19 फरवरी 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: शासन:
सामाजिक न्याय:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: सुरक्षा:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: अर्थव्यवस्था:
शासन:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
शासन:
ग्रामीण पर्यटन
विषय: विकास प्रक्रियाएं और विकास उद्योग
मुख्य परीक्षा: भारत में ग्रामीण पर्यटन की संभावना
संदर्भ:
- केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत की।
परिचय:
- केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 16 फरवरी, 2023 को ‘सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम प्रतियोगिता पोर्टल’, वैश्विक पर्यटन निवेशक शिखर सम्मेलन 2023 पोर्टल और ग्रामीण पर्यटन पोर्टल का शुभारंभ किया।
- पर्यटन मंत्रालय घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को भारत में पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र में निवेश योग्य परियोजनाओं और अवसरों को प्रदर्शित करने के लिए मई 2023 में पहले वैश्विक पर्यटन निवेशक शिखर सम्मेलन का भी आयोजन कर रहा है।
- यह भारत की G20 अध्यक्षता के साथ-साथ India@75 आजादी का अमृत महोत्सव के भव्य समारोह की पृष्ठभूमि में आयोजित किया जा रहा है।
- मिशन मोड में पर्यटन को विकसित करने के लिए भारत ‘विजिट इंडिया ईयर 2023’ भी मना रहा है।
- यह स्थायी और ग्रामीण पर्यटन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को उजागर करता है और भारत को एक सहज, आधुनिक और स्मार्ट पर्यटन स्थल के रूप में आगे बढ़ाता है।
ग्रामीण पर्यटन:
- केंद्रीय नोडल एजेंसी, रूरल टूरिज्म एंड रूरल होमस्टे, जो केंद्र, राज्यों और अन्य हितधारकों के बीच समन्वयक निकाय है, ने ग्रामीण भारत का दौरा करने के इच्छुक पर्यटकों के लिए छह विशिष्ट अनुभवों की पहचान की है, जिसमें कृषि पर्यटन, कला और संस्कृति, इकोटूरिज्म, वन्य जीवन, जनजातीय पर्यटन और होमस्टे शामिल हैं।
- इसने 134 से अधिक गांवों की पहचान की है, जिनमें से प्रत्येक पर्यटकों को अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।
- उदाहरण के लिए, मत्तूर कर्नाटक का एक गाँव है जहाँ के निवासी केवल संस्कृत में बात करते हैं। महाराष्ट्र में माचली नारियल, सुपारी और केले के बागानों से घिरा एक कृषि गृह (agrarian homestay) है। राजस्थान के बिश्नोई गांव में विलुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का आना-जाना लगा रहता है। नागालैंड का कोन्याक टी रिट्रीट आगंतुकों को आदिवासी संस्कृति की यात्रा पर ले जाता है; तेलंगाना का पोचमपल्ली गांव आगंतुकों के समक्ष अपनी पारंपरिक बुनाई तकनीक का प्रदर्शन करता है; और हिमाचल प्रदेश का प्रागपुर गांव आगंतुकों को कांगड़ा विरासत वास्तुकला से रूबरू कराता है।
- समुदाय के भीतर रहते हुए अपने-अपने अनुभावों के आधार पर, पर्यटक स्थानीय व्यंजनों का अनुभव ले सकते हैं, यह देख सकते हैं कि फसलें कैसे उगाई जाती हैं, कपड़ा बुनाई में भाग ले सकते हैं, लोक कला का अभ्यास कर सकते हैं, और प्रकृति का आनंद ले सकते हैं।
ग्रामीण पर्यटन का महत्व:
- ग्रामीण पर्यटन निजी क्षेत्र की भागीदारी के बिना संधारणीयता पर ध्यान केंद्रित करता है और बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के विकास से परहेज करता है।
- अद्वितीय जैविक अनुभव प्रदान करने के लिए ग्रामीण पर्यटन में स्थानीय संसाधन और समुदाय शामिल होते हैं।
- यूएस-आधारित मार्केट रिसर्च फर्म ग्रैंड व्यू रिसर्च का अनुमान है कि अकेले एग्रीटूरिज्म 2022 से 2030 तक 11.4% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से विकसित होगा।
- यह ग्रामीण क्षेत्रों के पुनर्विकास और ग्रामीण जीवन को फिर से जीवंत करने, रोजगार और नए व्यापार के अवसर पैदा करने में मदद करेगा।
- ग्रामीण विकास मंत्रालय भी मनरेगा के तहत पर्यटक बुनियादी ढांचे के लिए संपत्ति सृजन की संभावना तलाश रहा है।
- परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) और मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट इन नॉर्थ ईस्ट रीजन (MOVCD-NER) के तहत विकसित जैविक कृषि क्षेत्रों को ग्रामीण पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करने से जैविक खेती और इसके बारे में जागरूकता को बढ़ावा मिलेगा।
- ग्रामीण पर्यटन स्थानीय कला और शिल्प को पुनर्जीवित कर सकता है और व्यवहार्य पारंपरिक व्यवसायों को विस्थापित होने से रोक सकता है।
सारांश:
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ग्रामीण पर्यटन के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहाँ क्लिक कीजिए: Rural Tourism
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सामाजिक न्याय:
