30 September 2022: UPSC Exam Comprehensive News Analysis
30 सितंबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: शासन:
सामाजिक न्याय:
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: स्वास्थ्य:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 का मसौदा:
शासन:
विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां,हस्तक्षेप,उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: मसौदा दूरसंचार विधेयक, 2022 से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: एक नए मसौदा दूरसंचार विधेयक की आवश्यकता और भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 के मसौदे की प्रमुख विशेषताएं एवं महत्व।
संदर्भ:
- संचार मंत्रालय ने हाल ही में सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 के मसौदे को अधिसूचित किया हैं।
भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 का मसौदा:
- सरकार ने भारतीय दूरसंचार विधेयक,2022 क़े मसौदे के माध्यम से इस क्षेत्र में हुई नवीनतम प्रगति के अनुरूप मौजूदा नियामक ढांचे को अद्यतन करने और सम्बंधित क्षेत्र की नई चुनौतियों का समाधान करने का प्रयास किया गया है।
- मौजूदा नियामक ढांचे में बदलाव की बहुत जरूरत थी क्योंकि इस सेक्टर से संबंधित तीन प्रमुख कानून पुराने और अप्रचलित हो चुके थे।
- इन मौजूदा कानूनों में भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम, 1933 और टेलीग्राफ वायर (गैरकानूनी) कब्ज़ा अधिनियम, 1950 शामिल हैं।
- भारतीय दूरसंचार विधेयक का मसौदा इन कानूनों को निरस्त कर देश में दूरसंचार क्षेत्र के नियामक ढांचे के पुनर्गठन का प्रयास करता है।
ओवर-द-टॉप (Over-the-top (OTT)) सेवाओं पर मसौदा विधेयक/ड्राफ्ट बिल:
- ओवर-द-टॉप (OTT) संचार सेवाएं वे सेवाएं हैं जो वास्तविक (अत्यल्प) समय में व्यक्ति-से-व्यक्ति को दूरसंचार सेवाएं प्रदान करती हैं।
- उदाहरण: ऑनलाइन मैसेजिंग प्लेटफॉर्म जैसे व्हाट्सएप, टेलीग्राम, मैसेंजर, गूगल मीट आदि।
- ये सेवा मंच जैसे कि जियो, वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स (TSP) के नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करते हैं और विभिन्न सेवाओं को प्रदान करते हैं जो वास्तव में इन TSP के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं जैसे ऑनलाइन वॉयस कॉल, वीडियो कॉल और मैसेजिंग सेवाएं।
- ये सेवा मंच दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) के नेटवर्क बुनियादी ढांचे का उपयोग करते हैं।
- टीएसपी ने इन सुविधाओं के हानिकारक होने पर चिंता जताई है क्योंकि वे उनके राजस्व के स्रोतों को प्रभावित करते हैं।
- टीएसपी ने सरकार से ओटीटी सेवाओं के साथ एक समान अवसर स्थापित करने की मांग की है।
- नवीनतम मसौदा विधेयक ओटीटी संचार सेवाओं को शामिल करने के लिए “दूरसंचार सेवाओं” की परिभाषा को विस्तृत करता है।
- इसका मतलब है कि ओटीटी दूरसंचार सेवाएं भी टीएसपी के समान लाइसेंसिंग शर्तों के अधीन हो सकती हैं।
- मौजूदा ढांचे के अनुसार, देश में दूरसंचार सेवाएं प्रदान करने के लिए टीएसपी को उनके लिए एक एकीकृत एक्सेस सेवा लाइसेंस (Unified Access Service Licence (UASL)) जारी करना आवश्यक है।
- यदि ओटीटी सेवा प्लेटफार्मों को एक ही लाइसेंस प्राप्त करने के लिए अनिवार्य किया जाता है, तो उन्हें “अपने ग्राहक को जानें” विवरण एकत्र करने, एन्क्रिप्शन नियमों का पालन करने और सरकार के लिए उपकरण और नेटवर्क तक कानूनी पहुंच प्रदान करने जैसी विभिन्न शर्तों के अधीन किया जाएगा।
