18 नवंबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: भारत और विश्व का भूगोल
B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: सामाजिक न्याय:
शासन:
अर्थव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
कॉलेजियम प्रणाली की समीक्षा
विषय: नियंत्रण और संतुलन का सिद्धांत (Doctrine of Checks & Balances)
मुख्य परीक्षा: न्यायिक नियुक्तियों में कॉलेजियम प्रणाली की दक्षता
संदर्भ: हाल ही में भारत का उच्चतम न्यायालय न्यायिक नियुक्तियों की कॉलेजियम प्रणाली पर पुनर्विचार करने वाली एक रिट याचिका को सूचीबद्ध करने(सुनवाई करने) पर सहमत हो गया है।
भूमिका:
- भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायिक नियुक्तियों की कॉलेजियम प्रणाली पर पुनर्विचार करने वाली एक रिट याचिका पर सुनवाई करने पर सहमत हो गए हैं।
- इस रिट याचिका में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को पुनः अस्तित्व में लाने की मांग की गई थी, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2015 में इसे खारिज किए जाने से पहले संवैधानिक न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में सरकार की भूमिका को न्यायपालिका के बराबर कर दिया था।
- याचिका में कहा गया है कि 2015 के निर्णय को शुरू से ही अमान्य कर दिया जाना चाहिए था क्योंकि इसके माध्यम से कॉलेजियम प्रणाली को बनाए रखा गया, जिसे “भाई-भतीजावाद और पक्षपात का पर्याय” कहा गया था।
- याचिका कानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा कॉलेजियम प्रणाली पर हाल ही में किए गए मौखिक हमलों के अनुरूप है। मंत्री के द्वारा इस प्रणाली को अपारदर्शी कहा गया है।
पृष्ठभूमि:
- राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) एक संवैधानिक निकाय था जिसे न्यायाधीशों की नियुक्ति की वर्तमान कॉलेजियम प्रणाली को प्रतिस्थापित करने के लिए प्रस्तावित किया गया था।
- इसकी स्थापना 2014 में संसद द्वारा पारित संविधान [संविधान (निन्यानवे संशोधन) अधिनियम, 2014] संशोधन द्वारा की गई थी।
- 2015 में 4-1 के बहुमत के फैसले में, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान (निन्यानवे वां संशोधन) अधिनियम, 2014 और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम, 2014 दोनों असंवैधानिक हैं क्योंकि इनसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता कमजोर होगी।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
विश्व और भारत का भूगोल :
चरम मौसम की घटनाएँ
विषय: महत्वपूर्ण भूभौतिकीय घटना
मुख्य परीक्षा: भारत में गरीबों की आजीविका पर जलवायु परिवर्तन की भूमिका
संदर्भ: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) और डाउन टू अर्थ की एक हालिया रिपोर्ट में 2022 में अब तक भारत में हुई चरम मौसम की घटनाओं का विवरण है।
मुख्य विवरण:
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2022 में 1 जनवरी से 30 सितंबर के बीच 273 दिनों में से 242 दिन या 88.6% की चरम मौसम की घटनाओं को दर्ज किया गया है।
- इसका अर्थ यह है कि भारत में “इस साल के पहले नौ महीनों में लगभग प्रत्येक दिन”, हीट वेव, चक्रवातों और बिजली गिरने से लेकर भारी वर्षा, बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदा आई है।
- इस तरह की घटनाओं में 2,755 लोगों की जान चली गई और इसने देश भर में 1.8 मिलियन हेक्टेयर फसल क्षेत्र को प्रभावित किया।
- देश में एक सदी में सबसे गर्म महीना मार्च और तीसरा सबसे गर्म महीना अप्रैल दर्ज किया गया। मध्य प्रदेश में चरम मौसम की घटनाओं वाले दिनों की संख्या सबसे अधिक थी जबकि ऐसी घटनाएं राज्य में हर दूसरे दिन हुई।
- हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा 359 लोगों की मौत हुई है।
- क्षेत्र-वार, मध्य क्षेत्र (मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, ओडिशा और गोवा राज्य) में चरम मौसम की घटनाओं वाले दिनों की संख्या सबसे अधिक 198 थी तथा इसके परिणामस्वरूप 887 मौतें हुईं।
- पूर्व और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में कुल मिलाकर 783 मौतें हुईं।
- कुल मिलाकर, चरम मौसम की घटनाओं ने 1.8 मिलियन हेक्टेयर फसल क्षेत्र को प्रभावित किया, 4 लाख से अधिक घरों को नष्ट कर दिया और लगभग 70,000 पशुओं की मृत्यु हो गई।
- एक वर्ष के दौरान कर्नाटक का 50% से अधिक फसल क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
चित्र स्त्रोत: The Hindu
चरम मौसम की घटनाएं क्या हैं?
- जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC) के अनुसार चरम मौसम की घटनाओं को “वर्ष में किसी विशेष स्थान पर दुर्लभ घटना” के रूप में संदर्भित किया गया है।
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) बिजली और गरज के साथ अत्यधिक वर्षा, भूस्खलन और बाढ़, शीतलहर, हीट वेब, चक्रवात, बर्फबारी, धूल और रेत के तूफान, तूफान, ओलावृष्टि और आंधी को चरम मौसम की घटनाओं के रूप में वर्गीकृत करता है।
रिपोर्ट का महत्व:
- रिपोर्ट समयानुकूल है तथा इसमें मृत्यु की घटनाओं और फसल के नुकसान जैसे प्रत्यक्ष नुकसान की मात्रा की बात की गई है। हालांकि, इसमें ऐसी चरम घटनाओं के कारण होने वाले अप्रत्यक्ष प्रभावों (जैसे मानव स्वास्थ्य और मानसिक तनाव पर प्रभाव) का उल्लेख नहीं है क्योंकि उन्हें रिकॉर्ड करने के लिए कोई पद्धति नहीं है।
- इसलिए, इसमें विशेष रूप से भारत जैसे खराब डेटा और बहु-खतरे वाले देशों में इस तरह के हानि और नुकसान की मात्रा निर्धारित करने के लिए “पारदर्शी और सुसंगत पद्धतियों” की आवश्यकता को प्रदर्शित किया गया है।
- इससे 27वें कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP 27) में नुकसान और क्षति पर होने वाली चर्चाओं में भी वृद्धि होगी।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
सामाजिक न्याय
प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) पर विश्लेषण
विषय: आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं और इन योजनाओं का प्रदर्शन
प्रारंभिक परीक्षा: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के बारे में
मुख्य परीक्षा: PMGKAY का महत्व और इस योजना के क्रियान्वयन का महत्वपूर्ण मूल्यांकन
संदर्भ
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) को सितंबर 2022 में तीन और महीनों के लिए बढ़ा दिया गया था।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY)
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक कीजिए: Pradhan Mantri Garib Kalyan Anna Yojana (PMGKAY) |
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प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) का महत्व
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) का उद्देश्य केंद्रीय पूल से खाद्यान्न (चावल/गेहूं) के अतिरिक्त आवंटन का विस्तार करना है, जिससे NFSA के तहत अंत्योदय अन्न योजना (AAY) और प्राथमिकता वाले परिवार (PHH) श्रेणियों के कार्डधारकों की बड़ी संख्या लाभान्वित होगी।
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY), NFSA के तहत नियमित मासिक कोटा जो AAY के लिए 35 किलोग्राम/माह/परिवार और PHH के लिए 5 किलोग्राम/माह/व्यक्ति है, से अतिरिक्त खाद्यान्न प्रदान किया जाता है।
- PMGKAY में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के लाभार्थियों को भी शामिल किया गया है।
- हाल के विस्तार सहित खाद्यान्न के कुल अनुमानित व्यय के विश्लेषण से पता चलता है कि कुल आवंटन 1,121 लाख टन के करीब होगा, जिसमें योजना का कुल व्यय 3.91 लाख करोड़ रुपये के करीब होगा।
- विभिन्न नीति निर्माताओं के साथ-साथ विशेषज्ञों ने स्वीकार किया है कि इस योजना ने सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल जैसे कि कोविड महामारी के दौरान खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- इसके अलावा, इस योजना को खाद्य और सार्वजनिक वितरण पर संसदीय स्थायी समिति तथा IMF द्वारा प्रकाशित वर्किंग पेपर “पेंडेमिक, पॉवर्टी एंड इनिक्वालिटी: एविडेंस फ्रॉम इंडिया” से सराहना मिली है।
योजना के नवीनतम विस्तार को लेकर चिंता
- रिपोर्टों से पता चलता है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले व्यय विभाग ने जून में PMGKAY के विस्तार का समर्थन नहीं किया था और इसके कारण के रूप में धन की कमी का हवाला दिया था और यह भी कहा था कि इस तरह की योजना को अब महामारी के बाद बनाए रखने की आवश्यकता नहीं है।
