27 जून 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: सामाजिक न्याय:
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
F. प्रीलिम्स तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
गर्भपात पर भारतीय कानून
सामाजिक न्याय:
विषय: कमजोर वर्गों की सुरक्षा और बेहतरी के लिए गठित तंत्र एवं कानून।
प्रारंभिक परीक्षा: मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MPT) एक्ट
मुख्य परीक्षा: भारत में गर्भपात पर कानूनों का समालोचनात्मक मूल्यांकन।
संदर्भ:
- जैसे ही अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने 1973 के ऐतिहासिक रो बनाम वेड (Roe v. Wade ) फैसले को पलट दिया वैसे ही भारत में गर्भपात से सम्बंधित कानून सुर्खियों में आ गए हैं।
1973 का रो बनाम वेड निर्णय क्या है?
- सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने रो बनाम वेड मामले में अमेरिका में गर्भपात को संवैधानिक अधिकार बना दिया था।
- जिसमे कहा गया था कि गर्भपात कराना या न कराना, यह तय करना महिलाओं का अधिकार है,सुप्रीम कोर्ट ने अब उस फैसले को पलट दिया है।
- इसने अमेरिका में महिलाओं को गर्भ के बाहर भ्रूण के जीवक्षम होने से पहले या 24-28 सप्ताह से पहले गर्भपात करवाने का का अधिकार दिया था।
- रो बनाम वेड निर्णय और फैसले के बारे में अधिक जानने के लिए 06 मई 2022 का यूपीएससी परीक्षा व्यापक समाचार विश्लेषण देखें।
भारत में गर्भपात कानूनों की पृष्ठभूमि:
- भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 312 के तहत किसी गर्भवती महिला की जान बचाने के लिए किए गए गर्भपात को छोड़कर भारत में गर्भपात को अवैध माना जाता था।
- इसके अलावा, आईपीसी की धारा 313 में उस व्यक्ति के लिए सजा का प्रावधान है, जो गर्भवती महिला की सहमति के बिना गर्भपात करवाता है।
- 1960 के दशक में, देश में बड़ी संख्या में गर्भपात की सूचना मिली थी और केंद्र सरकार ने 1964 में गर्भपात के मुद्दे को देखने और उस पर कानून बनाने की आवश्यकता का पता लगाने के लिए शांतिलाल शाह समिति का गठन किया था।
- इस समिति ने देश में गर्भपात के चिकित्सीय, कानूनी और सामाजिक-सांस्कृतिक पहलुओं पर विस्तृत अध्ययन किया।
- समिति ने असुरक्षित गर्भपात और मातृ मृत्यु दर की समस्या का हल करने के लिए गर्भपात को वैध बनाने और इस पर व्यापक कानून की सिफारिश की।
- इसकी सिफारिशों के आधार पर, सरकार ने 1971 में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट तैयार किया।
गर्भावस्था की चिकित्सा समाप्ति (MTP) अधिनियम, 1971 (Medical Termination of Pregnancy (MTP) Act, 1971):
- इस अधिनियम ने भारतीय दंड संहिता की धारा 312 और 313 के प्रावधानों को छोड़कर इस बात पर भी नियम निर्धारित किये कि चिकित्सीय गर्भपात कैसे और कब करवाया जा सकता है।
- इस अधिनियम में केवल गर्भधारण की चिकित्सीय समाप्ति की अनुमति दी गई है।
- MPT अधिनियम ने भारत में व्यापक गर्भपात देखभाल (CAC) सेवाओं को उपलब्ध कराने के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान किया।
- जिसमे निम्न अधरों पर गर्भपात की अनुमति थी;
- यदि गर्भावस्था को प्रसव तक खींचना किसी महिला के स्वास्थ्य के लिए बहुत जोखिम पूर्ण हो।
- यदि ऐसी आशंका हो कि पैदा होने वाला शिशु स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगा तो गर्भपात करवाया जा सकता हैं।
- जहां बलात्कार या गर्भ निरोधकों की विफलता के कारणमहिला गर्भवती हुई हो।
