30 अगस्त 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था:
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: भारतीय समाज और सामाजिक मुद्दे:
सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा:
F. प्रीलिम्स तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
---|
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
भारत – पाक व्यापार में आए उतार चढ़ाव की व्याख्या:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत और उसके पड़ोसी देशों के साथ संबंध।
मुख्य परीक्षा: भारत-पाकिस्तान के व्यापारिक संबंध और विगत वर्षों में इन संबंधों का विकास।
संदर्भ:
- देश में आई भयंकर बाढ़ के बीच, पाकिस्तान की सरकार भारत पर तीन साल पहले लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने और सब्जियों और अन्य आवश्यक वस्तुओं के लिए व्यापारिक मार्ग खोलने पर विचार कर रही है।
नवीनतम विकासक्रम:
- गौरतलब है कि वर्ष 2019 में, पाकिस्तान ने अनुच्छेद 370 (Article 370) (जम्मू और कश्मीर के लिए विशेष दर्जा) को निरस्त करने के विरोध में भारत के साथ सभी व्यापारिक संबंधों को ख़त्म कर दिया था।
- पाकिस्तान में हाल में आई बाढ़ को “गंभीर जलवायु तबाही” (serious climate catastrophe) कहा गया है,और इससे लोगों के जीवन और आजीविका दोनों को व्यापक नुकसान पहुंचा है।
- भारत के प्रधान मंत्री ने पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।
- यह भी कहा जा रहा है कि यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ी प्राकृतिक विपदा है।
- बाढ़ के कारण खड़ी फसलों का बड़े पैमाने पर हुआ विनाश के बीच, पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने कहा है कि देश आयात पर शुल्क नहीं लगाएगा जिससे आयात आसान और सस्ता हो जाएगा।
-
- भारत के साथ भूमि सीमा के माध्यम से आयात करने पर, इससे पूर्व भारत के विदेश मंत्री ने श्रीलंका की ही तरह अधिक “उदार” और “गैर-पारस्परिक” भाव से पड़ोसी देश की भी मदद करने में भारत की भूमिका बात की थी।
- इसके अलावा, उन्होंने इस बात को स्वीकार किया था कि दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा देश होने के नाते भारत को इस क्षेत्र में आपात स्थिति के मामले में आगे बढ़ कर अपनी भूमिका निभानी होगी।
- इससे सम्बंधित लेख के बारे में अधिक जानकारी के लिए 09 अप्रैल 2021 का यूपीएससी परीक्षा व्यापक समाचार विश्लेषण पढ़ें।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
जमानत के कानून का सिद्धांत या दर्शन (न्यायशास्त्र):
राजव्यवस्था:
विषय: भारत का संविधान – विशेषताएं और महत्वपूर्ण प्रावधान।
मुख्य परीक्षा: भारत में जमानत का सिद्धांत या न्यायशास्त्र एवं इसका महत्व।
संदर्भ:
- इस लेख में भारत में जमानत के न्यायशास्त्र के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गयी है।
भारत में जमानत का न्यायशास्त्र (Jurisprudence ):
- जमानत के माध्यम से न्याय के दर्शन की गारंटी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दी गई है जिसका उद्देश्य जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना है।
- अनुच्छेद 21 में प्रावधान है कि स्वतंत्रता को केवल कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के माध्यम से ही वंचित किया जा सकता है जिसे “न्यायपूर्ण, निष्पक्ष और उचित” होना चाहिए।
- आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) में जमानत शब्द की परिभाषा का उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन इस शब्द का इस्तेमाल कई बार किया गया है और यह आपराधिक न्याय प्रणाली की सबसे महत्वपूर्ण अवधारणाओं में से एक है।
जमानत के विभिन्न प्रावधान निम्न हैं:
- गिरफ्तारी से पहले जमानत: आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code (CrPC) ) की धारा 438 के अनुसार, एक गैर-जमानती अपराध में गिरफ्तार होने की स्थिति में आरोपी जमानत के लिए सत्र न्यायालय या उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।
- वैधानिक जमानत: सीआरपीसी की धारा 167 के अनुसार, अपराध की गंभीरता के आधार पर 60 दिनों या 90 दिनों के भीतर जांच पूरी नहीं होने पर आरोपी को रिहा होने का अधिकार है।
- भारत में जमानत का प्रावधान “निर्दोषता की धारणा” (presumption of innocence) के सिद्धांत के आधार पर अभियुक्तों के लिए बढ़ा दिया गया है, जिसे भारत के आपराधिक न्यायशास्त्र का आधार कहा जाता है।
- वैसे जमानत किसी व्यक्ति की जांच और मुकदमे के दौरान हिरासत से सशर्त रिहाई को संदर्भित करती है,लेकिन अपील के लंबित रहने के दौरान लंबे समय तक नजरबंदी को रोकने के लिए अपीलीय चरण के दौरान भी इसकी मांग की जा सकती है।
- हालांकि, भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तहत कुछ अपराधों और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, नारकोटिक और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम एवं धन शोधन निवारण अधिनियम जैसे विशेष कानूनों के तहत अपराधों के लिए जमानत देने के लिए कड़ी शर्तों का उल्लेख किया गया है।
सीआरपीसी की धारा 436 और 437:
- सीआरपीसी की धारा 436 में जमानती अपराध का जिक्र किया गया है।
- सीआरपीसी के अनुसार, जमानती अपराध वे हैं जिनमें किसी आरोपी को जमानत दी जा सकती है और सीआरपीसी की पहली अनुसूची या किसी अन्य कानून के माध्यम से उसे जमानत योग्य बनाया गया है।
- ऐसे अपराधों में जमानत एक अधिकार है।
- सीआरपीसी की धारा 437 गैर-जमानती अपराधों को संदर्भित करती है।
- गैर-जमानती अपराध गंभीर अपराध हैं,जिनमें जमानत एक विशेषाधिकार है और केवल अदालतें ही इसे दे सकती हैं।
- इस प्रकार के मामलों में जमानत देने का निर्णय न्यायाधीश द्वारा मामले के तथ्यात्मक पहलुओं को ध्यान में रखकर स्वयं के विवेक के अनुसार लिया जाता हैं।
- भारत में जमानत के प्रावधान के बारे में और अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Provision of bail in India
जमानत के प्रावधान का महत्व:
- एक आरोपी के लिए अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए जमानत का प्रावधान महत्वपूर्ण है,क्योंकि यह उसे अपना बचाव करने का अवसर प्रदान करता है।
- जमानत का प्रावधान यह भी सुनिश्चित करता है कि बरी होने से पहले विचाराधीन आरोपी को लंबे समय तक हिरासत में रखा जाए।
आपराधिक मामलों में जमानत के प्रावधान के मुख्य उद्देश्य है:
- आरोपी को जेल से छुड़ाना।
- जेलों में कैदियों के बोझ को कम करना।
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि अभियुक्त न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का पालन करेगा और जब भी उसकी उपस्थिति की आवश्यकता होगी, वह उपस्थित रहेगा।
- सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, “जमानत नियम है और जेल अपवाद है”।
- कलकत्ता उच्च न्यायालय ने माना कि “जमानत स्वीकार करने की न्यायालय की विवेकाधीन शक्ति मनमानी नहीं है, बल्कि न्यायिक है क्योंकि यह स्थापित सिद्धांतों पर आधारित है”।
न्यायिक निर्णय एवं इसकी शर्तें:
- सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, जमानत का प्रावधान काफी हद तक विनियमित है और हर अलग-अलग मामलों के तथ्यों एवं परिस्थितियों पर आधारित है।
- आम तौर पर, जमानत देने का प्रावधान एक ट्रिपल टेस्ट के तहत होता है जिसमें निम्न शामिल हैं:
- यह सुनिश्चित करना कि जमानत मिलने पर आरोपी भाग सकता है या नहीं
- आरोपियों द्वारा साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना का पता लगाना
- यह पता लगाना कि क्या जमानत मिलने पर आरोपी गवाहों को प्रभावित कर सकता है?