- आलोचकों का कहना है कि इस योजना का विस्तार ऐसे समय में हुआ था जब फ्रीबीज की प्रासंगिकता और विस्तार के बारे में बड़े स्तर पर बहस चल रही थी।
- सरकार ने माना है कि अक्टूबर और दिसंबर के बीच त्योहारी सीजन के दौरान गरीबों और कमजोर लोगों को सहयोग प्रदान करने के लिए इस योजना की अवधि को आगे बढ़ाया गया है।
- हालांकि, आलोचकों का मानना है कि दिसंबर 2020 और अप्रैल 2021 के दौरान ऐसा कोई विचार नहीं दिखाया गया था जब योजना बंद कर दी गई थी और यह वही समय भी था जब देश महामारी की पहली लहर से उबर रहा था।
- सरकार के आलोचकों का यह भी तर्क है कि योजना के विस्तार का नवीनतम दौर सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश और गुजरात राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर लोगों को खुश करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रणनीति है।
अनुशंसाएं
- केंद्र सरकार को PMGKAY के क्रियान्वयन पर एक अध्ययन शुरू करना चाहिए और इसके निष्कर्षों को सार्वजनिक करना चाहिए।
- इस अध्ययन के परिणामों और निष्कर्षों का उपयोग उपलब्ध आंकड़ों की जांच करने, लाभार्थियों के डेटाबेस को अद्यतन करने और जरूरतमंदों की पहचान करने के लिए किया जाना चाहिए।
- बजटीय आवंटन पर नियंत्रण के लिए, चावल या गेहूं के लिए कोटा के नियमों को उपयुक्त रूप से बदला जा सकता है।
- ऐसे सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को शुरू करते समय यह महत्वपूर्ण है कि संघ और राज्य प्राधिकरणों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) से विचलन की चुनौतियों पर हमेशा नजर रखनी चाहिए।
- खाद्यान्नों के विपथन (अर्थात लक्षित लाभार्थियों को न मिल पाना) की समस्या को दूर करने के प्रयास शुरू किए जाने चाहिए क्योंकि कई पात्र व्यक्ति और परिवार अभी भी खाद्य सुरक्षा जाल के दायरे से बाहर हैं।
- जैसा कि महामारी के शुरुआती चरणों के दौरान किया गया था, केंद्र को एक बार फिर राज्यों को नियमित आधार पर या रियायती दरों पर 1 किलो दाल निःशुल्क उपलब्ध कराने पर विचार करना चाहिए।
- इसके अलावा, खाद्यान्नों को निःशुल्क उपलब्ध कराने की व्यवहार्यता का विश्लेषण किया जाना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो निःशुल्क आपूर्ति के बजाय उचित लागत पर खाद्यान्न की आपूर्ति की जा सकती है क्योंकि आवश्यक वस्तुओं को निःशुल्क उपलब्ध कराने की संस्कृति को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाना चाहिए।
सारांश: सरकार ने एक बार फिर विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए PMGKAY का विस्तार किया है, लेकिन विशेषज्ञों और आलोचकों ने सरकार से एक अध्ययन शुरू करने तथा योजना के समग्र प्रभाव पर अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर निर्णय लेने का आग्रह किया है क्योंकि बड़े पैमाने पर खाद्यान्न का विचलन और पात्र व्यक्तियों के लाभार्थियों की श्रेणी से बाहर रहने की बात सामने आई है।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
शासन
अपारदर्शी राजनीतिक वित्तपोषण लोकतंत्र के लिए अहितकारी
विषय: शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्वपूर्ण पहलू
प्रारंभिक परीक्षा: चुनावी बांड के बारे में
मुख्य परीक्षा: राजनीतिक वित्तपोषण का महत्व और चुनावी बांड योजना से जुड़े प्रमुख मुद्दे
संदर्भ
हाल ही में केंद्र सरकार ने चुनावी बांड योजना में संशोधन किया है ताकि उन वर्षों में चुनावी बांड की बिक्री के लिए 15 दिनों की अतिरिक्त अवधि की अनुमति दी जा सके, जिनमें राज्य चुनाव हैं।
राजनीतिक वित्तपोषण द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका
- राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के सभी तीन अक्ष अर्थात् संस्थागत (सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच प्रतिस्पर्धा का विनियमन); संगठनात्मक (एक पार्टी के भीतर प्रतिस्पर्धा का विनियमन); और वैचारिक (पार्टियों के बीच प्रतिस्पर्धा का निर्धारण करने में विचारों की भूमिका) राजनीतिक वित्त की प्रकृति से महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित होते हैं।
