21 जनवरी 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: राजव्यवस्था:
अंतरराष्ट्रीय संबंध:
F. प्रीलिम्स तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
हमने इंतजार नहीं किया, श्रीलंका की मदद के लिए जो सही था, किया: जयशंकर
विषय: भारत और उसके पड़ोस-संबंध
प्रारंभिक परीक्षा: भारत की पड़ोस प्रथम नीति
मुख्य परीक्षा: आर्थिक संकट के समय श्रीलंका को भारत की सहायता
संदर्भ:
- भारत श्रीलंका के लेनदारों में ऐसा पहला देश बन गया है जिसने इस द्वीप राष्ट्र को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से $2.9 बिलियन का बेलआउट पैकेज प्राप्त करने में मदद करने के लिए औपचारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को अपना आश्वासन दिया है।
पृष्ठभूमि:
चित्र स्रोत: The Hindu
- चीन, जापान और भारत श्रीलंका के तीन सबसे बड़े द्विपक्षीय ऋणदाता हैं तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से 2.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर का बेलआउट पैकेज प्राप्त करने के लिए इन तीन प्रमुख लेनदारों से वित्तीय आश्वासन प्राप्त करना श्रीलंका के लिए आवश्यक है।
- भारत ने 16 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को अपना वित्तीय आश्वासन दिया और इसी के साथ भारत श्रीलंका के महत्वपूर्ण ऋण पुनर्गठन कार्यक्रम का औपचारिक रूप से समर्थन करने वाला इसका पहला द्विपक्षीय लेनदार बन गया है।
श्रीलंका के आर्थिक संकट के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहाँ क्लिक कीजिए: Sri Lanka’s Economic Crisis
श्रीलंका को भारत की सहायता:
- भारत के विदेश मंत्री ने कहा है कि श्रीलंका की संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन के लिए भारत ने अन्य द्विपक्षीय लेनदारों की प्रतीक्षा न करते हुए श्रीलंका की मदद के लिए जो सही था, वही किया है।
- भारत ने श्रीलंका के अन्य द्विपक्षीय ऋणदाताओं से भी श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में सुधार में सहयोग करने के लिए सक्रिय उपाय करने का आग्रह किया है।
- विदेश मंत्री ने आगे कहा कि श्रीलंका की मदद करने का यह कदम भारत के “पड़ोसी प्रथम नीति” और “अपने लिए किसी साथी को अकेले नहीं छोड़ना” के सिद्धांत के अनुरूप था।
- भारत ने क्रेडिट और रोलओवर के रूप में श्रीलंका को 4 बिलियन डॉलर का सहायता पैकेज भी दिया था।
श्रीलंका की प्रतिक्रिया:
- श्रीलंका ने भारत के आश्वासन के लिए आभार व्यक्त किया है।
- इसके अलावा, श्रीलंका के विदेश मंत्री ने कहा है कि संकट के दौरान भारत के सहयोग ने देश को कुछ आर्थिक और वित्तीय स्थिरता हासिल करने में मदद की है।
- श्रीलंका ने उदार समर्थन और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को दिए गए आश्वासन के लिए भारत को धन्यवाद दिया है।
भारत-श्रीलंका संबंध के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहाँ क्लिक कीजिए: India-Sri Lanka Relations
भावी कदम:
- आने वाले दिनों में, भारत द्वारा श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में विशेष रूप से ऊर्जा, पर्यटन और बुनियादी ढांचे जैसे प्रमुख क्षेत्रों में अधिक से अधिक निवेश को प्रोत्साहित किये जाने की उम्मीद है।
- यह मानते हुए कि ऊर्जा सुरक्षा श्रीलंका की सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक है, भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि चुनौती का समाधान करने हेतु तैयार किए गए समाधानों का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए पूरे क्षेत्र को कवर किया जाना चाहिए।
- मंत्री ने आगे कहा कि श्रीलंका में नवीकरणीय ऊर्जा की अपार क्षमता है और यह एक ऊर्जा केंद्र के रूप में उभर सकता है और श्रीलंका ने भारत के साथ नवीकरणीय ऊर्जा ढांचे को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है।
