27 फरवरी 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आपदा प्रबंधन:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: शासन:
सामाजिक न्याय:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
आपदा प्रबंधन:
ग्रीष्म लहरों (हीट वेव) की जटिल संरचना का अध्ययन:
विषय: आपदा और आपदा प्रबंधन
प्रारंभिक परीक्षा: ग्रीष्म लहर के बारे में
मुख्य परीक्षा: भारत में ग्रीष्म लहर की घटना – इसके कारण, उत्तरदायी कारक, प्रभाव और महत्वपूर्ण सिफारिशें
संदर्भ:
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि देश के उत्तर-पश्चिम, पश्चिम और मध्य भागों में अधिकतम तापमान दीर्घकालिक औसत से 3-5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहेगा।
- इस पृष्ठभूमि में, दिल्ली में 21 फरवरी 2023 को पांच दशक से अधिक समय में तीसरा सबसे गर्म फरवरी दिन (33.6 डिग्री सेल्सियस) दर्ज किया गया।
ग्रीष्म लहरें क्या हैं?
- ग्रीष्म लहरें गुणात्मक रूप से हवा के तापमान की एक स्थिति है जो मानव शरीर के संपर्क में आने पर शरीर के लिए घातक हो जाती है।
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार, ग्रीष्म लहरें पांच या अधिक लगातार दिनों को संदर्भित करती हैं जिसके दौरान दैनिक अधिकतम तापमान औसत अधिकतम तापमान से पांच डिग्री सेल्सियस अधिक होता है।
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, जब किसी क्षेत्र के वातावरण का तापमान लंबी अवधि के औसत तापमान से कम से कम 4.5-6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक होता है तो यह माना जाता है कि उक्त क्षेत्र ग्रीष्म लहर की स्थिति का सामना कर रहा है।
- इसके अलावा, ग्रीष्म लहर की व्यापकता की पुष्टि तब भी की जा सकती है जब मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या किसी पहाड़ी क्षेत्रों (hill-station) में 37 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है।
ग्रीष्म लहर की घटना:
चित्र स्रोत: BBC
- ग्रीष्म लहरों की उत्पत्ति मुख्य रूप से अन्य स्थानों से गर्म हवा के प्रवाह या स्थानीय रूप से उनके (गर्म हवा) उत्पन्न होने के कारण होता है।
- ग्रीष्म लहर मूल रूप से एक घटना है जिसमें स्थानीय क्षेत्रों में प्रवाहित होने वाली हवा उच्च भूमि सतह के तापमान से गर्म हो जाती है या ऊपर से नीचे की ओर प्रवाहित होने वाली हवा के कारण गर्म हवा उत्पन्न होती है।
- 2023 में नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार:
- भारत में वसंत के मौसम के दौरान, हवा आमतौर पर पश्चिम-उत्तर-पश्चिम से प्रवाहित होती है और चूंकि पश्चिम एशिया भूमध्य रेखा के करीब के अक्षांशों में स्थित अन्य क्षेत्रों की तुलना में तेजी से गर्म हो रहा है, इसलिए यह भारत में प्रवाहित होने वाली गर्म हवा के स्रोत के रूप में कार्य करता है।
- इसके अतिरिक्त, उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों से आने वाली हवा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के पहाड़ों से होकर प्रवाहित होती है और इन पहाड़ों के अनुवात भाग में संपीड़न के कारण भारत में प्रवेश करने वाली हवा गर्म हो जाती है।
- इसके अलावा, महासागरों के ऊपर से प्रवाहित होने वाली हवा आमतौर पर अपने साथ ठंडी हवा लाती है। हालांकि, अधिकांश अन्य महासागरीय क्षेत्रों की तुलना में अरब सागर तेजी से गर्म हो रहा है, जो शीतलन प्रभाव को निष्प्रभावी कर देता है।
- अंत में, ह्रास दर (वह दर जिस पर तापमान सतह से ऊपरी वायुमंडल की ओर जाने पर कम होता जाता है) ग्लोबल वार्मिंग के कारण कम हो रहा है जिससे ग्रीष्म लहरों की आवृत्ति बढ़ रही है।
