26 जून 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: अर्थव्यवस्था :
D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: राजव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था
स्टरलाइट संयंत्र की बिक्री से तमिलनाडु में निवेशकों का भरोसा प्रभावित हो सकता है
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत के तांबा बाजार में रुझान
मुख्य परीक्षा: तूतूकुड़ी (Thoothukudi) में स्टरलाइट कॉपर प्लांट को पुनः खोलने के पक्ष और विपक्ष में तर्क
प्रसंग
- वेदांता समूह ने घोषणा की कि तूतूकुड़ी (Thoothukudi) में उसका स्टरलाइट कॉपर प्लांट बिक्री के लिए तैयार है।
विवरण
- तमिलनाडु सरकार ने 2018 में प्रदूषण के आरोप में स्टरलाइट कॉपर प्लांट को बंद कर दिया था, जो वेदांत लिमिटेड के स्वामित्व वाले स्टरलाइट की एक सहायक कंपनी है।
- स्टरलाइट कॉपर भारत की तांबे की लगभग 40% मांग को पूरा करता था और सरकारी राजस्व में लगभग ₹2,500 करोड़ का योगदान करता था।
- तूतूकुड़ी संयंत्र की एकीकृत कॉपर स्मेल्टर और रिफाइनरी में 4,00,000 एमटीपीए की अतिरिक्त क्षमता के साथ 4,00,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की स्थापित क्षमता है।
- इसके अलावा, स्टरलाइट फॉस्फोरिक एसिड का एकमात्र घरेलू आपूर्तिकर्ता था जो उर्वरकों के लिए एक प्रमुख कच्चा माल है।
- यह संयंत्र तमिलनाडु में सल्फ्यूरिक एसिड का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता भी था, जिसका उपयोग डिटर्जेंट और रासायनिक उद्योगों में होता है।
भारतीय तांबा बाजार
- 2018 में संयंत्र के बंद होने के बाद, भारत वित्तीय वर्ष 19 से तांबे का शुद्ध आयातक बन गया है।
- आयात में वृद्धि की संभावना है क्योंकि घरेलू मांग 10 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 20 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है।
- विद्युत क्षेत्र द्वारा 33% से अधिक तांबे का उपयोग किया जाता है।
- आंकड़ों से पता चलता है कि भारत लगभग 9,600 डॉलर प्रति टन के रिकॉर्ड कीमतों पर तांबे का आयात कर रहा है, जो औसत कीमतों से 50% अधिक है जब भारत शुद्ध निर्यातक (लगभग 6,500 डॉलर प्रति टन) था।
- विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव भी भारतीय तांबा बाजार की चिंताओं को बढ़ाता है।
चित्र स्त्रोत: The Hindu
प्लांट को खोलने के पक्ष में तर्क
- तांबे (एक प्रमुख कच्चा माल) पर निर्भर विभिन्न उद्योगों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) ने संयंत्र की बिक्री को लेकर चिंता जताई है क्योंकि यह राज्य में व्यवसायों को और प्रभावित करेगा।
- संयंत्र के बंद होने के बाद कच्चे माल की कीमतों में काफी वृद्धि हुई है जिसका असर क्षेत्र के उद्योगों पर पड़ा है।
- कच्चे माल के आयात के लिए प्रतीक्षा समय भी बढ़ गया है जो उद्योगों को अपनी कार्यशील पूंजी (तांबे की एक उच्च भंडार रखने के लिए) में अधिक निवेश करने के लिए मजबूर कर रहा है जिससे इन कंपनियों की लाभप्रदता प्रभावित हुई है।
- संयंत्र के बंद होने से कई अन्य उद्योगों और सहायक इकाइयों (जो संयंत्र से कच्चे माल पर निर्भर हैं) को तमिलनाडु से तेलंगाना जैसे राज्यों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि अन्य राज्यों से कच्चे माल की खरीद इन इकाइयों के लिए आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं थी।