- गर्भधारण के 20 सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति दी गई थी, जिसमें कई तरह की शर्तें थीं:
- गर्भावस्था के 12 सप्ताह तक MTP का उपयोग करने के लिए एक पंजीकृत डॉक्टर की राय आवश्यक होती हैं।
- 20 सप्ताह तक के गर्भ का गर्भपात करवाने के लिए MTP का उपयोग करने के लिए दो डॉक्टरों की राय आवश्यक होती हैं।
MTP अधिनियम का विकास:
- 2003 में नए नियम बनाए जिसमें सात सप्ताह तक की गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने के लिए गर्भपात की नई खोजी गई दवा की गोलियाँ, मिफेप्रिस्टोन (mifepristone) और मिसोप्रोस्टोल (misoprostol) के उपयोग की अनुमति दी गई थी।
- सितंबर 2021 में लागू हुए मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) अधिनियम के माध्यम से मूल अधिनियम में व्यापक संशोधन किए गए थे।
गर्भावस्था की चिकित्सा समाप्ति (संशोधन) अधिनियम, 2021 (Medical Termination of Pregnancy (Amendment) Act, 2021):
- इस संशोधित अधिनियम ने गर्भावधि की ऊपरी सीमा को बढ़ा दिया, जिसमें एक महिला 1971 के मूल अधिनियम में अनुमत 20 सप्ताह से 24 सप्ताह तक चिकित्सा गर्भपात की मांग कर सकती है।
- हालाँकि, इस बढ़ी हुई ऊपरी सीमा का प्रयोग केवल विशिष्ट मामलों में किया जा सकता है जिसमें:
- एक महिला या तो यौन हमले या बलात्कार या अनाचार से पीड़ित है।
- यदि कोई महिला नाबालिग है।
- यदि चल रही गर्भावस्था (विधवा या तलाकशुदा) के दौरान महिला की वैवाहिक स्थिति बदल गई है।
- यदि कोई महिला शारीरिक रूप से अक्षम या वह मानसिक रूप से बीमार है।
- यदि असंगत भ्रूण विकृति से पैदा होने वाले बच्चे के गंभीर रूप से विकलांग होने कि आशंका हो।
- यदि महिला सरकार द्वारा घोषित मानवीय स्थिति या आपदा या आपातकालीन स्थिति में है।
- इसके अलावा, गर्भावस्था के 20 सप्ताह तक केवल एक डॉक्टर और 20 से 24 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए दो डॉक्टरों की राय की आवश्यकता होगी।
- गर्भावस्था को 24 सप्ताह की गर्भकालीन आयु से अधिक होने पर केवल भ्रूण की असामान्यताओं के आधार पर समाप्त किया जा सकता है और यदि अधिनियम के तहत प्रत्येक राज्य में स्थापित चार सदस्यीय मेडिकल बोर्ड ऐसा करने की अनुमति प्रदान करता है।
- मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) अधिनियम, 2021 के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Medical Termination of Pregnancy (Amendment) Act, 2021
गर्भपात के मामलों में न्यायिक हस्तक्षेप:
- इस बात पर भी ध्यान दिया गया है कि कई महिलाएं सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों का दरवाजा खटखटाती हैं, जब मेडिकल बोर्ड गर्भावधि की ऊपरी सीमा (अब 24 सप्ताह) से परे MTP तक पहुंचने के उनके आवेदन को अस्वीकार कर देते हैं, या गर्भावस्था को निरस्त करने की अनुमति मांगी जाती हैं, एवं ज्यादातर यौन हमले के मामलों में,अगर भ्रूण की असामान्य स्थिति होने पर।
- प्रतिया अभियान (Pratiya Campaign) के एक वकील की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अगस्त 2020 तक के 15 महीनों में, देश भर के उच्च न्यायालयों ने गर्भपात की अनुमति मांगने वाली महिलाओं की 243 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई की।