- भारत ने द्वीप देश में राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए 13वें संशोधन के पूर्ण क्रियान्वयन और प्रांतीय चुनावों को शीघ्र कराए जाने का भी आग्रह किया है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
पंचायत स्तर पर स्वायत्तता
विषय: स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ
मुख्य परीक्षा: पंचायत राज संस्थाओं को वित्तीय और प्रशासनिक स्वायत्तता
संदर्भ:
- इस आलेख में पंचायत स्तर पर स्वायत्तता के स्तर पर चर्चा की गई है।
भूमिका:
- कुछ हफ्ते पहले, तेलंगाना में एक उप-सरपंच ने क़र्ज़ के कारण आत्महत्या कर ली थी।
- राज्य सरकार द्वारा बिलों के भुगतान में अत्यधिक देरी के कारण उन्हें गांव में विकास गतिविधियों को पूरा करने के लिए कर्ज लेना पड़ा था।
- हाल ही में, तेलंगाना के कुछ सरपंचों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और लगभग एक साल तक सरकारी धन नहीं मिलने पर अपना गुस्सा जाहिर किया।
- सरपंचों ने आरोप लगाया कि समय पर धन जारी करने में राज्य सरकार की विफलता ने उन्हें पंचायत गतिविधियों और विभिन्न लक्ष्यों को पूरा करने के लिए या तो निजी संसाधनों का उपयोग करने या बड़ी मात्रा में उधार लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
- राज्य सरकारें, स्थानीय नौकरशाही के माध्यम से, पंचायतों पर काफी विवेकाधीन अधिकार और प्रभाव का प्रयोग करना जारी रखी हुई हैं।
स्वायत्तता के मुद्दे:
- पंचायतों के पास धन के तीन मुख्य स्रोत होते हैं,
- राजस्व के अपने स्वयं के स्रोत (स्थानीय कर, सार्वजनिक संपत्ति संसाधनों से प्राप्त राजस्व, आदि),
- केंद्र और राज्य सरकारों से सहायता अनुदान, और
- विवेकाधीन या योजना-आधारित फंड।
- पंचायतों के अपने स्वयं के राजस्व (कर और गैर-कर दोनों) स्रोत कुल पंचायत निधियों का एक छोटा सा अनुपात होता है।
- उदाहरण के लिए, तेलंगाना में, एक पंचायत के राजस्व का एक चौथाई से भी कम राजस्व अपने स्वयं के स्रोतों से आता है।
- इसलिए, ग्राम पंचायतें दैनिक गतिविधियों के लिए राज्य और केंद्र से विवेकाधीन और गैर-विवेकाधीन अनुदानों पर आर्थिक रूप से निर्भर रहती हैं।
- पंचायतें आवंटित धन का उपयोग कैसे कर सकती हैं, इस पर भी सख्त प्रतिबंध हैं। राज्य सरकारें प्राय: पंचायत निधियों के माध्यम से विभिन्न व्ययों पर खर्च की सीमाएँ लगाती हैं।
- इसके अलावा, लगभग सभी राज्यों में, पंचायत निधियों को खर्च करने के लिए दोहरे प्राधिकरण की व्यवस्था है।
- सरपंचों के अलावा, भुगतान के संवितरण के लिए नौकरशाही की सहमति की आवश्यकता होती है। सरपंच और पंचायत सचिव, जो प्रखंड विकास अधिकारी (BDO) को रिपोर्ट करते हैं, को पंचायत निधि से भुगतान के लिए जारी किए गए चेक पर सह-हस्ताक्षर करना होता है।
- कभी-कभी, विधायकों और सांसदों की उपस्थिति पंचायतों की कार्यात्मक स्वायत्तता को बाधित करती है।
- सरकारी कार्यक्रमों के लाभार्थियों के चयन में उच्च स्तर के राजनेताओं और नौकरशाहों का हस्तक्षेप भी सरपंचों की शक्ति को सीमित करता है।
- सरपंचों का स्थानीय कर्मचारियों पर उचित रूप से प्रशासनिक नियंत्रण नहीं हो पाता है।
- कई राज्यों में, पंचायत को रिपोर्ट करने वाले स्थानीय पदाधिकारियों, जैसे ग्राम चौकीदार या सफाई कर्मचारी, की भर्ती और बर्खास्तगी जिला या प्रखंड स्तर पर होती है।
नौकरशाहों का साया:
- राज्य सरकारें भी स्थानीय नौकरशाही के माध्यम से स्थानीय शासन को बाधित करती हैं।
- सार्वजनिक निर्माण परियोजनाओं के अनुमोदन के लिए प्रायः तकनीकी अनुमोदन (इंजीनियरिंग विभाग से) और स्थानीय अधिकारियों से प्रशासनिक अनुमोदन की आवश्यकता होती है, जिसके लिए सरपंचों को सरकारी कार्यालयों में कई बार जाना पड़ता है।
- स्वीकृत धनराशि को पंचायत खातों में स्थानांतरित करने में अत्यधिक देरी से स्थानीय विकास रुक जाता है।