एवियन इन्फ्लुएंजा के लिए पर्यावरण निगरानी
विषय: स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे
मुख्य परीक्षा: मानव स्वास्थ्य पर एवियन इन्फ्लुएंजा के संभावित खतरे
संदर्भ:
- इस लेख में एवियन इन्फ्लूएंजा के लिए प्रभावी पर्यावरणीय निगरानी की आवश्यकता पर चर्चा की गई है।
भूमिका:
- यू.के. एवियन इन्फ्लूएंजा (H5N1) के अब तक के सबसे बड़े प्रकोपों में से एक का सामना कर रहा है। स्कॉटलैंड में एवियन इन्फ्लूएंजा के मामले पाए गए हैं जिनमें सेंट किल्डा के दूरस्थ द्वीपसमूह और बास रॉक पर घटित हालिया प्रकोप भी शामिल हैं। गौरतलब है कि सेंट किल्डा के दूरस्थ द्वीपसमूह और बास रॉक नार्दन गैनेट (northern gannet) (ब्रिटेन के सबसे बड़े समुद्री पक्षियों में से एक) की दुनिया की सबसे बड़ी कॉलोनी है।
- भारत में, 2020-2021 में एवियन फ्लू का प्रकोप देखा गया था जो कई राज्यों में फैल गया था, जिससे भारी संख्या में जंगली पक्षियों की मृत्यु हुई थी।
- आमतौर पर एवियन फ्लू का प्रकोप चरम प्रवासी मौसम के साथ देखने को मिलता है, जिसके कारण प्रकोप के बाद निगरानी करने और पक्षियों को मारने की जरुरत पड़ती है।
- हालांकि, ऑफ-सीज़न में प्रकोप के हालिया साक्ष्य पोल्ट्री क्षेत्र (पालतू पक्षियों) के भीतर स्थानिक संचरण का संकेत देते हैं।
- यूरोप के विपरीत, भारत में पोल्ट्री पक्षियों को फ्लू के विरुद्ध टीका नहीं लगाया जाता है जो कि दुनिया में सबसे तीव्र गति से अंडा उत्पादन करती हैं।
अंतः-स्तनपायी संचरण:
- फरवरी 2023 में, पेरू ने समुद्री शेरों (Sea Lion) और एक डॉल्फ़िन में H5N1 एवियन इन्फ्लूएंजा के मामले की सूचना दी थी। इसके अलावा, एक चिड़ियाघर में H5N1 से एक शेर की मृत्यु हो गई थी।
- यू.के.ने भी H5N1 उपभेद द्वारा संक्रमण के कारण ऊदबिलाव और लोमड़ियों की मौत की भी सूचना दी थी।
- अतीत में, पक्षियों के संपर्क में आने के कारण सील और अन्य स्तनधारियों, जैसे कि लोमड़ियों, मिंक, फेरेट्स और घरेलू बिल्लियों के भी H5N1 से संक्रमित होने की सूचना मिली थी।
- लोमड़ियाँ, कोयोट और रैकून सहित वन्यजीव अक्सर संक्रमित पक्षियों को खा जाते हैं या संक्रमित पक्षियों के शवों का सेवन करते हैं।
- हालांकि, वायरस के अंतः-स्तनपायी संचरण की एकमात्र घटना स्पेन में एक फॉर्म में कैद मिंक के बीच दर्ज की गई है, जिसकी सूचना हाल ही में 2022 में मिली थी।
पर्यावरण निगरानी का महत्व:
- जानवरों की विविधता वाले क्षेत्रों या आर्द्रभूमियों के आसपास के क्षेत्रों में विषाणु के पुनर्संयोजन (reassortment) की क्षमता बढ़ जाती है जो संभावित रूप से अधिक खतरनाक उपभेदों-H5N1 या H7N9- को जन्म दे सकते हैं जो मनुष्यों को संक्रमित कर सकते हैं।
- अपशिष्ट जल-आधारित महामारी विज्ञान या रोगज़नक़ निगरानी पर्यावरण निगरानी का एक अभिन्न अंग बन गया है जो स्वास्थ्य और सामुदाय पर रोगजनकों के जोखिम के संबंध में वास्तविक समय आधारित जानकारी प्रदान करता है।
- इन जंगली पक्षियों की आबादी में विषाणु का संचरण दूषित पानी के माध्यम से मल/मौखिक संचरण पर निर्भर होता है।
- एवियन इन्फ्लूएंजा विषाणु सतह के पानी और शवों में अधिक समय तक जीवित रह सकते हैं, जो यह संकेत देते हैं कि झीलें और आर्द्रभूमियाँ कई महीनों तक चर तापमान पर इनके लिए पर्यावरणीय हॉटस्पॉट के रूप में कार्य कर सकती हैं।
- एवियन इन्फ्लूएंजा विषाणु से संक्रमित पक्षियों के मल, लार और नाक के स्राव से लगभग एक सप्ताह तक बड़ी मात्रा में विषाणु मुक्त होते हैं ।
- ऐन्सरीफोर्मीस (Anseriformes) और करैड्रिफोर्मीस (Charadriiformes) से संबंधित जंगली जलीय पक्षी विषाणु के लिए प्राथमिक हॉटस्पॉट होते हैं।
- बड़े पैमाने पर इन्फ्लुएंजा A विषाणु के कारण, विविधता और पालतू तथा जंगली पक्षियों से जुड़े वातावरण में विषाणु के मौसमी एवं भौगोलिक वितरण पर हमारी समझ में सुधार के लिए कई स्थानों पर निगरानी नेटवर्क को स्थापित किया जाना आवश्यक हो गया है।
- इसलिए, हमें वन हेल्थ के तहत एक सक्रिय और निष्क्रिय वार्षिक निगरानी नेटवर्क की आवश्यकता है जो एक साझा वातावरण में मनुष्यों और जानवरों की निगरानी कर सके।
- वर्तमान में, विषाणु निगरानी प्रतिक्रियाशील है और मृत पक्षियों के नमूने के संग्रह पर निर्भर है। पर्यावरण निगरानी एक गैर-हानिकारक उपकरण होगा जिसका उपयोग पक्षियों को परेशान किए बिना मेजबान और विषाक्त आनुवंशिक सामग्री दोनों को प्राप्त करने के लिए किया जा सकेगा।
- भविष्य में तैयारियों और प्रतिक्रिया में सुधार करने के लिए पर्यावरण निगरानी को पोल्ट्री फार्मों से प्रभावी शव संग्रह तथा परीक्षण और बेहतर जैव सुरक्षा के साथ पूरक बनाया जाएगा
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
सुरक्षा:
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस
विषय: विभिन्न सुरक्षा बल तथा एजेंसियां और उनका अधिदेश
मुख्य परीक्षा: भारत-चीन सीमा पर ITBP की भूमिका
संदर्भ:
- सुरक्षा पर मंत्रिमंडलीय समिति (CCS) ने हाल ही में ITBP की सात नई बटालियन बनाने की मंजूरी दी है।
परिचय:
- भारत और चीन दुनिया की कुछ सबसे लंबी सीमाओं में से एक को साझा करते हैं, जो 3,488 किलोमीटर तक फैली हुई है और पांच भारतीय राज्यों और दो चीनी स्वायत्त क्षेत्रों को स्पर्श करती है।
- हाल ही में, दोनों देशों ने एक-दूसरे पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के उल्लंघन का आरोप लगाया था जिसके बाद से दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ गया है।
- मई 2020 में, चीनी सैनिकों ने गलवान घाटी में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी, जिससे हिंसक झड़प हुई और परिणामस्वरूप 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई तथा अज्ञात संख्या में चीनी सैनिक भी मारे गए।
- इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है। भारत ने चीन पर क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने, सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण करने और यथास्थिति का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, चीन ने भारत पर LAC पार करने और उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।
- फरवरी 2021 में, दोनों पक्ष पैंगोंग त्सो क्षेत्र से पूरी तरह से पीछे हटने पर सहमत हुए थे, लेकिन वापसी के समय और क्रम पर असहमति के कारण यह प्रक्रिया रुक गई थी।
- अप्रैल 2021 में दोनों देशों के बीच तनाव फिर से बढ़ गया जब चीन ने भारत पर LAC पार करने और हवा में चेतावनी शॉट दागने का आरोप लगाया।
- इस घटना के कारण दोनों पक्षों ने सैन्य निर्माण पर जोर दिया और इस क्षेत्र में अपनी-अपनी सेनाओं की उपस्थिति बढ़ा दी।
LAC पर ITBP की भूमिका:
- भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) एक विशेष अर्धसैनिक बल है जो तिब्बत और चीन के साथ लगी भारत की सीमाओं की रक्षा के लिए जिम्मेदार है।
- ITBP की स्थापना 1962 के चीनी आक्रमण के मद्देनजर 24 अक्टूबर, 1962 को की गई थी।
- 15 फरवरी 2023 को, सुरक्षा पर मंत्रिमंडलीय समिति (CCS) ने अरुणाचल प्रदेश में तैनाती के लिए 9,400 कर्मियों वाली सात नई बटालियन बनाने को मंजूरी दी थी।
- चौकियों को जनवरी 2020 में मंजूरी दी गई थी। ITBP के लिए एक क्षेत्रीय मुख्यालय के निर्माण की भी घोषणा की गई थी।
- वर्ष 2025-26 तक बटालियनों में वृद्धि किये जाने और ITBP की क्षमता को मौजूदा 88,000 से बढ़ाकर 97,000 करने की उम्मीद है, जिससे यह चौथा सबसे बड़ा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) बन जाएगा।
- ITBP मुख्य रूप से दुनिया के सबसे कठिन और दुर्गम इलाकों में से एक की रक्षा के लिए जिम्मेदार है। ITBP कर्मियों को अपने कर्तव्यों का पालन करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- इनके तैनाती का इलाका ऊबड़-खाबड़ तथा पथरीला है, जलवायु कठोर है, और सर्दियों में तापमान -50 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। क्षेत्र की ऊंचाई के कारण ITBP के जवानों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है, और उन्हें परिस्थितियों से तालमेल बिठाने के लिए विशेष प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है।
- ITBP कर्मियों को पर्वतारोहण, स्कीइंग और रॉक क्लाइम्बिंग सहित कई कौशलों में प्रशिक्षित किया जाता है, जो भारत-चीन सीमा के कठिन इलाके में गश्त और रखवाली के लिए आवश्यक हैं।
- उन्हें युद्ध कौशल में भी प्रशिक्षित किया जाता है, जिसमें निहत्थे युद्ध करना, निशानेबाजी और सामरिक संचालन शामिल हैं, जो चीनी सैनिकों द्वारा किसी भी शत्रुतापूर्ण कार्रवाई का मुकाबला करने के लिए आवश्यक है।
- ITBP में लगभग 2,100 महिला कर्मी हैं और हिमालय में सीमा चौकियों (BOPs) पर बड़ी संख्या में इन्हें तैनात किया गया हैं।
- ITBP भारत-चीन सीमा पर कई अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल रही है, जिसमें 1962 का भारत-चीन युद्ध, 1967 का नाथू ला और चो ला की घटना, 2017 का डोकलाम गतिरोध और लद्दाख में हालिया सीमा तनाव शामिल हैं।
- ITBP के पास स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (SFF) नामक एक विशेष बल भी है, जो दुश्मन के इलाके में विशेष अभियान चलाने के लिए प्रशिक्षित एक गुप्त बल है।
- स्पेशल फ्रंटियर फोर्स को 1962 के चीनी आक्रमण के बाद गठित किया गया था और इसने पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- स्पेशल फ्रंटियर फोर्स में कर्मियों को तिब्बती समुदाय से भर्ती किया जाता है और विशेष कौशल में प्रशिक्षित किया जाता है, जिसमें गुरिल्ला युद्ध, दुश्मन को नुकसान पहुंचाना और खुफिया जानकारी जुटाना शामिल है।
