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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 19 November, 2022 UPSC CNA in Hindi

19 नवंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

  1. सार्वजनिक टिप्पणी के लिए डिजिटल डेटा संरक्षण मसौदा विधेयक जारी किया गया

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

भारतीय राजव्यवस्था:

  1. राज्यपाल संविधान के अधीन है, न कि उससे ऊपर

सुरक्षा:

  1. हां, भारतीय वायु सेना को एक नए सिद्धांत की जरूरत है

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. बांस के फल की मिठास, न कि उसमें उपस्थित प्रोटीन, चूहे की आबादी में तीव्र वृद्धि को प्रेरित करती है

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. सर्वोच्च न्यायालय ने स्वतंत्र पर्यावरण सेवा के गठन की मांग वाली याचिका खारिज की
  2. कैदियों के लिए आधार नियमों को सरल बनाया गया; गृह मंत्रालय ने आधार नामांकन या अद्यतन के लिए सभी जेलों में शिविरों के आयोजन का आवाहन किया:
  3. संपूर्ण अमेरिका को निशाना बनाने में सक्षम उत्तर कोरिया की ICBM जापान की समुद्री सीमा के पास गिरी:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

सार्वजनिक टिप्पणी के लिए डिजिटल डेटा संरक्षण विधेयक मसौदा जारी किया गया

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा क्रियान्वयन के कारण उत्पन्न विषय

प्रारंभिक परीक्षा: डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2022 के बारे में।

मुख्य परीक्षा: डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2022 के महत्वपूर्ण प्रावधान और इसका महत्व।

संदर्भ:

  • सरकार द्वारा डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण पर मसौदा विधेयक का संक्षिप्त और संशोधित संस्करण जनता और हितधारकों की टिप्पणियों के लिए जारी किया गया है।

डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2022:

चित्र स्त्रोत:The Hindu

  • मसौदा विधेयक का मुख्य उद्देश्य डिजिटल व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण को इस तरह से तरीके से प्रबंधित करना है जो व्यक्तियों को अपने व्यक्तिगत डेटा की रक्षा करने के अधिकार के साथ-साथ वैधानिक उद्देश्यों के लिए व्यक्तिगत डेटा को संसाधित करने की आवश्यकता को मान्यता देता हो।
  • इस विधेयक का उद्देश्य डेटा प्रिंसिपल (वह व्यक्ति जिससे व्यक्तिगत डेटा संबंधित है) और डेटा फिड्यूशरी (व्यक्तिगत डेटा को संसाधित करने के साधन और उद्देश्य तय करने वाली इकाई) के बीच विश्वास बहाल करना भी है।
  • इसके अलावा, यह विधेयक भारतीय डेटा संरक्षण बोर्ड की स्थापना का भी प्रावधान करता है और बोर्ड के विस्तृत कार्यों को निर्धारित करता है।
  • व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 के विरुद्ध उद्योग की चिंताओं को स्वीकार करते हुए सरकार ने नवीन मसौदा विधेयक में डेटा संरक्षण व्यवस्था के दायरे को केवल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण तक सीमित कर दिया है और गैर-व्यक्तिगत डेटा को इसके दायरे से बाहर कर दिया है।
  • नवीनतम मसौदा विधेयक में किसी दस्तावेज, सेवा आदि के लिए आवेदन करते समय गलत जानकारी प्रदान करने वाले या डेटा फिड्यूशरी या बोर्ड के पास झूठी शिकायत दर्ज करने वाले व्यक्तियों पर 10,000 रुपये का भारी जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है।
  • नवीन मसौदा विधेयक में सीमा पार डेटा प्रवाह पर महत्वपूर्ण रियायतों को भी स्वीकार किया गया है और प्रस्तावित किया गया है कि केंद्र सरकार उन नियमों और शर्तों के साथ भारत के बाहर के देशों या क्षेत्रों को सूचित करेगी, जहाँ डेटा फिड्यूशरी व्यक्तिगत डेटा स्थानांतरित कर सकता है।
  • यह विधेयक सरकार को भारत की संप्रभुता और अखंडता के हित में और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए विधेयक के प्रावधानों से छूट देने की शक्ति भी प्रदान करता है।