- एक राजनीतिक दल के भीतर राजनीतिक वित्तपोषण के केंद्रीकरण की सीमा दर्शाती है कि पार्टी में सत्ता संगठनात्मक ढांचे से है या विवेकाधीन या निरंकुश तरीके से प्रयोग की जाती है।
- राजनीतिक वित्तपोषण भी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और जब राजनीतिक वित्तपोषण केवल कुछ विशिष्ट राजनीतिक विचारधाराओं और पार्टियों पर केंद्रित होता है तो राजनीतिक प्रतिस्पर्धा बुरी तरह नष्ट हो जाती है।
- राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता का स्तर देश में संस्थागत सुरक्षा की प्रभावशीलता से सीधे संबंधित है जैसे भारतीय निर्वाचन आयोग।
चुनावी बांड योजना से जुड़ी चिंताएं
सत्तारूढ़ दल को लाभ
- विशेषज्ञों का मानना है कि चुनावी बॉन्ड का समग्र डिजाइन सत्तारूढ़ दल की मदद करने की ओर झुका हुआ है।
- ECI के आंकड़ों के अनुसार, सत्तारूढ़ दल को 2019-20 में बेचे गए कुल चुनावी बांड का 75% से अधिक भाग मिला।
- इसके अलावा, चुनावी बांड राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता और खुलेपन के विचारों का भी उल्लंघन करते हैं क्योंकि इसमें केवल सरकार (सत्तारूढ़ दल) के पास लेनदेन के विवरण तक पहुंच होती है।
- प्रचलित सूचना विषमता और संस्थागत जांच के प्रति अपारदर्शिता सत्तारूढ़ दल के लिए लाभदायक रही है।
क्षेत्रीय दलों की तुलना में राष्ट्रीय दलों को लाभ
- चुनावी बांड राजनीतिक दलों की राष्ट्रीय इकाइयों के लिए भी राजनीतिक फंडिंग को केंद्रीकृत करते हैं जिससे राज्य और स्थानीय इकाइयों पर राष्ट्रीय दल सशक्त होते हैं।
- सूचना के अधिकार (RTI) के जवाब के अनुसार, 2018-19 में बेचे गए ₹5,851 करोड़ के चुनावी बॉन्ड में से 80% चुनावी बॉन्ड दिल्ली में भुनाए गए।
- इसके अलावा, इलेक्टोरल बॉन्ड में संशोधन पेश किए गए जिसमें कॉरपोरेट चंदे पर पूर्ववर्ती सीमाओं को हटाना शामिल है। इन संशोधनों ने राष्ट्रीय राजनीतिक दलों और कॉर्पोरेट समूहों के बीच गठबंधन की संभावनाओं को जन्म दिया है, जिससे स्थानीय और क्षेत्रीय दलों के लिए अवसर कम हो गए हैं।
- अतीत में ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें बड़े व्यापारिक समूहों और राष्ट्रीय दलों के बीच गठजोड़ ने स्थानीय/क्षेत्रीय दलों के विकास के खिलाफ काम किया है।
सत्ता का केंद्रीकरण
- राजनीतिक सत्ता का केंद्रीकरण अपने क्षेत्रीय समकक्षों की तुलना में राष्ट्रीय दलों के हाथों में अधिक केंद्रित हो रहा है।
- इसे राज्य इकाइयों पर राष्ट्रीय सत्ताधारी पार्टी के अधिकार के विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से देखा जा सकता है जैसे कि राज्य सरकारों में नेतृत्व में बदलाव लाना तथा विमुद्रीकरण एवं वस्तु और सेवा कर (GST) जैसे उपाय लागू करना।
सारांश: भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में राजनीतिक वित्त की प्रकृति राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की संरचना के एक महत्वपूर्ण निर्धारक के रूप में कार्य करती है। इसलिए भारतीय निर्वाचन आयोग और उच्चतम न्यायालय जैसे स्वतंत्र संस्थानों के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण हो गया है कि वे हस्तक्षेप करें और चुनावी बॉन्ड में मौजूद खामियों को दूर करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि देश के लोकतांत्रिक मूल्य बने रहेंगे।
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 से संबंधित
अर्थव्यवस्था
व्यापार का मुश्किल दौर
विषय: भारतीय निर्यात, आयात और व्यापार घाटा संबंधी रुझान।
मुख्य परीक्षा: भारतीय निर्यात, आयात और व्यापार घाटे में निहित तत्त्व।
संदर्भ: फरवरी 2021 के बाद पहली बार अक्टूबर 2022 में भारतीय वस्तुओं के निर्यात में गिरावट आई है।
विवरण:
- अक्टूबर 2022 में भारत का वस्तुगत निर्यात लगभग 20 महीनों के बाद 30 बिलियन डॉलर से कम हो गया और रिपोर्ट से पता चलता है कि अक्टूबर 2021 की तुलना में वस्तुगत निर्यात में लगभग 16.7% की और सितंबर 2022 की तुलना में 16% की कमी हुई है।