- ITBP के जवान भारतीय सेना, सीमा सुरक्षा बल (BSF) और स्थानीय पुलिस सहित अन्य सुरक्षा बलों के साथ निकट समन्वय में काम करते हैं।
- ये स्थानीय समुदायों के साथ भी काम करते हैं और सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए कई विकासात्मक गतिविधियों में शामिल होते हैं।
- इन गतिविधियों में स्कूलों, अस्पतालों और सड़कों का निर्माण और स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा तथा स्वच्छ पेयजल जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करना शामिल है।
- ITBP सीमावर्ती क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन और बचाव कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- हिमालयी क्षेत्र भूकंप, भूस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त है और ITBP कर्मियों को ऐसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
- ITBP विभिन्न संवेदनशील प्रतिष्ठानों को सुरक्षा प्रदान करता है और साथ ही महत्वपूर्ण गणमान्य व्यक्तियों को भी सुरक्षा कवर प्रदान करता है।
- यह लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) और नाथू ला दर्रा (सिक्किम सीमा) पर विदेश मंत्रालय के समन्वय से कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों को सुरक्षा, संचार और चिकित्सा कवर प्रदान करता है।
विदेशों में तैनाती:
- ITBP जवानों की विदेशों में भी तैनाती की जाती रही है। इसने 1988 से 2005 तक कोलंबो में भारतीय उच्चायोग में सुरक्षा प्रदान की थी।
- ITBP कमांडो को पहली बार 2002 में अफगानिस्तान के काबुल में स्थित भारतीय दूतावास के परिसर और जलालाबाद, हेरात, मजार-ए-शरीफ और कंधार में चार वाणिज्य दूतावासों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था।
- अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज होने के कारण भारतीय दूतावास के बंद होने के चलते अगस्त 2021 में उन्हें अफगानिस्तान से वापस ले लिया गया था।
- वर्ष 2004 में, ITBP कर्मियों को भारतीय सड़क निर्माण एजेंसी सीमा सड़क संगठन (BRO) को सुरक्षा कवच प्रदान करने के लिए अफगानिस्तान में गुरगुरी, मीनार और जरांज में तैनात किया गया था, जो डेलाराम-जरांज सड़क परियोजना का कार्य कर रही थी।
- गलवान और यांग्त्ज़ी की घटनाओं के बाद LAC पर तनाव बना हुआ है और भारत तथा चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे को मजबूत कर रहे हैं, ऐसे में ITBP चर्चा में आ गया है।
सारांश:
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भारतीय सशस्त्र बलों के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहाँ क्लिक कीजिए: Armed Forces of India
संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
भारत में शेयर बाजार विनियमन
विषय: पूंजी बाजार
मुख्य परीक्षा: निवेशक सुरक्षा और बाजार सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देने में सेबी की भूमिका
संदर्भ:
- उच्चतम न्यायालय ने सेबी से प्रतिभूति बाजार के लिए मौजूदा नियामक ढांचे के कानूनी और तथ्यात्मक पहलुओं का विवरण देने हेतु एक विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
भूमिका:
- 10 फरवरी को, उच्चतम न्यायालय ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और सरकार से निवेशकों को शेयर बाजार की अस्थिरता से बचाने के लिए मौजूदा नियामक ढांचे का निर्माण करने के लिए कहा।
- अमेरिका स्थित शार्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा एक रिपोर्ट प्रकाशित करने के बाद दो सप्ताह में ही भारतीय निवेशकों को कई लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस रिपोर्ट के कारण अडानी समूह के शेयरों में गिरावट के बाद बाजार में अचानक अस्थिरता आ गई।
- हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर शेयर बाजार में हेरफेर और अकाउंटिंग फ्रॉड करने का आरोप लगाया गया था।
- अदालत ने सेबी को अपनी शक्तियों का “सूक्ष्म विश्लेषण” करने की अनुमति दी और यह भी सुझाव दिया कि उसे पूंजी के निर्बाध प्रवाह की “नई दुनिया” से निपटने के लिए और अधिक सामर्थ्य विकसित करने की आवश्यकता है।
- अदालत ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार “बुद्धिमान मार्गदर्शक बल” के रूप में कार्य करने के लिए एक पूर्व न्यायाधीश के साथ-साथ बैंकिंग और प्रतिभूति क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले लोगों को मिलाकर एक विशेषज्ञ समिति गठित करने पर भी विचार कर सकती है।
बाजार को नियंत्रित करने वाले कानून क्या हैं?