- परिवहन उद्योग जिसमें कई ट्रक ड्राइवर और क्लीनर शामिल हैं, संयंत्र के बंद होने के कारण वे भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।
प्लांट खोलने के विपक्ष में तर्क
- संयंत्र के संचालन का विरोध कर रहे पर्यावरणविदों ने कहा कि वेदांत समूह द्वारा संयंत्र को बेचने का कदम एक “विपणन नौटंकी” और “राष्ट्रीय ध्यान को आकर्षित करने की एक रणनीति” है।
- ये इस कदम को तूतूकुड़ी के लोगों को धोखा देने और सरकार को ब्लैकमेल करने का प्रयास मानते हैं।
- स्टरलाइट विरोध आंदोलन के नेता बताते हैं कि, “अगर कोई रासायनिक उद्योग अपने संचालन को बंद करना चाहता है और इकाई को बंद करने का फैसला करता है, तो उसे तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लेनी चाहिए। लेकिन वेदांता ने इस अनिवार्य प्रक्रिया का पालन किए बिना ही यह विज्ञापन जारी किया है।
- लगभग सभी राजनीतिक दल, पुलिस फायरिंग के शिकार और ग्रामीण प्लांट को फिर से खोलने का विरोध कर रहे हैं।
भावी कदम
- विशेषज्ञों का मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय को कंपनी के परिचालन को फिर से शुरू करने की अनुमति देनी चाहिए तथा केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कंपनी प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन करे।
- उन्होंने आगे कहा कि अगर इसके संचालन या अपशिष्टों के उपचार में कोई समस्या थी, तो कंपनी को उसको सुधारने और संचालन जारी रखने के लिए कहा जाना चाहिए था क्योंकि संयंत्र को बंद करने से समस्या का समाधान नहीं होगा।
- अन्य विशेषज्ञों का भी मानना है कि संयंत्र को बेचने का निर्णय लाभदायक हो सकता है क्योंकि नए कंपनियों के आने से लोगों के मन और भावनाएं बदल सकती हैं और अन्य उद्योग अधिक आत्मविश्वास से निवेश करेंगे।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था
नमक क्षेत्र के संकट से लाखों लोगों की रोजी-रोटी चौपट
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत में नमक उद्योग
मुख्य परीक्षा: भारत में नमक उद्योग से जुड़ी चुनौतियाँ
प्रसंग
- इस आलेख में नमक उद्योग के समक्ष आने वाली चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है।
भारत में नमक उद्योग
- भारत चीन और अमेरिका के बाद दुनिया में नमक का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
- भारतीय स्वतंत्रता के समय, भारत ब्रिटेन से नमक का आयात कर रहा था और भारत में नमक उद्योग ने आत्मनिर्भर बनने और अपने अधिशेष का निर्यात करने के मामले में जबरदस्त वृद्धि हासिल की है।
- देश में नमक के प्रमुख स्रोतों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- समुद्र का पानी
- खारी झील का पानी
- खारी उप-मृदा
- रॉक साल्ट जमा
- लगभग 99.5% नमक या तो समुद्री जल से या उप-मृदा जल से प्राप्त होता है तथा सीडिंग, कल्टीवेशन और हार्वेस्टिंग द्वारा पूरी प्रक्रिया संचालित होती है।
- प्रमुख नमक उत्पादक राज्य गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल हैं।
- गुजरात में सालाना लगभग 28.5 मिलियन टन नमक का उत्पादन होता है, जो भारत के कुल उत्पादन का लगभग 80% है।
