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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 27 October, 2023 UPSC CNA in Hindi

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

सामाजिक मुद्दे:

  1. गर्भपात संबंधी निर्णय और प्रजनन न्याय:

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को कतर में मौत की सजा:

राजव्यवस्था:

  1. तमिलनाडु का जाति सर्वेक्षण:

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. लोकसभा की आचार समिति:
  2. राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. अनामलाई टाइगर रिजर्व:
  2. भारत-यूरोपीय संघ नौसेना अभ्यास:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

गर्भपात संबंधी निर्णय और प्रजनन न्याय:

सामाजिक मुद्दे:

विषय: महिला एवं महिला संगठनों की भूमिका, जनसंख्या और इससे संबद्ध मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: ‘महिलाओं के गर्भपात के अधिकार’ बनाम ‘बच्चे के जीवन के अधिकार’ पर बहस।

प्रसंग:

  • हाल ही में भारत में सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के फैसले ने एक महिला के 26 सप्ताह का गर्भपात करवाने के लिए उस महिला की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसने प्रजनन न्याय के बारे में महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर दिए हैं।

महिलाओं के चयन के अधिकार की व्याख्याः

  • यह फैसला महिलाओं के चयन के अधिकार को कमज़ोर करता प्रतीत होता है, जैसा कि पहले एक्स वी एनसीटी (X v NCT) जैसे ऐतिहासिक मामलों में मान्यता दी गई थी।
  • भ्रूण अधिकारों पर अदालत का रुख भारत में गर्भपात के अधिकारों के आसपास के न्यायशास्त्र में असंगतता पैदा कर रहा है।

गर्भपात के लिए मानसिक स्वास्थ्य आधार:

  • सर्वोच्च न्यायालय ने पहले माना था कि अनचाहे गर्भ को जारी रखने से मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और यह गर्भपात का आधार बन सकता है।
  • हाल के मामले में अदालत ने मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में याचिकाकर्ता के तर्क की वैधता पर सवाल उठाया हैं, जिससे इस सिद्धांत के व्यावहारिक अनुप्रयोग के बारे में संदेह पैदा हुआ हैं।

भ्रूण की ‘व्यवहार्यता’ सिद्धांत और अधिकार:

  • ‘व्यवहार्यता’ सिद्धांत, यह सुझाव देता है कि गर्भपात के अधिकारों को तब कम किया जाना चाहिए जब भ्रूण व्यवहार्य हो और वह चिकित्सीय सहायता से गर्भ के बाहर जिन्दा रह सकता हो, तो गर्भपात के अधिकारों में कटौती की जानी चाहिए, इस पर चर्चा की गई है।
  • भारतीय कानून के तहत भ्रूण के अधिकार अस्पष्ट हैं और उन्हें स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं किया गया है।

समानता के मामले के रूप में गर्भपात:

  • गर्भपात के मामले अक्सर गोपनीयता के मामले के तौर पर सामने आते हैं, लेकिन ये महिलाओं की समानता से भी संबंधित होते हैं।
  • गर्भपात से इनकार करने से महिलाओं को नुकसान होता है, उनका जीवन खतरे में पड़ता है और इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ते हैं।
  • गर्भपात से इनकार को समानता के उल्लंघन के रूप में देखा जा सकता है, जो माताओं के रूप में महिलाओं की भूमिकाओं के बारे में रूढ़ियों और पूर्वाग्रहों को कायम रखता है।

भावी कदम:

  • व्यापक कानूनी सुधारः व्यापक कानून बनाना जो गर्भपात के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश प्रदान करता है, गर्भावस्था की सीमाओं, मानसिक स्वास्थ्य विचारों और भ्रूण की स्थिति जैसे कारकों को संबोधित करता है।
  • सार्वजनिक शिक्षा और जागरूकता: प्रजनन अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और गर्भपात से जुड़े कलंक से निपटने के लिए सार्वजनिक शिक्षा अभियान शुरू करें, यह सुनिश्चित करें कि महिलाओं को इस विषय की अच्छी जानकारी हो।
  • स्वास्थ्य देखभाल पहुंच और गुणवत्ता: महिलाओं के प्रजनन विकल्पों का समर्थन करने के लिए, विशेष रूप से वंचित क्षेत्रों में, गुणवत्तापूर्ण प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार करना।
  • लैंगिक समानता और सशक्तिकरण: लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना, उन रूढ़ियों और पूर्वाग्रहों को चुनौती देना जो प्रजनन संबंधी निर्णय लेने में महिलाओं की स्वायत्तता में बाधक हैं।
  • साक्ष्य-आधारित नीति: महिलाओं के स्वास्थ्य और समानता पर प्रजनन कानूनों के प्रभाव पर विचार करते हुए और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में विविध हितधारकों को शामिल करते हुए, ठोस अनुसंधान और डेटा के आधार पर नीतियां और नियम विकसित करना।