- सरपंचों को पद पर रहते हुए बर्खास्त किया जा सकता है। कई राज्यों में ग्राम पंचायत अधिनियमों ने जिला स्तर के नौकरशाहों, मुख्यतः जिला कलेक्टरों को आधिकारिक कदाचार के लिए सरपंचों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार दिया है।
- उदाहरण के लिए, तेलंगाना ग्राम पंचायत अधिनियम की धारा 37 जिला कलेक्टरों को मौजूदा सरपंचों को निलंबित और बर्खास्त करने की अनुमति देती है।
- कलेक्टर विभिन्न कारणों से सरपंचों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं जैसे कि शक्ति का दुरुपयोग, गबन, या कदाचार और “संबंधित ग्राम पंचायत के समुचित कार्य के लिए जिला कलेक्टर या सरकार के आदेशों का पालन करने से इनकार करना”।
- हाल के वर्षों में, तेलंगाना में 100 से अधिक सरपंचों को उनके पदों से हटा दिया गया है। इनमें से एक उदाहरण में, आधिकारिक कारण विरोध (आधिकारिक कार्यक्रम से दूर रहना) को बताया गया था।
भावी कदम:
- वास्तविक विकास लोगों की जमीनी स्तर की भागीदारी पर निर्भर करता है। एक संघीय प्रणाली में संस्थागत सहयोग स्थानीय स्वशासन से आना चाहिए।
- परिणामतः, इन संस्थानों का प्रदर्शन इनकी स्वायत्तता में निहित है, जिसका अर्थ निम्नतम स्तर तक कार्यात्मक शक्तियों का विस्तार है।
- केंद्र और राज्य सरकारों को उन्हें स्पष्ट और उत्पादक राजस्व मदें सौंपना चाहिए, ताकि वे प्रशासन और कर लागू करने में सक्षम हो सकें।
- किसी भी वास्तविक विकेंद्रीकरण के लिए सरपंचों के पास प्रशासनिक या वित्तीय अधिकार होना चाहिए। तेलंगाना की स्थिति राज्य सरकारों के लिए अपने संबंधित ग्राम पंचायत कानूनों के प्रावधानों की फिर से जांच करने और स्थानीय शासन को धन, कार्यों तथा पदाधिकारियों के अधिक से अधिक हस्तांतरण पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है।
सारांश:
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पंचायती राज के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहां क्लिक कीजिए: Panchayati Raj
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतरराष्ट्रीय संबंध:
भारत की G20 अध्यक्षता और दक्षिण एशिया
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
मुख्य परीक्षा: G20 अध्यक्ष के रूप में भारत के पास मौजूद अवसर और जिम्मेदारियां
संदर्भ:
- इस आलेख में दक्षिण एशिया पर भारत की G20 अध्यक्षता के विभिन्न प्रभावों पर चर्चा की गई है
भूमिका:
- भारत ने वैश्विक मामलों में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर 1 दिसंबर 2022 को G20 की अध्यक्षता ग्रहण की। यह अध्यक्षता भारत को वैश्विक शासन के लिए अधिक प्रभावी बहुपक्षीय मंचों में से एक को संचालित करने का अवसर प्रदान करती है।
- भारत ने अपनी अध्यक्षता के दौरान संबोधित करने के लिए कई प्राथमिकताओं जैसे हरित विकास, जलवायु वित्त और लाइफ मिशन (पर्यावरण के लिए जीवन शैली); त्वरित, समावेशी और लचीला विकास; सतत विकास लक्ष्यों (SDG) पर प्रगति में तेजी लाना; तकनीकी परिवर्तन और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा; बहुपक्षीय सुधार और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की पहचान की है।
- दक्षिण एशिया से एकमात्र G20 सदस्य के रूप में, भारत का G20 नेतृत्व नई दिल्ली के लिए एक प्रभावी मंच बनाने का एक आदर्श अवसर है।
समूह कार्रवाई की आवश्यकता वाली समस्याएं:
- दक्षिण एशियाई देशों को मुख्यतः जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, वे प्रकृति में वैश्विक हैं, एक देश से दूसरे देश तक विस्तारित हैं, और इसके लिए समूह प्रयास की आवश्यकता होती है।
- दक्षिण एशियाई देश इस समय सबसे खराब आर्थिक संकटों में से एक का सामना कर रहे हैं।
- अगस्त 2022 में श्रीलंका में मुद्रास्फीति 64.3% के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई थी क्योंकि खाद्य लागत पिछले वर्ष की तुलना में 84.6% बढ़ गई थी।