- ऐतिहासिक पुट्टस्वामी फैसले में,सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गर्भवती व्यक्ति द्वारा “गर्भावस्था जारी रखना या नहीं” का निर्णय ऐसे व्यक्ति के निजता के अधिकार का हिस्सा है और इसलिए यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का भी एक हिस्सा है।
- सुचिता श्रीवास्तव बनाम चंडीगढ़ प्रशासन मामले में एक बलात्कार की शिकार एक महिला गर्भवती हो गई थी। उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि उसका गर्भ गिराया जाए लेकिन वह महिला बच्चा चाहती थी।
- SC ने उसकी बात मान ली और कहा कि “एक महिला के निजता, गरिमा और शारीरिक अखंडता के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए”।
- 2015 में, गुजरात उच्च न्यायालय ने एक 14 वर्षीय बलात्कार पीड़िता की गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग वाली एक याचिका को खारिज कर दिया था, जो अपनी गर्भावस्था के 24 वें सप्ताह में थी क्योंकि 1971 के मूल MTP अधिनियम में केवल 20 सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति हैं।
- हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज कर दिया और उस व्यक्ति को MTP का विकल्प चुनने की अनुमति दी जब वह लगभग 26 सप्ताह की गर्भवती थी।
- फरवरी 2022 में, उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक बलात्कार पीड़िता को 28 सप्ताह के भ्रूण को समाप्त करने का आदेश दिया।
- इसके अलावा, फरवरी 2022 में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 37 वर्षीय एक महिला को, जो 34 सप्ताह की गर्भावस्था में थी, MTP का लाभ उठाने की अनुमति दी क्योंकि भ्रूण में रीढ़ की हड्डी की एक लाइलाज बीमारी का पता चला था।
- इस फैसले ने भारत में अब तक के सबसे लम्बी अवधि के गर्भ के लिए गर्भपात की अनुमति दी हैं।
गर्भपात कानून की आलोचना:
- डॉक्टरों की कमी:
- MTP अधिनियम अनिवार्य करता है कि गर्भपात केवल स्त्री रोग या प्रसूति में विशेषज्ञता वाले डॉक्टरों द्वारा किया जाना चाहिए।
- 2018 में लैंसेट के एक अध्ययन में पाया गया कि 2015 तक भारत में सालाना 1.56 करोड़ से अधिक गर्भपात हुए।
- हालाँकि, ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की 2019-20 की रिपोर्ट ग्रामीण भारत में प्रसूति रोग विशेषज्ञों या स्त्री रोग विशेषज्ञों की 70% कमी दर्शाती है।
असुरक्षित गर्भपात की चुनौतियां:
- आलोचकों का मानना है कि चूंकि कानून अपनी मर्जी से गर्भपात की अनुमति नहीं देता है, इसलिए यह महिलाओं को असुरक्षित और अस्वच्छ परिस्थितियों में अवैध तरीके से गर्भपात कराने के लिए मजबूर करता है।
- रिपोर्टों से पता चलता है कि भारत में सालाना लगभग आठ लाख असुरक्षित और अवैध गर्भपात किए जाते हैं और उनमें से कई के परिणामस्वरूप मातृ मृत्यु दर बढ़ती है।
- MTP अधिनियम से संबंधित चिंताओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए 08 अप्रैल 2021 का यूपीएससी परीक्षा व्यापक समाचार विश्लेषण देखें।
संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
नई दिल्ली के तालिबान मेलजोल की समझ:
विषय: भारत के हितों को प्रभावित करने वाले तथा भारत से जुड़े द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समझौते।
मुख्य परीक्षा: भारत का तालिबान के साथ संबंधों का पुन: उन्मुखीकरण और इस कदम के पक्ष और विपक्ष में तर्क।
पृष्टभूमि:
- भारत ने हाल ही में तालिबान के कब्जे वाले काबुल में एक वरिष्ठ राजनयिक प्रतिनिधिमंडल भेजा है।
- अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत ने जो रुख अपनाया था, उससे अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक आश्चर्य चकित हैं। वास्तव में भारत पहला ऐसा देश था जिसने 2021 में तालिबान द्वारा अफगानिस्तान के अधिग्रहण के बाद भारत आने वाले सभी अफगानों पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया तथा सभी राजनयिक संबंधों को खत्म कर दिया था।
- इसलिए एक वरिष्ठ राजनयिक प्रतिनिधिमंडल को भेजने के कदम को अफगानिस्तान में तालिबान शासन के साथ भारत के स्पष्ट पुनर्रचना के रूप में देखा जा रहा है।
- इस विकास को विगत कुछ महीनों में भारत की शांत कूटनीति की परिणति के रूप में देखा जा सकता है। विशेष रूप से, भारत ने तालिबान शासन की सीधे आलोचना करने से परहेज किया व तालिबान शासन के खिलाफ वोटों से भी किनारा किया और अफगानिस्तान की बिगड़ती स्थिति पर चुप्पी साधी।
तालिबान शासन के साथ भारत के पुनर्रचना के पीछे संभावित कारक:
- भारत के प्रत्यक्ष पुनर्विन्यास को वास्तविक राजनीतिक उदाहरण के रूप में वर्णित और समझा जा सकता है।
- रियलपोलिटिक (Realpolitik), राजनीति या सिद्धांतों की एक प्रणाली है जो नैतिक या वैचारिक विचारों के बजाय व्यावहारिक है।
- भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों और मूल्यों से पहले रखा है। तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान में राजनयिक पैर जमाने से भारत न केवल अफगानिस्तान में बल्कि बड़े मध्य एशियाई क्षेत्र में भी अपने हितों की रक्षा करेगा। साथ ही यह भारत को तालिबान शासन के साथ पाकिस्तान के लाभ को कम करने और पाकिस्तान की रणनीतिक गहराई को कम करने में सहायक होगा।
- तालिबान के साथ भारत के संबंध भारत को सुरक्षा और व्यापार एवं वाणिज्य के क्षेत्र में भी अफगानिस्तान में अपने प्रमुख रणनीतिक हितों को साधने में सहायक हो सकता हैं।
तालिबान के साथ भारत के संबंधों खिलाफ तर्क:
अफगानिस्तान में मानवीय संकट की अनदेखी:
- तालिबान ने सभी गैर-तालिबान पश्तूनों को सार्वजनिक स्थानों से बाहर कर दिया, जो कि गैर-पश्तून समुदायों के मानवाधिकारों का उल्लंघन है तथा यह सीमा पार जातीय नरसंहार मानवता के खिलाफ है।
- तालिबान शासन के साथ भारत का जुड़ाव तब सामने आया जब भारत, अफगान समाज के इन वर्गों की दुर्दशा की अनदेखी कर रहा है तथा यह उसकी सद्भावना की छवि को कमजोर कर देगा जो भारत ने इस क्षेत्र में अपने विकास और सहायता कार्यों द्वारा अफगान आबादी के बीच बनाया था।
- अफगान आबादी द्वारा भारत को एक आदर्श और भरोसेमंद भागीदार राष्ट्र के रूप में देखा जाता है। भारत का हालिया कदम गलत साबित हो सकता है क्योंकि इससे भारत के प्रति अफगानों के विश्वास और सद्भावना का नुकसान हो सकता है।
भारत की वैश्विक स्थिति को प्रभावित:
- यह कदम भारत को एक अवसरवादी राष्ट्र के रूप में प्रदर्शित करता है जो भारत की वैश्विक शक्ति बनने की आकांक्षा के लिए अच्छा नहीं है। इस प्रकार यह भारत की वैश्विक स्थिति को काफी हद तक प्रभावित करेगा।
इस कदम के फायदों पर संदेह:
- यद्यपि भारत के कदम को तालिबान के भीतर भारत के अनुकूल गुट बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जिस तरह से पाकिस्तान के सैन्य-खुफिया प्रतिष्ठान ने तालिबान में असंतुष्टों के साथ व्यवहार किया है, तालिबान के साथ संबंधों को पुनर्निर्देशित करने का कदम सिर्फ भारत की इच्छाधारी सोच के रूप में सामने आता है।
