A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: भारतीय राजव्यवस्था:
अर्थव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
ईरान और भारत ने चाबहार बंदरगाह मुद्दे में विदेशी मध्यस्थता खंड को हटा दिया:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
प्रारंभिक परीक्षा: UNCITRAL, चाबहार बंदरगाह परियोजना, चाबहार-जाहेदान रेलवे लाइन, ग्वादर बंदरगाह
मुख्य परीक्षा: भारत-ईरान संबंध, भारत की पश्चिम एशिया नीति
प्रसंग
- भारत और ईरान चाबहार बंदरगाह के संबंध में विदेशी अदालतों में मध्यस्थता के प्रावधान को हटाने पर सहमत हुए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता ईरान के लिए बाधा क्यों है?
- ईरान के संविधान में मध्यस्थता को किसी विदेशी अदालत में भेजे जाने का प्रावधान नहीं है। इसमें किसी भी बदलाव के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी और चाबहार के विवाद समाधान तंत्र में आवश्यक स्पष्टता में देरी होगी।
- वर्तमान में, भारत और ईरान ने चाबहार बंदरगाह पर टर्मिनल के विकास और संचालन के लिए एक साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किया है।
- भारत निवेश और विकास योजनाओं में अधिक निश्चितता के लिए ईरान पर दीर्घकालिक समझौते (आमतौर पर 10 साल की अवधि के लिए) पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव डाल रहा है।
- दोनों पक्ष बंदरगाह के उपयोगकर्ताओं और ऑपरेटरों के बीच विवादों को सुलझाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून पर संयुक्त राष्ट्र आयोग (UNCITRAL) द्वारा बनाए गए नियमों के तहत मध्यस्थता करने पर सहमत हुए हैं।
चाबहार बंदरगाह परियोजना क्यों महत्वपूर्ण है?
- चाबहार बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पाकिस्तान की आवश्यकता को समाप्त करते हुए मध्य एशिया के साथ व्यापार करने का अवसर देता है।
- यह ईरान के दक्षिण पूर्वी सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांतों में स्थित है और पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह से लगभग 170 किमी दूर स्थित है, जिसे चीन विकसित कर रहा है।
- इसमें हिंद महासागर में महत्वपूर्ण वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक के रूप में विकसित होने की क्षमता है और यह क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) और एक प्रमुख पारगमन केंद्र के रूप में कार्य करता है।
चाबहार बंदरगाह परियोजना में भारत के निवेश में गति
- भारत 2003 से ही चाबहार बंदरगाह को विकसित करने में इच्छुक रहा है।
- 2016 में, भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने चाबहार बंदरगाह को व्यापार और परिवहन गलियारे के रूप में विकसित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- भारत ने चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए 85 मिलियन डॉलर और 150 मिलियन डॉलर की ऋण सुविधा देने की प्रतिबद्धता जताई है।
- इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) चाबहार बंदरगाह पर शाहिद बेहिश्ती टर्मिनल का संचालन करती है। IPGL ने 2018 में परिचालन शुरू करने के बाद से 6.56 मिलियन टन से अधिक कार्गो को संभाला है।
- भारत 700 किलोमीटर लंबी चाबहार-जाहेदान रेलवे लाइन के निर्माण में भी शामिल है। इससे बंदरगाह पर कार्गो क्षमता में और वृद्धि होगी।
- वित्तीय वर्ष 2022 के लिए, भारत ने चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए ₹100 करोड़ आवंटित किए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून पर संयुक्त राष्ट्र आयोग (UNCITRAL)
- UNCITRAL संयुक्त राष्ट्र महासभा की एक सहायक संस्था है। इसकी स्थापना 1966 में हुई थी।
