेश; भारत और उसके पड़ोसी देशों के साथ संबंध।
प्रारंभिक परीक्षा: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, एजेंसियां और मंच- उनकी संरचना, जनादेश।
मुख्य परीक्षा: भारत और उसके पड़ोसी देशों के साथ संबंध।
संदर्भ:
- हाल ही में, एक प्रसिद्ध रक्षा थिंक टैंक- स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने ‘SIPRI ईयरबुक 2022’ जारी की हैं, जिसमें बताया है कि जनवरी 2022 तक भारत के पास 160 परमाणु हथियार थे,और वर्तमान में यह अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार करता हुआ प्रतीत हो रहा है। यहाँ ध्यान दिया जाने वाली बात यह हैं कि भारत अपने परमाणु शस्त्रागार का आधिकारिक डेटा साझा नहीं करता है।
‘SIPRI इयरबुक 2022’ के महत्वपूर्ण बिंदु:
- भारत का परमाणु भंडार जनवरी 2021 में 156 से बढ़कर जनवरी 2022 में 160 हो गया,जबकि पाकिस्तान के परमाणु भंडार की संख्या 165 थी।
- दोनों देशों द्वारा 2021 में नए प्रकार की परमाणु वितरण प्रणालियों को अपना कर इन्हे विकसित करना जारी रखा।
- ऐसा लगता है कि भारत और पाकिस्तान दोनों अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार कर रहे हैं।
- चीन अपने परमाणु हथियार शस्त्रागार के पर्याप्त विस्तार करने का आधा रास्ता तय कर चूका है, इसके साथ ही उपग्रह छवियों से इस बात के संकेत मिलते है कि उसके द्वारा 300 से अधिक नई मिसाइल साइलो का निर्माण किया जा चूका है।
- (साइलो (silos)-एक भूमिगत कक्ष जिसमें एक निर्देशित मिसाइल को फायरिंग के लिए तैयार रखा जाता है।)
- जनवरी 2021 से 2022 में चीन के पास 350 परमाणु हथियार थे।
- SIPRI के अनुमान के अनुसार चीन की कुल भंडारण क्षमता जनवरी 2021 के समान है, जबकि उपयोग के लिए संभावित भंडार (stockpiled) हथियारों की संख्या बदल गई है क्योंकि 2021 के दौरान इसके नए लॉन्चर चालू हो गए थे।
विश्व में बढ़ते परमाणु शस्त्रागार के निहितार्थ:
- यदि परमाणु-सशस्त्र देश निरस्त्रीकरण पर तत्काल और ठोस कार्रवाई नहीं करते हैं,तो ऐसी स्थिति में शीत युद्ध के बाद पहली बार परमाणु हथियारों की वैश्विक सूची जल्द ही लम्बी हो सकती है और इससे परमाणु हथियारों के संभावित प्रसार और मानवता के लिए परमाणु हमले का खतरा उत्पन्न हो सकता है।
- भारत के चीन और पाकिस्तान के साथ शत्रुतापूर्ण संबंधों के कारण दक्षिण एशिया परमाणु संघर्ष के खतरे का सामना कर रहा है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
रूस भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश बना:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत के हितों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियां और राजनीति का प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत से जुड़े या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय समझौते।
मुख्य परीक्षा: भारत से जुड़े या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय समझौते।
संदर्भ:
- उद्योग के आंकड़ों से पता चला है कि हाल ही में रूस, सऊदी अरब को पछाड़ कर इराक के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है। क्योंकि यूक्रेन में युद्ध के चलते रिफाइनर भारी छूट पर उपलब्ध रूसी क्रूड को खरीद रहे हैं।
प्रमुख बिंदु:
- भारतीय रिफाइनरी कंपनियों ने मई में लगभग 25 मिलियन बैरल रूसी तेल खरीदा जो उनके कुल तेल आयात का 16% से अधिक है।
- आंकड़ों के मुताबिक, भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल बाहर से आयात करता है। पहले भारत रूस से 2 से 3 % ही तेल लेता था। लेकिन इस साल तेल की कीमत लगातार बढ़ी जिसके कारण भारत ने रूस से छूट पर अधिक तेल खरीदा ताकि आयात बिल को कम किया जा सके।
- आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल माह में भारत द्वारा रूस से खरीदा गया कच्चा तेल पहली बार कुल समुद्री आयात का 5% तक पहुंचा हैं,जो पूरे 2021 और 2022 की प्रथम तिमाही में 1% से भी कम था।
- इराक मई में भारत का शीर्ष आपूर्तिकर्ता बना रहा ।
- सऊदी अरब अब तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।
संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
बढ़ती वैश्विक खाद्य कीमतों के संकट से निपटना:
विषय: बफर स्टॉक और खाद्य सुरक्षा के मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: खाद्य कीमतों में हाल ही में हुई वृद्धि का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
संदर्भ:
- इस लेख में खाद्य मूल्य संकट के इतिहास, पृष्ठभूमि, कारणों एवं परिणामों तथा उनसे निपटने के उपायों पर भी चर्चा की गई है।
पृष्टभूमि:
- वैश्विक खाद्य कीमतें साल-दर-साल अस्थिरता और समय-समय पर तीव्र वृद्धि के कारण प्रतिकूल रही हैं। देश अपने व्यापार और घरेलू नीतियों में परिवर्तन कर अस्थिरता को कम करते रहे हैं, लेकिनकीमतों में तीव्र वृद्धि एक गंभीर संकटबनी रही।
- आवधिक तीव्र उछाल निम्नलिखित कारणों से आ सकता हैं:
- खाद्य का अभाव।
- व्यापार में व्यवधान।
- भूख और गरीबी के स्तर में वृद्धि और प्रसार।
- शुद्ध खाद्य-आयात करने वाले देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी।
- खाद्य सुरक्षा जाल पर खर्च में वृद्धि के कारण देश के वित्तीय संसाधनों पर दबाव।
- कुछ जगहों पर सामाजिक अशांति का खतरा।
- इनके पीछे के वास्तविक कारणों को समझना और उनसे निपटने के लिए उचित उपाय करना आवश्यक है।
इन खाद्य कीमतों के झटकों का इतिहास:
- संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन, विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी कुछ एजेंसियों के आंकड़ो के अनुसार, 1960 के दशक की हरित क्रांति की शुरुआत के बाद से यह दुनिया में तीसरा खाद्य संकट है।
- पहला झटका 1973-76 के दौरान हुई थी जब खाद्य मूल्य सूचकांक में वृद्धि वास्तविक कीमतों की तुलना में नाममात्र ही हुई थी।
- उस अवधि के बाद, खाद्य कीमतों में वास्तविक रूप से गिरावट की प्रवृत्ति देखि गई जो कि 2002 में सबसे निम्न स्तर पर थी।
- 2002 के बाद, भोजन की नाममात्र एवं वास्तविक दोनों ही कीमतें बढ़ने लगीं जो कि वैश्विक आर्थिक संकट के कारण 2008 के खाद्य संकट में परिणत हुईं।
- 2014 के बाद, वैश्विक कीमतें पुनः पटरी पर आने लगीं लेकिन खाद्य कीमतें उच्च बनी रही।
- 2015-19 के दौरान कीमतें स्थिर रहीं, लेकिन 2020 की तीसरी तिमाही के बाद खाद्य कीमतें बढ़ाना शुरू हो गई। इन बढ़ती खाद्य कीमतों ने खाद्य मूल्य सूचकांक को उच्चतम स्तर पर पहुंचा दिया।
- इसलिए, 1973-76, 2007-12 और 2020 में आए तीन खाद्य संकट जिन सामान्य विशेषताओं को दर्शाते हैं। वे हैं:
- तीनों संकट कृषि उपज में किसी भी कमी के कारण नहीं आए बल्कि कृषि के बाहरी कारकों के कारण आए।
- संकटों की बारंबारता का समय अंतराल कम होता गया जबकि झटके की गंभीरता बढ़ती गई।
हालिया खाद्य संकट:
कुछ ऐसे कारक हैं जो हाल के खाद्य संकट का कारण बने। वे हैं:
- कोविड -19 महामारी के कारण उत्पन्न व्यवधान।
- रूस-यूक्रेन युद्ध।
- संकट के अन्य महत्वपूर्ण कारक खाद्य वस्तुओं के व्यापार पैटर्न और उपयोग से संबंधित हैं:
- वनस्पति तेल और अनाज:
- कीमतों में मौजूदा वृद्धि वनस्पति तेलों से शुरू हुई और फिर अनाज तक पहुँच गई।
- आंकड़ो से पता चलता है कि भारत घरेलू मांग को पूरा करने के लिए वनस्पति तेलों का 38% कारोबार करता है तथा गेहूं की वैश्विक मांग का 25% का कारोबार किया जाता है।