- वर्तमान में लगभग पांच लाख लोग नमक उद्योग में काम करते हैं।
- ऐसा अनुमान है कि नमक उत्पादकों की कुल संख्या का 87.6% छोटे पैमाने के उत्पादक हैं।
- नमक को भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की संघ सूची के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
भारत में नमक उद्योग से जुड़ी चुनौतियां
- नमक उद्योग वर्तमान में मांग को पूरा करने और नमक के किसानों के समक्ष आने वाले संकट को दूर करने की चुनौतियों का सामना कर रहा है।
- वर्तमान में, भारत 36 मिलियन टन नमक का उत्पादन करता है और निर्यात सहित इसकी मांग 31.5 मिलियन टन है। हालांकि, मांग 8% की दर से बढ़ रही है लेकिन उत्पादन केवल 3% की दर से बढ़ रहा है।
- इससे आने वाले वर्षों में मांग और आपूर्ति में अंतराल के उत्पन्न होने की संभावना है।
- वर्तमान में, किसान एक टन नमक के उत्पादन पर लगभग ₹ 250 से ₹ 300 कमाते हैं और समस्या यह है कि कीमतों में उतार-चढ़ाव होता रहता है।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) नहीं होने के कारण किसान को कम कीमत प्राप्त हो रही है।
- इसके अलावा, मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा लाभ न होने के कारण श्रमिक प्रभावित होते हैं।
- आजादी के 75 साल बाद भी, नमक उद्योग अंग्रेजों द्वारा निर्मित कानूनों से नियंत्रित होते हैं।
- लगभग 120 साल पहले, अंग्रेजों ने खनन के माध्यम से हिमाचल प्रदेश में मंडी से नमक निकाला और इसलिए अंग्रेजों ने नमक उत्पादन को खनन के रूप में रखा।
- लेकिन वर्तमान में केवल 0.5% नमक ही खनन के माध्यम से प्राप्त होता है।
- विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि इसे खनन उद्योग के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, इसलिए उद्योगों को नियंत्रित करने वाले सभी कानून नमक उत्पादन पर भी लागू होते हैं, भले ही उत्पादन सौर वाष्पीकरण के माध्यम से किया जाता है।
सारांश: नमक उद्योग से जुड़ी चुनौतियों और चिंताओं का तत्काल समाधान करना होगा क्योंकि इस उद्योग ने भारत के इतिहास को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और देश में लाखों लोगों की आजीविका का स्रोत बना हुआ है। |
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संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न 2 से संबंधित
राजव्यवस्था
क्या भारत में दलबदल विरोधी कानून विफल हो गया है?
विषय: भारतीय संविधान-विकास, विशेषताएं, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान और मूल संरचना।
प्रारंभिक परीक्षा: दलबदल विरोधी कानून प्रावधान
मुख्य परीक्षा: दलबदल विरोधी कानून और सिफारिशों से जुड़ी चिंताएं
संदर्भ:
- महाराष्ट्र राज्य के सत्तारूढ़ शिवसेना राजनीतिक दल के कई विधायकों ने नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया है। पार्टी में बड़े पैमाने पर दलबदल के संकेत मिल रहे हैं।
- महाराष्ट्र में इस सियासी उथल पुथल से दलबदल विरोधी कानून चर्चा में आ गया है।
दलबदल विरोधी कानून:
- संविधान की दसवीं अनुसूची, जिसे लोकप्रिय रूप से ‘दलबदल विरोधी कानून’ के रूप में जाना जाता है, को संविधान में 52 वें संशोधन (1985) द्वारा जोड़ा गया था।