- पाकिस्तान में, बाढ़ के कारण कुल $30 बिलियन से अधिक का नुकसान और क्षति हुई है, जिसकी मरम्मत के लिए लगभग 16 बिलियन डॉलर की आवश्यकता है।
- वैश्विक जीवाश्म ईंधन की कीमतों में वृद्धि को देखते हुए बांग्लादेश सरकार ने ईंधन की कीमतों में 50% से अधिक की वृद्धि की थी, जिसके परिणामस्वरूप सितंबर 2022 में मुद्रास्फीति 7.5% हो गई थी।
- दक्षिण एशिया और विकासशील दुनिया अन्य चुनौतियों का सामना कर रही हैं, जिनमें महामारी के बाद की रिकवरी, मुद्रास्फीति के दबाव के बाद वस्तुओं की कीमतों में उछाल और जलवायु परिवर्तन प्रेरित खराब मौसम शामिल हैं।
- दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं का बढ़ता कर्ज बोझ भी एक संभावित संकट को दर्शाता है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
- अधिकांश दक्षिण एशियाई देश जीवाश्म ईंधन से अपनी ऊर्जा का उत्पादन करते हैं।
- चूंकि डॉलर की आपूर्ति कम है, इसलिए देशों के लिए ऊर्जा उत्पादन को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
- महामारी और युद्ध के बाद के समय में, सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों में से एक समान आर्थिक सुधार सुनिश्चित करना है।
- विकसित देशों के पास अंतरराष्ट्रीय सहयोग, व्यापार और वित्त पर जुड़ाव के नियमों को निर्धारित करने में अनुपातहीन शक्ति और प्रभाव है, इस प्रकार वैश्विक शासन ऐतिहासिक रूप से उनके पक्ष में है।
- यह विकास, व्यापार, जलवायु कार्रवाई, ऊर्जा संक्रमण और डिजिटल परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए दक्षिण एशिया जैसे घटकों को यथार्थवादी समाधान प्रदान करने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
भावी कदम:
- जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान और क्षति को कवर करने के लिए वैश्विक सहयोग की चर्चा को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और वित्तीय सहायता से परे ले जाने की जरूरत है।
- भारत को अपनी अध्यक्षता के अंतर्गत आर्थिक विकास की लचीली रिकवरी के लिए एक मजबूत रणनीति तैयार करने को प्राथमिकता देनी होगी और 2030 SDG एजेंडा को प्राप्त करने के लिए कार्य योजना को फिर से जांचना होगा।
- इसे बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को बनाए रखने, प्रमुख वस्तुओं की आवाजाही को सक्षम करने हेतु खुली आपूर्ति श्रृंखला प्रदान करने एवं निवेश और उत्पादन में विविधता लाने के लिए समन्वित प्रयासों से पूरा किया जा सकता है।
- दक्षिण एशिया के लिए, यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि आर्थिक विकास और सुशासन का सहयोग करने वाले बहुपक्षीय संगठनों और विकास वित्त संस्थानों में सुधार किया जाए क्योंकि ये देश इन वैश्विक संस्थानों के प्रमुख हितधारक हैं।
- एक समावेशी और टिकाऊ बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली स्थापित करने के लिए भारत की G20 अध्यक्षता आवश्यक होगी।
- भारत को अपना ध्यान वैश्विक शासन व्यवस्थाओं में सुधार लाने पर केंद्रित करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निष्पक्ष बातचीत के परिणामस्वरूप निकट पड़ोस और उससे आगे के क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले अत्यावश्यक मुद्दों का व्यावहारिक समाधान हो।
सारांश:
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भारत की G20 अध्यक्षता के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहां क्लिक कीजिए: India’s G20 Presidency
महत्वपूर्ण तथ्य:
- भारत टीबी का नया टीका खोजने के प्रयासों का नेतृत्व कर सकता है: पूर्व WHO वैज्ञानिक