- भारत में प्रतिभूति बाजार को चार प्रमुख कानूनों द्वारा नियंत्रित किया जाता है-
- कंपनी अधिनियम, 2013
- भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 (सेबी अधिनियम)
- प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 (SCRA) और
- निक्षेपागार अधिनियम, 1996
- सेबी अधिनियम सेबी को निवेशकों के हितों की रक्षा करने और इसे विनियमित करने के अलावा पूंजी/प्रतिभूति बाजार के विकास को बढ़ावा देने का अधिकार देता है।
- सेबी को स्टॉक ब्रोकर्स, मर्चेंट बैंकरों, पोर्टफोलियो प्रबंधकों जैसे मध्यस्थों को पंजीकृत करने तथा पात्रता मानदंड, गतिविधियों की शर्तें और आवधिक निरीक्षण निर्धारित करके उनके कामकाज को विनियमित करने की शक्ति दी गई थी।
- इसके पास पंजीकरण को निलंबित या रद्द करने सहित मौद्रिक दंड जैसे दंड लगाने की भी शक्ति है।
- SCRA सेबी को स्टॉक एक्सचेंजों की पहचान करने (और अमान्य करने) का अधिकार देता है, उनके कामकाज के लिए नियमों और उपनियमों को निर्धारित करता है, तथा स्टॉक एक्सचेंजों पर व्यापार, समाशोधन और निपटान को विनियमित करता है।
- निक्षेपागार अधिनियम ने इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखे जाने वाले अभौतिक प्रतिभूतियों की अवधारणा को पेश किया और वैध बनाया।
- आज लगभग सभी सूचीबद्ध प्रतिभूतियां अभौतिक रूप में रखी जाती हैं।
- निक्षेपागार नियम सेबी को योग्यता शर्तों, आवधिक निरीक्षणों और पंजीकरण को निलंबित या रद्द करने के साथ-साथ मौद्रिक दंड सहित जुर्माना लगाने की शक्तियों को निर्धारित करके निक्षेपागार और निक्षेपागार प्रतिभागियों के कामकाज को विनियमित करने का अधिकार देते हैं।
पूंजी जुटाने पर दिशानिर्देश:
- कंपनी अधिनियम ने सेबी को अपने कुछ प्रावधानों को लागू करने का अधिकार दिया है, जिसमें पूंजी जुटाने का नियमन, कॉर्पोरेट प्रशासन मानदंड जैसे आवधिक प्रकटीकरण, बोर्ड संरचना, निरीक्षण प्रबंधन और निवेशक शिकायतों का समाधान शामिल है।
- पूंजी जुटाने वाली गतिविधियों को विनियमित करने के लिए, सेबी ने पूंजी और प्रकटीकरण आवश्यकता विनियमन जारी किए हैं।
- सेबी ने 2015 में लिस्टिंग दायित्वों और प्रकटीकरण आवश्यकताओं विनियमों को अधिसूचित किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सूचीबद्ध कंपनियां कॉर्पोरेट प्रशासन मानदंडों का पालन करती हैं।
- सामूहिक निवेश विनियमन सामूहिक निवेश योजना (CIS) को परिभाषित करते हैं और अपंजीकृत CIS योजनाओं को चलाने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान करते हैं।
- पूंजी के मुद्दों के माध्यम से धन जुटाने में शामिल संस्थाओं जैसे मर्चेंट बैंकरों को भी विशिष्ट नियमों के माध्यम से विनियमित किया जाता है।
स्टॉक एक्सचेंजों का विनियमन:
- SCRA ने SEBI को भारत में स्टॉक एक्सचेंजों और कमोडिटी एक्सचेंजों को मान्यता देने और विनियमित करने का अधिकार दिया है; यह पहले केंद्र सरकार द्वारा किया जाता था।
- SCRA के तहत सेबी द्वारा बनाए गए नियम और विनियमन इक्विटी शेयरों जैसी प्रतिभूतियों की सूचीकरण, उनके प्रबंधन और प्रशासन पर नियंत्रण सहित स्टॉक एक्सचेंजों के कामकाज से संबंधित हैं।
- इनमें स्टॉक एक्सचेंजों पर निपटान के तरीके को निर्धारित करने तथा समाशोधन निगमों को पहचानने और विनियमित करने की शक्तियां शामिल हैं, जो व्यापार प्रणाली के प्रबंधन के लिए मुख्य हैं।
- अधिनियम में स्टॉक ब्रोकरों और निवेशकों के बीच उत्पन्न होने वाले विवादों की मध्यस्थता का भी प्रावधान है।
- अधिनियम प्रत्येक स्टॉक एक्सचेंज के लिए एक निवेशक सुरक्षा कोष बनाकर निवेशकों के हितों की रक्षा करना चाहता है।
धोखाधड़ी के खिलाफ सुरक्षा:
- सेबी ने बाजार में हेरफेर और अंदरूनी व्यापार के समाधान के लिए 1995 में धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं का निषेध विनियमऔर अंतरंग व्यापार का प्रतिषेध विनियम, 1992 को अधिसूचित किया।
- सेबी को व्यक्तियों को समन करने, दस्तावेजों और अभिलेखों को जब्त करने, बैंक खातों और संपत्ति को कुर्क करने तथा जांच करने के लिए सिविल कोर्ट की शक्तियां दी गई हैं।
- सेबी ने यह सुनिश्चित करने के लिए शेयरों का पर्याप्त अर्जन और अधिग्रहण) विनियम को अधिसूचित किया है कि सार्वजनिक शेयरधारकों को कंपनी से बाहर निकलने का अवसर देने के बाद ही अधिग्रहण और प्रबंधन में बदलाव किया गया है।
- सेबी इक्विटी शेयरों और अन्य प्रतिभूतियों की लिस्टिंग और ट्रेडिंग को विनियमित करके तथा सार्वजनिक निधियों को संभालने वाले संस्थानों को पंजीकृत और विनियमित करके निवेशकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- सेबी और स्टॉक एक्सचेंजों के आदेशों के खिलाफ तीन सदस्यों वाले प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) में अपील की जा सकती है। SAT से उच्चतम न्यायालय में अपील की जा सकती है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
शासन:
पोलियो वैक्सीन
विषय: सरकार की नीतियां और विकास के लिए हस्तक्षेप
मुख्य परीक्षा: सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पोलियो के वैश्विक पुनर्मौजूदगी का खतरा
संदर्भ:
- पश्चिम बंगाल में पोलियो वैक्सीन की अतिरिक्त खुराक की शुरूआत की गई।
भूमिका:
- भारत में बच्चों के लिए सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) के हिस्से के रूप में पश्चिम बंगाल में इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन की एक अतिरिक्त खुराक की शुरूआत की गई है।
- इस घोषणा के अनुसार, मौजूदा UIP में मौजूदा खुराक के अलावा नौ महीने में अतिरिक्त खुराक दी जाएगी।
- जनवरी 2023 में अतिरिक्त तीसरी खुराक से पहले चार ओरल खुराक और दो इंजेक्शन वाली खुराकें थीं।
- पश्चिम बंगाल को पोलियो के लिए उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में माना जाता है।
- एक विख्यात वायरोलॉजिस्ट के अनुसार, नौ महीने में निष्क्रिय पोलियोवायरस (IPV) की एक अतिरिक्त खुराक से किसी भी वैक्सीन एसोसिएटेड पैरालिटिक पोलियो या वैक्सीन व्युत्पन्न पोलियोवायरस से बचाव की उम्मीद की जाती है।
पोलियो क्या है?