- पी चिदंबरम केस (2019) में, सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते समय “अपराध की गंभीरता का पता लगाने” को एक और विचार के रूप में जोड़ा।
सारांश:
|
---|
संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित :
कानूनी व्यवस्था की पितृसत्तात्मक मानसिकता का इलाज:
भारतीय समाज और सामाजिक मुद्दे
विषय- महिलाओं से जुड़े मुद्दे
मुख्य परीक्षा: भारतीय सामाजिक-कानूनी व्यवस्था में पितृसत्तात्मक मानसिकता।
पृष्टभूमि:
- केरल की एक सत्र अदालत ने कथित यौन उत्पीड़न के एक मामले की जांच करते हुए कहा कि संबंधित मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 354 ए के तहत अपराध नहीं माना जायेगा क्योंकि शिकायतकर्ता ने ‘यौन उत्तेजक कपड़े’ पहने थे।
- IPC की धारा 354A ‘महिला का शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल’ से संबंधित है।
- कोर्ट ने आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत दे दी।
सत्र न्यायालय के फैसले पर चिंता :
महिला के अधिकारों के खिलाफ:
- पोशाक का चुनाव व्यक्ति की निजता और गरिमा की स्वतंत्रता का एक अभिन्न अंग है। इसलिए शिकायतकर्ता की कपड़े पहनने की पसंद के संबंध में संबंधित मामले में सत्र न्यायालय द्वारा किया गया फैसला महिला की गरिमा, जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता के संवैधानिक अधिकार के खिलाफ है।
फैसला सुप्रीम कोर्ट के पिछले दिशानिर्देशों के खिलाफ है:
- अपर्णा भट्ट बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2021)मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि लैंगिक हिंसा के मामलों में किसी भी निर्णय या टिप्पणी में ऐसे तर्क/भाषा के उपयोग से बचना चाहिए जो अपराध की गंभीरता और पीड़ित (सरवाइवर) [लैंगिक हिंसा के मामलों में] के महत्व को कम करने का प्रयास करती है।
- संबंधित सत्र न्यायालय द्वारा महिला की पोशाक के आधार पर निर्णय अपर्णा भट्ट बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2021) के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देश का उल्लंघन है।
पितृसत्तात्मक मानसिकता को भापना:
- एक महिला की पोशाक को ‘यौन उत्तेजक’ करार महिला का वस्तुकरण सिद्ध करना है।
- सत्र न्यायालय द्वारा किया गया अवलोकन न केवल संबंधित मामले में व्यक्तिगत न्यायिक अधिकारी के बल्कि संपूर्ण सामाजिक-कानूनी व्यवस्था में एक अचेतन पितृसत्तात्मक मानसिकता का संकेत है। यह कानूनी संरचनाओं पर पितृसत्ता और पुरुषवादी मानदंडों के प्रभाव की विशेषता है और इसका महिलाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- महिलाओं को न्याय के लिए न्यायपालिका से संपर्क करना मुश्किल हो रहा है। उन्हें कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
- भारतीय न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है। 1950 में स्थापना के बाद से सर्वोच्च न्यायालय में केवल 11 महिला ही न्यायधीश बनी।
- विशेष रूप से, कानूनी व्यवस्था में पितृसत्तात्मक मानसिकता केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि तथाकथित उन्नत देशों में भी देखी गई है।
- ब्रैडवेल बनाम द स्टेट ऑफ इलिनोइस (1872)मामले में, संयुक्त राज्य अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने मायरा ब्रैडवेल के कानून के अभ्यास के लिए किए गए लाइसेंस के आवेदन को सिर्फ इसलिए ठुकरा दिया, कि केवल पुरुष ही कानून बना सकते हैं,उन्हें लागू कर सकते हैं और निष्पादित कर सकते हैं महिलाओं से समाज में केवल पत्नी और माँ के रूप में अपनी भूमिका निभाने की अपेक्षा की जाती थी।
सिफारिशें:
- भारत में सामाजिक-कानूनी व्यवस्था की पितृसत्तात्मक मानसिकता को बदलने के लिए महत्वपूर्ण हस्तक्षेप की आवश्यकता है। इस संबंध में निम्नलिखित उपाय सहायक होंगे।