अन्य कारक जो ग्रीष्म लहर को प्रभावित करते हैं:
- अन्य प्रमुख कारक जो ग्रीष्म लहर की उत्पत्ति को प्रभावित करते हैं, वे हैं- वायु राशि की अवधि और ऐसी वायु राशि द्वारा तय की गई कुल दूरी।
- भारत में उत्तर-पश्चिमोत्तर क्षेत्र आमतौर पर ग्रीष्म लहर का अनुभव करते हैं जिनका गठन 800-1,600 किमी. दूर से आने वाली और लगभग दो दिन पुरानी वायु राशि के कारण होता है।
- प्रायद्वीपीय भारत में प्रवाहित होने वाली ग्रीष्म लहर की उत्पत्ति महासागरों (लगभग 200-400 किमी.) से आने वाली और बमुश्किल एक दिन पुरानी वायु राशि के कारण होता है। इसलिए, भारत के दक्षिणी भागों में ग्रीष्म लहरें अपेक्षाकृत कम तीव्र होती हैं।
ग्रीष्म लहर से जुड़ी चिंताएँ:
- आने वाले वर्षों में भारतीय उपमहाद्वीप में ग्रीष्म लहरों के अधिक समय तक, अधिक गंभीर और लगातार प्रवाहित होने का अनुमान है और ला नीना के लगातार तीन वर्षों के कारण इसके भारत के दक्षिणी भागों की ओर भी प्रवाहित होने की आशंका है।
- इसके अलावा, भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर जिसने ला नीना (ट्रिपल डिप ला नीना) के एक विस्तारित चरण का अनुभव किया है, वह अल नीनो वर्ष का सामना करने के लिए तैयार हो रहा है, जिसमें गर्म पानी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में पश्चिम-पूर्व दिशा में फैल जाता है।
- अल नीनो वर्षों के दौरान ग्रीष्म लहरों के अधिक तीव्र होने और देश के उत्तरी तथा उत्तर-पश्चिमी भागों तक सीमित रहने का अनुमान है।
- स्वास्थ्य मुद्दे: दक्षिण एशिया में भारत को सबसे बड़े ताप जोखिम प्रभावों का सामना करना पड़ता है।
- उपलब्ध रिपोर्टों के अनुसार, 1971 से 2019 के बीच भारत में चरम मौसम की स्थिति के कारण लगभग 1,40,000 लोगों की जाने गईं हैं, जिनमें से 17,362 लोगों की मृत्यु अत्यधिक गर्मी के कारण हुई थी।
- आजीविका पर प्रभाव: भारत की श्रम प्रधान कृषि और निर्माण कार्य ग्रीष्म लहर के कारण काफी प्रभावित होंगे।
- चूँकि दक्षिण एशिया की लगभग 33% आबादी बाहरी काम पर निर्भर है, ऐसे में ग्रीष्म लहरें लोगों की आजीविका को गंभीर रूप से प्रभावित करेगीं।
- आर्थिक परिणाम: अगर ग्लोबल वार्मिंग 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाती है तो दुनिया भर में आर्थिक नुकसान सालाना 1.6 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की आशंका है।
प्रमुख सिफारिशें:
- ग्रीष्म लहरों से जुड़े परिणाम और प्रभाव इस बात पर निर्भर करते हैं कि हम उनका कितना अच्छा अनुमान लगा सकते हैं।
- ग्रीष्म लहरों के निर्माण के तरीकों, प्रक्रियाओं, स्थान और वायु राशि की अवधि आदि के बारे में जानकारी के लिए पूर्व-चेतावनी प्रणालियों को उन्नत किया जाना चाहिए। इससे हम चेतावनियों की गुणवत्ता को बेहतर कर सकते हैं।
- भारत में मनुष्यों के पूर्वानुमान कौशल में सुधार और कम्प्यूटेशनल संसाधनों में निवेश किया जाना चाहिए।
- चेतावनी और पूर्वानुमान तंत्र में सुधार के साथ-साथ, नीति निर्माताओं को उन लोगों की सुरक्षा के लिए शहर-व्यापी श्रेणीबद्ध ताप कार्य योजनाओं को तैयार करने पर ध्यान देना चाहिए, जो ग्रीष्म लहरों के प्रति संवेदनशील हैं।
- इसके अलावा, बीमा योजनाएँ औद्योगिक, निर्माण और कृषि क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों को ग्रीष्म लहरों के जोखिमों को स्थानांतरित करने में मदद कर सकती हैं।