व्यक्तियों की सहमति पर मसौदा विधेयक:

  • विधेयक ऐसे मामलों को छोड़कर जहां डेटा प्रिंसिपल की सहमति मांगना अव्यावहारिक या अनुचित है, यह अनिवार्य करता है कि व्यक्ति की सहमति को उसके व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण के लिए आधार बनाया जाना चाहिए।
  • साथ ही, सहमति के लिए किए गए ऐसे सभी अनुरोध डेटा प्रिंसिपल को स्पष्ट और सामान्य भाषा में प्रस्तुत किए जाना चाहिए और इन अनुरोधों को अंग्रेजी या संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत सूचीबद्ध किसी अन्य भाषा में एक्सेस करने का विकल्प भी प्रदान किया जाना चाहिए।
  • सरकार ने विधेयक के मसौदे के माध्यम से “सहमति प्रबंधकों (Consent Managers)” की अवधारणा प्रस्तुत की है, जिसमें सहमति प्रबंधक मंच व्यक्तियों को डेटा फिड्यूशरीज़ के साथ उनकी बातचीत और उन्हें दी गई सहमति को देखने और निगरानी करने में मदद करेगा।

सभी व्यक्तियों को संदर्भित करने के लिए “शी (she)” या “हर(her)” का उपयोग

  • भारत में पहली बार, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2022 के मसौदे में सभी लिंग के व्यक्तियों को संदर्भित करने के लिए सर्वनाम “शी” (she) और “हर” (her) का उपयोग किया गया है, जैसा कि आम तौर पर “ही” (he), “हिम” (him) और “हिज” (his) के रूप में किया जाता है। .
  • इसके बारे में बात करते हुए, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि सर्वनाम “शी” और “हर” का उपयोग महिला सशक्तिकरण के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

सारांश:

  • संसद से व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक को वापस लेने के बाद, सरकार ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक का संशोधित मसौदा परामर्श के लिए जारी किया है। हालाँकि, डिजिटल अधिकार कार्यकर्ताओं का मत है कि विधेयक में अभी भी बहुत से अपरिभाषित क्षेत्र हैं और लागू करने से पहले कई पुनरावृत्तियों की आवश्यकता है।

संपादकीय-द हिन्दू

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित

भारतीय राजव्यवस्था

राज्यपाल संविधान के अधीन है, न कि उससे ऊपर

विषय: राज्य विधायिका- कार्य संचालन, शक्तियां एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: राज्यपाल से जुड़े संवैधानिक प्रावधान।

मुख्य परीक्षा: एक कार्यकारी प्रमुख के रूप में राज्यपाल की शक्ति।

संदर्भ:

  • राज्य प्रशासन के दैनिक कार्य में राज्यपाल का हस्तक्षेप।

विवरण:

  • इस लेख में लेखक द्वारा यह तर्क दिया गया है कि हाल के दिनों में कुछ राज्यपालों के आचरण से संवैधानिक प्रावधान, लोकाचार और नैतिकता का क्षरण हुआ है। लेखक ने अपने तर्क के समर्थन में अतीत के संवैधानिक प्रावधानों और बहसों का सहारा लिया है। ये बहसें राज्यपालों की भूमिका, शक्तियों और कर्तव्यों पर प्रकाश डालती हैं।

पृष्ठभूमि विवरण:

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 153 प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल का प्रावधान करता है और अनुच्छेद 154 के अनुसार, राज्य की कार्यकारी शक्ति राज्यपाल में निहित होती है।
  • जबकि अनुच्छेद 154 (2) (a) किसी विद्यमान विधि द्वारा किसी अन्य प्राधिकारी को प्रदान किये गये कृत्य राज्यपाल को अंतरित करने वाली नहीं समझी जाएगी।
  • अनुच्छेद 163 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए (कुछ अपवादों के अधीन) मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली एक मंत्रिपरिषद होगी।
  • शमशेर सिंह बनाम पंजाब राज्य और अन्य के मामले में (1974), सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि:
    • राज्यपाल को अनुच्छेद 166 के अनुसार राज्य सरकार के कार्यों के सुविधाजनक संचालन के लिए नियम बनाने चाहिए। इसे कार्य-संचालन का नियम कहा जाता है।
    • न्यायालय ने आगे कहा कि संविधान में राष्ट्रपति/राज्यपाल की संतुष्टि की आवश्यकता का अर्थ “सरकार की मंत्रिमंडल प्रणाली के तहत संवैधानिक अर्थ में राष्ट्रपति/राज्यपाल की संतुष्टि” से है।
    • इसके अलावा, राज्यपाल को प्रदत्त विवेकाधिकार का प्रयोग केवल अनुच्छेद 356 के तहत मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के विरुद्ध किया जाना चाहिए। अन्य सभी मामलों में, राज्यपाल द्वारा अपने विवेक के आधार पर किये जाने वाले कार्य मंत्रिपरिषद के अनुरूप होने चाहिए।
    • न्यायालय ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि संविधान का उद्देश्य समानांतर प्रशासन प्रदान करना नहीं है और निर्वाचित मंत्रियों को प्रत्येक कार्यकारी कार्यों के लिए अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए। फैसले में इसे दोहराया गया कि केवल मंत्रिपरिषद राज्यों में सरकार के एक जिम्मेदार रूप का प्रतिनिधित्व करती है।

राज्यपाल के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें:

Governor – Appointment, Term, Functions & Discretion – Indian Polity

राज्यपाल की शक्तियों से संबंधित ऐतिहासिक बहसें:

  • राज्यपाल की शक्तियों पर प्रो. के.टी. शाह ने कहा था कि राज्यपाल को अपनी शक्ति का प्रयोग संविधान और कानून के अनुसार करना चाहिए, विशेष रूप से मंत्रियों की सहायता और सलाह से करना चाहिए।
  • इस बात पर भी बहस हुई थी कि क्या राज्यपाल को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाना चाहिए या निर्वाचित किया जाना चाहिए। संविधान सभा ने राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति के पक्ष में फैसला किया, ताकि समानांतर प्रशासन की संभावना से बचा जा सके।
  • कई अन्य विशेषज्ञ जैसे बी.जी. खेर और पी.के. सेन ने लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए मैत्रीपूर्ण हस्तक्षेप के साथ एक अच्छे राज्यपाल का समर्थन किया।
  • के.एम. मुंशी ने सुझाव दिया कि राज्यपाल को केंद्र द्वारा नामित किया जाना चाहिए और वह स्थानीय राजनीति से लगाव तथा द्वेष से मुक्त होना चाहिए।
  • डॉ. बी. आर. अम्बेडकर का मत था कि यदि संविधान के अनुसार राज्यपाल को सभी मामलों में मंत्रिपरिषद की सलाह का पालन करना है तो उनके मनोनयन पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
  • संविधान सभा में अनुच्छेद 163 और 167 (पूर्व में क्रमशः 143 और 147) पर बहस करते हुए, डॉ. बी.आर. अम्बेडकर और टी. टी. कृष्णामाचारी (मसौदा समिति के सदस्य) ने स्पष्ट किया कि राज्यपाल को अपने मंत्रियों की सलाह का पालन करना चाहिए और उसे प्रदत्त विवेकाधीन शक्तियाँ सीमित होनी चाहिए।

सम्बंधित लिंक:

Constitutional Discretion of Governor – Indian Polity

सारांश:

  • बहस और संवैधानिक प्रावधान स्पष्ट रूप से इस तथ्य पर प्रकाश डालते हैं कि राज्यपाल के पास प्रशासन के दैनिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोई शक्ति नहीं है और यहां तक कि राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियां भी सीमित हैं।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 से संबंधित

