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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 31 May, 2022 UPSC CNA in Hindi

31 मई 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

  1. भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों के दुष्‍प्रभाव:

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

  1. कोयले को लेकर भारत के बदलते लक्ष्य:

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

शिक्षा:

  1. गरीब माता-पिता को संलग्न करने वाले शिक्षा डेटा की आवश्यकता:

स्वास्थ्य:

  1. फेफड़े, पेड़ और दोष के भंडार:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. मोदी ने ‘कोविड में अनाथ हुए बच्चों ‘ के लिए PM CARES के लाभों की घोषणा की:

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. 10 प्रशांत द्वीपीय देशों ने चीन के सुरक्षा समझौते को खारिज किया:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

कोयले को लेकर भारत के बदलते लक्ष्य:

विषय: बुनियादी ढांचा- ऊर्जा

मुख्य परीक्षा : भारत की कोयला आधारित बिजली उत्पादन को बंद करने के लिए बनाई गई योजना के सामने चुनौतियां।

पृष्ठ्भूमि:

  • भारत में कोयले पर भारत की अत्यधिक निर्भरता और कोयले की कार्बन-गहन प्रकृति ने भूमंडलीय उष्मीकरण (ग्लोबल वार्मिंग) और जलवायु परिवर्तन में भारत के बिजली क्षेत्र के योगदान पर चिंता जताई है।
    • भारत के बिजली क्षेत्र को प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता के लिए जिम्मेदार कारकों में से एक माना गया है।
  • भारत के बिजली क्षेत्र का कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में हिस्सा 49% है, जबकि इसका वैश्विक औसत 41% है।

बिजली उत्पादन के स्रोत

स्थापित क्षमता (कुल क्षमता के % के रूप में)

कोयला आधारित

51.5%

प्राकृतिक गैस आधारित

6.3%

नवीकरणीय ऊर्जा

27%

  • भारत कोयला आधारित बिजली उत्पादन पर निर्भरता को कम करने की प्रक्रिया से गुजर रहा हैं।
    • इसी परिपेक्षय में पिछले कुछ वर्षों के दौरान ईंधन के रूप में प्राकृतिक गैस और नवीकरणीय ऊर्जा को कोयला उत्पादित बिजली के विकल्प के रूप में लाया जा रहा है।
  • एक किलोग्राम कोयला, एक किलोग्राम प्राकृतिक गैस की तुलना में लगभग दोगुना कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करता है।
  • इसके अलावा कोयले के विपरीत, प्राकृतिक गैस के दहन से कोई ठोस अवशेष नहीं रहता है।

कोयला आधारित बिजली पर निर्भरता कम करने सम्बंधित चुनौतियां:

  • कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने की योजना के बावजूद, आज भी भारत कोयला आधारित बिजली पर निर्भर है।
  • IEA की कोयला रिपोर्ट 2021 के अनुसार, वर्ष 2024 में भारत की कोयले की खपत 3.9% की औसत वार्षिक दर से बढ़कर 1.18 बिलियन टन हो जाएगी।

प्राकृतिक गैस की बढ़ती लागत:

  • कोयले पर निर्भरता कम करने की भारत की योजनाओं में प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध के परिणामस्वरूप प्राकृतिक गैस की लागत में वृद्धि हुई है।
  • इस कारण प्राकृतिक गैस को कोयले के स्थान पर इस्तेमाल करने से आर्थिक बोझ बढ़ जायगा ।
  • देश में 25,000 मेगावाट गैस आधारित बिजली संयंत्रों में से लगभग 14,000 मेगावाट बेकार हैं या बंद पड़े हुए हैं, क्योंकि वे घाटे में चल रहे हैं।
  • ऊर्जा के अन्य स्रोतों की तुलना में कोयला अभी भी सस्ता है।

अक्षय ऊर्जा से जुड़ी चुनौतियाँ:

  • पवन और सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की अनिश्चित प्रकृति इससे जुड़ी एक बड़ी चुनौती है।
  • अक्षय ऊर्जा स्रोतों को बिजली के विश्वसनीय जनरेटर/जनक बनने में मदद करने वाली भंडारण प्रौद्योगिकियां अभी भी पर्याप्त परिपक्व नहीं हैं।
  • अक्षय ऊर्जा स्रोतों के विपरीत कोयला मांग आधारित बिजली ही पैदा कर सकता है।

कोयले की उपलब्धता का संकट:

  • बिजली और कोयले की बढ़ती मांग को पूरा करने में घरेलू आपूर्तिकर्ताओं की अक्षमता ने भारत में कोयले की उपलब्धता के संकट को जन्म दिया है।
  • यह भारत में प्रबल बिजली आउटेज संकट पर चिंता पैदा करता है।
    • (आउटेज (outage)-एक अवधि जब बिजली की आपूर्ति या अन्य सेवा उपलब्ध नहीं होती है या जब उपकरण बंद हो जाता है।)
  • 197.3 मीट्रिक टन की अनुमानित आवश्यकता की तुलना में कोयले की घरेलू आपूर्ति 154.7 मीट्रिक टन होने की उम्मीद है।
  • बिजली मंत्रालय ने राज्यों से कोयला आयात बढ़ाने का आग्रह किया है। केंद्र सरकार भी कोयला खरीद के लिए एक सरकारी चैनल स्थापित करने का प्रयास कर रही है।

सारांश:

  • भारत को कार्बन-सघन कोयले से उत्पादित होने वाली बिजली पर निर्भरता कम करने की तत्काल आवश्यकता है।अतः इस निर्भरता में आ रही बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता है, जबकि भारत को तत्काल संदर्भ में स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों के बाद के दुष्‍प्रभाव:

विषय: शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्वपूर्ण पहलू

मुख्य परीक्षा: सख्त भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों से जुड़ी चिंताएं

संदर्भ:

  • अमेरिकी शोधकर्ताओं के एक लेख “ब्राइब-स्विचिंग”, में विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (Foreign Corrupt Practices Act-FCPA) के सख्त कार्यान्वयन के अनपेक्षित परिणामों का विश्लेषण किया गया है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका में फर्मों और लोगों को विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने से रोकने के लिए FCPA अधिनियम को लाया गया था।
  • इसने भ्रष्ट आचरण में लिप्त अमेरिकी फर्मों पर भारी जुर्माना और अन्य दंड लगाए।

पार्श्वभूमि:

  • भ्रष्टाचार देश के विकास में सबसे बड़ी बाधा है।
  • भ्रष्टाचार किसी देश की उस संस्थागत नींव को कमजोर करता है जिस पर आर्थिक विकास निर्भर करता है।
  • भ्रष्टाचार सार्वजनिक सेवाओं और बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता को घटा देता है, सरकारी खर्च के निर्णयों को विकृत करता है, कर और सीमा शुल्क के राजस्व में कमी आती है, एवं कानून के शासन में विश्वास कम हो जाता है।
  • इन सभी बातों ने इस अवधारणा को जन्म दिया कि सख्त भ्रष्टाचार विरोधी कानून समाज में भ्रष्टाचार से सम्बंधित कई समस्याओं का समाधान करते है।
  • एक सामान्य धारणा है कि यदि सख्त भ्रष्टाचार विरोधी कानून सरकारी अधिकारियों द्वारा ठीक तरीके से लागू किए जाते हैं तो भ्रष्टाचार में कमी और अर्थव्यवस्था में सुधार आता है।
  • गौरतलब हैं कि भारत में लोकपालों और लोकायुक्तों को और अधिक सशक्त बनाने की मांग समय-समय पर उठती रही है।

सख्त रिश्वतखोरी विरोधी कानूनों से सम्बंधित चिंता:

  • भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों की अच्छी मंशा के बावजूद, ऐसे कानूनों के कई अनपेक्षित परिणाम सामने आये हैं।
  • इस तरह के सख्त रिश्वत विरोधी कानूनों से सम्बंधित चिंताओं को समझाने के लिए इस लेख में विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (FCPA) का उदाहरण लिया गया है।

अवैध कालाबाजारी में वृद्धि:

  • FCPA के अधिनियमन के बाद विदेशी अधिकारियों के भ्रष्टाचार के स्तर में कोई वास्तविक कमी नहीं आई हैं, बजाय इसके FCPA के बारे में यह माना जा रहा है कि इसके लागु होने के बाद काले बाजारों का विकास तेजी से हुआ है।
  • इस शोध के अनुसार कुछ देशों में काली अर्थव्यवस्था के आकार में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • शोधकर्ता इस क्रियाविधि को समझाने के लिए “ब्राइब-स्विचिंग परिकल्पना” कहते हैं, जिसमें सरकारी अधिकारियों ने अधिक रिश्वत प्राप्त की क्योंकि कानूनी बाजार में रिश्वत निकालने की लागत FCPA जैसे कानूनों के कारण बढ़ गई।
  • उदाहरण के लिए एक सार्वजनिक अधिकारी जब स्थापित शराब फर्मों से रिश्वत प्राप्त नहीं कर सकता है,तब वह रिश्वत के बदले काला बाजार में शराब की अवैध बिक्री होने देता है।
  • इन अवैध बाजारों की वजह से सरकारी अधिकारियों को घुस देते समय रंगे हाथों पकड़े जाने की सम्भावना बहुत कम हो गई हैं।