- ग्रीष्म लहर वाले क्षेत्रों में जल-गहन कृषि भी संभव नहीं है और इसलिए बेहतर कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- जलवायु-लचीली नीतियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार के हस्तक्षेप के उपायों जैसे कि ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों को अपनाकर कार्बन पदचिह्न को कम करना, जलवायु परिवर्तन के हानिकारक परिणामों को कम करने के लिए नवीकरणीय स्रोतों को अपनाने की प्रक्रिया को तेज करना चाहिए।
ग्रीष्म लहर और इसके शमन के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहाँ क्लिक कीजिए: Heatwaves and its mitigation
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
शासन:
ओटीटी विनियमन में पारदर्शिता:
विषय: विकास के लिए सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप
मुख्य परीक्षा: भारत में ओटीटी विनियमन से जुड़े मुद्दे
संदर्भ:
- इस लेख में ओवर द टॉप (OTT) विनियमन में पारदर्शिता की आवश्यकता पर चर्चा की गई है।
भूमिका:
- केंद्र सरकार ने फरवरी 2021 में सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थों के लिए दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (Information Technology (Guidelines For Intermediaries And Digital Media Ethics Code) Rules, 2021) को लागू किया।
- नियम काफी हद तक OTT प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया को कवर करते हैं। नियम एक शिकायत निवारण तंत्र और आचार संहिता का प्रावधान करते हैं।
- इस नियम के तहत सूचना और प्रसारण मंत्रालय (I&B) को OTT और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कंटेंट को विनियमित करने का काम सौंपा गया है।
वैश्विक दृष्टिकोण:
- यूरोपीय संघ ने ऑडियोविज़ुअल मीडिया सर्विसेज डायरेक्टिव (AVMSD) जैसे नियमों को लागू किया है जिसके तहत OTT सेवाओं को कुछ नियमों का पालन करने की आवश्यकता होती है जैसे कि उन्हें अपनी लाइब्रेरी में यूरोपीय कंटेंट को शामिल करना और माता-पिता को नियंत्रण की अनुमति देना।
- चीन ने OTT सेवाओं पर सख्त नियम लागू किए हैं, जिसमें विदेशी OTT सेवाओं को स्थानीय कंपनियों के साथ साझेदारी करने और उन्हें कंटेंट सेंसरशिप और अन्य नियमों के अधीन करने की आवश्यकता शामिल है।
- सिंगापुर में, इन्फोकॉम मीडिया डेवलपमेंट अथॉरिटी विभिन्न मीडिया के लिए साझा नियामक है। मीडिया विनियमन के लिए इसका दृष्टिकोण एक वैधानिक ढांचे की स्थापना और उद्योग स्व-नियमन को बढ़ावा देने के अलावा, सार्वजनिक शिक्षा के माध्यम से मीडिया साक्षरता को बढ़ावा देने पर जोर देता है।
- OTT विनियमन पर भारत के दृष्टिकोण को ‘सह-विनियमन’ मॉडल कहा जा सकता है जहां उद्योग स्तर पर ‘स्व-नियमन’ और मंत्रालय स्तर पर अंतिम ‘निरीक्षण तंत्र’ का प्रावधान है।
मीडिया साक्षरता के मुद्दे:
- ओटीटी नियमों की जटिलताओं के कारण 2021 के ओटीटी नियमों के बारे में आम जनता में जागरूकता का अभाव है।
- नियमों में “आपत्तिजनक सामग्री (कंटेंट)”, “अच्छी सामग्री और शालीनता”, तथा “हानिकारक” जैसे शब्दों की अस्पष्ट और व्यापक परिभाषाएँ हैं। इससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है तथा प्लेटफार्मों द्वारा मनमाना प्रवर्तन किया जा सकता है और साथ ही दंड से बचने के लिए प्लेटफार्मों द्वारा सामग्री को संभावित रूप से ओवर-सेंसर किया जा सकता है।
- नियम OTT वेबसाइटों/इंटरफेस पर शिकायत निवारण तंत्र और शिकायत अधिकारियों से संबंधित संपर्क माध्यमों को शामिल करना अनिवार्य करते हैं। हालाँकि, इसका अनुपालन बहुत निम्न है।