- अधिकांश क्षेत्र जैसे फार्मास्यूटिकल्स और रसायन; इंजीनियरिंग सामान; रत्न और आभूषण; कपड़ा और हथकरघा बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
- इसके अलावा, आयात में साल-दर-साल 5.7% की वृद्धि हुई, जिससे भारत के व्यापार घाटे में 50% से अधिक की बढ़ोतरी हुई है और यह 26.9 बिलियन डॉलर हो गया।
- अक्टूबर 2022 वस्तुगत व्यापार घाटे का लगातार चौथा महीना है जिसमें 25 बिलियन डॉलर से अधिक का व्यापार घाटा हुआ है।
- इसके अलावा, सितंबर 2022 से पेट्रोलियम आयात में मामूली कमी और गैर-तेल, गैर-स्वर्ण आयात में 10.3% की कमी घरेलू मांग में मंदी को दर्शाती है।
चित्र स्रोत: The Hindu
भावी कदम
- सरकार ने निर्यात में गिरावट को स्वीकार किया है और इस गिरावट के लिए त्योहारी मौसमी (दीपावली) को जिम्मेदार ठहराया है, जिसमें छुट्टियों के कारण उत्पादन में गिरावट आती है और त्योहारी मांग के कारण आयात में वृद्धि होती है।
- अधिकारियों का यह भी सुझाव है कि चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि भारत का वैश्विक व्यापार में बहुत कम हिस्सा है जो केवल बढ़ सकता है।
- हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार, निर्यात वृद्धि के लक्ष्य को स्वतः हासिल नहीं किया जा सकता है, क्योंकि एक सिकुड़ते वैश्विक बाजार में, वियतनाम जैसे निर्यात प्रतिद्वंद्वियों से मंदी की प्रतीक्षा करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
- लेकिन भारत में, नई विदेश व्यापार नीति, जिसके द्वारा 2015 की वर्तमान नीति को प्रतिस्थापित किया जाना था, को अप्रैल 2023 तक के लिए फिर से स्थगित कर दिया गया, जिसके कारणों में वर्तमान वैश्विक उथल-पुथल भी शामिल था।
- विशेषज्ञ नीति निर्माताओं और अधिकारियों से सामने आई इन चुनौतियों से निपटने के लिए साहसिक दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह करते हैं।
सारांश: ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी, रुपये के मूल्यह्रास और निर्यात को प्रभावित करने वाली वैश्विक मांग में मंदी के कारण भारत के विशाल व्यापार घाटे के और बढ़ने की संभावना है। इसपर नीति निर्माताओं और अन्य एजेंसियों द्वारा मौजूदा चिंताओं को दूर करने के लिए सक्रिय कार्रवाई की आवश्यकता है, क्योंकि प्रतीक्षा करने और देखने का दृष्टिकोण एक व्यवहार्य दृष्टिकोण नहीं हो सकता है।
प्रीलिम्स तथ्य:
- राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष
विषय: अर्थव्यवस्था-अवसंरचना
प्रारंभिक परीक्षा: अवसंरचना से संबंधित योजनाएं और नीतियां
संदर्भ: हाल ही में राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष (NIIF) की शासी परिषद की 5वीं बैठक आयोजित की गई थी।
मुख्य विवरण:
- केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री, निर्मला सीतारमण ने नई दिल्ली में NIIF की शासी परिषद (GC) की 5वीं बैठक की अध्यक्षता की।
- राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष (NIIF) का पहला द्विपक्षीय फंड – केंद्र सरकार के योगदान के साथ “इंडिया जापान फंड” नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड लिमिटेड (NIIFL) और जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (JBIC) के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) के माध्यम से प्रस्तावित किया गया है।
- शासी परिषद ने कहा कि राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्वसनीय और व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य निवेश मंच के रूप में विकसित हुआ है, जिसे विभिन्न वैश्विक और घरेलू निवेशकों का समर्थन प्राप्त है और जिन्होंने NIIF फंड्स में भारत सरकार के साथ निवेश किया है।
- शासी परिषद ने NIIF को निवेश योग्य PPP परियोजनाओं की एक पाइप लाइन बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को सहयोग करने हेतु सक्रिय रूप से सलाहकारी गतिविधियां शुरू करने के लिए निर्देश दिया।