- पोलियो अपंग करने वालाऔर संभावित घातक वायरल संक्रामक रोग है जो तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है।
- पोलियो का कोई इलाज नहीं है, लेकिन सुरक्षित, प्रभावी टीके हैं, जो कई बार दिए जाने पर बच्चे को जीवन भर के लिए सुरक्षित कर देते हैं।
पोलियो के बारे में और पढ़िए: Polio
भारत ने अपनी पोलियो मुक्त स्थिति कैसे प्राप्त की?
- रोटरी इंटरनेशनल ने अपने पोलियो उन्मूलन अभियान, पोलियो प्लस की शुरुआत 1985 में की, 1986 में इसके तहत पायलट पोलियो टीकाकरण अभियान के लिए तमिलनाडु को 2.6 मिलियन डॉलर का अनुदान प्रदान किया गया।
- 1995 में, केंद्र सरकार ने पहले राष्ट्रीय पोलियो प्रतिरक्षण दिवस की घोषणा की।
- 2012 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को स्थानिक देशों की सूची से हटा दिया।
- पोलियोवायरस टाइप 2 का आखिरी मामला भारत में अक्टूबर 1999 में अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में दर्ज किया गया था।
- पोलियोवायरस टाइप 3 का आखिरी मामला 22 अक्टूबर, 2010 को पाकुड़, झारखंड में आया था।
- पोलियोवायरस टाइप 1 का आखिरी मामला 13 जनवरी, 2011 को हावड़ा, पश्चिम बंगाल में दर्ज किया गया था।
- वायरस को भारत में आने से रोकने के लिए, सरकार ने मार्च 2014 से, भारत और पोलियो प्रभावित देशों, जैसे अफगानिस्तान, नाइजीरिया, पाकिस्तान, इथियोपिया, केन्या, सोमालिया, सीरिया और कैमरून के बीच यात्रा करने वालों के लिए ओरल पोलियो टीकाकरण (OPV) अनिवार्य कर दिया है।
हालिया वैश्विक पोलियो संकट:
- अक्टूबर 2022 तक, दुनिया भर में केवल दो देश वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप 1 (WPV1) के स्वदेशी संचरण से प्रभावित रह गए हैं – अफगानिस्तान और पाकिस्तान।
- WHO के अनुसार अब तक 33 देशों में वैरिएंट पोलियोवायरस का प्रकोप है, जैसे कि यू.के., यू.एस., इज़राइल और मलावी में।
- एक अज्ञात स्रोत से आया वैक्सीन पोलियोवायरस टाइप 2 का जेनेटिक वेरिएंट 2022 की शुरुआत में यरुशलम, लंदन और न्यूयॉर्क में अपशिष्ट जल में पाया गया था।
- एक अनपेक्षित परिणाम के रूप में, टाइप 2 वैक्सीन वायरस वैरिएंट (वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस को फैलाने वाला) जो कि वाइल्ड वायरस की संक्रामकता और न्यूरोविरुलेंस का प्रतिरूप है, उभर रहे हैं और फैल रहे हैं।
- कोविड-19 ने वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल (GPEI) के टीकाकरण अभियानों को अस्थायी रूप से रोक दिया, जिससे 80 मिलियन से अधिक बच्चे जोखिम में पड़ गए।
- परिणामस्वरूप, वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस (cVDPV) के प्रसार का प्रकोप 2019 से 2020 तक तीन गुना हो गया, जिसमें 1100 से अधिक बच्चे लकवाग्रस्त हो गए।
- WHO ने यूक्रेन में पोलियो के संभावित प्रसार के बारे में भी चिंता व्यक्त की क्योंकि रूसी आक्रमण ने टीका कार्यक्रमों को बाधित कर दिया और लड़ाई से बचने के क्रम में लोगों का बड़े पैमाने पर एक जगह से दुसरे जगह पर गमन एक जोखिम प्रस्तुत करता है।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
- भारत में चीता:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विषय: पर्यावरण
प्रारंभिक परीक्षा: चीता; विलुप्त प्रजाति
संदर्भ:
- दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते को कूनो नेशनल पार्क में संगरोध में रखा गया है
मुख्य विवरण:
- दक्षिण अफ्रीका से आए 12 चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में क्वारंटाइन बाड़ों में छोड़ा गया।
- देश में चीतों के विलुप्त होने के सात दशक बाद इन जानवरों को फिर से लाने के लिए चीतों का अंतर-महाद्वीपीय स्थानांतरण केंद्र सरकार के कार्यक्रम का हिस्सा है।
- भारत के आखिरी चीते की मृत्यु वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी और इस प्रजाति को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
- 12 चीतों के साथ, पार्क में चीतों की संख्या 20 (10 नर और 10 मादा) हो गई है।
- प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में 17 सितंबर, 2022 को नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को छोड़ा गया।
- रोडोडेंड्रॉन:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विषय: संरक्षण
प्रारंभिक परीक्षा: रोडोडेंड्रॉन के बारे में तथ्य
संदर्भ:
- रोडोडेंड्रॉन पर भारतीय प्रकाशन का वानस्पतिक सर्वेक्षण।
मुख्य विवरण:
- भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (BSI) के नवीनतम प्रकाशन से पता चलता है कि दार्जिलिंग और सिक्किम में भारत में पाए जाने वाले सभी प्रकार के रोडोडेंड्रोन का एक तिहाई से अधिक हिस्सा पाया जाता है।