- UNCITRAL के पास अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कानूनों के सामंजस्य के लिए कई सम्मेलन, मॉडल कानून और अन्य साधन हैं।
- आयोग के सदस्यों को छह साल की अवधि के लिए चुना जाता है और आधे सदस्यों का कार्यकाल हर तीन साल में समाप्त होता है।
- WTO और UNCITRAL के बीच अंतर
- यद्यपि WTO व्यापार नीति के मुद्दों से निपटता है, लेकिन UNCITRAL अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में निजी पार्टियों पर लागू कानूनों से निपटता है।
- उदाहरण के लिए, WTO व्यापार उदारीकरण, व्यापार बाधाओं को समाप्त करने और अनुचित व्यापार प्रथाओं जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है। UNCITRAL एंटी-डंपिंग, काउंटरवेलिंग शुल्क या आयात कोटा जैसे “राज्य-से-राज्य” मुद्दों में शामिल नहीं होता है।
- WTO आमतौर पर सार्वजनिक कानून से संबंधित है जबकि UNCITRAL ज्यादातर निजी कानून से जुड़ा है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
भारत के राजकोषीय संघवाद की गतिशीलता पर पुनर्विचार की आवश्यकता
भारतीय राजव्यवस्था
विषय:संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ।
प्रारंभिक परीक्षा- प्रति व्यक्ति आय, मानव विकास सूचकांक, 73वां और 74वां संवैधानिक संशोधन
मुख्य परीक्षा- राजकोषीय संघवाद, सोलहवां वित्त आयोग, पंचायती राज संस्थानों का सुधार
भूमिका:
- भारत का राजकोषीय संघवाद विभिन्न कारकों के कारण विकसित हुआ है, जैसे नियोजित अर्थव्यवस्था से बाजार-मध्यस्थ अर्थव्यवस्था में बदलाव, 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधन, राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम का पारित होना, वस्तु और सेवा कर (GST) अधिनियम, तथा उपकर और अधिभार का उपयोग।
- जैसा कि चांसल और पिकेटी प्रदत्त विवरणों में देखा गया है, भारत में शीर्ष 1% अर्जित करने वाले लोग के पास आय का 22% हिस्सा है। निगमों और व्यक्तियों के लिए कर छूट और रियायतों जैसे विभिन्न प्रोत्साहनों की पेशकश ने अमीरों का असमान रूप से पक्ष लिया है और सरकार के विभाज्य पूल को कम कर दिया है।
- राजकोषीय प्रशासन में सुधार के लिए समाधान किए जाने वाले प्रमुख मुद्दे इस प्रकार हैं:
- अंतर सरकारी हस्तांतरण में समता:
- 16 प्रमुख भारतीय राज्यों (1970-71 से 2020-21 तक) की प्रति व्यक्ति आय (PCI) समय के साथ भिन्न-भिन्न हो रही है, जिसका अर्थ है कि अमीर और गरीब राज्यों के बीच अंतर व्यापक होता जा रहा है।
- दूसरी ओर, मानव विकास सूचकांक (HDI) डेटा ने संकेत दिया कि अमीर और गरीब राज्यों (1991 से 2018 तक) के बीच अंतर कम हो रहा है। हालाँकि, 2005 के बाद से, अभिसरण की दर धीमी हो रही है।
- इसका गरीब राज्यों की शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल की जरूरतों को पूरा करने और सभ्य जीवन स्तर सुनिश्चित करने की क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
- 16वें वित्त आयोग के लिए, HDI को कर हस्तांतरण के क्षैतिज वितरण के मानदंडों में से एक माना जा सकता है।
- केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन:
- बदलती राजनीति, समाज, प्रौद्योगिकी, जनसांख्यिकीय संरचना और विभिन्न राज्यों में विकास के प्रतिमानों के कारण, वन साइज़ फिट्स आल दृष्टिकोण कठिन और धारणीय नहीं होगा।
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005, बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 जैसे कानून भी राज्य के वित्त पर अतिरिक्त बोझ डालते हैं।
- सत्ता के विभाजन की एक नई योजना जो राज्यों को विकेंद्रीकरण और स्वायत्तता प्रदान करती है, स्थानीय जरूरतों के बेहतर समाधान में मदद करेगी।