सुरक्षा:

हां, भारतीय वायु सेना को एक नए सिद्धांत की जरूरत है

विषय: विभिन्न सुरक्षा बल और उनके अधिदेश।

मुख्य परीक्षा: भारतीय वायु सेना का सिद्धांत।

विवरण:

  • आत्मनिर्भर भारत अभियान के कारण, डिफेंस इन्वेंटरी (रक्षा उपकरणों) के क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है। हालाँकि, भारतीय वायु सेना (IAF) के सिद्धांत से जुड़े कुछ मुद्दे हैं।
  • इस सिद्धांत को ‘किसी कार्य को करने का सबसे अच्छा तरीका’ के रूप में परिभाषित किया गया है। इसमें पिछले अनुभव, वर्तमान क्षमता, तकनीकी अनुसंधान और विकास क्षमता, मानव संसाधन उपलब्धता और एक संगठनात्मक वातावरण जैसे विभिन्न इनपुट शामिल होते हैं।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें:

Sansad TV Perspective: Episode on 19th Nov, 2021: Atmanirbhar in Defence

भारतीय वायु सेना के सिद्धांत से संबंधित मुद्दे और भावी कदम:

  • भारतीय वायु सेना (IAF) के सिद्धांत को वर्ष 2012 में तैयार किया गया था और अब यह पुराना हो चुका है। भारत की वायु शक्ति के भविष्य के विकास के लिए इसकी समीक्षा करने और इसे सार्वजनिक करने की आवश्यकता है।
  • वर्तमान परिदृश्य में विभिन्न प्रौद्योगिकी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग आदि के क्षेत्र में हो रही प्रगति का समावेशन दुर्ग्राह्य बना हुआ है।
  • अंतरिक्ष के शस्त्रीकरण के कारण भविष्य के संघर्षों में अंतरिक्ष की प्रमुख भूमिका होगी। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पिछली शताब्दियों में ‘अधिक भूमि’ पर अपना अधिकार जमाने वाला बल वर्तमान में अन्य के सापेक्ष लाभप्रद स्थिति में है। इस प्रकार भारतीय वायुसेना की भूमिकाओं और मिशनों का पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए। मानव रहित प्लेटफार्मों और उपग्रह क्षमताओं सहित अंतरिक्ष संपत्तियों के विकास पर जोर देना आवश्यक है।
  • भारतीय वायु सेना के भविष्य को इसकी विशिष्ट आक्रमण क्षमता, एयरबोर्न इंटेलिजेंस, सर्विलांस एवं टोही (ISR) और सटीक आक्रमण क्षमताओं के कारण एक सैद्धांतिक आधार की आवश्यकता है।
  • भारत को अपने पड़ोसियों (चीन और पाकिस्तान) से दो मोर्चों पर खतरा है।
  • भारतीय वायु सेना बहु-क्षेत्रीय शक्ति तुल्यकालन (multi-domain power synchronization) में एक महत्वपूर्ण घटक होगा जिसमें राष्ट्रीय उद्देश्यों को पूरा करने के लिए साइबर, अंतरिक्ष, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम आदि से संबंधित संचालन शामिल हैं।
  • भारतीय वायुसेना के नए सिद्धांत में इस तथ्य को स्वीकार किया जाना चाहिए कि नए विचारों को प्रोत्साहित करने और मानव संसाधन को मजबूत करने के लिए कर्मियों का सुरक्षित महसूस करना आवश्यक है।
  • भारतीय वायु सेना के नए सिद्धांत में इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला जाना चाहिए कि ‘राष्ट्रीय रक्षा’ एक राष्ट्रीय उद्यम है और उच्च अधिकारियों का थोड़ा राजनीतिक हस्तक्षेप होना चाहिए।
  • केवल लड़ाकू विमानों पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा, हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली, परिवहन और हेलीकॉप्टर बेड़े, रडार, संचार प्रणाली, हवा में ईंधन भरने वाले विमानों को भी महत्व दिया जाना चाहिए।
    • ये मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं जो सैन्य कूटनीति और विदेश नीति के लिए अत्यंत ही आवश्यक है।