- ‘दलबदल’ को “किसी पद या संघ का त्याग, प्रायः एक विरोधी गुट में शामिल होना” के रूप में परिभाषित किया गया है।
- इस कानून में दो प्रकार के दलबदल पर विचार किया जाता है:
- जब एक सदस्य स्वेच्छा से उस दल की सदस्यता छोड़ रहा है जिसके चुनाव चिह्न पर वह निर्वाचित हुआ है।
- एक विशेष तरीके से मतदान करने या मतदान से दूर रहने के लिए दाल द्वारा जारी किए गए व्हिप का उल्लंघन करने वाला सदस्य।
- दलबदल विरोधी क़ानून यह सुनिश्चित करने के लिए लाया गया था कि दल का कोई सदस्य दल के निर्णय का उल्लंघन नहीं करे और यदि वह ऐसा करता है, तो सदन से उसकी सदस्यता रद्द है जाती है। इसका उद्देश्य दलबदल द्वारा फ्लोर-क्रॉसिंग और निर्वाचित सरकार को गिराने के खतरे को कम करना था। इस तरह सरकारों की स्थिरता में इसका योगदान है।
दलबदल विरोधी कानून से जुड़ी चिंताएं:
प्रतिनिधि लोकतंत्र के सिद्धांत के विपरीत:
- दलबदल विरोधी कानून निर्वाचित सदस्यों को पार्टी लाइन के साथ खड़े होने के लिए बाध्य करता है जो प्रतिनिधि लोकतंत्र के सिद्धांत के खिलाफ होने के रूप में सामने आता है। इस कानून के प्रावधान सदस्यों को अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के विचारों का प्रतिनिधित्व करने से रोकते हैं और उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन भी करते हैं।
दलबदल विरोधी कानून लागू करने के अपवाद:
- दसवीं अनुसूची के पैराग्राफ 4 में एक पार्टी के दूसरे के साथ विलय के मामले में अयोग्यता के लिए दलबदल विरोधी कानून के प्रयोग के अपवाद का प्रावधान है। इस प्रावधान के अनुसार, एक डीम्ड विलय तभी होता है जब पार्टी के कुल सदस्यों का दो-तिहाई हिस्सा विलय के लिए सहमत होता है। यह सामूहिक दलबदल का मार्ग प्रशस्त करता है।
- ऐसी भी चिंताएं हैं कि इस प्रावधान का उपयोग दलबदलुओं को दलबदल विरोधी कानून से बचाने के लिए किया जाएगा।
प्रावधानों का दुरुपयोग:
- हाल के उदाहरण पार्टियों, विधायकों और स्पीकर द्वारा या तो दलबदल के खिलाफ कानून से बचने के लिए या पक्षपातपूर्ण राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए प्रावधानों के दुरुपयोग के संकेत हैं।
- स्पीकर ने कई मामलों में दलबदल विरोधी कानून के प्रावधानों के संबंध में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है। कई मामलों में, स्पीकर ने दल-बदल विरोधी याचिकाओं पर कार्रवाई नहीं करने का विकल्प चुना है। इसने सदस्यों को सदन के सदस्यों के रूप में बने रहने और सत्ताधारी दल में शामिल होते हुए मंत्री बनने में सक्षम बनाया है।
- दल-बदल विरोधी कानून के अनुसार, विधायिका का पीठासीन अधिकारी किसी अन्य सदस्य द्वारा याचिका पर किसी दलबदलू को अयोग्य घोषित कर सकता है।
- अयोग्यता कार्यवाही से बचने के लिए सदस्यों द्वारा त्याग पत्र प्रस्तुत करने के हाल के उदाहरण देखे गए हैं।
कानून को लेकर अनिश्चितता :
- दलबदल के ‘स्वेच्छा से सदस्यता छोड़ने’ का उपयोग करने वाला सदस्य विवाद और मुकदमेबाजी का मूल कारण रहा है।
- इस पहलू पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निष्कर्ष नहीं प्राप्त होते हैं और आगे भी विवाद और मुकदमेबाजी की गुंजाइश बनी हुई रहती है।