सारांश:

  • भारत में गर्भपात अधिकारों पर सर्वोच्च न्यायालय का हालिया फैसला प्रजनन न्याय सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग करता है। इसके प्रमुख कदमों में व्यापक कानूनी सुधार, सार्वजनिक शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सेवा पहुंच, लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और साक्ष्य-आधारित नीति विकास शामिल हैं। इन उपायों का उद्देश्य महिलाओं की स्वायत्तता की रक्षा करना, कलंक को कम करना और सूचित, न्यायसंगत प्रजनन विकल्पों का समर्थन करना है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को कतर में मौत की सजा:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत और उसका पड़ोस – अंतर्राष्ट्रीय संबंध; विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का भारत के हितों, प्रवासी भारतीयों पर प्रभाव।

मुख्य परीक्षा: भारत-कतर संबंध।

प्रसंग:

  • कतर के दोहा में कार्यरत आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को कथित जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई हैं। इससे भारत-कतर संबंधों पर इसके प्रभाव को लेकर चिंता बढ़ गई है।

विवरण:

  • कथित जासूसी मामले में कतर की एक अदालत ने आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को मौत की सजा सुनाई है।
  • भारत सरकार ने कतर के इस फैसले पर आश्चर्य व्यक्त किया है और वह सक्रिय रूप से इस फैसले के खिलाफ कानूनी रास्ते की जांच कर रही है।
  • इस मामले से महत्वपूर्ण भारतीय प्रवासी आबादी और मजबूत आर्थिक संबंधों की विशेषता वाले भारत-कतर संबंधों पर असर पड़ने की संभावना है।

जासूसी के आरोप:

  • कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ और कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी सहित आठ लोग दोहा में एक कंपनी में कार्यरत थे।
  • उन पर कतर को सुरक्षा संबंधी सेवाएं प्रदान करते हुए संवेदनशील गुप्त जानकारी के उल्लंघन का आरोप लगाया हैं।

उच्च-दांव संबंध:

  • भारत-कतर संबंधों पर फैसले के संभावित परिणाम चिंता का विषय हैं।
  • भारत और कतर ने आपस में स्थिर संबंध बनाए रखे हैं, जो महत्वपूर्ण भारतीय प्रवासियों के योगदान और घनिष्ठ आर्थिक संबंधों द्वारा चिह्नित है।

आर्थिक संबंध:

  • कतर भारत का प्राथमिक एलएनजी आपूर्तिकर्ता है, जो भारत के कुल वैश्विक एलएनजी आयात में 48% से अधिक का योगदान देता है।
  • भारत कतर से एथिलीन, प्रोपलीन, अमोनिया, यूरिया और पॉलीइथिलीन सहित कई अन्य उत्पादों का भी आयात करता है।

पिछली उच्च-स्तरीय संलग्नताएँ/जुड़ाव:

  • दोनों देशों ने आपस में उच्च स्तरीय जुड़ाव देखा है, जिसमें वर्ष 2016 में भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की दोहा यात्रा और वर्ष 2019 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) के मौके पर कतर के अमीर के साथ बैठकें शामिल हैं।
  • विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फरवरी वर्ष 2022 में कतर का दौरा किया था।

सारांश:

  • दोहा में जासूसी के आरोपी आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को कतर की अदालत द्वारा मौत की सजा दिए जाने से राजनयिक तनाव पैदा हो गया है, जिससे संभावित रूप से मजबूत भारत-कतर संबंध प्रभावित हो रहे हैं, जो एक महत्वपूर्ण भारतीय प्रवासी समुदाय और पर्याप्त आर्थिक संबंधों द्वारा चिह्नित हैं।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