उपभोक्ता संरक्षण सुनिश्चित करने वाले विधेयक की मुख्य विशेषताएं:
- मसौदा विधेयक में उपयोगकर्ताओं को उपलब्ध किसी भी प्रकार की सेवाओं के माध्यम से संचार करने वाले व्यक्ति की पहचान बनाने का प्रस्ताव रखा गया है।
- इसका मतलब है कि संचार शुरू करने वाले व्यक्ति का नाम भी फोन नंबर के साथ उपयोगकर्ता को दिख जाएगा।
- इस प्रस्ताव का उद्देश्य स्पैम,धोखाधड़ी कॉल और संदेशों की घटनाओं को कम करना है।
- मसौदा विधेयक के अनुसार लाइसेंस धारकों को पहचान के सत्यापन योग्य मोड के माध्यम से अपने उपयोगकर्ताओं की पहचान करना अनिवार्य है,इसमें ₹ 50,000 जुर्माना और विशिष्ट मोबाइल नंबर के संचालन को निलंबित करने या एक निश्चित अवधि के लिए व्यक्ति को दूरसंचार सेवा का उपयोग करने से रोकने का दंड प्रावधान है ताकि यह सुनिश्चित हो कि उपयोगकर्ता ने सही विवरण दिया है।
- इसके अतिरिक्त मसौदा विधेयक में यह भी उल्लेख किया गया है कि वाणिज्यिक संचार जो विज्ञापन प्रकृति के हैं, उन्हें ग्राहक की पूर्व सहमति के बाद ही उन्हें उपलब्ध करवाया जाना चाहिए।
ट्राई की स्थिति पर मसौदा विधेयक का प्रभाव:
- इससे पहले वर्ष 2018 में, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ( Telecom Regulatory Authority of India (TRAI)) ने “दूरसंचार वाणिज्यिक संचार ग्राहक वरीयता विनियम” (Telecom Commercial Communications Customer Preference Regulations) को अधिसूचित किया था।
- हालांकि स्पैम संचार और उपयोगकर्ता से सम्बंधित जानकारी और विवरण का बड़े पैमाने पर मनमाने ढंग से साझाकरण जारी है।
- मसौदा विधेयकों में इन सुरक्षा उपायों को शामिल करने का अर्थ है कि उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना ट्राई के दायरे से बाहर हो गया है और सरकार के पास ऐसा करने का अधिकार आ गया है।
- सरकार को अब लाइसेंस जारी करने से पहले ट्राई से सिफारिशें मांगने का अधिकार नहीं है।
- दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications (DoT)) को ट्राई की सिफारिशों पर पुनर्विचार के लिए उन्हें TRAI को वापस भेजने की आवश्यकता नहीं होगी।
- यह ट्राई की शक्ति को सरकारी सूचनाओं या दस्तावेजों की माँग करने की शक्ति को भी कम करता है जो ऐसी सिफारिशें करने के लिए आवश्यक थी।
- विशेषज्ञों का मानना है कि ट्राई की शक्तियों को कम करना अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं के अनुरूप नहीं है जहां दूरसंचार नियामकों को निवेशकों का विश्वास और उपभोक्ता संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए अधिक स्वायत्तता सौंपी जाती है।
इंटरनेट शटडाउन पर मसौदा विधेयक:
- भारतीय कानूनी ढांचे में पहली बार मसौदा विधेयक के माध्यम से इंटरनेट बिजली के निलंबन का आदेश देने के लिए सरकार को सुविधा प्रदान करने वाला एक विशिष्ट प्रावधान पेश किया गया है।
- वर्तमान में इंटरनेट सेवाओं का निलंबन भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकाल और सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017 के तहत किया जाता है।
- हालाँकि, इस प्रावधान की नागरिक समाजों और कार्यकर्ताओं की बहुत आलोचना की है।
अन्य प्रमुख विशेषताएं:
- मसौदा विधेयक में स्पेक्ट्रम के आवंटन के सम्बन्ध में मौजूदा भ्रम के बारे में स्पष्टता है।
- यह विधेयक पुनर्गठन, विलय या उभरने की प्रक्रिया को भी सरल बनाता है।
- इसमें कहा गया है कि स्पेक्ट्रम आवंटन का प्राथमिक मार्ग अब भी नीलामी है।इस प्रकार जब रक्षा या परिवहन जैसे कुछ सरकारी कार्यों के लिए स्पेक्ट्रम आवंटित किया जाता हैं तो प्रशासनिक प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए।