- कई मामलों में, शिकायत निवारण जानकारी या तो प्रकाशित नहीं की जाती है या इस तरह से प्रकाशित की जाती है जिससे उपयोगकर्ता के लिए आसानी से इस जानकारी को देख पाना मुश्किल हो जाता है। कुछ मामलों में, विवरण OTT ऐप इंटरफ़ेस के भाग के रूप में शामिल नहीं हैं।
- निरीक्षण तंत्र की नियुक्ति में भी पारदर्शिता का अभाव है, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर इसके संभावित नकारात्मक प्रभावों के कारण इसकी आलोचना की जाती है।
भावी कदम: पारदर्शिता की ओर
- मंत्रालय OTT प्रकाशकों द्वारा अपने दायित्वों, शिकायत निवारण के लिए समय-सीमा, आम जनता के बीच अधिक मीडिया साक्षरता के लिए शिकायत अधिकारियों के संपर्क विवरण से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदर्शित करने के तरीके में एकरूपता सुनिश्चित करेगा।
- OTT उद्योग संघों के लिए शिकायत निवारण तंत्र के बारे में जानकारी के लिए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में समय-समय पर अभियान चलाने की अनिवार्यता को लागू किया जा सकता है।
- आयु रेटिंग की व्याख्या (उदाहरण के लिए UA 13+) और कंटेंट का वर्णन (उदाहरण के लिए ‘हिंसा’) वीडियो की संबंधित भाषाओं में (अंग्रेजी के अलावा) और अनिवार्य न्यूनतम अवधि के लिए हो सकते हैं।
- नियम यह सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश भी प्रदान कर सकते हैं कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में OTT कंटेंट के विज्ञापनों और प्रोमो में फिल्म की रेटिंग स्पष्ट और सुपाठ्य हो।
- एक स्वतंत्र निकाय द्वारा प्रत्येक OTT प्लेटफॉर्म द्वारा अनुपालन का आवधिक ऑडिट किया जा सकता है।
- OTT प्रदाता और स्व-नियामक निकाय एक समर्पित वेबसाइट पर शिकायतों और निवारण निर्णयों का विवरण अपलोड कर सकते हैं, जो जनता और सरकारी अधिकारियों के लिए दृश्यमान होगा। इस दृष्टिकोण से पारदर्शिता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- नियमों में गलती करने वाली संस्थाओं पर वित्तीय दंड का भी प्रावधान किया जा सकता है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सामाजिक न्याय:
मासिक धर्म अवकाश नीति
विषय: कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ
मुख्य परीक्षा:लैंगिक समानता और समानता के मार्ग में बाधाएं।
संदर्भ:
- भारत में मासिक धर्म अवकाश पर वर्तमान नीति।
मुख्य विवरण:
- 24 फरवरी को, सर्वोच्च न्यायालय ने देश भर में महिला कामगारों और छात्राओं के लिए मासिक धर्म अवकाश के बारे में इसे नीतिगत मामला बताते हुए एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। इसने इस बात पर प्रकाश डाला कि मासिक धर्म में होने वाली पीड़ा के लिए अवकाश के अलग-अलग “आयाम” हैं।
- मासिक धर्म अवकाश नीति उन सभी नीतियों को संदर्भित करती है जो महिला कर्मचारियों या छात्राओं को मासिक धर्म के दर्द या परेशानी का अनुभव होने पर अवकाश लेने की अनुमति देती हैं।
- कार्यस्थल के संदर्भ में, यह उन नीतियों को संदर्भित करती है जो सवैतनिक या अवैतनिक दोनों प्रकार के अवकाश लेने, या आराम के लिए समय लेने की अनुमति देती हैं।
- मासिक धर्म वाली आधी से अधिक महिलाओं को महीने में कुछ दिन दर्द का अनुभव होता है; कुछ को यह इतना कमज़ोर कर देता है कि उनकी दैनिक गतिविधियों और उत्पादकता में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
- वर्ष 2017 में नीदरलैंड में 32,748 महिलाओं पर किये गए एक सर्वेक्षण (ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित) में पाया गया कि इनमें से 14% ने अपने मासिक धर्म की अवधि के दौरान काम या स्कूल से अवकाश लिया था। शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि मासिक धर्म-चक्र संबंधी समस्यायों के कारण कर्मचारियों को हर साल लगभग 8.9 दिनों की उत्पादकता का नुकसान हुआ।