- इसलिए इस बात पर गंभीर संदेह है कि क्या यह कदम भारत-तालिबान संबंध अफगानिस्तान में भारत के हितों की रक्षा करेगा या नहीं।
“इंडिया फर्स्ट” नीति के विपरीत:
- अफगानिस्तान भारत के लिए एक प्रमुख सुरक्षा-केंद्रित समस्या बना हुआ है, जैसे कि चरमपंथ और आतंकवाद, अवैध ड्रग्स और छद्म युद्ध आदि। अफगानिस्तान में सक्रिय चरमपंथी और आतंकवादी समूहों के लिए भारत प्राथमिक लक्ष्य है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
हनोई और नई दिल्ली रक्षा संबंधों में मजबूती:
विषय: भारत के हितों को प्रभावित करने वाले तथा भारत से जुड़े द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समझौते।
मुख्य परीक्षा: वियतनाम के साथ भारत की रक्षा साझेदारी तथा इसका महत्व।
संदर्भ:
- भारतीय रक्षा मंत्री की वियतनाम यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।
- यात्रा के दौरान भारत-वियतनाम रक्षा साझेदारी के तहत संयुक्त विजन स्टेटमेंट 2030 पर हस्ताक्षर किए गए।
- संयुक्त विजन स्टेटमेंट का उद्देश्य क्षेत्रीय और वैश्विक दोनों मुद्दों से संबंधित दोनों देशों के बीच मौजूदा रक्षा सहयोग के दायरे को बढ़ावा देना है।
- दोनों देशों ने आपसी रसद सहायता पर एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर भी हस्ताक्षर किए।
- वियतनाम द्वारा किसी अन्य देश के साथ हस्ताक्षरित यह पहला ऐसा समझौता है।
पृष्टभूमि:
- वियतनाम की भारत के साथ एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी की है।
- भारत और वियतनाम के बीच रक्षा साझेदारी में वर्षों से लगातार वृद्धि हो रही है।
- रक्षा प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर 2000 में किए गया था जिसके तहत वर्तमान में भारत-वियतनाम के बीच रक्षा संबंधों में व्यापक नौसेना सहयोग शामिल है, जिसमें वियतनाम की रक्षा आवश्यकताओं के लिए खुफिया, उत्पादन और सैन्य समर्थन, न्हा ट्रांग जैसी नौसेना सुविधाओं के विकास के साथ-साथ भारत द्वारा वियतनाम को युद्धपोत और क्रूज मिसाइलों की आपूर्ति शामिल है।।
भारत-वियतनाम रक्षा संबंधों का महत्व:
समुद्री क्षेत्र:
- भारत और वियतनाम का केंद्रीय फोकस विशेष रूप से समुद्री क्षेत्र पर नियंत्रण करना है। जिसके निम्नलिखित कारण है:
- समुद्री व्यापार का एक बड़ा हिस्सा भारत-प्रशांत क्षेत्र के इन्हीं समुद्री मार्गों से होकर गुजरता है।
- इस क्षेत्र में बड़े ऊर्जा भंडार है।
चीनी कारक:
- चीन की बढ़ी हुई भू-रणनीतिक प्रमुखता और क्षेत्र में इसके बढ़ते मुखर व्यवहार के कारण समूर्ण क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- भारत और वियतनाम इस संदर्भ में मजबूत संबंध की ओर बढ़ रहे हैं। वियतनाम, दक्षिण चीन सागर में चीन के उल्लंघनों का आलोचक रहा है। भारत ने दक्षिण चीन सागर में वियतनाम की स्थिति का समर्थन किया है। भारत चीन के विरोध के बावजूद वियतनाम के विशेष आर्थिक क्षेत्र में ONGC विदेश लिमिटेड (OVL) की तेल खोज परियोजना को जारी रखने से पीछे नहीं हटा है।
विचारों का अभिसरण:
- भारत-प्रशांत क्षेत्र में वियतनाम और भारत दोनों के ही दृष्टिकोण एक जैसे हैं।
- भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी, इंडो-पैसिफिक पॉलिसी और समुद्री बहुपक्षवाद एवं इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा पहुंच वियतनाम को भारत के लिए एक स्वाभाविक भागीदार बनाती है।