संबंधित लिंक:

Indian Air Force Day [October 8] – History of IAF [UPSC]

सारांश:

  • वर्तमान परिदृश्य में सुरक्षा वातावरण चुनौतीपूर्ण है और भारतीय वायु सेना के सिद्धांत का पुनर्मूल्यांकन किए जाने की आवश्यकता है। यह न केवल सुरक्षा पहलुओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की सैन्य कूटनीति और विदेश नीति के लिए भी महत्वपूर्ण है।

प्रीलिम्स तथ्य:

  1. बांस के फल की मिठास, न कि उसमें उपस्थित प्रोटीन, चूहे की आबादी में तीव्र वृद्धि को प्रेरित करती है

विषय: पर्यावरण

प्रारंभिक परीक्षा: पूर्वोत्तर भारत में मेलोकैना बेसीफेरा और चूहों की आबादी में तीव्र वृद्धि के बारे में।

संदर्भ

  • लगभग 13 वर्षों तक चले एक अध्ययन में पूर्वोत्तर भारत में बांस की मौत, चूहे की आबादी में तीव्र वृद्धि और अकाल की घटना के साथ मेलोकैना बेसीफेरा (एक उष्णकटिबंधीय बांस प्रजाति) में फूल आने की जानकारी प्राप्त हुई है।

विवरण:

  • अध्ययन ने मेलोकैना बेसीफेरा के फल में शर्करा सामग्री और “माउतम” के दौरान चूहों की आबादी में तीव्र वृद्धि के बीच एक संबंध स्थापित करने में मदद की है। माउतम चक्रीय पारिस्थितिकी घटना है जो 48 वर्षों में एक बार बड़े पैमाने पर बांस के पुष्पन को संदर्भित करती है।
  • शोधकर्ताओं ने पाया कि बांस की मेलोकैना बेसीफेरा प्रजाति के फल और फूलों की ओर बड़ी संख्या में जानवर या शिकारी जीव आकर्षित होते हैं।
  • मेलोकैना बेसीफेरा (Melocanna baccifera) को पूर्वोत्तर भारत में “मूली” (Muli) के रूप में जाना जाता है।
    • मेलोकैना बेसीफेरा सबसे बड़ी फल-उत्पादक बांस की प्रजाति है और यह पूर्वोत्तर भारत-म्यांमार क्षेत्र की स्थानिक प्रजाति है।