- वित्त मंत्री ने NIIF से अपने कार्यों का विस्तार करने और नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन, पीएम गति शक्ति और नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर के तहत परियोजनाओं के लिए निजी पूंजी लाने के तरीकों का पता लगाने का भी आग्रह किया।
प्रधानमंत्री गति शक्ति पर अधिक जानकारी के लिए इस पर क्लिक कीजिए : PM Gati Shakti
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा
- तमिलनाडु के चौदह मछुआरों को कथित तौर पर श्रीलंका के क्षेत्रीय जल में अतिक्रमण के लिए श्रीलंकाई नौसेना द्वारा हिरासत में लिया गया था।
- समुद्री सीमा, भौगोलिक या भू-राजनीतिक मानदंडों का उपयोग करके पृथ्वी के समुद्री क्षेत्रों का एक अवधारणात्मक विभाजन है।
- इसमें आमतौर पर समुद्री सुविधाओं, सीमाओं और क्षेत्रों को शामिल करते हुए खनिज और जैविक संसाधनों पर विशेष राष्ट्रीय अधिकारों के क्षेत्रों का सीमांकन होता है।
- कुछ देशों में समुद्री सीमा शब्द एक समुद्री राष्ट्र की सीमाओं का प्रतिनिधित्व करता है जिसे संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि द्वारा मान्यता प्राप्त है।
- भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री सीमा का सीमांकन 1974 और 1976 में हुए दो द्विपक्षीय समझौतों के माध्यम से किया गया था तथा यह पश्चिम में मालदीव के साथ तथा पूर्व में भारत और श्रीलंका की 200 समुद्री मील की सीमा तक 288 किमी क्षेत्र तक फैली हुई है। .
- सीमा का वह भाग जो पाक जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है, जिसे ऐतिहासिक जल-क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया गया है, 1974 के समझौते में इसे संशोधित समान दूरी के सिद्धांत (principle of modified equidistance) के आधार पर स्थापित किया गया था।
- हिंद महासागर/मन्नार की खाड़ी और बंगाल की खाड़ी में समुद्री सीमा 1976 में स्थापित की गई थी और यह एक सरलीकृत समान दूरी रेखा (simplified equidistance line) का अनुसरण करती है।
चित्र स्त्रोत: Sri Lanka Survey Department
Important boundary lines in the world के बारे में पढ़ें।
2. चुनावी बांड:
- मार्च 2018 में इसके लॉन्च होने के बाद से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) द्वारा ₹10,246 करोड़ के चुनावी बॉन्ड बेचे गए हैं।
- राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में चुनावी बॉन्ड को प्रस्तुत किया गया है।
- इनमें से अधिकांश बॉन्ड ₹1 करोड़ के थे, जबकि 10% से कम सब्सक्रिप्शन वाले – ₹10 लाख, ₹1 लाख, ₹10,000 और ₹1,000 के कम मूल्यवर्ग वाले थे।
- बेचे गए कुल बॉन्ड का लगभग 93.5% ₹1 करोड़ के मूल्यवर्ग के थे।
- मूल्य के संदर्भ में केवल 0.25% ₹1 लाख, ₹10,000 और ₹1,000 मूल्यवर्ग से थे।
- SBI को 29 अधिकृत शाखाओं के माध्यम से चुनावी बॉन्ड जारी करने और भुनाने के लिए अधिकृत किया गया है।
Electoral Bonds. पर और पढ़ें।
3. चेचक(Measles)
- बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के अनुसार सितंबर 2022 से मुंबई में चेचक से सात संदिग्ध मौतें और वायरल संक्रमण के 164 मामले सामने आए हैं।
- कुल मिलाकर, शहर में संदिग्ध चेचक के मामलों की संख्या बढ़कर 1,263 हो गई और इनमें से 647 मामलों में 1 से 4 वर्ष की आयु के बच्चे शामिल थे।
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शहर में चेचक के मामलों में वृद्धि का जायजा लेने और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को क्रियान्वित करने में राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों की सहायता करने व आवश्यक नियंत्रण और रोकथाम उपायों के संचालन की सुविधा के लिए मुंबई में एक उच्च-स्तरीय बहु-विषयक टीम की प्रतिनियुक्ति की है।
चेचक के बारे में:
- चेचक को रूबेला या लाल खसरा भी कहा जाता है।
- यह एक अत्यधिक संक्रामक श्वसन संक्रमण है जो एक वायरस के कारण होता है और पूरे शरीर पर चकत्ते का कारण बनता है।