- अनुच्छेद 246 और सातवीं अनुसूची जो केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों, कार्यों और जिम्मेदारियों के विभाजन से संबंधित है, पर तदनुसार फिर से विचार किया जाना चाहिए।
- स्थानीय सरकारों की भूमिका:
- भारत में सरकार (शासन) के तीसरे स्तर को देश के राजकोषीय संघीय मानचित्र में उचित स्थान नहीं दिया गया है।
- 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधनों ने अनुसूची XI और अनुसूची XII को शामिल किए जाने के साथ भ्रम को और बढ़ा दिया है।
- ये अनुसूचियाँ राज्य सूची में पहले से उल्लेखित विषय-वस्तुओं से संबंधित हैं।
- इन विषय-वस्तुओं पर विभिन्न उप गतिविधियों के लिए पंचायतों की जिम्मेदारियों के कार्यात्मक मानचित्रण और चित्रण के बिना, सार्वजनिक वस्तुओं की सेवा वितरण की गुणवत्ता प्रभावित होती है। सहायकता के सिद्धांत यानी सरकार के समुचित स्तर पर सेवाओं की सही आपूर्ति का भी अभाव है।
- समान वित्तीय रिपोर्टिंग प्रणाली (समान बजट नियम, संचय आधारित लेखांकन आदि) नहीं है।
- एक नई स्थानीय सूची जो पंचायत राज संस्थानों और नगर पालिकाओं की कार्यात्मक और वित्तीय जिम्मेदारियों को रेखांकित करेगी, वर्तमान समय की मांग है।
- 16वें वित्त आयोग के दिशानिर्देशों में एक मानदंड के रूप में स्थानीय निकायों में मानक गुणवत्ता की सेवाओं का प्रावधान शामिल होना चाहिए।
- ऑफ-बजट उधार:
- ऑफ-बजट उधार वे उधार हैं जिनका हिसाब बजट में नहीं दिया जाता है, लेकिन जिनकी पुनर्भुगतान देनदारियां अंततः बजट पर आती हैं। ये आम तौर पर सार्वजनिक जांच का हिस्सा नहीं होते हैं।
- उदाहरण के लिए, यदि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों पर कोई ऋण दायित्व है, तो यह अंततः सरकार पर पड़ेगा लेकिन बजट में इसका पारदर्शी रूप से हिसाब नहीं दिया गया होता है।
- राष्ट्रीय लघु बचत कोष (NSSF) से केंद्र सरकार के मंत्रालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को दिए गए ऋण को संघ के राजकोषीय घाटे में नहीं गिना जाता है।
- पारदर्शिता और सार्वजनिक जवाबदेही की मांग है कि संघ, राज्य और स्थानीय सरकारें सभी अतिरिक्त-बजटीय लेनदेन को सार्वजनिक क्षेत्र में लाएँ।
निष्कर्ष:
- 16वां वित्त आयोग भारत में राजकोषीय संघवाद की गतिशीलता पर पुनर्विचार करने और संविधान के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने का अवसर प्रदान करता है।
सारांश: भारत का राजकोषीय संघवाद हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण रूप से विकसित हुआ है, लेकिन अभी भी प्रमुख मुद्दों जैसे अंतर-सरकारी हस्तांतरण में समानता, संघ और राज्यों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, स्थानीय सरकारों की भूमिका और ऑफ-बजट उधार पर ध्यान दिया जाना शेष है। |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
भारत में समावेशी हरित भविष्य के लिए क्लीनटेक:
भारतीय अर्थव्यवस्था:
विषय: किसानों की सहायता में स्वच्छ प्रौद्योगिकी।
प्रारंभिक परीक्षा: प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री फॉरमालिजेसन ऑफ़ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (PMFME) योजना, कृषि अवसंरचना निधि
मुख्य परीक्षा: कृषि में क्लीनटेक, भारत का जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, ग्रामीण रोजगार सृजन, किसानों की आय दोगुनी करना
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में जलवायु परिवर्तन से निपटने के भारत के प्रयासों की चर्चा की है।