दलबदल विरोधी कानून से संबंधित चिंताओं के बारे में अधिक विस्तृत जानकारी के लिए 26 फरवरी 2021 के समाचार विश्लेषण का अध्ययन करें।
सिफारिशें:
- चूंकि दल-बदल विरोधी कानून दलबदल को रोकने में विफल रहा है और दुरुपयोग के लिए उत्तरदायी है, इसलिए दल-बदल विरोधी कानून में सुधार आवश्यक है।
- विलय खंड को फिर से परिभाषित करना, न्यायिक शक्ति को अध्यक्ष से किसी अन्य विश्वसनीय प्राधिकरण में स्थानांतरित करना कानून में सुधार के लिए विचार किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण पहलू हो सकते हैं।
सारांश:
निर्वाचित सरकार की स्थिरता सुनिश्चित करने में दलबदल विरोधी कानून की विफलता और इस कानून से बचने के लिए पार्टियों, विधायकों और स्पीकर द्वारा प्रावधानों के दुरुपयोग के बढ़ते उदाहरणों को देखते हुए, दलबदल विरोधी कानून में सुधार की आवश्यकता है।
प्रीलिम्स तथ्य:
1. ज्योतिर्गमय उत्सव
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
भारतीय संस्कृति:
विषय: कला रूपों के मुख्य पहलू
प्रारंभिक परीक्षा: विश्व संगीत दिवस, ज्योतिर्गमय महोत्सव और संगीत नाटक अकादमी
प्रसंग
- विश्व संगीत दिवस के अवसर पर ज्योतिर्गमय महोत्सव का आयोजन किया गया।
ज्योतिर्गमय महोत्सव
- ज्योतिर्गमय महोत्सव का आयोजन संगीत नाटक अकादमी द्वारा किया जाता है।
- ज्योतिर्गमय देश भर के दुर्लभ संगीत वाद्ययंत्रों को बजाने वालों की प्रतिभा को प्रदर्शित करने हेतु आयोजित एक विशिष्ट त्योहार है, जिसमें सड़क पर प्रदर्शन करने वाले, ट्रेन में मनोरंजन करने वाले, मंदिरों से जुड़े कलाकार आदि शामिल हैं।
- इस त्योहार का उद्देश्य दुर्लभ संगीत वाद्ययंत्र बजाने के कौशल की रक्षा करने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैलाना और ‘अनसुने’ कलाकारों को एक मंच प्रदान करना है।
संगीत नाटक अकादमी
- संगीत, नृत्य और नाटक के रूप में भारत की विविध संस्कृति की विशाल अमूर्त विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के उद्देश्य से 1953 में संगीत नाटक अकादमी की स्थापना की गई थी।
- यह देश में प्रदर्शन कला के क्षेत्र में सर्वोच्च निकाय है।
- यह संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में काम करने वाला एक स्वायत्त निकाय है।
- संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा पांच साल की अवधि के लिए की जाती है।
- अकादमी का पंजीकृत कार्यालय रवीन्द्र भवन में है।
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार कलाकारों को दिया जाने वाला सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. शेख हसीना ने पद्मा बहुउद्देशीय पुल का उद्घाटन किया
- भारत सरकार ने पद्मा बहुउद्देशीय पुल के पूरा होने पर बांग्लादेश को बधाई दी, जिसे बांग्लादेश में सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजना माना जाता है।
- बांग्लादेश में आंतरिक संपर्क को बढ़ाने के साथ, पद्मा पुल से भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार और रसद में सुधार की उम्मीद है।
- इस पुल के द्विपक्षीय भारत-बांग्लादेश और उपक्षेत्रीय संबंधों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।
- पद्मा ब्रिज बांग्लादेश, भारत व नेपाल और भूटान जैसे अन्य देशों के बीच वस्तुओं के तीव्र परिवहन की सुविधा प्रदान करेगा।