- सामाजिक-कानूनी व्यवस्था में व्याप्त पूर्वाग्रह और व्याप्त असमानता को दूर करने के लिए कानून में सुधार करके लैंगिक अन्याय, शोषण या प्रतिबंधों को हटाने के लिए कानूनों में सुधार की आवश्यकता है।
- कानून के छात्रों के पाठ्यक्रम में नारीवादी न्यायशास्त्र को शामिल करना
- नारीवादी न्यायशास्त्र के बारे में कानूनी सिद्धांतो और न्यायिक अधिकारियों को संवेदनशील बनाना।
- न्यायपालिका में अधिक महिलाओं को शामिल करने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि निर्णय लेने की प्रक्रिया सभी स्तरों पर अधिक प्रतिक्रियाशील,समावेशी और भागीदारीपूर्ण है।
सारांश: भारत की सामाजिक-कानूनी व्यवस्था में अचेतन पितृसत्तात्मक पूर्वाग्रह एक प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है। नारीवादी न्यायशास्त्र के लिए और अधिक जोर देकर इसे संबोधित करने की आवश्यकता है।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 से संबंधित:
आतंकवाद के नए चेहरे
सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा:
विषय: आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्वों की भूमिका।
मुख्य परीक्षा: हाल के हाई प्रोफाइल आतंकी हमले और संबंधित चिंताएं।
संदर्भ:
- हाल ही में अमेरिका और रूस में हाई प्रोफाइल व्यक्तियों पर आतंकवादी हमले हुए हैं।
- अमेरिका में ‘द सैटेनिक वर्सेज’ किताब के लेखक सलमान रुश्दी की हत्या का प्रयास किया गया था।
- मास्को मेंरूस के राष्ट्रवादी और रूढ़िवादी विचारक दरिया डुगिना की बेटी अलेक्जेंडर डुगिना – जो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की समर्थक हैं ,की कार बम विस्फोट में मृत्यु हो गई।
- साथ ही, रूस से एक इस्लामिक समूह के आतंकवादी के गिरफ्तार होने की भी खबरें आई हैं, जो हाई प्रोफाइल लोगों को निशाना बनाने के लिए भारत में प्रवेश करने की तैयारी कर रहा था।
हाल के हाई प्रोफाइल हमलों से जुड़ी सुरक्षा चिंताएं:
- प्रमुख हस्तियों पर हाई प्रोफाइल हमले वैश्विक और साथ ही भारत के सुरक्षा हितों दोनों के लिए अशुभ संकेत हैं।
- तथ्य यह है कि सलमान रुश्दी पर हमला लगातार पुलिस सुरक्षा के बावजूद हुआ और ईरान के अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी द्वारा सलमान रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी करने के लगभग 32 साल बाद दुनिया भर में कट्टरता से उत्पन्न खतरे का संकेत है।
- विशेष रूप से संदिग्धों की पहचान के लिए यू.एस. में विस्तृत प्रणाली के बावजूद यह आतंकवादी FBI रिकॉर्ड में संदिग्ध के रूप में दर्ज नहीं था।
- अमेरिकी एजेंसियां दुनिया भर के नागरिकों और लोगों के व्यक्तिगत डेटा की बड़ी मात्रा में पहचान करती हैं और आतंकवादियों या उनके हमदर्द की पहचान करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे उपकरणों का उपयोग करती हैं।
- यहां तक कि सर्वोत्तम तकनीक और उपकरण भी आतंकवादी कृत्यों का शीघ्र पता लगाने की कोई गारंटी नहीं दे सकते हैं।
- मॉस्को की घटना अत्यधिक सम्मानित रूसी खुफिया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की प्रभावकारिता पर एक प्रश्न चिह्न लगाती है।
सिफारिशें:
- महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और हाई प्रोफ़ाइल व्यक्तित्वों की रक्षा करने में सतर्कता की आवश्यकता है।
- विश्व स्तर पर आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए विभिन्न देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है।
सारांश: अमेरिका और रूस में हाल के हाई-प्रोफाइल आतंकी हमले आतंकवाद से उत्पन्न निरंतर वैश्विक खतरे के संकेत हैं। यह आवश्यक है कि देश आतंकवाद पर अंकुश लगाने के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग करें और यह सुनिश्चित करें कि उनका सुरक्षा तंत्र सही तरीके से काम कर रहा है या नहीं ।
प्रीलिम्स तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. हिंसक आपराधिक घटनाएं महामारी के पूर्व स्तर पर पहुँच गई हैं:
Image source: The Hindu