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक पूर्व मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि तपेदिक (टीबी) के लिए एक नया टीका विकसित करने की आवश्यकता है और टीबी के उन्मूलन के लिए भारत की त्वरित समयरेखा को देखते हुए, भारत को एक प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए।
- उन्होंने आगे कहा कि टीबी के खिलाफ इस्तेमाल किया जाने वाला बीसीजी टीका (बैसिलस कैलमेट-गुएरिन वैक्सीन) 100 साल पुराना है और आधुनिक प्लेटफॉर्म जैसे mRNA प्लेटफॉर्म, वायरल वेक्टर, DNA, प्रोटीन सबयूनिट आदि की मदद से और अधिक उन्नत टीके विकसित करने का आह्वान किया।
- भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और WHO द्वारा किए गए राष्ट्रीय टीबी प्रसार सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2025 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य होने के बावजूद देश में टीबी के प्रसार की दर प्रति 1,00,000 लोगों में 300 थी।
- उन्होंने यह भी कहा कि भारत में टीबी के लिए मुख्य जोखिम कारक अल्पपोषण है और विशेष रूप से निम्न आर्थिक समूहों जैसे आदिवासी समुदायों तथा दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के बीच यह जोखिम कारक अधिक है।
- WHO की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक ने भारत में एक्स-रे और आण्विक परीक्षणों का उपयोग करके बड़े पैमाने पर सक्रिय मामलों का पता लगाने के लिए कार्यक्रम शुरू करने की भी सिफारिश की।
तपेदिक और इसके खिलाफ भारत की लड़ाई के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहाँ क्लिक करें: Tuberculosis and India’s fight against it
- अल-सिसी की यात्रा के दौरान भारत और मिस्र रक्षा संबंधों पर वार्ता करेंगे:
- मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी की भारत यात्रा के दौरान भारत और मिस्र द्वारा लगभग छह प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है। मिस्र के राष्ट्रपति मुख्य अतिथि के रूप में भारत आएंगे और गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेंगे।
- इन चर्चाओं में सुरक्षा, आतंकवाद का मुकाबला और रक्षा संबंधी मामलों पर सहयोग का मुद्दा प्रमुख विषय होगा।
- इसके अलावा, आतंकवाद पर भारत-मिस्र संयुक्त कार्य समूह के एक भाग के रूप में मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) और साइबर खतरों से चुनौतियों पर भी चर्चा की जा सकती है, जिसकी बैठक मिस्र के राष्ट्रपति की यात्रा के बाद निर्धारित है।
- रक्षा, सुरक्षा और नई ऊर्जा पहल जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर संवाद के अलावा, हाल के दिनों में दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में मिस्र की व्यावहारिक कूटनीति के कारण करीब आए हैं। उदाहरण के लिए, इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) में, जहां कश्मीर पर पाकिस्तान के आक्रामक अभियान का जवाब देते हुए मिस्र ने सतर्क रुख बनाए रखा है।
- इसके अलावा, गणतंत्र दिवस परेड 2023 में मिस्र के सशस्त्र बलों के 180 कर्मियों का एक दल शामिल होगा जो दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सैन्य संबंधों को प्रदर्शित करता है।
- आर्थिक विकास के बावजूद, शहरी युवाओं के लिए कम नौकरियां उपलब्ध हैं और निर्यात पर निर्भर क्षेत्रों में भर्तियों की दर धीमी है:
- रिपोर्टों के अनुसार, वैश्विक मंदी के कारण निर्यात प्रभावित होने से हजारों भारतीय कामगारों की नौकरी चली गई है, और महामारी के बाद नौकरी के बाजार में 20 मिलियन से अधिक श्रमिकों के फिर से प्रवेश ने स्थिति को और बदतर बना दिया है।
- मुंबई स्थित थिंक-टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, भारत में नौकरियों की कुल संख्या 410 मिलियन के पूर्व-महामारी स्तर तक पहुंचने के बावजूद देश में शहरी बेरोजगारी दर दिसंबर 2022 में बढ़कर 10.1% हो गई है।