2. उदयपुर के ‘बर्ड विलेज’ को आर्द्रभूमि घोषित किया जाएगा
- उदयपुर जिले में मेनार जिसे “पक्षी गांव” माना जाता है, को राजस्थान की नई आर्द्रभूमि के रूप में अधिसूचित किया जाना तय है। इस पहल से इस क्षेत्र को रामसर सम्मेलन, 1971 के तहत रामसर स्थल का दर्जा दिलाने में मदद मिलने की उम्मीद है।
- आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2019 के लागू होने से क्षेत्र की मीठे पानी की झीलों को संरक्षित किया जाएगा।
- वर्तमान में, राजस्थान के भरतपुर जिले में केवलादेव घाना और जयपुर में सांभर साल्ट लेक नामक रामसर स्थलों के रूप में मान्यता प्राप्त दो आर्द्रभूमि हैं।
- गाँव की दो झीलों अर्थात ब्रह्मा और ढांध में सर्दियों के मौसम में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों की मौजूदगी देखी जाती है, जिसमें राजहंस, सफेद पूंछ वाले लैपिंग, बड़ा बत्तख, मार्श हैरियर, बार हेडेड गूज, कॉमन टील, ग्रीनशंक, पिंटेल, वैगटेल , ग्रीन सैंडपाइपर और रेड-वॉटल्ड लैपविंग शामिल हैं।
3. केरल में पक्षियों की अपनी क्षेत्रीय लाल सूची होगी
- केरल में पक्षियों की स्वयं की लाल सूची होगी क्योंकि केरल कृषि विश्वविद्यालय के नेतृत्व में केरल बर्ड मॉनिटरिंग कलेक्टिव और बर्ड काउंट इंडिया क्षेत्रीय लाल सूची का मूल्यांकन करेगा।
- यह आकलन अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के दिशा-निर्देशों के आधार पर किया जाएगा।
- इस कदम से केरल पक्षियों की एक क्षेत्र-विशिष्ट लाल सूची वाला पहला राज्य बन जाएगा।
- लाल सूची तैयार करने के लिए IUCN दिशानिर्देशों में पांच मुख्य मानदंड हैं, अर्थात् 10 वर्षों या तीन पीढ़ियों में मापी गई जनसंख्या के आकार में कमी, विस्तार की सीमा या अधिभोग के क्षेत्र के आधार पर भौगोलिक सीमा, आबादी का छोटा आकार और गिरावट, अत्यंत कम या सीमित आबादी , और मात्रात्मक विश्लेषण जंगल में विलुप्त होने की संभावना को दर्शाता है।
- वैश्विक IUCN लाल सूची के अनुसार, केरल में पक्षियों की 35 संकटग्रस्त प्रजातियां हैं जिनमें लाल सिर वाले गिद्ध और सफेद दुम वाले गिद्ध शामिल हैं जो गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं और स्टेपी ईगल, बाणासुर चिलप्पन और नीलगिरी चिलप्पन संकटग्रस्त हैं और 11 प्रजातियां सुभेद्य हैं।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारत में नमक उत्पादन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- भारत विश्व स्तर पर सर्वाधिक नमक उत्पादन करता है।
- राज्यों में, राजस्थान भारत में सर्वाधिक नमक उत्पादन करता है।
- खनन से उत्पादित नमक, भारत के कुल नमक उत्पादन का लगभग 30% है।
विकल्प:
- केवल 1 और 2
- केवल 2
- केवल 3
- उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
विकल्प d
व्याख्या:
- भारत विश्व में नमक का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
- भारतीय राज्यों में, गुजरात नमक का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। भारत के कुल नमक उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 80% है।