मासिक धर्म अवकाश नीति पर परिचर्चा के बारे में अधिक जानकारी के लिए: Debate on Menstrual Leave Policy
प्रीलिम्स तथ्य:
- मिशन शक्ति
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
विषय: सामाजिक न्याय; आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं
प्रारंभिक परीक्षा: मिशन शक्ति के बारे में
संदर्भ:
- सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से मिशन शक्ति के बारे में और अधिक जानकारी मांगी है।
मिशन शक्ति:
- मिशन शक्ति महिलाओं की सुरक्षा, बचाव और सशक्तिकरण के लिए एक व्यापक योजना है।
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मिशन शक्ति योजना के क्रियान्वयन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे और इसे 15वें वित्त आयोग की अवधि यानी 2021-22 से 2025-26 के दौरान लागू किया जाएगा।
- मिशन का उद्देश्य महिलाओं को हिंसा और खतरे से मुक्त वातावरण में अपने मस्तिष्क और शरीर के बारे में स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की सुविधा देकर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
- मिशन की दो उप-योजनाएँ हैं- ‘संबल’ और ‘सामर्थ्य।
- संबल: यह महिलाओं की सुरक्षा एवं बचाव हेतु उप-योजना है।
- इसके घटकों में नारी अदालतों के एक नए घटक के साथ-साथ वन स्टॉप सेंटर (OSC), महिला हेल्पलाइन (WHL), बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) जैसी पूर्ववर्ती योजनाएं शामिल हैं।
- सामर्थ्य: यह महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उप-योजना है।
- इसके घटकों में कामकाजी माताओं के बच्चों के लिए राष्ट्रीय क्रेच योजना और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) जैसी मौजूदा योजनाओं के साथ-साथ उज्ज्वला, स्वाधार गृह और कामकाजी महिला छात्रावास जैसी पूर्ववर्ती योजनाएं शामिल हैं।
- सामर्थ्य उप-योजना में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए गैप फंडिंग घटक को भी जोड़ा गया है।
- संबल: यह महिलाओं की सुरक्षा एवं बचाव हेतु उप-योजना है।
- बंजारा समुदाय
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
विषय: भारतीय समाज; भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं, भारत की विविधता
प्रारंभिक परीक्षा: बंजारा समुदाय और संत सेवालाल महाराज के बारे में तथ्य।
संदर्भ:
- केंद्र सरकार ने बंजारा समुदाय के आध्यात्मिक और धार्मिक नेता माने जाने वाले संत सेवालाल महाराज की 284वीं जयंती को चिह्नित करने के लिए साल भर चलने वाले समारोह की शुरुआत की है।
बंजारा समुदाय:
- बंजारा एक खानाबदोश जनजाति थी जिनकी उत्पत्ति राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र से हुई थी।
- वे अग्निवंशी राजपूतों के कबीले से संबंधित होने का दावा करते हैं, और उन्हें पिंडारी, लंबानी, गुरमारती आदि के नाम से भी जाना जाता है।
- ऐतिहासिक रूप से, वे व्यापारी जनजातियाँ थीं जिन्होंने भारत के संपूर्ण उत्तर-पश्चिमी और दक्षिणी भागों में व्यापार किया।
- उन्हें अलाउद्दीन खिलजी द्वारा शहरी क्षेत्रों में अनाज पहुंचाने के लिए नियुक्त किया गया था।
- मुगल साम्राज्य के तहत, बंजारे अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण थे क्योंकि वे अनाज का परिवहन करते थे।
- बंजारों के कारवां को टांडा कहा जाता था।
- वर्तमान में, बंजारा समुदाय को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, ओडिशा, झारखंड जैसे पांच राज्यों में अनुसूचित जनजाति (ST) घोषित किया गया है।