- इससे पता चला है कि जलवायु कार्रवाई सतत हो सकती है अगर यह विकास की आकांक्षाओं के अनुरूप हो और आर्थिक विकास में योगदान दे। उदाहरण के लिए, सौर पार्क और ईवी चार्जिंग स्टेशन जैसे अवसंरचना विकास में सहायता करने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी मदद कर सकते हैं।
- चुनौती इस हरित अर्थव्यवस्था प्रतिमान को व्यापक विकास लक्ष्यों में एकीकृत करने में है, जैसे युवाओं के लिए नौकरी के अवसर, महिलाओं के लिए आय के अवसर और किसानों की आय में विविधता लाना।
ग्रामीण क्षेत्रों में हरित तकनीक को अपनाने पर केस स्टडी
- सफल क्लीनटेक समाधानों के उदाहरणों में आंध्र प्रदेश में टमाटर संरक्षण के लिए सोलर ड्रायर, महाराष्ट्र में किसानों के लिए बायोमास-संचालित कोल्ड स्टोरेज (मूल कीमत से तीन से पांच गुना अधिक लाभ कमाने में मदद मिली है) और ओडिशा में सौर रेशम रीलिंग मशीनें शामिल हैं।
- भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गैर भरोसेमंद विद्युत पहुंच और महंगे डीजल पर निर्भरता सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसके समाधान में नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा संचालित स्वच्छ प्रौद्योगिकी से सहायता मिल सकती है।
- CEEW के शोध के अनुसार, सोलर पंप, कोल्ड स्टोरेज जैसे 12 विशिष्ट क्लीनटेक समाधानों में 37 मिलियन आजीविका या 16% ग्रामीण आबादी को प्रभावित करने की क्षमता है।
- इन सफलताओं के बावजूद, ग्रामीण भारत में स्वच्छ प्रौद्योगिकी की क्षमता को पूरी तरह से साकार करने के लिए अभी भी “संरचनात्मक प्रोत्साहन” की आवश्यकता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में क्लीनटेक समाधानों को अपनाने के लिए त्रिस्तरीय दृष्टिकोण:
- मौजूदा सरकारी कार्यक्रमों का लाभ उठाना जो आजीविका का समर्थन करते हैं, जैसे कि संपार्श्विक मुक्त ऋण प्रदान करने और क्लीनटेक समाधानों को अपनाने के लिए समर्थन प्रदान करने हेतु प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और प्रधानमंत्री फॉरमालिजेसन ऑफ़ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (PMFME) योजना। कृषि अवसंरचना कोष, जिसका फंड उपयोग केवल 15% है, से बायोमास संचालित कोल्ड स्टोरेज के विस्तार में भी सहायता मिल सकती है।
- साख का आकलन करने के लिए बैंकरों की क्षमता का निर्माण करके, जोखिमों को कम करने के लिए आंशिक गारंटी प्रदान करके, और स्वयं सहायता समूहों, किसानों आदि की आवश्यकताओं के अनुरूप ऋण उत्पादों की संरचना करके क्लीनटेक समाधानों के बड़े पैमाने पर वित्तपोषण को सक्षम करना। उदाहरण के लिए, उपरोक्त सिद्धांतों को अपनाकर ‘पॉवरिंग लाइवलीहुड्स’ पहल ने मदद की है जिसके तहत महिलाओं, स्वयं सहायता समूहों और किसानों को क्लीनटेक समाधान के लिए 300 से अधिक की संख्या में ऋण दिए गए हैं।
- एक समग्र पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों, निर्माताओं, वितरकों, सेवा प्रदाताओं, फाइनेंसरों और बाजार-लिंकेज भागीदारों के बीच साझेदारी बनाना जो ग्रामीण उद्यमियों के लिए प्रौद्योगिकी, बिक्री के बाद सेवा और बाजार कनेक्टिविटी तक पहुंच को सक्षम बनाता है।
निष्कर्ष:
- विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका और नौकरियों के लिए क्लीनटेक पर ध्यान केंद्रित करके, भारत अपने हरित भविष्य को समावेशी बना सकता है और अपने विकास लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है।
सारांश: भारत जलवायु परिवर्तन से निपटने और रोजगार सृजित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ प्रौद्योगिकी समाधान को अपना रहा है। इन क्लीनटेक समाधानों को अपनाने के लिए त्रिस्तरीय दृष्टिकोण भारत के विकास पथ को हरित और समावेशी बना देगा। |
प्रीलिम्स तथ्य:
- चंद्रयान 3 चंद्रमा के समीपवर्ती भाग पर क्यों उतरा?