- इसी तरह, अन्य अनाजों का भी विश्व स्तर पर कारोबार होता है। इसलिए, विश्व स्तर पर व्यापारिक वस्तुओं के व्यापार में व्यवधान अधिक हैं।
- जैव ईंधन की जरूरत:
- एक अन्य कारक जिसके कारण खाद्य कीमतों में वृद्धि हुई, वह है जैव ईंधन की जरूरतों के लिए भोजन का डायवर्जन। यह 2003 में 1% से बढ़कर 2011 में 11% और 2021 में 15% हो गया है।
- जब कच्चा तेल महंगा हो जाता है, तो तिलहन और अनाज का उपयोग करना किफायती हो जाता है।
- खाद्य फसलों का उपयोग जैव ईंधन के उत्पादन के लिए भी किया जाता है क्योंकि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का हिस्सा बढ़ाना अनिवार्य है।
- वनस्पति तेल और अनाज:
भारत के लिए निहितार्थ:
- 2020-21 में निर्यात-आयात में कृषि की हिस्सेदारी 13% थी। इसलिए, वैश्विक कीमतों में परिवर्तन का असर घरेलू कीमतों पर भी दिखाई देता है।
- भारत व्यापार नीतियों और अन्य उपकरणों की मदद से वैश्विक कीमतों के घरेलू कीमतों पर पड़ने वाले प्रभावों को नियंत्रित करता रहा है।
- जब अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ती हैं, तो भारत सस्ते आयात की तलाश करता है और जब अंतरराष्ट्रीय कीमतें कम होती हैं, तो भारत आयात को उदार बनाता है और निर्यात पर नियंत्रण रखता है।
- भारत खाद्य पदार्थों का एक बफर स्टॉक भी बनाए हुए है जो खाद्य कीमतों की स्थिरता को बनाए रखने में बहुत उपयोगी साबित हुआ।
- कृषि निर्यात का महत्व बढ़ रहा है और भारत को 2030 तक अपने घरेलू खाद्य उत्पादन का 15% निर्यात करने की आवश्यकता होगी। इससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक विश्वसनीय निर्यातक के रूप में भारत की स्थिति को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
गेहूं के निर्यात पर रोक:
- भारत ने हाल ही में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। कुछ विशेषज्ञ इस कदम को एक झटके के रूप में देखते हैं क्योंकि भारत एक विश्वसनीय निर्यातक रहा है और इससे उसकी छवि खराब होगी। जबकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि गेहूं के निर्यात में भारत का योगदान बहुत महत्वपूर्ण नहीं था, इसलिए इससे कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ने वाला है।
- रूस-यूक्रेन संकट के कारण, लगभग 50 मिलियन टन गेहूं के निर्यात की वैश्विक मांग है क्योंकि रूस और यूक्रेन सबसे बड़े निर्यातक हैं।
- यदि भारत ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाया होता, तो इससे देश में खाद्यान्न की कमी हो सकती थी।
भावी नीति:
- उत्पादकों और उपभोक्ताओं के हितों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए भारत को रणनीतिक उदारीकरण की नीति का पालन करना चाहिए जैसा कि अतीत में किया गया था।
- खाद्य वस्तुओं की वास्तविक कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए नई हरित क्रांति प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है।
- वैश्विक कृषि अनुसंधान और विकास को मजबूत करने की आवश्यकता है, इसलिए वैश्विक अनुसंधान और विकास पर अधिक खर्च करने की आवश्यकता है।
- खाद्य कीमतों के झटकों का प्रभाव जैव ईंधन पर पड़ता हैं, इसलिए एजेंसियों द्वारा इस पर विचार किया जाना चाहिए कि जैव ईंधन के लिए खाद्य फसलों का प्रबंधन कैसे किया जाए।
- जलवायु परिवर्तन कारक वैश्विक आपूर्ति को प्रभावित करने वाले हैं और इससे आपूर्ति को झटका लगेगा। इसलिए, खाद्य कीमतों और आपूर्ति की स्थिरता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
मरम्मत (रिपेयर) के अधिकार को कायम रखना:
विषय: भारत के हितों पर विकसित देशों की नीतियों का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: भारत के उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
सन्दर्भ:
- हाल ही में अमेरिका ने फेयर टू रिपेयर एक्ट पारित किया है। इस लेख में भारत के सन्दर्भ में भी इस अधिनियम पर विस्तार से चर्चा की गई है।
पृष्टभूमि:
- यू.एस. ने फेयर रिपेयर एक्ट नाम का एक कानून पारित किया है, जो उपभोक्ताओं और छोटे व्यवसायों को अपने स्वयं के उत्पादों की मरम्मत (रिपेयर) के अधिकार की गारंटी देता है, जिससे निर्माताओं को नैदानिक मरम्मत की जानकारी तथा उपकरणों एवं पुर्जे को आसानी से उपलब्ध कराना होगा।
- फेयर रिपेयर एक्ट के तहत OEMs को तीसरे पक्ष (third-party) के मरम्मत करने वालों एवं मालिकों को समय पर तथा उचित शर्तों पर निदान और मरम्मत की जानकारी, पुर्जे और उपकरण उपलब्ध कराने होंगे।
- यह उपभोक्ताओं और मरम्मत की दुकानों के कचरे को कम करने के साथ-साथ अनावश्यक और महंगी दरों से बचने में मदद करेगा।
संबंधित मुद्दे:
- फेयर रिपेयर एक्ट उपभोक्ताओं के लिए लाभकारी हैं लेकिन इसमें गुणवत्ता, गोपनीयता और निर्माताओं के बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित कुछ चिंताएं भी हैं।जो निम्नवत है:
जटिल मशीनरी:
- आधुनिक प्रकार की मशीनरी की तकनीक अधिक जटिल हैं तथा अधिकांश मरम्मत कर्मचारी उपकरण, ज्ञान और कौशल की कमी के कारण मशीनरी पर काम करने से इनकार कर देते हैं।
- इसके अलावा, प्रमाणन और लाइसेंस की कमी को, श्रमिकों के कौशल की कमी के रूप में देखा जाता है। इसलिए, कुछ गुणवत्ता वाले मानदंडों की मरम्मत करने हेतु श्रमिकों को लाइसेंस या प्रमाणन प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उनकी आजीविका प्रभावित न हो।
उत्पाद की गुणवत्ता:
- निर्माताओं का दावा है कि किसी तीसरे पक्ष (third-party) द्वारा मरम्मत किए जाने पर उत्पाद की गुणवत्ता प्रभावित होती है और ये बात निराधार नहीं है। इसलिए, उत्पाद की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आवश्यक क्लॉज को वारंटी क्लॉज में शामिल किया जाना चाहिए।
- मरम्मत नियमावली उपलब्ध कराई जानी चाहिए ताकि उपभोक्ताओं के साथ-साथ निर्माताओं के अधिकारों की रक्षा की जा सके।
बौद्धिक संपदा अधिकार:
- IP की सुरक्षा के लिए निर्माताओं और प्रमाणित मरम्मत करने वालों/व्यवसायों के बीच एक गुप्त समझौता होना चाहिए।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की आवश्यकता:
- कभी-कभी निर्माताओं द्वारा गुणवत्ता, टिकाऊपन और उसी उत्पाद की पुनर्खरीद के लिए उपभोक्ताओं का शोषण किया जाता है।
- ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उपभोक्ताओं को उत्पाद विनिर्देशों जैसे कि इसकी गुणवत्ता, उचित मूल्य पर खरीद आदि के बारे में पता नहीं होता है।
- कंज्यूमर प्रोटेक्ट एक्ट, 2019 की धारा 2(9) में फेयर टू रिपेयर का प्रावधान है लेकिन इसकी अवहेलना की जाती रही है।
- इसलिए, उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए फेयर-टू-रिपेयर क्लॉज का समावेश आवश्यक है।
फेयर टू रिपेयर क्लॉज के लाभ:
- यह उपभोक्ताओं को और अधिक जागरूक बनाएगा तथा पहले से ही निहित अधिकार को मजबूती प्रदान करेगा।
- विभिन्न हितधारकों के मरम्मत से संबंधित दायित्व को सुनिश्चित करना होगा, जिसमें नीतिगत सुझाव, प्रासंगिक संशोधन और मरम्मत के अधिकार को बेहतर ढंग से लागू करने वाला कानून भी शामिल है।
निष्कर्ष:
- मरम्मत अधिनियम के अधिकार को या तो संशोधन या अधिनियम के माध्यम से मान्यता दी जानी चाहिए।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. सजा माफ़ी के लिए नए मानदंड:
- केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में कैदियों को विशेष छूट देने पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिशा-निर्देश जारी किए।
- आज़ादी का अमृत महोत्सव समारोह के हिस्से के रूप में, एक निश्चित श्रेणी के कैदियों को विशेष छूट दी जाएगी और उन्हें तीन चरणों 15 अगस्त, 2022, 26 जनवरी, 2023 और 15 अगस्त, 2023 में रिहा किया जाएगा।
- इस योजना के तहत जो कैदी समय से पहले रिहाई के लिए अर्हता प्राप्त करेंगे उनमे वे महिलाएं और ट्रांसजेंडर अपराधी शामिल होंगे जिनकी आयु 50 वर्ष या उससे अधिक है और 60 वर्ष या उससे अधिक के पुरुष अपराधी,जिन्होंने अर्जित सामान्य छूट की अवधि की गणना किए बिना अपनी कुल सजा अवधि का 50%पूरी कर ली है।
- विकलांग कैदीयों में छूट के लिए पात्र अन्य लोगों में शारीरिक रूप से विकलांग या 70% या अधिक विकलांगता वाले विकलांग शामिल,हैं जिन्होंने अपनी कुल सजा अवधि का 50% पूरा कर लिया है,साथ ही मानसिक रूप से बीमार अपराधी, जिन्होंने अपनी कुल सजा का दो-तिहाई (66%) पूरा कर लिया है और गरीब या निर्धन कैदी जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है, लेकिन जुर्माने का का भुगतान न करने की वजह से वे जेल में हैं, उन्हें माफ करके रिहा किया जायेगा।
- इसके आलावा जिन व्यक्तियों ने कम उम्र (1821) में अपराध किया है और उनके खिलाफ कोई अन्य आपराधिक संलिप्तता या मामला नहीं है और अपनी सजा अवधि का 50% पूरा कर लिया है, वे भी छूट के पात्र होंगे।
- दोषियों की उम्र मैट्रिक या जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर तय की जानी चाहिए।
- मौत की सजा पाए दोषी ठहराए गए व्यक्ति या जिनकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया है या किसी ऐसे अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है,जिसके लिए मौत की सजा सुनाई गई है, इस विशेष छूट के लिए पात्र नहीं होंगे।
- आजीवन कारावास की सजा वाले व्यक्ति, आतंकवादी गतिविधियों में शामिल दोषी या आतंकवादी और विघटनकारी (रोकथाम) अधिनियम, 1985, आतंकवादी रोकथाम अधिनियम, 2002, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967, विस्फोटक अधिनियम, 1908 के तहत दोषी ठहराए गए व्यक्ति , राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1982, आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 और अपहरण विरोधी अधिनियम, 2016 के तहत दोषी इस के लिए पात्र नहीं होंगे।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. खुदरा महंगाई दर गिरकर 7.04% पर:
- भारत की खुदरा मुद्रास्फीति मई में मामूली रूप से कम होकर 7.04% हो गई हैं, जो अप्रैल माह में लगभग आठ साल के उच्च स्तर 7.79% पर थी, जो लगातार पांचवें महीने उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान की गई कीमतों में 6% से अधिक की वृद्धि को दर्शाती है।
- ग्रामीण उपभोक्ताओं द्वारा सामना की जाने वाली मुद्रास्फीति अप्रैल में 8.38% से गिरकर मई में 7.01% हो गई, लेकिन शहरी क्षेत्रों में इस मूल्य वृद्धि की गति महीने दर महीने लगभग नगण्य थी, जो अप्रैल में 7.09% से बढ़कर मई में 7.08% हो गई।
- खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति, जो अप्रैल में 17 महीने के उच्च स्तर 8.31% पर पहुंच गई थी, मई में थोड़ी कम होकर 7.97% हो गई, जिसकी बदौलत ग्रामीण खाद्य मुद्रास्फीति 8.5 प्रतिशत से घटकर 7.76% हो गई।
- शहरी भारत का उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक मई में बढ़कर 8.2% हो गया, जो अप्रैल में 8.09% था।