- यह मसौदा विधेयक टीएसपी को साझाकरण, व्यापार, पट्टे, आत्मसमर्पण या अप्रयुक्त स्पेक्ट्रम वापस करने की सुविधा देकर अपने स्पेक्ट्रम संसाधन का पूरी तरह से दोहन करने की अनुमति प्रदान करता है।
- पथ/रास्ते के अधिकार (दूरसंचार टावरों की स्थापना के लिए कानूनी प्रावधान) के संबंध में, यह विधयेक कहता है कि सार्वजनिक इकाई के स्वामित्व वाली भूमि शीघ्रता से उपलब्ध होनी चाहिए जब तक कि इनकार का कोई स्पष्ट आधार न हो।
- मसौदा विधयेक में यह भी प्रावधान किया गया है कि यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड ( Universal Service Obligation Fund) के तहत सम्बंधित फंड का इस्तेमाल शहरी क्षेत्रों को कनेक्टिविटी, अनुसंधान आदि प्रदान करने जैसे अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
SC ने 51 साल पुराने प्रतिबंध को हटाया, एकल महिलाओं (single women) को मिले समान गर्भपात के अधिकार:
सामाजिक न्याय:
विषय: कमजोर वर्गों की सुरक्षा और बेहतरी के लिए गठित तंत्र, कानून, संस्थान और निकाय।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत में गर्भपात कानूनों से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: एकल महिलाओं को समान गर्भपात अधिकार प्रदान करने पर अदालत के फैसले का महत्व।
संदर्भ:
- सुप्रीम कोर्ट ने माना कि 20 से 24 सप्ताह के बीच गर्भधारण वाली एकल महिलाएं भी विवाहित महिलाओं की तरह ही सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की हकदार हैं।
विवरण:
- सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की बेंच ने गर्भपात कानून में 51 साल पुराने प्रतिबंध को ख़त्म कर दिया है जिसके तहत अविवाहित महिलाओं को 24 सप्ताह तक के भ्रूण का गर्भपात कराने का अधिकार नहीं था।
- मौजूदा मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (Medical Termination of Pregnancy (MTP)) अधिनियम, 1971 में अविवाहित महिलाओं को अपने 20 से 24 सप्ताह तक के भ्रूण का पंजीकृत डॉक्टरों की मदद से गर्भपात करवाने पर रोक है।
- न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि “प्रजनन स्वायत्तता, गरिमा और गोपनीयता के अधिकार एक अविवाहित महिला को यह चुनने का अधिकार देते हैं कि उसे भी एक विवाहित महिला के समान बच्चे को जन्म देना है या नहीं”।
- उन्होंने यह भी कहा कि कानूनों को संकीर्ण पितृसत्तात्मक सिद्धांतों के आधार पर कानून के लाभार्थियों का फैसला नहीं करना चाहिए कि अनुमेय सेक्स क्या होता है क्योंकि इससे वर्गीकरण भेदभावपूर्ण होता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक एकल महिला को भी विवाहित गर्भवती महिला के समान ही “शारीरिक कष्ट का सामना करना पड़ता है,इसलिए एकल महिलाओं के गर्भपात पर प्रतिबंध भेदभावपूर्ण है।
असुरक्षित गर्भपात पर न्यायालय:
- शीर्ष अदालत ने कहा हैं कि असुरक्षित गर्भपात के कारण देश में हर दिन लगभग आठ महिलाओं की मौत हो जाती है।
- देश में वर्ष 2007 से 2011 के बीच किए गए लगभग 67% गर्भपात को असुरक्षित माना गया हैं।
- भारत में गर्भपात कानून के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Abortion Laws in India
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
स्वास्थ्य:
भारत में संपूर्ण बाल चिकित्सा कार्डियो-देखभाल सेवा का अभाव है:
विषय: सामाजिक क्षेत्र/स्वास्थ्य से संबंधित सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे
प्रारंभिक परीक्षा: जन्मजात हृदय रोग (CHD) के बारे में