- इन्हें हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में इन्हेंअनुसूचित जाति (SC) के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- छत्तीसगढ़, दमन और दीव, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- संत सेवालाल महाराज बंजारा समुदाय के एक सम्मानित व्यक्ति हैं।
- सेवालाल महाराज का जन्म 15 फरवरी, 1739 को कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के सुरगोडनकोप्पा में हुआ था।
- सेवालाल महाराज को समाज सुधारक और समुदाय का आध्यात्मिक नेता माना जाता था।
- अनुच्छेद 311
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र से संबंधित 2:
विषय: राजव्यवस्था; भारत का संविधान – महत्वपूर्ण प्रावधान
प्रारंभिक परीक्षा: अनुच्छेद 311
संदर्भ:
- संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के विशेष प्रावधानों के तहत जम्मू-कश्मीर में कई सरकारी कर्मचारियों को उनके पद से हटा दिया गया।
अनुच्छेद 311:
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 में संघ या राज्य के तहत नागरिक क्षमताओं (असैन्य) में कार्यरत व्यक्तियों की बर्खास्तगी, पद से हटाने या पदावनत करने के प्रावधानों का उल्लेख है।
- अनुच्छेद 311 (1): किसी व्यक्ति को जो संघ की सिविल सेवा का या अखिल भारतीय सेवा का या राज्य की सिविल सेवा का सदस्य है अथवा संघ या राज्य के अधीन कोई सिविल पद धारण करता है, उसकी नियुक्ति करने वाले प्राधिकारी के अधीनस्थ किसी प्राधिकारी द्वारा पदच्युत नहीं किया जाएगा या पद से नहीं हटाया जाएगा।
- अनुच्छेद 311 (2): किसी भी सिविल सेवक को, ऐसी जाँच के पश्चात् ही, जिसमें उसे अपने विरुद्ध लगे आरोपों की सूचना दे दी गई है और उसे उन आरोपों के संबंध में सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर दे दिया गया है, पदच्युत किया जाएगा या पद से हटाया जाएगा या पंक्ति में अवनत किया जाएगा, अन्यथा नहीं। परन्तु यह खंड वहां लागू नहीं होगा:
- अनुच्छेद 311 (2)(a): जहां कसी व्यिक्त को ऐसे आचरण के आधार पर पदच्यतु किया जाता है या पद से हटाया जाता है या पदावनत किया जाता है जिसके लिए आपराधिक आरोप पर उसे सिद्धदोष ठहराया गया है। या
- अनुच्छेद 311 (2)(b): जहां किसी व्यक्ति को पदच्यतु करने या पद से हटाने या पदावनत करने के लिए सशक्त प्राधिकारी का यह समाधान हो जाता है कि किसी कारण से, जो उस प्राधिकारी द्वारा लेखबद्ध किया जाएगा, यह युक्तियुक्त रूप से साध्य नहीं है कि ऐसी जांच कि जाए ; या
- अनुच्छेद 311 (2)(c): जहां, यथास्थिति, राष्ट्रपति या राज्यपाल का यह समाधान हो जाता है कि राज्य की सुरक्षा के हित में यह समीचीन नहीं है कि ऐसी जांच की जाए।
- अनुच्छेद 311(2)(c) के विशेष प्रावधानों के तहत आरोपी के खिलाफ किसी जांच की आवश्यकता नहीं है और उप-राज्यपाल सुरक्षा एजेंसियों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर बर्खास्तगी को मंजूरी दे सकते हैं।
अनुच्छेद 311 के बारे में अधिक जानकारी के लिए: Article 311
महत्वपूर्ण तथ्य:
- ई-संजीवनी एक वरदान है जो डिजिटल इंडिया की ताकत दिखाता है:
- मन की बात के नवीनतम एपिसोड में भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा है कि ई-संजीवनी एप्लिकेशन जैसे प्रयोगों ने देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए चिकित्सा सेवाएं सुनिश्चित की हैं।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि ई-संजीवनी ऐप के माध्यम से टेली-परामर्श की संख्या, जो व्यक्तियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डॉक्टरों से परामर्श करने के लिए एक मंच प्रदान करती है, 10 करोड़ का आंकड़ा पार कर गई है।