- दोनों देश नौवहन की स्वतंत्रता के समर्थक हैं तथा अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून के तहत निहित संप्रभु समुद्री क्षेत्रीय अधिकारों को बनाए रखते हैं।
अनुशंसा:
- भारत द्वारा वियतनाम को दी गई $500 मिलियन की डिफेंस लाइन ऑफ क्रेडिट को जल्द से जल्द अंतिम रूप देना तथा दोनों देशों के बीच मौजूदा रक्षा एवं सुरक्षा परियोजनाओं/समझौतों का कार्यान्वयन दोनों पक्षों के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। यह भारत को इस क्षेत्र में एक शुद्ध सुरक्षा प्रदाता के रूप में अपनी जगह पक्की करने में मदद करेगा और एक तरफ ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ विजन के अनुरूप भी होगा, जबकि दूसरी ओर यह वियतनाम की रक्षा क्षमताओं को भी मजबूत करने में मदद करेगा।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. जंगल में हाथियों की आवाजाही को रोकने के लिए ओडिशा सायरन लगाएगा:
- ओडिशा वन विभाग ने एक सायरन प्रणाली इजाद की है,जो अपने इन्फ्रारेड सेंसर सिस्टम द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग पर आने वाले हाथियों के झुंड का पता लगाएगी और हाथियों को सड़क पार करने के बाद स्वचालित रूप से बंद हो जायगी,जिससे यातायात सुचारु रूप से चलने लगता है।
- इस कदम से मानव-हाथी संघर्ष के कम होने की उम्मीद है।
- जैसे ही फसल का मौसम शुरू होता हैं,जंगली हाथियों के जंगलों से बाहर आने की सम्भावना बढ़ जाती है और अतः ऐसी परिस्थियों से निपटने के लिए ढेंकनाल वन विभाग ने हाथियों के लिए पांच क्रॉसिंग पॉइंट की पहचान की है।
- इसके अलावा, खादी ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) अंगुल जिले में हाथियों को दूर रखने के लिए एक मधुमक्खी पालन कार्यक्रम चला रहा है।
- केवीआईसी ने अथमालिक वन प्रभाग के सहयोग से अंगुल जिले के लक्ष्मीपुर गांव की सीमा पर लगभग 100 मधुमक्खी बक्से लगाए हैं।
- यदि मार्ग में हाथियों द्वारा मधुमक्खियों के बक्सों पर प्रहार किया जाता है,उनके द्वारा हाथियों को काटे जाने की आशंका होती है, जिससे वे दूर भाग जाते हैं और यह उन्हें गाँव में भटकने और बड़े फसल क्षेत्रों को नुकसान पहुँचाने से रोकते हैं।
2. केंद्र ने कंपनियों से तिरंगे की व्यवस्था करने को कहा:
- केंद्र सरकार एक बड़े पैमाने पर अभियान शुरू करने की तैयारी कर रहा है,जिसके तहत नागरिकों को 75वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने घरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए प्रोत्साहित किया जायगा।
- आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में,संस्कृति मंत्रालय देश भर में 11 से 17 अगस्त को “स्वतंत्रता सप्ताह” के रूप में मनाने की योजना बना रहा है जिसमे देश के 26 करोड़ परिवारों को ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के हिस्से के रूप में तिरंगा झंडा फहराने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
- इस अभियान को सुविधाजनक बनाने के लिए, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2021 में फ्लैग कोड में संशोधन किया था,ताकि झंडे को पॉलिएस्टर और मशीन से बनाया जा सके। इस संशोधन से पहले केवल हाथ से बुने हुए या हाथ से बने झंडे बनाने की अनुमति थी।
- तिरंगे की उपलब्धता को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने निर्माताओं और ई-कॉमर्स साइटों से संपर्क किया है।
- गवर्नमेंट-ई-मार्केटप्लेस (GeM) पोर्टल,जिसके माध्यम से सरकारी विभागों और मंत्रालयों ने उत्पाद खरीदे थे ने झंडों के ऑर्डर लेने में भी दिलचस्पी दिखाई है।