मुख्य परीक्षा: भारत में जन्मजात हृदय रोग (CHD) की व्यापकता और भारत में बाल चिकित्सा कार्डियो-केयर सेवाओं से जुड़े मुद्दे
संदर्भ
यह लेख देश में बाल चिकित्सा कार्डियो-देखभाल सेवाओं के मुद्दे के बारे में है।
पृष्टभूमि
- रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC), अटलांटा,( यू.एस. ) के अनुसार, जन्मजात हृदय रोग (CHD) सभी जन्मजात दोषों के लगभग 28% तक जिम्मेदार है और भारत में कुल शिशु मृत्यु दर में इसकी हिस्सेदारी लगभग 6% -10% है।
- हालांकि, बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार, समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप इन बच्चों में से 75% से अधिक को बचाने और उन्हें सामान्य जीवन जीने में मदद कर सकता है।
जन्मजात हृदय रोग (CHD)
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भारत में जन्मजात हृदय रोग (CHD) का प्रसार
- पीडियाट्रिक कार्डिएक सोसाइटी ऑफ इंडिया (PCSI) के अनुसार, जन्मजात हृदय संबंधी विसंगतियों की व्यापकता हर 100 जीवित जन्मों में से एक है।
- यह अनुमान है कि हर साल लगभग 2,00,000 बच्चे CHD के साथ पैदा होते हैं।
- हालांकि, हर साल केवल 15,000 शिशुओं को ही आवश्यक उपचार मिलता है।
- इसके अलावा, जटिल दोषों के साथ पैदा होने वाले लगभग 30% शिशुओं को अपने पहले जन्मदिन पर जीवित रहने के लिए सर्जिकल हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है, लेकिन हर साल केवल 2,500 ऑपरेशन ही किए जाते हैं।
- रिपोर्टों से यह भी पता चलता है कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में हृदय शल्य चिकित्सा के लिए शिशुओं को 2026 तक प्रतीक्षा सूची में रखा गया है।
- भारत में बच्चों में हृदय रोगों के उपचार के लिए कोई राष्ट्रीय नीति नहीं होने के कारण बड़ी संख्या में शिशुओं को उपचार के दायरे से बाहर रखा जाता है।
- इसके परिणामस्वरूप हजारों बच्चों को सर्जरी की प्रतीक्षा कर रहे बच्चों के मौजूदा पूल में जोड़ा गया है।
भारत में जन्मजात हृदय रोगों (CHD) के बढ़ते बोझ के प्रमुख कारण
- वित्त पोषण का मुद्दा: विशेषज्ञों का मानना है कि देश में बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी देखभाल सेवा की उपेक्षा की जाती है क्योंकि इसे आर्थिक रूप से अव्यवहारिक माना जाता है क्योंकि यह संसाधन गहन है और इस के लिए बुनियादी ढांचे में बहुत अधिक निवेश की आवश्यकता है।
- नवजात हृदय संबंधी सेवाएं प्रदान करने वाले अस्पतालों/केंद्रों से जुड़ी चुनौतियां: वर्तमान में, भारत में लगभग 22 अस्पताल और 50 से कम केंद्र हैं जो शिशु और नवजात हृदय संबंधी सेवाएं प्रदान करते हैं।
- इन केंद्रों/अस्पतालों का भौगोलिक वितरण भी चिंता का एक बड़ा कारण है क्योंकि इनके वितरण में बड़े पैमाने पर असमानता है।
- AIIMS के कार्डियोलॉजी विभाग की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से लगभग 70% केंद्र दक्षिण भारत में स्थित हैं।
- इसके अलावा, इनमें से अधिकतर केंद्र CHD के कम बोझ वाले क्षेत्रों में स्थित हैं।
- उदाहरण: केरल में लगभग 4.5 लाख वार्षिक प्रसव के लिए ऐसे 8 केंद्र हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में क्रमशः 48 और 27 लाख से अधिक शिशुओं के लिए ऐसा कोई केंद्र नहीं है।
- डॉक्टरों / विशेषज्ञों की कमी: अध्ययनों के अनुसार, 1.4 बिलियन आबादी वाले 600 से अधिक जिलों में, भारत में केवल 250 बाल रोग विशेषज्ञ हैं, जबकि अमेरिका में 2019 में लगभग 2,966 बाल रोग विशेषज्ञ थे।
- भारत में डॉक्टर-रोगी अनुपात बहुत खराब है और अमेरिका में प्रति 29,196 जनसंख्या की तुलना में 50 लाख की आबादी के लिए केवल एक डॉक्टर उपलब्ध है।
- जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, पंजाब, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में CHD का अधिक बोझ है, लेकिन सरकारी क्षेत्र में कोई बाल रोग विशेषज्ञ नहीं है।
- दिल्ली के 38 सरकारी अस्पतालों में सिर्फ चार बाल रोग विशेषज्ञ हैं।
- आर्थिक चुनौतियां: गरीबी को इलाज की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक कहा जाता है।
- बीमार नवजात शिशुओं को ऐसे केंद्रों तक ले जाना जो निदान और उपचार नहीं करवा सकते हैं,वैसे माता-पिता के लिए एक बड़ा वित्तीय बोझ बन गया है।
- उपकरणों की कमी: अजन्मे बच्चों में रोगों के निदान और उपचार के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण उपकरणों की कमी भी एक बड़ी बाधा है।
- जागरूकता की कमी: माता-पिता में CHD के शुरुआती लक्षणों के बारे में सामान्य जागरूकता की कमी भी चिंता का एक प्रमुख कारण है।
भावी कदम
- AIIMS के कार्डियोथोरेसिक कार्डियोलॉजी विभाग द्वारा 2018 में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि संसाधनों की प्रतिस्पर्धी मांगों के कारण बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी अभी भी प्राथमिकता वाला क्षेत्र नहीं बन पाई है।
- चाइल्ड हार्ट फाउंडेशन नामक एक NGO, जो CHD के साथ वंचित बच्चों की मदद कर रहा है, ने भ्रूण इकोकार्डियोग्राफी की आवश्यकता पर बल दिया है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि नवजात की देखभाल के लिए जन्मजात दोषों का प्रसव पूर्व पता लगाना महत्वपूर्ण है लेकिन सामान्य अल्ट्रासोनोग्राफी में कुछ दोष दिखाई नहीं देते हैं।
- भ्रूण की इकोकार्डियोग्राफी 18 से 24 सप्ताह की गर्भवती महिला की जाती है औरइससे हृदय की संरचना और कार्य को बेहतर ढंग से किया जा सकता है।
- इसके अलावा, आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना से 10 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को वित्तीय सहायता मिलने की उम्मीद थी, लेकिन यह अभी भी शुरू नहीं हुई है।
- हालांकि, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों ने कुछ पहल के साथ शुरुआत की है।
- केरल के “हृदय (छोटे दिलों के लिए)” कार्यक्रम का उद्देश्य CHD वाले बच्चों को जल्दी पहचान और सहायता करना है।
- तमिलनाडु की मुख्यमंत्री व्यापक स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मुफ्त विशेष सर्जरी की जाती है।
सारांश: रिपोर्टों के अनुसार, भारत में सालाना 2,00,000 से अधिक बच्चे जन्मजात हृदय रोग (CHD) के साथ पैदा होते हैं, हालांकि, इनमें से अधिकांश बच्चों को शुरुआती समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप के माध्यम से बचाया जा सकता है। इस सरकार और अन्य स्वास्थ्य संगठनों को तत्काल ध्यान देने और समग्र बाल चिकित्सा कार्डियो-केयर सेवाओं में सुधार करने की आवश्यकता है। |
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. यूनेस्को ने 50 प्रतिष्ठित भारतीय वस्त्रों को सूचीबद्ध किया:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
भारतीय विरासत और संस्कृति:
विषय: कला रूपों के मुख्य पहलू।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत की प्रतिष्ठित विरासत कपड़ा शिल्प।
संदर्भ:
- यूनेस्को ने भारत के 50 विशिष्ट और प्रतिष्ठित विरासत वस्त्र शिल्पों की सूची प्रकाशित की है।
विवरण:
- यूनेस्को के हाल ही में प्रकाशित एक दस्तावेज “21वीं सदी के लिए हस्तनिर्मित: पारंपरिक भारतीय वस्त्र की सुरक्षा” (“Handmade for the 21st Century: Safeguarding Traditional Indian Textile”) में वस्त्रों के पीछे के इतिहास उससे सम्बंधित किंवदंतियों, उनके निर्माण में जटिल और गुप्त प्रक्रियाओं का वर्णन, लोकप्रियता घटने के कारणों का उल्लेख है, और उनके संरक्षण के लिए विभिन्न रणनीतियों की भी सिफारिश की गई है।
- यूनेस्को के अनुसार, दक्षिण एशियाई क्षेत्र की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए प्रमुख चुनौती उचित सूची और प्रलेखन की कमी है।
- यूनेस्को के प्रकाशन का उद्देश्य इस अंतर को पाटना और व्यापक शोध कर 50 वस्त्रों को भारत के विशिष्ट और प्रतिष्ठित विरासत वस्त्र शिल्प के रूप में सूचीबद्ध करना है।
प्रलेखित कुछ महत्वपूर्ण वस्त्रों में शामिल हैं:
- तमिलनाडु की टोडा कढ़ाई और सुंगड़ी (Toda embroidery and Sungadi of Tamil Nadu)
- तेलंगाना में हैदराबाद की हिमरू बुनाई (Toda embroidery and Sungadi of Tamil Nadu)
- ओडिशा के संबलपुर की बंध टाई और डाई बुनाई (Bandha tie and dye weaving of Sambalpur in Odisha )
- हरियाणा के पानीपत से खेस (Khes from Panipat in Haryana)
- हिमाचल प्रदेश के चंबा रुमाल्स (Chamba rumals of Himachal Pradesh)
- लद्दाख की थिग्मा या ऊन की टाई और डाई (Thigma or wool tie and dye of Ladakh )
- उत्तर प्रदेश के वाराणसी से अवध जामदानी (Awadh Jamdani from Varanasi in Uttar Pradesh)
- कर्नाटक से इलकल और लम्बाडी या बंजारा कढ़ाई (Ilkal and Lambadi or Banjara embroidery from Karnataka)
- तमिलनाडु के तंजावुर से सिकलनायकनपेट कलमकारी (Sikalnayakanpet Kalamkari from Thanjavur in Tamil Nadu)
- गोवा से कुनबी बुनाई (Kunbi weaves from Goa)
- गुजरात से मशरू बुनाई और पटोला (Mashru weaves and Patola from Gujarat)
- महाराष्ट्र से हिमरू (Himroo from Maharashtra )
- पश्चिम बंगाल के गरद-कोइरियाल (Garad-Koirial of West Bengal)
महत्वपूर्ण तथ्य:
1.यूरोपीय संघ ऊर्जा की कीमतों से जूझ रहा है:
- यूरोपीय संघ (European Union (EU)) रूस से गैस पाइपलाइनों की हालिया “तोड़फोड़” के साथ ऊर्जा की आसमान छूती कीमतों की समस्या से निपटने के लिए तत्काल उपायों की तलाश कर रहा है।
- यूरोपीय आयोग के एक आपातकालीन प्रस्ताव पर विचार करने के लिए यूरोपीय संघ के ऊर्जा मंत्रियों के ब्रसेल्स में मिलने की उम्मीद है जिसमे ब्लॉक में बिजली के उपयोग में कटौती, ऊर्जा कंपनियों पर अप्रत्याशित शुल्क लगाना और थोक गैस आपूर्ति पर मूल्य सीमा पर चर्चा करना शामिल है।
- यूक्रेन पर अपनी आक्रामकता के खिलाफ रूस पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंध, जिसमें दिसंबर से शुरू होने वाले रूसी तेल को नहीं खरीदना शामिल है, ने रूस को अपनी प्राकृतिक गैस की आपूर्ति को कम करने जैसी जवाबी कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया है।
- इसके अलावा, रूस से जर्मनी तक नॉर्ड स्ट्रीम 1 और 2 गैस पाइपलाइनों से हुए अप्रत्याशित रिसाव ने इस संकट को और बढ़ा दिया है।
- यूरोपीय देशों में ऊर्जा बिलों में भारी बढ़ोतरी देखि गई है और यूरोपीय आयोग ऊर्जा के लिए यूरोपीय संघ के एक सामान्य दृष्टिकोण को बनाने के लिए COVID-युग सहयोग का लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है।
2. वरिष्ठ नागरिकों, परिवारों को छोटी बचत में छोटे लाभ मिलेंगे:
- केंद्र सरकार ने पहली अक्टूबर से शुरू होने वाली तिमाही के लिए किसान विकास पत्र, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना और 2 और 3 साल की सावधि जमा जैसे पांच छोटे बचत साधनों (small savings instruments (SSIs)) पर देय ब्याज दरों में 0.1-0.3% अंक की वृद्धि की घोषणा की हैं।