मेलोकैना बेसीफेरा का फल

चित्र स्रोत: The Hindu

  • बांस की इस प्रजाति के पुष्पन के मौसम में बड़ी मात्रा में फल का उत्पादन होता है जो विभिन्न जानवरों को आकर्षित करते हैं जिनमें काले चूहे भी शामिल हैं।
    • ये काले चूहे बेरी जैसे फल को पसंद करते हैं और तेजी से संतति भी करते हैं। इस घटना को “रैट फ्लड” कहा जाता है।
  • फलों को खाने के बाद, ये चूहे क्षेत्र में खड़ी फसलों को खाना शुरू कर देते हैं, जिससे अकाल पड़ता है और हजारों मानव जीवन प्रभावित होते हैं।
  • ऐसा माना जाता है कि “फलों/बीजों में उपस्थित प्रोटीन की उच्च मात्रा” इन चूहों को आकर्षित करती है। हालाँकि, JNTBGRI के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि फल में प्रोटीन बहुत कम मात्रा में उपस्थित होती है और शर्करा सामग्री की अधिकता चूहों को आकर्षित करती है।
  • यह अध्ययन, जिसमें फल के रसायन विज्ञान पर प्रकाश डाला है, की परभक्षण का विश्लेषण करने में महत्वपूर्ण भूमिका है और इसने परभक्षिता और चूहे की आबादी में वृद्धि के बीच के संबंध को समझने में मदद की है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. सर्वोच्च न्यायालय ने स्वतंत्र पर्यावरण सेवा के गठन की मांग वाली याचिका खारिज की
  • सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए सरकार को अखिल भारतीय सेवा संवर्ग के दायरे में एक स्वतंत्र भारतीय पर्यावरण सेवा को गठित करने का आदेश दिया, जैसा वर्ष 2014 में कि टी.एस.आर. सुब्रमण्यम समिति की रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी।
  • याचिकाकर्ता ने बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय क्षरण को रोकने के लिए न्यायालय से एक स्वतंत्र भारतीय पर्यावरण सेवा के गठन का आग्रह किया था।
  • याचिकाकर्ता ने कहा था कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने भी एक विशेष अखिल भारतीय सेवा के गठन का सुझाव दिया था।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने पहले ही जवाब दे दिया था कि उसका इस संबंध में कोई और कदम उठाने का इरादा नहीं है।
  1. कैदियों के लिए आधार नियमों को सरल बनाया गया; गृह मंत्रालय ने आधार नामांकन या अद्यतन के लिए सभी जेलों में शिविरों के आयोजन का आवाहन किया:
  • भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) आधार नामांकन या अद्यतन के लिए एक वैध दस्तावेज के रूप में कैदी प्रवेश दस्तावेज को स्वीकार करने के लिए सहमत हो गया है। इससे देश भर के कैदियों को आधार प्रदान करने की प्रक्रिया आसान हो गई है।
  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 31 दिसंबर, 2021 तक देश भर में लगभग 1,319 जेलें थीं जिनमें कुल 5.5 लाख से अधिक कैदी थे।
  • आधार अधिनियम, 2016 की धारा 57, किसी भी उद्देश्य के लिए किसी व्यक्ति की पहचान सत्यापित करने के लिए आधार संख्या के उपयोग की अनुमति देती है।
  • भारत में आधार संतृप्ति स्तर 93% को पार कर गया है, और वयस्क आबादी के संदर्भ में यह 100% के करीब है। आधार के नामांकन या अद्यतन की सुविधा के लिए जेलों में राज्य सरकारों के समन्वय से नियमित नामांकन शिविर आयोजित किए जा रहे हैं।
  • आधार के उपयोग से जेलों के दिन-प्रतिदिन के प्रशासन को विनियमित करने में मदद मिलने की उम्मीद है जिसमें कैदियों को अदालत में पेश करने और उनकी वापसी, परिवहन, स्वास्थ्य सुविधाएं, साक्षात्कार, मुफ्त कानूनी सहायता, पैरोल और शिक्षा या व्यावसायिक प्रशिक्षण सुविधाएं शामिल हैं।
  1. संपूर्ण अमेरिका को निशाना बनाने में सक्षम उत्तर कोरिया की ICBM जापान की समुद्री सीमा के पास गिरी:
  • उत्तर कोरिया ने हाल ही में एक अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICMB) का परीक्षण किया है जो जापान की समुद्री सीमा के पास गिरी है। यह एक महीने की अवधि के भीतर दूसरा प्रमुख हथियार परीक्षण है जो संपूर्ण अमेरिकी भू-भाग पर परमाणु हमला करने की उत्तर कोरिया की क्षमता प्रदर्शित करती है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, हालिया प्रक्षेपण में सबसे लंबी दूरी की मिसाइल शामिल है, जो अभी भी विकास चरण में है और अमेरिकी मिसाइल रक्षा प्रणालियों को मात देते हुए कई परमाणु हथियार ले जाने के लिए डिज़ाइन की गई है।
  • उत्तर कोरिया के हालिया परीक्षणों का उद्देश्य अपने परमाणु शस्त्रागार को उन्नत बनाना और भविष्य की कूटनीति में अधिक रियायत हासिल करना है। परीक्षण ऐसे समय में किए गए हैं जब चीन और रूस ने उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधों को सख्त करने के अमेरिकी दबाव की आलोचना की है।
  • अमेरिका ने इस परीक्षण की निंदा की है और अपने क्षेत्र तथा सहयोगियों, दक्षिण कोरिया तथा जापान, की सुरक्षा की गारंटी के लिए सभी उपाय करने का आश्वासन दिया है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर कोरिया ने एक विकासात्मक ह्वासोंग-17 मिसाइल का परीक्षण किया, जो लगभग 15,000 किमी. की मारक क्षमता के साथ तीन से पांच परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।
  • इसके अलावा, उत्तर कोरिया के पास दो अन्य अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल भी हैं जो संभावित रूप से अमेरिका के कुछ हिस्सों या संपूर्ण भू-भाग पर हमला कर सकती हैं।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. भारत के सर्वोच्च न्यायालय के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – आसान)