अवैध गतिविधियों में वृद्धि :

  • कुछ देशों की काली अर्थव्यवस्थाओं में अवैध गतिविधियों जैसे कि हत्या की दर, वृक्षों के आवरण में गिरावट, और गलत व्यापार चालान-प्रक्रिया में वृद्धि हुई है।

विकास परियोजनाओं पर प्रभाव:

  • FCPA के अधिनियमन के बाद, कुछ औपचारिक निवेश परियोजनाएं जिन्हें पहले रिश्वत के भुगतान के बाद अधिकारियों से मंजूरी मिल जाती थी, उन्हें अब आधिकारिक स्वीकृति नहीं मिल रही है।

सारांश:

  • हालांकि सुविचारित सख्त भ्रष्टाचार-विरोधी कानूनों के कुछ अनपेक्षित परिणाम देखने को मिले हैं,इसलिए भारत को ऐसे सख्त कानूनों को लागु करने से पहले इस बात को ध्यान में रखने की आवश्यकता है।

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शिक्षा:

गरीब माता-पिता को संलग्न करने वाले शिक्षा डेटा की आवश्यकता:

विषय: सामाजिक क्षेत्र, शिक्षा और मानव संसाधन से संबंधित सेवाओं के विकास तथा प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: ASER और NAS सर्वे।

पृष्टभूमि:

  • शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) और राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे (NAS) जैसे विभिन्न शिक्षा सर्वेक्षणों में कुछ विरोधाभास हैं।
    • शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) गैर-सरकारी संगठन, प्रथम द्वारा तैयार की जाती है, जबकि राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS) राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा किया जाता है।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार सीखने के परिणामों में उल्लेखनीय गिरावट आई है, वहीं दूसरी रिपोर्ट के अनुसार इसमें सुधार हुआ है। उदाहरण के लिए, ASER 2019 के आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान सीखने के स्तर में सबसे निचले पांच राज्यों में था, जबकि NAS 2017 में, राजस्थान शीर्ष प्रदर्शन करने वालों में था।

चिंता:

डेटा की सीमित उपयोगिता:

  • वर्तमान सर्वेक्षण हमारी पब्लिक स्कूल प्रणाली की स्थिति को समझने हेतु नामांकन, प्रतिधारण, सीखने, बुनियादी ढांचे और शिक्षक प्रशिक्षण संबंधित आंकड़े एकत्र करते हैं। यह आंकड़े जन प्रेरणा हेतु सीमित रूप से उपयोगी है। इन प्रसिद्ध सर्वेक्षणों से उत्पन्न अधिकांश आंकड़ो की उपयोगिता उन माता-पिता के लिए सीमित है जो अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाते हैं।

नीति निर्माण में लोगों की भागीदारी का अभाव:

  • जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम (DPEP) और सर्व शिक्षा अभियान (SSA) जैसे राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों के तहत शुरू की गई जिला और स्कूल विकास योजनाएं काफी हद तक प्रशासनिक प्रथाएं बनी हुई हैं तथा इनमे माता-पिता और जनता के विचारों को शामिल नहीं किया जाता हैं।

सुझाव:

आंकड़ो की बेहतर गुणवत्ता:

  • आंकड़ो की बेहतर गुणवत्ता हेतु योजना बनाने की आवश्यकता है ताकि वे माता-पिता सहित सभी हितधारकों जो स्कूल डेटा के प्रमुख लाभार्थियों में से एक हैं के लिए उपयोगी हो सके। उनके बीच आंकड़ो का प्रसार करना आवश्यक है।
  • कार्रवाई योग्य आंकड़े समय की मांग है।

स्थानीय शिक्षा दृष्टिकोण:

  • शिक्षा पर राष्ट्रीय स्तर की नीतियों का स्वागत है, परन्तु यह अकेले पर्याप्त नहीं है। राज्य, जिला और स्थानीय स्तर पर शिक्षा संबंधित प्रभावी दृष्टिकोण विकसित करने की जरूरत है। इसका उपयोग स्थानीय प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए किया जाना चाहिए।
  • विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षा नीतियों को स्थानीय बनाने की आवश्यकता है।

लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देना:

  • समुदाय आधारित परामर्शदात्री निकायों जैसे स्कूल प्रबंधन समितियों और अभिभावक-शिक्षक समितियों को सशक्त बनाया जाना चाहिए और नीति निर्माण में उनकी भागीदारी को बढ़ाना चाहिए।

संतुलन के उद्देश्य:

  • स्कूली शिक्षा की दृष्टि को तात्कालिक, मूर्त, लोकप्रिय रूप से समझने योग्य उद्देश्यों जैसे पढ़ना, लिखना और साथ ही आजीविका प्रासंगिक कौशल एवं ज्ञान के अनुरूप बनाया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, इसमें सहकर्मी संबंधों को बढ़ावा देने, सामाजिक विविधता पर वार्ता करने, नए ज्ञान और अनुभवों की जिज्ञासा जैसे पहलुओं को भी शामिल किया जाना चाहिए।

सारांश:

  • प्रासंगिक और उच्च गुणवत्ता वाले आंकड़ो की उपलब्धता सुनिश्चित करना जो स्कूली शिक्षा के स्थानीय रूप से विकसित और राजनीतिक स्वामित्व वाले दृष्टिकोण से संबधित हो, वह भारत में स्कूली शिक्षा की सफलता सुनिश्चित कर सकते है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

स्वास्थ्य:

फेफड़े, पेड़ और दोष के भंडार:

विषय: सामाजिक क्षेत्र एवं स्वास्थ्य से संबंधित सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: भारत में तंबाकू उत्पादन और खपत।

संदर्भ:

  • 31 मई को ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
    • ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ का उद्देश्य तंबाकू के दुष्प्रभावों पर ध्यान केन्द्रित करना है।
  • इस वर्ष के ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ की थीम जिसका उद्देश्य पर्यावरण पर पड़ने वाले तंबाकू के दुष्प्रभावों को उजागर करना, ‘जहरिला होता हमारा ग्रह’ (Poisoning our planet) है।

पृष्टभूमि:

भारत में तंबाकू का उपयोग:

  • दूसरे ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार 2016-2017 में भारत के सभी वयस्कों में से लगभग 28.6% ने तंबाकू का इस्तेमाल किया। इस सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 42.4% पुरुषों और 14.2% महिलाओं ने धूम्रपान रहित, यानी चबाने वाले तंबाकू तथा धूम्रपान, यानी सिगरेट और बीड़ी दोनों का सेवन किया।
  • भारत तंबाकू की खपत में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।
  • भारत तंबाकू का विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।

तम्बाकू के दुष्परिणाम :

सेहत को नुकसान:

  • 2021 में, धूम्रपान ने लगभग 8 मिलियन लोगों की जान गई
  • WHO के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार भारत में अकेले तंबाकू से संबंधित बीमारियों के इलाज पर होने वाला खर्च कुल स्वास्थ्य खर्च का 5.3% है।

पर्यावरण को नुकसान:

  • सिगरेट उत्पादन, संसाधन गहन है। जिसके लिए पेड़ों की कटाई होती है, परिणामस्वरूप लगभग 84 मिलियन टन CO2 का उत्सर्जन होता है साथ ही इसमें लगभग 22 बिलियन लीटर पानी का उपयोग भी शामिल है।
  • सिगरेट बट्स, पैकेजिंग, धुंआ रहित तंबाकू के प्लास्टिक पाउच और ई-सिगरेट से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक्स और बैटरी पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ाता हैं।

सुझाव:

  • अधिक जागरूकता अभियानों के माध्यम से तंबाकू के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है।
  • अभियानों में सभी हितधारकों को शामिल किया जाना चाहिए और इस संबंध में तंबाकू उत्पादकों और इससे जुड़े लोगों के लिए वैकल्पिक आजीविका की खोज करनी चाहिए।
  • अधिक धारणीय उत्पादन प्रथाओं को अपनाने की आवश्यकता है।
  • ग्राहकों को तंबाकू तथा धूम्रपान उत्पादों से मुक्त कराने का प्रयास करना चाहिए।

सारांश:

  • न केवल स्वास्थ्य पर बल्कि पर्यावरण पर भी इसके प्रतिकूल प्रभावों को देखते हुए भारत में तंबाकू के उपयोग को कम करने के लिए एक क्रमिक और प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. मोदी ने ‘कोविड में अनाथ हुए बच्चों’ के लिए “PM CARES” के लाभों की घोषणा की:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

विषय: केंद्र और राज्यों की कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं।

प्रारंभिक परीक्षा: पीएम केयर फॉर चिल्ड्रन स्कीम।

संदर्भ:

  • हाल ही में भारत के प्रधान मंत्री ने बच्चों के लिए PM CARES योजना के तहत लाभों की घोषणा की।

पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन स्कीम:

  • PM CARES योजना वर्ष 2021 में उन बच्चों की सहायता करने के लिए शुरू की गई थी, जिन्होंने COVID-19 महामारी की वजह से अपने माता-पिता या कानूनी अभिभावक या दत्तक माता-पिता को खो दिया है।
  • 11 मार्च, 2020 से 28 फरवरी, 2022 के बीच जिन बच्चों ने अपने माता-पिता या प्राथमिक देखभाल करने वाले या दोनों को इस बीमारी की वजह से खोया हैं,वे इस योजना के लिए पात्र हैं।
  • यह योजना के तहत 23 वर्ष की आयु तक स्वास्थ्य बीमा, शिक्षा और वित्तीय सहायता प्रदान कर बच्चों की देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित की जायगी।
  • इस योजना के तहत जब बच्चे 23 वर्ष के हो जायेंगे तो उन्हें 10 लाख की एकमुश्त राशि के साथ-साथ 18 से 23 वर्ष की आयु तक मासिक वजीफा भी मिलेगा ।
  • स्कूल जाने वाले बच्चों को नजदीकी सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा, पाठ्यपुस्तकें और यूनिफॉर्म मिलेगी।
  • निजी स्कूलों के छात्र स्वयं शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ उठा सकेँगे। छात्र व्यावसायिक पाठ्यक्रमों और उच्च शिक्षा के लिए भी ऋण ले सकते हैं।
  • इस योजना में बच्चों को किसी भी अप्रत्याशित चिकित्सा खर्च को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य बीमा का भी प्रस्ताव है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1.10 प्रशांत द्वीपीय देशों ने चीन के सुरक्षा समझौते को खारिज किया:

  • दस प्रशांत द्वीपीय राष्ट्रों ने व्यापक क्षेत्रीय सुरक्षा समझौते के लिए चीन के दबाव को अस्वीकार कर दिया है।
  • यह चीन के लिए एक कूटनीतिक झटका है, जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों के प्रभाव को सीधे चुनौती देते हुए दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहा है।
  • चीन ने मुक्त व्यापार समझौते के प्रस्तावों के अलावा इन्हे वित्तीय सहायता के रूप में लाखों डॉलर देने की पेशकश की थी।
  • हालांकि प्रशांत क्षेत्र के नेताओं को इस प्रस्ताव के बारे में गंभीर संदेह है क्योंकि उन्हें अपने आंतरिक मामलों और आर्थिक नियंत्रण में चीन के हस्तक्षेप की आशंका है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. ग्रामीण विकास के लिए ‘किसान सभा’ और ‘गुड़ भट्टी’ जैसी तकनीकों का विकास किसके द्वारा किया गया है – (स्तर-सरल)

(a) इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय

(b) नीति आयोग

(c) सीएसआईआर (CSIR)

(d) भारतीय विज्ञान संस्थान

उत्तर: c

व्याख्या:

  • हाल ही में सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने कोविड-19 महामारी से उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अवसर पैदा करने के लिए सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों के प्रसार के लिए एक बड़ी पहल की है।
  • इस संबंध में किसानों को किसान सभा ऐप और गुड़ भट्टी तकनीक का प्रचार-प्रसार करने के लिए किसान-उद्योग-वैज्ञानिक बैठक का आयोजन किया गया।

प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों में से कौन से सही हैं? (स्तर-मध्यम)

  1. राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन सी-डैक (C-DAC), आईआईएससी (IISc) के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की एक संयुक्त पहल है।
  2. हाल ही में मिशन के तहत एक अत्याधुनिक सुपरकंप्यूटर परम अनंत, आईआईटी गांधीनगर द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया है।
  3. भारत के पास दुनिया का तीसरा सबसे तेज सुपर कंप्यूटर हैं।

विकल्प:

(a) केवल 1

(b) केवल 1 और 2

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: b

व्याख्या:

  • नवंबर 2020 तक, सुपरकंप्यूटर सिस्टम की रैंकिंग में भारत दुनिया में 63 वें स्थान पर है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों में से कौन से सही हैं? (स्तर-मध्यम)

  1. चीन प्रशांत द्वीप समूह मंच के साथ एक सुरक्षा समझौते और मुक्त व्यापार समझौते पर जोर दे रहा है।
  2. यह सोलोमन द्वीप समूह के साथ पहले ही एक ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर कर चुका है।
  3. रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में चीन,संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों के प्रभाव को सीधे चुनौती देने के लिए दक्षिण प्रशांत में अपनी गतिविधियों को तीव्र कर रहा है।

विकल्प:

(a) केवल 1

(b) केवल 1 और 2

(c) केवल 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: d

व्याख्या:

  • दस प्रशांत द्वीपीय राष्ट्रों ने व्यापक क्षेत्रीय सुरक्षा समझौते के लिए चीन के दबाव को अस्वीकार कर दिया है।
  • यह चीन के लिए एक कूटनीतिक झटका है, जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों के प्रभाव को सीधे चुनौती देते हुए दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहा है।
  • चीन ने राजनीतिक संबंधों के विस्तार के साथ-साथ प्रशांत द्वीपीय पुलिस को प्रशिक्षित करने, साइबर सुरक्षा और समुद्री मानचित्रण के क्षेत्रों में सहयोग करने की पेशकश की थी।
  • चीन ने मुक्त व्यापार समझौते के प्रस्तावों के अलावा इन्हे वित्तीय सहायता के रूप में लाखों डॉलर देने की पेशकश की थी।
  • हालांकि प्रशांत क्षेत्र के नेताओं को इस प्रस्ताव के बारे में गंभीर संदेह है क्योंकि उन्हें अपने आंतरिक मामलों और आर्थिक नियंत्रण में चीन के हस्तक्षेप की आशंका है।
  • चीन का सोलोमन द्वीपों के साथ सुरक्षा समझौता और सोमोआ के साथ राजनयिक संबंध समझौता है।

प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कौन से कथन गलत हैं? (स्तर-मध्यम)

  1. राष्ट्रीय एआई पोर्टल इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय, राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन और नैसकॉम (NASSCOM) की एक संयुक्त पहल है।
  2. यह पोर्टल भविष्य के एआई के लिए मजबूत कार्यबल विकसित करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने तथा ज्ञान निर्माण में उत्कृष्टता एवं नेतृत्व को बढ़ावा देने हेतु देश में एक एकीकृत एआई पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और उन्हें पोषित करने पर केंद्रित है।
  3. इसे वर्ष 2014 में लॉन्च किया गया था।

विकल्प:

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) केवल 3

(d) उपर्युक्त कोई नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • राष्ट्रीय एआई पोर्टल वर्ष 2020 में लॉन्च किया गया था।

प्रश्न 5. कार्बन नैनोट्यूब के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः (स्तर-कठिन)

  1. उनका उपयोग मानव शरीर में दवाओं और एंटीजन के वाहक के रूप में किया जा सकता है।
  2. मानव शरीर के किसी घायल हिस्से के लिए उन्हें कृत्रिम रक्त केशिकाओं में बनाया जा सकता है।
  3. उनका उपयोग जैव रासायनिक सेंसर में किया जा सकता है।
  4. कार्बन नैनोट्यूब जैवनिम्ननीय (बायोडिग्रेडेबल) होते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2, 3 और 4

(c) केवल 1, 3 और 4

(d) 1, 2, 3, और 4

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कार्बन नैनोट्यूब बेलनाकार अणु होते हैं जिनमें एकल-परत कार्बन परमाणुओं (ग्रैफीन) की मुड़ी हुई चादरें होती हैं।
  • चिकित्सा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इनका बहुत अधिक इस्तेमाल किया जाता हैं।
  • कार्बन नैनोट्यूब जैवनिम्ननीय (बायोडिग्रेडेबल (biodegradable)) होते हैं।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के बारे में सभी तरह के प्रचारों के बावजूद, वे अभी भी कोयले के विश्वसनीय विकल्प नहीं बने हैं। टिप्पणी कीजिए । (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III- ऊर्जा)

प्रश्न 2. तंबाकू का सेवन कई समस्याओं जैसे स्वास्थ्य, आर्थिक और यहां तक कि पर्यावरण आदि की जड़ भी है। विस्तार से चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – शासन)

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