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण और नई प्रौद्योगिकी का विकास
प्रारंभिक परीक्षा- चंद्रयान-3, विक्रम लैंडर, चंद्रमा का सुदूर भाग, चांग’ई मिशन
- चंद्रयान-3 मिशन में लैंडर विक्रम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से लगभग 600 किमी दूर चंद्रमा के समीपवर्ती भाग पर उतारा गया।
- चंद्रमा का समीपवर्ती भाग वह भाग है जो हमेशा पृथ्वी से दिखाई देता है। ऐसा ज्वारीय लॉकिंग के कारण होता है यानी पृथ्वी की ज्वारीय शक्तियों ने चंद्रमा के घूर्णन को इस तरह से धीमा कर दिया है कि चंद्रमा का वही भाग पृथ्वी से दिखाई देता है।
- नतीजतन, चंद्रमा का “दूसरा पक्ष”, (दूर वाला भाग) पृथ्वी से कभी भी पूरी तरह से दिखाई नहीं देता है। यूएसएसआर के लूना 3 जैसे अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा के इस भाग की स्थलाकृति को प्रकाश में लाया है।
- समीपवर्ती भाग अपेक्षाकृत चिकना है और इसमें दूर के भाग की तुलना में अधिक मारिया (ज्वालामुखीय मैदान) हैं। दूर की ओर विशाल क्रेटर हैं जो संभवतः क्षुद्रग्रहों के कारण बने हैं।
- समीपवर्ती भाग की ओर पतली परत के कारण, ज्वालामुखी लावा अधिक आसानी से सतह तक पहुंचने और गड्ढों को भरने में सक्षम हो गया है। यह चंद्रमा के समीपवर्ती भाग को अंतरिक्ष अभियानों के लिए अनुकूल बनाता है।
- चीन का चांग’ई 4 लैंडर चंद्रमा के सुदूर हिस्से पर सफलतापूर्वक उतरने वाला एकमात्र अंतरिक्ष यान है। यह वॉन कर्मन क्रेटर में उतरा।
- विक्रम लैंडर को चंद्रमा के स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों पर अधिक प्रकाश डालने के लिए दक्षिणी ध्रुव के जितना संभव हो, उतना करीब भेजा गया था और इसलिए जमे हुए पानी-बर्फ को खोजने की संभावना बढ़ गई थी।
- लेकिन, विक्रम लैंडर स्वयं सूर्य के प्रकाश तक पहुंच सुनिश्चित करने और अपनी सौर बैटरी को चार्ज करने के लिए स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्र में नहीं है। इसलिए यह चंद्रमा के समीपवर्ती भाग की ओर उतरा।
- इसके अतिरिक्त, चंद्रमा के सुदूर हिस्से पर उतरने का मतलब पृथ्वी से कोई सीधा संपर्क नहीं होगा, जिससे लैंडर और रोवर को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाएगा।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. ला दारचा मेला
- यह स्पीति (हिमाचल प्रदेश) में आयोजित होने वाला एक मेला है जहाँ कुल्लू, लाहौल और किन्नौर के व्यापारी व्यापार करने के लिए आते हैं।
- बर्तन, प्लास्टिक उत्पाद, धातु के काम, जैविक उत्पाद, अनाज और विभिन्न पशु उत्पादों के अलावा, ला दारचा मेले में चाम और बुकान नृत्य, तिब्बती संस्कृति के प्रभाव के कारण विशेष बौद्ध उपदेश भी देखने को मिलते हैं।
2. इंडिया स्मार्ट सिटीज़ अवार्ड प्रतियोगिता:
- इंडिया स्मार्ट सिटीज़ अवार्ड प्रतियोगिता के भाग के रूप में, इंदौर को भारत में सर्वश्रेष्ठ स्मार्ट सिटी घोषित किया गया है।
- स्मार्ट सिटी मिशन में उत्कृष्टता के लिए मध्य प्रदेश को शीर्ष राज्य के रूप में मान्यता दी गई है।
- इंडिया स्मार्ट सिटीज़ अवार्ड प्रतियोगिता (ISAC) का उद्देश्य उन शहरों, परियोजनाओं और नवीन विचारों को पहचानना और पुरस्कृत करना है जो 100 स्मार्ट शहरों में सतत विकास को बढ़ावा दे रहे हैं।
- ISAC का आयोजन आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा स्मार्ट सिटी मिशन के तहत किया जाता है। इसके अब तक चार संस्करण आ चुके हैं।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
1. ला दारचा मेले (La Darcha fair) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह मेला हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिलों में आयोजित किया जाता है।
- यह मेला हर साल अगस्त के तीसरे सप्ताह में लगता है और एक पखवाड़े तक चलता है।