- भारत में केवल 0.5% नमक उत्पादन खनन द्वारा होता है। 99.5% नमक या तो समुद्री जल से या भूमिगत जल से प्राप्त होता है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- जीएसटी मुआवजा उपकर लगाने और संकलन की समय-सीमा मार्च 2026 तक बढ़ा दी गई है।
- इस उपकर से एकत्रित राजस्व का उपयोग राज्यों को मार्च 2026 तक जीएसटी प्रणाली के तहत राजस्व संग्रह में होने वाली किसी भी तरह की कमी की भरपाई के लिए किया जाएगा।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर:
विकल्प a
व्याख्या:
- केंद्र ने वित्त मंत्रालय द्वारा अधिसूचित वस्तु एवं सेवा कर (उपकर की अवधि और संग्रह की अवधि) नियम 2022 के आधार पर जीएसटी मुआवजा उपकर लगाने की अवधि को चार साल बढ़ाकर 31,2026 मार्च तक कर दिया है।
- उपकर की लेवी 30 जून को समाप्त होनी थी, लेकिन पिछले दो वर्षों में राजस्व संग्रह में कमी को पूरा करने हेतु लिए गए ऋणों को चुकाने के लिए इसे 2026 तक बढ़ा दिया गया है। राज्यों को मुआवजा देने की व्यवस्था जून 2022 तक खत्म हो जाएगी।
प्रश्न 3. सॉलिड स्टेट बैटरी और लिक्विड इलेक्ट्रोलाइट बैटरी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
- सॉलिड-स्टेट बैटरियां लिक्विड इलेक्ट्रोलाइट्स के उपयोग वाली बैटरियों की तुलना में अधिक सुरक्षित होती हैं।
- एक सॉलिड-स्टेट बैटरी का ऊर्जा घनत्व लिक्विड इलेक्ट्रोलाइट सॉल्यूशन के उपयोग वाली ली-आयन बैटरी की तुलना में अधिक होता है।
- सॉलिड-स्टेट बैटरियां लिक्विड इलेक्ट्रोलाइट बैटरियों की तुलना में तेजी से चार्ज हो सकती हैं।
विकल्प:
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर:
विकल्प d
व्याख्या:
- लिथियम-आयन बैटरी कैथोड, एनोड, सेपरेटर और इलेक्ट्रोलाइट से बनी होती है। स्मार्टफोन में लिथियम-आयन बैटरी, ऊर्जा उपकरण और इलेक्ट्रिक वाहनों में लिक्विड इलेक्ट्रोलाइट सॉल्यूशन का उपयोग होता है। दूसरी ओर, एक सॉलिड-स्टेट बैटरी में लिक्विड नहीं बल्कि सॉलिड इलेक्ट्रोलाइट का उपयोग होता है।
- सॉलिड-स्टेट बैटरियां लिक्विड इलेक्ट्रोलाइट्स का उपयोग करने वाली बैटरियों की तुलना में अधिक सुरक्षित होती हैं। ली-आयन बैटरी के तापमान में बदलाव, फूलने या बाहरी बल के कारण रिसाव के कारण खराब होने का खतरा होता है, क्योंकि इसमें तरल इलेक्ट्रोलाइट सॉल्यूशन का उपयोग होता है। तरल इलेक्ट्रोलाइट्स ज्वलनशील होते हैं और उच्च तापमान पर खराब हो जाते हैं जिससे बैटरी का जीवनकाल कम होता है और चरम स्थितियों में बैटरी में आग लग जाती है। सॉलिड-स्टेट बैटरी में सॉलिड स्ट्रक्चर और बढ़ी हुई सेफ्टी के साथ बेहतर स्टेबिलिटी होती है। इसमें विस्फोट या आग का खतरा नहीं होता है।
- सॉलिड-स्टेट बैटरी में तरल इलेक्ट्रोलाइट सॉल्यूशन के उपयोग वाली ली-आयन बैटरी की तुलना में अधिक ऊर्जा घनत्व होता है। सॉलिड-स्टेट बैटरी लिथियम-आयन बैटरी की तुलना में 2.5 गुना अधिक ऊर्जा घनत्व प्रदान कर सकती है। सॉलिड-स्टेट बैटरियों के ऊर्जा घनत्व में इस वृद्धि का अर्थ है कि वे बहुत छोटी और हल्की होंगी।
- सॉलिड-स्टेट बैटरियां आज की लिथियम-आयन बैटरी की तुलना में प्रति यूनिट द्रव्यमान में अधिक ऊर्जा धारण करने में सक्षम हैं, जिसका अर्थ है कि एक EV बहुत अधिक समय तक चल सकती है।
- सॉलिड-स्टेट बैटरियां ऊर्जा की बहुत अधिक दरों पर काम कर सकती हैं। शोध बताते हैं कि ये मौजूदा तकनीकों की तुलना में सुरक्षित रूप से 4-6 गुना तेजी से रिचार्ज करने में सक्षम हो सकती हैं।