- किसान विकास पत्र की दर 6.9% से बढ़ाकर 7% और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना को 7.4% से बढ़ाकर 7.6% कर दिया गया है।
- सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) जैसी सात अन्य नामित छोटी बचत योजनाओं की दरें 7.1% और सुकन्या समृद्धि खाता योजना 7.6% पर भी अपरिवर्तित हैं।
- एसएसआई पर रिटर्न जी-सेक (G-secs) की बाजार की आय से जुड़ा हुआ है और तुलनीय परिपक्वता की जी-सेक (G-secs) आय के ऊपर और 0-100 आधार अंकों के फैलाव पर तिमाही आधार पर तय किया जाता है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ पांच एसएसआई पर दरें बढ़ाने के फैसले का मतलब है कि पीपीएफ जैसी योजनाओं पर रिटर्न आने वाली तिमाही में नकारात्मक होगा।
- अगस्त में आरबीआई ने देखा था कि सरकारी प्रतिभूतियों पर प्रतिफल में वृद्धि ने “मौजूदा ब्याज दरों के बीच प्रसार” और सूत्र-आधारित दरों को “अधिकांश छोटी बचत योजनाओं के लिए नकारात्मक बना दिया था।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान (IMEI) संख्या के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- प्रत्येक फोन या मोबाइल ब्रॉडबैंड डिवाइस में यह 13 अंकों का एक विशिष्ट कोड होता है जिससे डिवाइस की सटीक पहचान होती है।
- मोबाइल फोन निर्माता ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशंस एसोसिएशन द्वारा उन्हें आवंटित रेंज के आधार पर प्रत्येक डिवाइस को IMEI नंबर प्रदान किया जाता हैं।
- डुअल सिम (दोहरे सिम वाला फोन) फोन में दो IMEI नंबर होंगे।
उपर्युक्त कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1
(c) केवल 2 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: प्रत्येक फोन या मोबाइल ब्रॉडबैंड डिवाइस में 15-अंकों का एक विशिष्ट कोड होता है जिसे इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी ((International Mobile Equipment Identity)-IMEI) कहा जाता है जिससे डिवाइस की सटीक पहचान होती है।
- कथन 2 सही है: मोबाइल फोन निर्माता ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशंस एसोसिएशन द्वारा आवंटित रेंज के आधार पर प्रत्येक डिवाइस को IMEI नंबर प्रदान करते हैं।
- कथन 3 सही है: डुअल सिम (दोहरे सिम वाला फोन) फोन में दो IMEI नंबर होते हैं।
प्रश्न 2. प्रशांत द्वीपीय देशों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
- प्रशांत द्वीपीय देश 14 देशों का एक समूह है जो एशिया, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच प्रशांत महासागर के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित हैं।
- उनमें से कुछ के पास भारत से बड़े विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र हैं।
- सोवियत संघ और दुनिया के प्रमुख जनसंख्या केंद्रों से इन द्वीपों की दूरी के कारण यू.एस., यूके और फ्रांस के कुछ प्रमुख परमाणु हथियार परीक्षण स्थल यहां थे।
उपर्युक्त कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 2
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: प्रशांत द्वीपीय देश 14 द्वीपों का एक समूह है जो एशिया, ऑस्ट्रेलिया और दो अमेरिका के बीच प्रशांत महासागर के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित हैं।
- कथन 2 सही है: इन में से कुछ सबसे छोटे और सबसे कम आबादी वाले देश होने के बावजूद, उनके पास दुनिया के कुछ सबसे बड़े विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zones (EEZs)) हैं।