  1. यद्यपि भारत के मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक प्रमुख होते हैं, लेकिन भारत के राष्ट्रपति की भूमिका न्यायालय के प्रशासनिक प्रमुख की होती है।
  2. भारत के राष्ट्रपति मामले को विशेष पीठों को आवंटित करने के विशेषाधिकार का प्रयोग करते हैं।
  3. मुख्य न्यायाधीश, मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीशों की संख्या तय करता है।

सही कूट का चयन कीजिए:

  1. एक कथन सही है
  2. दो कथन सही हैं
  3. सभी कथन सही हैं
  4. इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: विकल्प a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही नहीं है: “मास्टर ऑफ रोस्टर” के रूप में भारत का मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय का न्यायिक और प्रशासनिक प्रमुख दोनों होता है।
  • कथन 2 सही नहीं है: भारत के मुख्य न्यायाधीश विशेष पीठों को मामलों के आवंटन के लिए उत्तरदायी होते हैं।
  • कथन 3 सही है: भारत के मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीशों की संख्या और यहां तक कि मामले की सुनवाई करने वाली पीठ की संरचना भी तय करते हैं।

प्रश्न 2. परमाणु अप्रसार संधि के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)

  1. यह संधि परमाणु-हथियार वाले देशों द्वारा निरस्त्रीकरण के लक्ष्य हेतु बहुपक्षीय संधि में एकमात्र बाध्यकारी प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करती है।
  2. संधि के अनुपालन को सत्यापित करने के लिए IAEA द्वारा किए गए निरीक्षणों के माध्यम से सुरक्षा उपायों का उपयोग किया जाता है।
  3. किसी भी अन्य हथियार सीमा और निरस्त्रीकरण समझौते की तुलना में परमाणु अप्रसार संधि की पुष्टि अधिक देशों ने की है।

सही कूट का चयन कीजिए:

  1. केवल 1 और 3
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1
  4. उपर्युक्त सभी

उत्तर: विकल्प d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: NPT परमाणु-हथियार वाले राज्यों द्वारा निरस्त्रीकरण के लक्ष्य के लिए एक बहुपक्षीय संधि में एकमात्र बाध्यकारी प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करती है।
  • कथन 2 सही है: संधि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की जिम्मेदारी के तहत एक सुरक्षा उपाय प्रणाली स्थापित करती है।
    • संधि के अनुपालन को सत्यापित करने के लिए IAEA द्वारा किए गए निरीक्षणों के माध्यम से सुरक्षा उपायों का उपयोग किया जाता है।
  • कथन 3 सही है: किसी भी अन्य हथियार सीमा और निरस्त्रीकरण समझौते की तुलना में NPT की पुष्टि अधिक देशों ने की है

प्रश्न 3. फीफा विश्व कप 2022 के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)

  1. यह एशिया में आयोजित होने वाला पहला फुटबॉल विश्व कप है।
  2. फीफा ने रूस को “अगली सूचना तक” अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से निलंबित कर दिया है, जिसमें 2022 फीफा विश्व कप में इसकी भागीदारी भी शामिल है।
  3. टूर्नामेंट के आधिकारिक शुभंकर का नाम ‘अल-रिहला’ रखा गया है, यह एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ “सुपर-कुशल खिलाड़ी” होता है।