3. G7 ने चीन को टक्कर देने के लिए 600 अरब डॉलर की वैश्विक बुनियादी ढांचा योजना का प्रस्ताव रखा:
- G7 समूह ने गरीब देशों में वैश्विक बुनियादी ढांचा कार्यक्रमों के लिए 600 बिलियन डॉलर जुटाकर चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के साथ प्रतिस्पर्धा करने के प्रयास की घोषणा की।
- G7 सहयोगियों कनाडा, जर्मनी, इटली, जापान और यूरोपीय संघ के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा अनावरण किए गए ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इनवेस्टमेंट के लिए साझेदारी का उद्देश्य एक बड़े अंतर को भरना है क्योंकि चीन दुनिया भर में अपने राजनयिक प्रभाव को बढ़ाने के लिए अपनी आर्थिक शक्ति का उपयोग करता है।
- कार्यक्रम का उद्देश्य दुनिया के दूर-दराज के कोनों में सड़कों और बंदरगाहों जैसे बुनियादी ढांचे की एक विस्तृत श्रृंखला को बेहतर बनाने के उद्देश्य से परियोजनाओं को निधि देना है।
- चीन की सरकारी BRI पहल के विपरीत, यह प्रस्तावित जी7 फंडिंग काफी हद तक निजी कंपनियों पर निर्भर करेगी कि वे बड़े पैमाने पर निवेश करने के लिए तैयार हैं और इसलिए इसकी गारंटी नहीं है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारतीय शास्त्रीय नृत्य रूपों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। (स्तर – मध्यम)
- भरतनाट्यम भारत में सभी शास्त्रीय नृत्य रूपों में सबसे पुराना है और इसकी उत्पत्ति तमिलनाडु में मंदिर नर्तकियों या देवदासियों द्वारा किए जाने वाले एकल नृत्य सदिर से हुई है।
- ओडिसी नृत्य हिंदुस्तानी संगीत के साथ किया जाता है और त्रिभंगा मुद्रा इसमें अन्तर्जात है।
- कथक उत्तर प्रदेश का पारंपरिक नृत्य है और इसकी एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसका विकास विभिन्न घरानों में हुआ है।
निम्नलिखित में से कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: भरतनाट्यम भारत में सभी शास्त्रीय नृत्य रूपों में सबसे पुराना है और इसकी उत्पत्ति तमिलनाडु में हुई है।
- भरतनाट्यम के पूर्ववर्ती नृत्य रूप को सदिर कहा जाता है,जो मंदिर में नर्तकियों या देवदासियों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है ।
- कथन 2 सही है: त्रिभंगा मुद्रा ओडिसी नृत्य में अन्तर्जात है और हिंदुस्तानी संगीत ओडिसी नृत्य में लोकप्रिय है।
- कथन 3 सही है: कथक नृत्य की उत्पत्ति उत्तर प्रदेश से हुई है और इसकी एक महत्वपूर्ण विशेषता विभिन्न घरानों का विकास है।
प्रश्न 2. रणजी ट्रॉफी क्रिकेट चैंपियनशिप के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। (स्तर – कठिन)
- रणजी ट्रॉफी में भारत के सभी 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों की भागीदारी होती है
- महाराष्ट्र ने सबसे अधिक बार रणजी ट्रॉफी जीती है।
- मध्य प्रदेश ने फाइनल में कर्नाटक को हराकर 2021-22 की रणजी ट्रॉफी जीती है।
निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: d
व्याख्या:
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: रणजी ट्रॉफी भारत में खेली जाने वाली एक घरेलू प्रथम श्रेणी क्रिकेट चैंपियनशिप है और इसमें वर्तमान में 38 टीमें शामिल हैं, जिसमें भारत के सभी 28 राज्य और आठ केंद्र शासित प्रदेशों में से चार का प्रतिनिधित्व होता है।
- कथन 2 सही नहीं है: टीम मुंबई ने सबसे अधिक बार यह टूर्नामेंट जीता है।