- चेचक संक्रमित बलगम और लार से फैल सकता है।
- चेचक में बच्चे को बुखार, सर्दी, खांसी और शरीर पर लाल दाने हो जाते हैं।
- आंशिक रूप से टीकाकृत या गैर-टीकाकृत बच्चों में यह बीमारी गंभीर हो सकती है।
Measles and Rubella Campaign के बारे में और पढ़ें।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. संत कबीर दास के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर-कठिन)
- उन्होंने कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली, लेकिन एक बुनकर के रूप में अच्छी तरह से प्रशिक्षित थे।
- उन्होंने मूर्ति पूजा का कभी विरोध नहीं किया क्योंकि उन्हें लगा कि यह किसी के लिए धार्मिक गतिविधियों और भक्ति पर ध्यान केंद्रित करने का एक साधन है।
- उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में ‘सखी ग्रंथ’, ‘अनुराग सागर’ और ‘बीजक’ शामिल हैं।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 1 और 2
- केवल 3
- 1, 2 और 3
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है, संत कबीर दास ने कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली थी और न ही वे बुनकर के रूप में प्रशिक्षित थे। यद्यपि उनकी कविताओं में बुनकर के अलंकारों का प्रयोग है लेकिन उनका मन इस व्यवसाय में पूरी तरह से नहीं लगता था। उन्होंने सत्य की खोज के लिए आध्यात्मिक मार्ग को चुना, जो उनके काव्य में स्पष्ट रूप से प्रकट होता है।
- कथन 2 गलत है, कबीर ने हमेशा मूर्ति पूजा के विचार का विरोध किया तथा भक्ति और सूफी मत में स्पष्ट विश्वास दिखाया।
- कथन 3 सही है, संत कबीर दास अपने समय के महान कवि थे। उनकी रचनाओं ने भक्ति आंदोलन को प्रभावित किया।
- उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाओं में ‘सखी ग्रंथ’, ‘अनुराग सागर’, ‘बीजक’ और ‘कबीर ग्रंथावली’ शामिल हैं।
प्रश्न 2. उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के स्थानांतरण के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:(स्तर-मध्यम)
- अपने पहले या आगामी स्थानांतरण के मामले में संबंधित न्यायाधीश की सहमति की आवश्यकता नहीं होती है।
- इस तरह के स्थानांतरण को चुनौती देने वाले मामले को दर्ज कराने का अधिकार किसी अन्य को नहीं, अपितु केवल संबंधित न्यायाधीश (स्थानांतरित) के पास होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- दोनों
- इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 222 में न्यायाधीश (मुख्य न्यायाधीश सहित) को एक उच्च न्यायालय से किसी अन्य उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का प्रावधान है।
- एक न्यायाधीश के स्थानांतरण के प्रस्ताव की पहल भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जानी चाहिए, इस संबंध में उसकी राय निर्णायक होती है।
- अपने पहले या बाद के स्थानांतरण के लिए किसी न्यायाधीश की सहमति की आवश्यकता नहीं होगी।
- कथन 2 सही है, मद्रास उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने माना कि केवल स्थानांतरित होने होने वाला न्यायाधीश न कि कोई और इस तरह के स्थानांतरण को चुनौती देने मामले को दर्ज कराने का हकदार होगा और यहां तक कि संबंधित पीड़ित न्यायाधीश भी केवल सीमित आधारों पर स्थानांतरण आदेश पर सवाल उठा सकते हैं जैसे कि संबंधित प्रस्ताव भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) द्वारा नहीं किया गया है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन सेरेब्रोटेंडिनस ज़ैंथोमैटोसिस (CTX) का सबसे अच्छा विवरण है? (स्तर-कठिन)
- यह एक दुर्लभ आनुवंशिक स्थिति है जिसमें छोटे कद और कई प्रकार की चेहरे, अंग और जननांग संबंधी असामान्यताएं देखी जाती हैं।
- यह एक दुर्लभ विकार है जिसमें शरीर में लौह तत्व का असामान्य रूप से उच्च स्तर देखा जाता है।
- यह शरीर के कई भागों में वसा (लिपिड) की असामान्य मौजूदगी (संचयन) वाला विकार है।