- उन्होंने आगे कहा कि ई-संजीवनी ऐप ने हर कोने में डिजिटल इंडिया की शक्ति का प्रदर्शन किया है और लोगों के लिए एक बड़ा वरदान साबित हुआ है।
- ई-संजीवनी ऐप आम आदमी, मध्यम वर्ग और दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले उन लोगों के लिए एक जीवन रक्षक ऐप के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिनके पास आमतौर पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं।
ई-संजीवनी के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहाँ क्लिक कीजिए: eSanjeevani
- मैला ढोने की प्रथा पर रोक के लिए क्या कदम उठाए: सर्वोच्च न्यायालय
- सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को आदेश दिया है कि मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने के लिए सुनाए गए फैसले को लागू करने के लिए किए गए कार्यों का रिकॉर्ड रखे।
- सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कहा कि मैला ढोने वालों का रोज़गार और शुष्क शौचालयों के निर्माण (निषेध) अधिनियम, 1993 तथा हाथ से मैला ढोने वालों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 के लागू होने के साथ इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद हाथ से मैला ढोने के कारण और सीवर लाइनों में फंसकर होने वाली मौतें अभी भी जारी हैं।
- शीर्ष अदालत ने सफाई कर्मचारी आंदोलन और अन्य बनाम भारत संघ (2014) मामले में अपने फैसले में प्रतिषेध को सशक्त किया था और मैला ढोने वालों के रूप में कार्यरत लोगों के पुनर्वास का निर्देश दिया था।
- दायर की गई एक याचिका में मैला ढोने वालों के पुनर्वास, सूखे शौचालयों का उन्मूलन, छावनी बोर्डों और रेलवे में सफाई कर्मचारियों के रोजगार और नगर निकायों द्वारा सीवेज की सफाई को यंत्रीकृत करने के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरणों की प्रकृति के संबंध में केंद्र द्वारा की गई कार्रवाई का विवरण मांगा गया है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-सी समिति अनुसूचित जनजाति से संबंधित है? (स्तर – मध्यम)
- भूरिया समिति
- ऋषिकेश पांडा समिति
- लोकुर समिति
- ज़ाक्सा समिति
विकल्प:
- केवल 1 और 2
- केवल 2, 3 और 4
- केवल 1, 3 और 4
- 1, 2, 3 और 4
उत्तर: d
व्याख्या:
- लोकुर समिति (1965) को “तर्कसंगत और वैज्ञानिक तरीके” से मौजूदा अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) की सूचियों को संशोधित करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UT) के प्रस्तावों पर सरकार को सलाह देने का काम सौंपा गया था।
- भूरिया आयोग (2002-2004) को भारत में अनुसूचित जनजातियों (ST) की समस्याओं की जांच और रिपोर्टिंग करने, एक व्यापक जनजातीय नीति तैयार करने और ST के भविष्य के लिए एक दृष्टि की रूपरेखा तैयार करने का काम सौंपा गया था।
- ज़ाक्सा समिति (2013) की स्थापना भारत में जनजातीय समुदायों की सामाजिक-आर्थिक, स्वास्थ्य और शैक्षिक स्थिति में सुधार के लिए की गई थी।
- देहाती समुदायों के वन अधिकारों की जांच के लिए फरवरी 2014 में ऋषिकेश पांडा समिति का गठन किया गया था।
प्रश्न 2. निम्नलिखित द्वीपों को दक्षिण से उत्तर के क्रम में व्यवस्थित कीजिए: (स्तर – कठिन)
- बारातांग द्वीप
- स्मिथ द्वीप
- पैसेज द्वीप
- उत्तरी रीफ द्वीप
विकल्प:
- 1-2-3-4
- 2-4-1-3
- 3-1-4-2
- 4-2-1-3
उत्तर: c
व्याख्या:
प्रश्न 3. प्रसार भारती के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (स्तर – कठिन)
- प्रसार भारती एक वैधानिक स्वायत्त निकाय है।
- प्रसार भारती के मामलों के सामान्य अधीक्षण, निर्देशन और प्रबंधन का अधिकार सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव के पास होता है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- दोनों
- कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: प्रसार भारती, प्रसार भारती अधिनियम के तहत स्थापित एक वैधानिक स्वायत्त निकाय है और 1997 में अस्तित्व में आया।
- कथन 2 सही नहीं है: प्रसार भारती के मामलों का सामान्य अधीक्षण, निर्देशन और प्रबंधन का अधिकार प्रसार भारती बोर्ड में निहित है।
- प्रसार भारती बोर्ड की अध्यक्षता एक चेयरमैन (अध्यक्ष) द्वारा की जाती है और इसमें – एक कार्यकारी सदस्य, सदस्य (कार्मिक), सदस्य (वित्त), छः अंशकालिक सदस्य और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का एक प्रतिनिधि और पदेन सदस्यों के रूप में आकाशवाणी और दूरदर्शन के महानिदेशक शामिल होते हैं।
प्रश्न 4. अल्मा (ALMA) टेलीस्कोप के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
- यह कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में डोमिनियन रेडियो एस्ट्रोफिजिकल ऑब्जर्वेटरी में स्थित एक इंटरफेरोमेट्रिक रेडियो टेलीस्कोप है।
- इसमें चार एंटीना होते हैं जिनमें 100 x 20 मीटर के बेलनाकार परवलयिक परावर्तक होते हैं, जिनके ऊपर 1024 द्वि-ध्रुवीकरण रेडियो रिसीवर होते हैं जो उनके ऊपर एक सहारे से लगाए जाते हैं।
- यह फास्ट रेडियो बर्स्ट (FRBs) की परिघटना का अवलोकन करने के लिए एक बेहतर साधन है।
विकल्प:
- केवल 1 और 2
- केवल 3
- 1, 2 और 3
- कोई नहीं
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: अटाकामा लार्ज मिलिमीटर/सबमिलीमीटर ऐरे (ALMA) उत्तरी चिली के अटाकामा रेगिस्तान में स्थित एक रेडियो टेलीस्कोप/दूरबीन है।
- कथन 2 सही नहीं है: टेलीस्कोप में उच्च-परिशुद्धता के 66 एंटीना लगे हैं, जो 16 किमी. तक की दूरी में फैले हुए हैं।
- कथन 3 सही नहीं है: ALMA एक परिवर्तनकारी रेडियो टेलीस्कोप है जो रेडियो और अवरक्त विकिरण सीमा के बीच के ब्रह्मांडीय प्रकाश का अध्ययन कर सकता है।
- कैनेडियन हाइड्रोजन इंटेंसिटी मैपिंग एक्सपेरिमेंट (CHIME) फास्ट रेडियो बर्स्ट (FRBs) के संग्रह से जुड़ा है और ALMA टेलीस्कोप का FRBs से कोई लेना-देना नहीं है।
प्रश्न 5. महिलाओं और बच्चों के काम के घंटों को सीमित करने और स्थानीय सरकार को आवश्यक नियम बनाने के लिए अधिकृत करने वाला पहला कारखाना अधिनियम किसके समय के दौरान अपनाया गया था? PYQ (2022) (स्तर – मध्यम)
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड बेंटिंक
- लॉर्ड रिपन
- लॉर्ड कैनिंग
उत्तर: c
व्याख्या:
- लॉर्ड रिपन के प्रशासन के दौरान वर्ष 1881 में पहला कारखाना अधिनियम पारित किया गया था।
- प्रथम कारखाना अधिनियम के तहत स्थानीय कारखाने के श्रमिकों के काम के घंटे कम करने और उनकी स्थितियों में सुधार करने का कदम उठाया गया।
- लॉर्ड रिपन को 1880 में भारत के वायसराय के रूप में नियुक्त किया गया था और उसका कार्यकाल 1884 में समाप्त हुआ था।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. ग्रीष्म लहरें क्या हैं? उनके गठन और प्रभाव पर चर्चा कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (GS III – आपदा प्रबंधन)
प्रश्न 2. मासिक धर्म अवकाश नीति दोधारी तलवार बन सकती है। समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (GS II – सामाजिक न्याय)