- खुदरा मुद्रास्फीति दर में आधार प्रभाव और 21 मई को केंद्र द्वारा ईंधन उत्पादों पर उत्पाद शुल्क में की गई कमी से मामूली गिरावट आई है (मई 2021 में उच्च मुद्रास्फीति 6.3%) जो जून के मुद्रास्फीति प्रिंट में दिख रही है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. टूटे चावल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)
- यदि चावल का दाना दृढ़ न हो तो उसे टूटा हुआ चावल कहते हैं।
- वर्तमान में चीन भारतीय टूटे चावल का शीर्ष खरीदार है। पहले इसका ज्यादातर निर्यात अफ्रीकी देशों को किया जाता था।
- टूटे हुए चावल का इस्तेमाल शराब और सेवईं (नूडल्स) बनाने के लिए किया जाता है।
सही कथन का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: यदि चावल का दाना दृढ़ नहीं हैं तो उसे टूटा हुआ चावल कहा जाता है। आम तौर पर, टूटे हुए चावल को 2 श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है: बड़ा और छोटा।
- कथन 2 सही है: COVID महामारी की अवधि के दौरान चीन भारतीय चावल के शीर्ष उपभोक्ता के रूप में उभरा है।
- कथन 3 सही है: व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि चीन को टूटे चावल के निर्यात में इस वृद्धि का कारण उस देश में शराब और सेवईं (नूडल्स) बनाने के लिए चावल की अधिक मांग है।
प्रश्न 2. राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- NJDG देश के सभी कम्प्यूटरीकृत जिला और अधीनस्थ न्यायालयों की न्यायिक कार्यवाही/निर्णयों से संबंधित जानकारी प्रदान करता है।
- NJDG पर मुकदमें की अवधि के साथ-साथ राज्य और जिला आधार पर ड्रिल-डाउन विश्लेषण करने की क्षमता के साथ दीवानी और आपराधिक दोनों मामलों का केस डेटा उपलब्ध होता है।
- NJDG पर मामलों के लम्बित होने के किसी भी कारण का उल्लेख नहीं होता है।
सही कथन का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) देश के सभी कम्प्यूटरीकृत जिला और अधीनस्थ न्यायालयों की न्यायिक कार्यवाही/निर्णयों से संबंधित जानकारी प्रदान करता है।
- कथन 2 सही है: NJDG पर मुकदमें की अवधि के साथ-साथ राज्य और जिला आधार पर ड्रिल-डाउन विश्लेषण करने की क्षमता के साथ दीवानी और आपराधिक दोनों मामलों का केस डेटा उपलब्ध होता है।
- कथन 3 गलत है: एनजेडीजी लंबित मामलों के कारणों का उल्लेख करता है।
प्रश्न 3.निम्नलिखित में से कौन विश्व भारती विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं? (स्तर – सरल)
(a) भारत के राष्ट्रपति
(b) भारत के उपराष्ट्रपति
(c) भारत के प्रधानमंत्री
(d) केंद्रीय शिक्षा मंत्री
उत्तर: c
व्याख्या:
- प्रधान मंत्री एक केंद्रीय विश्वविद्यालय- विश्व भारती के कुलाधिपति होते हैं।
प्रश्न 4. इराक स्थित सावा झील हाल ही में चर्चा में रही है क्योंकि: (स्तर – मध्यम)
(a) इसके नीचे प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार पाए जाते हैं।
(b) इसके नीचे कच्चे तेल के विशाल भंडार हैं।
(c) यह झील सुख गई हैं।
(d) यह देश की पहली झील है।
उत्तर: c
व्याख्या:
- इस साल इतिहास में पहली बार इराक की झील सावा सूख गई है। स्थानीय निवेशकों द्वारा कुप्रबंधन, सरकार की उपेक्षा और जलवायु परिवर्तन इसके सूखने के कारण हैं।
प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
- 1.0 पहली पीढ़ी का इंटरनेट था जो स्थिर वेब पेजों के आधार पर बना था और जिसमें केवल निष्क्रिय जुड़ाव संभव था ।
- वेब 2.0, आज कि पीढ़ी का इंटरनेट है जिसकी सहायता से ऐसी सामाजिक वेब बनाई गई जिसने उपयोगकर्ताओं को सर्वर और अन्य उपयोगकर्ताओं के साथ संचार को संभव बना दिया।