तमिलनाडु का जाति सर्वेक्षण:

राजव्यवस्था:

विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप और उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: महिला श्रम बल भागीदारी दर में गिरावट के कारण और संभावित उपाय।

प्रसंग:

  • बिहार के जाति-आधारित सर्वेक्षण ने देश भर में जाति जनगणना की मांग और 50% आरक्षण सीमा को पार करने पर चर्चा शुरू कर दी है।
  • हालाँकि, तमिलनाडु के अनुभव से पता चलता है कि अकेले जाति जनगणना से अन्य पिछड़ा वर्ग (OBCs) के लिए आरक्षण में वृद्धि नहीं हो सकती है।

दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग:

  • वर्ष 1980 में, तमिलनाडु में एम.जी. रामचंद्रन के नेतृत्व वाली अन्नाद्रमुक सरकार बनी जिसने पिछड़ा वर्ग आरक्षण को 31% से बढ़ाकर 50% कर दिया, जिसके बाद कुल आरक्षण 68% (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए 18% सहित) तक पहुंच गया।
  • इस फैसले के कारण सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा चला, जिसके बाद राज्य सरकार को अक्टूबर 1982 में दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसके प्रमुख जे.ए. अंबाशंकर थे।
  • आयोग ने फरवरी 1985 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

आयोग के कार्य की मुख्य विशेषताएं:

  • आयोग ने 1983-84 के दौरान दो चरणों में सामाजिक-शैक्षिक-सह-आर्थिक सर्वेक्षण किया।
  • इसने पिछड़ा वर्ग के वर्गीकरण के लिए एक व्यापक घर-घर जाकर गणना की, जो 1921 की जनगणना के अनुमान के बजाय 1983-84 के आंकड़ों पर आधारित थी, जैसा कि पिछले पैनल ने किया था।
  • आयोग ने पिछड़ा वर्ग, अधिकांश पिछड़ा वर्ग, विमुक्त समुदाय (Denotified Communities (DNCs)), एससी, एसटी और अन्य जैसे मुख्य समूहों के तहत 298 समुदायों की पहचान की।
  • पिछड़ा वर्ग की आबादी अनुमानित 3,35,70,805 थी, जो राज्य की कुल आबादी का 67.15% थी।

आयोग की सिफ़ारिशें:

  • आयोग के सदस्यों के बीच मतभेद उभरे, अंबाशंकर ने 50% की सीमा के तहत रहने के लिए पिछड़ा वर्ग आरक्षण को 32% तक कम करने का सुझाव दिया, जबकि असंतुष्ट सदस्यों ने पिछड़ा वर्ग की आबादी लगभग 67% होने के कारण कम से कम 50% आरक्षण की वकालत की।
  • विवाद का एक अन्य मुद्दा यह था कि क्या पिछड़ा वर्ग की दो अलग-अलग सूचियाँ होनी चाहिए, एक संविधान के अनुच्छेद 15(4) के तहत और दूसरी अनुच्छेद 16(4) के तहत। अंबाशंकर ने दो सूचियों की वकालत की, जबकि बहुमत ने एक ही सूची का समर्थन किया।
  • सरकार ने मौजूदा 50% आरक्षण कोटा में बदलाव नहीं करने का फैसला किया और 24 समुदायों को हटाने पर सहमत नहीं हुई, लेकिन 29 समुदायों को शामिल करने को स्वीकार कर लिया।

राज्य आरक्षण पर 1992 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का प्रभाव:

  • 1992 में मंडल आयोग (Mandal Commission) मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, तमिलनाडु को अपने 69% आरक्षण कोटा की रक्षा करने और इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए एक कानून बनाना पड़ा।
  • 2007-09 में, DMK सरकार ने पिछड़ा वर्ग आरक्षण कोटा के भीतर मुसलमानों और ईसाइयों प्रत्येक के लिए 3.5% आवंटित किया था, लेकिन बाद में अलग ईसाई कोटा वापस ले लिया गया था।
  • मई 2009 में, अनुसूचित जाति के एक घटक अरुंथथियार को अनुसूचित जाति के लिए 18% कोटा के भीतर 3% प्राप्त हुआ।
  • फरवरी 2021 में, अन्नाद्रमुक सरकार ने 20% एमबीसी कोटा के भीतर वन्नियारों के लिए 10.5% आरक्षण के लिए एक विधेयक पारित किया। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने एक साल बाद अंबाशंकर पैनल के गैर-समसामयिक डेटा का हवाला देते हुए इस कानून को अमान्य कर दिया।