- वैश्विक स्तर पर, भारतीय अर्थव्यवस्था अमेरिका और यूरोप में मंदी की आशंकाओं की पृष्ठभूमि में बेहतर प्रदर्शन कर रही है। हालांकि, इंजीनियरिंग, टेक्सटाइल और सॉफ्टवेयर जैसे निर्यात पर निर्भर विनिर्माण क्षेत्रों में नौकरियों की संख्या में गिरावट आई है क्योंकि कंपनियों को विदेशी मांग में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है।
- Naukri.com के आंकड़ों के मुताबिक, सूचना प्रौद्योगिकी, सॉफ्टवेयर, शिक्षा और रिटेल जैसे क्षेत्रों में भर्तियों में एक साल पहले के मुकाबले दिसंबर 2022 में 28% तक की गिरावट आई है।
- अर्थशास्त्रियों का मानना है कि देश में बेरोजगारी दर के खतरनाक स्तर के कारण उपभोक्ता मांग, निजी निवेश और विकास की संभावनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (स्तर-मध्यम)
- इस अधिकरण के आदेश बाध्यकारी होते हैं तथा प्रभावित व्यक्तियों को मुआवजे और क्षतिपूर्ति के रूप में इसके पास सहायता प्रदान करने की शक्ति है।
- अधिकरण के पास अपने निर्णयों की समीक्षा करने का अधिकार है। यदि यह इसमें विफल रहता है, तो संबंधित निर्णय को 90 दिनों के भीतर सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी जा सकती है।
- इस अधिकरण को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 से संबंधित किसी भी मामले की सुनवाई करने की शक्तियां नहीं दी गई हैं।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 3
- केवल 1 और 2
- 1, 2 और 3
उत्तर: विकल्प d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेश बाध्यकारी होते हैं और प्रभावित व्यक्तियों को मुआवजे और क्षतिपूर्ति के रूप में इसके पास सहायता प्रदान करने की शक्ति है।
- कथन 2 सही है: राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के पास अपने निर्णयों की समीक्षा करने का अधिकार है। यदि यह इसमें विफल रहता है, तो संबंधित निर्णय को 90 दिनों के भीतर सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी जा सकती है।
- कथन 3 सही है: राष्ट्रीय हरित अधिकरण के पास निम्नलिखित अधिनियमों या विधियों से संबंधित किसी भी मामले को सुनने की शक्ति है:
- जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974
- जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) उपकर अधिनियम, 1977
- वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980
- वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986
- सार्वजनिक देयता बीमा अधिनियम, 1991
- जैव विविधता अधिनियम, 2002
- इस प्रकार राष्ट्रीय हरित अधिकरण के पास वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 से संबंधित मामलों की सुनवाई करने की शक्तियां नहीं हैं।
प्रश्न 2. INS वागीर के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से गलत है/हैं? (स्तर-सरल)
- यह दक्षिणी नौसेना कमान के अंतर्गत भारतीय नौसेना में एक हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण जहाज है।
- इसे गुजरात भूकंप, सुनामी 2004 के साथ-साथ कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन विजय के मद्देनजर राहत कार्य से जुड़े होने का गौरव प्राप्त है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- दोनों
- इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर: विकल्प c
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: आईएनएस वागीर डीजल-इलेक्ट्रिक स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी है।
- अक्टूबर 2005 में हस्ताक्षरित 3.75 बिलियन डॉलर के सौदे के तहत फ्रांस के नौसेना समूह से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की मदद से मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा प्रोजेक्ट-75 के तहत छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है।