- वेब 3.0 अगली पीढ़ी का इंटरनेट है जिसमें ब्लॉकचेन तकनीक पर निर्मित और कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा संचालित एक ऐसी डिजिटल दुनिया की परिकल्पना कि गई है, जहां लोग बिना किसी मध्यस्थ बातचीत करेंगे।
- वेब 5.0 का उद्देश्य “एक अतिरिक्त विकेन्द्रीकृत वेब का निर्माण करना है,जिसमें आपका अपने डेटा और पहचान पर नियंत्रण हो।
सही कथन का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 4
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: वेब 1.0 वैश्विक डिजिटल संचार नेटवर्क की पहली पीढ़ी थी। इसे अक्सर “केवल पढ़ने के लिए” (read-only) इंटरनेट के रूप में संदर्भित किया जाता है जो स्थिर वेब-पृष्ठों से बना होता है जो केवल निष्क्रिय जुड़ाव की अनुमति देता है।
- कथन 2 सही है: वेब 2.0 “पढ़ें और लिखें” (read and write) इंटरनेट के रूप में वेब के विकास का अगला चरण है। इसकी वजह से एक ऐसी सोशल वेब का निर्माण हुआ जिसमें उपयोगकर्ता अब सर्वर और अन्य उपयोगकर्ताओं के साथ संचार करने में सक्षम हुए । यह वर्ल्ड वाइड वेब है जिसका हम आज उपयोग करते हैं।
- कथन 3 सही है: वेब 3.0 एक उभरता हुआ शब्द है जिसका उपयोग इंटरनेट की अगली पीढ़ी को संदर्भित करने के लिए किया जाता है एक “पढ़ें-लिखें-निष्पादित करें (read-write-execute-रीड-राइट-एक्ज़ीक्यूट) वेब जिसका आधार विकेंद्रीकरण है।
- यह एक डिजिटल दुनिया के बारे में बात करता है, जिसे ब्लॉकचेन तकनीक का लाभ उठाते हुए बनाया गया है, जहां लोग बिना किसी मध्यस्थ की आवश्यकता के एक-दूसरे के साथ बातचीत करने में सक्षम हैं।
- वेब 3.0 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग द्वारा संचालित होगी जहां मशीनें इंसानों की तरह सूचनाओं की व्याख्या करने में सक्षम होंगी।
- कथन 4 सही है: वेब 5.0 का उद्देश्य “एक अतिरिक्त विकेन्द्रीकृत वेब का निर्माण करना है जो आपको आपके डेटा और पहचान के नियंत्रण में रखता है”।
- वेब 5.0 वेब 2.0 के वेब 3.0 के साथ जुड़ाव से बना हैं जो उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट पर ‘अपनी पहचान रखने’ और ‘अपने डेटा को नियंत्रित करने’ की अनुमति देगा।
प्रश्न 6. भारतीय संविधान के तहत, धन का संकेंद्रण उल्लंघन करता है (स्तर – सरल)
(a) समानता के अधिकार का
(b) राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत का
(c) स्वतंत्रता के अधिकार का
(d) कल्याण की अवधारणा का
उत्तर: b
व्याख्या:
- भारत के संविधान में अनुच्छेद 39 (राज्य नीति के निदेशक सिद्धांत) में कहा गया है, राज्य द्वारा कुछ निश्चित निर्देशों का पालन विशेष रूप से, अपनी नीति को सुरक्षित करने की दिशा में किया जायेगा :
- कि समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस प्रकार होगा कि वह जनसामान्य की भलाई के लिए हो;
- कि आर्थिक प्रणाली के संचालन के परिणामस्वरूप नुकसान के लिए धन और उत्पादन के साधनों का संकेंद्रण नहीं किया जायेगा;अनुच्छेद 39 (b) और (c) दो सबसे महत्वपूर्ण निर्देशक सिद्धांत हैं जो धन के संग्रहण कि इजाजत नहीं देते हैं ।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. पिछले दो वर्षों में वैश्विक खाद्य कीमतों में वृद्धि हुई है। इसके लिए जिम्मेदार कारकों और इस संकट से निपटने के तरीकों का परीक्षण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – अर्थव्यवस्था)
प्रश्न 2. जैसे जैसे अमेरिका और चीन के बीच प्रतिद्वंद्विता तेज होती जा रही हैं,अन्य देशों की कठनाईयाँ बढ़ रही हैं । भारत पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? चर्चा कीजिए । (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II-आईआर)
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