सारांश:

  • बिहार के जाति-आधारित सर्वेक्षण के आलोक में, तमिलनाडु के अनुभव से जाति-आधारित आरक्षण लागू करने में जटिलताओं का पता चलता है। द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग (1982-85) ने एक व्यापक सर्वेक्षण किया, जिसमें आरक्षण की सिफारिशों और पिछड़े वर्गों की सूची में महत्वपूर्ण अंतर को उजागर किया गया। 1992 में आरक्षण की सुरक्षा के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद, हाल के तमिलनाडु कानूनों को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जो जाति-आधारित नीतियों की जटिलताओं को दर्शाता है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. लोकसभा की आचार समिति:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

विषय: राजव्यवस्था

प्रारंभिक परीक्षा: संसद और राज्य विधानमंडल, संरचना, कामकाज, कार्य संचालन, शक्तियां और विशेषाधिकार, और इनसे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

विवरण:

  • वर्तमान में लोकसभा ( Lok Sabha) की आचार समिति एक हाई-प्रोफाइल मामले के केंद्र में है, जहां तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा को कैश-फॉर-क्वेरी (पूछताछ के लिए नकदी के तौर पर रिश्वत लेना) के आरोपों के खिलाफ खुद का बचाव करने के लिए बुलाया गया है।
  • यह समिति संसदीय नैतिकता और आचरण के मानकों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

आचार समिति की भूमिका और महत्व:

  • आचार समिति को संसद सदस्यों के नैतिक आचरण को सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है।
  • इसकी प्राथमिक भूमिका संसदीय नैतिकता के उल्लंघन के मामलों की जांच करना है।
  • समिति विधायी निकाय की अखंडता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए आवश्यक है, जो इसे संसदीय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण घटक बनाती है।

कैश-फॉर-क्वेरी आरोप:

  • आचार कमेटी के समक्ष मौजूदा मामले में श्री निशिकांत दुबे द्वारा महुआ मोइत्रा के खिलाफ लगाए गए आरोप शामिल हैं।
  • मोइत्रा पर कैश-फॉर-क्वेरी योजना में शामिल होने का आरोप है,जिसमें कथित तौर पर एक उद्योगपति द्वारा वित्तीय लाभ के बदले में उनकी ओर से संसदीय प्रश्न पूछे गए थे।

विपक्ष की चिंता:

  • विपक्ष ने समिति की कार्यवाही, विशेष रूप से शिकायतकर्ताओं और प्रतिवादियों को बुलाए जाने के क्रम पर चिंता जताई है।
  • प्रक्रिया को लेकर चल रही बहस ने ऐसे आरोपों की जांच में निष्पक्षता और वस्तुनिष्ठता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

समिति का निर्णय:

  • प्रारंभिक आपत्तियों और विरोधों के बावजूद, आचार समिति ने शिकायतकर्ता और एक प्रमुख गवाह को अपना मामला पेश करने की अनुमति देने के लिए मतदान किया।
  • इसके बाद, महुआ मोइत्रा को 31 अक्टूबर को अपना बचाव पेश करने के लिए बुलाया गया हैं।

मंत्रालयों की भागीदारी:

  • समिति ने गृह मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से सहायता मांगी है।
  • इन मंत्रालयों से मांगी गई जानकारी की प्रकृति का खुलासा नहीं किया गया है।

2. राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विषय: अर्थव्यवस्था

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन और पर्यावरणीय स्थिरता एवं ऊर्जा क्षेत्र के लिए इसके निहितार्थ।

विवरण:

  • नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy (MNRE)) के नेतृत्व में भारत के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission) का लक्ष्य जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन से रहित “हरित हाइड्रोजन” का उत्पादन करना है।
  • एक पर्यावरण और ऊर्जा थिंक-टैंक क्लाइमेट रिस्क होराइजन्स (Climate Risk Horizons (CRH)) के एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि उचित उपायों के बिना, यह पहल प्रदूषण को और अधिक बढ़ा सकती है।
  • एमएनआरई हरित हाइड्रोजन को ऐसे हाइड्रोजन उत्पादन के रूप में परिभाषित करता है जो प्रति किलोग्राम हाइड्रोजन में दो किलोग्राम से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित नहीं करता है, जो “ग्रे हाइड्रोजन” के बिल्कुल विपरीत है, जो उत्पादित प्रत्येक किलोग्राम के लिए नौ किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करता है।