- इस मेले में व्यापार के साथ-साथ घुड़दौड़, तीरंदाजी प्रतियोगिताएं तथा पारंपरिक गीत और नृत्य भी शामिल होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने गलत है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: d
व्याख्या: सभी तीनों कथन सही हैं।
2. इंडिया स्मार्ट सिटीज़ अवार्ड प्रतियोगिता (ISAC) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- ISAC 2022 पुरस्कार में एकल-चरण प्रस्तुत करने की प्रक्रिया थी जिसमें ‘क्वालीफाइंग चरण’ शामिल था।
- इसका आयोजन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के तहत किया जाता है।
- ISAC 2022 में इंदौर को सर्वश्रेष्ठ स्मार्ट सिटी का पुरस्कार दिया गया।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या: इसमें आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत आयोजित दो-चरणीय सबमिशन प्रक्रिया थी। ISAC 2022 में इंदौर को सर्वश्रेष्ठ स्मार्ट सिटी का पुरस्कार दिया गया।
3. डोकलाम के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा गलत है?
- डोकलाम चीन और भूटान के बीच विवादित क्षेत्र है।
- डोकलाम चीन और भारत के बीच विवादित क्षेत्र है।
- डोकलाम रणनीतिक रूप से चीन की चुम्बी घाटी, भारत के सिक्किम राज्य और भूटान के बीच स्थित है।
- “डोकलाम” शब्द तिब्बती भाषा में खानाबदोशों के पथ को दर्शाता है, जो इस क्षेत्र में ऐतिहासिक व्यापार और यात्रा मार्गों पर प्रकाश डालता है।
उत्तर: b
व्याख्या: कथन 2 गलत है। यह एक विवादित क्षेत्र है जिस पर चीन और भूटान दोनों दावा करते हैं।
4. चाबहार बंदरगाह के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- चाबहार बंदरगाह ओमान की खाड़ी में स्थित है।
- यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक बंदरगाह है क्योंकि यह पाकिस्तान की आवश्यकता को समाप्त करते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच प्रदान करता है।
- यह बंदरगाह अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे जो सड़क, रेल और समुद्री मार्गों का एक संयोजन है, का प्रवेश द्वार है।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: c
व्याख्या: तीनों कथन सही हैं। यह ईरान के सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है तथा अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ भारत की व्यापार कनेक्टिविटी के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
5. संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- UNCLOS महासागरों के उपयोग से संबंधित देशों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को परिभाषित करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) UNCLOS के संचालन में शामिल एकमात्र संगठन है।
- देशों को तटरेखा के साथ लगे 200 मील क्षेत्र के भीतर समुद्री संसाधनों का अन्वेषण और उनका दोहन करने का विशेषाधिकार दिया गया है।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: b
व्याख्या: कथन 2 गलत है. इसके कार्यान्वयन में अंतर्राष्ट्रीय सीबेड प्राधिकरण और अंतर्राष्ट्रीय व्हेलिंग आयोग जैसे अन्य संगठनों की भी भूमिका है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
- ब्रिक्स का विस्तार इस समूह की वैश्विक प्रासंगिकता को मजबूती से स्थापित करता है, लेकिन आंतरिक विरोधाभास इसके एजेंडे को पटरी से उतार सकते हैं। (250 शब्द, 15 अंक) [GS- II; अंतर्राष्ट्रीय संबंध]
- चीन-भूटान सीमा विवाद की प्रकृति और इसके आसपास के हालिया घटनाक्रमों का विस्तार से परीक्षण कीजिए। ये भारतीय हितों को कैसे प्रभावित करते हैं? (250 शब्द, 15 अंक) [GS-II; अंतर्राष्ट्रीय संबंध ]
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेबसाइट पर अपलोड कर सकते हैं।)
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