- उनमें से कुछ के पास भारत से बड़े विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र हैं।
- कथन 3 सही है: विश्व और सोवियत संघ के प्रमुख जनसंख्या केंद्रों से इन देशों की दूरी के कारण, यू.एस., यूके और फ्रांस जैसे परमाणु शक्तियों के कुछ प्रमुख परमाणु हथियार परीक्षण केंद्र इन देशों में थे।
प्रश्न 3. लघु बचत योजनाओं के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों को समान परिपक्वता के बेंचमार्क सरकारी बांडों में उतार-चढ़ाव के अनुरूप तिमाही आधार पर पुनःनिर्धारित किया जाता है।
- जमाकर्ताओं द्वारा अर्जित लाभ बाजार से जुड़ा हुआ है।
- सभी लघु बचत साधनों से संग्रह को राष्ट्रीय लघु बचत कोष (NSSF) में जमा किया जाता है।
उपर्युक्त कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों को समान परिपक्वता के बेंचमार्क सरकारी बांडों में आये उतार-चढ़ाव के अनुरूप तिमाही आधार पर पुनःनिर्धारित किया जाता है।
- कथन 2 सही नहीं है: जमाकर्ताओं द्वारा लघु बचत योजनाओं के माध्यम से अर्जित ब्याज निश्चित होता है।
- कथन 3 सही है: छोटी बचत योजनाओं के तहत सभी जमाओं को ‘राष्ट्रीय लघु बचत कोष’ (National Small Savings Fund (NSSF)) में जमा किया जाता है।
प्रश्न 4. चालू खाते के घाटे को कम करने के लिए सरकार जो कदम उठा सकती है, उस पर विचार करें: (स्तर – सरल)
- घरेलू मुद्रा का अवमूल्यन।
- निर्यात सब्सिडी में कमी।
- उपयुक्त नीतियों को अपनाना जो FII और FDI से अधिक धन आकर्षित करती हो।
उपर्युक्त कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) केवल 1 और 3
उत्तर: d
व्याख्या:
- चालू खाता घाटा किसी एक देश के व्यापार की एक माप है जहां उसके द्वारा आयात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य उसके द्वारा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य से अधिक होता है।
- सरकार घरेलू मुद्रा का अवमूल्यन कर एवं उपयुक्त नीतियों को अपनाकर चालू खाता घाटे को कम कर सकती है जिनसे एफडीआई और एफआईआई से अधिक धन आकर्षित हो।
- निर्यात सब्सिडी में कमी वास्तव में निर्यात वृद्धि को बाधित करती है जिससे चालू खाता घाटा नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है।
प्रश्न 5. हाल ही में, भारत ने निम्नलिखित में से किस देश के साथ ‘नाभिकीय क्षेत्र में सहयोग क्षेत्रों के प्राथमिकीकरण और कार्यान्वयन हेतु कार्य योजना’ नामक सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं? PYQ (2019) (स्तर – मध्यम)
(a) जापान
(b) रूस
(c) यूनाइटेड किंगडम
(d) संयुक्त राज्य अमरीका
उत्तर: b
व्याख्या:
- 5 अक्टूबर, 2018 को नई दिल्ली में भारत और रूस के बीच परमाणु क्षेत्र में सहयोग के क्षेत्रों के प्राथमिकताकरण और कार्यान्वयन के लिए इस कार्य योजना पर हस्ताक्षर किए गए थे।
- दोनों देशों का उद्देशय भारत में एक नए स्थल पर रूसी डिजाइन की छह परमाणु ऊर्जा इकाइयों की एक परियोजना विकसित करने, तीसरे देशों में सहयोग को और बढ़ाने और परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के संयुक्त निर्माण के साथ-साथ नई संभावित परमाणु प्रौद्योगिकियों को लाना है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. उच्चतम न्यायालय के हाल के निर्णय के आलोक में, भारत में गर्भपात से संबंधित मुद्दों पर चर्चा कीजिए? (150 शब्द, 10 अंक) (जीएस II – सामाजिक न्याय)
प्रश्न 2. “यूरोप में एक ऊर्जा युद्ध चल रहा है” स्पष्ट कीजिए ? (150 अंक, 10 अंक) (जीएस II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)