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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 22 December, 2022 UPSC CNA in Hindi

22 दिसंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

  1. AAP सरकार और दिल्ली L-G के बीच ताजा टकराव क्या है?

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

सुरक्षा:

  1. INS मोरमुगाओ एवं इसकी क्षमताएं:

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

शासन:

  1. कैंसर की दवाओं को किफायती बनाने की आवश्यकता:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. भारत और तालिबान:

सामाजिक न्याय:

  1. कोविड-19 संक्रमणों में उछाल:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. डोकरा मेटलक्राफ्ट (धातु शिल्प):
  2. केरल में पाम-लीफ पांडुलिपि संग्रहालय:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. पीएम2 हाथी एमटीआर में आवास के अनुकूल हो रहा है, सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन देखा गया:
  2. DGTR ने इंडोनेशियाई विस्कोस फाइबर पर एंटी-डंपिंग लेवी का प्रस्ताव दिया:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

INS मोरमुगाओ एवं इसकी क्षमताएं:

सुरक्षा:

विषय: विभिन्न सुरक्षा बल और एजेंसियां और उनका शासनादेश।

प्रारंभिक परीक्षा: INS मोरमुगाओ और प्रोजेक्ट 15B से सम्बंधित तथ्य।

मुख्य परीक्षा: आईएनएस मोरमुगाओ की प्रमुख विशेषताएं और उसका रणनीतिक महत्व।

संदर्भ:

  • INS मोरमुगाओ को आधिकारिक तौर पर भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया है।

आईएनएस मोरमुगाओ (INS Mormugao):

चित्र स्रोत: The Hindu

  • गोवा में बंदरगाह शहर मोरमुगाओ के नाम पर इस युद्धपोत को 18 दिसंबर, 2022 को नौसेना में कमीशन किया गया था, जो गोवा मुक्ति दिवस (Goa Liberation Day) समारोह से एक दिन पहले है।
  • आईएनएस मोरमुगाओ मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDSL) द्वारा निर्मित एक स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल विध्वंसक है।
  • यह भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 15B (P15B) के तहत बनाए जा रहे चार विशाखापत्तनम श्रेणी के विध्वंसक में से दूसरा है।

प्रोजेक्ट 15B (पी15B):

  • प्रोजेक्ट 15 को 1990 के दशक के दौरान भारतीय नौसेना के बेड़े के लिए निर्देशित मिसाइल विध्वंसक विकसित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। इस परियोजना का शीर्षक “दिल्ली श्रेणी/वर्ग” था और इसके बाद इस परियोजना पर काम करना शरू किया गया।
  • प्रोजेक्ट 15A (कोलकाता श्रेणी): यह मुख्य रूप से सतह के जहाजों पर उन्नत तकनीक और उपकरणों पर केंद्रित था।
  • प्रोजेक्ट 15B (विशाखापत्तनम श्रेणी): यह हथियार-गहन परियोजना 15A विध्वंसक का अनुवर्ती श्रेणी/वर्ग है।
  • प्रोजेक्ट 15B जनवरी 2011 में उन्नत डिजाइन प्रौद्योगिकियों को शामिल करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था,जैसे अत्याधुनिक हथियार और सेंसर, आधुनिक स्टील्थ विशेषताएं और भारतीय युद्धपोतों की उत्तरजीविता, गतिशीलता, समुद्री रखरखाव और स्टील्थ क्षमताओं में सुधार के लिए उच्च स्तर का स्वचालन।
  • प्रोजेक्ट 15B के प्रमुख जहाज और प्रथम श्रेणी के आईएनएस विशाखापत्तनम (INS Visakhapatnam) को 21 नवंबर 2021 को नौसेना में शामिल किया गया।
  • INS मोरमुगाओ विशाखापत्तनम-श्रेणी का दूसरा विध्वंसक जहाज है।
  • समान श्रेणी के अन्य दो विध्वंसक, INS इंफाल और INS सूरत के वर्ष 2023 और 2025 के बीच चालू होने की उम्मीद है।
  • प्रोजेक्ट 15B से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Project 15B

आईएनएस मोरमुगाओ की क्षमताएं:

  • आईएनएस मोरमुगाओ 163 मीटर लंबा, 17 मीटर चौड़ा है और इसकी भार विस्थापित करने की क्षमता 7,400 टन है।
  • इसमें करीब 300 कर्मी बैठ सकते हैं।
  • विध्वंसक एक संयुक्त गैस और गैस (COGAG) विन्यास में चार गैस टर्बाइनों द्वारा चलाया जाता है।
  • यह प्रणोदन तंत्र जहाज को 30 समुद्री मील (50 किमी / घंटा) से अधिक की गति और 4,000 समुद्री मील की अधिकतम सीमा प्राप्त करने में मदद करता है।
  • INS मोरमुगाओ विध्वंसक जहाज सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल और उन्नत निगरानी रडार जैसी बहु-आयामी युद्ध क्षमता से लैस है।
  • बढ़ी हुई स्टील्थ क्षमताएं कम रडार क्रॉस सेक्शन या रडार सिग्नेचर सुनिश्चित करती हैं।
  • आईएनएस मोरमुगाओ की मारक क्षमता में ब्रह्मोस सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें (BrahMos surface-to-surface missiles), बराक-8 सतह से हवा में मार करने वाली (SAM) मिसाइलें हैं, जो तट और समुद्र-आधारित लक्ष्यों की लंबी दूरी के लिए और 76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट मिसाइलें शामिल हैं।
  • यह विध्वंसक युद्धपोत RBU-6000 पनडुब्बी रोधी रॉकेट लॉन्चर और 533 मिमी टारपीडो लॉन्चर से भी लैस है।
  • इस जहाज को मल्टी-रोल हेलीकॉप्टरों को ले जाने और संचालित करने के लिए भी डिज़ाइन किया गया है।
  • साथ ही इस जहाज को जटिल डिजिटल नेटवर्क के साथ विभिन्न स्वचालित सुविधाओं जैसे ऑटोमैटिक पावर मैनेजमेंट सिस्टम (APMS), कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम (CMS), गीगाबाइट ईथरनेट-आधारित शिप डेटा नेटवर्क (GESDN), इंटीग्रेटेड प्लेटफ़ॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम (IPMS) और शिप डेटा नेटवर्क (SDN) के साथ डिजाइन किया गया है।
  • कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम (CMS) का उपयोग खतरे के मूल्यांकन और संसाधन आवंटन के लिए किया जाता है।
  • ऑटोमैटिक पावर मैनेजमेंट सिस्टम (APMS) बिजली प्रबंधन प्रणालियों को नियंत्रित करता है।
  • इंटीग्रेटेड प्लेटफ़ॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम (IPMS) मशीनरी और सहायक उपकरणों को नियंत्रित और मॉनिटर करने में मदद करता है।
  • शिप डेटा नेटवर्क (SDN) सेंसर और हथियारों से डेटा के लिए सूचना राजमार्ग के रूप में कार्य करता है।
  • इसके अतिरिक्त, युद्धपोत को विभिन्न युद्ध क्षति नियंत्रण प्रणालियों, अग्नि क्षेत्रों, वितरण शक्ति प्रणालियों को शामिल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो आपात स्थिति के दौरान मदद करते हैं, और कुल वायुमंडलीय नियंत्रण प्रणाली जो जैविक, रासायनिक और परमाणु खतरों के खिलाफ चालक दल की सुरक्षा में मदद करती है।

आईएनएस मोरमुगाओ का सामरिक महत्व:

  • INS मोरमुगाओ को 75% से अधिक स्वदेशी सामग्री से विकसित किया गया है जो भारत की आत्मनिर्भर भारत पहल के अनुरूप है एवं यह 15 वर्षीय भारतीय नौसेना स्वदेशीकरण योजना (INIP) वर्ष 2015-2030 और भारत को रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भर बनाने की समग्र योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
  • चीन द्वारा हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी नौसैनिक उपस्थिति का विस्तार करने के साथ, संभावित खतरे का मुकाबला करने के लिए भारत की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है।
  • स्टील्थ युद्धपोतों में उन्नत तकनीकों को अपनाने से भारत को एक रणनीतिक बढ़त मिलेगी और सशस्त्र बलों की लड़ाकू क्षमताओं में वृद्धि होगी।
  • इसके अलावा, उन्नत स्टील्थ युद्धपोत न केवल सतह पर संचालन में मदद करते हैं, बल्कि विमान-रोधी और पनडुब्बी-रोधी युद्ध में भी सक्षम हैं।

सारांश:

  • वर्तमान समय में इन आधुनिक विध्वंसकों को उनकी उन्नत क्षमताओं के कारण विशेष रूप से आपात स्थिति के दौरान नौसैनिक संचालन में महत्वपूर्ण संपत्ति माना जाता है। अतः इसी तरह की क्षमताओं के साथ आईएनएस मोरमुगाओ को भारतीय नौसेना में शामिल करने से नौसेना बल को बढ़ावा मिलने और भारत को रणनीतिक लाभ मिलने की उम्मीद है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

AAP सरकार और दिल्ली L-G के बीच ताजा टकराव क्या है?

राजव्यवस्था:

विषय: वैधानिक, नियामक और विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय।

प्रारंभिक परीक्षा: सरकारी विज्ञापन में कंटेंट नियमन संबंधी समिति (CCRGA)।

मुख्य परीक्षा: CCRGA के कार्य और दिल्ली सरकार के विज्ञापनों पर 2016 का आदेश।

संदर्भ:

  • दिल्ली के उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव को सरकारी विज्ञापन में कंटेंट नियमन संबंधी समिति (Committee on Content Regulation in Government Advertising (CCRGA)) के 2016 के आदेश को लागू करने का निर्देश दिया हैं।
  • सीसीआरजीए के आदेश में 2015 और 2016 में सरकारी विज्ञापनों के रूप में राजनीतिक विज्ञापनों के प्रकाशन/प्रसारण के लिए दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी से 97.14 करोड़ रुपये से अधिक ब्याज वसूलने का आदेश दिया गया है।
  • इस कदम ने दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (L-G) के बीच लंबे समय से चली आ रही खींचतान/बहस को और बढ़ा दिया है।

सरकारी विज्ञापन में कंटेंट विनियमन संबंधी समिति (CCRGA):

  • CCRGA एक तीन सदस्यीय निकाय है जिसका गठन केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा अप्रैल, 2016 में किया गया था।
  • इस समिति का गठन सुप्रीम कोर्ट के 2015 के फैसले के निर्देशों के आधार पर कॉमन कॉज बनाम भारत संघ मामले के आधार पर किया गया था।
  • इस समिति को सभी मीडिया प्लेटफॉर्म पर संघ/केंद्र और राज्य सरकार के विज्ञापनों के कंटेंट को विनियमित करने का अधिकार है।
  • देश की शीर्ष अदालत ने भी राज्यों को अपने स्वयं के निकाय स्थापित करने का निर्देश दिया था और कई राज्यों ने समान समितियों का गठन किया है, जबकि कुछ राज्यों ने अपने विज्ञापनों की निगरानी के लिए CCRGA को सहमति प्रदान की है।
  • इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकारों को सार्वजनिक वित्त पोषित विज्ञापन के लिए दिशानिर्देशों का एक सेट प्रदान किया था। जिसमें निम्न बातें शामिल थी जैसे सरकारी विज्ञापन राजनीतिक रूप से तटस्थ होना चाहिए और राजनीतिक व्यक्तित्वों को महिमामंडित करने या सत्ताधारी दल की सकारात्मक छाप या विपक्षी दलों की नकारात्मक छाप दिखाने से रोकना चाहिए आदि।
  • इन दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि मीडिया घरानों को संरक्षण देने के लिए विज्ञापनों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