सही कूट का चयन कीजिए:

  1. कोई भी कथन सही नहीं है
  2. केवल एक कथन सही है
  3. केवल दो कथन सही हैं
  4. सभी कथन सही हैं

उत्तर: विकल्प b

व्याख्या:

  • कथन 1 सही नहीं है: फीफा विश्व कप 2022 अरब देशों में आयोजित होने वाला पहला विश्व कप होगा तथा वर्ष 2002 में दक्षिण कोरिया और जापान में टूर्नामेंट के आयोजन के बाद पूरी तरह से एशिया में आयोजित होने वाला दूसरा विश्व कप होगा।
  • कथन 2 सही है: फीफा ने रूस को “अगली सूचना तक” अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से निलंबित कर दिया है, जिसमें फीफा विश्व कप 2022 में इसकी भागीदारी भी शामिल है।
  • कथन 3 सही नहीं है: कतर विश्व कप 2022 के लिए आधिकारिक शुभंकर जारी हो गया है और यह “लाईब” (La’eeb) नामक एक सुपर-कुशल फुटबॉल खिलाड़ी है।
    • एडिडास द्वारा फीफा विश्व कप 2022 के लिए आधिकारिक मैच बॉल का नाम “अल रिहला” रखा गया है जिसका अर्थ अरबी में “यात्रा” है और यह संस्कृति, वास्तुकला, प्रतिष्ठित नौकाओं और कतर के झंडे से प्रेरित है।

प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कौन सा संगठन ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ रिपोर्ट प्रकाशित करता है? (स्तर – आसान)

  1. भारतीय रिजर्व बैंक
  2. नीति आयोग
  3. फिक्की (FICCI)
  4. वित्त मंत्रालय

उत्तर: विकल्प a

व्याख्या:

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा “अर्थव्यवस्था की स्थिति” रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है।

प्रश्न 5. भारत के संविधान की उद्देशिका- (स्तर – आसान) PYQ (2020)

  1. संविधान का भाग है लेकिन कोई विधिक प्रभाव नहीं रखती है।
  2. संविधान का भाग नहीं है और कोई विधिक प्रभाव भी नहीं रखती है।
  3. संविधान का भाग है और वैसा ही विधिक प्रभाव रखती है जैसा कि उसका कोई अन्य भाग।
  4. संविधान का भाग है किन्तु उसके अन्य भागों से स्वतंत्र होकर उसका कोई विधिक प्रभाव नहीं है।

उत्तर: विकल्प d

व्याख्या:

मामले

निर्णय

ए. के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य (1950)

उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया कि उद्देशिका को न्यायालय में प्रवर्तित नहीं किया जा सकता है।

बेरुबारी संघ (1960)

उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया कि उद्देशिका भारतीय संविधान का भाग नहीं है, हालांकि, यह संविधान के विभिन्न भागों की व्याख्या में मदद करती है।

केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)

उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया कि उद्देशिका भारतीय संविधान का भाग है।

संघ सरकार बनाम एलआईसी ऑफ इंडिया (1995)

उच्चतम न्यायालय ने एक बार फिर माना कि उद्देशिका संविधान का अभिन्न अंग है, लेकिन भारत में इसे न्यायालय में प्रत्यक्ष रूप से प्रवर्तित नहीं किया जा सकता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

  1. संविधान सभा में हुई बहसों की सहायता से राज्यपाल की भूमिका, शक्तियों और कर्तव्यों पर प्रकाश डालिए।

(10 अंक, 150 शब्द) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र II – राजव्यवस्था)

  1. एक चुनौतीपूर्ण सुरक्षा वातावरण, नई तकनीकों के उद्भव और वित्त की कमी के मुद्दे का सामना करते हुए, भारतीय वायु सेना को सुचारू रूप से आगे बढ़ने में मदद के लिए एक संशोधित मार्गदर्शक दस्तावेज़ की आवश्यकता है। पुष्टि कीजिए।

(10 अंक, 150 शब्द) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र III – रक्षा)