- मुंबई और महाराष्ट्र को व्यक्तिगत क्रिकेट टीम माना जाता है, राज्य नहीं और इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है कि एक राज्य की केवल एक टीम ही होगी ।
- कथन 3 सही नहीं है: मध्य प्रदेश ने फाइनल में मुंबई को हराकर 2021-22 रणजी ट्रॉफी जीती है।
प्रश्न 3. मिथुन (गयाल) के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर – कठिन)
- यह एक अर्ध-पालतू गोजातीय प्रजाति है जिसे भारतीय जंगली गौर का वंशज माना जाता है।
- यह केवल भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में पाया जाता है।
- यह अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मणिपुर का राज्य पशु है।
विकल्प:
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 1 और 3
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: मिथुन जो एक अर्ध-पालतू गोजातीय प्रजाति है, को जंगली भारतीय गौर का वंशज माना जाता है।
- कथन 2 सही नहीं है: मिथुन मुख्य रूप से भारत के उत्तर-पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र और चीन, म्यांमार, भूटान और बांग्लादेश में भी पाया जाता है।
- कथन 3 सही नहीं है: मिथुन नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश का राज्य पशु है। मणिपुर का राज्य पशु संगाई है।
प्रश्न 4. निम्नलिखित शहरों/कस्बों और संबंधित उद्योगों के युग्मों पर विचार कीजिए। (स्तर – मध्यम)
शहर/कस्बा संबद्ध उद्योग
- तिरुप्पुर टेक्सटाइल्स एंड गारमेंट्स
- जालंधर खेल सामग्री
- सूरत हीरा
- टीटागढ़ पेपर
उपर्युक्त में से कितने युग्म सुमेलित हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) केवल तीन
(d) उपर्युक्त सभी युग्म
उत्तर: d
व्याख्या:
- जोड़ी 1 सही है: तमिलनाडु में तिरुपुर कपड़ा प्रसंस्करण और बुनाई उद्योग का केंद्र है।
- जोड़ी 2 सही है: पंजाब में जालंधर खेल उपकरण, चमड़े और रबर के सामान के उत्पादन के लिए जाना जाता है।
- जोड़ी 3 सही है: गुजरात में सूरत को “दुनिया का हीरा शहर” कहा जाता है और यह हीरे की कटाई और चमकाने का केंद्र है।
- जोड़ी 4 सही है: पश्चिम बंगाल में टीटागढ़ कागज निर्माण के लिए प्रसिद्ध है।
प्रश्न 5. भारत में कार्बोफ्यूरान, मिथाइल पैराथियान, फोरेट और ट्रायजोफोस का उपयोग आशंका के साथ देखा जाता है। इन रसायनों का उपयोग किया जाता है ? PYQ (2019) (स्तर – कठिन)
(a) कृषि में कीटनाशक
(b) प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में संरक्षक
(c) फल पकाने वाले एजेंट
(d) सौंदर्य प्रसाधनों में मॉइस्चराइजिंग एजेंट
उत्तर: a
व्याख्या:
- कार्बोफुरन, मिथाइल पैराथियान, फोरेट और ट्राईजोफोस कृषि में इस्तेमाल होने वाले प्रतिबंधित कीटनाशक हैं।
- केरल में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य के कृषि विभाग ने इन श्रेणियों के कीटनाशकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1.उन शर्तों की चर्चा कीजिए जिनके तहत भारतीय महिलाएं सुरक्षित रूप से गर्भधारण को समाप्त कर सकती हैं। (10 अंक, 150 शब्द) (जीएस II – सामाजिक न्याय)
प्रश्न 2. तालिबान के साथ बातचीत करने के लिए वरिष्ठ राजनयिकों की एक टीम को अफगानिस्तान भेजना भारत का एक सही कदम हैं। क्या आप इससे सहमत हैं? न्यायोचित ठहराइए। (15 अंक, 250 शब्द) (जीएस II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
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