- यह एक ऐसा दुर्लभ आनुवंशिक विकार है जो सिर, चेहरे की हड्डियों में संरचनात्मक परिवर्तन और अन्य अस्थि पंजर संबंधी असामान्यताओं का कारण बन सकता है।
उत्तर: c
व्याख्या:
- सेरेब्रोटेंडिनस ज़ैंथोमैटोसिस एक विकार है। शरीर के विभिन्न भागों में वसा (लिपिड) का असामान्य संचय इसकी विशेषता है। इस विकार वाले लोगों में कुछ लिपिड (विशेष रूप से कोलेस्ट्रॉल के विभिन्न रूप) का प्रभावी ढंग से विघटन नहीं होता है, इसलिए यह वसा शरीर में फैटी येलो नोड्यूल्स के रूप में जमा होते हैं जिन्हें ज़ैंथोमास कहा जाता है।
- सेरेब्रोटेंडिनस ज़ैंथोमैटोसिस वाले लोगों में अक्सर शुरुआती वयस्कता में न्यूरोलॉजिकल समस्याएं होती हैं जो वसा के असामान्य संचय और मस्तिष्क में ज़ैंथोमास की बढ़ती संख्या के कारण होती हैं।
- इन न्यूरोलॉजिकल समस्याओं में आवर्तक दौरे (मिर्गी), गति विकार, दोषयुक्त बोल (डिसरथरिया), बाहों और पैरों में संवेदना की हानि (परिधीय न्यूरोपैथी), बौद्धिक कार्य में गिरावट (मनोभ्रंश), मतिभ्रम और अवसाद शामिल हैं।
प्रश्न 4. बाली यात्रा के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर-कठिन)
- यह पश्चिम बंगाल राज्य में आयोजित होने वाला एक त्यौहार है।
- यह गौरवशाली इतिहास के साथ एक अनूठा सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम है जिसमें पश्चिम बंगाल के लोगों के बाली के साथ अतीत के जुड़ाव का स्मरणोत्सव मनाया जाता है जो समुद्र पारीय (ट्रांसओशनिक – transoceanic) यात्राओं की गौरवशाली समुद्री परंपरा का स्मरण कराता है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- दोनों
- इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है, बाली यात्रा कटक, ओडिशा में कार्तिक पूर्णिमा पर महानदी के गडगड़िया घाट पर आयोजित होने वाला प्रमुख त्योहार है। इसे एशिया के सबसे बड़े खुले व्यापार मेलों में से एक माना जाता है।
- कथन 2 गलत है, यह उस दिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है जब प्राचीन साधबा (Sadhabas) (ओडिशा के मल्लाह) ओडिशा से व्यापार और संस्कृति का विस्तार करने के लिए इंडोनेशिया और श्रीलंका की यात्रा पर निकलते थे।
- इसे मनाने के लिए, हर साल ओडिया कैलेंडर के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा (कार्तिक महीने की पूर्णिमा का दिन) के दिन से त्योहार मनाया जाता है।
प्रश्न 5. क्रिप्स मिशन के प्रस्तावों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः (स्तर-मध्यम) (CSE-PYQ-2022)
- संविधान सभा में प्रांतीय विधान-सभाओं और साथ ही भारतीय रियासतों द्वारा नामित सदस्य होंगे।
- नया संविधान को स्वीकार करने के लिए जो भी प्रांत तैयार नहीं होगा, उसे यह अधिकार होगा कि अपनी भावी स्थिति के बारे में ब्रिटेन के साथ अलग संधि पर हस्ताक्षर करे।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है, क्रिप्स मिशन के प्रस्तावों के अनुसार, युद्ध की समाप्ति के बाद, एक नया संविधान बनाने के लिए संविधान सभा का गठन किया जायेगा। इस संविधान सभा के सदस्य आनुपातिक प्रतिनिधित्व के माध्यम से आंशिक रूप से प्रांतीय विधानसभाओं द्वारा चुने जाएंगे और आंशिक रूप से देशी रियासतों द्वारा मनोनीत किए जाएंगे।
- कथन 2 सही है, क्रिप्स मिशन ने यह भी प्रस्तावित किया कि नए संविधान से सहमत नहीं होने वाले प्रांतों को प्रस्तावित संघ से स्वयं को बाहर रखने का अधिकार होगा। ऐसे प्रांतों को अपना अलग संघ बनाने का भी अधिकार होगा और उन्हें अपनी भावी स्थिति के संबंध में ब्रिटेन के साथ एक अलग संधि पर हस्ताक्षर करने का अधिकार होगा।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
- भारत में न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रणाली का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2; राजव्यवस्था)
- जलवायु परिवर्तन के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और परिमाण में वृद्धि हुई है। इन परिणामों का मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3; पर्यावरण)