प्रश्न 4. निम्नलिखित पक्षियों पर विचार कीजिए।
- बाणासुर चिलप्पन
- सीलोन फ्रॉगमाउथ
- जेर्डन का नाईटजर
- ग्रेट हॉर्नबिल
उपर्युक्त में से कितने पक्षी केरल राज्य में पाए जाते हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- केवल तीन
- उपर्युक्त सभी चार
उत्तर:
विकल्प d
व्याख्या:
- बाणासुर चिलप्पन पक्षी दक्षिण-पश्चिमी कर्नाटक और उत्तरी केरल में पश्चिमी घाट के एक छोटे से हिस्से में शोला आवास में पाया जाता है।
- फ्रॉगमाउथ कर्नाटक सीमा के नम सदाबहार क्षेत्रों से लेकर केरल के नेय्यर अभयारण्य तक पुरे पश्चिमी घाट में पाया जाता है। थट्टेक्कड़ अभयारण्य में फ्रॉगमाउथ की एक वृहद आबादी है। फ्रॉगमाउथ का नाम उसके बड़े चपटे हुक वाले बिल और विशाल मेंढक जैसे गैप के लिए रखा गया है, जिसका उपयोग वे कीड़ों को खाने के लिए करते हैं।
- जेर्डन का नाइटजर एक मध्यम आकार की नाइटजर प्रजाति है जो दक्षिण भारत और श्रीलंका के मूल निवासी है। नाइटजर मध्यम आकार के रात्रिचर पक्षी हैं जो आमतौर पर जमीन पर घोंसला बनाते हैं।
- ग्रेट हॉर्नबिल हॉर्नबिल वर्ग के बड़े सदस्यों में से एक है। यह भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है। यह मुख्य रूप से फल खाता है, लेकिन छोटे स्तनधारियों, सरीसृपों और पक्षियों का भी शिकार करता है। केरल सरकार ने इसे आधिकारिक रूप से केरल का राज्य पक्षी घोषित किया है।
प्रश्न 5. सार्वजनिक क्षेत्रक बैंकों के अध्यक्षों का चयन कौन करता है?
- बैंक बोर्ड ब्यूरो
- भारतीय रिजर्व बैंक
- केंद्रीय वित्त मंत्रालय
- संबंधित बैंक का प्रबंधन
उत्तर:
विकल्प a
व्याख्या:
- बैंक बोर्ड ब्यूरो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के अध्यक्षों के चयन हेतु उत्तरदायी है।
- पीजे नायक की अध्यक्षता में भारत में बैंकों के बोर्डों के शासन की समीक्षा करने वाली समिति ने बैंक बोर्ड ब्यूरो के गठन की सिफारिश की थी।
- सरकार ने 2016 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) और राज्य के स्वामित्व वाले वित्तीय संस्थानों के पूर्णकालिक निदेशकों के साथ-साथ गैर-कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए एक निकाय के रूप में BBB के गठन को मंजूरी दी।
- यह सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निदेशक मंडल के साथ उनके विकास और वृद्धि के लिए उपयुक्त रणनीति भी तैयार करता है। इसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कॉर्पोरेट प्रशासन में सुधार, क्षमता निर्माण आदि का कार्य सौंपा गया है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
- दल बदल विरोधी कानून में कमियाँ हैं जिसके कारण यह अर्थहीन हो गया है। प्रासंगिक उदाहरणों के साथ इस कथन की व्याख्या कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 2/राजव्यवस्था)
- क्या तूतूकुड़ी (Thoothukudi) में स्टरलाइट कॉपर प्लांट के संचालन को फिर से शुरू करने की अनुमति दी जानी चाहिए? समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 3/पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी)
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