- इस प्रकाशन में रोडोडेंड्रॉन के 45 टैक्सा सूचीबद्ध हैं (24 दार्जिलिंग हिमालय में और 44 सिक्किम हिमालय में पाए जाते हैं)।
- सिक्किम राज्य में दो प्रसिद्ध रोडोडेंड्रोन अभयारण्य पश्चिम जिले में बरसे रोडोडेंड्रोन अभयारण्य हैं, जो 104 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है और उत्तर जिले की युमथांग घाटी में 43 वर्ग किमी के क्षेत्र में शिंगबा रोडोडेंड्रोन अभयारण्य है।
- BSI द्वारा प्रलेखित 45 टैक्सों में से 5 मानवीय दबावों और जलवायु परिवर्तन के कारण उच्च खतरे का सामना कर रहे हैं।
- रोडोडेंड्रोन एजवर्थी के मामले में दार्जिलिंग और सिक्किम दोनों में आवास में भारी गिरावट दर्ज की गई।
- उत्तरी सिक्किम में पाया जाने वाला रोडोडेंड्रॉन निवियम अनियंत्रित निर्माण से खतरे का सामना कर रहा है।
- रोडोडेंड्रॉन बैलेयी, रोडोडेंड्रॉन लिंडलेई और रोडोडेंड्रॉन मैडेनी भी खतरे में हैं।
- रोडोडेंड्रॉन को जलवायु परिवर्तन के लिए एक संकेतक प्रजाति माना जाता है।
- रोडोडेंड्रॉन के पुष्पण का मौसम मार्च में शुरू होता है और मई तक जारी रहता है। हालाँकि, हाल ही में, कुछ प्रजातियों में जनवरी की शुरुआत में फूल आना शुरू हो गया था, जो इन क्षेत्रों के गर्म होने का संकेत देता है।
- रोडोडेंड्रॉन का उपयोग स्थानीय दवाओं में सर्दी, खांसी और पुरानी ब्रोंकाइटिस और दस्त के विरुद्ध किया जाता है।
- भारत में रोडोडेंड्रॉन की 132 टैक्सा (80 प्रजातियां, 25 उप-प्रजातियां और 27 किस्में) पाई जाती हैं।
- अरुणाचल प्रदेश में इसकी संख्या सबसे अधिक है जहाँ रोडोडेंड्रॉन की 119 टैक्सा (74 प्रजातियां, 21 उप-प्रजातियां और 24 किस्में) पाई जाती है।
- इस प्रजाति को उत्तराखंड के राज्य वृक्ष के रूप में नामित किया गया है और गढ़वाल हिमालय में इसके खिलने को फूलों के त्योहार ‘फूल संक्रांति’ के रूप में मनाया जाता है।
- पूर्वी हिमालय की ठंडी, नम ढलानें और गहरी घाटियाँ रोडोडेंड्रॉन प्रजातियों के प्रचुर विकास के लिए एक अनुकूल आवास बनाती हैं।
इतिहास:
- रोडोडेंड्रॉन को पहली बार 1776 में जम्मू और कश्मीर में कैप्टन हार्डविक ने देखा था, जहां उन्होंने रोडोडेंड्रॉन आर्बोरम देखा था।
- पूर्वोत्तर भारत से रोडोडेंड्रॉन की पहली प्रजाति – रोडोडेंड्रॉन डलहौज़िया – सिक्किम में देखी गई थी जिसका उल्लेख ब्रिटिश वनस्पतिशास्त्री जोसेफ डी हुकर द्वारा 1848 में अपनी पुस्तक ‘द रोडोडेंड्रॉन ऑफ सिक्किम हिमालय’ में किया गया था।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम (NLMC)
- राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम (NLMC) ने देश भर में सरकार के स्वामित्व वाली भूमि संपत्तियों के मुद्रीकरण योजनाओं को शुरू से अंत तक रणनीतिक बनाने और लेनदेन को लागू करने में मदद करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संपत्ति परामर्श फर्मों का उपयोग करने का निर्णय लिया है।
- NLMC ने अब अंतरराष्ट्रीय संपत्ति परामर्श फर्मों (IPC) या लेनदेन सलाहकार सेवाओं, परिसंपत्ति मुद्रीकरण या परियोजना मुद्रीकरण में लगी अन्य फर्मों से प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं।
- NLMC की घोषणा 2021-22 के केंद्रीय बजट में की गई थी। यह सार्वजनिक उद्यम विभाग द्वारा केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSE) और अन्य सरकारी एजेंसियों की अधिशेष भूमि और भवन संपत्तियों का मुद्रीकरण करने के लिए गठित किया गया है।
राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम (NLMC) के बारे में और पढ़िए: National Land Monetisation Corporation (NLMC)
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (DMD) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- यह एक अनुवांशिक विकार है जिसमें तीव्र मांसपेशी अपघटन और कमजोरी देखी जाती है।
- ड्यूकेन, डिस्ट्रॉफी जीन में बदलाव के कारण होता है।
- यह मुख्य रूप से महिलाओं को प्रभावित करता है।
विकल्प:
केवल 1 और 2
केवल 2 और 3
केवल 1 और 3
1, 2 और 3
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (DMD) एक आनुवंशिक विकार है जिसमें तीव्र मांसपेशी अपघटन और कमजोरी देखी जाती है।
- कथन 2 सही है: यह डिस्ट्रॉफीन (dystrophin) नामक प्रोटीन के परिवर्तन के कारण होता है जो मांसपेशियों की कोशिकाओं को अक्षुण्ण रखने में मदद करती है।
- कथन 3 गलत है: DMD के लक्षण के दिखने की शुरुआत बचपन में ही हो जाती है, आमतौर पर 2 और 3 साल की उम्र के बीच। यह बीमारी मुख्य रूप से लड़कों को प्रभावित करती है, लेकिन दुर्लभ मामलों में यह लड़कियों को भी प्रभावित कर सकती है।
प्रश्न 2. पानी के अंदर प्रयुक्त होने वाला एक उपकरण जो सभी दिशाओं से महासागरीय ध्वनियों (ocean sounds) का पता लगाता है और रिकॉर्ड करता है, वह निम्नलिखित में से कौन है?