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की वर्ष 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, COVID महामारी के कारण लगे प्रतिबंधों के कारण वर्ष 2020 में अपराधों की संख्या में कमी आने के बाद वर्ष 2021 में बलात्कार (31,677), अपहरण (1,01,707), बच्चों के खिलाफ अत्याचार और डकैती जैसे हिंसक अपराधों की संख्या में वृद्धि हुई है।
- हत्या के मामलों की संख्या जिनमें वर्ष 2020 में भी कम नहीं आई थी वर्ष 2021 में इनकी संख्या बढ़कर 29,272 हो गई, जो वर्ष 2020 में 29,193 थी।
- हालाँकि, दर्ज किए गए संज्ञेय अपराधों की कुल संख्या 2021 में लगभग 7.6% घटकर 60.9 लाख हो गई, जो 2020 में 66 लाख थी और अपराध दर (प्रति 1 लाख लोगों पर अपराध) भी 487.8 (2020) से घटकर 445.9 (2021) हो गई।
- यह मुख्य रूप से आईपीसी की धारा 188 के तहत दर्ज मामलों में तेज गिरावट (50% की गिरावट) “एक लोक सेवक द्वारा विधिवत प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा” (disobedience to order duly promulgated by a public servant) के कारण भी है।
- गौरतलब है कि COVID-19 मानदंडों के उल्लंघन को लेकर वर्ष 2020 में धारा 188 के तहत बड़ी संख्या में ऐसे मामले दर्ज किए गए थे।
- रिपोर्ट के अनुसार,वर्ष 2021 में हिंसक अपराधों की उच्चतम दर (प्रति 1 लाख लोगों) असम (76.6 प्रति 1 लाख लोगों पर हिंसक अपराध), इसके बाद दिल्ली (57) और पश्चिम बंगाल (48.7) दर्ज की गई थी।
- सबसे कम दर गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में दर्ज की गई।
- ओडिशा में हिंसक अपराधों की दर में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई।
2. लद्दाख में चीनी सैनिकों ने चरवाहों को रोका:
- डेमचोक (लद्दाख) में सीएनएन जंक्शन पर सैडल पास के नजदीक भारत की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) द्वारा भारतीय चरवाहों (जो लोग मवेशियों या अन्य पशुओं को चराते हैं) को रोकने की घटना सामने आई हैं।
- वर्ष 2016 में भी, पीएलए ने डेमचोक में मनरेगा योजना के तहत एक सिंचाई नहर के निर्माण पर आपत्ति जताई थी, जिसके परिणामस्वरूप गतिरोध पैदा हुआ था।
- पूर्वी लद्दाख में अपरिभाषित एलएसी पर अप्रैल 2020 से भारत और चीन के सैनिकों के बीच गतिरोध चल रहा है,क्योंकि कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य स्तर की वार्ताओं के परिणामस्वरूप गतिरोध दूर नहीं हुआ है।
- पैंगोंग त्सो के उत्तर और दक्षिण तट में सैनिकों के विघटन का चरण पूरा हो गया है, लेकिन पूर्वी लद्दाख के अन्य क्षेत्रों, जैसे हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र, देपसांग और डेमचोक सेक्टरों में चरणबद्ध तरीके से विघटन अभी बाकी है।
3. जनजाति वर्गीकरण कार्य से SEED के तहत लाभ में देरी:
- केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय को विमुक्त, घुमंतू, अर्ध-घुमंतू ( Scheme for Economic Empowerment of Denotified, Nomadic, Semi-nomadic (SEED) Tribes) जनजातियों के आर्थिक सशक्तिकरण योजना के तहत लाभ के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर चार सौ से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं।
- नवीनतम अनुमानों के अनुसार 1400 समुदायों के 10 करोड़ से अधिक भारतीय इन समूहों से संबंधित हैं।
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को आजीविका कार्यक्रमों के माध्यम से आवास की उपलब्धता और इन समूहों के उत्थान के लिए स्वास्थ्य बीमा और वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- हालाँकि, अब तक प्राप्त किसी भी आवेदन को अनुमोदित नहीं किया गया है,क्योंकि इन 1,400 समुदायों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत वर्गीकृत करने की प्रक्रिया पूरी नहीं होने की वजह से इस योजना के कार्यान्वयन में देरी हो रही है।
- भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण (Anthropological Survey of India (AnSI)) और जनजातीय अनुसंधान संस्थान 267 अवर्गीकृत समुदायों को एससी, एसटी या ओबीसी के तहत वर्गीकृत करने के लिए अध्ययन कर रहे हैं जिनमे कई विसंगतियां पाई गई हैं, जो आवेदनों के कार्यान्वयन में बाधा बन रही हैं।
- कुछ समुदायों को अलग-अलग राज्यों में और यहां तक कि एक राज्य के भीतर विभिन्न जिलों में अलग-अलग सूचियों (एससी, एसटी, या ओबीसी) के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. वैश्विक जल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र से संबंधित कोई अंतर्राष्ट्रीय समझौता नहीं किया गया है।
- UNCLOS के नेतृत्व में तट से 22 किमी दूर क्षेत्रीय समुद्री सीमाओं की स्थापना की गई है।
- एक ‘उच्च महत्वकांक्षी गठबंधन’ जो ’30×30′ लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अस्तित्व में आया,जिसमें भारत और अमेरिका सहित 100 से अधिक राष्ट्र शामिल हैँ ,ने वर्ष 2030 तक 30% महासागरों की सुरक्षा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
सही कूट का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: खुले समुद्रों से संबंधित किसी भी आचरण को विनियमित करने के लिए कई संधियाँ अस्तित्व में हैं,लेकिन समुद्र के पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा हेतु किसी भी प्रकार की कोई एक समर्पित संधि वर्तमान में मौजूद नहीं है।
- कथन 2 सही है: यूएनसीएलओएस ने 22 किमी तक अपतटीय समुद्री सीमा और 200 नॉटिकल मील तक ईईजेड सीमा को निर्धारित कर दिया है,जिसके आधार पर देश अपने पूर्ण संप्रभु क्षेत्रीय अधिकारों का दावा कर सकते हैं। इस संगठन ने अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण और अन्य विवाद -समाधान निकायों की स्थापना भी की हैं।
- कथन 3 सही है: उच्च महत्वकांक्षी गठबंधन, जिसमें वर्तमान में भारत,अमेरिका और यूके सहित 100 से अधिक देश सदस्य हैं, ने “30×30” लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया हैं, जिसका उद्देश्य 2030 तक 30% महासागर की सुरक्षा करना है।
प्रश्न 2. ब्रह्मांड के अन्वेषण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
- आर्टेमिस कार्यक्रम के जरिए नासा का लक्ष्य वर्ष 2024 तक मानव को चंद्रमा पर भेजना है साथ ही नासा चंद्रमा पर पहली अश्वेत महिला और पुरुष को भेजने की भी योजना बना रहा है।
- आर्टेमिस I एक मानव रहित अंतरिक्ष मिशन है,जिसके तहत अंतरिक्ष यान को SLS (स्पेस लॉन्च सिस्टम) जो विश्व का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है, के जरिए लॉन्च किया जायगा।
- लूना 1 और 2 वर्ष 1959 में चंद्रमा पर जाने वाले नासा के पहले मानव रहित रोवर बने ।
सही कूट का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: आर्टेमिस के मिशन के साथ, नासा ने चंद्रमा पर पहली अश्वेत महिला और पुरुष को उतारने के साथ-साथ वर्ष 2024 तक मानव को चंद्रमा पर उतारने की योजना बनाई है।
- कथन 2 सही है: आर्टेमिस I एक मानव रहित अंतरिक्ष मिशन है.जिसके तहत अंतरिक्ष यान को SLS (स्पेस लॉन्च सिस्टम) जो विश्व का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है, के जरिए लॉन्च किया जायगा।
- कथन 3 सही नहीं है: लूना 1 और 2 वर्ष 1959 में चंद्रमा पर जाने वाले नासा के पहले मानव रहित रोवर बने।
प्रश्न 3. परमाणु हथियारों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)
- वर्ष 1970 में की गई एनपीटी (परमाणु अप्रसार संधि) संधि की पक्षकार पार्टियां हर पांच साल में संधि के कार्यान्वयन की समीक्षा करती हैं।
- भारत व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।
- भारत आंशिक परीक्षण प्रतिबंध संधि का हस्ताक्षरकर्ता है।
सही कूट का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 2
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या