- कथन 2 सही नहीं है: INS जमुना जहाज (J16) दक्षिणी नौसेना कमान के तहत भारतीय नौसेना में एक हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण पोत है, जिसे गुजरात भूकंप, 2004 में आई सुनामी के साथ-साथ कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन विजय के मद्देनजर राहत कार्य से जुड़े होने का गौरव प्राप्त है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा मैड्रिड प्रोटोकॉल का सर्वोत्तम विवरण है? (स्तर-मध्यम)
- यह विश्व के कई न्यायाधिकार क्षेत्र (jurisdictions) में ट्रेडमार्क के पंजीकरण की सुविधा के लिए प्राथमिक अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली है।
- यह स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों (POP) से मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए एक वैश्विक संधि है।
- इस प्रोटोकॉल का उद्देश्य खतरनाक कचरे के प्रतिकूल प्रभावों से मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा करना है।
- इस संधि के तहत औद्योगिक डिजाइनों के लिए एक वर्गीकरण तैयार किया गया है।
उत्तर: विकल्प a
व्याख्या:
- मैड्रिड प्रोटोकॉल दुनिया भर में ट्रेडमार्क के पंजीकरण और प्रबंधन के लिए एक सुविधाजनक और लागत प्रभावी समाधान है।
- मैड्रिड प्रोटोकॉल दुनिया भर के कई अधिकार-क्षेत्रों में ट्रेडमार्क के पंजीकरण की सुविधा प्रदान करने के लिए प्राथमिक अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली है।
- मैड्रिड प्रोटोकॉल ट्रेडमार्क मालिकों को सिर्फ एक आवेदन दाखिल करके कई देशों में अपने ट्रेडमार्क को सुरक्षित रखने का अवसर प्रदान करता है।
प्रश्न 4. लंबनी (Lambanis) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-कठिन)
- ये कभी खानाबदोश जनजातियाँ थीं जो अफगानिस्तान से भारत आईं थी।
- माना जाता है कि उन्होंने 17वीं सदी में मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब को देश के दक्षिणी हिस्से में सामान (goods) को ले जाने में मदद की थी।
- लंबाडी भाषा द्रविड़ भाषा समूह से संबंधित है और इस भाषा की मूल लिपि नहीं है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर: विकल्प a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: लंबनी, या लम्बाडी या बंजारे, खानाबदोश जनजाती समूह से संबंधित थे, जो अफगानिस्तान से राजस्थान आए और अब कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में फैले हुए हैं।
- कथन 2 सही है: ऐसा माना जाता है कि लंबनियों ने 17वीं शताब्दी में दक्षिण भारत में सामान ले जाने के लिए मुगल सम्राट औरंगजेब की सहायता की थी।
- कथन 3 सही नहीं है: लंबनी इंडो-आर्यन भाषा समूह से संबंधित हैं और उनकी भाषा की कोई मूल लिपि नहीं है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित में से कौन-सा हार्मोन मानव शरीर में रक्त कैल्शियम और फॉस्फेट को विनियमित करता है? (स्तर-कठिन) (विगत वर्ष के प्रश्न 2007)
- ग्लूकैगॉन
- वृद्धिकर हॉर्मोन
- पैराथायरायड हॉर्मोन
- थायरॉक्सिन
उत्तर: विकल्प c
व्याख्या:
- पैराथायरायड हार्मोन पैराथायरायड ग्रंथि द्वारा स्रावित एक हार्मोन है।
- पैराथायरायड हार्मोन हमारी हड्डियों में कैल्शियम और बाह्य तरल पदार्थ के बीच संतुलन बनाकर कैल्शियम की मात्रा को नियंत्रित करता है।
- यह मूत्र के माध्यम से फॉस्फेट के उत्सर्जन को भी नियंत्रित करता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. एक स्थिर राष्ट्र के लिए एक स्थिर पड़ोस आवश्यक है। श्रीलंका में जारी ऋण संकट के संदर्भ में इसे विस्तार से समझाइए। (250 शब्द; 15 अंक) (GS II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
प्रश्न 2. विभिन्न अभियानों और पहलों के बावजूद, तपेदिक रोग के खिलाफ लड़ाई आगे बढ़ती नहीं दिख रही है। इसके संभावित कारणों का आकलन कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (GS II – स्वास्थ्य)