- पवन-वेग-मापी (Anemometer)
- उत्प्लव-घनत्वमापी (Hydrometer)
- हाइड्रोफ़ोन (Hydrophone)
- आर्द्रतामापी (Hygrometer)
उत्तर: c
व्याख्या:
- हाइड्रोफोन पानी के नीचे का एक उपकरण है जो सभी दिशाओं से महासागरीय ध्वनियों का पता लगाता है और रिकॉर्ड करता है।
- जिस तरह एक माइक्रोफोन हवा में ध्वनि का पता लगाता है, उसी तरह एक हाइड्रोफोन पानी के नीचे ध्वनिक संकेतों का पता लगाता है।
- अधिकांश हाइड्रोफ़ोन कुछ सिरेमिक के एक विशेष गुण पर आधारित होते हैं जो पानी के नीचे के दबाव में परिवर्तन के अधीन एक छोटे विद्युत प्रवाह का उत्पादन करते हैं। समुद्र में डुबोए जाने पर, जब सिरेमिक हाइड्रोफ़ोन किसी भी दिशा से निकलने वाली पानी के नीचे की आवाज़ों के संपर्क में आता है तो आवृत्तियों की एक विस्तृत श्रृंखला पर छोटे-वोल्टेज सिग्नल उत्पन्न करता है।
- इन विद्युत संकेतों को प्रवर्धित और रिकॉर्ड करके, हाइड्रोफ़ोन महासागरीय ध्वनियों का यथार्थता के साथ मापन करता है।
प्रश्न 3. रोडोडेंड्रॉन के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन से सही हैं?
- जहां तक जलवायु परिवर्तन का संबंध है, रोडोडेंड्रॉन संकेतक प्रजातियां हैं।
- यह उत्तराखंड का राजकीय वृक्ष है।
- रोडोडेंड्रोन सदाबहार होते हैं लेकिन कुछ पर्णपाती होते हैं।
विकल्प:
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: रोडोडेंड्रोन जलवायु परिवर्तन के प्रमुख संकेतक हैं- क्योंकि उनका खिलना मौसम के परिवर्तन के अनुरूप होता है।
- कथन 2 सही है: इस प्रजाति को उत्तराखंड के राजकीय वृक्ष के रूप में नामित किया गया है और गढ़वाल हिमालय में इसके खिलने को ‘फूल संक्रांति’, अर्थात फूलों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
- कथन 3 सही है: रोडोडेंड्रॉन प्रकृति में सदाबहार से लेकर पर्णपाती होते हैं। ये जमीन पर उगने वाले छोटे और लंबे पेड़ होते हैं।
प्रश्न 4. ऑब्राइट उल्कापिंडों (Aubrite meteorites) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- ये मोटे दाने वाली आग्नेय चट्टानें हैं जो अत्यंत संकुचित (extremely reducing) परिस्थितियों में या बहुत कम या बिना मुक्त ऑक्सीजन के बनती हैं।
- उनमें विभिन्न प्रकार के इतर खनिज (exotic minerals) होते हैं जो पृथ्वी पर नहीं पाए जाते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- दोनों
- इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: ऑब्राइट दुर्लभ उल्कापिंड हैं जो सौर मंडल में एक अत्यंत संकुचित विभेदित मूल पिंड से बनते हैं।
- कथन 2 सही है: उनमें विभिन्न प्रकार के इतर खनिज (exotic minerals) होते हैं जो पृथ्वी पर नहीं पाए जाते हैं
प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- उत्तरी अटलांटिक सहयोग परिषद (NACC) उस नए संगठन का नाम है जिसने उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) का स्थान लिया है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम वर्ष 1949 में नाटो के गठन के समय इसके सदस्य बने।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: उत्तर अटलांटिक सहयोग परिषद (NACC) की स्थापना मित्र राष्ट्रों द्वारा दिसंबर 1991 में नाटो के पूर्व वारसा संधि प्रतिद्वंदियों के साथ संवाद और सहयोग के लिए एक मंच के रूप में की गई थी। NACC को 1997 में यूरो-अटलांटिक भागीदारी परिषद द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।
- कथन 2 सही है: नाटो के संस्थापक सदस्यों में से दो सदस्य संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम थे।
- अन्य संस्थापक सदस्यों में बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल शामिल हैं।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारत में ग्रामीण पर्यटन की संभावनाओं की चर्चा कीजिए। ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए क्या उपाय और सावधानियां बरतनी चाहिए? (250 शब्द; 15 अंक) (GS-2; शासन)
प्रश्न 2. शेयर बाजार में किसी भी अस्थिरता से निपटने के लिए भारत के पास भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के रूप में एक मजबूत नियामक संस्था है। क्या आप सहमत हैं? विस्तारपूर्वक समझाइए। (250 शब्द; 15 अंक) (GS-3; अर्थव्यवस्था)