CCRGA का 2016 का आदेश:

  • CCRGA के गठन के बाद, CCRGA ने विज्ञापन प्रकाशित करने में सुप्रीम कोर्ट के अनिवार्य दिशानिर्देशों के उल्लंघन के आरोपों के आधार पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था।
  • दिल्ली सरकार ने CCRGA के अपने जवाब में कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट के 2015 के आदेश के आधार पर अपनी खुद की एक समिति का गठन करेगी, जिसमें यह अनिवार्य किया गया था कि राज्य सार्वजनिक विज्ञापनों को विनियमित करने के लिए अपने स्वयं के निकाय स्थापित कर सकते हैं।
  • दिल्ली सरकार के इस कदम को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी और उच्च न्यायालय ने अगस्त 2016 में फैसला सुनाया था कि केंद्र शासित प्रदेश अपनी स्वयं की समितियों की स्थापना के लिए अधिकृत नहीं हैं और इसलिए वे CCRGA के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
  • सीसीआरजीए ने जांच करने के बाद सितंबर 2016 में एक आदेश जारी किया जिसमें कहा गया था दिल्ली सरकार ने कई पहलुओं में दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया था जैसे भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करना, नाम से सत्ता में पार्टी का सीधा संदर्भ देना, आत्म-महिमा मंडन करना और अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाना।
  • CCRGA ने दिल्ली सरकार के सूचना और प्रचार निदेशालय (DIP) (सरकारी अभियान जारी करने के लिए जिम्मेदार) को उन विशिष्ट विज्ञापनों की पहचान करने का भी निर्देश दिया था, जो दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हैं, खर्च की गणना करते हैं और इसे सत्तारूढ़ पार्टी से वसूल करते हैं।
  • ऐसे विज्ञापनों की पहचान और व्यय की गणना से पता चला कि ऐसे विज्ञापनों पर ₹97 करोड़ से अधिक खर्च किए गए थे और मार्च 2017 में डीआईपी ने सत्तारूढ़ पार्टी को लगभग ₹42 करोड़ राज्य के खजाने से तुरंत देने का निर्देश दिया, और शेष राशि का भुगतान उन एजेंसियों/प्रकाशनों को करने के लिए किया, जिन्होंने 30 दिनों के भीतर विज्ञापनों का प्रसारण/प्रकाशन किया था।
  • हालांकि सत्तारूढ़ पार्टी ऐसे विज्ञापनों पर अपने खर्च का यह कहकर बचाव करती रही है कि ऐसे विज्ञापन विभिन्न सरकारी योजनाओं और अभियानों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए है।

सारांश:

  • केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर विभिन्न सत्तारूढ़ दल सरकारी विज्ञापनों पर भारी मात्रा में सार्वजनिक धन खर्च करते देखे जाते हैं, जिनका उपयोग सत्ताधारी दलों के राजनीतिक हितों को बढ़ावा देने के लिए उनके वास्तविक उद्देश्य को कम करने के लिए किया जाता है। इसलिए,सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को रोकने के लिए CCRGA जैसे निकायों को सशक्त बनाना महत्वपूर्ण है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

कैंसर की दवाओं को किफायती बनाने की आवश्यकता:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

विषय: विभिन्न क्षेत्रों-स्वास्थ्य में सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप

मुख्य परीक्षा: पेटेंट कानून और दवा के मूल्य पर इसका प्रभाव

संदर्भ:

  • 12 सितंबर, 2022 को राज्यसभा के सभापति को “कैंसर चिकित्सा योजना और प्रबंधन: रोकथाम, निदान, अनुसंधान और कैंसर उपचार की वहनीयता” पर 139वीं रिपोर्ट सौंपी गई थी।

भूमिका:

  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर संसदीय स्थायी समिति ने कई सिफारिशें की है।
  • समिति ने सिफारिश की कि कैंसर को एक अधिसूचित बीमारी के रूप में घोषित किया जाना चाहिए। समिति ने पाया कि कैंसर को अभी भी एक अधिसूचित बीमारी घोषित नहीं किए जाने से इससे होने वाली मौतों की कम रिपोर्टिंग होती है।
  • समिति ने कैंसर के उपचार से संबंधित समस्याओं की गंभीरता पर प्रकाश डाला, एक अनुमान के अनुसार भारत में 2020 में इसके लगभग 1.4 मिलियन मामले थे।
  • कैंसर चिकित्सा की उच्च लागत के निहितार्थों पर प्रकाश डालते हुए, समिति ने कहा कि “कैंसर के अस्पताल में भर्ती होने के लगभग 40% मामलों में भुगतान मुख्य रूप से उधार लेकर, संपत्ति की बिक्री और दोस्तों व रिश्तेदारों के योगदान से किया जाता है”।
  • यह मुख्य रूप से कैंसर चिकित्सा पर उच्च औसत ‘आउट ऑफ पॉकेट’ खर्च के कारण है।
    • कैंसर की चिकित्सा के लिए सार्वजनिक अस्पतालों की तुलना में निजी अस्पतालों में लगभग तीन गुना खर्च होता है।

उत्तरजीविता दर पर प्रभाव:

  • उच्च उपचार लागत ने विकासशील देशों में जीवित रहने की दर को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
  • स्तन कैंसर के मामले में, जहाँ भारत और दक्षिण अफ्रीका में पांच साल तक जीवित रहने की दर क्रमशः 65% और 45% होने का अनुमान है, इसके विपरीत उच्च आय वाले देशों में यह लगभग 90% है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रारंभिक चरण के HER2 (ह्यूमन एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर) पॉजिटिव स्तन कैंसर हेतु मानक उपचार की लागत भारत और दक्षिण अफ्रीका में लगभग 10 वर्षों के औसत वार्षिक वेतन के बराबर होगी और संयुक्त राज्य अमेरिका में 1.7 साल होगी।
  • CDK (साइक्लिन-आश्रित काइनेज) अवरोधकों का उपयोग करके स्तन कैंसर के एक महीने के उपचार की लागत ₹48,000 और ₹95,000 के बीच हो सकती है और रोगी से जीवन भर निम्नलिखित दवाओं में से एक को लेने की उम्मीद की जाती है।
    • तीन दवाएं, राइबोसिक्लिब, पल्बोसिक्लिब और अबेमासिक्लिब, इस चिकित्सीय वर्ग से संबंधित हैं, जो शरीर में कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को मंद करने में मदद करती हैं।

फार्मा कंपनियों का तर्क:

  • बड़ी फार्मास्युटिकल कंपनियां स्तन कैंसर की दवाओं की अत्यधिक लागत को उचित ठहराती हैं क्योंकि वे बाजार में एक नया अणु लाने के लिए $3 बिलियन से अधिक खर्च करती हैं, जिसे नवाचार के लिए बाजार में बने रहने के लिए उन्हें फिर से भरना होगा।
  • हालांकि, WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, अनुसंधान और विकास पर व्यय का दवा कंपनियों द्वारा कैंसर की दवा की कीमतों को निर्धारित करने से बहुत कम या कोई संबंध नहीं हो सकता है। कंपनियाँ मुनाफे को अधिकतम करने की दृष्टि से कीमत को निर्धारित करती हैं और रोगियों को चिकित्सा का लाभ उठाने से वंचित करती हैं।
  • मजबूत बौद्धिक संपदा संरक्षण के कारण फार्मा कंपनियां अपने उत्पादों पर एकाधिकार रखती हैं।
    • जेनेरिक उत्पादकों के बाजार में प्रवेश करने से पहले ही पेटेंट एवरग्रीनिंग दवाओं पर उनके एकाधिकार अधिकारों का विस्तार कर देता है और इस प्रकार कीमतों को ऊंचा रखता है।
      • एवरग्रीनिंग कंपनियों द्वारा 20 साल के अंत में मूल पेटेंट की समय सीमा समाप्त होने से ठीक पहले मामूली प्रक्रिया या उत्पाद में संशोधनों करके पेटेंट फाइल करने का अभ्यास है।
    • ब्रेस्ट कैंसर की तीन दवाएं- रिबोसिक्लिब, पाल्बोसिकलिब और अबेमासिक्लिब वर्तमान में पेटेंट संरक्षण के अधीन हैं – जिसका अर्थ है कि भारतीय कंपनियां पेटेंट धारकों की सहमति के बिना इन दवाओं का निर्माण नहीं कर सकती हैं।

भावी कदम:

  • इन महत्वपूर्ण दवाओं तक पहुंच की कमी ने वित्तीय तनाव उत्पन्न किया है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकार, गरिमा के साथ जीने के अधिकार को भी खतरे में डाल दिया है।
  • सरकार को भारतीय कंपनियों को पेटेंट अधिनियम के अनुसार अनिवार्य लाइसेंस (CL) देकर उच्च कीमत वाली कैंसर दवाओं का घरेलू उत्पादन करने के लिए अधिकृत करना चाहिए।
    • अनिवार्य लाइसेंस (CL) पेटेंट अधिकारों को ओवरराइड करते हैं, और घरेलू कंपनियों को पेटेंट दवाओं की कीमतें अधिक होने पर जेनेरिक विकल्प बनाने में सक्षम बनाते हैं।
  • वैकल्पिक रूप से, सरकार पेटेंट अधिनियम की धारा 100 के प्रावधानों को लागू कर सकती है, जो पेटेंट धारक के सहमति के बिना पेटेंट आविष्कार का उपयोग करने के लिए किसी भी संस्था को अधिकृत करने का अधिकार देती है।
    • धारा 100 तब उपयोगी हो सकती है जब कोई भी घरेलू कंपनी ऊपर उल्लिखित किसी भी कैंसर की दवा के लिए CL प्राप्त करने में रुचि नहीं दिखाती है।
  • हाल ही में संपन्न WTO मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में, एक समझौता हुआ था कि CL का उपयोग विकासशील देशों द्वारा कोविड-19 टीकों और दवाओं के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।
  • सरकार को अपनी अफोर्डेबल मेडिसिन्स एंड रिलाएबल इम्प्लांट्स फॉर ट्रीटमेंट (AMRIT) पहल के तहत और अधिक फार्मेसियों को आगे बढ़ाना चाहिए।
    • कैंसर और अन्य बीमारियों के इलाज के लिए सस्ती जीवन रक्षक दवाएं, अन्य दवाएं और मेडिकल डिस्पोजल उपलब्ध कराने हेतु इसे 2015 में लॉन्च किया गया था।

सारांश:

  • हाल ही में राज्यसभा को सौंपी गई एक रिपोर्ट में कैंसर की दवाओं की बढ़ती कीमतों और उनके प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि पीड़ित लोगों को सस्ती कीमत पर कैंसर की दवाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए क्योंकि भारत में ‘स्वास्थ्य के अधिकार’ की व्याख्या अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार के विस्तार के रूप में की गई है।

भारत और तालिबान:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत और उसके पड़ोस – संबंध।

मुख्य परीक्षा: भारत-अफगानिस्तान संबंध।

संदर्भ:

  • अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा महिला छात्रों को तृतीयक शिक्षा से निलंबित कर दिया गया है।

परिचय:

  • तालिबान शासन ने विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाली महिला छात्रों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।
  • तालिबान ने अफगान स्कूली छात्राओं को कक्षा छह से ऊपर पढ़ने पर प्रतिबंध लगाने, नौकरी प्रतिबंध और जिम और सार्वजनिक पार्कों में महिलाओं पर प्रतिबंध लगाने सहित कई फरमान जारी किए हैं, जिसमें पुरुष रिश्तेदारों के बिना यात्रा करने वालों के लिए सार्वजनिक रूप से पिटाई की गई है।
  • ये फरमान दोहा वार्ता के दौरान तालिबान द्वारा अंतरराष्ट्रीय समुदाय से किए गए वादों के खिलाफ हैं, जिसमें “समावेशी” सरकार की स्थापना भी शामिल है।

तालिबान शासन के प्रति भारत का दृष्टिकोण:

  • पहले तालिबान शासन (1996-2001) के दौरान भारत ने न तो अपनी मान्यता बढ़ाई और न ही अफगानिस्तान में राजनयिक उपस्थिति दर्ज की।
  • भारत ने तालिबान के अधिकारियों को शामिल नहीं किया। इसने उस समय तालिबान विरोधी प्रतिरोध का भी समर्थन किया।
  • तालिबान के सत्ता से बाहर होने के बाद, भारत ने काबुल में क्रमिक सरकारों का समर्थन किया और देश के सामाजिक आर्थिक विकास के लिए बड़े पैमाने पर सहायता प्रदान की।
  • भारत ने अफगान सुरक्षा बलों, पुलिस, नागरिक अधिकारियों और शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान किया। अफ़गानिस्तान में इसकी बड़ी भूमिका को दर्शाते हुए इसकी बड़ी कूटनीतिक उपस्थिति थी; काबुल में एक दूतावास के अलावा, भारत के हेरात, कंधार, जलालाबाद और मजार-ए-शरीफ में वाणिज्य दूतावास थे।
  • वर्तमान तालिबान 2.0 शासन के दौरान भारत ने अपने वाणिज्य दूतावासों और दूतावास को बंद कर दिया और अफगानिस्तान से अपने अधिकारियों और नागरिकों को निकाल लिया।
  • जबकि कोई भी देश तालिबान को आधिकारिक तौर पर मान्यता प्रदान नहीं करता है, कई देश खुले तौर पर शासन के नेताओं के साथ जुड़ते हैं। भारत सहित कई देशों के राजनयिक मिशन हैं।

भारत की नीति के निहितार्थ:

  • भारत की नीतियों ने भारत को लक्षित करने वाले आतंकवादी संगठनों सहित आतंकवादी संगठनों को आश्रय देते हुए तालिबान के शासन को जारी रखना अधिक सुविधाजनक बना दिया है।
  • अफगानों के सभी वीजा रद्द करने के भारत के फैसले ने भारत में शिक्षा प्राप्त करने की इच्छुक छात्राओं को सबसे अधिक आहत किया है।
  • तालिबान शासन के साथ सहायता और विकासशील व्यापार और राजनयिक संबंधों को भारतीय हितों के खिलाफ कार्य करने से रोकने के तरीकों के रूप में देखा जाता है
  • भारतीय अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि काबुल में एक राजनयिक उपस्थिति का मतलब शासन की मान्यता नहीं है।

भावी कदम:

  • अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को तालिबान द्वारा जारी दमनकारी फरमानों के साथ तालिबान 2.0 शासन के प्रति अपनी वर्तमान नीति की समीक्षा करनी चाहिए।
  • देश गैर-तालिबान अफगान नेताओं, विशेष रूप से अतीत में चुनी गई महिलाओं के लिए मौजूदा शासन के लिए एक वैकल्पिक दृष्टि को फिर से संगठित करने और आवाज देने के लिए अफगानिस्तान के बाहर भी मंच बना सकते हैं।
  • देश तालिबान के साथ जुड़ाव को भी कम कर सकते हैं, जो अपने सरकारी ढांचे को चलाने के लिए बाहरी सहायता पर निर्भर करता है।
  • भारत, एक क्षेत्रीय नेता के रूप में, अफगानिस्तान के लोगों के लिए अपने “हैंड्स-ऑफ” दृष्टिकोण की समीक्षा करनी चाहिए, जिन्होंने पिछले वर्ष कई अभावों का सामना किया है।

सारांश:

  • महिलाओं को उच्च शिक्षा से वंचित करने के तालिबान के फैसले की विदेशी सरकारों और संयुक्त राष्ट्र ने निंदा की है। वैश्विक समुदाय को यह स्वीकार करना चाहिए कि महिलाओं के अधिकार तालिबान के साथ मुद्दे के मूल में हैं, और तालिबान 2.0 शासन के प्रति अपनी वर्तमान नीति की समीक्षा करें।

कोविड-19 संक्रमणों में उछाल:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

विषय: स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे

मुख्य परीक्षा: सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर कोविड-19 का प्रभाव

संदर्भ:

  • चीन से बाहर रिपोर्ट किए गए कोरोनावायरस मामलों ने वैश्विक चिंता को बढ़ा दिया है।

विवरण:

  • चीन में कोविड-19 संक्रमण में मौजूदा उछाल ओमिक्रॉन के बीएफ.7 सब-वैरिएंट द्वारा संचालित है।
    • कुछ गणितीय मॉडलिंग अनुमान चीन में आने वाले दिनों में एक लाख COVID-19 मामलों की गणना करते हैं।
  • दुनिया भर में दिसंबर में 11 मिलियन से अधिक नए COVID-19 मामले सामने आए हैं।
  • बीएफ.7 उन वेरिएंट्स का बदला रूप है, जो उस समय संयुक्त राज्य अमेरिका और कई यूरोपीय देशों में प्रभावी थे।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को एक निर्देश जारी किया है कि वे भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) को सकारात्मक नमूने भेजने के लिए नए संबंधित स्ट्रेन की जांच करें।
  • 21 दिसंबर, 2022 को भारत में 3,408 सक्रिय मामले थे।
  • भारत का COVID-19 टीकाकरण कवरेज 219.33 करोड़ से अधिक हो गया है।

टीकों की प्रभावकारिता:

  • जैसा कि चीन में देखा गया है, लंबे लॉकडाउन वायरस को खत्म नहीं कर सकते हैं या नए स्ट्रेन के विकास को रोक नहीं सकते हैं।
  • गंभीर बीमारी के खिलाफ टीके एकमात्र उचित बचाव हैं।
  • 90% चीनी आबादी को एक खुराक और आधी आबादी को दूसरी खुराक प्राप्त करने के बावजूद, चीन में कोविड की संख्या बताती है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना अपरिहार्य है।
    • चीन काफी हद तक घरेलू टीकों जैसे कोरोनावैक और सिनोफार्म टीकों पर निर्भर है जो निष्क्रिय वायरस तकनीक पर निर्भर हैं।
    • जिन देशों ने टीकाकरण में प्रगति की है, उनमें मृत्यु दर भी अधिक थी। दिसंबर में जापान में 4,000 से अधिक COVID-19 मौतें दर्ज की गई हैं, जबकि 83% आबादी ने शुरुआती दो खुराक ले ली हैं।
  • प्रचलित कोरोनावायरस वेरिएंट की जांच करते समय, भारत यह भी जाँच करेगा कि क्या टीके प्रभावोत्पादक बने रहते हैं।

सारांश:

  • ओमिक्रॉन के बीएफ.7 सब-वेरिएंट द्वारा संचालित चीन में कोविड-19 संक्रमणों में मौजूदा उछाल एक चिंता का विषय है क्योंकि इसके कई और संक्रमणों के साथ भारत सहित विश्व स्तर पर प्रतिध्वनित होने की संभावना है। INSACOG द्वारा स्ट्रेन का नियमित अनुक्रमण आवश्यक है ताकि भारत की टीकाकरण रणनीति SARS-CoV-2 परिवर्तनों को समायोजित कर सके।

प्रीलिम्स तथ्य:

1.डोकरा मेटलक्राफ्ट (धातु शिल्प):

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

भारतीय कला और संस्कृति:

विषय: भारतीय संस्कृति में साहित्य और कला के मुख्य पहलु।

प्रारंभिक परीक्षा: डोकरा मेटलक्राफ्ट (धातु शिल्प) से सम्बंधित तथ्य।

संदर्भ:

  • हाल के वर्षों में कोलकाता का लालबाजार डोकरा धातु शिल्प के केंद्र के रूप में उभरा है।

डोकरा धातु शिल्प:

चित्र स्रोत: The Hindu

  • डोकरा धातु शिल्प लगभग 5,000 वर्षों के प्रलेखित इतिहास वाली एक प्राचीन परंपरा है।
  • डोकरा झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के ओझा धातु कारीगरों द्वारा प्रचलित एक प्राचीन धातु शिल्प है।
  • पश्चिम बंगाल में दो स्थान बांकुरा में बीकना (Bikna) और बर्धमान में दरियापुर (Dariyapur) डोकरा काम के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • डोकरा एक अलौह धातु की ढलाई है जिसे लॉस्ट-वैक्स कास्टिंग तकनीक का उपयोग करके बनाया जाता है।
  • डोकरा कला में प्रयुक्त धातुओं में तांबा और इसकी मिश्र धातु जैसे पीतल और कांस्य शामिल हैं।
  • डोकरा कला एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें प्रत्येक मूर्ति को बनाने में एक महीने से अधिक का समय लगता है क्योंकि इसमें कई प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं जिनमें धातु जैसे अन्य कच्चे माल के अलावा लगभग सात या आठ प्रकार की मिट्टी की आवश्यकता होती है।
  • डोकरा धातु शिल्प की अपनी आदिम सादगी, आकर्षक लोक रूपांकनों और रूपों के कारण घरेलू और विदेशी दोनों बाजारों में बहुत मांग हैं।
  • विशेष रूप से ढोकरा घोड़े, हाथी, मोर, उल्लू, धार्मिक चित्र, नापने के कटोरे, दीप संदूक ने भारी मांग को आकर्षित किया है।

2.केरल में पाम-लीफ पांडुलिपि संग्रहालय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

भारतीय कला और संस्कृति:

विषय: भारतीय संस्कृति में साहित्य और कला के मुख्य पहलु।

प्रारंभिक परीक्षा: ताड़ के पत्तों (पाम-लीफ) का पांडुलिपि संग्रहालय।

विवरण:

  • अभिलेखागार विभाग द्वारा ₹3 करोड़ की लागत से ताड़ के पत्तों का पांडुलिपि संग्रहालय स्थापित किया गया है।
  • संग्रहालय में आठ विषय-आधारित दीर्घाएँ हैं जहाँ देश के सबसे बड़े ताड़-पत्तों के संग्रह में से चुनिंदा पांडुलिपियों को प्रदर्शित किया जाएगा।
  • वर्तमान में लगभग 187 पुरानी और दुर्लभ पांडुलिपियां केंद्रीय अभिलेखागार और इसके क्षेत्रीय कार्यालयों में रखी गई हैं, जिन्हें राज्य सरकार की नोडल एजेंसी केरलम-म्यूजियम ऑफ हिस्ट्री एंड हेरिटेज द्वारा व्यवस्थित संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा।
  • प्राचीन लिपियों जैसे वत्तेझुथु, कोलेझुथु, मलायणमा, और प्राचीन तमिल और मलयालम में पांडुलिपियों से आगंतुकों को केरल के सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक इतिहास को समझने में मदद मिलेगी।
  • ये पांडुलिपियां विभिन्न पहलुओं जैसे कि कराधान, प्रशासन, व्यापार, शिक्षा, जेलों और पूर्ववर्ती त्रावणकोर, कोच्चि और मालाबार राज्यों/प्रांतों के त्योहारों के बारे में एक विचार प्रदान करती हैं।
  • इन ताड़ के पत्तों की पांडुलिपियों के अलावा,यहाँ प्राचीन स्क्रॉल, बांस की खपच्ची और तांबे की प्लेट भी प्रदर्शित की जाएंगी।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. पीएम2 हाथी एमटीआर में आवास के अनुकूल हो रहा है, सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन देखा गया:

  • पंडालुर मखना-2 (Pandalur Makhna-2-पीएम2) हाथी जिसे पकड़ा गया था और मुदुमलाई टाइगर रिजर्व (MTR) में स्थानांतरित कर दिया गया था, वह खुद को नए निवास स्थान के अनुकूल बनाता हुआ और व्यवहारिक परिवर्तन दिखा रहा है।
  • इस क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में कई घरों को क्षतिग्रस्त करने के बाद इस हाथी को गुडलूर डिवीजन में पकड़ लिया गया था।
  • अपने स्थानांतरण के बाद, पीएम2 हाथी इस क्षेत्र के अन्य हाथियों के साथ भी मेलजोल बढ़ा रहा है।
  • वहां के अधिकारियों के मुताबिक हाथी जो पहले मनुष्यों के प्रति कोई भय नहीं दिखाता था, वह लोगों और वन कर्मचारियों से बेहद सावधान हो गया है क्योंकि अब उसका पहला झुकाव लोगों को देखते ही दूर हो जाना और जंगल में भाग जाना है।
  • हाथी के इन व्यवहारिक परिवर्तनों और अनुकूलन को अच्छे संकेत बताया जा रहा है जिससे संकेत मिलता है कि मनुष्यों के साथ नकारात्मक बातचीत अतीत की बात हो सकती है।

2.DGTR ने इंडोनेशियाई विस्कोस फाइबर पर एंटी-डंपिंग लेवी का प्रस्ताव दिया:

  • व्यापार उपचार महानिदेशालय (Directorate General of Trade Remedies (DGTR)) जो एक शीर्ष राष्ट्रीय एजेंसी है जो सभी व्यापार उपचारात्मक उपायों को प्रशासित करने के लिए जिम्मेदार है, ने इंडोनेशिया से आयातित विस्कोस स्टेपल फाइबर पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश की है।
  • विस्कोस स्टेपल फाइबर एक प्राकृतिक बायोडिग्रेडेबल फाइबर है जो लकड़ी के गूदे या कपास के गूदे से प्राप्त होता है, जिसमें कपास के समान विशेषताएं होती हैं और इसका उपयोग परिधान, घरेलू वस्त्र, ड्रेस सामग्री, निटवेअर आदि बनाने के लिए किया जाता है।
  • डंपिंग रोधी शुल्क एक संरक्षणवादी टैरिफ है जो घरेलू सरकार डंपिंग के विकृत प्रभावों को कम करने के लिए विदेशी आयात पर लगाती है।
  • डंपिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक कंपनी किसी उत्पाद को उस कीमत पर निर्यात करती है जो उस कीमत से काफी कम होती है जो वह घरेलू बाजार में सामान्य रूप से वसूलती है।
  • केंद्र सरकार ने DGTR की सिफारिशों के आधार पर अगस्त 2021 में विस्कोस स्टेपल फाइबर के आयात पर डंपिंग रोधी शुल्क वापस ले लिया था और आंकड़े बताते हैं कि अगस्त 2021 में शुल्क समाप्त होने के बाद इंडोनेशिया से आयात काफी बढ़ रहा था।
  • DGTR ने डंपिंग के जारी रहने की संभावना की जांच की, जो घरेलू उद्योग को प्रभावित करता है और इसलिए इंडोनेशिया से विस्कोस स्टेपल फाइबर के आयात पर एंटी-डंपिंग शुल्क जारी रखने की सिफारिश की है।
  • इंडोनेशिया से विस्कोस स्टेपल फाइबर के अलावा, भारत ने चीन से आयात होने वाले स्टेनलेस स्टील ट्यूब पर एंटी-डंपिंग शुल्क भी लगाया है।
  • एंटी-डंपिंग ड्यूटी से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Anti-dumping duty

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. समाचारों में रहा ‘गार्जियन रिंग’ कार्यक्रम निम्न में से किससे सम्बंधित है: (स्तर-कठिन)

(a) शनि एवं इसके छल्ले और चंद्रमा की जटिल प्रणाली का विस्तार से अध्ययन करने हेतु नासा का एक कार्यक्रम।

(b) बृहस्पति के लघु आंतरिक चंद्रमाओं का अध्ययन करने के लिए जाक्सा का एक कार्यक्रम।

(c) योग की एकीकृत शक्ति को प्रदर्शित करने के लिए विदेशों में भारतीय मिशनों के साथ-साथ कुछ देशों और संयुक्त राष्ट्र संगठनों के बीच सहयोगात्मक अभ्यास।

(d) युवा मामले और खेल मंत्रालय का एक कार्यक्रम जिसमे सभी पीढ़ियों की भागीदारी से भारतीय खेल प्रणाली को बढ़ावा दिया जायेगा।

उत्तर: c

व्याख्या:

  • गार्जियन रिंग कार्यक्रम की परिकल्पना अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, 2022 के एक भाग के रूप में की गई है।
  • गार्जियन रिंग प्रोग्राम 79 देशों और संयुक्त राष्ट्र संगठनों के साथ-साथ विदेशों में भारतीय मिशनों के बीच योग की एकीकृत शक्ति को प्रदर्शित करने के लिए एक सहयोगी राष्ट्रीय सीमापारीय अभ्यास है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-मध्यम)

1. भारत में सभी परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का संचालन न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) द्वारा किया जाता है।

2. भारत में सभी परमाणु रिएक्टर IAEA के सुरक्षा उपायों के तहत रखे गए हैं।

3. भारत के सभी परमाणु रिएक्टरों द्वारा आयातित ईंधन का उपयोग किया जाता हैं।

दिए गए कथनों में से कितने गलत हैं/हैं?

(a) केवल एक कथन

(b) केवल दो कथन

(c) केवल तीनों कथन

(d) इनमे से कोई भी नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: एनपीसीआईएल (Nuclear Power Corporation of India Limited (NPCIL)) अक्टूबर 2003 में भाविनी विद्युत निगम की स्थापना तक भारत के वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण और संचालन के लिए जिम्मेदार एकमात्र निकाय था।
  • कथन 2 गलत है: भारत में सभी परमाणु रिएक्टर IAEA सुरक्षा उपायों के तहत संचालित नहीं होते हैं।
  • कथन 3 गलत है: भारत में 22 परमाणु ऊर्जा रिएक्टर हैं, और घरेलू यूरेनियम का उपयोग उन परमाणु संयंत्रों में किया जाता है जो IAEA सुरक्षा मानकों के तहत नहीं आते हैं।

प्रश्न 3. पश्चिम बंगाल में बीकना (Bikna) और दरियापुर (Dariyapur) निम्नलिखित में से किस धातु शिल्प के लिए प्रसिद्ध हैं:

(a) कोफ्तगरी

(b) डोकरा

(c) पेम्फरती

(d) कामरूपी शिल्प

उत्तर: b

व्याख्या:

  • डोकरा झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के ओझा धातु कारीगरों द्वारा प्रचलित एक प्राचीन धातु शिल्प है।
  • पश्चिम बंगाल में दो स्थान बांकुरा में बीकना और बर्धमान में दरियापुर डोकरा काम के लिए प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 4. iDEX पहल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)

1. यह भारत के रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल है।

2. इसका उद्देश्य MSMEs, स्टार्ट-अप्स, व्यक्तिगत इनोवेटर्स और शिक्षाविदों को शामिल करके रक्षा और एयरोस्पेस में नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देना है।

3. यह रक्षा नवाचार संगठन (DIO) द्वारा वित्त पोषित और प्रबंधित किया जाता है।

दिए गए कथनों में से कितने सही है/हैं?

(a) केवल एक कथन

(b) केवल दो कथन

(c) सभी तीनों कथन

(d) इनमे से कोई भी नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: iDEX का मतलब रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार है। यह देश के रक्षा उद्योग को आधुनिक बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई एक पहल है।
  • इस पहल का मुख्य उद्देश्य रक्षा और रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है।
  • कथन 2 सही है: iDEX का उद्देश्य MSMEs, स्टार्ट-अप्स, व्यक्तिगत इनोवेटर्स, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों और शिक्षाविदों सहित उद्योगों को शामिल करके रक्षा और एयरोस्पेस में नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।
  • कथन 3 सही है: iDEX को रक्षा नवाचार संगठन (DIO) द्वारा वित्त पोषित और प्रबंधित किया जाता है।

प्रश्न 5. ‘ग्रीन हाउस गैस प्रोटोकॉल (Greenshouse Gas Protocol)’ क्या है ? (PYQ-2016) (स्तर – मध्यम)

(a) यह सरकार एवं व्यवसाय के नेतृत्व देने वाले व्यक्तियों के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को समझने, परिमाण निर्धारित करने एवं प्रबंधन हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय लेखाकरण साधन है।

(b) यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और पारितंत्र अनुकूली प्रौद्योगिकियो कों अपनाने हेतु विकासशील देशों को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने की संयुक्त राष्ट्र की एक पहल है।

(c) यह वर्ष 2022 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को एक विनिर्दिष्ट स्तर तक कम करने हेतु संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा अनुसमर्थित एक अंतःसरकारी समझौता है।

(d) यह विश्व बैंक द्वारा पोषित बहुपक्षीय त्म्क्क़् पहलों में से एक है।

उत्तर: a

व्याख्या:

  • ग्रीनहाउस गैस प्रोटोकॉल निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के संचालन, मूल्य श्रृंखला और शमन कार्यों से ग्रीनहाउस गैस (greenhouse gas (GHG)) उत्सर्जन को मापने और प्रबंधित करने के लिए व्यापक वैश्विक मानकीकृत ढांचे की स्थापना करता है।
  • ग्रीनहाउस गैस प्रोटोकॉल दुनिया के सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले ग्रीनहाउस गैस लेखांकन मानकों की आपूर्ति करता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. कैंसर दवाओं की लागत कम करने के लिए सरकार द्वारा कौन सी नीतियां या हस्तक्षेप नियोजित किए जा सकते हैं? (10 अंक, 150 शब्द) (जीएस2, स्वास्थ्य)

प्रश्न 2. विशाखापत्तनम-श्रेणी के विध्वंसक की विशेषताएं क्या हैं? भारतीय नौसेना के बेड़े में नवीनतम परिवर्धन देश के आत्मनिर्भर प्रयासों के लिए किस प्रकार सहायक है? (10 अंक, 150 शब्द) (जीएस3, सुरक्षा)