- कथन 1 सही है: वर्ष 1970 में की गई एनपीटी (परमाणु अप्रसार संधि) संधि की पक्षकार पार्टियां हर पांच साल में संधि के कार्यान्वयन की समीक्षा करती हैं।
- वर्ष 2020 में आयोजित होने वाला दसवां समीक्षा सम्मेलन,जिसे कोविड -19 महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था,हाल ही में आयोजित किया गया।
- कथन 2 सही है: भारत व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) का हस्ताक्षरकर्ता देश नहीं है।
- CTBT द्वारा दुनिया में कहीं भी सभी प्रकार के परमाणु परीक्षण विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
- कथन 3 सही है: भारत आंशिक परीक्षण प्रतिबंध संधि (पीटीबीटी) का सदस्य है।पीटीबीटी के सभी सदस्य देश बाहरी अंतरिक्ष में, पानी के भीतर या किसी अन्य वातावरण में कोई परमाणु विस्फोट नहीं कर सकते हैँ।
प्रश्न 4. विमुक्त, घुमंतू और अर्ध घुमंतू समुदायों के कल्याण के लिए DNTs (SEED) के आर्थिक सशक्तिकरण की योजना के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- ‘डी-नोटिफाइड ट्राइब्स’ शब्द उन सभी समुदायों के लिए है, जिन्हें एक बार वर्ष 1871 से 1947 के बीच ब्रिटिश शासन द्वारा लागू आपराधिक जनजाति अधिनियम के तहत अधिसूचित किया गया था।
- SEED योजना के प्रमुख घटकों में इन समुदायों के छात्रों को सिविल सेवा के लिए मुफ्त कोचिंग, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, एमबीए जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश शामिल है।
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने फरवरी 2014 में तीन साल के लिए गैर-अधिसूचित, खानाबदोश और अर्ध घुमंतू जनजातियों के लिए एक राष्ट्रीय आयोग का गठन करने का निर्णय लिया था।
सही कूट का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: ‘डी-नोटिफाइड ट्राइब्स’ शब्द उन सभी समुदायों के लिए है, जिन्हें एक बार वर्ष 1871 से 1947 के बीच ब्रिटिश शासन द्वारा लागू आपराधिक जनजाति अधिनियम के तहत अधिसूचित किया गया था।
- कथन 2 सही है, बीज योजना के चार घटक हैं:
- शैक्षिक सशक्तिकरण – इन समुदायों के छात्रों को सिविल सेवा, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, एमबीए जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए मुफ्त कोचिंग।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के PMJAY के माध्यम से स्वास्थ्य बीमा प्रदान करना।
- आजीविका समर्थन और आय सृजन।
- विभिन्न योजनाओं के माध्यम से आवास प्रदान करना।
- कथन 3 सही है: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने फरवरी 2014 में तीन साल के लिए गैर-अधिसूचित, घुमंतू और अर्ध घुमंतू जनजातियों के लिए एक राष्ट्रीय आयोग का गठन करने का निर्णय लिया था।
प्रश्न 5. हाल ही में ‘ऑयलजैपर’ चर्चा में था। यह क्या है? PYQ (2011) (स्तर – सरल)
(a) यह तैलीय कीचड़ और तेल रिसाव के उपचार के लिए एक पर्यावरण के अनुकूल तकनीक है।
(b) यह समुद्र के नीचे तेल की खोज के लिए विकसित नवीनतम तकनीक है।
(c) यह आनुवंशिक रूप से बनाई गयी उच्च जैव ईंधन वाली मक्के की किस्म है।
(d) यह तेल के कुएं में गलती से लगी आग को नियंत्रित करने की नवीनतम तकनीक है।
उत्तर: a
व्याख्या:
- ऑयलजैपर (Oilzapper ) का उपयोग सतह से तेल निकालने के लिए किया जाता है। ऑयल जैपिंग (Oil Zapping) एक जैव-उपचार तकनीक है जिसमें ‘ऑयल जैपिंग’ बैक्टीरिया का उपयोग शामिल है।
- ऑयलजैपर (Oilzapper कच्चे तेल में मौजूद हाइड्रोकार्बन यौगिकों और तेल रिफाइनरियों द्वारा उत्पन्न खतरनाक हाइड्रोकार्बन कचरे का भक्षण करता है। यह तेल कीचड़ को हानिरहित CO2 और पानी में परिवर्तित करता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में तनाव के कारण व्यापारिक संबंध पटरी से उतर गए हैं। कथन का परिक्षण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
प्रश्न 2. “जमानत नियम है और जेल अपवादहै । टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – राजव्यवस्था)