चुनौतीपूर्ण हरित हाइड्रोजन लक्ष्य:

  • राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का लक्ष्य 2030 तक 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना है।
  • इस प्रयास के लिए 125 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की स्थापना और 250,000 गीगावाट-घंटे यूनिट बिजली के उपयोग की आवश्यकता है, जो भारत की वर्तमान बिजली उत्पादन के 13% के बराबर है।

मौजूदा नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता:

  • अगस्त 2023 तक, भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा (RE) क्षमता 131 गीगावॉट है।
  • 2030 के हरित हाइड्रोजन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उस वर्ष तक समतुल्य नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ने की आवश्यकता है।
  • यह पेरिस समझौते के तहत वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की भारत की प्रतिबद्धता के अतिरिक्त है।

नवीकरणीय ऊर्जा की वर्तमान प्रगति:

  • 2023 में, भारत ने केवल 15 गीगावाट नई सौर और पवन क्षमता जोड़ी, जो वर्ष 2030 के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आवश्यक 45 गीगावाट प्रति वर्ष से काफी कम है।

विद्युत स्रोत दुविधा:

  • हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए बिजली का स्रोत एक बड़ी चिंता है, खासकर रात के समय जब सौर ऊर्जा उत्पादन न्यूनतम होता है।
  • यदि इलेक्ट्रोलिसिस के लिए बिजली भारत के कोयला संचालित ग्रिड (बिजली उत्पादन का लगभग 70%) से आती है, तो यह कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि कर सकती है, विशेष रूप से गैर-दिन के समय के दौरान।

प्रकटीकरण और स्पष्टता का अभाव:

  • अध्ययन बताता है कि बड़ी संख्या में हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं ने अपने बिजली के स्रोत का खुलासा नहीं किया है।
  • इसके अलावा, यह स्पष्ट नहीं है कि नवीकरणीय स्रोतों से अपनी बिजली आवश्यकताओं को पूरा करने का दावा करने वाली परियोजनाएं वास्तव में ऐसा कर सकती हैं या नहीं।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. अनामलाई टाइगर रिजर्व:

विवरण:

  • तमिलनाडु में अनामलाई टाइगर रिजर्व (ATR) ने एक असाधारण प्रयास शुरू किया है, जो अपनी अग्रणी रीवाइल्डिंग/पुनर्विकास परियोजना (rewilding project) की वजह से सुर्खियां बटोर रहा है।
  • मुख्य वन्यजीव वार्डन द्वारा नियुक्त एक समिति ने वर्ष 2021 में एक परित्यक्त शावक के रूप में बचाए गए बाघ के पुनर्वास की प्रगति का आकलन करने के लिए अनामलाई टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र का दौरा किया।

अनामलाई टाइगर रिजर्व (ATR):

  • दक्षिणी भारत के पश्चिमी घाट (Western Ghats) में स्थित अनामलाई टाइगर रिजर्व (ATR), अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है और एक निर्दिष्ट संरक्षित क्षेत्र है।
  • यह रिज़र्व बाघों की एक महत्वपूर्ण आबादी का घर है, जो इसे बाघ संरक्षण और आवास संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाता है।

रीवाइल्डिंग/पुनर्विकास परियोजना (rewilding project):

  • अनामलाई टाइगर रिजर्व के वन विभाग ने बाघ को फिर से जंगली बनाने का अपना पहला प्रयास शुरू किया है, जिसमें बचाए गए जानवरों के पुनर्वास और जंगल में उनकी संभावित वापसी के लिए तैयारी के महत्व पर जोर दिया गया है।
  • यह पहल अनामलाई टाइगर रिजर्व के भीतर वन्यजीव संरक्षण में एक उल्लेखनीय कदम का प्रतीक है।

समिति का मूल्यांकन दौरा:

  • समिति को मुख्य वन्यजीव वार्डन द्वारा नियुक्त किया गया था, जिसमें अनामलाई टाइगर रिजर्व फील्ड निदेशक एस. रामासुब्रमण्यन और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के लैंडस्केप समन्वयक डी. बोमिननाथन शामिल थे, ने अनामलाई टाइगर रिजर्व के भीतर मनमबोली वन रेंज में मंथिरीमट्टम में स्थित एक विशेष 10,000 वर्ग फुट के बाड़े का दौरा किया।
  • यह बाड़ा बचाए गए बाघ शावक के लिए पुनर्जीवन स्थल के रूप में कार्य करता है।

बचाया गया बाघ:

  • विचाराधीन बाघ को सितंबर 2021 में वालपराई के पास एक चाय बागान से बचाया गया था और अब वह लगभग 30 महीने का है।
  • पुनर्वास प्रक्रिया का उद्देश्य बाघ को उसके प्राकृतिक आवास में पुनः प्रवेश के लिए तैयार करना सुनिश्चित करना है।

विशेषज्ञ परामर्श:

  • इस महत्वाकांक्षी उपक्रम में, अनामलाई टाइगर रिजर्व ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक सुविज्ञ और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया है .

मूल्यांकन पैरामीटर:

  • समिति की भूमिका विभिन्न कारकों का मूल्यांकन करना था। इनमें बाघ के स्वास्थ्य और उसकी शिकार क्षमताओं का आकलन शामिल है, जो निगरानी कैमरे के फुटेज पर आधारित है, जिसमें कई महीनों में बाड़े में लाए गए छोटे शाकाहारी जानवरों के साथ बाघ की अन्‍योन्‍य क्रिया को कैद किया गया है।

भविष्य की संभावनाएं:

  • समिति के मूल्यांकन निष्कर्षों को मुख्य वन्यजीव वार्डन के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट में संकलित किया जाएगा।
  • पुनर्वासित बाघ को अनामलाई टाइगर रिजर्व के भीतर उसके प्राकृतिक आवास में वापस छोड़ने का निर्णय इस रिपोर्ट के आधार पर किया जाएगा।

2. भारत-यूरोपीय संघ नौसेना अभ्यास:

विवरण:

  • भारत और यूरोपीय संघ (European Union) ने गिनी की खाड़ी में अपना पहला संयुक्त नौसैनिक अभ्यास आयोजित करके इतिहास रच दिया है।
  • यह अभ्यास इन समुद्री बलों के बीच सहयोग और सहयोग का एक महत्वपूर्ण क्षण था।

संयुक्त नौसेना अभ्यास की मुख्य बातें:

  • इस अभ्यास के केंद्र में, भारतीय नौसेना के अपतटीय गश्ती जहाज आईएनएस सुमेधा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • इस उपक्रम में भाग लेने वाले यूरोपीय संघ के तीन सदस्य देशों के नौसैनिक जहाज, इटली का प्रतिनिधित्व करने वाले आईटीएस फोस्करी, फ्रांस से एफएस वेंटोस, और स्पेन से टॉरनेडो शामिल थे।

गिनी की खाड़ी:

  • अफ्रीका के पश्चिमी तट पर स्थित गिनी की खाड़ी अपने रणनीतिक महत्व और विविध समुद्री गतिविधियों के लिए पहचानी जाती है।
  • यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसने समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के प्रयासों में वृद्धि देखी है, जिससे यह सहयोगी नौसैनिक अभ्यासों के लिए एक आदर्श स्थान बन गया है।

नौसेना सहयोग को मजबूत करना:

  • संयुक्त नौसैनिक अभ्यास ने नौसैनिक सहयोग और आपसी समझ को मजबूत करने के लिए भारत और यूरोपीय संघ दोनों की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया हैं।
  • इस तरह के अभ्यास ज्ञान, सर्वोत्तम प्रथाओं और परिचालन क्षमताओं को साझा करने की सुविधा प्रदान करते हैं, जो गिनी की खाड़ी में समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने में योगदान करते हैं।

नौसेना संपत्तियां और क्षमताएं:

  • आईएनएस सुमेधा और यूरोपीय संघ के नौसैनिक जहाजों की भागीदारी भारत और यूरोपीय संघ दोनों के पास मौजूद विविध और सक्षम नौसैनिक संपत्तियों का उदाहरण है।
  • ये संपत्तियाँ अंतर्राष्ट्रीय जल की सुरक्षा और समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय समुद्री जुड़ाव:

  • गिनी की खाड़ी में संयुक्त अभ्यास समुद्री मामलों में भारत और यूरोपीय संघ की वैश्विक पहुंच और भागीदारी को उजागर करता है।
  • यह अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों को बनाए रखने और समुद्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. यह टाइगर रिज़र्व पश्चिमी घाट पर्वत श्रृंखला के भीतर स्थित है, और एक निर्दिष्ट वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट का हिस्सा है। इसमें विविध प्रकार के आवास शामिल हैं, जिनमें आर्द्र सदाबहार वन, सवाना और बांधों द्वारा बनाए गए गहरे मीठे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र शामिल हैं। यह रिज़र्व पौधों की प्रजातियों में समृद्ध स्थानिकता के लिए जाना जाता है और 25 से अधिक बाघों सहित विभिन्न वन्यजीवों की एक स्वस्थ आबादी का समर्थन करता है।

हाल ही में समाचारों में आए निम्नलिखित में से किस टाइगर रिजर्व का वर्णन ऊपर दिए गए परिच्छेद में किया गया है?

(a) बांदीपुर टाइगर रिजर्व

(b) काजीरंगा टाइगर रिजर्व

(c) अनामलाई टाइगर रिजर्व

(d) सुंदरबन टाइगर रिजर्व

उत्तर: c

व्याख्या:

  • पश्चिमी घाट में स्थित अनामलाई टाइगर रिजर्व रिजर्व, 25 से अधिक बाघों सहित विविध वनस्पतियों और जीवों वाला एक वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट है।

प्रश्न 2. राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन गलत है/हैं?

1. इसका लक्ष्य 2030 तक पांच मिलियन टन हरित हाइड्रोजन का निर्माण करना है।

2. इसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा संचालित किया जाता है।

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: b

व्याख्या:

  • राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा संचालित किया जाता है, न कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा।

प्रश्न 3. हाल ही में पहला ‘भारत-यूरोपीय संघ संयुक्त नौसेना अभ्यास’ कहाँ आयोजित किया गया था:

(a) भूमध्य सागर

(b) गिनी की खाड़ी

(c) हिंद महासागर

(d) बाल्टिक सागर

उत्तर: b

व्याख्या:

  • यूरोपीय संघ (EU) और भारत ने गिनी की खाड़ी में अपना पहला संयुक्त नौसैनिक अभ्यास आयोजित किया।

प्रश्न 4. संसद सदस्यों के लिए आचार समिति के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?

1. आचार समिति के सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

2. कोई भी व्यक्ति सबूत या हलफनामे की आवश्यकता के बिना किसी सांसद के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकता है।

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: d

व्याख्या:

  • आचार समिति के सदस्यों की नियुक्ति अध्यक्ष द्वारा की जाती है। कोई भी व्यक्ति किसी अन्य लोकसभा सांसद के माध्यम से एक सांसद के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकता है और इसके साथ सबूत और एक हलफनामा संलग्न होना चाहिए।

प्रश्न 5. भारत के संविधान में निजता के अधिकार के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. भारत का संविधान स्पष्ट रूप से निजता के अधिकार की गारंटी देता है।

2. निजता के अधिकार को अनुच्छेद 21 के तहत संविधान का आंतरिक हिस्सा माना जाता है।

3. निजता का अधिकार बिना किसी प्रतिबंध के एक पूर्ण अधिकार है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीनों

(d) कोई नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • भारत का संविधान स्पष्ट रूप से निजता के अधिकार की गारंटी नहीं देता है, और निजता का अधिकार पूर्ण नहीं है; यह उचित प्रतिबंधों के अधीन है। इसे अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का आंतरिक हिस्सा माना जाता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. भारत में गर्भपात कानूनों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) [जीएस-2, राजव्यवस्था] (Critically examine the abortion laws in India. (15 marks, 250 words) [GS-2, Polity])

प्रश्न 2. जाति जनगणना की व्यवहार्यता और आरक्षण पर इसके प्रभाव की जांच कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) [जीएस-2, राजव्यवस्था] (Examine the viability of the caste census and its impact on reservations. (15 marks, 250 words) [GS-2, Polity])

(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)